हरियाणा के रेवाड़ी जिले में बीजेपी द्वारा टिकट वितरण के बाद टिकट से वंचित रहे दावेदारों में असंतोष लगातार बढ़ता जा रहा हैं। रेवाड़ी और कोसली दोनों ही सीटों पर कोई बाहरी नहीं, बल्कि बीजेपी के नेता ही प्रत्याशियों का खुलकर विरोध कर रहे हैं। रेवाड़ी सीट पर 3 अहम दावेदार पूर्व विधायक रणधीर सिंह कापड़ीवास, पर्यटन निगम के पूर्व चेयरमैन डॉ. अरविंद यादव और पूर्व जिला प्रमुख सतीश यादव की तिकड़ी लगातार बैठकें कर रही हैं। इन्हीं तीनों में से किसी एक नेता के नाम पर सहमति बनाकर उसे निर्दलीय चुनावी मैदान में उतारा जा सकता हैं। बीजेपी के 2 नेता पीपीपी के स्टेट कोआर्डिनेटर सतीश खोला और सन्नी यादव पहले ही निर्दलीय चुनाव लड़ने की घोषणा कर चुके हैं। अगर समय रहते नाराज नेताओं को नहीं मनाया गया तो बीजेपी प्रत्याशी लक्ष्मण सिंह यादव की राह मुश्किल हो सकती हैं। क्योंकि कमोबेश इसी प्रकार की स्थिति पिछले चुनाव में भी बनी थी। जिसका खामियाजा बीजेपी प्रत्याशी सुनील मुसेपुर को हार कर उठाना पड़ा था। इसी तरह का माहौल इस बार भी बनाया जा रहा है। टिकट नहीं मिलने की वजह से बीजेपी से नाराज 5 नेताओं में से 2 नेता सतीश खोला और सन्नी यादव भले ही अलग राह पर चल रहे हैं। लेकिन आपस में बैठक करने में जुटे सतीश यादव, डॉ. अरविंद यादव और रणधीर सिंह कापड़ीवास इनके साथ भी बैठक कर एक सामूहिक रूप से निर्दलीय प्रत्याशी पर सहमति बनाकर उसे कैंडिडेट बना सकते हैं। दिनभर चला बैठकों का दौर गुरुवार को टिकट वितरण के बाद दिनभर नाराज नेताओं के बीच बैठकों का दौर चला। पहले सतीश यादव और रणधीर सिंह कापड़ीवास के बीच बैठक हुई। इसके बाद दोनों नेता सेक्टर-3 स्थित डॉ. अरविंद यादव की कोठी पर पहुंचे। यहां तीनों ही नेताओं के बीच लंबी बातचीत हुई। हालांकि बैठक के दौरान किसके नाम पर सहमति बनी, अभी ये क्लियर नहीं हो पाया है। लक्ष्मण सिंह यादव का जबरदस्त अंदरुनी विरोध किया जा रहा है। खासकर रणधीर सिंह कापड़ीवास और सतीश यादव दोनों का रेवाड़ी सीट पर खुद का वोट बैंक हैं। पिछले चुनाव में भी बतौर निर्दलीय कैंडिडेट के तौर पर रणधीर सिंह कापड़ीवास 36 हजार से ज्यादा वोट लेने में कामयाब रहे थे। जिसकी वजह से बीजेपी प्रत्याशी सुनील मुसेपुर मामूली अंतर से कांग्रेस कैंडिडेट चिरंजीव राव से चुनाव हार गए थे। अनिल डहीना के लिए भी कई चुनौतियां रेवाड़ी सीट की तरह कोसली सीट पर बीजेपी प्रत्याशी अनिल डहीना के लिए कई चुनौतियां हैं। कोसली सीट रामपुरा हाउस की पैतृक सीट हैं। अनिल को टिकट भी राव इंद्रजीत सिंह की सिफारिश पर मिली है। अनिल डहीना का इस सीट पर खुद का कोई प्रभाव नहीं है। उसकी जीत का दारोमदार