हिमाचल प्रदेश में सुक्खू कैबिनेट के 7 मंत्री लोकसभा चुनाव की परीक्षा में फेल हुए हैं। मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू भी इस परीक्षा को पास नहीं कर पाए। CM समेत 8 मंत्री अपने-अपने विधानसभा हलकों से पार्टी प्रत्याशी को लीड नहीं दिला पाए। नतीजा यह है कि सत्तारूढ़ कांग्रेस का सुपड़ा साफ हो गया। ऊना जिला के हरोली विधानसभा से विधायक व प्रदेश सरकार में डिप्टी सीएम मुकेश अग्निहोत्री, किन्नौर से विधायक व बागवानी मंत्री जगत सिंह नेगी और शिक्षा मंत्री रोहित ठाकुर तीन मंत्री ही इस परीक्षा में पास हुए हैं। मुकेश समेत दो मंत्रियों का कद ऊंचा लोकसभा चुनाव के नतीजों से मुकेश अग्निहोत्री का कद ऊंचा हुआ है। क्योंकि उन्होंने अपने विधानसभा क्षेत्र से पार्टी कैंडिडेट सतपाल रायजादा को लीड दिलाई है। साथ ही अपने गृह जिला ऊना की दो विधानसभा सीटों कुटलैहड़ और गगरेट के उपचुनाव में भी कांग्रेस की जीत हुई है। CM के हलके से अनुराग को 2153 की लीड मुख्यमंत्री सुक्खू के नादौन हलके से बीजेपी के अनुराग ठाकुर 2153 से ज्यादा मतों की लीड ले गए। इसी संसदीय सीट पर टीसीपी मिनिस्टर राजेश धर्माणी भी बिलासपुर के घुमारवीं हलके से पार्टी कैंडिडेट को बढ़त नहीं दिला सके। धर्माणी के हलके से अनुराग को 13753 की लीड मिली। हैरानी इस बात की है कि सत्तपाल रायजादा अपने विधानसभा क्षेत्र ऊना से खुद बी लीड नहीं ले सके और उनके विधानसभा में बीजेपी प्रत्याशी ने 326 मतों की बढ़त ली है। इससे अनुराग ठाकुर की जीत की राह आसान हो गई और करीब पौने दो लाख मतों के अंतर से चुनाव जीत गए। शिमला सीट पर मंत्री रोहित ने दिलाई लीड कमोबेश यही हाल शिमला संसदीय क्षेत्र में भी है। इस सीट से सुक्खू सरकार में पांच कैबिनेट मंत्री, तीन CPS सहित कैबिनेट रैंक वाले नेताओं की लंबी-चौड़ी लिस्ट है। मगर रोहित ठाकुर को छोड़कर सब अपने अपने चुनाव क्षेत्र में पिट गए। कांग्रेस प्रत्याशी विनोद सुल्तानपुरी जो अभी कसौली से विधायक है, वह भी अपने कसोली विधानसभा से लीड नहीं ले सके। शिमला सीट पर ये मंत्री नाकाम शिमला संसदीय क्षेत्र के अंतर्गत शिलाई के विधायक व मंत्री हर्षवर्धन चौहान, सोलन के धनीराम शांडिल, जुब्बल कोटखाई के रोहित ठाकुर, शिमला ग्रामीण के विक्रमादित्य सिंह और कसुम्पटी के विधायक अनिरुद्ध सिंह सुक्खू कैबिनेट में मंत्री है। इनमें से केवल रोहित ठाकुर के जुब्बल कोटखाई विधानसभा से 5937 वोट की लीड कांग्रेस ले पाई है। शिलाई से बीजेपी को 2317 वोट की बढ़त, सोलन से 5016, शिमला ग्रामीण से 6448 और कसुम्पटी से 6039 वोट की लीड मिली है। हालांकि विक्रमादित्य सिंह अपने चुनाव की वजह से शिमला ग्रामीण में प्रचार नहीं