मगरमच्छों को 50 लाशें खिलाने वाला ‘डॉक्टर-डेथ’ कैसे बना साइको-किलर:अलीगढ़ में नाना बोले- 11 लाख के नुकसान ने बनाया कातिल; 125 किडनी ट्रांसप्लांट कीं

मगरमच्छों को 50 लाशें खिलाने वाला ‘डॉक्टर-डेथ’ कैसे बना साइको-किलर:अलीगढ़ में नाना बोले- 11 लाख के नुकसान ने बनाया कातिल; 125 किडनी ट्रांसप्लांट कीं

यूपी के ‘डॉक्टर डेथ’ को दौसा (राजस्थान) से गिरफ्तार किया गया। 26 साल के क्रिमिनल रिकॉर्ड वाला डॉ. देवेंद्र शर्मा 5 साल से ‘लापता’ था। अलीगढ़ के इस डॉक्टर ने आयुर्वेद में डॉक्टरी की डिग्री ली। 11 साल तक मेडिकल प्रैक्टिस की। फिर गैस एजेंसी के चक्कर में 11 लाख रुपए गंवा दिए। यहीं से डॉक्टर के सीरियल किलर बनने की कहानी शुरू हुई। वह अलीगढ़ के डॉ. अमित के साथ मिलकर बिहार, पश्चिम बंगाल और नेपाल के लोगों को लाकर किडनी ट्रांसप्लांट कराने लगा। 6 साल में 125 से ज्यादा लोगों की अवैध किडनी ट्रांसप्लांट करा डाली। फिर लूट शुरू की, तो एक-एक कर 50 से ज्यादा लोगों की बेरहमी से हत्या कर दी। सबूत मिटाने के लिए कासगंज की हजारा नहर में मगरमच्छों को लाशें खिला दीं। ये होश उड़ा देने वाली कहानी अलीगढ़ से शुरू होती है। यूपी के सीरियल किलर की कहानी को करीब से समझने के लिए दैनिक भास्कर डिजिटल टीम अलीगढ़ मुख्यालय से 45 Km दूर छर्रा एरिया में मुरैनी गांव में पहुंचे। पढ़िए पूरी कहानी… गांव में हर तरफ डॉक्टर की ही चर्चा लोग बोले- उसने गांव में किसी को नुकसान नहीं पहुंचाया
गांव में दाखिल होते ही चौपाल और उसके करीब लगे हैंडपंप पर महिलाएं और पुरुष बैठे दिखे। चर्चा एक ही थी, राजस्थान के दौसा से डॉ. देवेंद्र की अरेस्टिंग की। महिलाएं कह रही थीं कि हमने अखबार में पढ़ा, वो आश्रम में छिपा था। लेकिन, पुलिस से बचा नहीं। यही बैठे रामेश्वर बोले- उसके खिलाफ पहला केस यहीं (अलीगढ़) तो लिखा गया। कब तक पुलिस से बचेगा? लेकिन, उसने गांव में किसी को नुकसान नहीं पहुंचाया। 33 साल पहले गांव में देखा गया था। तब तो 500-500 रुपए में सिलेंडर बेचता था। उसके बाद पुलिस तो आती-जाती रही, लेकिन हमने देवेंद्र को नहीं देखा। हम भी इस बातचीत में शामिल हुए। लेकिन, कैमरा और माइक देखते ही गांव वालों ने बात करने से मना कर दिया। उन्होंने बताया- देवेंद्र के पिता देवकीनंदन सीवान (बिहार) की एक दवा कंपनी में जॉब करते थे। पढ़ा-लिखा परिवार था। उसकी शादी भी उस समय कासगंज रेलवे में तैनात रहे अफसर की बेटी से हुई थी। फिलहाल देवेंद्र का परिवार कहां है, ये किसी को पता नहीं। हमें गांव के कुछ लड़के एक टूटे-फूटे घर तक लेकर गए। यह डॉ. देवेंद्र का पुश्तैनी घर था। गांव वालों ने बताया कि वह यहां कभी लौटा नहीं। लेकिन, दहशत ऐसी है कि कोई इस घर के आसपास भी नहीं जाता। इसके बाद गांव के कुछ लड़के हमें डॉ. देवेंद्र के चचेरे भाई रामवीर शर्मा के घर लेकर गए। डॉक्टर की गांव में 7 बीघा जमीन, बड़ा भाई CISF में दरोगा