केंद्रीय मंत्री राव इंद्रजीत सिंह पर ही टिका हुआ हैं। अनिल एक बार जिला पार्षद हैं। जबकि 2022 में जिला पार्षद का चुनाव भी हार गए थे। अनिल के कोसली से कैंडिडेट बनाए जाने से पुराने भाजपाई नाराज हैं। उन्होंने टिकट बदलवाने के लिए दबाव बनाना भी शुरू कर दिया है। अगर समय रहते बागी रुख अपना रहे इन नेताओं को नहीं मनाया गया तो इस सीट पर भी भीतरघात की पूरी संभावना हैं। हरियाणा के रेवाड़ी जिले में बीजेपी द्वारा टिकट वितरण के बाद टिकट से वंचित रहे दावेदारों में असंतोष लगातार बढ़ता जा रहा हैं। रेवाड़ी और कोसली दोनों ही सीटों पर कोई बाहरी नहीं, बल्कि बीजेपी के नेता ही प्रत्याशियों का खुलकर विरोध कर रहे हैं। रेवाड़ी सीट पर 3 अहम दावेदार पूर्व विधायक रणधीर सिंह कापड़ीवास, पर्यटन निगम के पूर्व चेयरमैन डॉ. अरविंद यादव और पूर्व जिला प्रमुख सतीश यादव की तिकड़ी लगातार बैठकें कर रही हैं। इन्हीं तीनों में से किसी एक नेता के नाम पर सहमति बनाकर उसे निर्दलीय चुनावी मैदान में उतारा जा सकता हैं। बीजेपी के 2 नेता पीपीपी के स्टेट कोआर्डिनेटर सतीश खोला और सन्नी यादव पहले ही निर्दलीय चुनाव लड़ने की घोषणा कर चुके हैं। अगर समय रहते नाराज नेताओं को नहीं मनाया गया तो बीजेपी प्रत्याशी लक्ष्मण सिंह यादव की राह मुश्किल हो सकती हैं। क्योंकि कमोबेश इसी प्रकार की स्थिति पिछले चुनाव में भी बनी थी। जिसका खामियाजा बीजेपी प्रत्याशी सुनील मुसेपुर को हार कर उठाना पड़ा था। इसी तरह का माहौल इस बार भी बनाया जा रहा है। टिकट नहीं मिलने की वजह से बीजेपी से नाराज 5 नेताओं में से 2 नेता सतीश खोला और सन्नी यादव भले ही अलग राह पर चल रहे हैं। लेकिन आपस में बैठक करने में जुटे सतीश यादव, डॉ. अरविंद यादव और रणधीर सिंह कापड़ीवास इनके साथ भी बैठक कर एक सामूहिक रूप से निर्दलीय प्रत्याशी पर सहमति बनाकर उसे कैंडिडेट बना सकते हैं। दिनभर चला बैठकों का दौर गुरुवार को टिकट वितरण के बाद दिनभर नाराज नेताओं के बीच बैठकों का दौर चला। पहले सतीश यादव और रणधीर सिंह कापड़ीवास के बीच बैठक हुई। इसके बाद दोनों नेता सेक्टर-3 स्थित डॉ. अरविंद यादव की कोठी पर पहुंचे। यहां तीनों ही नेताओं के बीच लंबी बातचीत हुई। हालांकि बैठक के दौरान किसके नाम पर सहमति बनी, अभी ये क्लियर नहीं हो पाया है। लक्ष्मण सिंह यादव का जबरदस्त अंदरुनी विरोध किया जा रहा है। खासकर रणधीर सिंह कापड़ीवास और सतीश यादव दोनों का रेवाड़ी सीट पर खुद का वोट बैंक हैं। पिछले चुनाव में भी बतौर निर्दलीय कैंडिडेट के तौर पर रणधीर सिंह कापड़ीवास 36 हजार से ज्यादा वोट लेने में कामयाब रहे थे। जिसकी वजह से बीजेपी प्रत्याशी सुनील