जालंधर| रिटायर्ड स्टाफ वेलफेयर एसोसिएशन की मीटिंग प्रधान पीडी शर्मा की अध्यक्षता में वीरवार को हुई। सदस्यों ने लंबे समय से चली आ रही रिटायर्ड कर्मचारियों की मांगों पर विचार विमर्श किया। इस दौरान सदस्यों ने एक जुट होकर संघर्ष करने के लिए कहा। मीटिंग में विमल रामपाल, पवन जामना, सुरिंदर कुमार, टेक चंद अरोड़ा, एएस ऊभी, पीकेएस सोढी, धर्म सिंह, नरेंद्र कुमार आदि सदस्य मौजूद थे। जालंधर| रिटायर्ड स्टाफ वेलफेयर एसोसिएशन की मीटिंग प्रधान पीडी शर्मा की अध्यक्षता में वीरवार को हुई। सदस्यों ने लंबे समय से चली आ रही रिटायर्ड कर्मचारियों की मांगों पर विचार विमर्श किया। इस दौरान सदस्यों ने एक जुट होकर संघर्ष करने के लिए कहा। मीटिंग में विमल रामपाल, पवन जामना, सुरिंदर कुमार, टेक चंद अरोड़ा, एएस ऊभी, पीकेएस सोढी, धर्म सिंह, नरेंद्र कुमार आदि सदस्य मौजूद थे। पंजाब | दैनिक भास्कर
Related Posts
अबोहर में अदायगी देने आ रहे व्यक्ति पर हमला:1.70 लाख लूटकर फरार हुआ आरोपी, पीड़ित ने लीज पर लिया होटल
अबोहर में अदायगी देने आ रहे व्यक्ति पर हमला:1.70 लाख लूटकर फरार हुआ आरोपी, पीड़ित ने लीज पर लिया होटल पंजाब के अबोहर में फाजिल्का रोड स्थित चुंगी पर आज दोपहर दिन दहाड़े एक कार सवार व्यक्ति से एक अन्य व्यक्ति ने पहले झगड़ा किया और बाद मे उसकी कार में रखी 1.70 लाख की नगदी लूटकर फरार हो गया। जब पीड़ित ने नगदी को बचाने का प्रयास किया तो आरोपी ने कुल्हाड़ी से हमला कर घायल कर दिया। घायल को इलाज के लिए सरकारी अस्पताल में भर्ती करवाया गया है। भाई देकर गया था 1.70 लाख उपचाराधीन संजय पुत्र राम प्रताप ढुंडाढा आयु करीब 33 साल ने बताया कि उसने अबोहर के बस स्टैंड पीछे बना ए वन होटल लीज पर लिया है। जिसकी अदायगी के लिए वह खुद करीब साढ़े 3 बजे कार से फाजिल्का रोड चुंगी पर आया था। इसी दौरान उसका भाई राम कमार गांव से बस से उसे 1.70 लाख रुपए देने आया। जब उसका भाई पैसे देकर चला गया और वह अपनी कार में सवार होकर शहर के लिए रवाना हुआ। इतने में एक अल्टो कार वाला अज्ञात युवक ने जबरन कार ओवरटेक करने के बहाने उससे झगड़ा करना शुरू कर दिया। पैसे लूटकर फरार हुआ आरोपी संजय ने बताया कि इस बहस बाजी के दौरान उक्त आल्टो कार वाले ने उसकी कार की सीट पर नगदी से भरा लिफाफा देखा और नगदी उठाकर भागने का प्रयास किया। जब उसने अपनी नगदी बचाने का प्रयास किया तो उक्त व्यक्ति ने कार में रखी कुल्हाड़ी से उसके हाथ पर हमला कर दिया। जिससे उसकी दो उंगलियां कट गई और वह लहूलुहान हालत में सड़क पर गिर गया। जबकि हमलावर नगदी लूटकर ले गया। आसपास एकत्र हुए लोगों ने इसकी सूचना पुलिस को दी और उसे तुरंत सरकारी अस्पताल पहुंचाया। डीएसपी ने दी जानकारी इस बारे में डीएसपी अरूण मुंडन ने कहा कि उनके पास भी व्यक्ति से लूट की सूचना पहुंची है। जिसकी जांच थाना नंबर 1 के प्रभारी को सौंप दी गई है। वे मौके पर पहुंचकर गवाहों के बयान दर्ज करने के साथ ही निकट लगे कैमरों की भी जांच कर रहे हैं। वहीं घायल संजय के बयान भी दर्ज कर लिए गए हैं। पूरी तहकीकात करते हुए घायल एवं गवाहों के बयानों पर बनती कार्रवाई की जाएगी।
अकाल तख्त साहिब पर 5 जत्थेदारों की बैठक:बागी शिअद गुट की माफी पर होगा विचार, अध्यक्ष सुखबीर की बढ़ सकती हैं मुश्किलें
