पंजाब के लुधियाना में गर्मी से राहत पाने के लिए 6 दोस्त सतलुज नदी में नहाने गए थे। पता चला है कि 4 किशोर पानी में डूब गए हैं। अभी यह पता नहीं चल पाया है कि वे किन परिस्थितियों में डूबे। डूब रहे किशोरों को बचाने के लिए उनके दोस्तों ने काफी प्रयास किया लेकिन वे उन्हें बचा नहीं सके। दो दोस्तों ने घर आकर डूबे किशोरों के परिजनों को पूरी बात बताई। परिजनों ने पुलिस को सूचना दी। फिलहाल सलेम टाबरी थाने की पुलिस किशोरों की तलाश कर रही है। पुलिस गोताखोरों की भी मदद ले रही है। डूबे दो किशोरों की पहचान हो गई है। समीर खान और शाहबाज अंसारी। जानकारी देते हुए एसएचओ जगजीप सिंह जाखड़ ने बताया कि तलाश अभी जारी है। मामले की जांच की जा रही है। पंजाब के लुधियाना में गर्मी से राहत पाने के लिए 6 दोस्त सतलुज नदी में नहाने गए थे। पता चला है कि 4 किशोर पानी में डूब गए हैं। अभी यह पता नहीं चल पाया है कि वे किन परिस्थितियों में डूबे। डूब रहे किशोरों को बचाने के लिए उनके दोस्तों ने काफी प्रयास किया लेकिन वे उन्हें बचा नहीं सके। दो दोस्तों ने घर आकर डूबे किशोरों के परिजनों को पूरी बात बताई। परिजनों ने पुलिस को सूचना दी। फिलहाल सलेम टाबरी थाने की पुलिस किशोरों की तलाश कर रही है। पुलिस गोताखोरों की भी मदद ले रही है। डूबे दो किशोरों की पहचान हो गई है। समीर खान और शाहबाज अंसारी। जानकारी देते हुए एसएचओ जगजीप सिंह जाखड़ ने बताया कि तलाश अभी जारी है। मामले की जांच की जा रही है। पंजाब | दैनिक भास्कर
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ब्रिटेन के चुनाव में पंजाबियों का दबदबा:9 लोग चुनाव जीतने में रहे सफल, अधिकतर सत्तारूढ़ लेबर पार्टी से चुनाव लड़े
ब्रिटेन के चुनाव में पंजाबियों का दबदबा:9 लोग चुनाव जीतने में रहे सफल, अधिकतर सत्तारूढ़ लेबर पार्टी से चुनाव लड़े ब्रिटेन में हुए आम चुनावों में पंजाबी मूल के करीब 9 लोग भी चुनाव जीतने में सफल रहे हैं। ज्यादातर नेता सत्ता में आई लेबर पार्टी के टिकट पर चुनाव जीते हैं। इन सबमें प्रमुख नाम लेबर पार्टी के तनमनजीत सिंह ढेसी का है। वे मूल रूप से जालंधर के रहने वाले हैं। वे तीसरी बार सांसद बने हैं। इस जीत की खुशी पंजाब में भी मनाई जा रही है। साथ ही चुनाव जीतने वाले सभी पंजाबियों को बधाई दी जा रही है। इस बार ब्रिटेन के चुनाव में वहां की राजनीतिक पार्टियों ने 20 से ज्यादा भारतीय मूल और पंजाबियों को मैदान में उतारा था। क्योंकि वहां पंजाबियों की संख्या बढ़ती जा रही है। हालांकि, इस बार लगातार चुनाव जीतते आ रहे लेबर पार्टी के सांसद वीरेंद्र शर्मा मैदान से हट गए। वे जालंधर के रहने वाले हैं और लंबे समय से ब्रिटेन में ही बसे हुए हैं। हालांकि, पिछले चुनाव में तीन लोग चुनाव जीतने में सफल रहे थे। प्रीत कौर गिल तीसरी बार पहुंची सांसद लेबर पार्टी की