कांग्रेस नेता राहुल गांधी कल (4 जून) हरियाणा दौरे पर आ रहे हैं। वे पहली बार प्रदेश कमेटी के चंडीगढ़ कार्यालय पर आएंगे। मगर उनके दौरे से पहले पूर्व CM भूपिंद्र हुड्डा और कुमारी सैलजा गुटों के नेताओं ने एक-दूसरे के खिलाफ कमेंट कसने शुरू कर दिए हैं। हुड्डा गुट के झज्जर जिले की बादली सीट से विधायक कुलदीप वत्स ने कहा कि राहुल गांधी हरियाणा आकर कठोर फैसले लें। इस समय हरियाणा कांग्रेस में कड़े फैसले लेने की जरूरत है। उन्होंने कहा- पार्टी के भीतर रह कर जो नेता जयचंद की भूमिका निभा रहे हैं, उनके खिलाफ न सिर्फ कठोर कार्रवाई हो बल्कि उन्हें पार्टी से बाहर का रास्ता दिखाया जाए। वहीं, सैलजा समर्थक पूर्व विधायक शमशेर गोगी ने कहा कि कांग्रेस को ऐसा नेतृत्व चाहिए, जो परिवार के लिए ना सोचकर पार्टी के लिए सोचे। गोगी ने यहां तक कहा कि कांग्रेस कभी वन वे नहीं चली, यह सबको साथ लेकर ही चल सकती है। तीन दिन पहले कुमारी सैलजा ने कहीं 3 अहम बातें… 1. विधानसभा चुनाव में पार्टी के लिए चुप थी
सिरसा से सांसद कुमारी सैलजा ने 3 दिन पहले हिसार में कहा कि विधानसभा चुनाव में मेरी चुप्पी पार्टी के फायदे के लिए ही थी। मेरे साथ उस समय जो हुआ, उसमें मैं नहीं चाहती थी कि कुछ बोलूं। अगर मैं इलेक्शन के बीच कुछ बोलती तो पार्टी को ही नुकसान होता। सभी को पता है कि मेरे साथ क्या हुआ? किस तरह से चुनाव लड़ा गया। पार्टी ऐसे मामलों को देख रही है। 2. कुछ नेता अपना हित पार्टी से ऊपर रखते हैं
उन्होंने कहा कि किरण चौधरी और उनकी बेटी के साथ कांग्रेस में जो हुआ वह ठीक नहीं हुआ। पार्टी में कुछ नेता अपना हित पार्टी से ऊपर रखते हैं, जो सही नहीं है। संगठन से कार्यकर्ताओं को पहचान मिलती है, लेकिन पिछले एक दशक से अधिक समय से हरियाणा में संगठन नहीं बन सका। फिर भी कार्यकर्ता बिना संगठन के दिन-रात पार्टी के लिए काम कर रहा है। 3. अपने ही लोग उम्मीदवार को हराने में लगे थे
सैलजा ने कहा कि कांग्रेस विधानसभा चुनाव में सत्ता आते-आते रह गई। अगर संगठन होता तो पार्टी और अधिक मजबूती से चुनाव लड़ती। जब किसी पार्टी का संगठन होता है तो जमीन पर मजबूती से खड़ी हो सकती है, पर बिना संगठन के सब अपना-अपना काम कर रहे थे। अपने ही लोग अपने उम्मीदवार को हराने में लगे हुए थे। राहुल गांधी के सामने भी दिख चुकी गुटबाजी, 2 पाॅइंट में पढ़िए… 1. मंच पर ही एक दूसरे के सामने झगड़े थे नेता:
हरियाणा कांग्रेस में गुटबाजी राहुल गांधी के सामने भी खुलकर सामने आ चुकी है। विधानसभा चुनाव में प्रचार के दौरान किरण चौधरी (अब भाजपा में) और राव दान सिंह मंच पर ही भिड़ गए थे। राहुल गांधी ने अंबाला के नारायणगढ़ में सैलजा और हुड्डा के हाथ मिलवाकर गुटबाजी खत्म करने का संकेत दिया, मगर गुटबाजी कम होने के बजाय बढ़ती गई। 2. राहुल ने माना था नेताओं के हित पार्टी से ऊपर हुए:
हरियाणा में कांग्रेस की हार के बाद राहुल गांधी की पीड़ा उभरकर सामने आई थी। राहुल गांधी ने हरियाणा चुनाव में हुई हार के बाद दिल्ली में समीक्षा मीटिंग बुलाई थी। मल्लिकार्जुन खड़गे के घर हुई इस मीटिंग में राहुल राहुल गांधी ने कहा कि चुनाव हारने की वजह ये है कि हरियाणा के नेताओं के इंटरेस्ट (हित) पार्टी इंटरेस्ट से ऊपर हो गए थे। हरियाणा में महज 0.85% वोट कम मिले, लेकिन सीटें BJP से 11 कम
