पंजाब के लुधियाना में एक दिन पहले लुटेरों ने एक फैक्ट्री को निशाना बनाया। बदमाशों ने सिक्योरिटी गार्ड और कर्मचारियों को बंधक बनाकर एक कमरे में बंद कर दिया। अगली सुबह इलाके के लोगों ने फैक्ट्री मैनेजर को सूचना दी। जिसके बाद पुलिस ने बंधक कर्मचारियों और सिक्योरिटी गार्ड को मुक्त कराया। पुलिस को घटना की सीसीटीवी फुटेज भी मिल गई है। 10 जून की रात को हुई थी लूट पुलिस को जानकारी देते हुए मैनेजर निखिल त्यागी ने बताया कि 10 जून की रात को वह फैक्ट्री से घर गए थे। 4 से 5 नकाबपोश अज्ञात बदमाश फैक्ट्री में घुस आए। उन्होंने सिक्योरिटी गार्ड और कर्मचारियों को बंधक बना लिया। लुटेरों ने उनके साथ बुरी तरह मारपीट भी की। उन्होंने उनसे पूछा कि पीतल के वाल्व कहां पड़े हैं। इस पर कर्मचारियों ने बताने से मना कर दिया तो चोरों ने कर्मचारियों को थप्पड़ मारे। लुटेरों ने उनके सिक्योरिटी गार्ड समेत 3 से 4 कर्मचारियों को एक कमरे में बंद कर दिया। फैक्ट्री में पड़ा सारा सामान सोफा, 5 कुर्सियां, सीपीयू, यूपीए और एससी वाल्व (पीतल) नंबर 1301-24 समेत लूट लिया। इलाके के लोगों ने दी सूचना निखिल ने बताया कि सुबह करीब 5 बजे फैक्ट्री के बाहर लोग घूम रहे थे। उनके कर्मचारियों ने शोर मचाकर लोगों को इकट्ठा किया। लोगों की मदद से उन्हें फैक्ट्री में डकैती की जानकारी मिली। उन्होंने तुरंत पुलिस चौकी मुंडियां को सूचना दी। पुलिस ने बंधक बनाए गए कर्मचारियों के हाथ-पैर खोले। फिलहाल जमालपुरी थाने की पुलिस ने इस मामले में आईपीसी 458,380,342 और 34 के तहत केस दर्ज कर लिया है। पंजाब के लुधियाना में एक दिन पहले लुटेरों ने एक फैक्ट्री को निशाना बनाया। बदमाशों ने सिक्योरिटी गार्ड और कर्मचारियों को बंधक बनाकर एक कमरे में बंद कर दिया। अगली सुबह इलाके के लोगों ने फैक्ट्री मैनेजर को सूचना दी। जिसके बाद पुलिस ने बंधक कर्मचारियों और सिक्योरिटी गार्ड को मुक्त कराया। पुलिस को घटना की सीसीटीवी फुटेज भी मिल गई है। 10 जून की रात को हुई थी लूट पुलिस को जानकारी देते हुए मैनेजर निखिल त्यागी ने बताया कि 10 जून की रात को वह फैक्ट्री से घर गए थे। 4 से 5 नकाबपोश अज्ञात बदमाश फैक्ट्री में घुस आए। उन्होंने सिक्योरिटी गार्ड और कर्मचारियों को बंधक बना लिया। लुटेरों ने उनके साथ बुरी तरह मारपीट भी की। उन्होंने उनसे पूछा कि पीतल के वाल्व कहां पड़े हैं। इस पर कर्मचारियों ने बताने से मना कर दिया तो चोरों ने कर्मचारियों को थप्पड़ मारे। लुटेरों ने उनके सिक्योरिटी गार्ड समेत 3 से 4 कर्मचारियों को एक कमरे में बंद कर दिया। फैक्ट्री में पड़ा सारा सामान सोफा, 5 कुर्सियां, सीपीयू, यूपीए और एससी वाल्व (पीतल) नंबर 1301-24 समेत लूट लिया। इलाके के लोगों ने दी सूचना निखिल ने बताया कि सुबह करीब 5 बजे फैक्ट्री के बाहर लोग घूम रहे थे। उनके कर्मचारियों ने शोर मचाकर लोगों को इकट्ठा किया। लोगों की मदद से उन्हें फैक्ट्री में डकैती की जानकारी मिली। उन्होंने तुरंत पुलिस चौकी मुंडियां को सूचना दी। पुलिस ने बंधक बनाए गए कर्मचारियों के हाथ-पैर खोले। फिलहाल जमालपुरी थाने की पुलिस ने इस मामले में आईपीसी 458,380,342 और 34 के तहत केस दर्ज कर लिया है। पंजाब | दैनिक भास्कर
