रजिस्ट्री करवाने के लिए 6 साल पहले 2018 में ऑनलाइन सिस्टम शुरू हुआ था। तभी से इस तरह की गड़बड़ियां चली आ रही हैं। 3 साल के दौरान अलग-अलग तरह के 3 डीड की 2 तहसीलों में लाल लकीर-पुरानी आबादी व फ्लोरवाइज रजिस्ट्री के तकरीबन 1856 दस्तावेज रजिस्टर्ड हुए। जिसके लिए लोग 11.68 रुपए सरकार को रेवेन्यू के तौर पर दे चुके हैं, जबकि यह रकम देना नहीं बनता है। लोगों से गलत तरह से वसूले जा रहे इंतकाल फीस के बारे एडवोकेट-वसीका नवीस रेवेन्यू अफसरों की नोटिस में ला चुके हैं फिर भी आज तक सिस्टम में सुधार कराना जरूरी नहीं समझा गया। इसे रोकने के लिए सरकार को ऑनलाइन सिस्टम में सुधार करवाना होगा। दरअसल, जब लोग अप्वाइंटमेंट उठाते हैं, तो उसी दौरान सारी फीस ऐड हो जाती है। जिसके बाद रजिस्ट्री दफ्तरों में लोगों को मजबूरन रकम अदा करनी पड़ रही है। ासरकार को चाहिए कि रजिस्ट्रियों के नाम पर किसी भी जगह गलत तरीके से इंतकाल की जो रकम लोगों से वसूली जा रही उस पर रोक लगाए। ऑनलाइन सिस्टम में सुधार कराना जरूरी है। रेवेन्यू अफसरों की नोटिस में सबकुछ है, मगर फिर भी ठीक नहीं करवा रहे। -राकेश शर्मा, एडवोकेट ^यह बिल्कुल गलत है कि जिन चीजों की फीस नहीं बनती वह वसूली जा रही है। सिस्टम में इतना बड़ा झोल बरसों से चला आ रहा, जिसमें सुधार नहीं कराया जा सका। -अंकुर गुप्ता, एडवोकेट ^ एडवोकेट और प्रॉपर्टी डीलर एसोसिएशन ने इस बारे एप्लीकेशन दी है। जिसकी जांच की जा रही। साथ ही इसे सरकार को भी भेज दिया गया है। -साक्षी साहनी, डीसी शुभेंदु शुक्ला | अमृतसर रेवेन्यू विभाग की ओर से लाल लकीर-पुरानी आबादी और फ्लोरवाइज रजिस्ट्री के केसों में इंतकाल फीस लेने का प्रावधान नहीं फिर भी लोगों को ऑनलाइन 600 रुपए देने पड़ रहे हैं। 2 ऐसी डीड (रजिस्ट्री) हैं, जिनमें गड़बड़ियों के कारण लोगों से गलत फीस व स्टांप ड्यूटी वसूली जा रही है। गिफ्ट डीड में एक्ट के मुताबिक एक प्रतिशत रजिस्ट्रेशन- पीआईडीबी फीस है, जबकि वसूली 2.25% जा रही है, जो 1.25% अधिक है। वहीं रेंट डीड (किरायानामा) में स्टांप शुल्क 1 से 5 साल का 8% तो 5 से 10 साल का 3% देना होता है। जबकि 1 से 5 साल का स्टांप फीस कम होनी चाहिए। इन खामियों के कारण लोगों को बेवजह जेबें ढीली करनी पड़ रही। लेकिन रेवेन्यू विभाग इसमें सुधार कराना जरूरी नहीं समझ रहा। रजिस्ट्री करवाने के लिए 6 साल पहले 2018 में ऑनलाइन सिस्टम शुरू हुआ था। तभी से इस तरह की गड़बड़ियां चली आ रही हैं। 3 साल के दौरान अलग-अलग तरह के 3 डीड की 2 तहसीलों में लाल लकीर-पुरानी आबादी व फ्लोरवाइज रजिस्ट्री के तकरीबन 1856 दस्तावेज रजिस्टर्ड हुए। जिसके लिए लोग 11.68 रुपए सरकार को रेवेन्यू के तौर पर दे चुके हैं, जबकि यह रकम देना नहीं बनता है। लोगों से गलत तरह से वसूले जा रहे इंतकाल फीस के बारे एडवोकेट-वसीका नवीस रेवेन्यू अफसरों की नोटिस में ला चुके हैं फिर भी आज तक सिस्टम में सुधार कराना जरूरी नहीं समझा गया। इसे रोकने के लिए सरकार को ऑनलाइन सिस्टम में सुधार करवाना होगा। दरअसल, जब लोग अप्वाइंटमेंट उठाते हैं, तो उसी दौरान सारी फीस ऐड हो जाती है। जिसके बाद रजिस्ट्री दफ्तरों में लोगों को मजबूरन रकम अदा करनी पड़ रही है। ासरकार को चाहिए कि रजिस्ट्रियों के नाम पर किसी भी जगह गलत तरीके से इंतकाल की जो रकम लोगों से वसूली जा रही उस पर रोक लगाए। ऑनलाइन सिस्टम में सुधार कराना जरूरी है। रेवेन्यू अफसरों की नोटिस में सबकुछ है, मगर फिर भी ठीक नहीं करवा रहे। -राकेश शर्मा, एडवोकेट ^यह बिल्कुल गलत है कि जिन चीजों की फीस नहीं बनती वह वसूली जा रही है। सिस्टम में इतना बड़ा झोल बरसों से चला आ रहा, जिसमें सुधार नहीं कराया जा सका। -अंकुर गुप्ता, एडवोकेट ^ एडवोकेट और प्रॉपर्टी डीलर एसोसिएशन ने इस बारे एप्लीकेशन दी है। जिसकी जांच की जा रही। साथ ही इसे सरकार को भी भेज दिया गया है। -साक्षी साहनी, डीसी शुभेंदु शुक्ला | अमृतसर रेवेन्यू विभाग की ओर से लाल लकीर-पुरानी आबादी और फ्लोरवाइज रजिस्ट्री के केसों में इंतकाल फीस लेने का प्रावधान नहीं फिर भी लोगों को ऑनलाइन 600 रुपए देने पड़ रहे हैं। 2 ऐसी डीड (रजिस्ट्री) हैं, जिनमें गड़बड़ियों के कारण लोगों से गलत फीस व स्टांप ड्यूटी वसूली जा रही है। गिफ्ट डीड में एक्ट के मुताबिक एक प्रतिशत रजिस्ट्रेशन- पीआईडीबी फीस है, जबकि वसूली 2.25% जा रही है, जो 1.25% अधिक है। वहीं रेंट डीड (किरायानामा) में स्टांप शुल्क 1 से 5 साल का 8% तो 5 से 10 साल का 3% देना होता है। जबकि 1 से 5 साल का स्टांप फीस कम होनी चाहिए। इन खामियों के कारण लोगों को बेवजह जेबें ढीली करनी पड़ रही। लेकिन रेवेन्यू विभाग इसमें सुधार कराना जरूरी नहीं समझ रहा। पंजाब | दैनिक भास्कर
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