4 साल पहले विंध्याचल मंदिर तक लोग संकरी गलियों से पहुंचते थे। भीड़ होती, तो एक-दूसरे से टकराते हुए आगे बढ़ते। प्रमुख पर्व पर जब भीड़ उमड़ती, तो डर इस बात का रहता था कि कहीं कोई दुर्घटना न हो जाए। फिर यहां कॉरिडोर बनना शुरू हुआ। मंदिर पहुंचने के 4 रास्तों की पहचान की गई और उनका चौड़ीकरण हुआ। भव्य पिलर और गेट बने। जयपुर के पत्थरों को तराशकर ऐसी डिजाइन दी गई कि विंध्याचल पूरी तरह से बदल गया। कॉरिडोर के पहले फेज का काम पूरा हो चुका है। दूसरे फेज का काम शुरू हो रहा। कॉरिडोर से पहले जितनी भीड़ यहां आती थी, अब उसके 3 गुना श्रद्धालु यहां आने लगे हैं। दुकानदार खुश हैं, क्योंकि उनकी बिक्री बढ़ी। लेकिन, कुछ नाराज भी हैं, क्योंकि रोड चौड़ीकरण से उनका बिजनेस ही उजड़ गया। विंध्याचल में कितना कुछ बदल गया, यह जानने के लिए दैनिक भास्कर की टीम विंध्यवासिनी धाम पहुंची। विंध्याचल में क्या कुछ नजर आया, आइए शुरुआत से जानते हैं… 2018 में प्रपोजल, 2021 में अमित शाह ने शिलान्यास किया
2017 में यूपी में भाजपा की सरकार बनने के बाद मंदिरों का कायाकल्प शुरू हुआ। वाराणसी के बाबा विश्वनाथ मंदिर का कायाकल्प हुआ। पीएम के संसदीय क्षेत्र में कॉरिडोर तैयार हुआ। गलियां चौड़ी हुईं और लोग आराम से मंदिर तक पहुंचने लगे। 2018 में मिर्जापुर के उस वक्त के डीएम अनुराग पटेल ने विंध्याचल में भी कॉरिडोर बनाने का प्रपोजल तैयार किया और शासन को भेजा। कहा गया कि यहां की संकरी गलियां अधिक भीड़ नहीं संभाल सकतीं। 30 अक्टूबर, 2020 को यूपी सरकार की तरफ से मंजूरी मिली। अमित शाह ने शिलान्यास किया। नवंबर, 2020 से काम शुरू हो गया। विंध्य कॉरिडोर का यह प्रोजेक्ट 331 करोड़ रुपए का है। अभी भी काम चल रहा है। बहुत सारे काम होने बाकी हैं। पहले फेज में मंदिर के चारों तरफ 4 रास्तों को चौड़ा करना था। ये रास्ते नई वीआईपी रोड, पुरानी वीआईपी रोड, थाना वाली गली और पक्का घाट गली नाम से थे। पहले इनकी चौड़ाई 5 से 10 फीट की थी, लेकिन अब इनकी चौड़ाई 50 फीट कर दी गई है। 130 पिलर के जरिए परिक्रमा मार्ग बनाया गया है। इस प्रोजेक्ट में अहरौरा के गुलाबी पत्थरों का प्रयोग किया गया है। इसकी नक्काशी के लिए जयपुर से कारीगर आए थे। ‘कॉरिडोर के बाद यहां का वास्तविक विकास हुआ’