मुसेपुर मामूली अंतर से कांग्रेस कैंडिडेट चिरंजीव राव से चुनाव हार गए थे। अनिल डहीना के लिए भी कई चुनौतियां रेवाड़ी सीट की तरह कोसली सीट पर बीजेपी प्रत्याशी अनिल डहीना के लिए कई चुनौतियां हैं। कोसली सीट रामपुरा हाउस की पैतृक सीट हैं। अनिल को टिकट भी राव इंद्रजीत सिंह की सिफारिश पर मिली है। अनिल डहीना का इस सीट पर खुद का कोई प्रभाव नहीं है। उसकी जीत का दारोमदार केंद्रीय मंत्री राव इंद्रजीत सिंह पर ही टिका हुआ हैं। अनिल एक बार जिला पार्षद हैं। जबकि 2022 में जिला पार्षद का चुनाव भी हार गए थे। अनिल के कोसली से कैंडिडेट बनाए जाने से पुराने भाजपाई नाराज हैं। उन्होंने टिकट बदलवाने के लिए दबाव बनाना भी शुरू कर दिया है। अगर समय रहते बागी रुख अपना रहे इन नेताओं को नहीं मनाया गया तो इस सीट पर भी भीतरघात की पूरी संभावना हैं। हरियाणा | दैनिक भास्कर
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सोनीपत में थिनर फैक्ट्री में भीषण आग:केमिकल के ड्रमों में ब्लास्ट से हड़कंप; फायर ब्रिगेड की 6 गाड़ी मौके पर हरियाणा के सोनीपत में शुक्रवार को एक बार फिर से एक फैक्ट्री में भीषण आग लगी है। फैक्ट्री थिनर की है और थिनर के ड्रमों में लगातार ब्लास्ट हो रहे हैं। फायर ब्रिगेड की कई गाड़ियां मौके पर पहुंची है। पुलिस वहां लगी भीड़ को दूर हटाने में लगी है। इससे पहले सोनीपत के राई में रबड़ फैक्टरी में आग लगने से 40 कर्मी झुलस गए थे, जिनमें से 2 की मौत हो गई थी। सात की हालत अभी भी गंभीर है। कुंडली की बर्तन फैक्ट्री में भी गुरुवार को भीषण आग लगी थी। जानकारी के अनुसार सोनीपत में हीटवेव के चलते फैक्ट्रियों में आग की घटनाएं लगातार सामने आ रही हैं। शुक्रवार को खरखौदा क्षेत्र में गांव फिरोजपुर बागर के पास मौजूद थिनर फैक्ट्री में भयानक आग लग गई। आग लगने से पूरे क्षेत्र में हड़कंप मच गया। फायर ब्रिगेड ने आग पर काबू पाने के लिए मौके पर आधा दर्जन गाड़ियों को भेजा है। फैक्ट्री में केमिकल से भरे थिनर के ड्रमों में जबरदस्त ब्लास्ट भी हुआ है। इससे आग लगातार फैलती जा रही है। पुलिस मौके पर इकट्ठा हुई भीड़ को दूर करने का प्रयास कर रही है। फिलहाल आग लगने के कारणों का खुलासा नहीं हुआ है।
हरियाणा में भर्ती का जिम्मा दागी पर:HCS वत्सल वशिष्ठ को HSSC में OSD किया नियुक्त, एसीबी ने हिसार कोर्ट में की चार्जशीट दाखिल
