हरियाणा में जीत की हैट्रिक लगाने के बाद गुरुवार को भाजपा सरकार ने शपथ ले ली। नई सरकार के गठन में जातिगत व क्षेत्रीय संतुलन तो कायम रखा गया, लेकिन अहीरवाल के अहम जिले रेवाड़ी को प्रतिनिधित्व नहीं मिला। हालांकि अहीरवाल बेल्ट से आने वाले से दो कैबिनेट मंत्री बनाए गए हैं। इनमें बादशाहपुर से राव नरबीर व अटेली से आरती राव को जगह दी गई है। क्षेत्र के कद्दावर नेता कहे जाने वाले केंद्रीय मंत्री राव इंद्रजीत सिंह की बेटी आरती राव को मंत्री जरूर बनाया गया, लेकिन उनके धुर विरोधी राव नरबीर सिंह को कैबिनेट मंत्री बनाकर सत्ता संतुलन बनाए रखा गया। जबकि पहले चर्चा थी कि नरबीर के अलावा राव इंद्रजीत सिंह के कोटे से दो लोगों को मंत्री बनाया जाएगा। इनमें बिमला चौधरी व लक्ष्मण सिंह यादव का नाम चर्चा में था। बीजेपी ने 11 में से 10 सीटें जीती अहीरवाल इलाके में 11 सीटें हैं। इस बार बीजेपी ने नांगल चौधरी सीट को छोड़कर सभी 10 सीटों पर जीत दर्ज की है। ऐसे में अहीरवाल को खास प्रतिनिधित्व मिलने की उम्मीद की जा रही थी। चुनाव से पहले और रिजल्ट आने के बाद इशारों में राव इंद्रजीत सिंह सीएम पद तक की दावेदारी ठोकते आ रहे थे। हालांकि सीएम पद तो दूर उनकी बेटी आरती को छोड़ किसी दूसरे समर्थित विधायक को मंत्री भी नहीं बनाया गया। जबकि उनके समर्थित 7 विधायक चुनाव जीते हैं। किसकी दावेदारी आई काम 1. राव नरबीर सिंह : बादशाहपुर सीट से चुनाव जीते राव नरबीर सिंह इलाके के बड़े नेता कहे जाने वाले राव इंद्रजीत सिंह के धुर विरोधी रहे हैं। पूरे इलाके में राव नरबीर ही इकलौते ऐसे नेता हैं, जिन्होंने अपने दम पर न केवल हाईकमान से सीधे टिकट हासिल की, बल्कि इस इलाके में सबसे बड़ी जीत भी दर्ज की है। नरबीर सिंह 2014 में मनोहर लाल खट्टर की सरकार में पावरफुल कैबिनेट मंत्री रह चुके हैं। उनके सीधे हाईकमान से अच्छे संबंध हैं। उनकी कैबिनेट मंत्री के पद पर दावेदारी पहले ही मजबूत नजर आ रही थी। कैबिनेट मंत्री बनने की दूसरी वजह उनका राव इंदजीत सिंह का विरोधी होना रहा। 10 विधायकों में राव इंद्रजीत सिंह के धुर विरोधी में इकलौते राव नरबीर ही हैं। भाजपा ने नरबीर को मंत्री बनाकर इलाके में पावर बैलेंस करने की कोशिश की है। 2. आरती राव : राव इंद्रजीत सिंह की बेटी आरती राव ने अटेली से चुनाव जीता। पिछले 3 चुनाव में अटेली में भाजपा उम्मीदवार ही चुनाव जीतते आ रहे हैं। इलाके में खुद के प्रभाव के चलते ही राव इंद्रजीत सिंह ने बेटी को टिकट दिलाया। ऐसे में आरती राव को मंत्रिमंडल में शामिल कराकर राव इंद्रजीत सिंह महेंद्रगढ़ जिले को मजबूत करने की कोशिश की। दूसरे और तीसरे टर्म में खास भागीदारी नहीं 2014 में बीजेपी ने अहीरवाल की सभी 11 सीटों पर जीत दर्ज की थी। उस वक्त रामबिलास शर्मा और राव नरबीर सिंह को कैबिनेट मंत्री बनाया गया। जबकि राव इंद्रजीत सिंह के कोटे से विक्रम ठेकेदार को राज्यमंत्री बनाया गया था। 