हम न्यू वीआईपी रास्ते से होते हुए मंदिर के अंदर पहुंचे। यहां हमारी मुलाकात विंध्य विकास परिषद के सदस्य पंडित ईश्वर दत्त त्रिपाठी से हुई। कॉरिडोर के बारे में पूछा तो कहते हैं- विंध्याचल में जब से कॉरिडोर बनना शुरू हुआ, तब से यहां वास्तविक बदलाव आया। यहां आने वाली भीड़ को देखते हुए कॉरिडोर बहुत जरूरी हो गया था। अगर यह नहीं होता तो भीड़ रुकती कहां? कैसे दर्शन करने पहुंचती, बहुत समस्या हो जाती। अब देखिए कॉरिडोर के साथ सुलभ शौचालय बने, मुंडन स्थल बने, पूजन की अलग व्यवस्था बनी। तमाम ऐसी सुविधाएं हुईं, जिनसे भक्तों को सहूलियत हुई। हमने पूछा कि यहां आने वाली भीड़ में कितना बदलाव हुआ? ईश्वर दत्त पहले कहते हैं- 200% का इजाफा हुआ। लेकिन फिर कहते हैं, दोगुना नहीं बल्कि इससे भी ज्यादा भीड़ बढ़ी है। पहले रोज करीब 17-18 हजार लोग आते थे, आज हर दिन 50 हजार लोग आ रहे हैं। पूर्णिमा और विशेष पर्व जैसे दिनों पर तो यह संख्या लाखों में पहुंच जाती है। पहले नवरात्रि में 10-12 लाख लोग दर्शन करने आते थे। अब नवरात्रि के हर दिन 4-5 लाख लोग आते हैं। कुल मिलाकर यहां तेजी से भीड़ बढ़ी है। उसे मैनेज करने के लिए कॉरिडोर की जरूरत थी, वह बन गया है। हमने पूछा कि क्या अभी और किसी चीज की जरूरत है? वह कहते हैं- पहले फेज का काम तो हो गया है, लेकिन काम लगातार ही चल रहा। जैसे पहले रास्तों पर शेड लगाने का कोई प्लान नहीं था। लेकिन बढ़ती गर्मी में धूप से भक्तों के पैर जल रहे, इसलिए अब टीन शेड लगाए जा रहे हैं। इसी तरह से जहां जरूरत लग रही, वहां काम किया जा रहा है। पहले डर रहता था कि कहीं कोई हादसा न हो जाए
स्थानीय कारोबारी तरुण पांडेय कॉरिडोर के पहले की कहानी बताते हुए कहते हैं- यहां की गलियां संकरी थीं। नवरात्रि में जब अष्टमी पर भीड़ लगती, तो गलियां एकदम भर जाती थीं। डर लगता था कि कहीं कोई दुर्घटना न हो जाए। कॉरिडोर बनने से यह डर खत्म हो गया। प्रयागराज कुंभ के दौरान यहां करोड़ों लोग आए, सबने अच्छे से दर्शन किए। अब इससे ज्यादा क्या ही लोग आएंगे। बाकी अभी फेज-1 का काम पूरा हुआ है। अभी अष्टभुजा मंदिर, काली खोह मंदिर पर भी काम होना बाकी है। गंगा के किनारे पक्के घाट बनाए ही जा रहे हैं। यह योगीजी का ड्रीम प्रोजेक्ट है, इसलिए विंध्याचल पूरी तरह से बदल गया। मंदिर से करीब 200 मीटर की दूरी से ही गंगा नदी गुजरी हैं। उधर भी एक चौड़ा रास्ता बनाया गया है। लेकिन, नदी तक पहुंचने के लिए जो सीढ़ियां हैं, वो एकदम खड़ी हैं। हम नीचे पहुंचे तो देखा कि इस वक्त गंगा के किनारे पक्के घाटों का निर्माण हो रहा है। यह काम अगले 6 महीने में पूरा होने की बात कही जा रही है। घाट 35 फीट चौड़ा और 200 मीटर लंबा होगा। इसके बन जाने से विंध्याचल में गंगा का किनारा वाराणसी के घाटों की तरह हो जाएगा। स्ट्रीट लाइटें लगाई जाएंगी। इसके अलावा लोग नाव के जरिए भी घूम सकेंगे। प्रधान पुजारी बोले- सरकारी धन कमाने का अड्डा बना