कर पाए। मगर दूसरे मंत्री तो अपने अपने चुनाव क्षेत्र में डटे रहे। फिर भी लीड नहीं दिला सके। यह लीड संबंधित क्षेत्र के लोकप्रियता और सरकार की जनता में लोकप्रियता को दर्शाता है। मंडी सीट पर मंत्री जगत नेगी ने दिलाई 8562 वोट की लीड अब बात करेंगे मंडी लोकसभा सीट की। इस सीट से सुक्खू सरकार में किन्नौर से इकलौते मंत्री जगत सिंह नेगी है। किन्नौर से कांग्रेस को 8562 वोट की लीड मिली है। किन्नौर के अलावा मंडी संसदीय हलके के तीन अन्य विधानसभा आनी, लाहौल स्पीति और रामपुर से भी कांग्रेस को बढ़त मिली है। रामपुर विक्रमादित्य सिंह का घर है। आनी और लाहौल स्पीति में विक्रमादित्य की अपनी और पार्टी वर्कर की मेहनत से लीड मिली है। कांगड़ा की एक भी विधानसभा से कांग्रेस को बढ़त नहीं कांगड़ा संसदीय सीट ऐसी है जहां 17 में से एक भी विधानसभा सीट पर कांग्रेस को बढ़त नहीं मिली, जबकि सुक्खू सरकार में कांगड़ा के ज्वाली से कृषि मंत्री चंद्र कुमार, जयसिंहपुर से यादवेंद्र गोमा आयुष मंत्री है। ज्वाली से बीजेपी को 12640 वोट और जयसिंहपुर से 8833 वोट की बढ़त मिली है। इसी तरह फतेहपुर से विधायक भवानी सिंह पठानिया, नगरोटा के विधायक आरएस बाली, शाहपुर के विधायक केवल सिंह पठानिया को कैबिनेट रैंक और जिले से दो सीपीए है। मगर कोई भी नेता कांग्रेस प्रत्याशी आनंद शर्मा को लीड नहीं दिला सका। हिमाचल में सीएम समेत 11 मंत्री फेल प्रदेश में सीएम व डिप्टी सीएम समेत 11 मंत्री, छह मुख्य संसदीय सचिव के साथ साथ बोर्ड निगमों में एक दर्जन से ज्यादा नेताओं की ताजपोशी और करीब एक दर्जन को मुख्यमंत्री ने कैबिनेट रैंक दे रखे है। 8 मंत्रियों के अलावा पांच CPS दून से रामकुमार, कुल्लू से सुंदर सिंह ठाकुर, पालमपुर से आशीष बुटेल, बैजनाथ से किशोरी लाल और अर्की से संजय अवस्थी भी लोकसभा चुनाव में अपने हलकों से कांग्रेस प्रत्याशियों को लीड नहीं दिला सके। सीपीएस में केवल एमएल ब्राक्टा ही अपने रोहड़ू विधानसभा से लीड दिलाने में कामयाब रहे हैं। हिमाचल प्रदेश में सुक्खू कैबिनेट के 7 मंत्री लोकसभा चुनाव की परीक्षा में फेल हुए हैं। मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू भी इस परीक्षा को पास नहीं कर पाए। CM समेत 8 मंत्री अपने-अपने विधानसभा हलकों से पार्टी प्रत्याशी को लीड नहीं दिला पाए। नतीजा यह है कि सत्तारूढ़ कांग्रेस का सुपड़ा साफ हो गया। ऊना जिला के हरोली विधानसभा से विधायक व प्रदेश सरकार में डिप्टी सीएम मुकेश अग्निहोत्री, किन्नौर से विधायक व बागवानी मंत्री जगत सिंह नेगी और शिक्षा मंत्री रोहित ठाकुर तीन मंत्री ही इस परीक्षा में पास हुए हैं। मुकेश समेत दो मंत्रियों का कद ऊंचा लोकसभा चुनाव के