हरियाणा में भर्ती का जिम्मा दागी पर:HCS वत्सल वशिष्ठ को HSSC में OSD किया नियुक्त, एसीबी ने हिसार कोर्ट में की चार्जशीट दाखिल हरियाणा की चौटाला सरकार में हरियाणा सिविल सेवा (HCS) भर्ती में अनियमितताओं के मामले में चार्जशीटेड एचसीएस अधिकारी वत्सल वशिष्ठ को हरियाणा सरकार ने बड़ी जिम्मेदारी दी है। हरियाणा सरकार ने 2002 बैच के एचसीएस अधिकारी वत्सल वशिष्ठ को हरियाणा कर्मचारी चयन आयोग के ओएसडी का अतिरिक्त कार्यभार सौंपा है। इस नियुक्ति को लेकर सरकार विपक्ष के निशाने पर आ गई है। विपक्ष ने उन पर निशाना साधते हुए कहा है कि “सरकार ने बिल्ली को ही रखवाली के लिए दूध सौंप दिया है”। बता दें कि 22 दिन पहले पूर्व मुख्यमंत्री ओम प्रकाश चौटाला के शासनकाल में हरियाणा सिविल सेवा (एचसीएस) के 66 पदों की भर्ती में अनियमितताओं के मामले में पंचकूला स्थित भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (एसीबी) ने हिसार के जिला एवं सत्र न्यायाधीश दिनेश कुमार मित्तल की अदालत में 29 लोगों के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की थी। इसमें एचसीएस अधिकारी वत्सल वशिष्ठ का नाम भी शामिल है। इस मामले में अगली सुनवाई अब 11 नवंबर को हिसार कोर्ट में होगी। जजपा नेता केसी बांगड़ा का भी नाम
ACB की ओर से हिसार कोर्ट में दायर चार्जशीट में हरियाणा लोक सेवा आयोग के पूर्व सदस्य एवं इस समय जजपा नेता केसी बांगड़ के अलावा आयोग के सचिव सेवानिवृत्त आईएएस अधिकारी हरदीप सिंह के नाम शामिल हैं। इसके अलावा HPSC के 5 पूर्व सदस्यों, 9 एक्जामिनर के अलावा 13 चयनित HCS को भी आरोपी बनाया गया था। ACB ने आयोग के सदस्य पूर्व सदस्य महेंद्र सिंह शास्त्री, एनएन यादव, जगदीश राय, नरेंद्र विद्यालंकार, दयाल सिंह और एक्जामिनर पैनल में शामिल प्रोफेसर जेसी कैरिरयन कैप्पन, डॉ. महेश्वरी प्रसाद, प्रोफेसर चंद्र मोउली, डॉ. आरके बाॉस, पुष्पेंद्र कुमार, जगदीश सिंह, एसके वर्मा, प्रेम सागर चतुर्वेदी, दर्वेश गोपाल को भी आरोपी बनाया गया है। 13 चयनित अभ्यर्थी में थे वत्सल वशिष्ठ
इसी प्रकार 13 चयनित अभ्यर्थी वत्सल वशिष्ठ, कुलधीर सिंह, रणजीत कौर, कमलेश कुमार, सरिता मलिक, अशोक कुमार, राकेश कुमार, पूनम नाड़ा, दिलबाग सिंह, वीना हुड्डा, जग निवास, सुरेंद्र कुमार व जगदीप को भी आरोपी बनाया है। जांच के दौरान जिन तीन सदस्यों सुरेश कुमार गुप्ता, गुलशन भारद्वाज और मेहर सिंह सैनी की मृत्यु हो चुकी है, उनको आरोपी नहीं बनाया गया है। परीक्षा नियंत्रक बनवारी लाल के अलावा एक्जामिनर डॉ केडी पांडे, डॉ. विवेक पांडे, आरके पूनिया, देवेंद्र गोपाल को भी आरोपी नहीं बनाया गया है। इनमें डॉ. केडी पांडे की मृत्यु को चुकी है और बाकियों के बारे में कोई जानकारी उपलब्ध नहीं है। बिना उत्तर लिखे भी दे दिए थे अंक
