लुधियाना के जगराओं कस्बे में तीन युवकों ने किराना व्यापारी के बेटे के साथ बेरहमी से मारपीट की। डीएसपी कार्यालय के सामने तहसील रोड पर स्थित किराना व्यापारी सागर चंद जगपाल गोयल के बेटे अमन गोयल पर शनिवार देर रात हमला हुआ। घटना झांसी रानी चौक के पास हुई, जहां मामूली बात पर मोटरसाइकिल सवार तीन युवकों ने न केवल अमन की कार में तोड़फोड़ की, बल्कि उसके साथ मारपीट भी की। घटना शहर के सबसे व्यस्त चौराहे पर हुई घायल अमन को सिविल अस्पताल में भर्ती कराया गया, जहां प्राथमिक उपचार के बाद उसे हीराबाग की गली नंबर तीन स्थित उसके घर भेज दिया गया। गौर करने वाली बात यह है कि यह घटना शहर के सबसे व्यस्त चौराहे पर हुई, जहां 24 घंटे पुलिस चेक पोस्ट रहती है। घटना के समय आसपास के लोगों में दहशत का माहौल था और कोई भी हमलावरों को रोकने की हिम्मत नहीं जुटा पाया। अमन के दोस्त रजनीश बंसल के मुताबिक घटना उस समय हुई, जब अमन अपनी कार को शहीद भगत सिंह नगर के कोने से पानी की टंकी के सामने मोड़ रहा था। वहां पहले से मौजूद तीन युवकों ने बेसबॉल के डंडों से कार में तोड़फोड़ की और कार व मोटरसाइकिल की टक्कर को लेकर अमन की पिटाई कर दी। पुलिस आज बयान दर्ज करने के बाद जांच करेगी सिटी पुलिस ने बताया कि घटना का वीडियो भी उपलब्ध है और रविवार सुबह बयान दर्ज करने के बाद आगे की कार्रवाई की जाएगी। बता दें कि दो दिन पहले जगराओं में चांगी नंबर 5 के पास एक बाउंसर की कार को घेरकर हमला किया गया था। इस दौरान बदमाशों ने कार के एक तरफ के सभी शीशे तोड़ दिए थे। अब फिर से एक कार का शीशा टूटने के बाद पुलिस चेक पोस्ट पर हंगामा होने की बात सामने आई है। लुधियाना के जगराओं कस्बे में तीन युवकों ने किराना व्यापारी के बेटे के साथ बेरहमी से मारपीट की। डीएसपी कार्यालय के सामने तहसील रोड पर स्थित किराना व्यापारी सागर चंद जगपाल गोयल के बेटे अमन गोयल पर शनिवार देर रात हमला हुआ। घटना झांसी रानी चौक के पास हुई, जहां मामूली बात पर मोटरसाइकिल सवार तीन युवकों ने न केवल अमन की कार में तोड़फोड़ की, बल्कि उसके साथ मारपीट भी की। घटना शहर के सबसे व्यस्त चौराहे पर हुई घायल अमन को सिविल अस्पताल में भर्ती कराया गया, जहां प्राथमिक उपचार के बाद उसे हीराबाग की गली नंबर तीन स्थित उसके घर भेज दिया गया। गौर करने वाली बात यह है कि यह घटना शहर के सबसे व्यस्त चौराहे पर हुई, जहां 24 घंटे पुलिस चेक पोस्ट रहती है। घटना के समय आसपास के लोगों में दहशत का माहौल था और कोई भी हमलावरों को रोकने की हिम्मत नहीं जुटा पाया। अमन के दोस्त रजनीश बंसल के मुताबिक घटना उस समय हुई, जब अमन अपनी कार को शहीद भगत सिंह नगर के कोने से पानी की टंकी के सामने मोड़ रहा था। वहां पहले से मौजूद तीन युवकों ने बेसबॉल के डंडों से कार में तोड़फोड़ की और कार व मोटरसाइकिल की टक्कर को लेकर अमन की पिटाई कर दी। पुलिस आज बयान दर्ज करने के बाद जांच करेगी सिटी पुलिस ने बताया कि घटना का वीडियो भी उपलब्ध है और रविवार सुबह बयान दर्ज करने के बाद आगे की कार्रवाई की जाएगी। बता दें कि दो दिन पहले जगराओं में चांगी नंबर 5 के पास एक बाउंसर की कार को घेरकर हमला किया गया था। इस दौरान बदमाशों ने कार के एक तरफ के सभी शीशे तोड़ दिए थे। अब फिर से एक कार का शीशा टूटने के बाद पुलिस चेक पोस्ट पर हंगामा होने की बात सामने आई है। पंजाब | दैनिक भास्कर
