लोहिया-इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइन्सेज के भर्तियों का विज्ञापन निरस्त:हाईकोर्ट ने रोस्टर गलत बनाने के मामले की सुनवाई की, 1 दिसम्बर 2023 को जारी किया गया था विज्ञापन

लोहिया-इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइन्सेज के भर्तियों का विज्ञापन निरस्त:हाईकोर्ट ने रोस्टर गलत बनाने के मामले की सुनवाई की, 1 दिसम्बर 2023 को जारी किया गया था विज्ञापन

इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ खण्डपीठ ने लोहिया-इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइन्सेज के भर्तियों का विज्ञापन निरस्त कर दिया है। रोस्टर गलत बनाने को लेकर कोर्ट में याचिका दाखिल की गई थी। डॉ. राम मनोहर लोहिया मेडिकल साइन्सेज, लखनऊ में जनरल सर्जरी, ऑर्थोपेडिक्स, अब्स्टेट्रिक्स एंड गॉयनेकोलॉजी, फिजियॉलॉजी, नेफ्रोलॉजी व बॉयोकेमेस्ट्री विभागों के लिए प्रोफेसर्स की भर्ती सम्बंधी 1 दिसम्बर 2023 के विज्ञापन को निरस्त कर दिया है। यह आदेश न्यायमूर्ति प्रकाश सिंह की एकल पीठ ने डॉ. संजय कुमार भट व पाँच अन्य याचियों की ओर से दाखिल याचिका पर सुनवाई के पश्चात पारित किया। याचियों की ओर से उपस्थित अधिवक्ता गौरव मेहरोत्रा ने सुनवाई के समय न्यायालय को बताया कि उक्त विज्ञापन के जारी किए जाने से पूर्व आरक्षण की प्रक्रिया ही नहीं लागू की गई। याचियों की ओर से उपस्थित अधिवक्ता ने न्यायालय को यह भी बताया कि रोस्टर इस तरह से बनाया गया है कि याची लोग स्वयं आवेदन नहीं कर पा रहे हैं। न्यायालय को यह भी बताया गया कि क्रिटिकल कोर यूनिट में सविंदा के टीचर से काम चलाया जा रहा है। मामले में 6 फरवरी को ही आदेश पारित करते हुए, न्यायालय ने भर्तियों को अपने अंतिम आदेशों के आधीन कर लिया था। इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ खण्डपीठ ने लोहिया-इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइन्सेज के भर्तियों का विज्ञापन निरस्त कर दिया है। रोस्टर गलत बनाने को लेकर कोर्ट में याचिका दाखिल की गई थी। डॉ. राम मनोहर लोहिया मेडिकल साइन्सेज, लखनऊ में जनरल सर्जरी, ऑर्थोपेडिक्स, अब्स्टेट्रिक्स एंड गॉयनेकोलॉजी, फिजियॉलॉजी, नेफ्रोलॉजी व बॉयोकेमेस्ट्री विभागों के लिए प्रोफेसर्स की भर्ती सम्बंधी 1 दिसम्बर 2023 के विज्ञापन को निरस्त कर दिया है। यह आदेश न्यायमूर्ति प्रकाश सिंह की एकल पीठ ने डॉ. संजय कुमार भट व पाँच अन्य याचियों की ओर से दाखिल याचिका पर सुनवाई के पश्चात पारित किया। याचियों की ओर से उपस्थित अधिवक्ता गौरव मेहरोत्रा ने सुनवाई के समय न्यायालय को बताया कि उक्त विज्ञापन के जारी किए जाने से पूर्व आरक्षण की प्रक्रिया ही नहीं लागू की गई। याचियों की ओर से उपस्थित अधिवक्ता ने न्यायालय को यह भी बताया कि रोस्टर इस तरह से बनाया गया है कि याची लोग स्वयं आवेदन नहीं कर पा रहे हैं। न्यायालय को यह भी बताया गया कि क्रिटिकल कोर यूनिट में सविंदा के टीचर से काम चलाया जा रहा है। मामले में 6 फरवरी को ही आदेश पारित करते हुए, न्यायालय ने भर्तियों को अपने अंतिम आदेशों के आधीन कर लिया था।   उत्तरप्रदेश | दैनिक भास्कर