नतीजों से मुकेश अग्निहोत्री का कद ऊंचा हुआ है। क्योंकि उन्होंने अपने विधानसभा क्षेत्र से पार्टी कैंडिडेट सतपाल रायजादा को लीड दिलाई है। साथ ही अपने गृह जिला ऊना की दो विधानसभा सीटों कुटलैहड़ और गगरेट के उपचुनाव में भी कांग्रेस की जीत हुई है। CM के हलके से अनुराग को 2153 की लीड मुख्यमंत्री सुक्खू के नादौन हलके से बीजेपी के अनुराग ठाकुर 2153 से ज्यादा मतों की लीड ले गए। इसी संसदीय सीट पर टीसीपी मिनिस्टर राजेश धर्माणी भी बिलासपुर के घुमारवीं हलके से पार्टी कैंडिडेट को बढ़त नहीं दिला सके। धर्माणी के हलके से अनुराग को 13753 की लीड मिली। हैरानी इस बात की है कि सत्तपाल रायजादा अपने विधानसभा क्षेत्र ऊना से खुद बी लीड नहीं ले सके और उनके विधानसभा में बीजेपी प्रत्याशी ने 326 मतों की बढ़त ली है। इससे अनुराग ठाकुर की जीत की राह आसान हो गई और करीब पौने दो लाख मतों के अंतर से चुनाव जीत गए। शिमला सीट पर मंत्री रोहित ने दिलाई लीड कमोबेश यही हाल शिमला संसदीय क्षेत्र में भी है। इस सीट से सुक्खू सरकार में पांच कैबिनेट मंत्री, तीन CPS सहित कैबिनेट रैंक वाले नेताओं की लंबी-चौड़ी लिस्ट है। मगर रोहित ठाकुर को छोड़कर सब अपने अपने चुनाव क्षेत्र में पिट गए। कांग्रेस प्रत्याशी विनोद सुल्तानपुरी जो अभी कसौली से विधायक है, वह भी अपने कसोली विधानसभा से लीड नहीं ले सके। शिमला सीट पर ये मंत्री नाकाम शिमला संसदीय क्षेत्र के अंतर्गत शिलाई के विधायक व मंत्री हर्षवर्धन चौहान, सोलन के धनीराम शांडिल, जुब्बल कोटखाई के रोहित ठाकुर, शिमला ग्रामीण के विक्रमादित्य सिंह और कसुम्पटी के विधायक अनिरुद्ध सिंह सुक्खू कैबिनेट में मंत्री है। इनमें से केवल रोहित ठाकुर के जुब्बल कोटखाई विधानसभा से 5937 वोट की लीड कांग्रेस ले पाई है। शिलाई से बीजेपी को 2317 वोट की बढ़त, सोलन से 5016, शिमला ग्रामीण से 6448 और कसुम्पटी से 6039 वोट की लीड मिली है। हालांकि विक्रमादित्य सिंह अपने चुनाव की वजह से शिमला ग्रामीण में प्रचार नहीं कर पाए। मगर दूसरे मंत्री तो अपने अपने चुनाव क्षेत्र में डटे रहे। फिर भी लीड नहीं दिला सके। यह लीड संबंधित क्षेत्र के लोकप्रियता और सरकार की जनता में लोकप्रियता को दर्शाता है। मंडी सीट पर मंत्री जगत नेगी ने दिलाई 8562 वोट की लीड अब बात करेंगे मंडी लोकसभा सीट की। इस सीट से सुक्खू सरकार में किन्नौर से इकलौते मंत्री जगत सिंह नेगी है। किन्नौर से कांग्रेस को 8562 वोट की लीड मिली है। किन्नौर के अलावा मंडी संसदीय हलके के तीन अन्य विधानसभा आनी, लाहौल स्पीति और रामपुर से भी कांग्रेस को बढ़त मिली है। रामपुर विक्रमादित्य सिंह का घर है। आनी और लाहौल स्पीति में विक्रमादित्य की अपनी और