2019 में इलाके की 8 सीटें जीतने पर बीजेपी ने राव इंद्रजीत सिंह समर्थित डॉ. बनवारी लाल को कैबिनेट और ओमप्रकाश यादव को राज्यमंत्री बनाया। गुरुग्राम जिले से किसी भी विधायक को मंत्रिमंडल में जगह नहीं मिली। हालांकि मार्च में हुए बदलाव के बाद नायब सैनी की सरकार में सोहना से विधायक संजय सिंह को जरूर मंत्रिमंडल में शामिल किया गया था। इस बार 10 सीटें जीतने पर उम्मीद ज्यादा थी। रेवाड़ी यादव सभा अहीरवाल से सीएम पद या डिप्टी सीएम पद की मांग कर चुकी थी। रेवाड़ी तीसरे टर्म में भी अछूता रेवाड़ी जिले की बात करें तो बीजेपी सरकार के पहले दोनों टर्म में यहां से मंत्री बनाए गए। इसमें दोनों बार बावल और कोसली को प्रतिनिधित्व करने का मौका मिला, लेकिन रेवाड़ी सीट से जीत के बाद भी रणधीर सिंह कापड़ीवास को 2014 में मंत्री नहीं बनाया गया। हालांकि 2024 में लक्ष्मण यादव की जीत के बाद रेवाड़ी के लोगों को मंत्रीपद की उम्मीद काफी ज्यादा थी। लेकिन इस बार भी यहां के लोगों के हाथ मायूसी ही लगी। हरियाणा में जीत की हैट्रिक लगाने के बाद गुरुवार को भाजपा सरकार ने शपथ ले ली। नई सरकार के गठन में जातिगत व क्षेत्रीय संतुलन तो कायम रखा गया, लेकिन अहीरवाल के अहम जिले रेवाड़ी को प्रतिनिधित्व नहीं मिला। हालांकि अहीरवाल बेल्ट से आने वाले से दो कैबिनेट मंत्री बनाए गए हैं। इनमें बादशाहपुर से राव नरबीर व अटेली से आरती राव को जगह दी गई है। क्षेत्र के कद्दावर नेता कहे जाने वाले केंद्रीय मंत्री राव इंद्रजीत सिंह की बेटी आरती राव को मंत्री जरूर बनाया गया, लेकिन उनके धुर विरोधी राव नरबीर सिंह को कैबिनेट मंत्री बनाकर सत्ता संतुलन बनाए रखा गया। जबकि पहले चर्चा थी कि नरबीर के अलावा राव इंद्रजीत सिंह के कोटे से दो लोगों को मंत्री बनाया जाएगा। इनमें बिमला चौधरी व लक्ष्मण सिंह यादव का नाम चर्चा में था। बीजेपी ने 11 में से 10 सीटें जीती अहीरवाल इलाके में 11 सीटें हैं। इस बार बीजेपी ने नांगल चौधरी सीट को छोड़कर सभी 10 सीटों पर जीत दर्ज की है। ऐसे में अहीरवाल को खास प्रतिनिधित्व मिलने की उम्मीद की जा रही थी। चुनाव से पहले और रिजल्ट आने के बाद इशारों में राव इंद्रजीत सिंह सीएम पद तक की दावेदारी ठोकते आ रहे थे। हालांकि सीएम पद तो दूर उनकी बेटी आरती को छोड़ किसी दूसरे समर्थित विधायक को मंत्री भी नहीं बनाया गया। जबकि उनके समर्थित 7 विधायक चुनाव जीते हैं। किसकी दावेदारी आई काम 1. राव नरबीर सिंह : बादशाहपुर सीट से चुनाव जीते राव नरबीर सिंह इलाके के बड़े नेता कहे जाने वाले राव इंद्रजीत सिंह के धुर विरोधी रहे हैं। पूरे इलाके में राव नरबीर ही