हमारी मुलाकात यहीं विंध्यवासिनी मंदिर के प्रधान पुजारी राजन पाठक से हुई। राजन जिला कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष भी हैं। सदर सीट से विधानसभा चुनाव लड़ चुके हैं। वह कहते हैं- कॉरिडोर अच्छी चीज है, लेकिन खराब भी है। अच्छी इसलिए, क्योंकि इसके जरिए यात्रियों को सुविधा मिली। खराब इसलिए, क्योंकि इस तपस्थली के मूल ढांचे के साथ गलत किया गया। तमाम देवी-देवताओं की मूर्ति को तोड़कर एक देवी पर फोकस किया गया। यहां वेद-पुराण के जरिए फैसला नहीं लिया जा रहा, बल्कि अधिकारी और नेता फैसला ले रहे हैं। कुल मिलाकर यह सरकारी पैसा कमाने का अड्डा बन गया है। हमने कुछ कमियों को लेकर सवाल किया। राजन कहते हैं- हवन कुंड हमेशा से भगवान की मूर्ति के सामने होते हैं, लेकिन यहां मूर्ति के पीछे बनाया गया है। कई जगहों से तो हवन कुंड को ही हटा दिया गया है। इतने मंदिर औरंगजेब और बाबर के समय नहीं तोड़े गए, जितना इस सरकार में तोड़े गए। मंदिर के गेट नंबर-3 के बाहर गिरीश चंद्र दुबे मिले। गिरीश दुकान चलाते हैं। यहां के बिजनेस को लेकर कहते हैं- कॉरिडोर यात्रियों के लिए अच्छा हुआ, लेकिन रोजगार पर इसका बुरा असर पड़ा। यात्रियों के बीच अब धक्का-मुक्की नहीं है। सड़क के बीचों-बीच से आ-जा रहे, दुकान भी थोड़ा सा पीछे हो गई। पहले गली थी तो लोग दुकान के एकदम बगल से निकलते और सामान खरीदते थे। कॉरिडोर बना तो दुकानों का किराया भी बढ़ गया। 96 करोड़ रुपए मुआवजा दिया गया
जिस वक्त यहां कॉरिडोर बन रहा था, उस वक्त स्थानीय लोग व दुकानदार परेशान थे। क्योंकि, नाप में उनकी दुकान और घर का बड़ा हिस्सा सड़क के दायरे में आ रहा था। प्रशासन ने करीब 6 हजार रुपए प्रति स्क्वायर फीट के हिसाब से लोगों को मुआवजा दिया। 500 से ज्यादा संपत्तियां खरीदी गईं। इसके लिए 96 करोड़ रुपए मुआवजा दिया गया। दुकानदारों की नाराजगी को लेकर कारोबारी तरुण पांडेय कहते हैं- दुकानदार इसलिए नाराज हुए, क्योंकि उनका घर उजड़ गया। घर में दुकान थी, जिससे उनका जीवन चल रहा था। अब अगर किसी का नुकसान होगा, तो वह नाराज ही होगा। 6 हजार स्क्वायर फीट के हिसाब से किसी को 10 लाख मिल गया, लेकिन उसका रोजगार तो चला गया। अब 10 लाख रुपए में यहां आसपास कहीं जमीन-दुकान नहीं मिलेगी। विंध्याचल धाम पर कॉरिडोर का काम पूरा हो गया है। अब आसपास के दूसरे मंदिरों का उद्धार होगा। इसमें अष्टभुजा व उत्तराकाली जिसे काली खोह कहते हैं, वहां निर्माण होगा। इसके अलावा रामगया घाट, मां तारा देवी मंदिर, रत्नेश्वर महादेव मंदिर जैसी कई जगह हैं जिसका कायाकल्प होना है। कुंभ में डेढ़ करोड़ लोग आए, सलाना तीन गुना बढ़े लोग
