लुधियाना में विगत दिवस PAU मैदान में राज्य स्तरीय आजादी दिवस मनाया गया। शहर से समस्त लोगों के साथ-साथ सीनियर अधिकारी भी समारोह में शिरकत करने पहुंचे। इस बीच लुधियाना के सिविल सर्जन जसबीर सिंह औलख की आजादी समारोह में एंट्री नहीं होने दी गई। उनके पास समारोह का निमंत्रण पत्र भी था। इसके बावजूद पुलिस कर्मचारियों ने उन्हें समारोह में नहीं जाने दिया। इस मामले में पुलिस कमिश्नर कुलदीप चहल के आदेश पर सब इंस्पेक्टर जसपाल सिंह और एएसआई जसपाल सिंह को तुरंत प्रभाव से सस्पेंड कर दिया गया है। 2 पुलिस कर्मचारियों को पुलिस लाइन लुधियाना भेज दिया गया है। सीपी के आदेशानुसार एएसआई जसपाल सिंह रोजाना रोल कॉल और परेड में मौजूद रहेंगे। इन कर्मचारियों के खिलाफ विभागीय जांच शुरू कर दी गई है। डीसी ने लिखा पुलिस कमिश्नर को पत्र जैसे ही मामला सीनियर अधिकारियों तक पहुंचा तो तुरंत एक्शन लेते हुए डिप्टी कमिश्नर साक्षी साहनी ने जिला पुलिस कमिश्नर को पत्र लिख दिया। डीसी ने पत्र में लिखा कि, सिविल सर्जन लुधियाना सेहत विभाग के सीनियर अधिकारी है। उन्हें प्रशासन की तरफ से आजादी दिवस समारोह का निमंत्रण (पास) भी भेजा गया था। समारोह स्थल पर अंदर आने से रोका इसके बावजूद उन्हें समारोह स्थल पर अंदर आने से रोका गया है। यह भी पता चला है कि कुछ पुलिस कर्मचारियों ने उनकी बाजू पकड़ कर बदतमीजी की है। इस घटना के बाद यह एक बड़ी लापरवाही सामने आई है। प्रोटोकाॅल के मुताबिक सिविल सर्जन एक बड़ा पद है जिनकी गरिमा को ठेस पहुंचाई गई है। इस मामले में तुरंत एक्शन लेते हुए उस जगह की पहचान की जाए जहां उनकी बाजू पकड़ी और बदतमीजी हुई है। वहां कौन से पुलिस कर्मचारी या अधिकारी तैनात थे उनसे जवाब तलबी की जाए कि उन्होंने निमंत्रण पत्र होने के बावजूद सिविल सर्जन से बदतमीजी करके उनके सम्मान को ठेस क्यों पहुंचाई। सिविल सर्जन ओलख का फेसबुक पर छलका दर्द…
सिविल सर्जन जसबीर सिंह ओलख ने फेसबुक पर लिखा-आज आजादी दिवस था, लुधियाना में भी मनाया गया। मुझे भी VIP कार्ड नंबर 962 जारी हुआ था। मैं 8.40 बजे PAU काम्प्लैक्स (जहां जिला स्तरी समागम था) में पहुंच गया। गेट पर तैनात कर्मचारियों/अधिकारियों ने सूची चैक की। बतौर सिविल सर्जन लुधियाना मेरा नाम उस सूची में नहीं था। खैर मैं अपना VIP पत्र और अपना पहचान पत्र कार्ड भी उन्हें दिखाया लेकिन एक अन्य कर्मचारी ने मुझे बाजु से पकड़ कर गेट से बाहर निकाल दिया। मेरे सामने काफी महमान बिना पास और पहचान पत्र कार्ड के अंदर जा रहे थे। मैने बहसबाजी करने की बजाय गांधी गिरी का रास्ता अपनाया। मैंने सारा समारोह सरकारी गाड़ी में बैठकर सुना, राष्ट्रीय गान के समय खड़े होकर बनता सम्मान भी दिया। इसकी सूचना/शिकायत डिप्टी कमिश्नर लुधियाना को ईमेल की गई, जिन्होंने एक एसडीएम की इस मामले में डयूटी लगाई जबकि सिविल सर्जन स्तर के अधिकारी द्वारा भेजा गई शिकायत पर तुरंत एक्शन होना बनता था। यह बेइज्जती डा. जसबीर सिंह ओलख की नहीं बल्कि समस्त पंजाब सिविल मैडिकल सर्विसज (PCMS) केडर की है, जो की पहले ही RMO/ आम आदमी क्लीनिक वगैरा-वगैरा में बांट कर आखरी सांसों पर है। लुधियाना