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लुधियाना में डेढ़ साल की बच्ची की मौत, VIDEO:लोहे का गेट ऊपर गिरा, खेलते समय हादसा; घर में चल रहा कंस्ट्रक्शन का काम लुधियाना के श्री माछीवाड़ा साहिब के गांव हयातपुर में डेढ़ साल की बच्ची की दर्दनाक मौत हुई। बच्ची अपने घर के अंदर खेल रही थी। इसी दौरान लोहे का भारी गेट उसके ऊपर गिर गया और वह नीचे दब गई। मृतक की पहचान बाणी कौर के नाम तौर पर हुई है। उसके पिता दर्शन सिंह अमेरिका में रहते हैं। यहां बच्ची अपनी दादी गुरदेव कौर के पास रहती थी। यह सारी घटना घर में लगे सीसीटीवी में भी कैद हो गई। घर में चल रहा कंस्ट्रक्शन का काम गुरदेव कौर ने बताया कि उसका बेटा दर्शन सिंह रोजगार की तलाश में अमेरिका गया है। यहां बच्ची उसके पास रहती थी। उनके घर में कंस्ट्रक्शन का काम चल रहा है। टाइलें लगाई जा रही हैं। जिसके चलते दरवाजे खोलकर रखे थे। लोहे का एक गेट प्रांगण में रखा हुआ था। बच्ची खेलते खेलते गेट के ऊपर चढ़ी तो गेट उसके ऊपर गिर गया। नीचे दबने से बच्ची की मौत हो गई। बच्ची की चीखें सुनने के बाद मिस्त्री उसे तुरंत पास के अस्पताल ले गए थे। लेकिन तब तक बच्ची की मौत हो चुकी थी। बच्ची के जन्म के बाद पत्नी से तलाक गुरदेव कौर ने बताया कि उसके बेटे दर्शन सिंह की शादी करीब तीन साल पहले हुई थी। शादी के बाद उनके बेटे के घर बच्ची ने जन्म लिया। लेकिन पति पत्नी में अनबन के चलते दोनों का तलाक हो गया था। बच्ची को उसके बेटे ने अपने पास रखा था। कुछ समय पहले उसका बेटा रोजगार की तलाश के लिए अमेरिका चला गया था। जिस कारण बच्ची की परवरिश वे करती थीं। थाना माछीवाड़ा साहिब के एसएचओ पवित्र सिंह ने बताया कि पुलिस ने सीसीटीवी से घटना की सच्चाई सामने आई। पुलिस ने गुरदेव कौर के बयान दर्ज कर लिए हैं और पोस्टमॉर्टम के बाद शव परिजनों को सौंप दिया है।
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सुप्रीम कोर्ट में आज पराली मामले पर सुनवाई:पंजाब-हरियाणा सरकार अपने प्रयासों की जानकारी देगी, अफसरों की निष्क्रियता पर हो सकती कार्रवाई आज यानी सोमवार को एक बार फिर सुप्रीम कोर्ट पराली जलाने के मामले की सुनवाई करने जा रहा है। पिछले महीने हुई सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने राज्यों से तीन सप्ताह के भीतर की गई कार्रवाई की रूपरेखा समेत बेहतर अनुपालन हलफनामा दाखिल करने को कहा था। इसके अलावा कोर्ट ने पंजाब और हरियाणा सरकार को इसरो से प्राप्त कथित गलत आंकड़ों के संबंध में उचित प्राधिकारी के समक्ष अपनी चिंताओं को उठाने का निर्देश दिया था। पराली जलाने से होने वाले वायु प्रदूषण के संबंध में कोर्ट ने पंजाब और हरियाणा सरकार द्वारा प्रस्तुत हलफनामों की जांच की थी। जिसमें खेतों में आग लगाने की अधिक घटनाओं का संकेत दिया गया था। कोर्ट ने दोनों राज्यों द्वारा वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (सीएक्यूएम) अधिनियम की धारा 14 के तहत दोषी अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई करने में अनिच्छा पर असंतोष दोहराया था। राज्यों को अपनी निष्क्रियता स्पष्टीकरण देना चाहिए कोर्ट ने कहा था- आज भी हम सीएक्यूएम अधिनियम की धारा 14 के तहत कार्रवाई करने में दोनों सरकारों की ओर से अनिच्छा देख रहे हैं। आयोग की ओर से पेश हुए विद्वान एएसजी ने कहा कि राज्यों में जिला मजिस्ट्रेटों को धारा 14 की उपधारा (2) के तहत मुकदमा चलाने का अधिकार दिया गया है। हालांकि, पिछले आदेशों में हमने देखा है कि मुकदमा चलाने के बजाय, राज्य अधिकारियों को कारण बताओ नोटिस जारी करने में व्यस्त हैं। हम 3 साल पहले पारित आयोग के आदेश के खुलेआम उल्लंघन की बात कर रहे हैं। राज्यों को अपनी निष्क्रियता के लिए अदालत को स्पष्टीकरण देना चाहिए। हाईकोर्ट ने सुनवाई से किया था इनकार 11 दिसंबर को पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट ने पराली जलाने से संबंधित एक जनहित याचिका (PIL) पर सुनवाई करने से इनकार कर दिया था। अदालत ने यह तर्क दिया कि इसी मुद्दे पर एक मामला पहले से ही सुप्रीम कोर्ट के समक्ष लंबित है। हाईकोर्ट ने दो अदालतों के बीच परस्पर विरोधाभासी विचारों से बचने की आवश्यकता पर जोर दिया और कहा, “दो अदालतों के बीच मतभेद हो सकते हैं, जिसे टाला जाना चाहिए।” इस मामले पर सुप्रीम कोर्ट में अभी विचार चल रहा है। पराली जलाने पर जुर्माना दोगुना किया गया सुप्रीम कोर्ट की सख्ती के बाद केंद्र सरकार ने पराली जलाने वाले किसानों पर जुर्माना दोगुना कर दिया है। पर्यावरण मंत्रालय ने गुरुवार को अधिसूचना जारी कर इसकी जानकारी दी। अब 2 एकड़ से कम जमीन पर 5000 रुपये का जुर्माना लगाया जा रहा है। दो से पांच एकड़ जमीन वालों से 10,000 रुपये और पांच एकड़ से ज्यादा जमीन वालों से 30,000 रुपये का जुर्माना वसूला जा रहा है। उत्तर प्रदेश, पंजाब, हरियाणा, राजस्थान और दिल्ली की सरकारें इन नियमों को लागू करने के लिए बाध्य होंगी। 70 फीसदी कम पराली जलाई गई पंजाब सरकार के प्रयासों के परिणामस्वरूप इस साल पराली जलाने की घटनाओं में उल्लेखनीय कमी देखी गई। 2023 में 36,551 घटनाएं दर्ज की गईं, जो 2024 तक घटकर केवल 10,479 रह गईं, जो पिछले साल की तुलना में 70 फीसदी कम है।
लुधियाना पहुंचेंगे अमृतपाल के पिता तरसेम सिंह:सिख जत्थेबंदियों के साथ करेंगे बैठक, SGPC चुनाव को लेकर होगी चर्चा
लुधियाना पहुंचेंगे अमृतपाल के पिता तरसेम सिंह:सिख जत्थेबंदियों के साथ करेंगे बैठक, SGPC चुनाव को लेकर होगी चर्चा खडूर साहिब से सांसद अमृतपाल सिंह के पिता तरसेम सिंह आज लुधियाना में जालंधर बाईपास के नजदीक पहुंच रहे हैं। वे एक निजी पैलेस में सिख जत्थेबंदियों के साथ बैठक करेंगे। जेल से चुनाव जीतने के बाद अमृतपाल की नजर अब SGPC में एंट्री करने पर है। जानकारी के मुताबिक शहर में आज होने वाली बैठक SGPC चुनाव को लेकर होगी। तरसेम सिंह ने चुनाव की तैयारियां भी शुरू कर दी हैं। SGPC