पंजाब के लुधियाना में एक किशोरी ने फंदा लगा कर आत्महत्या कर ली। किशोरी 3 दिन पहले घर से लापता हो गई थी। पुलिस ने उसे पक्खोवाल रोड से ढूंढा था। बीते शाम वह इलाके के बच्चों के साथ खेलते-खेलते झगड़ा करके कमरे चली गई। जिसके बाद उसने कपड़े के सहारे फंदा लगा सुसाइड कर लिया। पिता काम से वापस आया तो लटकता मिला शव जानकारी मुताबिक दुगरी के इलाके बाबा दीप सिंह नगर में शुक्रवार की देर शाम एक 13 वर्षीय किशोरी मुस्कान ने फंदा लगाकर खुदकुशी की। मामले का पता तब चला जब मृतका का पिता काम से घर वापस लौटा। जिसने कमरे में दाखिल हो देखा कि उसकी बेटी ने पंखे के साथ फंदा लगाया हुआ था। जिसे तुरंत नीचे उतार नजदीकी अस्पताल पहुंचाया गया, जहां से उसे सिविल अस्पताल लाया गया। जहां डॉक्टर ने उसे मृत घोषित किया। 3 दिन पहले घर से भी रह चुकी लापता मृतका किशोरी की पहचान दुगरी के इलाके बाबा दीप सिंह नगर की रहने वाली 13 वर्षीय मुस्कान के रूप में हुई। मृतका के पिता हकीम के अनुसार उसकी बेटी 3 दिन से घर से लापता थी। जिसे पुलिस ने शुक्रवार को पक्खोवाल चौक के पास पार्क से हम उम्र की लड़की के साथ ढूंढ निकाला था। बच्चों से झगड़ा कर खुद को किया कमरे में बंद शुक्रवार की शाम को वह काम से घर वापिस लौटा, तो उसे बच्चो ने बताया कि मुस्कान ने उनसे झगड़े के बाद खुद को कमरे में बंद कर लिया है। जिसका दरवाजा खोल देखा तो वह पंखे के बाद कपड़े के सहारे झूल रही थी। जिसने तुरन्त उसे नीचे उतार नजदीकी अस्पताल पुहंचाया, जहां से उसे सिविल अस्पताल भेज दिया गया। वहीं अस्पताल प्रशासन ने किशोरी के शव को मोर्चरी में रखवा थाना दुगरी की पुलिस को मामले की सूचना दी। पंजाब के लुधियाना में एक किशोरी ने फंदा लगा कर आत्महत्या कर ली। किशोरी 3 दिन पहले घर से लापता हो गई थी। पुलिस ने उसे पक्खोवाल रोड से ढूंढा था। बीते शाम वह इलाके के बच्चों के साथ खेलते-खेलते झगड़ा करके कमरे चली गई। जिसके बाद उसने कपड़े के सहारे फंदा लगा सुसाइड कर लिया। पिता काम से वापस आया तो लटकता मिला शव जानकारी मुताबिक दुगरी के इलाके बाबा दीप सिंह नगर में शुक्रवार की देर शाम एक 13 वर्षीय किशोरी मुस्कान ने फंदा लगाकर खुदकुशी की। मामले का पता तब चला जब मृतका का पिता काम से घर वापस लौटा। जिसने कमरे में दाखिल हो देखा कि उसकी बेटी ने पंखे के साथ फंदा लगाया हुआ था। जिसे तुरंत नीचे उतार नजदीकी अस्पताल पहुंचाया गया, जहां से उसे सिविल अस्पताल लाया गया। जहां डॉक्टर ने उसे मृत घोषित किया। 3 दिन पहले घर से भी रह चुकी लापता मृतका किशोरी की पहचान दुगरी के इलाके बाबा दीप सिंह नगर की रहने वाली 13 वर्षीय मुस्कान के रूप में हुई। मृतका के पिता हकीम के अनुसार उसकी बेटी 3 दिन से घर से लापता थी। जिसे पुलिस ने शुक्रवार को पक्खोवाल चौक के पास पार्क से हम उम्र की लड़की के साथ ढूंढ निकाला था। बच्चों से झगड़ा कर खुद को किया कमरे में बंद शुक्रवार की शाम को वह काम से घर वापिस लौटा, तो उसे बच्चो ने बताया कि मुस्कान ने उनसे झगड़े के बाद खुद को कमरे में बंद कर लिया है। जिसका दरवाजा खोल देखा तो वह पंखे के बाद कपड़े के सहारे झूल रही थी। जिसने तुरन्त उसे नीचे उतार नजदीकी अस्पताल पुहंचाया, जहां से उसे सिविल अस्पताल भेज दिया गया। वहीं अस्पताल प्रशासन ने किशोरी के शव को मोर्चरी में रखवा थाना दुगरी की पुलिस को मामले की सूचना दी। पंजाब | दैनिक भास्कर
