लुधियाना | पंजाब की अलग-अलग जेलों के अंदर या बाहर नशा, मोबाइल और प्रतिबंिधत सामान मिलना अब आम बात हो गई है। जेल में जगह-जगह चेकिंग और पूछताछ के बाद भी प्रतिबंिधत सामान मिलना सुरक्षा में चूक है। वहीं, लुधियाना केंद्रीय जेल में एक बार फिर चेकिंग के दौरान सहायक सुपरिंटेंडेंट सुखदेव सिंह के चेकिंग करने पर एक हवालाती की बैरक से 9 ग्राम नशीला पाउडर मिला है। जिस हवालाती की बैरक से नशीला पदार्थ मिला है, उसकी पहचान मुकेश कुमार पुत्र कमल कृष्ण के रूप में हुई है। बाद में जेल सुपरिंटेंडेंट की शिकायत के आधार पर डिवीजन नंबर-7 थाने में जेल के अनुशासन को भंग करने की धाराओं के तहत हवालाती पर एक और मामला दर्ज कर लिया गया है। लुधियाना | पंजाब की अलग-अलग जेलों के अंदर या बाहर नशा, मोबाइल और प्रतिबंिधत सामान मिलना अब आम बात हो गई है। जेल में जगह-जगह चेकिंग और पूछताछ के बाद भी प्रतिबंिधत सामान मिलना सुरक्षा में चूक है। वहीं, लुधियाना केंद्रीय जेल में एक बार फिर चेकिंग के दौरान सहायक सुपरिंटेंडेंट सुखदेव सिंह के चेकिंग करने पर एक हवालाती की बैरक से 9 ग्राम नशीला पाउडर मिला है। जिस हवालाती की बैरक से नशीला पदार्थ मिला है, उसकी पहचान मुकेश कुमार पुत्र कमल कृष्ण के रूप में हुई है। बाद में जेल सुपरिंटेंडेंट की शिकायत के आधार पर डिवीजन नंबर-7 थाने में जेल के अनुशासन को भंग करने की धाराओं के तहत हवालाती पर एक और मामला दर्ज कर लिया गया है। पंजाब | दैनिक भास्कर
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भाखड़ा नहर में डूबे दो नाबालिग दोस्त:एक को बचाने के प्रयास में दूसरा भी कूदा, पानी के तेज बहाव में हुआ लापता
भाखड़ा नहर में डूबे दो नाबालिग दोस्त:एक को बचाने के प्रयास में दूसरा भी कूदा, पानी के तेज बहाव में हुआ लापता गर्मी में भाखड़ा नहर में नहाने के शौक में दो नाबालिग लड़के डूब गए। पानी के तेज बहाव में कूदे 14 साल के दोस्त को बचाने की कोशिश में 17 साल का दोस्त भी डूब गया। यह घटना शनिवार देर शाम को अबलोवाल गांव से गुजर रही भाखड़ा नहर में हुई है। नहर में डूबने वालों की पहचान 14 साल के करन व 17 साल के साहिल के तौर पर हुई है, जिनकी तलाश में गोताखोरों की टीम जुट गई थी। देर शाम तक इन दोनों का सुराग नहीं लग पाया है। घर से बिना बताए निकले थे नहर नहर में डूबने वाले नाबालिग युवकों के परिवार वालों ने कहा कि उन्हें बिना बताए यह लोग घर से निकले थे। बाद में पता चला कि चार युवक नहर में नहाने पहुंचे थे और 14 साल के करन के नहर में कूदने के बाद उसे बचाते समय साहिल भी तेज बहाव में डूब गया। भोले शंकर डाइवर्स क्लब के गोताखोर शंकर भारद्वाज व उनकी टीम इनकी तलाश में जुटी थी।

नशे के खिलाफ गवर्नर गुलाब चंद कटारिया की पदयात्रा:आज गुरदासपुर से होगी शुरू; करतारपुर कॉरिडोर से डेरा बाबा नानक तक जाएगी