इकलौते ऐसे नेता हैं, जिन्होंने अपने दम पर न केवल हाईकमान से सीधे टिकट हासिल की, बल्कि इस इलाके में सबसे बड़ी जीत भी दर्ज की है। नरबीर सिंह 2014 में मनोहर लाल खट्टर की सरकार में पावरफुल कैबिनेट मंत्री रह चुके हैं। उनके सीधे हाईकमान से अच्छे संबंध हैं। उनकी कैबिनेट मंत्री के पद पर दावेदारी पहले ही मजबूत नजर आ रही थी। कैबिनेट मंत्री बनने की दूसरी वजह उनका राव इंदजीत सिंह का विरोधी होना रहा। 10 विधायकों में राव इंद्रजीत सिंह के धुर विरोधी में इकलौते राव नरबीर ही हैं। भाजपा ने नरबीर को मंत्री बनाकर इलाके में पावर बैलेंस करने की कोशिश की है। 2. आरती राव : राव इंद्रजीत सिंह की बेटी आरती राव ने अटेली से चुनाव जीता। पिछले 3 चुनाव में अटेली में भाजपा उम्मीदवार ही चुनाव जीतते आ रहे हैं। इलाके में खुद के प्रभाव के चलते ही राव इंद्रजीत सिंह ने बेटी को टिकट दिलाया। ऐसे में आरती राव को मंत्रिमंडल में शामिल कराकर राव इंद्रजीत सिंह महेंद्रगढ़ जिले को मजबूत करने की कोशिश की। दूसरे और तीसरे टर्म में खास भागीदारी नहीं 2014 में बीजेपी ने अहीरवाल की सभी 11 सीटों पर जीत दर्ज की थी। उस वक्त रामबिलास शर्मा और राव नरबीर सिंह को कैबिनेट मंत्री बनाया गया। जबकि राव इंद्रजीत सिंह के कोटे से विक्रम ठेकेदार को राज्यमंत्री बनाया गया था। 2019 में इलाके की 8 सीटें जीतने पर बीजेपी ने राव इंद्रजीत सिंह समर्थित डॉ. बनवारी लाल को कैबिनेट और ओमप्रकाश यादव को राज्यमंत्री बनाया। गुरुग्राम जिले से किसी भी विधायक को मंत्रिमंडल में जगह नहीं मिली। हालांकि मार्च में हुए बदलाव के बाद नायब सैनी की सरकार में सोहना से विधायक संजय सिंह को जरूर मंत्रिमंडल में शामिल किया गया था। इस बार 10 सीटें जीतने पर उम्मीद ज्यादा थी। रेवाड़ी यादव सभा अहीरवाल से सीएम पद या डिप्टी सीएम पद की मांग कर चुकी थी। रेवाड़ी तीसरे टर्म में भी अछूता रेवाड़ी जिले की बात करें तो बीजेपी सरकार के पहले दोनों टर्म में यहां से मंत्री बनाए गए। इसमें दोनों बार बावल और कोसली को प्रतिनिधित्व करने का मौका मिला, लेकिन रेवाड़ी सीट से जीत के बाद भी रणधीर सिंह कापड़ीवास को 2014 में मंत्री नहीं बनाया गया। हालांकि 2024 में लक्ष्मण यादव की जीत के बाद रेवाड़ी के लोगों को मंत्रीपद की उम्मीद काफी ज्यादा थी। लेकिन इस बार भी यहां के लोगों के हाथ मायूसी ही लगी। हरियाणा | दैनिक भास्कर
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उधर, विनेश फोगाट के ओलिंपिक में सिल्वर मेडल पर फैसला 13 अगस्त को आएगा। शनिवार रात खेल कोर्ट यानी कोर्ट ऑफ आर्बिट्रेशन फॉर स्पोर्ट्स (CAS) ने इसकी जानकारी दी। पहले 10 अगस्त रात साढ़े 9 बजे फैसला सुनाया जाना था, लेकिन कोर्ट ने इसकी सीमा बढ़ा दी। आत रात साढ़े 12 बजे पेरिस ओलिंपिक की क्लोजिंग सेरेमनी होगी। विनेश के वकील विदुषपत सिंघानिया ने कहा कि CAS 13 अगस्त को अपना फैसला सुनाएगा। अतिरिक्त दस्तावेज जमा करने की समय सीमा 11 अगस्त तक बढ़ा दी गई है। नीरज चोपड़ा ने विनेश का सपोर्ट किया