में विगत दिवस PAU मैदान में राज्य स्तरीय आजादी दिवस मनाया गया। शहर से समस्त लोगों के साथ-साथ सीनियर अधिकारी भी समारोह में शिरकत करने पहुंचे। इस बीच लुधियाना के सिविल सर्जन जसबीर सिंह औलख की आजादी समारोह में एंट्री नहीं होने दी गई। उनके पास समारोह का निमंत्रण पत्र भी था। इसके बावजूद पुलिस कर्मचारियों ने उन्हें समारोह में नहीं जाने दिया। इस मामले में पुलिस कमिश्नर कुलदीप चहल के आदेश पर सब इंस्पेक्टर जसपाल सिंह और एएसआई जसपाल सिंह को तुरंत प्रभाव से सस्पेंड कर दिया गया है। 2 पुलिस कर्मचारियों को पुलिस लाइन लुधियाना भेज दिया गया है। सीपी के आदेशानुसार एएसआई जसपाल सिंह रोजाना रोल कॉल और परेड में मौजूद रहेंगे। इन कर्मचारियों के खिलाफ विभागीय जांच शुरू कर दी गई है। डीसी ने लिखा पुलिस कमिश्नर को पत्र जैसे ही मामला सीनियर अधिकारियों तक पहुंचा तो तुरंत एक्शन लेते हुए डिप्टी कमिश्नर साक्षी साहनी ने जिला पुलिस कमिश्नर को पत्र लिख दिया। डीसी ने पत्र में लिखा कि, सिविल सर्जन लुधियाना सेहत विभाग के सीनियर अधिकारी है। उन्हें प्रशासन की तरफ से आजादी दिवस समारोह का निमंत्रण (पास) भी भेजा गया था। समारोह स्थल पर अंदर आने से रोका इसके बावजूद उन्हें समारोह स्थल पर अंदर आने से रोका गया है। यह भी पता चला है कि कुछ पुलिस कर्मचारियों ने उनकी बाजू पकड़ कर बदतमीजी की है। इस घटना के बाद यह एक बड़ी लापरवाही सामने आई है। प्रोटोकाॅल के मुताबिक सिविल सर्जन एक बड़ा पद है जिनकी गरिमा को ठेस पहुंचाई गई है। इस मामले में तुरंत एक्शन लेते हुए उस जगह की पहचान की जाए जहां उनकी बाजू पकड़ी और बदतमीजी हुई है। वहां कौन से पुलिस कर्मचारी या अधिकारी तैनात थे उनसे जवाब तलबी की जाए कि उन्होंने निमंत्रण पत्र होने के बावजूद सिविल सर्जन से बदतमीजी करके उनके सम्मान को ठेस क्यों पहुंचाई। सिविल सर्जन ओलख का फेसबुक पर छलका दर्द…
सिविल सर्जन जसबीर सिंह ओलख ने फेसबुक पर लिखा-आज आजादी दिवस था, लुधियाना में भी मनाया गया। मुझे भी VIP कार्ड नंबर 962 जारी हुआ था। मैं 8.40 बजे PAU काम्प्लैक्स (जहां जिला स्तरी समागम था) में पहुंच गया। गेट पर तैनात कर्मचारियों/अधिकारियों ने सूची चैक की। बतौर सिविल सर्जन लुधियाना मेरा नाम उस सूची में नहीं था। खैर मैं अपना VIP पत्र और अपना पहचान पत्र कार्ड भी उन्हें दिखाया लेकिन एक अन्य कर्मचारी ने मुझे बाजु से पकड़ कर गेट से बाहर निकाल दिया। मेरे सामने काफी महमान बिना पास और पहचान पत्र कार्ड के अंदर जा रहे थे। मैने बहसबाजी करने की बजाय गांधी गिरी का रास्ता अपनाया। मैंने सारा समारोह सरकारी गाड़ी में बैठकर सुना, राष्ट्रीय गान के समय खड़े होकर बनता सम्मान भी दिया। इसकी सूचना/शिकायत डिप्टी कमिश्नर लुधियाना को ईमेल की गई, जिन्होंने एक एसडीएम की इस मामले में डयूटी लगाई जबकि सिविल सर्जन स्तर के अधिकारी द्वारा भेजा गई शिकायत पर तुरंत एक्शन होना बनता था। यह बेइज्जती डा. जसबीर सिंह ओलख की नहीं बल्कि समस्त पंजाब सिविल मैडिकल सर्विसज (PCMS) केडर की है, जो की पहले ही RMO/ आम आदमी क्लीनिक वगैरा-वगैरा में बांट कर आखरी सांसों पर है। पंजाब | दैनिक भास्कर