पंजाब के अमृतसर में रहने वाले तेजपाल सिंह ने आर्मी जॉइन करने का सपना पूरा करने के लिए जनवरी 2024 में रूस का रुख किया था। उस समय रूस को यूक्रेन के खिलाफ लड़ाकों की आवश्यकता थी। वहां मार्च में तेजपाल की युद्ध में मौत हुई और 9 जून को परिवार को इसकी जानकारी मिली, लेकिन अब तक परिवार को उसका शरीर नहीं मिला है। तेजपाल की विधवा परमिंदर कौर का कहना है कि रूस सरकार उसके पति को शहीद का दर्जा दे चुकी है, लेकिन यहां भारत में एक-एक काम करवाने के लिए उन्हें चक्कर लगाने पड़ रहे हैं। परमिंदर कौर के मुताबिक, ‘रूसी अधिकारियों ने कहा है कि चूंकि तेजपाल सिंह के शव की पहचान नहीं हो पाई है, इसलिए DNA टेस्ट कराने की जरूरत है। रूस ने करीबी रिश्तेदारों का DNA टेस्ट करवाने को कहा है। विशेषकर मां का, ताकि रिपोर्ट रूसी पक्ष के साथ साझा की जा सके।’ कोई सहयोग नहीं कर रहा
6 साल के लड़के और 3 साल की लड़की की मां परमिंदर कौर ने बताया कि रूस की राजधानी मॉस्को में भारतीय दूतावास में कोई भी अधिकारी सहयोग नहीं कर रहा, और न ही अमृतसर में कोई बता रहा है कि DNA कैसे करवाया जाए। मेडिकल कॉलेज से भेजा थाने
परमिंदर कौर का कहना है कि वह रूस से आए भारतीय दूतावास की ईमेल का प्रिंट लेकर मेडिकल कॉलेज के अंतर्गत आते गुरु नानक देव अस्पताल पहुंच गईं, लेकिन वहां से उन्हें सदर पुलिस थाने भेज दिया गया। सदर पुलिस थाने से उन्हें यह कह कर वापस भेजा गया कि आप सभी गलत काम कर रहे हो। इस मेल पर रूस या भारतीय सरकार की कोई स्टैंप नहीं है। चाचा की शहादत का किस्सा सुन जॉइन करना चाहता था आर्मी
तेजपाल की मां सर्बजीत कौर का कहना है कि 1992 में उनके देवर श्रीनगर में शहीद हो गए थे। एक साल बाद तेजपाल हो गया। तेजपाल उनके शहादत के किस्से सुनता था। तभी से उसके सिर पर आर्मी जॉइन करने का भूत सवार था। स्कूल में NCC भी जॉइन की। हथियार चलाने की ट्रेनिंग उसने NCC में ही ले ली थी। तेजपाल ने 6-7 बार आर्मी जॉइन करने की कोशिश की। फिटनेस व लिखित परीक्षा भी पास की, लेकिन हर बार लिस्ट में नाम आने से चूक गया। अंत में उसके दोस्तों ने रूसी आर्मी में हो रही भर्ती के बारे में बताया तो वह जनवरी में यहां से रूस के लिए रवाना हो गया। 4 महीने बाद परिवार को तेजपाल की मौत की सूचना मिली
परमिंदर कौर ने बताया कि तेजपाल को रूसी सेना ने सुरक्षा सहायक के रूप में नियुक्त किया था। जॉइनिंग से पहले कांट्रैक्ट भी साइन हुआ। उसके कुछ पेज उनके पास हैं, लेकिन वे रशियन भाषा में हैं। परमिंदर कौर ने बताया कि 3 मार्च को अंतिम बार तेजपाल से बात हुई थीं, लेकिन परिवार को 9 जून को उनकी मौत के बारे में पता चला। 4 भारतीयों की हो चुकी मौत
यूक्रेन-रशिया युद्ध में अब तक 4 भारतीय मारे जा चुके हैं। जबकि, दो अन्य लापता बताए जा रहे हैं। मृतकों में से केवल 2 के शव भारत वापस लाए जा सके हैं। इनमें गुजरात में सूरत के हेमिल मंगुकिया (23) और तेलंगाना में हैदराबाद के मोहम्मद असफान (31) के शव शामिल हैं। बीते माह मंत्री- DC आए, उसके बाद नहीं ली सुध
परिवार ने बताया कि 9 जून को जब देहांत की सूचना अमृतसर पहुंची तो मंत्री कुलदीप सिंह धालीवाल और DC अमृतसर घनश्याम थोरी परिवार उनसे मिलने के लिए पहुंचे थे। उन्होंने परिवार को हर संभव मदद का आश्वासन दिया था, लेकिन उसके बाद से उनकी फाइल DC ऑफिस में पड़ी है। परिजनों का कहना है कि उस पर कोई कार्रवाई नहीं हुई। इस बारे में जब मंत्री कुलदीप सिंह धालीवाल से फोन पर संपर्क किया गया तो उन्होंने फोन नहीं उठाया। इसके बाद मैसेज भी भेजा गया, लेकिन उनकी ओर से कोई जवाब नहीं आया है। पंजाब के