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पंजाब पूर्व CM के पोते चुनाव हारकर भी मंत्री बने:दादा की एम्बेसडर कार को मानते हैं लकी; सचिवालय में ब्लास्ट के दौरान मौजूद थे
पंजाब पूर्व CM के पोते चुनाव हारकर भी मंत्री बने:दादा की एम्बेसडर कार को मानते हैं लकी; सचिवालय में ब्लास्ट के दौरान मौजूद थे वर्ष 1995 में आतंकवाद के दौर में सचिवालय बिल्डिंग ब्लास्ट में जान गंवाने वाले पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री बेअंत सिंह के पोते रवनीत बिट्टू को नरेंद्र मोदी 3.0 सरकार में मंत्री बनाया गया है। रवनीत बिट्टू ने 2024 लोकसभा चुनाव से पहले कांग्रेस छोड़कर भाजपा जॉइन की थी। भाजपा ने उन्हें लुधियाना से उम्मीदवार बनाया, लेकिन वह कांग्रेस के अमरिंदर सिंह राजा वड़िंग से हार गए। ऐसे में अब भाजपा ने उन्हें मंत्री बनाकर सिख समाज को साधने की कोशिश की। रवनीत बिट्टू के राजनीतिक करियर की शुरुआत साल 2008 में युवा कांग्रेस से शुरू किया था। 2008 में वे पंजाब यूथ कांग्रेस के पहले निर्वाचित अध्यक्ष बने। 2009 में पार्टी ने उन्हें श्री आनंदपुर साहिब से टिकट दी और दादा बेअंत सिंह व पिता स्वर्णजीत सिंह के किए कामों के कारण वे आसानी से चुनाव जीत गए। पार्टी ने भी पहली बार चुनाव जीतने के बाद उन्हें होम अफेयर्स कमेटी का सदस्य बना दिया। 2014 में कांग्रेस ने बिट्टू की सीट बदलते हुए लुधियाना शिफ्ट किया। इसके बाद 2014 और 2014 में वह इसी सीट से सांसद चुने गए। आतंकियों की धमकी को नजरअंदाज कर डाला वोट
90 के दशक में आतंकवाद का दौर था। आतंकियों ने वोट डालने वालों को जान से मारने की धमकी दे रखी थी। बिट्टू 18 साल के हुए थे और उनका पहला वोट डालने का मौका था। बिट्टू ने आतंकियों की धमकी करे नजरअंदाज कर वोट डाला। इतना ही नहीं, मुहिम चलाई और लोगों को आतंकियों की धमकी से उलट चल वोट डालने के लिए प्रोत्साहित किया। दादा की मौत के समय घटनास्थल पर मौजूद थे बिट्टू
पूर्व मुख्यमंत्री बेअंत सिंह के देहांत के समय रवनीत सिंह बिट्टू की उम्र महज 20 साल थी। वे सचिवालय की दूसरी मंजिल पर मौजूद थे, उनके चचेरे भाई गुरकिरत सिंह कोटली भी वहीं थे। जब धमाका हुआ तो वे तुरंत नीचे की तरफ भागे, लेकिन सुरक्षाकर्मियों ने दोबारा ब्लास्ट के संदेह के डर से दोनों को बिल्डिंग से बाहर निकाल दिया। उन्हें सुरक्षा के चलते गाड़ी के पास नहीं जाने दिया गया। अंत में बेअंत सिंह हाथ में पहने कड़े के कारण पहचाने गए। गुरकिरत कोटली चचेरे भाई