देवेंद्र के बड़े चचेरे भाई महावीर सिंह कहते हैं- अब उनके परिवार में यहां कोई बचा नहीं। उसका एक भाई सुरेंद्र CISF में दरोगा है। कासिमपुर पावर हाउस में तैनात है। 55 साल पहले उसकी मां और 18 साल पहले पिता का निधन हो चुका है। महावीर ने कहा- उसने बुलंदशहर में अपनी बहन के घर पर रहकर पढ़ाई की। फिर पटना से BAMS किया। उनके परिवार की गांव में 7 बीघा जमीन है, जिसकी देख-रेख के लिए भाई सुरेंद्र गांव आता-जाता रहता है। गांव में उनका मकान खंडहर हो चुका है। जाने कैसे देवेंद्र ऐसा निकल गया? बाकी परिवार के लोग बहुत अच्छे हैं। देवेंद्र के नाना बोले- कार में लाश मिली, तभी उसके बारे में सुना था
यहां हमारी मुलाकात गांव के महेंद्र सिंह से हुई। देवेंद्र रिश्ते में उनका नाती लगता है। कहते हैं- हमें मीडिया से पता चला कि दिल्ली पुलिस ने 20 मई को डॉक्टर देवेंद्र को राजस्थान के दौसा में एक आश्रम से गिरफ्तार किया। डॉक्टर जब गांव में था, तब ऐसे नहीं था। यहां किसी से भी पूछ लीजिए, कोई नहीं करेगा कि वो बुरा आदमी था। यहां से जाने के बाद वो कहां जाकर बदमाश बना, गलत काम किए, ये गांव में कोई नहीं बता पाएगा। वो इलाज भी अच्छा करता था। हमने पूछा- उसके खिलाफ हत्या के आरोप हैं? वह कहते हैं- तो सही होंगे…। हमने लास्ट टाइम तभी ही उसके बारे में सुना था, जब अतरौली में उसकी कार में लाश मिली थी। हमने पूछा- उसके बारे में आपने और क्या-कुछ सुना है? वह कहते हैं- देवेंद्र ने बिहार के एक कॉलेज से BAMS की पढ़ाई की थी। डिग्री लेने के बाद देवेंद्र राजस्थान आ गया और यहां बांदीकुई इलाके में जनता क्लिनिक बनाकर प्रैक्टिस करने लगा। करीब 11 साल की प्रैक्टिस के बाद उसने डॉक्टरी को अलविदा कहा और गैस एजेंसी खोलने के मकसद से वापस अलीगढ़ आ गया। हालांकि, यहां उसके साथ धोखा हो गया, जिसकी वजह से उसे भारी नुकसान हुआ। हमने पूछा- क्या नुकसान हुआ था? उन्होंने बताया- ये 1994 की बात है। गैस एजेंसी के लिए उसने 11 लाख रुपए डिपॉजिट किए थे। एजेंसी तो मिली नहीं, जालसाजों ने उसके रुपए भी हड़प लिए थे। इसके बाद से वह संभल नहीं पाया। 6 साल तक किडनी ट्रांसप्लांट का रैकेट चलाया
पुलिस सोर्स कहते हैं- डॉ. देवेंद्र ने नुकसान से उबरने के लिए एक फर्जी गैस एजेंसी बनाई। अलग-अलग तेल कंपनियों के ट्रकों को लूटना शुरू किया। करीब 4 साल तक ऐसे ही चलता रहा। इस काम को करते हुए उसकी मुलाकात अलीगढ़ के डॉ. अमित से हुई। इसके बाद उसने 1998 और 2004 के बीच एक अवैध किडनी ट्रांसप्लांट रैकेट चलाया। उसने बिहार, पश्चिम बंगाल और नेपाल में 125 से अधिक अवैध ट्रांसप्लांट