पंजाब के लुधियाना में चुनाव से एक दिन पहले चुनावी रैली की तैयारी कर रहे युवक की करंट की चपेट में आने से उसका पूरा शरीर बुरी तरह झुलस गया। कांग्रेस कैंडिडेट अमरिंदर सिंह राजा वड़िंग की आज सुभाष नगर इलाके में रैली होनी थी। इस दौरान पूर्व पार्षद के पति मोनू खिंडा का एक कार्यकर्ता दुकानों की छतों पर कांग्रेस पार्टी के झंडे लगा रहा था। तारों के संपर्क में आने से इलाके में धमाका हो गया। धमाके के तुरंत बाद आस-पास के लोग इकट्ठा हो गए। लोगों ने उसे तारों से छुड़ाया। उसे नीचे उतारा गया और तुरंत प्राथमिक उपचार दिया गया लेकिन उसकी हालत बहुत खराब थी जिसके चलते उसे सीएमसी अस्पताल में भर्ती कराया गया। व्यक्ति का नाम योगेश बताया जा रहा है। कांग्रेसी वर्कर के झुलसने से कार्यकर्ताओं में काफी नामोशी भी है। पंजाब के लुधियाना में चुनाव से एक दिन पहले चुनावी रैली की तैयारी कर रहे युवक की करंट की चपेट में आने से उसका पूरा शरीर बुरी तरह झुलस गया। कांग्रेस कैंडिडेट अमरिंदर सिंह राजा वड़िंग की आज सुभाष नगर इलाके में रैली होनी थी। इस दौरान पूर्व पार्षद के पति मोनू खिंडा का एक कार्यकर्ता दुकानों की छतों पर कांग्रेस पार्टी के झंडे लगा रहा था। तारों के संपर्क में आने से इलाके में धमाका हो गया। धमाके के तुरंत बाद आस-पास के लोग इकट्ठा हो गए। लोगों ने उसे तारों से छुड़ाया। उसे नीचे उतारा गया और तुरंत प्राथमिक उपचार दिया गया लेकिन उसकी हालत बहुत खराब थी जिसके चलते उसे सीएमसी अस्पताल में भर्ती कराया गया। व्यक्ति का नाम योगेश बताया जा रहा है। कांग्रेसी वर्कर के झुलसने से कार्यकर्ताओं में काफी नामोशी भी है। पंजाब | दैनिक भास्कर
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कपूरथला निगम कर्मचारियों की हड़ताल को भाजपा का समर्थन:बोले- गृहमंत्री को लिए मांग पत्र, जायज है सभी मांगे, शहर में फैली गंदगी कपूरथला नगर निगम में सफाई कर्मचारियों की भर्ती तथा अन्य मांगों को लेकर सोमवार से हड़ताल पर बैठे निगम कर्मचारियों को समर्थन देने के लिए आज चौथे दिन भाजपा के जिला प्रधान रणजीत सिंह खोजेवाल अपने साथी नेताओं के साथ पहुंचे हैं। उन्होंने सफाई कर्मचारियों की सभी मांगों को जायज बताया है। कर्मचारियों की सभी मांगे जायज़- रणजीत सिंह रणजीत सिंह ने कर्मचारियों की सभी मांगों को जायज़ बताते हुए उन्हें भाजपा का सहयोग देने की बात कही है। उन्होंने कहा कि मान सरकार को कर्मचारियों की मांगे जल्द पूरी करनी चाहिए। ताकि शहर में जगह जगह लगे कूड़े के ढेरों से कोई महामारी न फैल सकें। धरने में पहुंचे भाजपा के जिला प्रधान ने यूनियन के प्रधान से आग्रह किया कि वह अपनी मांगों को लेकर देश के गृहमंत्री के नाम एक मांगपत्र लिखे। गृहमंत्री से वह उनकी बैठक कराएंगे, और उनकी सभी जायज मांगे पूरे देश में लागू करवाई जाएगी। अनिश्चितकालीन हड़ताल पर चल रहे निगम कर्मचारी बता दे कि कपूरथला निगम कर्मचारी यूनियन अपनी मांगों को लेकर सोमवार से अनिश्चितकालीन हड़ताल पर चल रहे है। निगम कमिश्नर के दफ्तर के बाहर धरना लगाकर प्रशासन और पंजाब सरकार के खिलाफ नारेबाजी की जा रही है। यूनियन के प्रधान गोपाल थापर ने कहा कि वर्ष 2021 से सीवरेजमैन तथा