अकाल तख्त साहिब पर 5 जत्थेदारों की बैठक:बागी शिअद गुट की माफी पर होगा विचार, अध्यक्ष सुखबीर की बढ़ सकती हैं मुश्किलें शिरोमणि अकाली दल (SAD) के अध्यक्ष सुखबीर बादल की मुश्किलें बढ़ सकती हैं। SAD बागी गुट की तरफ से श्री अकाल तख्त साहिब पर 1 जुलाई को दिए गए माफीनामे पर जत्थेदार ज्ञानी रघबीर सिंह की तरफ से सभी तख्तों के जत्थेदारों की सोमवार को बैठक बुला ली है। इस बैठक में सभी जत्थेदार मिल कर SAD बागी गुट की तरफ से दिए गए माफीनामे पर विचार करेंगे। अकाली दल के लिए भविष्य के लिए ये बैठक अहम होने जा रही है। हाशिए पर खड़े अकाली दल को लेकर सिर्फ बागी गुट ही नहीं, विरोधी पार्टियां भी चिंतित हैं। वहीं, बागी गुट खुल कर झूंदा कमेटी की सिफारिशों को लागू करने की मांग कर रहा है। इसके अलावा अकाली दल के अध्यक्ष पद से सुखबीर बादल को हटाने की मांग भी प्रबल होती जा रही है। हालांकि इस पर अभी तक अकाली दल के अध्यक्ष सुखबीर बादल की तरफ से कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है, लेकिन उनकी तरफ से पदाधिकारियों की बैठकों को बुला कर अपना शक्ति प्रदर्शन जाहिर कर दिया गया है। माफीनामे के शब्द बढ़ा सकते हैं सुखबीर बादल की दिक्कतें श्री अकाल तख्त साहिब पर बागी गुट की तरफ से दिए गए माफी नामे में लिखी गई बातें अकाली दल सुखबीर बादल की मुश्किलों को बढ़ा सकते हैं। इस माफी नामे में बागी गुट ने साफ तौर पर सुखबीर बादल का साथ देने के लिए माफियां मांगी हैं, लेकिन इसके साथ ही बादल परिवार पर वे आरोप लगाए हैं, जिन्हें लेकर सिख समुदाय में लंबे समय से गुस्सा चला आ रहा है। जानें क्या लिखा है माफीनामे में बागी गुट के अकाल तख्त को सौंपे माफीनामे में कबूली 4 गलतियां… 1. वापस ली गई थी डेरा सच्चा सौदा के खिलाफ शिकायत 2007 में सलाबतपुरा में सच्चा सौदा डेरा के प्रमुख गुरुमीत राम रहीम ने दसवें गुरू श्री गुरू गोबिंद सिंह जी की परंपरा का अनुकरण करते हुए उन्हीं कपड़ों को पहनकर अमृत छकाने का स्वांग रचाया था। उस वक्त इसके खिलाफ पुलिस केस भी दर्ज किया गया था, लेकिन बाद में SAD सरकार ने सजा देने की जगह इस मामले को ही वापस ले लिया। 2. डेरा मुखी को सुखबीर बादल ने दिलवाई थी माफी श्री अकाल तख्त साहिब ने कार्रवाई करते हुए डेरा मुखी को सिख पंथ से निष्कासित कर दिया था। शिरोमणि अकाली दल के अध्यक्ष सुखबीर सिंह बादल ने अपने प्रभाव का इस्तेमाल करते हुए डेरा मुखी को माफी दिलवा दी थी। इसके बाद शिरोमणि अकाली दल और शिरोमणि कमेटी के नेतृत्व को सिख पंथ के गुस्से और नाराजगी को ध्यान में रखते हुए इस फैसले से पीछे हटना पड़ा। 3. बेअदबी की घटनाओं की सही जांच नहीं हुई 1 जून 2015 को कुछ तत्वों ने बुर्ज जवाहर सिंह वाला (फरीदकोट) के गुरुद्वारा साहिब से श्री गुरु ग्रंथ साहिब की बीड़ चुराई। फिर 12 अक्टूबर 2015 को बरगाड़ी (फरीदकोट) के गुरुद्वारा साहिब से श्री गुरु ग्रंथ साहिब के 110 अंग चुरा लिए व बाहर फेंक दिए। इससे सिख पंथ में भारी आक्रोश फैल गया। शिरोमणि अकाली दल सरकार और तत्कालीन गृह मंत्री सुखबीर सिंह बादल ने इस मामले की समय रहते जांच नहीं की। दोषियों को सजा दिलाने में सफल नहीं हुए। इससे पंजाब में हालात बिगड़ गए और कोटकपूरा और बहबल कलां में दुखद घटनाएं हुईं। 