जिस मामले में ACB ने चार्जशीट दाखिल की थी उसमें उत्तर पुस्तिका में कटिंग, ओवर राइटिंग, अंकों को बढ़ाना व घटना और साक्षात्कार में टॉपर को कम और कम अंक वालों को ज्यादा अंक देने की अनियमितताएं सामने आई थी। कई अभ्यर्थी तो ऐसे भी थे जिनकों मेरिट के आधार पर साक्षात्कार में नहीं बुलाया जा सकता था तो उनकी उत्तर पुस्तिका में अंकों को बढ़ा दिया गया। ACB की जांच रिपोर्ट के अनुसार 1 मार्च, 1999 को एचसीएस के कुल 66 पदों पर आवेदन मांगे गए थे और 21 हजार से अधिक व्यक्तियों ने आवेदन किया था। 3 मई, 2002 को परिणाम घोषित किया गया। जांच के दौरान साक्षात्कार के लिए बुलाए गए 195 अभ्यर्थियों में से 117 की 696 उत्तर पुस्तिका को जांचा गया तो 101 अभ्यर्थियों की 198 उत्तर पुस्तिका में अनियमितताएं मिली। इन अनियमितताओं में ओवरराइटिंग, अंकों को बढ़ाना व घटाना, अलग-अलग स्याही का प्रयोग करना, पेज खाली छोड़ देना, प्रश्नों के उत्तर न लिखने वालों को भी अंक दे देना शामिल थी। जांच एजेंसी ने 98 उत्तर पुस्तिकाओं को जांच के लिए एफएसएल में भेजा तो उनमें बड़े पैमाने पर टैंपरिंग साबित हुई। जांच के दौरान एक्जामिनर कोई संतोषजनक जवाब नहीं दे पाए। जांच के दौरान कुल 15 अभ्यर्थियों को अनुचित लाभ दिया जाना पाया गया। कांग्रेस नेता कर्ण सिंह दलाल 78 अभ्यर्थियों की 465 उत्तर पुस्तिकाओं के आधार पर हाईकोर्ट में याचिका दायर की और इस भर्ती प्रक्रिया को चुनौती दी। जिसके बाद हाईकोर्ट ने इसकी जांच की और 35 अभ्यर्थियों की 54 उत्तर पुस्तिका में अंकों को घटना व बढ़ाना पाया गया गयाा। इसके बाद विजिलेंस जांच की अनुमति मिली थी।
हिसार में किडनी में बाईपास-सर्जरी करने वाले ने खोला अस्पताल:डॉ. सिंगला को नेग्लिजेंस बोर्ड ने दोषी ठहराया, ऑपरेशन के दौरान यूरिन ब्लैडर डैमेज किया
हिसार में किडनी में बाईपास-सर्जरी करने वाले ने खोला अस्पताल:डॉ. सिंगला को नेग्लिजेंस बोर्ड ने दोषी ठहराया, ऑपरेशन के दौरान यूरिन ब्लैडर डैमेज किया हरियाणा में हिसार के डॉक्टर यशपाल सिंगला पर शिकंजा कस गया है। हरियाणा के मेडिकल नेग्लिजेंस बोर्ड ने अपनी रिपोर्ट में माना है कि डॉक्टर यशपाल ने इलाज के दौरान चिकित्सकीय लापरवाही की है। यह रिपोर्ट रोहतक पीजीआई के यूरोलॉजी विभाग के यूरोलॉजिस्ट डॉ. वीएस राठी की देखरेख में तैयार की गई है। हैरान करने वाली बात यह है कि गलत इलाज करने वाले डॉक्टर यशपाल सिंगला ने अपना निजी अस्पताल खोल रखा है। डॉ. यशपाल ने सेक्टर 9-11 में माययाश नाम से अस्पताल खोला है। आपको बता दें कि साल 2018 में चरखी दादरी के अटेला गांव निवासी भूपेंद्र की शिकायत पर गीतांजलि अस्पताल हिसार के संचालक और सर्जन डॉ. यशपाल सिंगला के खिलाफ केस दर्ज हुआ था। डॉक्टर यशपाल पर मरीज की जान खतरे में डालने और गलत ऑपरेशन करने का