<p style=”text-align: justify;”><strong>Uttarakhand News Today:</strong> रूस और यूक्रेन के बीच 2022 में शुरू हुआ युद्ध न केवल इन देशों के लिए बल्कि पूरी दुनिया के लिए एक गंभीर संकट साबित हुआ. इस युद्ध ने वैश्विक स्तर पर ऊर्जा आपूर्ति श्रृंखला को बाधित कर दिया, जिससे कई देशों को ऊर्जा संकट का सामना करना पड़ा. भारत भी इससे अछूता नहीं रहा और इस संकट का प्रभाव छोटे राज्यों तक भी महसूस किया गया. </p>
<p style=”text-align: justify;”>उत्तराखंड, जो पहले से ही अपनी ऊर्जा जरूरतों के लिए सीमित संसाधनों पर निर्भर है. इस संकट ने उस पर काफी गहरा प्रभाव डाला. हालांकि, भारत सरकार के प्रयासों के चलते अब स्थिति सामान्य हो रही है. रूस दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा प्राकृतिक गैस निर्यातक है. यूरोप और एशिया के कई देश, जिनमें भारत भी शामिल है, ऊर्जा की आपूर्ति के लिए रूस पर निर्भर हैं. </p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>भारत के बिजली संयंत्र प्रभावित</strong><br />युद्ध शुरू होने के बाद रूस से लिक्विड नेचुरल गैस (LNG) की आपूर्ति प्रभावित हुई. इससे भारत सहित कई देशों को ऊर्जा संकट का सामना करना पड़ा. भारत अपनी गैस की जरूरतें कतर, ऑस्ट्रेलिया और नार्वे से भी पूरी करता है, लेकिन रूस-यूक्रेन युद्ध ने गैस आधारित बिजली उत्पादन पर नकारात्मक प्रभाव डाला.</p>
<p style=”text-align: justify;”>इंस्टीट्यूट फॉर एनर्जी इकोनॉमिक्स एंड फाइनेंशियल एनालिसिस की एक रिपोर्ट के अनुसार, भारत में 24.9 गीगावाट क्षमता के गैस आधारित बिजली संयंत्र हैं. इनमें से कई संयंत्र या तो पूरी तरह बंद रहे या फिर अपनी क्षमता के अनुरूप उत्पादन नहीं कर पाए. 2024 में भारत में गैस की मांग 8.5 फीसदी की दर से बढ़ी, जिससे ऊर्जा संकट और गहरा गया.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>उत्तराखंड में बिजली आपूर्ति बाधित</strong><br />उत्तराखंड अपनी ऊर्जा जरूरतों के लिए आंशिक रूप से गैस आधारित बिजली संयंत्रों पर निर्भर है, वह भी इस संकट का सामना करने वाला राज्यों में शामिल रहा है. राज्य में निजी क्षेत्र द्वारा संचालित दो गैस आधारित बिजली संयंत्र हैं, जो काशीपुर में स्थित हैं. इनमें से एक प्लांट 400 मेगावाट का और दूसरा 225 मेगावाट का है. रूस-यूक्रेन युद्ध के चलते इन प्लांट्स को गैस आपूर्ति में रुकावट आई और ये पूरी तरह बंद हो गए. </p>
<p style=”text-align: justify;”>इससे राज्य को 500- 600 मेगावाट बिजली की कमी का सामना करना पड़ा. ऊर्जा सचिव आर मीनाक्षी सुंदरम के अनुसार, इन संयंत्रों से राज्य सरकार के साथ अनुबंध के तहत बिजली आपूर्ति की जाती थी, लेकिन गैस की अनुपलब्धता के कारण उत्पादन ठप हो गया. राज्य सरकार को थर्मल पावर के जरिए बिजली की जरूरतें पूरी करनी पड़ीं, लेकिन यह पर्याप्त नहीं था.</p>
<p style=”text-align: justify;”>हालांकि, 2024 के अंत तक भारत सरकार के प्रयासों से प्राकृतिक गैस की आपूर्ति में सुधार हुआ है. ऊर्जा सचिव ने बताया कि उत्तराखंड के गैस आधारित बिजली संयंत्र अब फिर से शुरू हो गए हैं. साथ ही सर्दी के इस मौसम में राज्य में बिजली की उपलब्धता बेहतर हुई है.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>बिजली दर बढ़ाने का प्रस्ताव</strong><br />उत्तराखंड पावर कॉरपोरेशन लिमिटेड (UPCL) ने बिजली दरों में 12 फीसदी की बढ़ोतरी का प्रस्ताव दिया है. इसके अलावा UJVNL और पिटकुल ने भी बिजली दरें बढ़ाने की मांग की है. कुल मिलाकर राज्य में बिजली दरों में 29 फीसदी वृद्धि का प्रस्ताव पेश किया गया है. हालांकि, अंतिम निर्णय उत्तराखंड विद्युत नियामक आयोग को लेना है.</p>