Related Posts
दसूहा में एससी समुदाय ने दिल्ली-जम्मू हाईवे किया जाम:बाजार बंद, अंबेडकर प्रतिमा की बेअदबी पर भड़का आक्रोश; NSA के तहत कार्रवाई की मांग
दसूहा में एससी समुदाय ने दिल्ली-जम्मू हाईवे किया जाम:बाजार बंद, अंबेडकर प्रतिमा की बेअदबी पर भड़का आक्रोश; NSA के तहत कार्रवाई की मांग अमृतसर में डॉ. भीमराव अंबेडकर की प्रतिमा के साथ की गई बेअदबी के विरोध में होशियारपुर के दसूहा में एससी समुदाय ने आज दिल्ली-जम्मू नेशनल हाईवे पर जाम लगा दिया। हाजीपुर चौक पर सैकड़ों की संख्या में एकत्रित लोगों ने पंजाब सरकार के खिलाफ जोरदार नारेबाजी की। प्रदर्शनकारियों की मुख्य मांग है कि 26 जनवरी को प्रतिमा की बेअदबी करने वाले दोषी के खिलाफ राष्ट्रीय सुरक्षा कानून (एनएसए) के तहत कार्रवाई की जाए और उसे आजीवन कारावास की सजा दी जाए। विरोध के चलते दसूहा के बाजार भी पूरी तरह बंद रहे। डीएसपी जतिंदर पाल सिंह और थाना प्रभारी प्रभजोत कौर ने मौके पर पहुंचकर प्रदर्शनकारियों से वार्ता की। प्रदर्शनकारियों ने डीएसपी को अपनी मांगों का पत्र सौंपा। प्रदर्शनकारियों का कहना है कि जब तक उनकी मांगें पूरी नहीं होतीं, विरोध प्रदर्शन जारी रहेगा। जाम के कारण हाईवे पर वाहनों की लंबी कतारें लग गईं, जिससे आम लोगों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ा।
जालंधर में गृह मंत्री अमित शाह के खिलाफ प्रदर्शन:जिला प्रधान बेरी बोले- भाजपा संविधान से कर रही छेड़छाड़, बाबा साहब पर टिप्पणी निंदनीय
जालंधर में गृह मंत्री अमित शाह के खिलाफ प्रदर्शन:जिला प्रधान बेरी बोले- भाजपा संविधान से कर रही छेड़छाड़, बाबा साहब पर टिप्पणी निंदनीय पंजाब के जालंधर में डॉक्टर बाबा साहिब अंबेडकर चौक (नकोदर चौक) पर आज यानी शुक्रवार को कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं ने धरना दिया। यह धरना केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के उस बयान को लेकर दिया गया जिसमें उन्होंने डॉक्टर बीआर अंबेडकर पर टिप्पणी की थी। कांग्रेस के जालंधर जिला अध्यक्ष राजिंदर बेरी के नेतृत्व में डॉक्टर बीआर अंबेडकर चौक पर धरना दिया गया जहां भाजपा के खिलाफ नारेबाजी की गई। पूर्व विधायक और कांग्रेस जालंधर के जिला अध्यक्ष राजिंदर बेरी और वरिष्ठ कांग्रेस नेता सुरिंदर कौर ने कांग्रेस कार्यकर्ताओं के साथ भाजपा के खिलाफ नारेबाजी की और भाजपा को दलित विरोधी बताया। बेरी ने कहा- संविधान से छेड़छाड़ का प्रयास जिलाध्यक्ष राजिंदर बेरी ने कहा- मोदी सरकार और गृहमंत्री अमित शाह द्वारा डॉ. बीआर अंबेडकर पर की गई टिप्पणी के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया जा रहा है। भाजपा सरकार संविधान से छेड़छाड़ करने का प्रयास कर रही है। ऐसे में अगर भाजपा सरकार संविधान से छेड़छाड़ करने का प्रयास करती है तो आने वाले दिनों में अगर हमें भूख हड़ताल पर भी बैठना पड़े तो हम पीछे नहीं हटेंगे। सुरिंदर कौर ने कहा- अमित शाह ने दलितों का अपमान किया नेता सुरिंदर कौर ने कहा- गृह मंत्री अमित शाह की डॉ. बीआर अंबेडकर पर टिप्पणी दलितों का अपमान है। देश की जनता उन्हें कभी माफ नहीं करेगी। देश की कार्यशैली डॉ. बीआर अंबेडकर द्वारा चलाए गए संविधान के अनुसार चलती है। लेकिन भाजपा सरकार शायद भूल गई है कि शपथ ग्रहण समारोह के दौरान डॉ. बीआर अंबेडकर के संविधान की शपथ लेकर पूरा किया जाता है। आज उन्हीं बाबा साहब के बारे में गलत टिप्पणी करना निंदनीय है। भाजपा सरकार देश में धर्म के आधार पर लोगों को बांटने की अपनी नीति में कभी सफल नहीं होगी।
