रोहतक के मरीज की देश में पहली रोबोटिक सर्जरी:डिस्फैगिया लुसोरिया नामक बीमारी से मिला छुटकारा, डेढ साल से परेशान था मरीज

रोहतक के मरीज की देश में पहली रोबोटिक सर्जरी:डिस्फैगिया लुसोरिया नामक बीमारी से मिला छुटकारा, डेढ साल से परेशान था मरीज

रोहतक के सेक्टर 36 सनसिटी निवासी 16 वर्षीय एडन मलिक की डिस्फैगिया लुसोरिया नामक बीमारी का रोबोटिक सर्जरी के माध्यम से सफल इलाज किया गया। देश में पहली बार इस बीमारी का रोबोटिक तकनीक से इलाज किया गया है, जो अपने आप में एक उपलब्धि से कम नहीं है। 16 वर्षीय एडन मलिक ने बताया कि, करीब डेढ़ साल पहले उसे छाती में दर्द होने लगा। खाना खाते समय गले से खाना नीचे नहीं उतर रहा था। मुंह पर चिंटियां चलने जैसा लगता था। सांस लेने में दिक्कत होती। इसके बाद एक निजी अस्पताल में गए, जहां टीक लगाने के बाद कुछ आराम मिलता, लेकिन बाद में फिर वही परेशानी शुरू हो जाती। रोबोटिक सर्जरी के बाद अब उसे काफी राहत मिली है। डिस्फैगिया लुसोरिया नामक बीमारी से था परेशान
एडन मलिक ने बताया कि उसने मैक्स सुपर स्पेशियलिटी हॉस्पिटल में जब डॉ. रजनीश मल्होत्रा को दिखाया तो उसे डिस्फैगिया लुसोरिया नामक बीमारी के बारे में पता लगा। इस बीमारी में उसे बाएं कंधे से एक रक्त वाली नली गले में खाने वाली नली के पीछे से गुजरी हुई थी, जिसके कारण उसे यह परेशानी हो रही थी। दूसरे ओपिनियन के लिए कई अन्य निजी अस्पताल में दिखाया, लेकिन किसी को बीमारी ही समझ में नहीं आई। आखिर में दोबारा डॉ. रजनीश से ही बात की गई। बहुत कम लोगों में मिलती है डिस्फैगिया लुसोरिया नामक बीमारी
डॉ. रजनीश मल्होत्रा ने बताया कि डिस्फैगिया लुसोरिया नामक बीमारी जन्मजात है, जो बहुत कम लोगों में देखने को मिलती है। इस स्थिति में आर्टरी अपनी सामान्य दिशा की बजाय भोजन नली के पीछे से गुजरती है, जिससे उस पर दबाव पड़ता है और निगलने में कठिनाई होती है। सबक्लेवियन आर्टरी छाती, कंधे और बांह तक रक्त पहुंचाने का कार्य करती है। दायां हाथ हो सकता था खराब
डॉ. रजनीश मल्होत्रा ने बताया कि डिस्फैगिया लुसोरिया नामक बीमारी का देश में पहली बार रोबोटिक माध्यम से सफल ऑपरेशन किया गया है। रोबोटिक तकनीक द्वारा एक जटिल मल्टी-स्टेप सर्जरी की गई। इसमें छाती के भीतर असामान्य आर्टरी को अलग कर उसे दूसरी आर्टरी से जोड़ा गया, जिससे दाहिने हाथ में रक्त का प्रवाह प्रभावित न हो। इस प्रक्रिया से भोजन की नली पर बना दबाव हटाया गया और गर्दन व हाथ की धमनियों के बीच एक ग्राफ्ट के माध्यम से कनेक्शन स्थापित किया गया। ओपन सर्जरी की बजाय रोबोटिक सर्जरी को दिया महत्व