मिर्जापुर की डीएम प्रियंका निरंजन ने बताया था कि कुंभ मेले के दौरान विंध्याचल में डेढ़ करोड़ श्रद्धालु आए थे। सभी ने विंध्यवासिनी मंदिर में दर्शन किए। इसके लिए पुख्ता प्रबंध किए गए थे। इसमें ट्रैफिक एक चुनौती थी, उसे नियंत्रित किया गया। इसके अलावा साफ-सफाई का भी ख्याल रखा गया। डीएम ने लाइन में लगे कुछ लोगों से बात की थी, तब पैसा लेकर दर्शन करवाने की शिकायत मिली। इसके बाद उन्होंने मंदिर प्रबंधन को निर्देश दिया कि पैसा मांगने वालों पर सख्त कार्रवाई की जाए। पुजारी अपना पहचान-पत्र जरूर साथ रखें। ———————– ये खबर भी पढ़ें… लंदन में मेयर बनने वाले राजकुमार की कहानी, 3 महीने पहले राजनीति जॉइन की, बोले-मिर्जापुर ने सिखाया निडर रहना मिर्जापुर जिले के भटेवरा गांव के राजकुमार मिश्रा प्राइमरी स्कूल में पढ़े। पढ़ाई में मन नहीं लगता था। स्कूल नहीं जाते तो टीचर पकड़ने आते। इंटर में पहुंचे, तब भी यही रवैया। टीचर ने बोल दिया कि ये 12वीं के बाद पढ़ नहीं पाएगा। लेकिन राजकुमार एक अलग मिट्टी के बने थे। बीटेक किया। एमटेक करने लंदन पहुंच गए। एक करोड़ के सालाना पैकेज पर नौकरी मिली। 4 महीने पहले वहीं राजनीति जॉइन की। टाउन काउंसिल बने और अब वेलिंगबोरो के मेयर बन गए हैं। वेलिंगबोरो ब्रिटेन के ईस्ट मिडलैंड्स क्षेत्र में स्थित है। पढ़ें पूरी खबर 4 साल पहले विंध्याचल मंदिर तक लोग संकरी गलियों से पहुंचते थे। भीड़ होती, तो एक-दूसरे से टकराते हुए आगे बढ़ते। प्रमुख पर्व पर जब भीड़ उमड़ती, तो डर इस बात का रहता था कि कहीं कोई दुर्घटना न हो जाए। फिर यहां कॉरिडोर बनना शुरू हुआ। मंदिर पहुंचने के 4 रास्तों की पहचान की गई और उनका चौड़ीकरण हुआ। भव्य पिलर और गेट बने। जयपुर के पत्थरों को तराशकर ऐसी डिजाइन दी गई कि विंध्याचल पूरी तरह से बदल गया। कॉरिडोर के पहले फेज का काम पूरा हो चुका है। दूसरे फेज का काम शुरू हो रहा। कॉरिडोर से पहले जितनी भीड़ यहां आती थी, अब उसके 3 गुना श्रद्धालु यहां आने लगे हैं। दुकानदार खुश हैं, क्योंकि उनकी बिक्री बढ़ी। लेकिन, कुछ नाराज भी हैं, क्योंकि रोड चौड़ीकरण से उनका बिजनेस ही उजड़ गया। विंध्याचल में कितना कुछ बदल गया, यह जानने के लिए दैनिक भास्कर की टीम विंध्यवासिनी धाम पहुंची। विंध्याचल में क्या कुछ नजर आया, आइए शुरुआत से जानते हैं… 2018 में प्रपोजल, 2021 में अमित शाह ने शिलान्यास किया