प्रीत कौर गिल ने तीसरी बार बर्मिंघम-एडस्बेस्टन से चुनाव जीता है। प्रीत कौर गिल को पहली महिला सिख सांसद होने का गौरव भी प्राप्त है। जस अठवाल भी चुनाव जीतने में कामयाब पता चला है कि जस अठवाल भी चुनाव जीतने में कामयाब रहे हैं। उन्होंने इल्फोर्ड साउथ से चुनाव जीता है। उनका जन्म भी 1963 में पंजाब में हुआ थ। वह, साल 2010 से राजनीति में सक्रिय है। हरप्रीत कौर ने भी जीता चुनाव हरप्रीत कौर उप्पल भी पंजाबी मूल की है। उन्होंने लेबर पार्टी की टिकट हडर्सफील्ड से चुनाव लड़ा था। वरिंदर जस को भी मिली कामयाबी इस तरह वरिंदर जस भी लेबर पार्टी की टिकट पर चुनाव जीता है। उन्होंने वॉल्वरहैम्प्टन वेस्ट से चुनाव जीता है। इस दौरान जब उन्हें विजेता घोषित किया तो उनके समर्थकों का जोश देखते ही बन रहा था। इसी तरह गुरिंदर सिंह जोसन स्मेथविक संसदीय क्षेत्र से सांसद चुने गए हैं
तरनतारन में अवैध खनन के खिलाफ खोला मोर्चा:भारतीय किसान यूनियन डीएसपी कार्यालय पर प्रदर्शन, ज्ञापन सौंपकर रोक की मांग
तरनतारन में अवैध खनन के खिलाफ खोला मोर्चा:भारतीय किसान यूनियन डीएसपी कार्यालय पर प्रदर्शन, ज्ञापन सौंपकर रोक की मांग पंजाब में रेत का अवैध खनन नहीं रुक रहा है( ताजा मामला जिला तरन तारन के विधानसभा क्षेत्र पट्टी के जल्लोके गांव से सामने आया है, जहां बड़े पैमाने पर दरिया से रेत निकाली जा रही है। भारतीय किसान यूनियन एकता सिधूपुर के नेता सतनाम सिंह हरिके ने अवैध खनन का मामला उठाया और डीएसपी पट्टी के कार्यालय के रोष प्रदर्शन करते हुए डीएसपी को मांग पत्र देकर अवैध खदान को बंद करने की मांग की है। शनिवार को भारतीय किसान यूनियन एकता सिधूपुर के नेता सतनाम सिंह हरिके ने बातचीत में बताया कि न्यायालय द्वारा जलोके की खदान पर रोक के आदेश के बावजूद जलोके खदान पर अवैध खनन का काम चल रहा है। यहां तक कि खनन करने वाले खेतों में काम कर रहे किसानों को भी काम करने से रोकते हैं और मारपीट करते हैं। सतनाम सिंह ने कहा कि कई बार पुलिस को सूचना देने के बाद भी पुलिस द्वारा अवैध खनन नहीं रोका जा रहा है। उधर, जब थाना सदर पट्टी की पुलिस से संपर्क किया गया तो मौके पर मौजूद ड्यूटी ऑफिसर सुखविंदर सिंह ने कहा कि मामला उनके ध्यान में आ गया है। जलोके में हो रहे खनन की जानकारी लेने के लिए खनन विभाग को लिखा गया है, यदि अवैध खनन पाया गया तो उचित कार्रवाई की जाएगी।
पंजाब उपचुनाव-कांग्रेस MP की पत्नी त्रिकोणीय मुकाबले में फंसी:2 बार के वित्तमंत्री और अकाली बागी से टक्कर; SAD-डेरे के वोट बैंक ने टेंशन बढ़ाई