नेश के फैसले को लेकर जेवलिन में सिल्वर मेडल जीतने वाले नीरज चोपड़ा ने कहा- “अगर हमें मेडल नहीं मिलता तो लोग हमें कुछ समय के लिए याद रखते हैं और कहते हैं कि हम उनके चैंपियन हैं लेकिन अगर हमें मेडल नहीं मिलता तो वे हमें भूल जाते हैं। 100 ग्राम ज्यादा वजन से बाहर हुई थी विनेश
बता दें कि विनेश फोगाट ने ओलिंपिक में 50 kg वेट कैटेगरी में कुश्ती लड़ी थी। एक दिन में जापान की ओलिंपिक चैंपियन समेत 3 पहलवानों को पटखनी देकर वह फाइनल में पहुंची। हालांकि अगले दिन फाइनल मुकाबले से पहले उसका वेट 100 ग्राम ज्यादा निकल आया। जिस वजह से उसे अयोग्य करार दे दिया गया। इसी को लेकर विनेश ने खेल कोर्ट में अपील दायर की। खेल कोर्ट में सुनवाई पूरी हो चुकी
विनेश फोगाट की याचिका पर पेरिस स्थित खेल कोर्ट में सुनवाई पूरी हो चुकी है। इसमें विनेश भी वर्चुअल तरीके से शामिल हुई। विनेश ने करीब एक घंटे अपना पक्ष रखा। करीब 3 घंटे तक बहस हुई। विनेश की तरफ से भारतीय वकील हरीश साल्वे और विदुष्पत सिंघानिया ने भी उनका पक्ष रखा। डॉक्टर एनाबेल बैनेट ने करीब 3 घंटे तक विनेश, युनाइटेड वर्ल्ड रेसलिंग, इंटरनेशनल ओलिंपिक कमेटी और IOA का पक्ष सुना। इससे पहले सभी को अपना एफिडेविट भी दाखिल करने को कहा गया था। जिसके बाद ये मौखिक बहस हुई है। विनेश के पक्ष में यह दलीलें भी रखी गईं
खेल कोर्ट में विनेश के पक्ष में कहा गया कि 100 ग्राम वजन बहुत कम है। यह एथलीट के वजन के 0.1% से 0.2% से ज्यादा नहीं है। यह गर्मी के मौसम में इंसान के शरीर के फूलने से भी आसानी से बढ़ सकता है क्योंकि गर्मी के कारण इंसान की जीवित रहने की जरूरत की वजह से शरीर में ज्यादा पानी जमा होता है। इसके अलावा विनेश को एक ही दिन में 3 कॉम्पिटिशन लड़ने पड़े। इस दौरान एनर्जी को मेंटेन करने के लिए भी उन्हें खाना पड़ा। इसके अलावा भारतीय पक्ष ने कहा कि खेल गांव और ओलिंपिक गेम्स के एरीना के बीच की दूरी और पहले दिन फाइट के टाइट शेड्यूल की वजह से विनेश को वजन घटाने का पर्याप्त टाइम नहीं मिला। विनेश का वजन पहले दिन की 3 कुश्तियां लड़ने के बाद 52.7 किलो पहुंच चुका था। भारतीय पक्ष ने यह भी कहा कि विनेश को 100 ग्राम वजन बढ़ने से दूसरे रेसलर के मुकाबले कोई फायदा नहीं होना था। यह सिर्फ जरूरी रिकवरी प्रोसेस का परिणाम था। एक दिन में लगातार 3 मुकाबले लड़ने के बाद उसके शरीर को डाइट की भी जरूरत थी। भारतीय पक्ष ने यह भी दलील दी कि विनेश फोगाट के मामले में कोई धोखाधड़ी या हेराफेरी जैसी बात नहीं है। न ही कोई डोपिंग जैसा कोई इश्यू है। पहले सारे मुकाबले सही लड़ने और फाइनल में अयोग्य होने की वजह से विनेश को कड़ी मेहनत के बावजूद सिल्वर मेडल से वंचित नहीं किया जाना चाहिए। इंडियन ओलिंपिक एसोसिएशन ने कहा- पॉजिटिव रिजल्ट की उम्मीद
