हिसार जिले के गांव मिलकपुर हाल जींद निवासी अश्वनी श्योराण ने INI-CET (राष्ट्रीय महत्व के संस्थान संयुक्त प्रवेश परीक्षा) में ऑल इंडिया टॉप किया है। जिसके लिए अश्वनी ने प्रतिदिन 8-10 घंटे तक पढ़ाई की। अब वह दिल्ली एम्स में एमडीएस (मास्टर्स ऑफ डेंटल सर्जरी) की पढ़ाई करेंगे। अश्वनी श्योराण ने बताया कि उनके पिता जंगजीत श्योराण प्रिंसिपल पद से रिटायर्ड हैं। वहीं उनकी मां सुमित्रा देवी गृहणी हैं। वे दो बहन-भाई हैं, बड़ी बहन रूचिका की शादी हो चुकी है। वे मूल रूप से हिसार जिले के गांव मिलकपुर के रहने वाले हैं। लेकिन फिलहाल वे जींद में ही रहते हैं और घर वहीं बनाया है। अश्वनी ने बताया कि उन्होंने बीडीएस की पढ़ाई रोहतक पीजीआई से की थी। इसके बाद वह पोस्ट ग्रेजुएशन की पढ़ाई के लिए तैयारी करने लगा। पूरे देश में 40 सीटें अश्वनी श्योराण ने बताया कि INI-CET का 10 नवंबर को एग्जाम हुआ था। जिसमें उनको पूरे देश में पहला स्थान मिला है। वहीं देशभर में कुल 40 सीटें ही है, जिनके लिए यह एग्जाम हुआ था। वे पहला स्थान मिलने के बाद एम्स दिल्ली में एमडीएस की पढ़ाई कर पाएंगे। हर रोज 8-10 घंटे पढ़ाई की अश्वनी श्योराण ने बताया कि उन्होंने घर से ही परीक्षा की तैयारी की। इसके लिए वे प्रतिदिन 8-10 घंटे पढ़ाई करते थे। इसके लिए सुबह समय से उठते और पढ़ाई करते। बीच में कुछ समय का ब्रेक लेकर फिर पढ़ाई करने बैठ जाते। वहीं शाम को भी पढ़ाई करके समय से सो जाते। रात के बजाय उन्होंने दिन में पढ़ाई करना चुना। वहीं शरीर को रिलैक्स करने के लिए बैडमिंटन भी खेलने जाते थे। उन्होंने बताया कि पेपर देने के लिए सेंटर जाने से पहले भी वह पढ़े हुए को दोहराकर गए थे। हिसार जिले के गांव मिलकपुर हाल जींद निवासी अश्वनी श्योराण ने INI-CET (राष्ट्रीय महत्व के संस्थान संयुक्त प्रवेश परीक्षा) में ऑल इंडिया टॉप किया है। जिसके लिए अश्वनी ने प्रतिदिन 8-10 घंटे तक पढ़ाई की। अब वह दिल्ली एम्स में एमडीएस (मास्टर्स ऑफ डेंटल सर्जरी) की पढ़ाई करेंगे। अश्वनी श्योराण ने बताया कि उनके पिता जंगजीत श्योराण प्रिंसिपल पद से रिटायर्ड हैं। वहीं उनकी मां सुमित्रा देवी गृहणी हैं। वे दो बहन-भाई हैं, बड़ी बहन रूचिका की शादी हो चुकी है। वे मूल रूप से हिसार जिले के गांव मिलकपुर के रहने वाले हैं। लेकिन फिलहाल वे जींद में ही रहते हैं और घर वहीं बनाया है। अश्वनी ने बताया कि उन्होंने बीडीएस की पढ़ाई रोहतक पीजीआई से की थी। इसके बाद वह पोस्ट ग्रेजुएशन की पढ़ाई के लिए तैयारी करने लगा। पूरे देश में 40 सीटें अश्वनी श्योराण ने बताया कि INI-CET का 10 नवंबर को एग्जाम हुआ था। जिसमें उनको पूरे देश में पहला स्थान मिला है। वहीं देशभर में कुल 40 सीटें ही है, जिनके लिए यह एग्जाम हुआ था। वे पहला स्थान मिलने के बाद एम्स दिल्ली में एमडीएस की पढ़ाई कर पाएंगे। हर रोज 8-10 घंटे पढ़ाई की अश्वनी श्योराण ने बताया कि उन्होंने घर से ही परीक्षा की तैयारी की। इसके लिए वे प्रतिदिन 8-10 घंटे पढ़ाई करते थे। इसके लिए सुबह समय से उठते और पढ़ाई करते। बीच में कुछ समय का ब्रेक लेकर फिर पढ़ाई करने बैठ जाते। वहीं शाम को भी पढ़ाई करके समय से सो जाते। रात के बजाय उन्होंने दिन में पढ़ाई करना चुना। वहीं शरीर को रिलैक्स करने के लिए बैडमिंटन भी खेलने जाते थे। उन्होंने बताया कि पेपर देने के लिए सेंटर जाने से पहले भी वह पढ़े हुए को दोहराकर गए थे। हरियाणा | दैनिक भास्कर