नशे के खिलाफ गवर्नर गुलाब चंद कटारिया की पदयात्रा:आज गुरदासपुर से होगी शुरू; करतारपुर कॉरिडोर से डेरा बाबा नानक तक जाएगी पंजाब के राज्यपाल गुलाब चंद कटारिया नशे के बढ़ते प्रकोप को रोकने और युवाओं को जागरूक करने के उद्देश्य से आज गुरुवार से पदयात्रा करेंगे। यह यात्रा डेरा बाबा नानक से शुरू होगी। जबकि 7-8 अप्रैल को गवर्नर कटारिया अमृतसर में होंगे। इस यात्रा के दौरान कई स्थानों पर नशे के खिलाफ जनसभाएं आयोजित की जाएंगी, जिसमें समाज के विभिन्न वर्गों के लोग शामिल होंगे। इस पदयात्रा का मुख्य उद्देश्य नशे की समस्या के प्रति जागरूकता बढ़ाना, युवाओं को नशे से दूर रहने के लिए प्रेरित करना और समाज को इस संकट से बचाने के लिए एकजुट करना है। राज्यपाल कटारिया पहले भी कह चुके हैं कि भारत सरकार और पंजाब सरकार इस मुद्दे को गंभीरता से ले रही हैं और समाज के सभी वर्गों को इस मुहिम में सहयोग देना चाहिए। पदयात्रा का रूट और मुख्य पड़ाव: 3 अप्रैल: श्री करतारपुर साहिब कॉरिडोर → डेरा बाबा नानक
7 अप्रैल: सर्किट हाउस, अमृतसर → रामबाग गार्डन
8 अप्रैल: भंडारी ब्रिज → जलियांवाला बाग हर दिन सुबह 7 बजे यात्रा की शुरुआत होगी। वहीं, पहले ये यात्रा 3 से 8 अप्रैल तक रोजाना आयोजित की जानी थी। लेकिन अब इसके कार्यक्रम में बदलाव किया गया है। पहले ये यात्रा 3 अप्रैल को डेरा बाबा नानक से गुरुद्वारा टाहली साहिब (गुरदासपुर), 4 अप्रैल को डिवाइन स्कूल मल्लेवाल से एसडी कॉलेज फॉर गर्ल्स, फतेहगढ़ चूड़ियां, 5 अप्रैल को गुरु हरकृष्ण पब्लिक स्कूल, नवा पिंड से सरकारी वरिष्ठ माध्यमिक स्कूल, संगतपुरा, 6 अप्रैल को चेतनपुरा पार्क से बाल खुर्द खेल मैदान तक, 7 अप्रैल गुरु नानक देव यूनिवर्सिटी से महाराजा रणजीत सिंह कॉर्नर, रामबाग, अमृतसर और 8 अप्रैल को किला गोबिंदगढ़ से जलियांवाला बाग, अमृतसर में अयोजित की जा रही थी। जनता से सहयोग की अपील गुलाब चंद कटारिया ने पंजाब विधानसभा के स्पीकर कुलतार सिंह संधवान को भी इस यात्रा में शामिल होने का न्योता दिया है। उन्होंने आम जनता, प्रशासन और सामाजिक संगठनों से इस यात्रा को सफल बनाने की अपील की है। गुलाब चंद कटारिया ने पंजाब विधानसभा के स्पीकर कुलतार सिंह संधवान को भी इस यात्रा में शामिल होने का न्योता दिया है। उन्होंने आम जनता, प्रशासन और सामाजिक संगठनों से इस यात्रा को सफल बनाने की अपील की है।

पंजाब में शिअद के लिए SGPC चुनाव होंगे चुनौती:लगातार हार से पार्टी में बगावत; निशाने पर सुखबीर; बड़े बादल से अनुभव की कमी
पंजाब में शिअद के लिए SGPC चुनाव होंगे चुनौती:लगातार हार से पार्टी में बगावत; निशाने पर सुखबीर; बड़े बादल से अनुभव की कमी शिरोमणि अकाली दल (शिअद) में बगावत ने पार्टी नेतृत्व को पूरी तरह उलझा दिया है। बागी गुट के नेता पार्टी की इस हालत के लिए प्रधान सुखबीर बादल को जिम्मेदार ठहरा रहे हैं और उनके इस्तीफे की मांग पर अड़े हुए हैं। पार्टी में फूट का असर जालंधर पश्चिम विधानसभा उपचुनाव में भी साफ देखने को मिला। जहां शिअद के सिंबल पर चुनाव लड़ने वाले उम्मीदवार को 1500 से भी कम वोट मिले और उसकी जमानत तक जब्त हो गई। वहीं, अगर यह बगावत जल्द नहीं थमी तो शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी (एसजीपीसी) चुनाव भी पार्टी के लिए बड़ी चुनौती बन जाएंगे। ऐसे में आइए समझते हैं कि पार्टी में बगावत क्यों पैदा हुई। 