<p style=”text-align: justify;”>ऊर्जा संकट से निपटने के लिए राज्य सरकार और केंद्र सरकार ने मिलकर कई योजनाएं बनाई हैं. प्राकृतिक गैस की आपूर्ति में सुधार से न केवल गैस आधारित संयंत्रों को फिर से सक्रिय किया गया है बल्कि थर्मल और हाइड्रो पावर प्रोजेक्ट्स पर भी ध्यान केंद्रित किया जा रहा है. इसके अलावा उत्तराखंड में नवीकरणीय ऊर्जा के क्षेत्र में निवेश को भी बढ़ावा दिया जा रहा है.</p>
<p style=”text-align: justify;”>रूस-यूक्रेन युद्ध ने स्पष्ट किया कि वैश्विक घटनाएं कैसे स्थानीय स्तर पर प्रभाव डाल सकती हैं. उत्तराखंड जैसे छोटे राज्य भी इन प्रभावों से अछूते नहीं हैं. हालांकि, भारत सरकार के प्रभावी कदमों के कारण अब राज्य में ऊर्जा की स्थिति सामान्य हो रही है.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>ये भी पढ़ें: <a title=”‘हर मस्जिद में मंदिर मत खोजो’, RSS चीफ मोहन भागवत के बयान से सहमत हैं अनिरुद्धाचार्य महाराज?” href=”https://www.abplive.com/states/up-uk/aniruddhacharya-maharaj-react-on-rss-chief-mohan-bhagwat-mandir-masjid-statement-2861222″ target=”_blank” rel=”noopener”>’हर मस्जिद में मंदिर मत खोजो’, RSS चीफ मोहन भागवत के बयान से सहमत हैं अनिरुद्धाचार्य महाराज?</a></strong></p> <p style=”text-align: justify;”><strong>Uttarakhand News Today:</strong> रूस और यूक्रेन के बीच 2022 में शुरू हुआ युद्ध न केवल इन देशों के लिए बल्कि पूरी दुनिया के लिए एक गंभीर संकट साबित हुआ. इस युद्ध ने वैश्विक स्तर पर ऊर्जा आपूर्ति श्रृंखला को बाधित कर दिया, जिससे कई देशों को ऊर्जा संकट का सामना करना पड़ा. भारत भी इससे अछूता नहीं रहा और इस संकट का प्रभाव छोटे राज्यों तक भी महसूस किया गया. </p>
<p style=”text-align: justify;”>उत्तराखंड, जो पहले से ही अपनी ऊर्जा जरूरतों के लिए सीमित संसाधनों पर निर्भर है. इस संकट ने उस पर काफी गहरा प्रभाव डाला. हालांकि, भारत सरकार के प्रयासों के चलते अब स्थिति सामान्य हो रही है. रूस दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा प्राकृतिक गैस निर्यातक है. यूरोप और एशिया के कई देश, जिनमें भारत भी शामिल है, ऊर्जा की आपूर्ति के लिए रूस पर निर्भर हैं. </p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>भारत के बिजली संयंत्र प्रभावित</strong><br />युद्ध शुरू होने के बाद रूस से लिक्विड नेचुरल गैस (LNG) की आपूर्ति प्रभावित हुई. इससे भारत सहित कई देशों को ऊर्जा संकट का सामना करना पड़ा. भारत अपनी गैस की जरूरतें कतर, ऑस्ट्रेलिया और नार्वे से भी पूरी करता है, लेकिन रूस-यूक्रेन युद्ध ने गैस आधारित बिजली उत्पादन पर नकारात्मक प्रभाव डाला.</p>