पंजाब में अकाली दल बचाओ लहर की तैयारियां शुरू:2022 जैसे हालात पैदा; बागी गुट ने दोहराया- सुखबीर बादल को पद से हटना चाहिए
पंजाब में अकाली दल बचाओ लहर की तैयारियां शुरू:2022 जैसे हालात पैदा; बागी गुट ने दोहराया- सुखबीर बादल को पद से हटना चाहिए लोकसभा चुनाव में शिरोमणि अकाली दल (SAD) की हार के बाद असंतोष पैदा हो गया है। एक तरफ पार्टी में वरिष्ठ नेतृत्व है, जिसमें वो बड़े नेता और परिवार शामिल हैं, जिनके बिना अकाली दल अधूरा है। वहीं दूसरी तरफ पार्टी कार्यसमिति और जिला पदाधिकारी हैं, जिन्होंने लोकसभा चुनाव 2024 में हार के बाद भी सुखबीर सिंह बादल के प्रति संतोष जताया है। अकाली दल के विद्रोही समूह ने एक संयुक्त संवाददाता प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि एक धार्मिक और राजनीतिक व्यक्तित्व को अपनी परंपराओं के अनुरूप शिरोमणि अकाली दल का नेतृत्व करना चाहिए। सुखबीर बादल को इस्तीफा देना चाहिए। प्रो. प्रेम सिंह चंदूमाजरा ने यह भी कहा कि उनमें से कोई भी अकाली दल का अध्यक्ष नहीं बनना चाहता। जो भी पार्टी अध्यक्ष बनेगा उसे पार्टी का मुख्यमंत्री पद का उम्मीदवार नहीं होना चाहिए। पार्टी अध्यक्ष सुखबीर सिंह बादल के खिलाफ बगावत का झंडा बुलंद हो गया है। बागी गुट ने अकाली दल बचाओ लहर शुरू कर दी है। कल जालंधर में बैठक कर सुखबीर बादल को अध्यक्ष पद से हटाने का प्रस्ताव लिया गया। बुधवार को जालंधर में हुई पांच घंटे की बैठक के बाद सुखबीर सिंह बादल से पार्टी प्रधान पद से हटने की मांग की गई। बैठक में शामिल नेताओं में सिकंदर मलूका, सुरजीत रखड़ा, बीबी जागीर कौर, प्रेम सिंह चंदूमाजरा, किरणजोत कौर, मनजीत सिंह, सुरिंदर भुल्लेवाल, गुरप्रताप वडाला, चरणजीत बराड़, हरिंदर पाल टोहरा और गगनजीत बरनाला शामिल थे। 2022 में भी पैदा हुए थे यही हालात 2017 विधानसभा, 2019 लोकसभा और 2022 विधानसभा चुनावों में हार के बाद पार्टी ने हार की समीक्षा करने के लिए कमेटी का गठन किया था। ये कमेटी इकबाल सिंह झूंदा की अध्यक्षता में बनी। 2022 की हार के बाद विरोध शुरू हुआ और अकाली दल अध्यक्ष सुखबीर बादल को बदलने की आवाज उठने लगी। इसी बीच 2022 में झूंदा रिपोर्ट बनकर तैयार थी। लेकिन इस पर अमल नहीं किया गया। ये कह कर रिपोर्ट को दबा दिया गया कि झूंदा रिपोर्ट में कहीं भी पार्टी प्रधान बदलने की बात नहीं की गई है। जबकि उसमें ये जरूर लिखा गया था कि पार्टी अध्यक्ष 10 साल के बाद रिपीट नहीं होना चाहिए। लेकिन, सुखबीर बादल के दोबारा प्रधान चुने जाने के बाद ये रिपोर्ट अकाली दल के दफ्तर में दब गई। अब जब 2024 लोकसभा चुनावों में पार्टी की हार हुई है तो इस रिपोर्ट का जिन्न फिर बाहर आया है। जाने क्या लिखा था झूंदा रिपोर्ट में झूंदा रिपोर्ट पर जब अमल नहीं हुआ तो इसे सार्वजनिक नहीं किया गया था। झूंदा ने सार्वजनिक तौर पर बयान जारी किया था कि 117 विधानसभा हलकों में से 100 में जाकर उन्होंने इस रिपोर्ट को तैयार किया है। इस रिपोर्ट में कुछ जानकारियां 2022 में सांझी की थी। तब अकाली नेताओं ने कहा था कि झूंदा रिपोर्ट में 42 सुझाव दिए गए हैं। पार्टी प्रधान को बदले जाने का रिपोर्ट में कहीं जिक्र नहीं है। लेकिन, भविष्य में पार्टी प्रधान के चुने जाने की तय सीमा जरूर तय की गई है। ये भी बात उठाई गई कि अकाली दल अपने मूल सिद्धांतों से भटका है और राज्य सत्ता में रहने के मकसद से कई कमियां आई हैं। 