अमृतसर में रहने वाले तेजपाल सिंह ने आर्मी जॉइन करने का सपना पूरा करने के लिए जनवरी 2024 में रूस का रुख किया था। उस समय रूस को यूक्रेन के खिलाफ लड़ाकों की आवश्यकता थी। वहां मार्च में तेजपाल की युद्ध में मौत हुई और 9 जून को परिवार को इसकी जानकारी मिली, लेकिन अब तक परिवार को उसका शरीर नहीं मिला है। तेजपाल की विधवा परमिंदर कौर का कहना है कि रूस सरकार उसके पति को शहीद का दर्जा दे चुकी है, लेकिन यहां भारत में एक-एक काम करवाने के लिए उन्हें चक्कर लगाने पड़ रहे हैं। परमिंदर कौर के मुताबिक, ‘रूसी अधिकारियों ने कहा है कि चूंकि तेजपाल सिंह के शव की पहचान नहीं हो पाई है, इसलिए DNA टेस्ट कराने की जरूरत है। रूस ने करीबी रिश्तेदारों का DNA टेस्ट करवाने को कहा है। विशेषकर मां का, ताकि रिपोर्ट रूसी पक्ष के साथ साझा की जा सके।’ कोई सहयोग नहीं कर रहा
6 साल के लड़के और 3 साल की लड़की की मां परमिंदर कौर ने बताया कि रूस की राजधानी मॉस्को में भारतीय दूतावास में कोई भी अधिकारी सहयोग नहीं कर रहा, और न ही अमृतसर में कोई बता रहा है कि DNA कैसे करवाया जाए। मेडिकल कॉलेज से भेजा थाने
परमिंदर कौर का कहना है कि वह रूस से आए भारतीय दूतावास की ईमेल का प्रिंट लेकर मेडिकल कॉलेज के अंतर्गत आते गुरु नानक देव अस्पताल पहुंच गईं, लेकिन वहां से उन्हें सदर पुलिस थाने भेज दिया गया। सदर पुलिस थाने से उन्हें यह कह कर वापस भेजा गया कि आप सभी गलत काम कर रहे हो। इस मेल पर रूस या भारतीय सरकार की कोई स्टैंप नहीं है। चाचा की शहादत का किस्सा सुन जॉइन करना चाहता था आर्मी
तेजपाल की मां सर्बजीत कौर का कहना है कि 1992 में उनके देवर श्रीनगर में शहीद हो गए थे। एक साल बाद तेजपाल हो गया। तेजपाल उनके शहादत के किस्से सुनता था। तभी से उसके सिर पर आर्मी जॉइन करने का भूत सवार था। स्कूल में NCC भी जॉइन की। हथियार चलाने की ट्रेनिंग उसने NCC में ही ले ली थी। तेजपाल ने 6-7 बार आर्मी जॉइन करने की कोशिश की। फिटनेस व लिखित परीक्षा भी पास की, लेकिन हर बार लिस्ट में नाम आने से चूक गया। अंत में उसके दोस्तों ने रूसी आर्मी में हो रही भर्ती के बारे में बताया तो वह जनवरी में यहां से रूस के लिए रवाना हो गया। 4 महीने बाद परिवार को तेजपाल की मौत की सूचना मिली
परमिंदर कौर ने बताया कि तेजपाल को रूसी सेना ने सुरक्षा सहायक के रूप में नियुक्त किया था। जॉइनिंग से पहले कांट्रैक्ट भी साइन हुआ। उसके कुछ पेज उनके पास हैं, लेकिन वे रशियन भाषा में हैं। परमिंदर कौर ने बताया कि 3 मार्च को अंतिम बार तेजपाल से बात हुई थीं, लेकिन परिवार को 9 जून को उनकी मौत के बारे में पता चला। 4 भारतीयों की हो चुकी मौत
यूक्रेन-रशिया युद्ध में अब तक 4 भारतीय मारे जा चुके हैं। जबकि, दो अन्य लापता बताए जा रहे हैं। मृतकों में से केवल 2 के शव भारत वापस लाए जा सके हैं। इनमें गुजरात में सूरत के हेमिल मंगुकिया (23) और तेलंगाना में हैदराबाद के मोहम्मद असफान (31) के शव शामिल हैं। बीते माह मंत्री- DC आए, उसके बाद नहीं ली सुध
परिवार ने बताया कि 9 जून को जब देहांत की सूचना अमृतसर पहुंची तो मंत्री कुलदीप सिंह धालीवाल और DC अमृतसर घनश्याम थोरी परिवार उनसे मिलने के लिए पहुंचे थे। उन्होंने परिवार को हर संभव मदद का आश्वासन दिया था, लेकिन उसके बाद से उनकी फाइल DC ऑफिस में पड़ी है। परिजनों का कहना है कि उस पर कोई कार्रवाई नहीं हुई। इस बारे में जब मंत्री कुलदीप सिंह धालीवाल से फोन पर संपर्क किया गया तो उन्होंने फोन नहीं उठाया। इसके बाद मैसेज भी भेजा गया, लेकिन उनकी ओर से कोई जवाब नहीं आया है। पंजाब | दैनिक भास्कर