लखीमपुर खीरी तिकुनिया में अक्टूबर 2021 में हुए चर्चित मामले में शामिल 11 आरोपियों को लगभग तीन साल बाद इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ बेंच ने नियमित जमानत दे दी है। इनमें अंकित दास समेत अन्य प्रमुख अभियुक्त शामिल हैं, जो इस मामले में जेल में थे। घटना में आठ लोगों की जान गई थी, जिसके बाद इन सभी को जेल भेजा गया था। सभी आरोपी पहले से ही अंतरिम जमानत पर थे, लेकिन अब कोर्ट ने इन्हें नियमित जमानत भी सशर्त मंजूर की है। अदालत ने स्पष्ट किया कि ट्रायल में सहयोग न करने की स्थिति में जमानत रद्द की जा सकती है। तिकुनिया कांड क्या है? यह घटना 3 अक्टूबर 2021 की है, जब लखीमपुर खीरी के तिकुनिया में किसान आंदोलन के दौरान तत्कालीन गृह राज्य मंत्री अजय मिश्रा टेनी के बेटे आशीष मिश्रा उर्फ मोनू पर आरोप लगा कि उन्होंने प्रदर्शन कर रहे चार किसानों और एक पत्रकार पर थार गाड़ी चढ़ा दी, जिससे उनकी मौत हो गई। इसके बाद गुस्साए प्रदर्शनकारियों ने आशीष मिश्रा के ड्राइवर और दो अन्य लोगों को मार दिया। पुलिस ने जांच के दौरान कई अन्य लोगों के नाम उजागर किए, जिनमें अंकित दास, नंदन सिंह बिष्ट, लतीफ़ उर्फ काले, सत्यम त्रिपाठी, शेखर भारती, धर्मेंद्र सिंह बंजारा, आशीष पांडेय, रिंकू राणा, उल्लास कुमार त्रिवेदी, लवकुश, सुमित जायसवाल और शिशुपाल शामिल हैं। विवेचना के बाद इन सभी को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया गया था। जमानत कैसे हुई मंजूर न्यायमूर्ति कृष्ण पहल की एकल पीठ ने सभी अभियुक्तों की जमानत याचिकाओं पर एक साथ सुनवाई की और नियमित जमानत को मंजूर कर लिया। कोर्ट ने कहा कि सभी आरोपियों को ट्रायल में सहयोग करना होगा, अन्यथा उनकी जमानत निरस्त की जा सकती है। अभियुक्तों के अधिवक्ता ने कोर्ट को बताया कि इस मामले में कुल 114 गवाह हैं, जिनमें से अभी तक सिर्फ सात गवाहों के बयान ही दर्ज किए गए हैं। मुख्य आरोपी को पहले ही मिल चुकी है जमानत तिकुनिया कांड के मुख्य आरोपी आशीष मिश्रा उर्फ मोनू को सुप्रीम कोर्ट ने जुलाई 2024 में नियमित जमानत दे दी थी। इस पर हाई कोर्ट ने भी ध्यान देते हुए अन्य आरोपियों की नियमित जमानत याचिकाएं स्वीकार कर लीं। अंतरिम जमानत पर रिहा रहने के दौरान इन अभियुक्तों के खिलाफ कोई शिकायत भी सामने नहीं आई है, जिससे कोर्ट ने उनकी जमानत की मंजूरी दी। सरकार और वादी पक्ष का विरोध राज्य सरकार और वादी के अधिवक्ता ने जमानत का विरोध किया था। उनका कहना था कि इन आरोपियों की रिहाई से ट्रायल पर असर पड़ सकता है। हालांकि, कोर्ट ने दोनों पक्षों की दलीलों को सुनने के बाद यह आदेश दिया कि ट्रायल में सहयोग करने की शर्त पर अभियुक्तों को नियमित जमानत दी जा रही है। जेल में नहीं रखा जा सकता अदालत का कहना है कि केस का ट्रायल अभी लंबा चल सकता है। मुख्य आरोपी को पहले ही सुप्रीम कोर्ट से जमानत मिल चुकी है, और अंतरिम जमानत के दौरान अन्य आरोपियों ने शर्तों का पालन किया है। अब कोर्ट के आदेश के बाद ये सभी 11 आरोपी जेल नहीं जाएंगे, जज ने कहा बशर्ते वे ट्रायल में सहयोग करें और अदालत की शर्तों का पालन करते रहें। लखीमपुर खीरी