2017 में यूपी में भाजपा की सरकार बनने के बाद मंदिरों का कायाकल्प शुरू हुआ। वाराणसी के बाबा विश्वनाथ मंदिर का कायाकल्प हुआ। पीएम के संसदीय क्षेत्र में कॉरिडोर तैयार हुआ। गलियां चौड़ी हुईं और लोग आराम से मंदिर तक पहुंचने लगे। 2018 में मिर्जापुर के उस वक्त के डीएम अनुराग पटेल ने विंध्याचल में भी कॉरिडोर बनाने का प्रपोजल तैयार किया और शासन को भेजा। कहा गया कि यहां की संकरी गलियां अधिक भीड़ नहीं संभाल सकतीं। 30 अक्टूबर, 2020 को यूपी सरकार की तरफ से मंजूरी मिली। अमित शाह ने शिलान्यास किया। नवंबर, 2020 से काम शुरू हो गया। विंध्य कॉरिडोर का यह प्रोजेक्ट 331 करोड़ रुपए का है। अभी भी काम चल रहा है। बहुत सारे काम होने बाकी हैं। पहले फेज में मंदिर के चारों तरफ 4 रास्तों को चौड़ा करना था। ये रास्ते नई वीआईपी रोड, पुरानी वीआईपी रोड, थाना वाली गली और पक्का घाट गली नाम से थे। पहले इनकी चौड़ाई 5 से 10 फीट की थी, लेकिन अब इनकी चौड़ाई 50 फीट कर दी गई है। 130 पिलर के जरिए परिक्रमा मार्ग बनाया गया है। इस प्रोजेक्ट में अहरौरा के गुलाबी पत्थरों का प्रयोग किया गया है। इसकी नक्काशी के लिए जयपुर से कारीगर आए थे। ‘कॉरिडोर के बाद यहां का वास्तविक विकास हुआ’
हम न्यू वीआईपी रास्ते से होते हुए मंदिर के अंदर पहुंचे। यहां हमारी मुलाकात विंध्य विकास परिषद के सदस्य पंडित ईश्वर दत्त त्रिपाठी से हुई। कॉरिडोर के बारे में पूछा तो कहते हैं- विंध्याचल में जब से कॉरिडोर बनना शुरू हुआ, तब से यहां वास्तविक बदलाव आया। यहां आने वाली भीड़ को देखते हुए कॉरिडोर बहुत जरूरी हो गया था। अगर यह नहीं होता तो भीड़ रुकती कहां? कैसे दर्शन करने पहुंचती, बहुत समस्या हो जाती। अब देखिए कॉरिडोर के साथ सुलभ शौचालय बने, मुंडन स्थल बने, पूजन की अलग व्यवस्था बनी। तमाम ऐसी सुविधाएं हुईं, जिनसे भक्तों को सहूलियत हुई। हमने पूछा कि यहां आने वाली भीड़ में कितना बदलाव हुआ? ईश्वर दत्त पहले कहते हैं- 200% का इजाफा हुआ। लेकिन फिर कहते हैं, दोगुना नहीं बल्कि इससे भी ज्यादा भीड़ बढ़ी है। पहले रोज करीब 17-18 हजार लोग आते थे, आज हर दिन 50 हजार लोग आ रहे हैं। पूर्णिमा और विशेष पर्व जैसे दिनों पर तो यह संख्या लाखों में पहुंच जाती है। पहले नवरात्रि में 10-12 लाख लोग दर्शन करने आते थे। अब नवरात्रि के हर दिन 4-5 लाख लोग आते हैं। कुल मिलाकर यहां तेजी से भीड़ बढ़ी है। उसे मैनेज करने के लिए कॉरिडोर की जरूरत थी, वह बन गया है। हमने पूछा कि क्या अभी और किसी चीज की जरूरत है? वह कहते हैं- पहले फेज का काम तो हो गया है, लेकिन काम लगातार ही चल रहा। जैसे पहले रास्तों पर शेड लगाने का कोई प्लान नहीं था। लेकिन बढ़ती गर्मी में धूप से भक्तों के पैर जल रहे, इसलिए अब टीन शेड लगाए जा रहे हैं। इसी तरह से जहां जरूरत लग रही, वहां काम किया जा रहा है। पहले डर रहता था कि कहीं कोई हादसा न हो जाए