पूर्व मुख्यमंत्री बेअंत सिंह के देहांत के बाद बेटे तेजप्रकाश सिंह ने परंपरा को आगे बढ़ाया था। वे पंजाब के पूर्व मंत्री भी रह चुके हैं। उनकी छोटी बेटी गुरकंवल कौर भी राजनीति में रहीं। बेअंत सिंह के बेटे तेजप्रकाश के बेटे गुरकिरत सिंह कोटली खन्ना से 2 बार विधायक रह चुके हैं और आज भी कांग्रेस के साथ हैं। बेअंत सिंह के दूसरे बेटे स्वर्णजीत सिंह ने राजनीति से दूरी बनाकर रखी और उनके बेटे रवनीत बिट्टू राजनीति में आ गए। दादा की कार को मानते हैं लकी
रवनीत सिंह बिट्टू का अपने दादा के साथ भावनात्मक रिश्ता है। बेअंत सिंह की एम्बेसडर कार को बिट्टू लकी मानते हैं। अपना नामांकन वे हमेशा इसी कार में भरने जाते हैं। बिट्टू ने एक इंटरव्यू में कहा था उनके परिवार का उस कार से भावनात्मक रिश्ता है। जिसमें उनके दादा ने पंजाब कांग्रेस अध्यक्ष रहते हुए आतंकवाद के दिनों में राज्यभर में लाखों किलोमीटर का सफर किया करते थे। उनके पास अपने समय के महान राजनीतिक व्यक्तित्व की विरासत है। बम से उड़ाने की मिल चुकी धमकी
इस साल की शुरुआत में रवनीत सिंह बिट्टू को बम से उड़ाने की धमकी मिली थी। बिट्टू को वॉट्सऐप पर अज्ञात विदेशी नंबर से कॉल आई। धमकी देने वाले ने बिट्टू से कहा कि जल्द ही उन्हें बम से उड़ा दिया जाएगा। इसके बाद बिट्टू ने इसकी शिकायत पुलिस को दी थी। किसानों ने बिट्टू पर किया था हमला
जनवरी 2021 में कृषि कानूनों के खिलाफ किसान सिंघु बॉर्डर पर बैठे हुए थे। उस दौरान रवनीत सिंह बिट्टू किसानों के बीच पहुंचे। यहां उनकी किसानों के साथ कहासुनी हो गई। बात धक्कामुक्की से लेकर छीना झपटी तक जा पहुंची। इस दौरान बिट्टू की पगड़ी भी उतर गई थी। रवनीत सिंह बिट्टू से जुड़े 2 विवाद 1. कब्जे के आरोप में नोटिस मिला – मई महीने में नामांकन दाखिल करने से एक दिन पहले, नागरिक निकाय ने रवनीत बिट्टू को 8 साल तक लुधियाना में सरकारी घर पर अवैध रूप से कब्जा करने का आरोप लगाते हुए नोटिस दिया था। बिट्टू को नामांकन दाखिल करने से पहले घर खाली करने और जुर्माने के रूप में 1.82 करोड़ का भुगतान करने के लिए कहा गया। इसके बाद बिट्टू भाजपा कार्यालय चले गए और फर्श पर ही सोए। 2. किसानों के विरोध के कारण भागना पड़ा- लोकसभा चुनाव में प्रचार के दौरान रवनीत बिट्टू को लुधियाना में किसानों के विरोध का सामना करना पड़ा। इस दौरान एक वीडियो भी वायरल हुई थी, जिसमें बिट्टू भागते हुए नजर आए। इसके बाद बिट्टू ने कहा था कि “वह उन्हें (किसानों को) 4 जून (परिणाम वाले दिन) के बाद देख लेंगे”। राज्यसभा में भेजने की तैयारी में पार्टी
चूंकि रवनीत सिंह बिट्टू लोकसभा चुनाव हार गए हैं तो पार्टी उन्हें राज्यसभा में भेजने की तैयारी कर रही है। चर्चा है कि उन्हें हरियाणा से राज्यसभा में भेजा जा सकता है। कांग्रेस के दीपेंद्र सिंह हुड्डा के लोकसभा चुनाव जीतने के बाद यहां एक सीट खाली हुई है। यह पहला मौका नहीं है कि पंजाब में चुनाव हारकर कोई केंद्र में मंत्री बना हो। इससे पहले डॉ. मनमोहन सिंह, अरुण जेटली और हरदीप पुरी भी केंद्र में मंत्री बन चुके हैं।