कराए। माना गया कि केस ज्यादा थे, लेकिन इतने ही सामने आ सके। उसके संपर्क कई राज्यों के डॉक्टरों और बिचौलियों से थे। किडनी ट्रांसप्लांट के बदले उसे 5 से 7 लाख रुपए मिलते थे। पूछताछ में सामने आया कि किडनी ट्रांसप्लांट के दौरान भी विवाद होने पर डॉ. देवेंद्र किसी को जिंदा नहीं छोड़ता था। धीरे-धीरे उसको कत्ल करने में मजा आने लगा। मगरमच्छों को खिलाता था लाशें
अब उसने टैक्सी ड्राइवरों को निशाना बनाना शुरू किया। वह दिल्ली से टैक्सी किराए पर लेता और रास्ते में मौका पाकर ड्राइवरों की हत्या कर देता। हत्या के बाद लाशों को वह यूपी के कासगंज में बहने वाली हजारा नहर में फेंक देता था, ताकि किसी को कोई सबूत ना मिले। दरअसल, हजारा नहर में मगरमच्छ ज्यादा हैं। पुलिस ने माना कि यही मगरमच्छ लाशों को खा जाते थे, इसलिए कभी लाश रिकवर नहीं हुईं। कबाड़ मार्केट में बेचता था लूटी गईं कारें
हत्या और लाश को ठिकाने लगाने के बाद देवेंद्र उनकी गाड़ियों को कबाड़ मार्केट में 20 से 25 हजार रुपए में बेच देता था। देवेंद्र अब अकेले काम नहीं करता था, उसने अपना एक गैंग भी बना लिया। अलीगढ़ में डॉ. देवेंद्र के नाम की हिस्ट्रीशीट खुली हुई है। 2004 में सीरियल किलिंग में अरेस्ट हुआ
2004 में देवेंद्र शर्मा को किडनी रैकेट और सीरियल किलिंग के मामले में गिरफ्तार किया गया था। जब देवेंद्र शर्मा की नर पिशाच वाली कहानी सामने आई, तभी से उसका नाम डॉक्टर डेथ पड़ गया। दिल्ली, राजस्थान और हरियाणा की अदालतों ने देवेंद्र शर्मा को 7 अलग-अलग मामलों में उम्रकैद की सजा सुनाई थी। गुड़गांव की अदालत ने उसे एक मामले में मौत की सजा भी सुनाई थी। दूसरी शादी और प्रॉपर्टी का धंधा
जनवरी 2020 में देवेंद्र को अच्छे चाल-चलन की वजह से जयपुर सेंट्रल जेल से पैरोल पर रिहा कर दिया गया। लेकिन, पैरोल अवधि खत्म होने के बावजूद वह वापस नहीं लौटा। कुछ महीने बाद पुलिस इलाके के वॉन्टेड अपराधियों के बारे में जानकारी इकट्ठा कर रही थी। तभी दिल्ली पुलिस के एक इंस्पेक्टर को सूचना मिली कि देवेंद्र ने दूसरी शादी कर ली है। वह अपनी पत्नी के साथ बापरोला इलाके में रह रहा है। उसने एक प्रॉपर्टी डीलरशिप भी शुरू की है। हालांकि, जल्द ही उसे कनॉट प्लेस में एक विवादित बिल्डिंग बेचने की कोशिश करते हुए पकड़ा गया और तिहाड़ जेल में डाल दिया गया। मोबाइल रिचार्ज से मिला सुराग
एक बार फिर देवेंद्र को 2 महीने के लिए पैरोल दी गई। वह जून, 2023 में जेल से बाहर निकला और कभी लौटकर नहीं गया। उसकी तलाश में जुटी पुलिस टीम ने अलीगढ़, जयपुर और दिल्ली तक गुपचुप तरीके से पूछताछ की, लेकिन कहीं कोई सुराग नहीं मिला। करीब 6 महीने बाद पुलिस को पता चला कि देवेंद्र का मोबाइल राजस्थान के दौसा में रिचार्ज कराया गया है। तुरंत पुलिस की एक टीम दौसा के लिए रवाना हो गई। भक्त बनकर देवेंद्र से मिला पुलिसवाला