स्थानीय कारोबारी तरुण पांडेय कॉरिडोर के पहले की कहानी बताते हुए कहते हैं- यहां की गलियां संकरी थीं। नवरात्रि में जब अष्टमी पर भीड़ लगती, तो गलियां एकदम भर जाती थीं। डर लगता था कि कहीं कोई दुर्घटना न हो जाए। कॉरिडोर बनने से यह डर खत्म हो गया। प्रयागराज कुंभ के दौरान यहां करोड़ों लोग आए, सबने अच्छे से दर्शन किए। अब इससे ज्यादा क्या ही लोग आएंगे। बाकी अभी फेज-1 का काम पूरा हुआ है। अभी अष्टभुजा मंदिर, काली खोह मंदिर पर भी काम होना बाकी है। गंगा के किनारे पक्के घाट बनाए ही जा रहे हैं। यह योगीजी का ड्रीम प्रोजेक्ट है, इसलिए विंध्याचल पूरी तरह से बदल गया। मंदिर से करीब 200 मीटर की दूरी से ही गंगा नदी गुजरी हैं। उधर भी एक चौड़ा रास्ता बनाया गया है। लेकिन, नदी तक पहुंचने के लिए जो सीढ़ियां हैं, वो एकदम खड़ी हैं। हम नीचे पहुंचे तो देखा कि इस वक्त गंगा के किनारे पक्के घाटों का निर्माण हो रहा है। यह काम अगले 6 महीने में पूरा होने की बात कही जा रही है। घाट 35 फीट चौड़ा और 200 मीटर लंबा होगा। इसके बन जाने से विंध्याचल में गंगा का किनारा वाराणसी के घाटों की तरह हो जाएगा। स्ट्रीट लाइटें लगाई जाएंगी। इसके अलावा लोग नाव के जरिए भी घूम सकेंगे। प्रधान पुजारी बोले- सरकारी धन कमाने का अड्डा बना
हमारी मुलाकात यहीं विंध्यवासिनी मंदिर के प्रधान पुजारी राजन पाठक से हुई। राजन जिला कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष भी हैं। सदर सीट से विधानसभा चुनाव लड़ चुके हैं। वह कहते हैं- कॉरिडोर अच्छी चीज है, लेकिन खराब भी है। अच्छी इसलिए, क्योंकि इसके जरिए यात्रियों को सुविधा मिली। खराब इसलिए, क्योंकि इस तपस्थली के मूल ढांचे के साथ गलत किया गया। तमाम देवी-देवताओं की मूर्ति को तोड़कर एक देवी पर फोकस किया गया। यहां वेद-पुराण के जरिए फैसला नहीं लिया जा रहा, बल्कि अधिकारी और नेता फैसला ले रहे हैं। कुल मिलाकर यह सरकारी पैसा कमाने का अड्डा बन गया है। हमने कुछ कमियों को लेकर सवाल किया। राजन कहते हैं- हवन कुंड हमेशा से भगवान की मूर्ति के सामने होते हैं, लेकिन यहां मूर्ति के पीछे बनाया गया है। कई जगहों से तो हवन कुंड को ही हटा दिया गया है। इतने मंदिर औरंगजेब और बाबर के समय नहीं तोड़े गए, जितना इस सरकार में तोड़े गए। मंदिर के गेट नंबर-3 के बाहर गिरीश चंद्र दुबे मिले। गिरीश दुकान चलाते हैं। यहां के बिजनेस को लेकर कहते हैं- कॉरिडोर यात्रियों के लिए अच्छा हुआ, लेकिन रोजगार पर इसका बुरा असर पड़ा। यात्रियों के बीच अब धक्का-मुक्की नहीं है। सड़क के बीचों-बीच से आ-जा रहे, दुकान भी थोड़ा सा पीछे हो गई। पहले गली थी तो लोग दुकान के एकदम बगल से निकलते और सामान खरीदते थे। कॉरिडोर बना तो दुकानों का किराया भी बढ़ गया। 96 करोड़ रुपए मुआवजा दिया गया