सफाई कर्मचारी रखने के लिए मांग उठाई जा रही है। लेकिन निगम अधिकारियों द्वारा हाउस में भर्ती प्रस्ताव रखने के बाद भी कोई हल नहीं निकला है। डीसी ने समस्या को जल्दी ही हल करवाने कही बात हालांकि निगम कमिश्रनर ने पहले दिन ही कर्मियों की भर्ती पंजाब सरकार की ओर से सिलेक्शन बोर्ड द्वारा की जाने की बात कही थी। कूड़ा डंप करने की समस्या के लिए डीसी कपूरथला से हुई मीटिंग के बाद समस्या को जल्दी ही हल करवाने का भी कहा था। दूसरी तरफ शहर में जगह जगह कूड़े के ढेर रोजाना बढ़ते ही जा रहे है, और शहर वासियों के लिए बड़ी परेशानी का सबब है। शहर वासियों को गंदगी भरे माहौल का सामना तो करना ही पड़ रहा है। वहीं मानसून के सीजन के चलते किसी महामारी के फैलने का भी अंदेशा है।
पंजाब के युवक की आर्मेनिया में मौत:काम पर जाते वक्त दिल का दौरा पड़ा, परिवार ने सरकार से मदद की गुहार लगाई
पंजाब के युवक की आर्मेनिया में मौत:काम पर जाते वक्त दिल का दौरा पड़ा, परिवार ने सरकार से मदद की गुहार लगाई पंजाब के एक युवक की आर्मेनिया में दिल का दौरा पड़ने से मौत हो गई। मृतक की पहचान कुराली माजरी के गांव शाहपुर (घटौर) के रहने वाले वरिंदर सिंह के रूप में हुई है। मृतक युवक ने परिवार ने पंजाब और केंद्र सरकार से शव को भारत लाने के लिए मदद की गुहार लगाई है। वरिंदर के बड़े भाई रोहित सिंह पुत्र परमजीत सिंह ने कहा- उसका भाई 2018 में रोजगार के लिए आर्मेनिया गया था। वरिंदर वहां एक फार्म हाउस में काम करता था। 19 नवंबर को वह अपने काम पर जा रहे थे तभी दोपहर में उन्हें दिल का दौरा पड़ा। वीरेंद्र करीब पांच घंटे तक वहीं सड़क पर पड़ा रहा, जब तक उसे अस्पताल ले जाया गया। उसकी मौत हो चुकी थी। रोहित सिंह ने पंजाब सरकार और विदेश मंत्रालय से अपील की है कि वे वीरेंद्र के शव को गांव लाने में मदद करें। अमृतसर के एजेंट ने भेजा था विदेश रोहित सिंह ने कहा- अमृतसर के रहने वाले एक ट्रैवल एजेंट ने वीरेंद्र को विदेश भेजा था। इसके एवज में उनसे करीब 18 लाख रुपए लिए गए थे। वीरेंद्र को जापान भेजना जाना था। मगर उसे आर्मेनिया भेज दिया गया था। वहां से आगे जापान भेजे जाने की बात कही गई थी। मगर वहीं की वहीं पर मौत हो गई। जापान न जा पाने से वीरेंद्र पिछले काफी समय से परेशान चल रहा था।
माघी मेला, मुगल की कब्र पर जूते मारते हैं श्रद्धालु:यहां लगती 100 करोड़ की घोड़ा मंडी, जिसका चैंपियन हरियाणा का बुर्ज खलीफा
माघी मेला, मुगल की कब्र पर जूते मारते हैं श्रद्धालु:यहां लगती 100 करोड़ की घोड़ा मंडी, जिसका चैंपियन हरियाणा का बुर्ज खलीफा पंजाब के श्री मुक्तसर साहिब में आज माघी का शाही स्नान हो रहा है। यहां गुरुद्वारा श्री टूटी गंडी साहिब के सरोवर में श्रद्धालु पहुंच रहे हैं। यह गुरुद्वारा श्री गुरू गोबिंद सिंह जी की दया और सिखों के पुनर्मिलन का प्रतीक है। यहां उनसे जुड़े 8 प्रमुख गुरुद्वारे हैं। जिनमें शामिल गुरुद्वारा दातनसर साहिब में एक मुगल सैनिक की कब्र है। जिस पर सिख श्रद्धालू जूते–चप्पल मारते हैं। इस सैनिक ने गुरू गोबिंद सिंह जी पर हमला किया था। यह पूरा इतिहास खिदराने की लड़ाई से जुड़ा हुआ है। जिसकी विस्तृत जानकारी आगे पढ़ सकते हैं। करीब 5 किमी एरिया में होने वाले इस मेले में 100 करोड़ की घोड़ा मंडी भी लगती है। जिसमें 2 लाख से लेकर 2 करोड़ तक के अलग–अलग नस्ल के घोड़े आते हैं। पिछली बार घोड़ों की चैंपियनशिप में 71 इंच हाइट का हरियाणा का बुर्ज खलीफा चैंपियन रहा था। माघी मेला, घोड़ा मंडी और गुरू गोबिंद सिंह जी की खिदराने की जंग से जुड़ी कहानियां… गर्मी की वजह से मेले का महीना बदला गया