यहां पहुंचने पर देवेंद्र की लोकेशन एक आश्रम में मिली। इसके बाद पुलिस टीम ने सादी वर्दी में आश्रम के बाहर डेरा डाला और उसके ऊपर नजर रखनी शुरू की। एक हफ्ते की निगरानी के बाद पुलिस को पता चला कि देवेंद्र यहां पुजारी के वेष में छिपकर रह रहा है। पुलिस के एक जवान ने भक्त बनकर उससे मुलाकात की और लगातार उसपर नजर बनाए रखी। पुख्ता होने के बाद कि यह पुजारी ही सीरियल किलर देवेंद्र शर्मा है, पुलिस ने उसे गिरफ्तार कर लिया। पुलिस अब देवेंद्र शर्मा से पूछताछ कर रही है। यह जानने की कोशिश कर रही है कि उसने पैरोल पर भागने के बाद क्या किया? क्या वह किसी और अपराध में शामिल था? बता दें, देवेंद्र पर 21 टैक्सी ड्राइवर की हत्या के आरोप लगे हैं। बाद में उसने खुद 50 से ज्यादा लोगों को मारने की बात कबूल की। देवेंद्र ने यह भी कहा कि 50 लोगों को मारने के बाद उसे गिनती याद नहीं रही। चूंकि पुलिस पीड़ितों के शवों को कभी बरामद नहीं कर सकी। इसलिए देवेंद्र को केवल 7 लोगों की हत्याओं के लिए आजीवन कारावास दिया गया। पुलिस के मुताबिक, उसकी पत्नी और बच्चों ने उसकी करतूतों का पता चलने के बाद उसे छोड़ दिया था। ———————
ये खबर भी पढ़ें : 50 हत्याएं करने वाला यूपी का डॉक्टर डेथ अरेस्ट, मर्डर के बाद शव मगरमच्छों को खिला देता था, राजस्थान में पुजारी बनकर छिपा था अलीगढ़ के कुख्यात सीरियल किलर देवेंद्र शर्मा उर्फ ‘डॉक्टर डेथ’ को गिरफ्तार कर लिया गया है। दिल्ली पुलिस की क्राइम ब्रांच ने उसे रविवार को राजस्थान के दौसा से पकड़ा। डॉक्टर डेथ दिल्ली से लेकर हरियाणा और राजस्थान तक 50 से अधिक लोगों की हत्या कर चुका है। पढ़िए पूरी खबर… यूपी के ‘डॉक्टर डेथ’ को दौसा (राजस्थान) से गिरफ्तार किया गया। 26 साल के क्रिमिनल रिकॉर्ड वाला डॉ. देवेंद्र शर्मा 5 साल से ‘लापता’ था। अलीगढ़ के इस डॉक्टर ने आयुर्वेद में डॉक्टरी की डिग्री ली। 11 साल तक मेडिकल प्रैक्टिस की। फिर गैस एजेंसी के चक्कर में 11 लाख रुपए गंवा दिए। यहीं से डॉक्टर के सीरियल किलर बनने की कहानी शुरू हुई। वह अलीगढ़ के डॉ. अमित के साथ मिलकर बिहार, पश्चिम बंगाल और नेपाल के लोगों को लाकर किडनी ट्रांसप्लांट कराने लगा। 6 साल में 125 से ज्यादा लोगों की अवैध किडनी ट्रांसप्लांट करा डाली। फिर लूट शुरू की, तो एक-एक कर 50 से ज्यादा लोगों की बेरहमी से हत्या कर दी। सबूत मिटाने के लिए कासगंज की हजारा नहर में मगरमच्छों को लाशें खिला दीं। ये होश उड़ा देने वाली कहानी अलीगढ़ से शुरू होती है। यूपी के सीरियल किलर की कहानी को करीब से समझने के लिए दैनिक भास्कर डिजिटल टीम अलीगढ़ मुख्यालय से 45 Km दूर छर्रा एरिया में मुरैनी गांव में पहुंचे। पढ़िए पूरी कहानी… गांव में हर तरफ डॉक्टर की ही चर्चा लोग बोले- उसने गांव में किसी को नुकसान नहीं पहुंचाया