डॉ. रजनीश मल्होत्रा ने बताया कि ओपन सर्जरी की तुलना में रोबोटिक सर्जरी को प्राथमिकता दी गई, क्योंकि ओपन सर्जरी में छाती और गर्दन को पूरी तरह खोलना पड़ता, जबकि रोबोटिक सर्जरी केवल तीन 8 मिमी पोर्ट के ज़रिए की गई, जिसे मरीज़ को कम दर्द, कम चीरफाड़ और तेज़ रिकवरी मिली। सर्जरी पूरी तरह सफल रही और मरीज़ अब पूरी तरह स्वस्थ है। रोहतक के सेक्टर 36 सनसिटी निवासी 16 वर्षीय एडन मलिक की डिस्फैगिया लुसोरिया नामक बीमारी का रोबोटिक सर्जरी के माध्यम से सफल इलाज किया गया। देश में पहली बार इस बीमारी का रोबोटिक तकनीक से इलाज किया गया है, जो अपने आप में एक उपलब्धि से कम नहीं है। 16 वर्षीय एडन मलिक ने बताया कि, करीब डेढ़ साल पहले उसे छाती में दर्द होने लगा। खाना खाते समय गले से खाना नीचे नहीं उतर रहा था। मुंह पर चिंटियां चलने जैसा लगता था। सांस लेने में दिक्कत होती। इसके बाद एक निजी अस्पताल में गए, जहां टीक लगाने के बाद कुछ आराम मिलता, लेकिन बाद में फिर वही परेशानी शुरू हो जाती। रोबोटिक सर्जरी के बाद अब उसे काफी राहत मिली है। डिस्फैगिया लुसोरिया नामक बीमारी से था परेशान
एडन मलिक ने बताया कि उसने मैक्स सुपर स्पेशियलिटी हॉस्पिटल में जब डॉ. रजनीश मल्होत्रा को दिखाया तो उसे डिस्फैगिया लुसोरिया नामक बीमारी के बारे में पता लगा। इस बीमारी में उसे बाएं कंधे से एक रक्त वाली नली गले में खाने वाली नली के पीछे से गुजरी हुई थी, जिसके कारण उसे यह परेशानी हो रही थी। दूसरे ओपिनियन के लिए कई अन्य निजी अस्पताल में दिखाया, लेकिन किसी को बीमारी ही समझ में नहीं आई। आखिर में दोबारा डॉ. रजनीश से ही बात की गई। बहुत कम लोगों में मिलती है डिस्फैगिया लुसोरिया नामक बीमारी
डॉ. रजनीश मल्होत्रा ने बताया कि डिस्फैगिया लुसोरिया नामक बीमारी जन्मजात है, जो बहुत कम लोगों में देखने को मिलती है। इस स्थिति में आर्टरी अपनी सामान्य दिशा की बजाय भोजन नली के पीछे से गुजरती है, जिससे उस पर दबाव पड़ता है और निगलने में कठिनाई होती है। सबक्लेवियन आर्टरी छाती, कंधे और बांह तक रक्त पहुंचाने का कार्य करती है। दायां हाथ हो सकता था खराब
डॉ. रजनीश मल्होत्रा ने बताया कि डिस्फैगिया लुसोरिया नामक बीमारी का देश में पहली बार रोबोटिक माध्यम से सफल ऑपरेशन किया गया है। रोबोटिक तकनीक द्वारा एक जटिल मल्टी-स्टेप सर्जरी की गई। इसमें छाती के भीतर असामान्य आर्टरी को अलग कर उसे दूसरी आर्टरी से जोड़ा गया, जिससे दाहिने हाथ में रक्त का प्रवाह प्रभावित न हो। इस प्रक्रिया से भोजन की नली पर बना दबाव हटाया गया और गर्दन व हाथ की धमनियों के बीच एक ग्राफ्ट के माध्यम से कनेक्शन स्थापित किया गया। ओपन सर्जरी की बजाय रोबोटिक सर्जरी को दिया महत्व
डॉ. रजनीश मल्होत्रा ने बताया कि ओपन सर्जरी की तुलना में रोबोटिक सर्जरी को प्राथमिकता दी गई, क्योंकि ओपन सर्जरी में छाती और गर्दन को पूरी तरह खोलना पड़ता, जबकि रोबोटिक सर्जरी केवल तीन 8 मिमी पोर्ट के ज़रिए की गई, जिसे मरीज़ को कम दर्द, कम चीरफाड़ और तेज़ रिकवरी मिली। सर्जरी पूरी तरह सफल रही और मरीज़ अब पूरी तरह स्वस्थ है।   हरियाणा | दैनिक भास्कर