तिकुनिया में अक्टूबर 2021 में हुए चर्चित मामले में शामिल 11 आरोपियों को लगभग तीन साल बाद इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ बेंच ने नियमित जमानत दे दी है। इनमें अंकित दास समेत अन्य प्रमुख अभियुक्त शामिल हैं, जो इस मामले में जेल में थे। घटना में आठ लोगों की जान गई थी, जिसके बाद इन सभी को जेल भेजा गया था। सभी आरोपी पहले से ही अंतरिम जमानत पर थे, लेकिन अब कोर्ट ने इन्हें नियमित जमानत भी सशर्त मंजूर की है। अदालत ने स्पष्ट किया कि ट्रायल में सहयोग न करने की स्थिति में जमानत रद्द की जा सकती है। तिकुनिया कांड क्या है? यह घटना 3 अक्टूबर 2021 की है, जब लखीमपुर खीरी के तिकुनिया में किसान आंदोलन के दौरान तत्कालीन गृह राज्य मंत्री अजय मिश्रा टेनी के बेटे आशीष मिश्रा उर्फ मोनू पर आरोप लगा कि उन्होंने प्रदर्शन कर रहे चार किसानों और एक पत्रकार पर थार गाड़ी चढ़ा दी, जिससे उनकी मौत हो गई। इसके बाद गुस्साए प्रदर्शनकारियों ने आशीष मिश्रा के ड्राइवर और दो अन्य लोगों को मार दिया। पुलिस ने जांच के दौरान कई अन्य लोगों के नाम उजागर किए, जिनमें अंकित दास, नंदन सिंह बिष्ट, लतीफ़ उर्फ काले, सत्यम त्रिपाठी, शेखर भारती, धर्मेंद्र सिंह बंजारा, आशीष पांडेय, रिंकू राणा, उल्लास कुमार त्रिवेदी, लवकुश, सुमित जायसवाल और शिशुपाल शामिल हैं। विवेचना के बाद इन सभी को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया गया था। जमानत कैसे हुई मंजूर न्यायमूर्ति कृष्ण पहल की एकल पीठ ने सभी अभियुक्तों की जमानत याचिकाओं पर एक साथ सुनवाई की और नियमित जमानत को मंजूर कर लिया। कोर्ट ने कहा कि सभी आरोपियों को ट्रायल में सहयोग करना होगा, अन्यथा उनकी जमानत निरस्त की जा सकती है। अभियुक्तों के अधिवक्ता ने कोर्ट को बताया कि इस मामले में कुल 114 गवाह हैं, जिनमें से अभी तक सिर्फ सात गवाहों के बयान ही दर्ज किए गए हैं। मुख्य आरोपी को पहले ही मिल चुकी है जमानत तिकुनिया कांड के मुख्य आरोपी आशीष मिश्रा उर्फ मोनू को सुप्रीम कोर्ट ने जुलाई 2024 में नियमित जमानत दे दी थी। इस पर हाई कोर्ट ने भी ध्यान देते हुए अन्य आरोपियों की नियमित जमानत याचिकाएं स्वीकार कर लीं। अंतरिम जमानत पर रिहा रहने के दौरान इन अभियुक्तों के खिलाफ कोई शिकायत भी सामने नहीं आई है, जिससे कोर्ट ने उनकी जमानत की मंजूरी दी। सरकार और वादी पक्ष का विरोध राज्य सरकार और वादी के अधिवक्ता ने जमानत का विरोध किया था। उनका कहना था कि इन आरोपियों की रिहाई से ट्रायल पर असर पड़ सकता है। हालांकि, कोर्ट ने दोनों पक्षों की दलीलों को सुनने के बाद यह आदेश दिया कि ट्रायल में सहयोग करने की शर्त पर अभियुक्तों को नियमित जमानत दी जा रही है। जेल में नहीं रखा जा सकता अदालत का कहना है कि केस का ट्रायल अभी लंबा चल सकता है। मुख्य आरोपी को पहले ही सुप्रीम कोर्ट से जमानत मिल चुकी है, और अंतरिम जमानत के दौरान अन्य आरोपियों ने शर्तों का पालन किया है। अब कोर्ट के आदेश के बाद ये सभी 11 आरोपी जेल नहीं जाएंगे, जज ने कहा बशर्ते वे ट्रायल में सहयोग करें और अदालत की शर्तों का पालन करते रहें। उत्तरप्रदेश | दैनिक भास्कर
