वाराणसी के नाटी इमली का भरत मिलाप मेला में रविवार को भगदड़ मच गई। मेले में श्रीराम के पुष्पक विमान के साथ पहुंचे यादव बंधुओं को पुलिस ने रोक दिया। इसके बाद दोनों में नोकझोंक होने लगी। देखते ही देखते खींचतानी होने लगी। इसमें राज्यमंत्री रविंद्र जायसवाल के बेटे की भी पुलिस से बहस हो गई। इस दौरान भीड़ बेकाबू हो गई। कई लोग दब गए। कई लोगों ने जूते चप्पल फेंककर मारे। इस दौरान पुलिस को लाठी चॉर्ज करना पड़ा। इससे हालत और बेकाबू हो गए। घटनास्थल की 3 तस्वीरें देखिए खबर अपडेट हो रही है वाराणसी के नाटी इमली का भरत मिलाप मेला में रविवार को भगदड़ मच गई। मेले में श्रीराम के पुष्पक विमान के साथ पहुंचे यादव बंधुओं को पुलिस ने रोक दिया। इसके बाद दोनों में नोकझोंक होने लगी। देखते ही देखते खींचतानी होने लगी। इसमें राज्यमंत्री रविंद्र जायसवाल के बेटे की भी पुलिस से बहस हो गई। इस दौरान भीड़ बेकाबू हो गई। कई लोग दब गए। कई लोगों ने जूते चप्पल फेंककर मारे। इस दौरान पुलिस को लाठी चॉर्ज करना पड़ा। इससे हालत और बेकाबू हो गए। घटनास्थल की 3 तस्वीरें देखिए खबर अपडेट हो रही है उत्तरप्रदेश | दैनिक भास्कर
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नीरज चोपड़ा को हराने वाले पाकिस्तानी अरशद नदीम की कहानी:गांव वालों ने पैसे इक्ट्ठा कर दिलवाया था पुराना भाला; आर्थिक तंगी ऐसी- ईंद पर खा पाते थे मीट
नीरज चोपड़ा को हराने वाले पाकिस्तानी अरशद नदीम की कहानी:गांव वालों ने पैसे इक्ट्ठा कर दिलवाया था पुराना भाला; आर्थिक तंगी ऐसी- ईंद पर खा पाते थे मीट पेरिस ओलिंपिक में पाकिस्तान के अरशद नदीम ने जेवलिन थ्रो में गोल्ड मेडल जीत कर इतिहास रच दिया है। अरशद के लिए अभी तक का सफर आसान नहीं रहा है। उन्होंने यहां तक पहुंचने के लिए कड़ी मेहनत की है। इसके साथ-साथ गरीबी से भी जूझे हैं। पाकिस्तान की एक रिपोर्ट के मुताबिक अरशद के पिता मजदूर हैं और उन्होंने गांव के लोगों से चंदा मांगकर अरशद की ट्रेनिंग करवाई है। पेरिस ओलिंपिक में अरशद की सीधी टक्कर भारत के नीरज चोपड़ा से थी। नीरज सिल्वर लेकर आए हैं। पाकिस्तान के अरशद ने ओलिंपिक में नायाब रिकॉर्ड बनाया। उन्होंने 92.97 मीटर दूर भाला फेंका। इससे पहले नॉर्ने के एथलीट थोरकिल्डसेन एंड्रियास ने 2008 में बीजिंग ओलिंपिक में 90.57 मीटर का रिकॉर्ड बनाया था। अब नदीम ने इस रिकॉर्ड को तोड़कर इतिहास रच दिया। ये पाकिस्तान के इतिहास में पहली बार रहा जब ओलिंपिक में किसी एथलीट ने व्यक्तिगत स्पर्धा में स्वर्ण पदक जीता। कौन हैं अरशद नदीम, जिन्होंने जीता पेरिस ओलिंपिक में गोल्ड मेडल
दरअसल, 27 साल के जेवलिन थ्रोअर अरशद नदीम पाकिस्तानी खिलाड़ी हैं, जिन्होंने जेवलिन थ्रो इवेंट के फाइनल में गोल्ड मेडल अपने नाम किया। अरशद के गोल्ड मेडल जीतने के बाद उनकी हर जगह तारीफ तो हो रही है, लेकिन उनके जिंदगी के असली संघर्ष की कहानी के बारे में लोगों को कुछ खास नहीं पता। अरशद नदीम के पिता मुहम्मद अशरफ मजदूर हैं। उनके पास इतने पैसे नहीं थे कि वह घर का खर्चा और नदीम की ट्रेनिंग दोनों का खर्च उठा सकें। नदीम को पेरिस ओलिंपिक में भेजने के लिए उनके पूरे गांव ने मिलकर उनकी ट्रेनिंग के लिए पैसे इक्ठ्ठा किए। पुराने डैमेज भाले से किया अभ्यास उनके पिता ने मीडिया से बातचीत करते हुए बताया था कि लोगों को इसका अंदाजा भी नहीं कि अरशद यहां तक कैसे पहुंचा। कैसे उनके गांव वालों ने उनके करियर की शुरुआत में चंदा जुटाकर उन्हें अलग-अलग जगह ट्रेनिंग और ट्रेवल करने में मदद की। उन्होंने ये भी बताया कि आर्थिक तंगी के चलते अरशद को एक पुराने भाले से प्रैक्टिस करनी पड़ी। ये भाला खराब भी हो चुका था और उन्हें कई साल से इंटरनेशनल लेवल का नया भाला नहीं खरीद सके और पुराने डैमेज हो चुके भाले से ही अभ्यास करते रहे। अरशद नदीक का ऐसा रहा करियर