गांव में दाखिल होते ही चौपाल और उसके करीब लगे हैंडपंप पर महिलाएं और पुरुष बैठे दिखे। चर्चा एक ही थी, राजस्थान के दौसा से डॉ. देवेंद्र की अरेस्टिंग की। महिलाएं कह रही थीं कि हमने अखबार में पढ़ा, वो आश्रम में छिपा था। लेकिन, पुलिस से बचा नहीं। यही बैठे रामेश्वर बोले- उसके खिलाफ पहला केस यहीं (अलीगढ़) तो लिखा गया। कब तक पुलिस से बचेगा? लेकिन, उसने गांव में किसी को नुकसान नहीं पहुंचाया। 33 साल पहले गांव में देखा गया था। तब तो 500-500 रुपए में सिलेंडर बेचता था। उसके बाद पुलिस तो आती-जाती रही, लेकिन हमने देवेंद्र को नहीं देखा। हम भी इस बातचीत में शामिल हुए। लेकिन, कैमरा और माइक देखते ही गांव वालों ने बात करने से मना कर दिया। उन्होंने बताया- देवेंद्र के पिता देवकीनंदन सीवान (बिहार) की एक दवा कंपनी में जॉब करते थे। पढ़ा-लिखा परिवार था। उसकी शादी भी उस समय कासगंज रेलवे में तैनात रहे अफसर की बेटी से हुई थी। फिलहाल देवेंद्र का परिवार कहां है, ये किसी को पता नहीं। हमें गांव के कुछ लड़के एक टूटे-फूटे घर तक लेकर गए। यह डॉ. देवेंद्र का पुश्तैनी घर था। गांव वालों ने बताया कि वह यहां कभी लौटा नहीं। लेकिन, दहशत ऐसी है कि कोई इस घर के आसपास भी नहीं जाता। इसके बाद गांव के कुछ लड़के हमें डॉ. देवेंद्र के चचेरे भाई रामवीर शर्मा के घर लेकर गए। डॉक्टर की गांव में 7 बीघा जमीन, बड़ा भाई CISF में दरोगा
देवेंद्र के बड़े चचेरे भाई महावीर सिंह कहते हैं- अब उनके परिवार में यहां कोई बचा नहीं। उसका एक भाई सुरेंद्र CISF में दरोगा है। कासिमपुर पावर हाउस में तैनात है। 55 साल पहले उसकी मां और 18 साल पहले पिता का निधन हो चुका है। महावीर ने कहा- उसने बुलंदशहर में अपनी बहन के घर पर रहकर पढ़ाई की। फिर पटना से BAMS किया। उनके परिवार की गांव में 7 बीघा जमीन है, जिसकी देख-रेख के लिए भाई सुरेंद्र गांव आता-जाता रहता है। गांव में उनका मकान खंडहर हो चुका है। जाने कैसे देवेंद्र ऐसा निकल गया? बाकी परिवार के लोग बहुत अच्छे हैं। देवेंद्र के नाना बोले- कार में लाश मिली, तभी उसके बारे में सुना था
यहां हमारी मुलाकात गांव के महेंद्र सिंह से हुई। देवेंद्र रिश्ते में उनका नाती लगता है। कहते हैं- हमें मीडिया से पता चला कि दिल्ली पुलिस ने 20 मई को डॉक्टर देवेंद्र को राजस्थान के दौसा में एक आश्रम से गिरफ्तार किया। डॉक्टर जब गांव में था, तब ऐसे नहीं था। यहां किसी से भी पूछ लीजिए, कोई नहीं करेगा कि वो बुरा आदमी था। यहां से जाने के बाद वो कहां जाकर बदमाश बना, गलत काम किए, ये गांव में कोई नहीं बता पाएगा। वो इलाज भी अच्छा