आरोप है। फिलहाल पुलिस पूरे मामले की जांच कर रही है। इन डॉक्टरों ने की थी जांच नेग्लिजेंसी बोर्ड में हिसार सिविल अस्पताल के डॉ. राजीव डाबला, फिजिशियन डॉ. अजीत सिंह, आईएमए अध्यक्ष डॉ. जेपी नलवा, सिविल अस्पताल के जनरल सर्जन डॉ. विनोद, एनआईएमए अध्यक्ष डॉ. अशोक यादव समेत कुल 5 सदस्य शामिल थे। किडनी दिखाने आया था, बाईपास सर्जरी कर दी दरअसल, चरखी दादरी निवासी भूपेंद्र ने 2019 में हिसार सीएमओ को शिकायत की थी। शिकायत में कहा गया था कि मेरी बाईं किडनी में दर्द था। मैं डॉ. कमल किशोर की ओपीडी में भी गया था। यहां मेरे टेस्ट हुए। रिपोर्ट मिलने पर डॉ. कमल किशोर ने मुझे सर्जन डॉ. यशपाल के पास भेजा। इसके बाद डॉ. यशपाल ने सलाह दी कि आपकी हालत गंभीर है और आपको बाईपास सर्जरी करानी पड़ेगी। भूपेंद्र ने बताया कि जब उसका ऑपरेशन हुआ तो ऑपरेशन थियेटर में डॉ. यशपाल सिंगला ने मेरे साथ बदसलूकी की। ओटी रूम में ही उनका फोन बार-बार बज रहा था। ऑपरेशन करते समय मेरा यूरिन ब्लैडर डैमेज हो गया था। उन्होंने स्टेंट को वहीं छोड़ दिया। इसके बाद ब्लीडिंग शुरू हो गई। डॉक्टर लगातार खून चढ़ाते रहे और मुझे ब्लीडिंग होती रही। फिर ब्लीडिंग बंद हो गई क्योंकि खून का थक्का बन गया था। उसके बाद डॉ. कमल किशोर ने कहा कि आपका केस ज्यादा क्रिटिकल हो गया है और आपको गुरुग्राम या दिल्ली ले जाना पड़ेगा। गुरुग्राम में डॉक्टर ने बताया- केस बिगाड़ा
इसके बाद वह गुरुग्राम के मेदांता अस्पताल में इलाज कराने गया। मेरा केस देखते ही मेदांता के डॉक्टर राकेश ने कहा कि आपका केस तो बिगाड़ दिया गया है। डॉक्टर राकेश ने डॉ. यशपाल से बात कर कहा कि आपने मरीज की जान जोखिम में डाल दी। डॉ. राकेश ने ऑपरेशन कर करीब एक बाल्टी मेरे पेट से खून की गांठ की निकालीं। जब मेरा ऑपरेशन हुआ तो मैं बेरोजगार था। इलाज में करीब 20 लाख रुपए खर्च हो गए। इलाज में उसकी जमीन जायदाद सब बिक गए। इस पर प्रकार लड़ी लड़ाई
भूपेंद्र ने बताया कि मेरे इलाज में लापरवाही बरती गई। 2019 में उसने हिसार में सिविल सर्जन ऑफिस में शिकायत दी। सिविल सर्जन की जांच में सामने आया कि मेडिकल नेग्लिजेंसी हुई है। इसके बाद सिविल सर्जन ने रोहतक PGI को जांच के लिए लिखा। वहां के डॉक्टरों ने जांच की तो उन्होंने भी रिपोर्ट में माना की मेडिकल नेग्लिजेंसी हुई है। भूपेंद्र ने आगे बताया कि गीतांजली अस्पताल से अपनी मेडिकल हिस्ट्री लेने के लिए सीएम विंडो और बाद में RTI लगाई। इसके बाद उसे जाकर अपनी रिपोर्ट मिली। इसके बाद हिसार CMO ने हिसार SP को डॉक्टरों पर कार्रवाई करने के बारे में पत्र लिख गया। जिसके बाद 6 बाद डॉक्टरों पर कार्रवाई हुई है।