माघी मेला सिख इतिहास में बैसाखी और बंदी छोड़ दिवस (दीवाली) के बाद तीसरा बड़ा त्योहार है। यह मेला उन 40 सिखों की याद में मनाया जाता है, जिन्होंने पहले गुरू गोबिंद सिंह जी के लिए लड़ने से इनकार कर दिया। मगर, माई भागो की प्रेरणा से ऐसी लड़ाई लड़ी कि अपने प्राण तक बलिदान कर दिए। इन्हें सिख इतिहास में गुरु गोबिंद सिंह जी के “चाली मुकते” (चालीस मुक्त हुए सिख योद्धा) कहा जाता है। यह लड़ाई 3 मई 1705 यानी बिक्रमी कैलेंडर के मुताबिक 21 वैसाख 1762 को हुई थी। शुरू में यह मेला वैसाख में ही लगता था, लेकिन गर्मी और पानी की कमी के कारण इसे सर्दियों के माघ महीने में मनाने की परंपरा शुरू हुई। नानकशाही कैलेंडर में इसे जनवरी यानी माघ महीने में मनाना तय किया गया है। इस बार यह मेला 11 जनवरी से शुरू हो चुका है। 14 जनवरी को यहां अखंड पाठ के भोग डाले जाएंगे। 15 जनवरी को नगर कीर्तन निकालने के साथ निहगों की घुड़दौड़, घोड़ों के मुकाबले होंगे। जिसके बाद पारंपरिक तौर पर मेले की समाप्ति हो जाएगी। माघी मेले से जुड़ी फोटोज… मंडी में 400 से ज्यादा घोड़े, कीमत 100 करोड़
माघी मेले में सबसे आकर्षण घोड़ा मंडी रहती है। यहां 400 से ज्यादा घोड़े आते हैं, जिसमें नुकरा (सफेद घोड़ा), मारवाड़ी (राजस्थान) और मज्जुका नस्ल के घोड़े सबसे ज्यादा फेमस है। इन घोड़ों की कीमत 2 लाख से लेकर 2 करोड़ तक होती है। इस मंडी में ज्यादातर भारतीय नस्लें ही बेची और खरीदी जाती हैं। विदेशी घोड़ों को इन मंडियों में नहीं ले जाया जाता है। यहां हॉर्स शो भी होता है। पिछले साल हुए मुकाबले में मेल कैटेगरी में पहला स्थान हरियाणा के बुर्ज खलीफा को मिला था। जिसकी हाइट 71 इंच थी। बुर्ज खलीफा तब पौने 4 साल का था। फीमेल कैटेगरी में 5 साल की मारवाड़ी घोड़ी हिना जीती थी। जिसकी हाइट 66 इंच थी। जानिए कौन था मुगल नूरदीन, जिसने गुरू गोबिंद सिंह जी पर हमला किया
सिख इतिहास के मुताबिक मुगलों से हुई खिदराने की जंग के बाद गुरू गोबिंद सिंह जी मुक्तसर में रुके थे। यहां जिस जगह पर गुरूद्वारा दातनसर साहिब बना हुआ है, यहां एक बार गुरू गोबिंद सिंह जी दातुन कर रहे थे। तभी मुगल सैनिक नूरदीन चोरी–छुपे वहां आया और किसी नुकीली चीज से उन पर हमला करने की कोशिश की। हालांकि उन्होंने तुरंत एक बर्तन उठाया और मुगल नूरदीन को ही मार दिया। जिसके बाद यहां उसकी कब्र बनाई गई है। जिसे सिख अन्याय और गुरु साहिब के खिलाफ की गई साजिश का प्रतीक मानते हैं। गुरुद्वारे के दर्शन के बाद श्रद्धालु यहां कब्र पर जूते–चप्पल मारते हैं। जो इस बात का संदेश देता है कि अन्याय और विश्वासघात का अंत निश्चित है। खिदराने की जंग: 40 सिख लड़ाई से हटे, फिर ऐसे लड़े कि जान तक बलिदान कर दी 1. मुगल सैनिकों से लड़ रहे थे गुरू गोबिंद सिंह जी, 40 सिखों ने भूख–प्यास से साथ छोड़ा
