<p style=”text-align: justify;”><strong>Lalbaugcha Raja Donation:</strong> मुंबई में गणपति उत्सव की धूम जारी है. बड़ी संख्या में लोग अपने अराध्य बप्पा के दर्शन के लिए पहुंच रहे हैं. लालबाग के राजा को उनके भक्त खुलकर दान कर रहे हैं. भक्त कैश के साथ सोने और चांदी का चढ़ावा चढ़ा रहे हैं. गणपति उत्सव के 8वें दिन (15 सितंबर) को लालबाग के राजा दरबार में दान और चढ़ावे की गिनती पूरी कर ली गई है. इस दौरान कुल 73 लाख 10 हजार रुपये की नगद राशि प्राप्त हुई है.</p>
<p style=”text-align: justify;”>इसके अलावा गणपति बप्पा के भक्तों ने भारी मात्रा में सोना और चांदी भी चढ़ाया है. 8वें दिन 199.310 ग्राम सोना और 10.551 ग्राम चांदी दान के तौर पर भेंट की गई है. अभी गणपति विसर्जन में दो दिन बाकी है. अब तक चढ़ावे के तौर पर कुल नगद 4 करोड़ 15 लाख 20 हजार रुपये प्राप्त हुई है.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>लालबागचा राजा के दरबार में खुलकर दान कर रहे भक्त</strong></p>
<p style=”text-align: justify;”>गणपति उत्सव के पहले दिन ही मुंबई में स्थित लालबागचा राजा को करीब 48 लाख तीस हजार रुपए का दान मिला था. साथ ही 255.80 ग्राम सोना और 5,024 ग्राम चांदी का भी दान मिला था. दूसरे दिन की जब चढ़ावे की गिनती की गई तो भक्तों ने 67 लाख 10 हजार रुपये नकद दान किया था. वहीं इस दौरान 342.770 ग्राम सोना और चांदी का चढ़ावा भी चढ़ाया गया.</p>
<p style=”text-align: justify;”>वहीं, उत्सव के तीसरे दिन की गिनती के मुताबिक लालबाग के राजा को इस अवधि में कुल 57 लाख 70 हजार रुपये की नगद राशि मिली थी. इसके अलावा गणपति बप्पा के भक्तों ने 159.700 ग्राम सोना और 7,152 ग्राम चांदी का भी चढ़ावा चढ़ाया.</p>
<p style=”text-align: justify;”>गणेश उत्सव 2024 का 10 दिवसीय आयोजन भाद्रपद मास के चौथे दिन से यानी 7 सितंबर को शुरु हुआ था. यह उत्सव मुंबई के साथ ही पूरे महाराष्ट्र में बेहद ही उत्साह और उमंग के साथ मनाया जाता है. लालाबागचा राजा सार्वजनिक गणेश उत्सव मंडल की स्थापना 1934 में हुई थी और तब से यहां गणपति पूजन की ये परंपरा चली आ रही है.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>ये भी पढ़ें:</strong></p>
<p style=”text-align: justify;”><strong><a title=”‘फेक खबर की चला रहे फैक्ट्री’, पुलिस के वैन में गणेश प्रतिमा रखने के दावे को महाराष्ट्र कांग्रेस ने बताया झूठ” href=”https://www.abplive.com/states/maharashtra/ganpati-idol-in-police-van-congress-accuses-eknath-shinde-and-devendra-fadnavis-of-spreading-fake-story-2783838″ target=”_self”>’फेक खबर की चला रहे फैक्ट्री’, पुलिस के वैन में गणेश प्रतिमा रखने के दावे को महाराष्ट्र कांग्रेस ने बताया झूठ</a></strong></p> <p style=”text-align: justify;”><strong>Lalbaugcha Raja Donation:</strong> मुंबई में गणपति उत्सव की धूम जारी है. बड़ी संख्या में लोग अपने अराध्य बप्पा के दर्शन के लिए पहुंच रहे हैं. लालबाग के राजा को उनके भक्त खुलकर दान कर रहे हैं. भक्त कैश के साथ सोने और चांदी का चढ़ावा चढ़ा रहे हैं. गणपति उत्सव के 8वें दिन (15 सितंबर) को लालबाग के राजा दरबार में दान और चढ़ावे की गिनती पूरी कर ली गई है. इस दौरान कुल 73 लाख 10 हजार रुपये की नगद राशि प्राप्त हुई है.</p>
<p style=”text-align: justify;”>इसके अलावा गणपति बप्पा के भक्तों ने भारी मात्रा में सोना और चांदी भी चढ़ाया है. 8वें दिन 199.310 ग्राम सोना और 10.551 ग्राम चांदी दान के तौर पर भेंट की गई है. अभी गणपति विसर्जन में दो दिन बाकी है. अब तक चढ़ावे के तौर पर कुल नगद 4 करोड़ 15 लाख 20 हजार रुपये प्राप्त हुई है.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>लालबागचा राजा के दरबार में खुलकर दान कर रहे भक्त</strong></p>
<p style=”text-align: justify;”>गणपति उत्सव के पहले दिन ही मुंबई में स्थित लालबागचा राजा को करीब 48 लाख तीस हजार रुपए का दान मिला था. साथ ही 255.80 ग्राम सोना और 5,024 ग्राम चांदी का भी दान मिला था. दूसरे दिन की जब चढ़ावे की गिनती की गई तो भक्तों ने 67 लाख 10 हजार रुपये नकद दान किया था. वहीं इस दौरान 342.770 ग्राम सोना और चांदी का चढ़ावा भी चढ़ाया गया.</p>
<p style=”text-align: justify;”>वहीं, उत्सव के तीसरे दिन की गिनती के मुताबिक लालबाग के राजा को इस अवधि में कुल 57 लाख 70 हजार रुपये की नगद राशि मिली थी. इसके अलावा गणपति बप्पा के भक्तों ने 159.700 ग्राम सोना और 7,152 ग्राम चांदी का भी चढ़ावा चढ़ाया.</p>
<p style=”text-align: justify;”>गणेश उत्सव 2024 का 10 दिवसीय आयोजन भाद्रपद मास के चौथे दिन से यानी 7 सितंबर को शुरु हुआ था. यह उत्सव मुंबई के साथ ही पूरे महाराष्ट्र में बेहद ही उत्साह और उमंग के साथ मनाया जाता है. लालाबागचा राजा सार्वजनिक गणेश उत्सव मंडल की स्थापना 1934 में हुई थी और तब से यहां गणपति पूजन की ये परंपरा चली आ रही है.</p>
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