4. झूठे केसों में मारे गए सिखों को नहीं दे पाए इंसाफ SAD सरकार ने सुमेध सैनी को पंजाब का DGP नियुक्त किया गया। राज्य में फर्जी पुलिस मुठभेड़ों को अंजाम देकर सिख युवाओं की हत्या करने के लिए उन्हें जाना जाता था। पुलिसकर्मी इजहार आलम, जिन्होंने आलम सेना का गठन किया, उनकी पत्नी को टिकट दिया और उन्हें मुख्य संसदीय सचिव बनाया। बताना चाहते हैं कि 2012 में बनी SAD सरकार और पिछली अकाली सरकारों ने भी राज्य में झूठे पुलिस मुठभेड़ों की निष्पक्ष जांच करने और पीड़ितों को राहत देने के लिए एक आयोग बनाकर लोगों से किए वादे विफल रहे। चंदूमाजरा की अध्यक्षता में चल रहा विरोधी गुट सुखबीर बादल के खिलाफ अकाली दल के बागी गुट की अगुआई प्रेम सिंह चंदूमाजरा कर रहे हैं। उनके साथ सिकंदर मलूका, सुरजीत रखड़ा, बीबी जागीर कौर, प्रेम सिंह चंदूमाजरा, किरणजोत कौर, मनजीत सिंह, सुरिंदर भुल्लेवाल, गुरप्रताप वडाला, चरणजीत बराड़, हरिंदर पाल टोहरा और गगनजीत बरनाला भी हैं। अकाली दल में फूट की वजह, 2 बार लगातार सरकार, फिर 2 बार हार अकाली दल में फूट की वजह सत्ता से बाहर होना है। 2008 तक अकाली दल प्रकाश सिंह बादल के हाथों में था, जबकि 2012 के चुनाव भी प्रकाश सिंह बादल की अगुआई में हुए। 2002 के विधानसभा चुनावों में कांग्रेस ने 62 सीटों के साथ सरकार बनाई थी, जबकि अकाली दल ने 34 सीटें हासिल की। 2007 में अकाली दल फिर सत्ता में आई और 67 पर जीत हासिल की। इस दौरान कांग्रेस 44 सीटों पर सिमट गई। 2012 के चुनावों में पहली बार अकाली दल ने खुद को रिपीट किया। प्रकाश सिंह बादल दूसरी बार मुख्यमंत्री बने और अकाली दल ने 68 और कांग्रेस ने 44 सीटें हासिल की। इसके बाद 2017 में अकाली दल को सुखबीर बादल ने अपने हाथों में लिया। उन्होंने चुनाव की अगुआई की। मगर अकाली दल 18 सीटों पर सिमट गया और कांग्रेस ने 77 सीटें जीतकर सरकार बना ली। इस चुनाव में अकाली दल तीसरे नंबर पर रहा क्योंकि 20 सीटें आम आदमी पार्टी जीत गई। 2022 में अकाली दल की स्थिति और दयनीय हो गई। आप 92, कांग्रेस 18 और अकाली दल मात्र 3 सीटों पर सिमट गई। लोकसभा में लगातार 2 बार 4 सीट जीती, अब एक सीट आई 2004 लोकसभा चुनाव में पंजाब में कांग्रेस ने 8, बीजेपी एक और शिरोमणि अकाली दल ने एक 4 सीट जीती थीं। जबकि साल 2014 में कांग्रेस 3, भाजपा 2, शिरोमणि अकाली दल 4, AAP 4 सीटों पर विजेता बनी थी। इसी तरह साल 2019 के चुनाव में कांग्रेस ने 8, शिरोमणि अकाली दल 2, भाजपा 2 और AAP को एक सीट मिली। इसी तरह साल 2024 के चुनाव में कांग्रेस 7, आप 3, शिरोमणि अकाली दल एक, दो आजाद उम्मीदवार जीते। झूंदा कमेटी की रिपोर्ट लागू करने की मांग हो रही ये गुट लगातार झूंदा कमेटी, जिसे 2022 में भी लागू करने की मांग उठी थी, पर विचार करने का दबाव बना रहे हैं। हालांकि इसमें पार्टी प्रधान बदलने का प्रस्ताव नहीं है, लेकिन ये लिखा गया है कि पार्टी अध्यक्ष 10 साल के बाद रिपीट नहीं होगा। झूंदा रिपोर्ट पर जब अमल नहीं हुआ तो इसे सार्वजनिक नहीं किया गया था। झूंदा ने सार्वजनिक तौर पर बयान जारी किया था कि 117 विधानसभा हलकों में से 100 में जाकर उन्होंने इस रिपोर्ट को तैयार किया है। इस रिपोर्ट में कुछ जानकारियां 2022 में सांझी की थी। तब अकाली नेताओं ने कहा था कि झूंदा रिपोर्ट में 42 सुझाव दिए गए हैं। पार्टी प्रधान को बदले जाने का रिपोर्ट में कहीं जिक्र नहीं है। लेकिन, भविष्य में पार्टी प्रधान के चुने जाने की तय सीमा जरूर तय की गई है। ये भी बात उठाई गई कि अकाली दल अपने मूल सिद्धांतों से भटका है और राज्य सत्ता में रहने के मकसद से कई कमियां आई हैं। 