इस बारे में इंडियन ओलिंपिक एसोसिएशन (IOA) ने कहा- भारतीय ओलिंपिक संघ को पॉजिटिव रिजल्ट की उम्मीद है। प्रेजिडेंट पीटी उषा ने कहा- विनेश का साथ देना हमारा फर्ज है। फैसला चाहे जो भी आए, हम विनेश के साथ खड़े हैं। विनेश फोगाट मामले में अब तक क्या- हुआ, सिलसिलेवार ढंग से पढ़ें… 1. ओलिंपिक में 1 दिन में 3 पहलवानों को हराया
विनेश फोगाट ने 50 किग्रा वेट कैटेगरी में मंगलवार को 3 मैच खेले। प्री-क्वार्टर फाइनल में उन्होंने टोक्यो ओलिंपिक की चैंपियन यूई सुसाकी को हरा दिया। क्वार्टर फाइनल में उन्होंने यूक्रेन और सेमीफाइनल में क्यूबा की रेसलर को पटखनी दी। विनेश फाइनल में पहुंचने वालीं पहली ही भारतीय महिला रेसलर बनीं थीं। 2. डाइट से वजन बढ़ा, पूरी रात कोशिश बेकार गई
सेमीफाइनल तक 3 मैच खेलने के दौरान उन्हें प्रोटीन और एनर्जी के लिए खाना-पानी दिया गया। जिससे उनका वजन 52.700 kg तक बढ़ गया। भारतीय ओलिंपिक टीम के डॉक्टर डॉक्टर दिनशॉ पारदीवाला के मुताबिक विनेश का वेट वापस 50KG पर लाने के लिए टीम के पास सिर्फ 12 घंटे थे। पूरी टीम रातभर विनेश का वजन कम करने की कोशिश में लगी रही। विनेश पूरी रात नहीं सोईं और वजन को तय कैटेगरी में लाने के लिए जॉगिंग, स्किपिंग और साइकिलिंग जैसी एक्सरसाइज करती रहीं। विनेश ने अपने बाल और नाखून तक काट दिए थे। उनके कपड़े भी छोटे कर दिए गए थे। 3. वजन 100 ग्राम ज्यादा मिला, वजन घटाने को सिर्फ 15 मिनट थे
बुधवार सुबह नियम के अनुसार दोबारा से विनेश के वजन की जांच की गई। उनका वजन ज्यादा निकला। उन्हें 15 मिनट मिले लेकिन आखिरी बार वजन में भी वह 100 ग्राम अधिक निकलीं। जिसके बाद उन्हें अयोग्य करार दे दिया गया। 4. विनेश ने अयोग्य करार देने के खिलाफ अपील की
इसके बाद विनेश ने अयोग्य करार देने पर खेल कोर्ट (CAS) में अपील की। जिसमें विनेश ने फाइनल मुकाबला खेलने देने की अपील की। यह संभव नहीं था तो विनेश ने अपील बदलकर कहा कि सेमीफाइनल तक उसका वजन नियमों के अनुरूप था। उसे संयुक्त सिल्वर मेडल दिया जाए। 5. विनेश ने संन्यास का ऐलान किया
विनेश फोगाट ने गुरुवार सुबह कुश्ती से संन्यास लेने का ऐलान कर दिया। उन्होंने गुरुवार सुबह 5.17 बजे सोशल मीडिया पोस्ट लिखी। विनेश ने लिखा- “मां कुश्ती मेरे से जीत गई, मैं हार गई। माफ करना आपका सपना, मेरी हिम्मत सब टूट चुके। इससे ज्यादा ताकत नहीं रही अब। अलविदा कुश्ती 2001-2024, आप सबकी हमेशा ऋणी रहूंगी। …माफी।”। विनेश फोगाट से जुड़ी ये खबरें भी पढ़ें…