लाहौल स्पीति जिला के जाहलमा नाला और चंद्रभागा नदी के तटीकरण के लिए 6 पंचायतों के लोगों का अनशन आज 7वें दिन में प्रवेश कर गया है। लाहौल स्पीति की विधायक अनुराधा राणा अनशन पर बैठे लोगों को मनाने का प्रयास कर रही हैं मगर अभी तक सफल नहीं हो पाई है। उनका कहना है कि मुख्यमंत्री सुखविंद्र सिंह ने तटीकरण के लिए 2 करोड़ की राशि जारी कर दी है, उसके बावजूद धरना जारी रखना वाजिब नहीं है। भूस्खलन से प्रभावित हुए कई इलाके लाहौल स्पीति में चंद्रभागा नदी के तटीकरण की मांग काफी पहले से ही उठती रही है। पिछले 4 सालों में लिंडूर गांव के नीचे भूस्खलन के कारण चंद्रभागा तट के साथ भारी भूस्खलन हुआ है, जिस कारण जोबरंग, जाहलमा, हालिंग, फूड़ा, जसरथ, जुंडा और ताडंग की जमीनों का भारी नुकसान हुआ है। लिहाजा उक्त पंचायतों के लोग महिला मंडलों सहित सुदर्शन जस्पा की अगुआई में पिछले 6 दिनों से सांकेतिक धरने पर बैठे हैं, जिसका रविवार को 7वां दिन है। आंदोलनकारी बोले- इतनी राशि पर्याप्त नहीं शनिवार को जाहलमा में सांकेतिक धरने के बीच विधायक अनुराधा राणा ने दूसरी बार अनशनकारियों से मिलकर सरकार की ओर से किए जा रहे प्रयासों से उन्हें अवगत करवाया। उन्होंने ने कहा कि मुख्यमंत्री सुखविंद्र सिंह सुक्खू ने जाहलमा नाला और चन्द्रभागा नदी के तटीकरण के लिए दो करोड़ रुपए की राशि जारी कर दी है। उन्होंने आंदोलनकारियों से अपील की कि आंदोलन छोड़ कर सरकार की ओर से किए जा रहे प्रयासों में साथ दें। मगर आंदोलन से जुड़े लोगों का कहना है कि यह राशि पर्याप्त नहीं है। लोगों से अनशन खत्म करने की अपील
दो करोड़ की रुपए की राशि जारी होने के बाद प्रभावित पंचायतों जाहलमा, गौहरमा, नालडा, जोबरंग व जुंडा के प्रतिनिधियों ने भी वीडियो जारी कर अपने क्षेत्र के लोगों से अनशन खत्म करने की अपील की है। वहीं आंदोलन के अगुआ सुदर्शन जस्पा का कहना है कि पंचायत के प्रतिनिधि आंदोलन का हिस्सा ही नहीं बने। जब वे आंदोलन में साथ ही नहीं हैं, तो 2 करोड़ मिलने के बाद उनका आंदोलन समाप्त करने का आह्वान तर्कसंगत ही नहीं है। अनुराधा राणा ने कहा कि राज्य सरकार के माध्यम से केंद्र सरकार को लगभग 25 करोड़ की DPR भेजी गई है। इसके लिए जल्द वह एक प्रतिनिधि मण्डल के साथ दिल्ली भी जाने की तैयारी में हैं। उधर सांकेतिक अनशन के संयोजक सुदर्शन जस्पा ने कहा कि जब तक सरकार राहत कार्य के लिए पर्याप्त बजट का प्रावधान नहीं कर लेती है यह आंदोलन जारी रहेगा। उन्होंने कहा डीपीआर 40 लाख के करीब की है, उसके अलावा अन्य स्थानों की अलग डीपीआर तैयार की गई है। उन्होंने कहा कि यह आंदोलन किसी तरह की राजनीति से प्रेरित नहीं है बल्कि प्रभावित लोगों के हकों की लड़ाई है। उन्हें उम्मीद है कि राज्य और केंद्र सरकार प्रभावित क्षेत्र के लिए पर्याप्त बजट जल्द जारी करेगी । आंदोलन खत्म होने पर आमरण अनशन पर बैठेंगे जस्पा सुदर्शन जस्पा ने आरोप लगाया कि आंदोलन को राजनीतिक रंग देने के प्रयास किए जा रहे हैं। आंदोलन में जुड़ी महिलाओं के बारे में झूठ फैलाया जा रहा है कि उन्हें बहला फुसला कर आंदोलन में लाया गया है। उन्होंने यह भी पूछा कि क्या जिला में सिर्फ एक महिला के अलावा बाकी सभी महिलाएं मूर्ख हैं, जिन्हें बहला कर अनशन के लिए लाया जा सकता है? उन्होंने कहा अनशन के दौरान सभी राजनीतिक दलों ने लाहौल की समस्या को समझते हुए आंदोलन का समर्थन किया है। आंदोलन तब तक जारी रहेगा जब तक मांगे पूरी नहीं होती। अगर आंदोलन बीच में बिना मांगे पूरी किए खत्म किया गया तो वे अकेले आमरण अनशन पर बैठ जाएंगे। लाहौल स्पीति