पाकिस्तान के अरशद नदीम ने टोक्यो 2020 ओलंपिक्स में पुरुषों के जैवलिन थ्रो इवेंट में 86.62 मीटर दूर भाला फेंककर के साथ पांचवां स्थान हासिल किया। इससे पहले नदीम का करियर बेस्ट थ्रो 90.18 मीटर था, जिसने उन्हें 90 मीटर का आंकड़ा पार करने वाले वह पहले एशियाई बने। साल 2015 में नदीम ने भाला फेंक इवेंट में हिस्सा लेना शुरू किया था और बेहद ही कम समय में उन्होंने अपनी छाप छोड़ दी। साल 2016 में उन्होंने गुवाहाटी में भारत में साउथ एशियन गेम्स में 78.33 मीटर की राष्ट्रीय रिकॉर्ड थ्रो के साथ कांस्य पदक जीता। इसके बाद नदीम ने 2019 की वर्ल्ड एथलेटिक्स चैम्पियनशिप, दोहा, कतर में अपनी काबिलियत का लोहा मानवाया। एक स्कूल के बच्चे से लेकर आज ओलिंपिक चैंपियन बनने तक कि नदीम की कहानी ये साबित करती है कि मेहनत और समपर्ण से कोई कुछ भी हासिल कर सकता है।
इवेंट में जाने के भी नहीं होते थे पैसे
नदीम के पिता मुहम्मद अशरफ ने पाकिस्तानी मीडिया से बातचीत में बताया कि लोगों ने नदीम की ट्रेनिंग के लिए पैसे इकट्ठे किए। समुदाय का यह सहयोग नदीम के लिए बहुत महत्वपूर्ण था, क्योंकि शुरुआती दिनों में उसके पास यात्रा और दूसरे शहरों में प्रशिक्षण के लिए जरूरी पैसे नहीं थे। हालात ऐसे की ब्रॉन्ज की भी नहीं थी आस पाकिस्तान के पंजाब के खानेवाल गांव में पले-बढ़े नदीम के परिवार को एक समय पर भारी आर्थिक तंगी का सामना करना पड़ा। उनके पिता मजदूरी करते थे, जो अपने सात बच्चों के बड़े परिवार का भरण-पोषण करने के लिए संघर्ष करते थे। उनके बड़े भाई शाहिद अजीम के अनुसार, वे साल में केवल एक बार ईद-उल-अज़हा के दौरान ही मीट खरीद पाते थे। नदीम ने पाकिस्तान को दिलाया तीसरा ओलिंपिक मेडल
नदीम ने 27 वर्ष की आयु में गुरुवार को पाकिस्तान के लिए पहला स्वर्ण पदक हासिल किया। यह उपलब्धि देश का तीसरा ओलिंपिक पदक है, इससे पहले उसने रोम 1960 में कुश्ती में और सियोल 1988 में मुक्केबाजी में पदक जीता था।
सात एथलीट में सिर्फ नदीम को मिली सफलता
पाकिस्तान ने पेरिस ओलिंपिक में सात एथलीट भेजे थे, लेकिन केवल नदीम ही अपने इवेंट में फाइनल के लिए क्वालिफाई कर पाए। फाइनल के लिए उनके क्वालिफाई करने पर उनके गांव में जश्न मनाया गया, जहां उनके परिवार और साथी ग्रामीणों ने गर्व और खुशी व्यक्त की। अरशद नदीम की कहानी सिर्फ पदक जीतने की नहीं है। यह दृढ़ता और सामुदायिक समर्थन की कहानी है। उनकी सफलता ने पाकिस्तान में एथलेटिक्स की ओर ध्यान आकर्षित किया है, जो कि मुख्य रूप से क्रिकेट पर केंद्रित देश है। किस हालात और विपरीत परिस्थिति में नदीम ने यह मुकाम हासिल किया।
फतेहाबाद-अग्रोहा-हिसार रूट पर नहीं चलेगी ट्रेन:रेल मंत्रालय ने कराया सर्वे, कम ट्रैफिक का हवाला देकर रद्द की मांग