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हरियाणा BJP सरकार का दुष्यंत चौटाला को झटका:चंडीगढ़ में JJP का प्रदेश मुख्यालय खाली कराया; 15 दिन का नोटिस थमाया था
हरियाणा BJP सरकार का दुष्यंत चौटाला को झटका:चंडीगढ़ में JJP का प्रदेश मुख्यालय खाली कराया; 15 दिन का नोटिस थमाया था हरियाणा के पूर्व डिप्टी CM दुष्यंत चौटाला को CM नायब सैनी की अगुआई वाली BJP सरकार ने बड़ा झटका दिया है। सरकार ने उनके चंडीगढ़ स्थित जननायक जनता पार्टी (JJP) मुख्यालय को खाली करा दिया है। JJP को मुख्यालय खाली करने के लिए 15 दिन का नोटिस दिया गया था। JJP का यह मुख्यालय पिछले 5 वर्षों से चंडीगढ़ के सेक्टर 3 स्थित MLA फ्लैट में चल रहा था। तब यह फ्लैट पूर्व डिप्टी CM दुष्यंत चौटाला की विधायक मां नैना चौटाला के नाम पर अलॉट था। हालांकि इस बार दुष्यंत और नैना चौटाला समेत JJP का कोई उम्मीदवार चुनाव नहीं जीत पाया। JJP से जुड़े सूत्रों का कहना है कि पार्टी का मुख्यालय अब पंचकूला में खुलेगा। यह भी चर्चा है कि पूर्व डिप्टी सीएम के पंचकूला के सेक्टर 21 स्थित निजी आवास में यह ऑफिस खोला जाएगा। 3 महीने की मोहलत मांगी थी
प्रदेश में भाजपा की नई सरकार बनने के बाद हारे नेताओं से फ्लैट खाली कराए जा रहे हैं, ताकि वह नए चुनकर आए विधायकों को दिए जा सकें। इसके लिए इस बार 2024 का चुनाव हारे सभी पूर्व विधायकों को 15 दिन का टाइम दिया गया था। हालांकि जब JJP के पास सरकार का फरमान पहुंचा तो उन्होंने 3 महीने की मोहलत मांगी थी। हालांकि सरकार ने 15 दिन से ज्यादा टाइम देने से इनकार कर दिया। जिस वजह से जजपा को ऑफिस खाली करना पड़ गया। 2019 में 10 MLA बने, इस बार एक भी नहीं
JJP ने 2019 में 10 सीटों से चुनाव जीता था। दुष्यंत चौटाला के साथ उनकी मां नैना चौटाला भी विधायक बनीं। इसके बाद भाजपा को समर्थन देकर वह सरकार में शामिल हो गए। दुष्यंत चौटाला को डिप्टी सीएम का पद मिला। हालांकि लोकसभा चुनाव से पहले सीट शेयरिंग पर सहमति न होने की बात कह JJP ने समर्थन वापस ले लिया। इसके बाद जजपा अकेले चुनाव लड़ी, लेकिन एक भी सीट नहीं जीत पाई। दुष्यंत और उनके भाई दिग्विजय चौटाला को भी हार का सामना करना पड़ा। इसी फ्लैट में पहले इनेलो का ऑफिस चलता रहा
जिस फ्लैट में 5 साल पहले जजपा ने पार्टी का मुख्यालय बनाया, यहां पहले इनेलो का ऑफिस चलता था। हालांकि दुष्यंत चौटाला इनेलो से अलग हुए और नई पार्टी बनाई तो इसमें JJP का ऑफिस खोल लिया। जब तक दुष्यंत डिप्टी सीएम रहे तो पार्टी की सारी गतिविधि यहीं से चलती थी। हालांकि जब लोकसभा चुनाव से पहले भाजपा से गठबंधन टूटा तो यहां सन्नाटा पसर गया था। चर्चा यह भी थी कि पूर्व में किए समर्थन की वजह से जजपा एक भाजपा MLA के जरिए दफ्तर बरकरार रख पाएगी, लेकिन यह स्कीम भी सिरे नहीं चढ़ी। प्रदेश मीडिया प्रभारी बोले- इसी महीने आवास खाली कर देंगे
जजपा के प्रदेश मीडिया प्रभारी दीप कमल ने बताया कि हमारे पास अभी समय है, हमारा कुछ सामान अभी रखा हुआ है। इसी महीने हम आवास खाली कर देंगे। उन्होंने बताया कि पार्टी की प्रांतीय गतिविधियां पंचकूला और जिलों के पार्टी ऑफिस से संचालित होंगी।