सिख इतिहासकारों के मुताबिक बिक्रमी संवत 1761 में दसवें गुरू श्री गुरू गोबिंद सिंह जी किला आनंदपुर साहिब में मुगल सैनिकों से लड़ रहे थे। किले में राशन–पानी खत्म होता जा रहा था। यह देख 40 सिखों ने कहा कि वह भूखे–प्यासे लड़ाई नहीं लड़ सकते। इस पर गुरू गोबिंद सिंह जी ने उनसे कहा कि लिखकर दे दो कि मैं तुम्हारा गुरू नहीं और तुम मेरे शिष्य नहीं। उन्होंने लिखकर दिया और लड़ाई छोड़ अपने घर चले गए। 2. गुरू गोबिंद सिंह जी के 2 साहिबजादों ने शहीदी प्राप्त की
किला आनंदपुर की लड़ाई के बाद गुरू गोबिंद सिंह जी चमकौर साहिब की गढ़ी में जा पहुंचे। वहां मुगल सैनिकों के साथ उनका मुकाबला हुआ। इसमें गुरू गोबिंद सिंह जी के 2 साहिबजादे भाई अजीत सिंह और भाई जुझार सिंह ने शहीदी प्राप्त की। 3. परिजनों ने 40 सिखों के घर लौटने पर खूब कोसा
चमकौर की गढ़ी से गुरू गोबिंद सिंह जी ने खिदराने की ढाब (मुक्तसर) के ऊंचे रेतीले टिब्बों में अपना डेरा लगा लिया। इधर, 40 सिखों ने घर में लड़ाई छोड़कर आने की बात बताई ताे परिवार के लोगों ने उन्हें खूब कोसा। उन्होंने कहा कि मुसीबत के वक्त गुरू गोबिंद सिंह जी का साथ छोड़ना चाहिए था। परिवार की महिलाओं ने कहा कि आप सब घर बैठो, हम गुरू जी के साथ सेना बनकर लडेंगी। तब माई भागो ने भी 40 सिखों को लड़ने के लिए प्रेरित किया। 4. वापस लौटे 40 सिख, मुगल सेना को घुटनों पर ला दिया
घरवालों के ताने सुन और माई भागो के प्रेरित करने पर वे फिर से गुरू गोबिंद सिंह जी की खोज में निकल पड़े। वह खिदराने की ढाब पहुंच गए, जहां गुरू गोबिंद सिंह जी ठहरे हुए थे। उन्होंने भी एक जलाशय के पास अपने डेरे लगा लिए। तभी गुरू गोबिंद सिंह जी को ढूंढते हुए मुगल सेना भी वहां आ पहुंची। उन्होंने इन्हीं 40 सिखों पर हमला किया। तब ये 40 सिख ऐसे लड़े कि मुगल सेना को घुटने पर ला दिया। मुगल सेना को वहां से भागना पड़ा। इस लड़ाई में 39 सिख शहीद हो गए। एक भाई महा सिंह घायल पड़े थे। तब श्री गुरू गोबिंद सिंह जी वहां पहुंचे और महा सिंह का सिर अपनी गोद में रखते हुए कहा कि आप सब लोगों ने आज सिख धर्म की लाज रख ली। 5. गुरू गोबिंद सिंह ने पत्र फाड़कर कहा, यह 40 मुक्तों की धरती
गुरू गोबिंद सिंह जी ने महा सिंह से कहा कि जो मांगना चाहते हो मांग लो। इस पर महा सिंह ने कहा कि हमें माफी दे दीजिए और आनंदपुर के किले में उन्होंने जो पत्र (बेदावा) दिया था, उसे फाड़ दीजिए। हमारी टूटी गांठ जोड़ दीजिए यानी हमें अपना शिष्य बना लीजिए। तब गुरू गोबिंद सिंह जी ने अपनी कमर से वह पत्र निकाला और फाड़ दिया। उन्होंने कहा कि यह स्थान खिदराना नहीं बल्कि मुक्ति का धाम है। बाद में महा सिंह ने भी शहीदी प्राप्त कर ली। 6. 40 सिखों का अपने हाथ से अंतिम संस्कार किया
इसके बाद गुरू गोबिंद सिंह जी ने युद्ध के मैदान से सभी 40 सिखों की पार्थिव देह को इकट्ठा किया। इसके बाद एक बड़ी चिता बनाई। फिर गुरू गोबिंद सिंह जी ने अपने हाथ से सभी 40 सिखों का अंतिम संस्कार किया। इसी जगह पर अब गुरूद्वारा शहीद गंज बना हुआ है। जहां पर बेदावा (पत्र) फाड़ा, वहां गुरुद्वारा टुट्टी गंडी साहिब बना। मुक्तसर में श्री गुरू गोबिंद सिंह से जुड़े 8 गुरुद्वारे…