फतेहाबाद-अग्रोहा-हिसार रूट पर नहीं चलेगी ट्रेन:रेल मंत्रालय ने कराया सर्वे, कम ट्रैफिक का हवाला देकर रद्द की मांग हरियाणा के फतेहाबाद जिले को अपना रेलवे स्टेशन नहीं मिलेगा। फतेहाबाद जिला मुख्यालय को रेल नेटवर्क से जोड़ने के लिए किए गए सर्वे को रेल मंत्रालय ने खारिज कर दिया है। सिरसा लोकसभा से कांग्रेस सांसद कुमारी सैलजा ने संसद में फतेहाबाद-अग्रोहा-हिसार को रेल नेटवर्क से जोड़ने का मुद्दा उठाया था। इस पर रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने जवाब दिया कि हिसार और सिरसा पहले से ही भट्टू कलां के जरिए भारतीय रेलवे नेटवर्क से पूरी तरह जुड़े हुए हैं। हिसार से फतेहाबाद-अग्रोहा होते हुए सिरसा तक सर्वे किया गया था, लेकिन सर्वे में ट्रैफिक अनुमान कम होने के कारण इस प्रोजेक्ट को आगे नहीं बढ़ाया जा सका। फतेहाबाद मुख्यालय को रेल नेटवर्क से जोड़ने के प्रोजेक्ट को रेल मंत्रालय ने ठंडे बस्ते में डाल दिया है। पूर्व प्रधानमंत्री से लेकर रेल मंत्री तक कर चुके हैं घोषणा फतेहाबाद के निवासी लंबे समय से जिला मुख्यालय को रेल नेटवर्क से जोड़ने की मांग कर रहे हैं। राजनीतिक घोषणाओं में कई बार यहां रेल की सीटी बज चुकी है। वर्ष 2000 में पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने एमएम कॉलेज में फतेहाबाद को रेलवे लाइन से जोड़ने की घोषणा की थी। इसके बाद पूर्व रेल मंत्री लालू प्रसाद यादव और अशोक तंवर ने भी फतेहाबाद को रेलवे लाइन से जोड़ने की घोषणा की, लेकिन उनकी घोषणा अभी तक पूरी नहीं हुई है। नए रेल नेटवर्क के लिए यह मापदंड जरूरी नए रेल नेटवर्क को मंजूरी देने के लिए रेल मंत्रालय की ओर से मापदंड तय किए गए हैं। जब भी देश के किसी भी राज्य के जिलों को रेल नेटवर्क के जरिए एक-दूसरे से जोड़ने की मांग होती है, तो रेल मंत्रालय तय मापदंड के आधार पर सर्वे करता है। रेल परियोजनाओं की लाभप्रदता के साथ-साथ यातायात अनुमान, अंतिम मील कनेक्टिविटी, मिसिंग लिंक और वैकल्पिक मार्गों की जांच की जाती है। इतना ही नहीं, संतृप्त लाइनों के विकास और सामाजिक-आर्थिक महत्व को भी प्राथमिकता दी जाती है। चल रही परियोजनाओं के आधार पर प्रतिस्पर्धा की मांग को भी आधार बनाया गया है। सिरसा से नई दिल्ली तक इंटरसिटी ट्रेन चलाने की मांग अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी की महासचिव, पूर्व केंद्रीय मंत्री एवं सिरसा सांसद कुमारी सैलजा ने सिरसा में रेल सुविधाओं को लेकर रेल मंत्री को पत्र लिखा है तथा अनुरोध किया है कि नई दिल्ली से सिरसा तक वाया महम-रोहतक-हांसी-हिसार व सिरसा नई इंटरसिटी ट्रेन चलाई जाए तथा भिवानी व हिसार आने वाली कुछ प्रमुख ट्रेनों को सिरसा तक बढ़ाया जाए। कुमारी सैलजा ने पत्र में लिखा है कि उनके संसदीय क्षेत्र सिरसा के लोगों की मांग है कि कुछ ट्रेनें सिरसा तक चलाई जाएं, जिसे वे उनके संज्ञान में लाना चाहती हैं। उन्होंने पत्र में कहा है कि नई दिल्ली से सिरसा तक वाया महम, रोहतक, हांसी, हिसार व सिरसा नई इंटरसिटी ट्रेन चलाई जाए।
MEA to states after Kerala’s ‘foreign secretary’ order row : ‘Do not intrude into foreign affairs’
MEA to states after Kerala’s ‘foreign secretary’ order row : ‘Do not intrude into foreign affairs’ The controversial appointment circular by the Kerala government which mentioned the decision to create a post called ‘Secretary for External Cooperation’ is beyond their constitutional jurisdiction, said the Ministry of External Affairs (MEA).