पार्टी वर्कर की मेहनत से लीड मिली है। कांगड़ा की एक भी विधानसभा से कांग्रेस को बढ़त नहीं कांगड़ा संसदीय सीट ऐसी है जहां 17 में से एक भी विधानसभा सीट पर कांग्रेस को बढ़त नहीं मिली, जबकि सुक्खू सरकार में कांगड़ा के ज्वाली से कृषि मंत्री चंद्र कुमार, जयसिंहपुर से यादवेंद्र गोमा आयुष मंत्री है। ज्वाली से बीजेपी को 12640 वोट और जयसिंहपुर से 8833 वोट की बढ़त मिली है। इसी तरह फतेहपुर से विधायक भवानी सिंह पठानिया, नगरोटा के विधायक आरएस बाली, शाहपुर के विधायक केवल सिंह पठानिया को कैबिनेट रैंक और जिले से दो सीपीए है। मगर कोई भी नेता कांग्रेस प्रत्याशी आनंद शर्मा को लीड नहीं दिला सका। हिमाचल में सीएम समेत 11 मंत्री फेल प्रदेश में सीएम व डिप्टी सीएम समेत 11 मंत्री, छह मुख्य संसदीय सचिव के साथ साथ बोर्ड निगमों में एक दर्जन से ज्यादा नेताओं की ताजपोशी और करीब एक दर्जन को मुख्यमंत्री ने कैबिनेट रैंक दे रखे है। 8 मंत्रियों के अलावा पांच CPS दून से रामकुमार, कुल्लू से सुंदर सिंह ठाकुर, पालमपुर से आशीष बुटेल, बैजनाथ से किशोरी लाल और अर्की से संजय अवस्थी भी लोकसभा चुनाव में अपने हलकों से कांग्रेस प्रत्याशियों को लीड नहीं दिला सके। सीपीएस में केवल एमएल ब्राक्टा ही अपने रोहड़ू विधानसभा से लीड दिलाने में कामयाब रहे हैं। हिमाचल | दैनिक भास्कर
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हिमाचल की टॉप-अफसरशाही बदलेगी:रेरा चेयरमैन और मुख्य सचिव नया बनेगा; श्रीकांत बाल्दी की रिटायरमेंट के बाद चर्चाएं तेज, लॉबिंग में लगे दावेदार हिमाचल प्रदेश की टॉप-ब्यूरोक्रेसी में नए साल में बड़ा फेरबदल होने वाला है। इसकी सुगबुगाहट रेरा यानी रियल एस्टेट विनियामक प्राधिकरण के चेयरमैन डॉ. श्रीकांत बाल्दी के रिटायर होने की वजह से ज्यादा तेज हुई है। श्रीकांत बाल्दी बीते गुरुवार को ही रिटायर हुए हैं। रेरा चेयरमैन पद पर 5 साल के लिए तैनाती होती है। लिहाजा रेरा चेयरमैन के मलाइदार पद को लॉबिंग तेज हो गई है। सूत्र बताते हैं कि रेरा चेयरमैन के लिए मुख्य सचिव प्रबोध सक्सेना (1990 बैच) सरकार से तार भिड़ा रहे हैं। उन्हें इस पद की रेस में आगे माना जा रहा है। प्रबोध सक्सेना मार्च में रिटायर हो रहे हैं। मगर सरकार इससे पहले ही सक्सेना को रेरा में तैनाती दे सकती है। सरकार इसके लिए जल्द आवेदन मांगेगी। इसके बाद चेयरमैन पद के दूसरे दावेदार भी सामने आएंगे। सक्सेना के चेयरमैन बनने से मुख्य सचिव बदलना तय अगर प्रबोध सक्सेना रेरा चेयरमैन बने तो इससे सूबे का नया मुख्य सचिव बनना भी तय है। मुख्य सचिव की रेस में सीनियोरिटी की वजह से 1988 बैच के वरिष्ठ IAS संजय गुप्ता सबसे आगे हैं। सीनियोरिटी की