पंजाब उपचुनाव-कांग्रेस MP की पत्नी त्रिकोणीय मुकाबले में फंसी:2 बार के वित्तमंत्री और अकाली बागी से टक्कर; SAD-डेरे के वोट बैंक ने टेंशन बढ़ाई पंजाब की 4 विधानसभा सीटों पर उपचुनाव के लिए 20 नवंबर को वोटिंग होगी। इनमें गिद्दड़बाहा सबसे हॉट सीट है। सभी पॉलिटिक्स एक्सपर्ट्स की नजरें इस सीट पर लगी हुई हैं। इसके हॉट सीट होने की 3 बड़ी वजहें हैं। पहली, यहां से कांग्रेस प्रधान सांसद अमरिंदर राजा वड़िंग की पत्नी अमृता वड़िंग चुनाव लड़ रही हैं। दूसरी, पूर्व CM प्रकाश सिंह बादल के भतीजे 2 बार के वित्त मंत्री मनप्रीत बादल BJP के उम्मीदवार हैं। तीसरी, अकाली दल के पूर्व प्रधान सुखबीर बादल के बेहद करीबी हरदीप डिंपी ढिल्लों आम आदमी पार्टी (AAP) से चुनाव लड़ रहे हैं। वहीं, जिस अकाली दल की इस सीट पर मजबूत पकड़ रही, वह इस बार चुनाव नहीं लड़ रहा। गिद्दड़बाहा सीट पर वोटरों का मिजाज जानने दैनिक भास्कर ग्राउंड पर पहुंचा तो यहां तिकोना मुकाबला नजर आता है। कांग्रेस उम्मीदवार अमृता वड़िंग पति राजा वड़िंग की वजह से मजबूत नजर आ रही हैं। राजा वड़िंग के इस्तीफे से ही यह सीट खाली हुई। वह लगातार 3 बार यहां से चुनाव जीत चुके हैं। यहां तक कि 2022 में AAP की की 117 में से 92 सीटों पर जीत के बावजूद वह यहां सीट बचाने में कामयाब रहे थे। भाजपा के उम्मीदवार मनप्रीत बादल को यहां बादल परिवार की विरासत का फायदा मिल रहा है। मनप्रीत बादल यहां से 4 बार विधायक रह चुके हैं। कांग्रेस की हैट्रिक से पहले वही यहां से चुनाव जीतते रहे थे। इसके बाद वह बठिंडा सीट पर चले गए थे। वह पहले अकाली दल में थे। AAP के उम्मीदवार हरदीप डिंपी ढिल्लो अकाली दल से 2 बार चुनाव लड़े, लेकिन कांग्रेस से हार गए। इस बार वह पार्टी बदलकर चुनाव लड़ रहे हैं। विधायक न होते हुए भी उन्होंने अकाली-भाजपा सरकार में काम कराए। उन्हें एक तरफ 2 बार की हार को लेकर लोगों की सहानुभूति मिल रही है तो दूसरी तरफ प्रदेश में सरकार और उसके ढ़ाई साल के बचे कार्यकाल का फायदा मिल रहा है। हालांकि, इस सीट पर अकाली दल के वोट बैंक और डेरा सच्चा सौदा के प्रेमियों के वोटर्स ने सबको टेंशन में डाल रखा है। गिद्दड़बाहा सीट पर कुल 1 लाख 66 हजार 489 मतदाता है। इनमें 86 हजार 724 पुरुष और 79 हजार 754 महिला मतदाता है। 11 वोट ट्रांसजेंडर के हैं। इनमें 18 से 19 साल के 5469 और 80 साल से अधिक उम्र के 1010 वोटर हैं। 7 पॉइंट में जानिए गिद्दड़बाहा सीट का समीकरण डिंपी ढिल्लों विरोधियों को बाहरी कैंडिडेट बता रहे
डिंपी ढिल्लों इस चुनाव को लोकल वर्सेज बाहरी कैंडिडेट बता रहे हैं। उनका कहना है कि वह गिद्दड़बाहा के स्थानीय है। बाकी दोनों उम्मीदवार बाहरी हैं। वह ही लोगों के सुख-दुख में शामिल हो सकते हैं। MLA और मंत्री रहे बगैर भी उन्होंने अपने लेवल पर करोड़ों के काम कराए। अमृता वड़िंग खुद को गिद्दड़बाहा की बेटी बता रहीं
अमृता वड़िंग लोगों को यह विश्वास दिलाने में जुटी है कि वह क्षेत्र का विकास करवा सकती हैं। वह खुद को गिद्दड़बाहा की बेटी बता रही हैं। इसके लिए उन्होंने ‘साड्डी धी-साड्डा मान’ के नाम से कैंपेन भी चलाई। उनका दावा है कि वह यहां लंबे समय से सक्रिय हैं, जिससे वह क्षेत्र को दूसरे के मुकाबले अच्छी तरह समझती हैं। मनप्रीत कह रहे, मैं वित्त मंत्री रहा, विकास के लिए फंड लाउंगा