10 साल सत्ता में रहने के बाद लगातार हार शिरोमणि अकाली दल वो पार्टी है जो 2017 तक लगातार दो बार सरकार बनाने में सफल रही। हालांकि, साल 2015 में बेअदबी कांड और डेरा प्रमुख को माफ़ी देने का मामला हुआ। इससे लोगों की नाराज़गी बढ़ती चली गई। जिसका असर 2017 के विधानसभा चुनाव में देखने को मिला। पार्टी सिर्फ़ 15 सीटों पर सिमट गई। 2019 के लोकसभा चुनाव में पार्टी दो सीटें जीतने में कामयाब रही। कार्यकर्ता भी पार्टी से दूर होने लगे और 2022 के विधानसभा चुनाव में पार्टी को सिर्फ़ 3 सीटें मिलीं। सभी बड़े नेता चुनाव हार गए। हालांकि, उस समय प्रकाश सिंह बादल ज़िंदा थे। ऐसे में उन्होंने झुंडा कमेटी बनाकर संगठनात्मक ढांचे को भंग कर दिया। हालांकि, सुखबीर बादल को प्रधान बनाए रखा। लोकसभा चुनाव में एक सीट तक सीमित 2024 के लोकसभा चुनाव से पहले पार्टी प्रमुख ने पंजाब बचाओ यात्रा निकाली। लोगों से जुड़ने की कोशिश की गई। साथ ही पार्टी को मजबूत किया गया। लेकिन इससे भी पार्टी को कोई फायदा नहीं हुआ। पार्टी बठिंडा सीट को छोड़कर किसी भी सीट पर चुनाव जीतने में कामयाब नहीं हुई। यह सीट भी बादल परिवार की बहू हरसिमरत कौर ने जीती। इसके बाद जैसे ही चुनाव के लिए मंथन शुरू हुआ, उससे पहले ही पार्टी प्रमुख से इस्तीफा मांग लिया गया। इसके बाद बागी गुट श्री अकाली तख्त पहुंच गया। माफी के लिए अर्जी भी लगा दी। अब आइए जानते हैं एसजीपीसी चुनाव की चुनौतियां इस बार एसजीपीसी चुनाव में शिअद को किसी और से नहीं बल्कि अपने ही लोगों से चुनौतियों का सामना करना पड़ेगा। क्योंकि अकाली दल के बागी गुट में शामिल हुए नेता ही अकाली दल की ताकत हैं। इन लोगों का अपना प्रभाव है। चाहे वो वरिष्ठ नेता सुखदेव सिंह ढींडसा हों, प्रो. प्रेम चंदूमाजरा हों, बीबी जागीर कौर हों या कोई और नाम। अमृतपाल और खालसा की तरफ झुकाव खडूर साहिब से अमृतपाल सिंह और फरीदकोट से सरबजीत सिंह खालसा ने चुनाव जीता है। वे शिरोमणि अकाली दल के थिंक टैंक की भी नींद उड़ा रहे हैं। माना जा रहा है कि वे इस बार एसजीपीसी चुनाव में अपने समर्थकों को भी उतारेंगे। सरबजीत सिंह खालसा ने कुछ दिन पहले दिल्ली में मीडिया से बातचीत में इस बात के संकेत दिए थे। उन्होंने कहा था कि आने वाले दिनों में इस बारे में फैसला लिया जाएगा। दोनों का अपने इलाकों में अच्छा प्रभाव है। एसजीपीसी में बड़े नेताओं की दिलचस्पी बीजेपी और आप में शामिल कई सिख नेता भी एसजीपीसी चुनाव में काफी दिलचस्पी रखते हैं। ऐसे में अकाली दल के लिए सीधी चुनौती है। अगर पिछले ढाई दशक की बात करें तो कभी ऐसा मौका नहीं आया जब किसी ने पार्टी द्वारा नामित उम्मीदवार को चुनौती दी हो। लेकिन अगर वे चुनाव में कमजोर पड़ गए तो यह भी देखने को मिलेगा। अकालियों के पास जो ताकत है वह भी उनके हाथ से निकल जाएगी। बड़े बादल जैसे अनुभव की कमी भले ही पार्टी प्रमुख सुखबीर सिंह बादल के पास करीब 29 साल का राजनीतिक अनुभव है, लेकिन उनके पास अपने पिता स्वर्गीय प्रकाश सिंह बादल जैसा अनुभव नहीं है, जो नाराज लोगों को मनाने और दुश्मन को गले लगाने में माहिर थे। इसका फायदा अब विपक्ष उठा रहा है। हालांकि प्रकाश सिंह बादल के बाद तीन बार सरकार बनी। उस समय भी कई नेता पार्टी में घुटन महसूस कर रहे थे, लेकिन उन्होंने किसी को बगावत का मौका नहीं दिया।