जिला के जाहलमा नाला और चंद्रभागा नदी के तटीकरण के लिए 6 पंचायतों के लोगों का अनशन आज 7वें दिन में प्रवेश कर गया है। लाहौल स्पीति की विधायक अनुराधा राणा अनशन पर बैठे लोगों को मनाने का प्रयास कर रही हैं मगर अभी तक सफल नहीं हो पाई है। उनका कहना है कि मुख्यमंत्री सुखविंद्र सिंह ने तटीकरण के लिए 2 करोड़ की राशि जारी कर दी है, उसके बावजूद धरना जारी रखना वाजिब नहीं है। भूस्खलन से प्रभावित हुए कई इलाके लाहौल स्पीति में चंद्रभागा नदी के तटीकरण की मांग काफी पहले से ही उठती रही है। पिछले 4 सालों में लिंडूर गांव के नीचे भूस्खलन के कारण चंद्रभागा तट के साथ भारी भूस्खलन हुआ है, जिस कारण जोबरंग, जाहलमा, हालिंग, फूड़ा, जसरथ, जुंडा और ताडंग की जमीनों का भारी नुकसान हुआ है। लिहाजा उक्त पंचायतों के लोग महिला मंडलों सहित सुदर्शन जस्पा की अगुआई में पिछले 6 दिनों से सांकेतिक धरने पर बैठे हैं, जिसका रविवार को 7वां दिन है। आंदोलनकारी बोले- इतनी राशि पर्याप्त नहीं शनिवार को जाहलमा में सांकेतिक धरने के बीच विधायक अनुराधा राणा ने दूसरी बार अनशनकारियों से मिलकर सरकार की ओर से किए जा रहे प्रयासों से उन्हें अवगत करवाया। उन्होंने ने कहा कि मुख्यमंत्री सुखविंद्र सिंह सुक्खू ने जाहलमा नाला और चन्द्रभागा नदी के तटीकरण के लिए दो करोड़ रुपए की राशि जारी कर दी है। उन्होंने आंदोलनकारियों से अपील की कि आंदोलन छोड़ कर सरकार की ओर से किए जा रहे प्रयासों में साथ दें। मगर आंदोलन से जुड़े लोगों का कहना है कि यह राशि पर्याप्त नहीं है। लोगों से अनशन खत्म करने की अपील
दो करोड़ की रुपए की राशि जारी होने के बाद प्रभावित पंचायतों जाहलमा, गौहरमा, नालडा, जोबरंग व जुंडा के प्रतिनिधियों ने भी वीडियो जारी कर अपने क्षेत्र के लोगों से अनशन खत्म करने की अपील की है। वहीं आंदोलन के अगुआ सुदर्शन जस्पा का कहना है कि पंचायत के प्रतिनिधि आंदोलन का हिस्सा ही नहीं बने। जब वे आंदोलन में साथ ही नहीं हैं, तो 2 करोड़ मिलने के बाद उनका आंदोलन समाप्त करने का आह्वान तर्कसंगत ही नहीं है। अनुराधा राणा ने कहा कि राज्य सरकार के माध्यम से केंद्र सरकार को लगभग 25 करोड़ की DPR भेजी गई है। इसके लिए जल्द वह एक प्रतिनिधि मण्डल के साथ दिल्ली भी जाने की तैयारी में हैं। उधर सांकेतिक अनशन के संयोजक सुदर्शन जस्पा ने कहा कि जब तक सरकार राहत कार्य के लिए पर्याप्त बजट का प्रावधान नहीं कर लेती है यह आंदोलन जारी रहेगा। उन्होंने कहा डीपीआर 40 लाख के करीब की है, उसके अलावा अन्य स्थानों की अलग डीपीआर तैयार की गई है। उन्होंने कहा कि यह आंदोलन किसी तरह की राजनीति से प्रेरित नहीं है बल्कि प्रभावित लोगों के हकों की लड़ाई है। उन्हें उम्मीद है कि राज्य और केंद्र सरकार प्रभावित क्षेत्र के लिए पर्याप्त बजट जल्द जारी करेगी । आंदोलन खत्म होने पर आमरण अनशन पर बैठेंगे जस्पा सुदर्शन जस्पा ने आरोप लगाया कि आंदोलन को राजनीतिक रंग देने के प्रयास किए जा रहे हैं। आंदोलन में जुड़ी महिलाओं के बारे में झूठ फैलाया जा रहा है कि उन्हें बहला फुसला कर आंदोलन में लाया गया है। उन्होंने यह भी पूछा कि क्या जिला में सिर्फ एक महिला के अलावा बाकी सभी महिलाएं मूर्ख हैं, जिन्हें बहला कर अनशन के लिए लाया जा सकता है? उन्होंने कहा अनशन के दौरान सभी राजनीतिक दलों ने लाहौल की समस्या को समझते हुए आंदोलन का समर्थन किया है। आंदोलन तब तक जारी रहेगा जब तक मांगे पूरी नहीं होती। अगर आंदोलन बीच में बिना मांगे पूरी किए खत्म किया गया तो वे अकेले आमरण अनशन पर बैठ जाएंगे। हिमाचल | दैनिक भास्कर