वजह से उनकी दावेदारी सबसे मजबूत मानी जा रही है। मगर आखिरी फैसला मुख्यमंत्री सुक्खू को लेना है। प्रबोध सक्सेना को दो साल पहले जब मुख्य सचिव बनाया गया था, तब भी संजय गुप्ता की सीनियोरिटी को नजरअंदाज कर दिया था और उन्हें एडवाइजर लगाया था। गुप्ता के बाद केके पंत और ओंकार का नाम चर्चा में संजय गुप्ता के बाद मुख्य सचिव की दौड़ में 1993 बैच के IAS एवं दो महीने पहले ही सेंटर डेपुटेशन से लौटें अतिरिक्त मुख्य सचिव (ACS) केके पंत हैं। केके पंत ने प्रदेश लौटने से पहले मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू से दिल्ली में ही मुलाकात की थी। तब यह माना जा रहा था कि मुख्यमंत्री सुक्खू पंत को अगला मुख्य सचिव बना सकते हैं। पंत के बाद वरिष्ठता में अनुराधा ठाकुर सीनियर IAS हैं। मगर वह अभी सेंटर डेपुटेशन पर हैं। अब तक उनके हिमाचल लौटने की संभावनाएं कम थी, क्योंकि इलेक्शन कमीशन ऑफ इंडिया अनुराधा को हिमाचल का मुख्य चुनाव अधिकारी (CEO) नियुक्त कर चुका है। मगर अनुराधा ने जॉइन नहीं किया और वह दिल्ली में ही डटी हुई हैं। सूत्र बताते हैं कि अब अनुराधा भी हिमाचल लौटने को तैयार है। अगले एक महीने में वह प्रदेश लौट सकती है। ओंकार के पक्ष में हिमाचली होना अनुराधा के बाद अतिरिक्त मुख्य सचिव एवं 1994 बैच के IAS ओंकार चंद शर्मा का नाम भी अगले मुख्य सचिव की रेस में गिना जा रहा है। ओंकार शर्मा के पक्ष में उनका हिमाचली होना है। सरकार उन पर भी भरोसा दिखा सकतीं हैं। वर्मा की रिटायरमेंट के बाद खाली हो जाएगा रेरा वहीं रेरा में बाल्दी के बाद इकलौते मेंबर आरके वर्मा भी 31 दिसंबर को रिटायर होने जा रहे हैं। रेरा के दूसरे मेंबर बीसी बडालिया पहले ही रिटायर हो चुके हैं। इसके बाद रेरा खाली हो जाएगा। लिहाज़ा सरकार रेरा चेयरमैन और सदस्य की नियुक्ति के लिए जल्द चयन प्रक्रिया आरंभ करेगी। प्रबोध सक्सेना के अलावा दूसरे रिटायर अधिकारी भी गोटियां फिट करने में जुट गए हैं। यह कमेटी करेगी चेयरमैन का चयन रेरा चेयरमैन का चयन मुख्य न्यायाधीश अध्यक्षता में गठित कमेटी करती है। इसके लिए आवेदन आमंत्रित किए जाते हैं। इस कमेटी में शहरी विकास विभाग के प्रधान सचिव और विधि सचिव सदस्य होते हैं। रेरा का ये काम? प्रदेश में काम करने वाले बिल्डरों का रेरा में पंजीकरण होता है। उसके बाद ही बिल्डर हिमाचल में आवासीय कॉलोनियां बना पाते हैं। बिल्डर अगर फ्लैट बेचने में लोगों के साथ धोखाधड़ी करता है तो पीड़ितों की शिकायत भी रेरा में ही सुनी जाती है। गलती पाए जाने पर बिल्डरों पर जुर्माना लगाया जाता है। यहीं नहीं अगर बिल्डर मौके पर गलत काम कर रहा है तो इस स्थिति में रेरा के तहत ही बिल्डरों पर कार्रवाई होती है। बताया जा रहा है कि इसी सप्ताह सरकार की ओर से रेरा के लिए लोगों से आवेदन मांगे जाएंगे। अध्यक्ष पद व एक सदस्य के लिए प्रशासनिक सेवाओं का अनुभव जरूरी होता है जबकि एक सदस्य के लिए वास्तुकार का अनुभव जरूरी है।