मनप्रीत बादल कहते हैं कि वह गिद्दड़बाहा का विकास करने में सक्षम हैं। जब तक वह यहां से MLA रहे, गिद्दड़बाहा में खूब विकास हुआ। उन्होंने कई बड़े प्रोजेक्ट लगाए। वह 2 बार वित्तमं त्री रह चुके हैं। उन्हें पता है कि सरकारें कहां-कहां पैसे रखती हैं। इसलिए, वह हलके के लिए फंड लाकर ज्यादा विकास करा सकते हैं। क्या कहते हैं वोटर्स… मनप्रीत की वजह से इलाके में खेती हुई
रविंदर सिंह पेशे से किसान हैं। वह कहते हैं कि हमारे इलाके में पहले फसल नहीं होती थी। मनप्रीत बादल की वजह से किसानों को मोटरें मिलीं। उसके बाद इस इलाके में खेती होने लगी है। आज हमारे लिए अच्छे अवसर पैदा हुए हैं। वड़िंग ने काम नहीं किया
कारोबारी करनजीत सिंह कहते हैं कि देश की आजादी से लेकर अभी तक गली-नालियों के मुद्दे चल रहे हैं। जरा सी बारिश में इलाका तालाब बन जाता है। 3 बार राजा वड़िंग को जिताया, लेकिन काम नहीं हुआ। इस बार सहानुभूति लगा लो, हम हरदीप सिंह डिंपी ढिल्लों को चुनने की सोच रहे हैं। अभी राज्य में AAP की सरकार है। ऐसे में हलके का विकास हो सकता है। एक्सपर्ट बोले- गिद्दड़बाहा में AAP और कांग्रेस में टक्कर
सीनियर पत्रकार और पॉलिटिकल एक्सपर्ट चंद्र प्रकाश के मुताबिक, गिद्दड़बाहा में AAP और कांग्रेस में टक्कर में हैं। जहां तक BJP की बात है तो उन पर चंडीगढ़ में हरियाणा की विधानसभा को जगह देने के इश्यू का इंपैक्ट पड़ेगा। इसके अलावा भाजपा नेताओं द्वारा दिए जा रहे बयान भी चुनावी नतीजों पर असर डालेंगे। हालांकि, मनप्रीत का अपना रसूख अलग है। वह पहले मंत्री और विधायक रहे हैं। इसके अलावा शिरोमणि अकाली दल का वोट बैंक भी चुनाव में अहम भूमिका निभाएगा। गिद्दड़बाहा सीट से 2 CM चुनाव लड़ चुके
यह सीट 1967 में बनी। उसके बाद यहां से 14 बार चुनाव हुए हैं, जिनमें 9 बार शिरोमणि अकाली दल और 5 बार कांग्रेस जीती हैं। यहां से पहला चुनाव कांग्रेस की टिकट पर पूर्व मुख्यमंत्री हरचरण सिंह बराड़ ने जीता था। इसके बाद 1969,1972,1977,1980 और 1985 में लगातार पूर्व CM प्रकाश सिंह बादल जीते। 1992 में कांग्रेस की टिकट पर रघुबीर सिंह चुनाव जीते थे। फिर 1995 उपचुनाव, 1997, 2002 और 2007 में यहां अकाली दल के टिकट पर मनप्रीत बादल चुनाव जीते। जबकि, 2012, 2017 और 2022 में यहां से कांग्रेस नेता अमरिंदर सिंह राजा वड़िंग विजयी रहे। ****************** पंजाब उपचुनाव से जुड़ी ये 3 ग्राउंड रिपोर्ट भी पढ़ें… 1. बरनाला में तिकोना मुकाबला:AAP को बागी का नुकसान, BJP शहरी वोटर्स के भरोसे; कांग्रेस को सत्ता के विरोध से आस
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