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रेवाड़ी में केंद्रीय मंत्री ने ली कार्यकर्ताओं की बैठक:इंद्रजीत बोले-हर बार आप आते थे MLA इस बार मैं आया, जिताने की जिम्मेदारी आपकी हरियाणा के रेवाड़ी में शुक्रवार को केंद्रीय मंत्री राव इंद्रजीत सिंह ने अपने समर्थकों की मीटिंग ली। रामपुरा हाउस में बावल विधानसभा के कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए राव इंद्रजीत सिंह ने कहा कि हर बार आप MLA लेकर आते थे और मैंने उसका साथ देकर जिताने का काम किया। लेकिन इस बार मैं डॉ. कृष्ण कुमार के रूप में विधायक दे रहा हूं, इन्हें जिताने की जिम्मेदारी अब आपकी है। मीटिंग के दौरान मौजूद बावल से प्रत्याशी डॉ. कृष्ण कुमार से राव इंद्रजीत सिंह ने कहा कि आज जो ये कार्यकर्ता पहुंचे हैं, ये मेरा कुनबा है। आज से इन्हें संभालने की जिम्मेदारी भी आपकी है। बता दें कि राव इंद्रजीत सिंह के 5 समर्थकों को इस बार बीजेपी ने टिकट दिया हैं। उन्हें जिताने की जिम्मेदारी भी राव इंद्रजीत सिंह के ही कंधों पर है। ऐसे में राव इंद्रजीत सिंह हर हल्के के कार्यकर्ताओं की मीटिंग ले रहे हैं। 5 सीटे राव के कहने से दी, 2 पर उनकी पसंद के उम्मीदवार उतारे इस बार राव इंद्रजीत सिंह अहीरवाल बेल्ट की 11 में से 7 सीटों पर अपने समर्थकों की टिकट मांग रहे थे। पार्टी उन्हें 5 सीटें देने पर राजी हो गई। अटेली से उनकी बेटी आरती राव, नारनौल से ओमप्रकाश यादव, कोसली से अनिल डहीना, बावल से डॉ. कृष्ण कुमार और पटौदी से बिमला चौधरी को टिकट दी गई हैं। इसी तरह रेवाड़ी में राव इंद्रजीत सिंह की पसंद से लक्ष्मण सिंह यादव और गुरुग्राम में मुकेश शर्मा को चुनावी मैदान में उतारा गया है। इस बार हालात विपरित दरअसल, इस बार दक्षिणी हरियाणा में भी पिछले 2 चुनाव के मुकाबले हालात बदले हुए हैं। इसका अंदाजा राव इंद्रजीत सिंह को भी हैं। उन्होंने एक चैनल के साथ इंटरव्यू के दौरान इसका जिक्र भी किया था। उनके मुताबिक, 2014 और 2019 वाला माहौल इस बार नहीं है। लेकिन उनकी कोशिश है कि कम से कम पिछले चुनाव वाला परिणाम तो दोहराया जाए। राव इंद्रजीत की खुद की बेटी आरती राव अटेली से चुनाव लड़ रही है। अगले कुछ दिनों में राव इंद्रजीत सिंह पूरे अहीरवाल इलाके का दौरा करेंगे।
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हरियाणा में बीजेपी MLA के इकलौते बेटे का निधन:6 महीने से लीवर की बीमारी से जूझ रहे थे; आज नारनौल में अंतिम संस्कार हरियाणा में नारनौल के BJP विधायक और पूर्व मंत्री ओम प्रकाश यादव के इकलौते पुत्र उमेश यादव का शुक्रवार को निधन हो गया। उनकी उम्र 45 वर्ष थी। उसके दो बच्चे हैं। उमेश यादव का अंतिम संस्कार उनके पैतृक गांव बजाड़ में किया जाएगा। उमेश यादव 6 महीनों से लीवर की समस्या से जूझ रहे थे। उनका देश के कई अस्पतालों में इलाज भी चला, लेकिन वह नहीं बच पाए। बता दें कि ओम प्रकाश यादव लगातार 2 बार से नारनौल के विधायक है। दोनों बार वे मनोहर लाल की सरकार में राज्यमंत्री बने। हालांकि इसी साल मार्च में हुए फेरबदल के बाद मुख्यमंत्री बने नायब सैनी की कैबिनेट में उनकी जगह नांगल चौधरी के विधायक डा. अभय सिंह यादव को सिंचाई मंत्री बना गया। केंद्रीय मंत्री राव इंद्रजीत के करीबी