हिमाचल हाईकोर्ट में महाजन की अर्जी खारिज:राज्यसभा चुनाव को चुनौती वाली याचिका पर सुनवाई, की थी सिंधवी की पिटीशन खारिज की मांग
हिमाचल हाईकोर्ट में महाजन की अर्जी खारिज:राज्यसभा चुनाव को चुनौती वाली याचिका पर सुनवाई, की थी सिंधवी की पिटीशन खारिज की मांग हिमाचल हाईकोर्ट में आज राज्यसभा चुनाव को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई हुई। कोर्ट ने पिछली हियरिंग में राज्यसभा सांसद हर्ष महाजन को जवाब देने के आदेश दिए थे। हर्ष महाजन ने तो जवाब नहीं दिया। मगर पिछले कल एक एप्लिकेशन जरूर फाइल की, जिसमें अभिषेक मनु सिंघवी की याचिका को खारिज करने का आग्रह किया गया है। याचिकाकर्ता पक्ष ने अंडर ऑर्डर 7 रूल्स (11) में दी गई एप्लिकेशन का विरोध किया और जान-बूझकर केस में देरी करने की टेक्टिस बताया। इस पर कोर्ट ने भी कहा कि, आखिरी दिन में यह एप्लिकेशन क्यों दी गई, जो रिकॉर्ड पर भी नहीं आ पाई। एडवोकेट नीरज गुप्ता ने बताया, इसके बाद याचिकाकर्ता पक्ष ने इस केस में अपना जवाब देने के लिए एक हफ्ते का समय मांगा, ताकि इस केस में बहस शुरू की जा सके। इस पर कोर्ट ने अगली सुनवाई 23 जुलाई को निर्धारित की है। इस दिन कांग्रेस के राज्यसभा चुनाव में प्रत्याशी रहे अभिषेक मनु सिंघवी की याचिका पर बहस शुरू होगी। सिंघवी ने दायर की थी याचिका आपको बता दें कि, अभिषेक मनु सिंघवी ने राज्यसभा चुनाव को हिमाचल हाईकोर्ट में एक याचिका डालकर चुनौती दी है। इसमें उन्होंने मुकाबला बराबरी पर छूटने के बाद पर्ची से विजय घोषित करने के नियम को गलत बताया है। उन्होंने कहा कि यदि दो प्रत्याशी को बराबर-बराबर वोट मिलते हैं, उस सूरत में लॉटरी निकालने का जो फॉर्मूला है, वह गलत है। हारा हुआ डिक्लेयर किया अभिषेक मनु सिंघवी के अनुसार, नियम की एक धारणा को उन्होंने याचिका में चुनौती दी है। जब मुकाबला टॉय होता है, उसके बाद पर्ची निकाली जाती है। जिसकी पर्ची निकलती है, उसे विनर डिक्लेयर होना चाहिए। मगर, अभी जिसकी पर्ची निकलती है, उसे हारा हुआ डिक्लेयर किया गया है। यह धारणा कानूनी रूप से गलत है। राज्यसभा चुनाव में सिंघवी व महाजन को मिले थे बराबर वोट बकौल सिंघवी पर्ची में जिसका नाम निकलता है, उसकी जीत होनी चाहिए। नियम में जिसने भी यह धारणा दी है, वो गलत है। कहा कि एक्ट में ऐसा कोई नियम नहीं है, लेकिन नियम में यह धारणा है। उसे चुनौती दी गई है। यदि यह धारणा गलत है तो जो चुनाव हुए