गुटबाजी ने कांग्रेस की लुटिया कैसे डुबोई, इसका पता इस बात से चलता है कि विधानसभा में कांग्रेस और BJP के वोटों का अंतर महज 0.85% था। भाजपा को 39.94% तो कांग्रेस को 39.09% वोट मिले। हालांकि, सीटों के लिहाज से भाजपा के 48 के मुकाबले कांग्रेस 37 सीटों पर रह गई। इस पर मंथन हुआ तो यही पता चला कि आपसी खींचतान से सारा खेल बिगड़ा। 2019 के मुकाबले भाजपा के पक्ष में 3.45% वोट स्विंग हुआ तो कांग्रेस की तरफ यह 11.01% था। संगठन बनाने की मात्थापच्ची के 4 पॉइंटस… कांग्रेस नेता राहुल गांधी कल (4 जून) हरियाणा दौरे पर आ रहे हैं। वे पहली बार प्रदेश कमेटी के चंडीगढ़ कार्यालय पर आएंगे। मगर उनके दौरे से पहले पूर्व CM भूपिंद्र हुड्डा और कुमारी सैलजा गुटों के नेताओं ने एक-दूसरे के खिलाफ कमेंट कसने शुरू कर दिए हैं। हुड्डा गुट के झज्जर जिले की बादली सीट से विधायक कुलदीप वत्स ने कहा कि राहुल गांधी हरियाणा आकर कठोर फैसले लें। इस समय हरियाणा कांग्रेस में कड़े फैसले लेने की जरूरत है। उन्होंने कहा- पार्टी के भीतर रह कर जो नेता जयचंद की भूमिका निभा रहे हैं, उनके खिलाफ न सिर्फ कठोर कार्रवाई हो बल्कि उन्हें पार्टी से बाहर का रास्ता दिखाया जाए। वहीं, सैलजा समर्थक पूर्व विधायक शमशेर गोगी ने कहा कि कांग्रेस को ऐसा नेतृत्व चाहिए, जो परिवार के लिए ना सोचकर पार्टी के लिए सोचे। गोगी ने यहां तक कहा कि कांग्रेस कभी वन वे नहीं चली, यह सबको साथ लेकर ही चल सकती है। तीन दिन पहले कुमारी सैलजा ने कहीं 3 अहम बातें… 1. विधानसभा चुनाव में पार्टी के लिए चुप थी
सिरसा से सांसद कुमारी सैलजा ने 3 दिन पहले हिसार में कहा कि विधानसभा चुनाव में मेरी चुप्पी पार्टी के फायदे के लिए ही थी। मेरे साथ उस समय जो हुआ, उसमें मैं नहीं चाहती थी कि कुछ बोलूं। अगर मैं इलेक्शन के बीच कुछ बोलती तो पार्टी को ही नुकसान होता। सभी को पता है कि मेरे साथ क्या हुआ? किस तरह से चुनाव लड़ा गया। पार्टी ऐसे मामलों को देख रही है। 2. कुछ नेता अपना हित पार्टी से ऊपर रखते हैं
उन्होंने कहा कि किरण चौधरी और उनकी बेटी के साथ कांग्रेस में जो हुआ वह ठीक नहीं हुआ। पार्टी में कुछ नेता अपना हित पार्टी से ऊपर रखते हैं, जो सही नहीं है। संगठन से कार्यकर्ताओं को पहचान मिलती है, लेकिन पिछले एक दशक से अधिक समय से हरियाणा में संगठन नहीं बन सका। फिर भी कार्यकर्ता बिना संगठन के दिन-रात पार्टी के लिए काम कर रहा है। 3. अपने ही लोग उम्मीदवार को हराने में लगे थे
सैलजा ने कहा कि कांग्रेस विधानसभा चुनाव में सत्ता आते-आते रह गई। अगर संगठन होता तो पार्टी और अधिक मजबूती से चुनाव लड़ती। जब किसी पार्टी का संगठन होता है तो जमीन पर मजबूती से खड़ी हो सकती है, पर बिना संगठन के सब अपना-अपना काम कर रहे थे। अपने ही लोग अपने उम्मीदवार को हराने में लगे हुए थे। राहुल गांधी के सामने भी दिख चुकी गुटबाजी, 2 पाॅइंट में पढ़िए… 1. मंच पर ही एक दूसरे के सामने झगड़े थे नेता:
हरियाणा कांग्रेस में गुटबाजी राहुल गांधी के सामने भी खुलकर सामने आ चुकी है। विधानसभा चुनाव में प्रचार के दौरान किरण चौधरी (अब भाजपा में) और राव दान सिंह मंच पर ही भिड़ गए थे। राहुल गांधी ने अंबाला के नारायणगढ़ में सैलजा और हुड्डा के हाथ मिलवाकर गुटबाजी खत्म करने का संकेत दिया, मगर गुटबाजी कम होने के बजाय बढ़ती गई। 2. राहुल ने माना था नेताओं के हित पार्टी से ऊपर हुए:
हरियाणा में कांग्रेस की हार के बाद राहुल गांधी की पीड़ा उभरकर सामने आई थी। राहुल गांधी ने हरियाणा चुनाव में हुई हार के बाद दिल्ली में समीक्षा मीटिंग बुलाई थी। मल्लिकार्जुन खड़गे के घर हुई इस मीटिंग में राहुल राहुल गांधी ने कहा कि चुनाव हारने की वजह ये है कि हरियाणा के नेताओं के इंटरेस्ट (हित) पार्टी इंटरेस्ट से ऊपर हो गए थे। हरियाणा में महज 0.85% वोट कम मिले, लेकिन सीटें BJP से 11 कम
गुटबाजी ने कांग्रेस की लुटिया कैसे डुबोई, इसका पता इस बात से चलता है कि विधानसभा में कांग्रेस और BJP के वोटों का अंतर महज 0.85% था। भाजपा को 39.94% तो कांग्रेस को 39.09% वोट मिले। हालांकि, सीटों के लिहाज से भाजपा के 48 के मुकाबले कांग्रेस 37 सीटों पर रह गई। इस पर मंथन हुआ तो यही पता चला कि आपसी खींचतान से सारा खेल बिगड़ा। 2019 के मुकाबले भाजपा के पक्ष में 3.45% वोट स्विंग हुआ तो कांग्रेस की तरफ यह 11.01% था। संगठन बनाने की मात्थापच्ची के 4 पॉइंटस… हरियाणा | दैनिक भास्कर