3 दशक से बादल परिवार का कब्जा शिरोमणि अकाली दल पर पिछले 3 दशक से बादल परिवार का कब्जा है। 1995 में सरदार प्रकाश सिंह बादल अकाली दल के प्रमुख बने थे। इस पद पर वे 2008 तक बने रहे। 2008 के बाद शिअद की कमान उनके बेटे सुखबीर सिंह बादल के हाथ में आ गई। किसी जमाने में पंजाब ही नहीं भारतीय राजनीति में अकाली दल की तूती बोलती थी, लेकिन धीरे-धीरे इसका प्रभुत्व समाप्त होता चला गया। आलम ये है कि अब इसके पास लोकसभा की केवल एक सीट है। विधानसभा में भी इसका प्रभाव लगातार खत्म हो रहा है।
मोगा की SHO अर्शप्रीत का लुधियाना कनैक्शन:थानों की संभाल चुकी कमान,पूर्व CM के साथ वीडियो काल के बाद चर्चा में थी आई
मोगा की SHO अर्शप्रीत का लुधियाना कनैक्शन:थानों की संभाल चुकी कमान,पूर्व CM के साथ वीडियो काल के बाद चर्चा में थी आई पंजाब के मोगा में बीती देर रात थाना कोर्ट इसे ख़ां की SHO इंस्पेक्टर अर्शप्रीत कौर ग्रेवाल सहित 2 अन्य पुलिस कर्मियों और खिलाफ मामला दर्ज किया है। इन पुलिस कर्मियों पर आरोप है कि इन्होंने एक अफीम तस्करों की मदद की है। पुलिस ने इस मामले में फिलहाल SHO इंस्पेक्टर अर्शप्रीत कौर ग्रेवाल, मुंशी गुरप्रीत सिंह, चौकी इंचार्ज बलखंडी, अफीम तस्कर मनप्रीत सिंह और गुरप्रीत सिंह के खिलाफ मामला दर्ज किया गया है। पुलिस के सीनियर अधिकारी इस मामले की गहनता से जांच करवा करवा रहे है। आरोपी पुलिस कर्मियों के पिछले रिकार्ड भी अब खंगाले जा रहे है। 8 लाख में सौदा हुआ तय,5 लाख हासिल किए जानकारी के अनुसार 1 अक्टूबर को पुलिस ने अमरजीत सिंह निवासी दातेवाल रोड कोट इसे ख़ां के खिलाफ 2 किलो अफीम बरामदगी का आपराधिक मामला दर्ज किया था, जब की उसके भाइयों से भी 3 किलो अफीम बरामद हुई थी। तीनों पुलिस कर्मियों ने किसी प्राइवेट व्यक्ति के जरिए 8 लाख रुपए में सौदा करके 5 लाख रुपए हासिल करके छोड़ दिया था। SHO अर्शप्रीत कौर का लुधियाना कनैक्शन
SHO अर्शप्रीत कौर का लुधियाना से काफी नाता रहा है। अधिकतर समय अर्शप्रीत ने लुधियाना में ही डयूटी की है। थाना बस्ती जोधेवाल और डिवीजन नंबर 2 में बतौर SHO काम किया है। अर्शप्रीत लुधियाना की सबसे पहली कोरोना वॉरियर्स थी। अर्शप्रीत पहली ऐसी SHO रही है जिनसे खुद पूर्व मुख्यमंत्री कैप्टन अमरेन्द्र सिंह ने वीडियो काल पर बातचीत की थी। उसे कोविड से लड़ने के लिए उन्होंने प्रेरित किया था। सोशल मीडिया पर अर्शप्रीत और कैप्टन अमरेन्द्र सिंह की कोविड समय की वीडियो काल काफी चर्चा में रही थी। उस समय के DGP दिनकर गुप्ता ने पंजाब पुलिस की तरफ से अर्शप्रीत के नाम से पोस्ट भी शेयर किया था कि लोग कोविड से डरे नहीं। वहीं काफी गायक एम्मी विर्क सहित कई कलाकारों ने अर्शप्रीत के कोविड पाजीटिव होने पर उसे वीडियो काल करके उसका हौंसला बढ़ाया था।