हैं, उसमे जो परिणाम घोषित हुआ है, वो भी गलत है। सिंघवी ने इलेक्शन को लीगल ग्राउंड पर चैलेंज किया है। सिंघवी और महाजन को मिले थे 34-34 वोट दरअसल, प्रदेश में बीते 27 फरवरी को राज्यसभा चुनाव में कांग्रेस के अभिषेक मनु सिंघवी और भाजपा के हर्ष महाजन को 34-34 वोट मिले थे। मुकाबला टॉय होने के बाद लॉटरी से हर्ष महाजन चुनाव जीत गए थे, क्योंकि पर्ची अभिषेक मनु सिंघवी की निकली थी। इस केस में पिछली सुनवाई के दौरान कोर्ट ने याचिकाकर्ता पक्ष की दलीलें सुनने के बाद BJP सांसद एवं प्रतिवादी बनाए गए हर्ष महाजन को नोटिस जारी किया था। तब कोर्ट ने 9 जुलाई की सुनवाई से पहले जवाब देने के निर्देश दिए थे।
हिमाचल में मस्जिद विवाद के बाद अलर्ट:बाहरी लोगों पर नजर रखने के निर्देश; शिमला से भड़की चिंगारी अन्य शहरों में भी सुलगने लगी
हिमाचल में मस्जिद विवाद के बाद अलर्ट:बाहरी लोगों पर नजर रखने के निर्देश; शिमला से भड़की चिंगारी अन्य शहरों में भी सुलगने लगी हिमाचल सरकार ने शिमला के संजौली में मस्जिद विवाद के बाद प्रदेशभर अलर्ट जारी किया है। संजौली में प्रदर्शनकारियों और पुलिस के बीच झड़प के बाद देर शाम मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने पुलिस महानिदेशक (DGP) अतुल वर्मा से फीडबैक लिया। इस दौरान उन्होंने कानून व्यवस्था बनाए रखने और मस्जिदों के आसपास भीड़ नहीं जुटने देने के निर्देश दिए, क्योंकि शिमला के संजौली से सुलगी विरोध की चिंगारी प्रदेश के अन्य शहरों में भी भड़कने लगी है। हिंदू संगठन मस्जिदों को तोड़ने की मांग को लेकर प्रदर्शन कर रहे हैं। शिमला के कसुम्पटी में बीते सप्ताह 2 बार स्थानीय लोग मस्जिद तोड़ने को प्रदर्शन कर चुके हैं। मंडी में भी 2 दिन पहले प्रदर्शन और बीते कल स्थानीय लोगों ने DC मंडी से मिलकर अवैध मस्जिद को गिराने की मांग की। बीती शाम को सिरमौर जिला के पांवटा साहिब में भी हिंदू संगठनों ने रैली निकालकर समुदाय विशेष के लोगों की वैरिफिकेशन की मांग की। खूफिया तंत्र को भी एक्टिव रहने के निर्देश इसे देखते हुए मुख्यमंत्री ने कानून व्यवस्था बनाए रखने और खूफिया तंत्र को एक्टिव रहने को कहा है। हिंदू संगठनों के पुलिस लाठीचार्ज से नाराज शिमला के व्यापारी भी आज बाजार बंद रखेंगे। शिमला में तनावपूर्ण माहौल के बीच पुलिस ने बॉर्डर एरिया में चौकसी बढ़ा दी है। बाहरी राज्यों गाड़ियों को प्रदेश की सीमाओं पर जांच के बाद ही एंट्री दी जा रही है। इन शहरों में मुस्लिम बस्तियां शिमला जिला के चौपाल, नालागढ़, नाहन, चंबा व मंडी में काफी मुस्लिम बस्तियां है। इन बस्तियों में पुलिस को निगरानी बढ़ाने को कहा गया है। मस्जिद के आसपास पुलिस बल तैनात करने को कहा गया है।