जिस वक्त यहां कॉरिडोर बन रहा था, उस वक्त स्थानीय लोग व दुकानदार परेशान थे। क्योंकि, नाप में उनकी दुकान और घर का बड़ा हिस्सा सड़क के दायरे में आ रहा था। प्रशासन ने करीब 6 हजार रुपए प्रति स्क्वायर फीट के हिसाब से लोगों को मुआवजा दिया। 500 से ज्यादा संपत्तियां खरीदी गईं। इसके लिए 96 करोड़ रुपए मुआवजा दिया गया। दुकानदारों की नाराजगी को लेकर कारोबारी तरुण पांडेय कहते हैं- दुकानदार इसलिए नाराज हुए, क्योंकि उनका घर उजड़ गया। घर में दुकान थी, जिससे उनका जीवन चल रहा था। अब अगर किसी का नुकसान होगा, तो वह नाराज ही होगा। 6 हजार स्क्वायर फीट के हिसाब से किसी को 10 लाख मिल गया, लेकिन उसका रोजगार तो चला गया। अब 10 लाख रुपए में यहां आसपास कहीं जमीन-दुकान नहीं मिलेगी। विंध्याचल धाम पर कॉरिडोर का काम पूरा हो गया है। अब आसपास के दूसरे मंदिरों का उद्धार होगा। इसमें अष्टभुजा व उत्तराकाली जिसे काली खोह कहते हैं, वहां निर्माण होगा। इसके अलावा रामगया घाट, मां तारा देवी मंदिर, रत्नेश्वर महादेव मंदिर जैसी कई जगह हैं जिसका कायाकल्प होना है। कुंभ में डेढ़ करोड़ लोग आए, सलाना तीन गुना बढ़े लोग
मिर्जापुर की डीएम प्रियंका निरंजन ने बताया था कि कुंभ मेले के दौरान विंध्याचल में डेढ़ करोड़ श्रद्धालु आए थे। सभी ने विंध्यवासिनी मंदिर में दर्शन किए। इसके लिए पुख्ता प्रबंध किए गए थे। इसमें ट्रैफिक एक चुनौती थी, उसे नियंत्रित किया गया। इसके अलावा साफ-सफाई का भी ख्याल रखा गया। डीएम ने लाइन में लगे कुछ लोगों से बात की थी, तब पैसा लेकर दर्शन करवाने की शिकायत मिली। इसके बाद उन्होंने मंदिर प्रबंधन को निर्देश दिया कि पैसा मांगने वालों पर सख्त कार्रवाई की जाए। पुजारी अपना पहचान-पत्र जरूर साथ रखें। ———————– ये खबर भी पढ़ें… लंदन में मेयर बनने वाले राजकुमार की कहानी, 3 महीने पहले राजनीति जॉइन की, बोले-मिर्जापुर ने सिखाया निडर रहना मिर्जापुर जिले के भटेवरा गांव के राजकुमार मिश्रा प्राइमरी स्कूल में पढ़े। पढ़ाई में मन नहीं लगता था। स्कूल नहीं जाते तो टीचर पकड़ने आते। इंटर में पहुंचे, तब भी यही रवैया। टीचर ने बोल दिया कि ये 12वीं के बाद पढ़ नहीं पाएगा। लेकिन राजकुमार एक अलग मिट्टी के बने थे। बीटेक किया। एमटेक करने लंदन पहुंच गए। एक करोड़ के सालाना पैकेज पर नौकरी मिली। 4 महीने पहले वहीं राजनीति जॉइन की। टाउन काउंसिल बने और अब वेलिंगबोरो के मेयर बन गए हैं। वेलिंगबोरो ब्रिटेन के ईस्ट मिडलैंड्स क्षेत्र में स्थित है। पढ़ें पूरी खबर उत्तरप्रदेश | दैनिक भास्कर
विंध्याचल में कॉरिडोर बना, रोज 50 हजार श्रद्धालु आ रहे:मिर्जापुर में मंदिर के रास्ते तैयार, पक्का घाट बन रहा; कुंभ में डेढ़ करोड़ लोग आए