ओमप्रकाश यादव केंद्रीय मंत्री राव इंद्रजीत सिंह के बेहद करीबी लोगों में से एक हैं। 2014 से पहले ओपी यादव सरकारी सेवा में रहे। एडीओ के पद से रिटायर्ड होने के बाद राव इंद्रजीत सिंह के जरिए उन्होंने राजनीति में कदम रखा और राव इंद्रजीत सिंह की सिफारिश पर ही उन्हें 2014 में नारनौल से बीजेपी की टिकट मिली और अपने पहले ही चुनाव में जीत दर्ज कर वे सीधे मनोहर सरकार में मंत्री बन गए। राव ने अपने कोटे से मंत्री बनाया
2019 में जब दोबारा गठबंधन की सरकार बनी तो राव इंद्रजीत सिंह ने अपने कोटे से ओपी यादव को ही मंत्री बनाया। नायब सैनी की सरकार में भी राव इंद्रजीत सिंह ओपी यादव को ही रिपीट कराना चाहते थे। लेकिन इस बार राव की सिफारिश नहीं चली और उनकी मंत्रिमंडल से छुट्टी हो गई। विधायक के पुत्र उमेश यादव के निधन पर केंद्रीय मंत्री राव इंद्रजीत सिंह सहित तमाम राजनैतिक और गैर राजनैतिक दलों सहित विभिन्न सामाजिक संस्थाओं ने दुख प्रकट किया है।
खट्टर के दिल्ली जाने से नहीं हो रहा डैमेज कंट्रोल:CM सिटी के 5 बड़े नेता पार्टी छोड़ गए; केवल एक को ही मना पाए सैनी
खट्टर के दिल्ली जाने से नहीं हो रहा डैमेज कंट्रोल:CM सिटी के 5 बड़े नेता पार्टी छोड़ गए; केवल एक को ही मना पाए सैनी हरियाणा के पूर्व CM मनोहर लाल खट्टर के सांसद बनने पर करनाल छोड़ने से भाजपा के हाथ से जिले की पकड़ भी ढीली होती जा रही है। यहां लगातार नेताओं के इस्तीफे आ रहे हैं और पार्टी में बगावती सुर भी मुखर हो रहे हैं। मौजूदा CM नायब सैनी करनाल में डैमेज कंट्रोल करने की कोशिश कर रहे हैं लेकिन बात नहीं बन रही, क्योंकि पार्टी ने नायब सैनी को भी करनाल छोड़ लाडवा से उम्मीदवार बनाया है। जबकि सैनी खुद चाहते थे कि वह करनाल से ही विधानसभा चुनाव लड़ें। पार्टी की रिपोर्ट में बताया गया है कि नायब सैनी को बाहरी होने के कारण करनाल की जनता नापसंद कर रही थी, इसलिए उन्हें करनाल की बजाय लाडवा से कैंडिडेट घोषित किया गया है। जगमोहन आनंद को लोकल होने के चलते करनाल सीट पर खड़ा किया गया है, लेकिन पार्टी से अलग हुए नेता हरपाल कलामपुरा कह चुके हैं कि सैनी को पार्टी ने ही परेशान कर लाडवा भेजा है। करनाल में राजनीति के जानकार मानते हैं कि जब तक यहां से मनोहर लाल खट्टर विधायक रहे और 2 बार CM बने, तब तक पार्टी के अंदर सब कुछ ठीक था। क्योंकि यहां के ज्यादातर नेता खट्टर के जरिए ही पार्टी में लाए गए, और उनसे ही इन नेताओं को विधानसभा चुनाव में टिकट दिलवाने की आशा थी। खट्टर के दिल्ली की राजनीति में इन्वॉल्व होने से करनाल के नेता टिकट से भी वंचित रह गए। इसका असर यह हुआ कि जिले के 5 बड़े नेता अब तक पार्टी छोड़ चुके हैं। करनाल में भाजपा के हालात बिगड़ने के 3 प्रमुख कारण… 1. पूर्व सीएम खट्टर की दूरी
केंद्रीय मंत्री बनने के बाद मनोहर लाल खट्टर की करनाल से दूरी बढ़ गई, जबकि खट्टर ही वह धागा थे, जिससे करनाल के नेता एक-दूसरे से जुड़े हुए थे। उनके केंद्र में चले जाने से इन नेताओं को भाजपा का कोई अन्य बड़ा नेता संभाल नहीं पाया, जिससे पार्टी यहां कमजोर हो चली है और नेतृत्व भटकता नजर आ रहा है। 2. टिकट कटने से नाराजगी