करता था। हमने पूछा- उसके खिलाफ हत्या के आरोप हैं? वह कहते हैं- तो सही होंगे…। हमने लास्ट टाइम तभी ही उसके बारे में सुना था, जब अतरौली में उसकी कार में लाश मिली थी। हमने पूछा- उसके बारे में आपने और क्या-कुछ सुना है? वह कहते हैं- देवेंद्र ने बिहार के एक कॉलेज से BAMS की पढ़ाई की थी। डिग्री लेने के बाद देवेंद्र राजस्थान आ गया और यहां बांदीकुई इलाके में जनता क्लिनिक बनाकर प्रैक्टिस करने लगा। करीब 11 साल की प्रैक्टिस के बाद उसने डॉक्टरी को अलविदा कहा और गैस एजेंसी खोलने के मकसद से वापस अलीगढ़ आ गया। हालांकि, यहां उसके साथ धोखा हो गया, जिसकी वजह से उसे भारी नुकसान हुआ। हमने पूछा- क्या नुकसान हुआ था? उन्होंने बताया- ये 1994 की बात है। गैस एजेंसी के लिए उसने 11 लाख रुपए डिपॉजिट किए थे। एजेंसी तो मिली नहीं, जालसाजों ने उसके रुपए भी हड़प लिए थे। इसके बाद से वह संभल नहीं पाया। 6 साल तक किडनी ट्रांसप्लांट का रैकेट चलाया
पुलिस सोर्स कहते हैं- डॉ. देवेंद्र ने नुकसान से उबरने के लिए एक फर्जी गैस एजेंसी बनाई। अलग-अलग तेल कंपनियों के ट्रकों को लूटना शुरू किया। करीब 4 साल तक ऐसे ही चलता रहा। इस काम को करते हुए उसकी मुलाकात अलीगढ़ के डॉ. अमित से हुई। इसके बाद उसने 1998 और 2004 के बीच एक अवैध किडनी ट्रांसप्लांट रैकेट चलाया। उसने बिहार, पश्चिम बंगाल और नेपाल में 125 से अधिक अवैध ट्रांसप्लांट कराए। माना गया कि केस ज्यादा थे, लेकिन इतने ही सामने आ सके। उसके संपर्क कई राज्यों के डॉक्टरों और बिचौलियों से थे। किडनी ट्रांसप्लांट के बदले उसे 5 से 7 लाख रुपए मिलते थे। पूछताछ में सामने आया कि किडनी ट्रांसप्लांट के दौरान भी विवाद होने पर डॉ. देवेंद्र किसी को जिंदा नहीं छोड़ता था। धीरे-धीरे उसको कत्ल करने में मजा आने लगा। मगरमच्छों को खिलाता था लाशें
अब उसने टैक्सी ड्राइवरों को निशाना बनाना शुरू किया। वह दिल्ली से टैक्सी किराए पर लेता और रास्ते में मौका पाकर ड्राइवरों की हत्या कर देता। हत्या के बाद लाशों को वह यूपी के कासगंज में बहने वाली हजारा नहर में फेंक देता था, ताकि किसी को कोई सबूत ना मिले। दरअसल, हजारा नहर में मगरमच्छ ज्यादा हैं। पुलिस ने माना कि यही मगरमच्छ लाशों को खा जाते थे, इसलिए कभी लाश रिकवर नहीं हुईं। कबाड़ मार्केट में बेचता था लूटी गईं कारें
हत्या और लाश को ठिकाने लगाने के बाद देवेंद्र उनकी गाड़ियों को कबाड़ मार्केट में 20 से 25 हजार रुपए में बेच देता था। देवेंद्र अब अकेले काम नहीं करता था, उसने अपना एक गैंग भी बना लिया। अलीगढ़ में डॉ. देवेंद्र के नाम की हिस्ट्रीशीट खुली हुई है। 2004 में सीरियल किलिंग में अरेस्ट हुआ