<p style=”text-align: justify;”>इंस्टीट्यूट फॉर एनर्जी इकोनॉमिक्स एंड फाइनेंशियल एनालिसिस की एक रिपोर्ट के अनुसार, भारत में 24.9 गीगावाट क्षमता के गैस आधारित बिजली संयंत्र हैं. इनमें से कई संयंत्र या तो पूरी तरह बंद रहे या फिर अपनी क्षमता के अनुरूप उत्पादन नहीं कर पाए. 2024 में भारत में गैस की मांग 8.5 फीसदी की दर से बढ़ी, जिससे ऊर्जा संकट और गहरा गया.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>उत्तराखंड में बिजली आपूर्ति बाधित</strong><br />उत्तराखंड अपनी ऊर्जा जरूरतों के लिए आंशिक रूप से गैस आधारित बिजली संयंत्रों पर निर्भर है, वह भी इस संकट का सामना करने वाला राज्यों में शामिल रहा है. राज्य में निजी क्षेत्र द्वारा संचालित दो गैस आधारित बिजली संयंत्र हैं, जो काशीपुर में स्थित हैं. इनमें से एक प्लांट 400 मेगावाट का और दूसरा 225 मेगावाट का है. रूस-यूक्रेन युद्ध के चलते इन प्लांट्स को गैस आपूर्ति में रुकावट आई और ये पूरी तरह बंद हो गए. </p>
<p style=”text-align: justify;”>इससे राज्य को 500- 600 मेगावाट बिजली की कमी का सामना करना पड़ा. ऊर्जा सचिव आर मीनाक्षी सुंदरम के अनुसार, इन संयंत्रों से राज्य सरकार के साथ अनुबंध के तहत बिजली आपूर्ति की जाती थी, लेकिन गैस की अनुपलब्धता के कारण उत्पादन ठप हो गया. राज्य सरकार को थर्मल पावर के जरिए बिजली की जरूरतें पूरी करनी पड़ीं, लेकिन यह पर्याप्त नहीं था.</p>
<p style=”text-align: justify;”>हालांकि, 2024 के अंत तक भारत सरकार के प्रयासों से प्राकृतिक गैस की आपूर्ति में सुधार हुआ है. ऊर्जा सचिव ने बताया कि उत्तराखंड के गैस आधारित बिजली संयंत्र अब फिर से शुरू हो गए हैं. साथ ही सर्दी के इस मौसम में राज्य में बिजली की उपलब्धता बेहतर हुई है.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>बिजली दर बढ़ाने का प्रस्ताव</strong><br />उत्तराखंड पावर कॉरपोरेशन लिमिटेड (UPCL) ने बिजली दरों में 12 फीसदी की बढ़ोतरी का प्रस्ताव दिया है. इसके अलावा UJVNL और पिटकुल ने भी बिजली दरें बढ़ाने की मांग की है. कुल मिलाकर राज्य में बिजली दरों में 29 फीसदी वृद्धि का प्रस्ताव पेश किया गया है. हालांकि, अंतिम निर्णय उत्तराखंड विद्युत नियामक आयोग को लेना है.</p>
<p style=”text-align: justify;”>ऊर्जा संकट से निपटने के लिए राज्य सरकार और केंद्र सरकार ने मिलकर कई योजनाएं बनाई हैं. प्राकृतिक गैस की आपूर्ति में सुधार से न केवल गैस आधारित संयंत्रों को फिर से सक्रिय किया गया है बल्कि थर्मल और हाइड्रो पावर प्रोजेक्ट्स पर भी ध्यान केंद्रित किया जा रहा है. इसके अलावा उत्तराखंड में नवीकरणीय ऊर्जा के क्षेत्र में निवेश को भी बढ़ावा दिया जा रहा है.</p>
<p style=”text-align: justify;”>रूस-यूक्रेन युद्ध ने स्पष्ट किया कि वैश्विक घटनाएं कैसे स्थानीय स्तर पर प्रभाव डाल सकती हैं. उत्तराखंड जैसे छोटे राज्य भी इन प्रभावों से अछूते नहीं हैं. हालांकि, भारत सरकार के प्रभावी कदमों के कारण अब राज्य में ऊर्जा की स्थिति सामान्य हो रही है.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>ये भी पढ़ें: <a title=”‘हर मस्जिद में मंदिर मत खोजो’, RSS चीफ मोहन भागवत के बयान से सहमत हैं अनिरुद्धाचार्य महाराज?” href=”https://www.abplive.com/states/up-uk/aniruddhacharya-maharaj-react-on-rss-chief-mohan-bhagwat-mandir-masjid-statement-2861222″ target=”_blank” rel=”noopener”>’हर मस्जिद में मंदिर मत खोजो’, RSS चीफ मोहन भागवत के बयान से सहमत हैं अनिरुद्धाचार्य महाराज?</a></strong></p> उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड ‘अपने दफ्तर में तैयार किए कागज को BJP बता रही CAG की रिपोर्ट’, AAP का बड़ा आरोप