खट्टर पंजाबी समाज से आते हैं। लोकसभा में जाने के बाद उपचुनाव में नायब सैनी को यहां से चुनाव लड़वाया गया। उस समय भी बाहरी होने का मुद्दा उठा था, लेकिन खट्टर इसे कंट्रोल कर गए। इसके चलते सैनी को उपचुनाव में जीत मिली। लोकल-बाहरी का मुद्दा इस बार न बने, इसलिए पार्टी ने सैनी को लाडवा विधानसभा भेज दिया और पंजाबी चेहरा जगमोहन आनंद को यहां से उम्मीदवार बना दिया। हालांकि, कार्यकर्ता यहां विरोध जगमोहन आनंद का भी कर रहे हैं, क्योंकि उनकी कहना है कि जगमोहन यहां एक्टिव नहीं रहे। इनके लिए पार्टी ने खट्टर के करीबी 4 नेताओं रेणु बाला गुप्ता, मुकेश अरोड़ा, अशोक सुखीजा और जय प्रकाश को दरकिनार कर दिया। 3. बागी नेताओं को नहीं मनाया गया
तीसरा मुख्य कारण यह भी माना जा रहा है कि टिकट कटने से नाराज नेताओं को मनाने के लिए न तो CM नायब सैनी पहुंचे और न ही पूर्व CM मनोहर लाल खट्टर पहुंच पाए। इस कारण असंध से जिले राम शर्मा, करनाल से पूर्व मंत्री जय प्रकाश, इंद्री से कर्ण देव कंबोज, करनाल से हरपाल कलामपुरा और युवा नेता सुरेंद्र उड़ाना पार्टी को अलविदा कह चुके हैं। पूर्व मेयर को मना लिया, लेकिन प्रचार से दूरी
करनाल की पूर्व मेयर रेणु बाला गुप्ता भी टिकट न मिलने से नाराज हो गई थीं, लेकिन भाजपा ने उन्हें मना लिया है। मुख्यमंत्री सैनी खुद उन्हें मनाने के लिए पहुंचे थे। मनोहर लाल खट्टर ने भी उनके घर जाकर उनसे बात की। इसके बाद रेणु बाला ने भाजपा चुनाव प्रभारी धर्मेंद्र प्रधान के कार्यक्रम में भी हिस्सा लिया और शनिवार को हुई प्रधानमंत्री की पब्लिक मीटिंग में भी शामिल हुईं। हालांकि, भाजपा कैंडिडेट जगमोहन आनंद के चुनाव प्रचार से उन्होंने दूरी बनाई हुई है, जबकि रेणु बाला को मनाने और उनका समर्थन मांगने के लिए उनके घर जगमोहन आनंद भी गए थे। करनाल से बाहर भी BJP में घमासान
इंद्री में पूर्व राज्य मंत्री और पूर्व विधायक कर्ण देव कंबोज ने BJP को ‘गद्दारों की पार्टी’ बताते हुए छोड़ दिया। उन्हें मनाने के लिए CM नायब सैनी पहुंचे थे, लेकिन कंबोज इतने नाराज थे कि उन्होंने सैनी से हाथ तक नहीं मिलाया। इसके बाद कंबोज कांग्रेस में शामिल हो गए। इंद्री में ही प्रदेश मीडिया कोआर्डिनेटर सुरेंद्र उड़ाना ने भी BJP को अलविदा कह दिया और BSP-INLD के उम्मीदवार बनकर मैदान में उतर गए। उधर, जिलेराम शर्मा ने भी पार्टी छोड़ दी। उन्होंने 6 महीने पहले ही पूर्व CM मनोहर लाल के नेतृत्व में BJP जॉइन की थी। 2014 में करनाल की पांचों सीटें जीती भाजपा
2014 के विधानसभा चुनाव में मोदी की लहर के दम पर करनाल की पांचों सीटें करनाल, इंद्री, असंध, नीलोखेड़ी और घरौंडा भाजपा ने जीती थीं। इसके बाद 2019 के चुनाव में भी भाजपा ने घरौंडा, करनाल और इंद्री में जीत का सिलसिला जारी रखा, लेकिन असंध और नीलोखेड़ी को भाजपा ने गंवा दिया। दोनों चुनाव खट्टर के नेतृत्व में ही लड़े गए। इस बार पार्टी ने करनाल और असंध सीट पर चेहरे बदले हैं। पार्टी कार्यकर्ताओं में असंतोष बना हुआ है। इसके बीच पार्टी के लिए पिछले 2 बार जैसे प्रदर्शन को दोहराना बड़ी चुनौती होगी।