चुनाव 2011 से लंबित हैं। इस बार 2024 में SGPC का बजट 1 हजार करोड़ रुपये से ज्यादा रखा गया है। इससे पहले अमृतपाल सिंह के पिता तरसेम सिंह ने पंजाब सरकार पर आरोप लगाया है। उनका कहना है कि पंजाब के मंत्री हार से बौखला गए हैं। इसलिए अमृतपाल के समर्थकों को झूठे मामलों में फंसा रहे हैं। SGPC कमेटी क्या है? एसजीपीसी (शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी) भारत में सिखों का एक संगठन है जो गुरुद्वारों के रख-रखाव के लिए जिम्मेदार है। इसका अधिकार क्षेत्र देश के कई राज्यों तक फैला हुआ है। SGPC के चुनावों में 18 वर्ष से अधिक आयु के सिख पुरुष और महिलाएं मतदाता होते हैं जो सिख गुरुद्वारा अधिनियम, 1925 के प्रावधानों के तहत मतदाता के रूप में पंजीकृत होते हैं। SGPC का संचालन एसजीपीसी के अध्यक्ष द्वारा किया जाता है। एसजीपीसी गुरुद्वारों की सुरक्षा, वित्त, सुविधा रखरखाव और धार्मिक पहलुओं का प्रबंधन करती है और सिख गुरुओं के हथियार, कपड़े, किताबें और लेखन सहित पुरातात्विक रूप से दुर्लभ और पवित्र कलाकृतियों को भी संभालती है। SGPC का गठन 16 नवंबर 1920 को हुआ था 15 नवंबर 1920 को अमृतसर में श्री अकाल तख्त साहिब के पास सभी विचारधाराओं के सिखों की एक आम बैठक बुलाई गई थी। सिखों ने अपनी तय बैठक की और 16 नवंबर को 175 सदस्यों की एक बड़ी समिति का चुनाव किया और इसे शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक समिति ( SGPC) का नाम दिया। इस कमेटी की जरूरत क्यों पड़ी? इस कमेटी के गठन का उद्देश्य गुरुद्वारों की व्यवस्था में सुधार लाना था। बहुत कम लोग जानते हैं कि एसजीपीसी ने जातिवाद और छुआछूत के खिलाफ भी लंबी लड़ाई लड़ी है। आजादी से पहले जाति व्यवस्था अपने चरम पर थी और गुरुद्वारों में भी दलितों के साथ भेदभाव होता था। एसजीपीसी की पहली बैठक 12 दिसंबर 1920 को अकाल तख्त पर हुई थी। जातिवाद और छुआछूत के खिलाफ एसजीपीसी एसजीपीसी के गठन के 2 साल बाद 14 मार्च 1927 को जनरल हाउस में एक बड़ा प्रस्ताव पारित करके दलितों और अन्य सिखों के बीच की खाई को कम करने की कोशिश की गई थी। इस प्रस्ताव के तहत सिख धर्म अपनाने वाले दलित समुदाय के लोगों को भी बराबरी का दर्जा दिया जाएगा। अगर कोई सिख के साथ जाति के आधार पर भेदभाव करता है तो पूरा सिख समुदाय उसके लिए लड़ेगा। इसके अलावा साल 1953 में गुरुद्वारा एक्ट में संशोधन किया गया और एसजीपीसी की 20 सीटें दलित सिखों के लिए आरक्षित कर दी गईं। अभी तक एसजीपीसी के ज्यादातर सदस्य वो हैं जो राजनीति में सक्रिय हैं और अकाली दल से जुड़े हैं। बीबी जागीर कौर SGPC की पहली महिला अध्यक्ष बनीं
इस कमेटी के लिए केवल निर्वाचित सदस्य ही वोट कर सकते हैं। वर्ष 1999 में पहली बार किसी महिला को एसजीपीसी का अध्यक्ष चुना गया था। कमेटी की पहली महिला अध्यक्ष का नाम बीबी जागीर कौर था। शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी का इतिहास गौरवशाली और बलिदानों से भरा रहा है। इन 100 सालों में एसजीपीसी ने कई उतार-चढ़ाव देखे हैं।