3 दशक से बादल परिवार का कब्जा शिरोमणि अकाली दल पर पिछले 3 दशक से बादल परिवार का कब्जा है। 1995 में सरदार प्रकाश सिंह बादल अकाली दल के प्रमुख बने थे। इस पद पर वे 2008 तक बने रहे। 2008 के बाद शिअद की कमान उनके बेटे सुखबीर सिंह बादल के हाथ में आ गई। अकेला पड़ता अकाली दल किसी जमाने में पंजाब ही नहीं भारतीय राजनीति में अकाली दल की तूती बोलती थी, लेकिन धीरे-धीरे इसका प्रभुत्व समाप्त होता चला गया। आलम ये है कि अब इसके पास लोकसभा की केवल एक सीट है। विधानसभा में भी इसका प्रभाव लगातार खत्म हो रहा है। शिरोमणि अकाली दल बचाओ आंदोलन की होगी शुरुआत जालंधर में हुई बैठक के बाद बागी नेताओं ने ऐलान किया कि 1 जुलाई से शिरोमणि अकाली दल बचाओ आंदोलन की शुरुआत की जाएगी। बागी नेताओं ने मांग की कि पार्टी के प्रधान सुखबीर सिंह बादल को पार्टी के कार्यकर्ताओं की भावनाओं को समझते हुए त्याग की भावना दिखानी चाहिए और किसी ऐसे नेता के हाथ में पार्टी की कमान सौंपनी चाहिए जो अकाली दल को मजबूत कर सके और धर्म और राजनीति के बीच संतुलन भी कायम कर सके। अकाली दल के बागी नेताओं की बैठक में पार्टी का प्रधान पद संत समाज से जुड़े किसी बड़े चेहरे को देने पर भी विचार किया गया है। जाने कब बना अकाली दल 14 दिसंबर, 1920 को एक SAD का गठन किया गया था। इसके पीछे उद्देश्य यह बताया गया था कि गुरुद्वारों को ब्रिटिश सरकार द्वारा नियुक्त महंतों (पुजारियों) के नियंत्रण से मुक्त कराया जाएगा। SAD के गठन से एक महीना पहले 15 नवंबर को शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक समिति (SGPC) का गठन हुआ था। ननकाना साहिब में मत्था टेकते समय एक डिप्टी कमिश्नर की बेटी के साथ छेड़छाड़ की घटना हुई थी और इस वजह से लोगों में गुस्सा था। तब यह मांग उठी थी कि गुरुद्वारों को महंतों से मुक्त कराया जाना चाहिए। SAD ने इसके खिलाफ संघर्ष छेड़ा और यह चार साल तक चला। इस दौरान महंतों और ब्रिटिश प्रशासन के हमलों में 4,000 लोगों की मौत हुई थी। आखिरकार सिख गुरुद्वारा एक्ट 1925 बनाया गया और सभी गुरुद्वारे एसजीपीसी के नियंत्रण में आ गए। अकाली दल ने देश की आजादी से पहले कांग्रेस के साथ भी गठबंधन किया था। SAD के नेता मास्टर तारा सिंह की वजह से ही बंटवारे के दौरान पंजाब के आधे हिस्से को पाकिस्तान में जाने से रोका गया था। बहुमत सुखबीर बादल के साथ एक तरफ विद्रोह तेज हो रहा है, लेकिन दूसरी तरफ सुखबीर अभी भी मजबूती के साथ खड़े हैं। अकाली दल कोर कमेटी व जिला इकाइयों ने प्रस्तावों में पार्टी अध्यक्ष सुखबीर सिंह बादल के स्पष्टवादी, दूरदर्शी और दृढ़ नेतृत्व की पार्टी की ओर से पूरे दिल से सराहना की है और उसमें विश्वास जताया गया। पार्टी के मौजूदा 35 जिला जत्थेदारों में से 33 और मौजूदा 105 हलका प्रभारियों में से 96 ने सुखबीर सिंह बादल के नेतृत्व की सराहना की। इन 33 जिला अध्यक्षों में से 28 ने वास्तव में बैठक में भाग लिया, जबकि जो पांच उपस्थित नहीं हो सके, उन्होंने कुछ पारिवारिक कारणों से उपस्थित होने में असमर्थता व्यक्त करते हुए लिखित रूप में अध्यक्ष के लिए अपने समर्थन की पार्टी को सूचित किया था।