2004 में देवेंद्र शर्मा को किडनी रैकेट और सीरियल किलिंग के मामले में गिरफ्तार किया गया था। जब देवेंद्र शर्मा की नर पिशाच वाली कहानी सामने आई, तभी से उसका नाम डॉक्टर डेथ पड़ गया। दिल्ली, राजस्थान और हरियाणा की अदालतों ने देवेंद्र शर्मा को 7 अलग-अलग मामलों में उम्रकैद की सजा सुनाई थी। गुड़गांव की अदालत ने उसे एक मामले में मौत की सजा भी सुनाई थी। दूसरी शादी और प्रॉपर्टी का धंधा
जनवरी 2020 में देवेंद्र को अच्छे चाल-चलन की वजह से जयपुर सेंट्रल जेल से पैरोल पर रिहा कर दिया गया। लेकिन, पैरोल अवधि खत्म होने के बावजूद वह वापस नहीं लौटा। कुछ महीने बाद पुलिस इलाके के वॉन्टेड अपराधियों के बारे में जानकारी इकट्ठा कर रही थी। तभी दिल्ली पुलिस के एक इंस्पेक्टर को सूचना मिली कि देवेंद्र ने दूसरी शादी कर ली है। वह अपनी पत्नी के साथ बापरोला इलाके में रह रहा है। उसने एक प्रॉपर्टी डीलरशिप भी शुरू की है। हालांकि, जल्द ही उसे कनॉट प्लेस में एक विवादित बिल्डिंग बेचने की कोशिश करते हुए पकड़ा गया और तिहाड़ जेल में डाल दिया गया। मोबाइल रिचार्ज से मिला सुराग
एक बार फिर देवेंद्र को 2 महीने के लिए पैरोल दी गई। वह जून, 2023 में जेल से बाहर निकला और कभी लौटकर नहीं गया। उसकी तलाश में जुटी पुलिस टीम ने अलीगढ़, जयपुर और दिल्ली तक गुपचुप तरीके से पूछताछ की, लेकिन कहीं कोई सुराग नहीं मिला। करीब 6 महीने बाद पुलिस को पता चला कि देवेंद्र का मोबाइल राजस्थान के दौसा में रिचार्ज कराया गया है। तुरंत पुलिस की एक टीम दौसा के लिए रवाना हो गई। भक्त बनकर देवेंद्र से मिला पुलिसवाला
यहां पहुंचने पर देवेंद्र की लोकेशन एक आश्रम में मिली। इसके बाद पुलिस टीम ने सादी वर्दी में आश्रम के बाहर डेरा डाला और उसके ऊपर नजर रखनी शुरू की। एक हफ्ते की निगरानी के बाद पुलिस को पता चला कि देवेंद्र यहां पुजारी के वेष में छिपकर रह रहा है। पुलिस के एक जवान ने भक्त बनकर उससे मुलाकात की और लगातार उसपर नजर बनाए रखी। पुख्ता होने के बाद कि यह पुजारी ही सीरियल किलर देवेंद्र शर्मा है, पुलिस ने उसे गिरफ्तार कर लिया। पुलिस अब देवेंद्र शर्मा से पूछताछ कर रही है। यह जानने की कोशिश कर रही है कि उसने पैरोल पर भागने के बाद क्या किया? क्या वह किसी और अपराध में शामिल था? बता दें, देवेंद्र पर 21 टैक्सी ड्राइवर की हत्या के आरोप लगे हैं। बाद में उसने खुद 50 से ज्यादा लोगों को मारने की बात कबूल की। देवेंद्र ने यह भी कहा कि 50 लोगों को मारने के बाद उसे गिनती याद नहीं रही। चूंकि पुलिस पीड़ितों के शवों को कभी बरामद नहीं कर सकी। इसलिए देवेंद्र को केवल 7 लोगों की हत्याओं के लिए आजीवन कारावास दिया गया। पुलिस के मुताबिक, उसकी पत्नी और बच्चों ने उसकी करतूतों का पता चलने के बाद उसे छोड़ दिया था। ———————
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