कानपुर के कल्याणपुर में रहने वाले शिवेंद्र बेरोजगार थे। एक दिन विज्ञापन देखा कि विदेश में अच्छी नौकरी का मौका है। शिवेंद्र ने नौकरी को पाने के लिए 2 लाख रुपए तक खर्च कर दिए। आखिरकार उन्हें टूरिस्ट वीजा पर थाईलैंड जाने का मौका मिल गया। घर में सब खुश थे। शिवेंद्र थाईलैंड पहुंचा, उन्हें सीधे म्यांमार बॉर्डर पर ले जाया गया। लेकिन, वहां जालसाजों ने बंधक बना लिया। लोगों को फोन कर साइबर ठगी कराई जाने लगी। जब उन्होंने वापस भारत आने के लिए कहा तो बदले में 10 लाख रुपए की मांग की जाने लगी। अब शिवेंद्र एक पराए देश में ठगी करने वालों के गुलाम बन चुके हैं। मामला तब सामने आया, जब शिवेंद्र के भाई ने FIR दर्ज कराई। यह कहानी सिर्फ शिवेंद्र की नहीं है। केंद्र सरकार ने ऐसे करीब साढ़े 3 हजार लोगों की सूची उत्तर प्रदेश सरकार को सत्यापन के लिए भेजी है। इसमें ऐसे लोगों के नाम हैं, जो कंबोडिया, वियतनाम और थाईलैंड जैसे देश गए और फिर वहां से अब तक लौटे ही नहीं। क्या है साइबर गुलामी, कैसे झांसा देकर विदेशों में भेजे जा रहे भोले-भाले भारतीय लोग, कैसे नौकरी के नाम पर कराई जा रही गुलामी, इस रिपोर्ट में पढ़िए- नौकरी की चाह में विदेश पहुंचे, अब जबरन ठगी कराई जा रही
बेहतरीन स्टूडियो, चमचमाता ऑफिस, टारगेट पूरा करने वालों को प्रमोशन, ऊपर से देखने में एकदम प्रोफेशनल। ऐसा नजारा है कंबोडिया और थाईलैंड के बॉर्डर के जंगलों में बने दफ्तरों का। यह वही दफ्तर हैं, जहां हर दिन सैकड़ों-हजारों फोन कॉल कर लोगों के साथ ठगी की जाती है। जाल में फंसाकर उनके पैसे अकाउंट से उड़ा लिए जाते हैं। जंगलों के बीच बने इन दफ्तरों से हर दिन करोड़ों रुपए की ठगी आम बात है। यही एक मात्र काम है उनका। इन दफ्तरों में बैठे जो लोग फोन कर ठगी कर रहे हैं वो भारत के हैं। ये वही लोग हैं, जिन्हें विदेशों में नौकरी का झांसा देकर यहां लगाया गया और अब उनसे ठगी कराई जा रही है। यह सारी बातें भारत में डिजिटल अरेस्ट के मामलों की जांच कर रही साइबर सेल की जांच में सामने आई हैं। पढ़िए साइबर गुलामी का शिकार हुए एक पीड़ित का दर्द एंबेसी ने नहीं की मदद, घर वालों ने लोन लेकर अदा की रकम देवरिया के रहने वाले अंबरीश ने दैनिक भास्कर को बताया कि वह नवंबर, 2023 में दुबई से लौटे थे। उसी समय उसके पास लाओस में क्रिप्टो एजेंसी में काम करने का ऑफर आया। एजेंसी ने वीजा और टिकट के लिए 75 हजार रुपए लिए। दिसंबर, 2023 के अंत में वह फ्लाइट से दिल्ली से हॉन्गकॉन्ग पहुंचे। हॉन्गकॉन्ग से उन्हें बस से लाओस के गोल्डन ट्रायंगल सिटी ले जाया गया। पहले कुछ दिन तो पता ही नहीं चल सका कि हो क्या रहा है। वहां दो एग्रीमेंट साइन कराए गए। एक अंग्रेजी में था और दूसरा चाइनीज भाषा में। एग्रीमेंट के समय बताया गया कि दोनों एक ही चीज है। महज भाषा का अंतर है। इसके बाद भारतीय लोगों की फेसबुक की डुप्लीकेट आईडी बनाने के लिए कहा गया। इस आईडी से लड़की बनकर उन भारतीय लोगों को ट्रैप करने के लिए कहा गया जो क्रिप्टो करेंसी के बारे में जानकारी रखते हों। इन्वेस्टमेंट के लिए बकायदा क्रिप्टाे आईडी तैयार कराई जाती थी। मसलन किसी ने 10 हजार रुपए लगाए तो उसके एक हफ्ते में 15 हजार रुपए हो गए। यह सब दूसरी ओर बैठे व्यक्ति को दिखता था। इसी लालच में लोग बड़ी-बड़ी रकम लगाने लगे। लेकिन जब पैसे वापस निकालने की बारी आती तो उसे ब्लॉक कर दिया जाता। जो जितनी रकम इनवेस्ट कराता उसे उसके बदले पांच से 10 प्रतिशत दिया जाता। काम करने से किया इनकार तो लगा दिया 3 लाख का फाइन अंबरीश ने बताया कि वहां काम करने से ही लग रहा था कि वह फ्रॉड कर रहा है। उसने काम करने से मना किया तो उससे तीन लाख रुपए की मांग की गई। पैसे देने से मना किया तो बताया कि यह एग्रीमेंट का हिस्सा है जो आपने चाइनीज भाषा में साइन किया है। अंबरीश ने बताया कि उसने भारतीय दूतावास को मेल करके मदद मांगी, लेकिन कोई मदद नहीं मिली। खाने के लिए भी उसके पास पैसे खत्म हो गए थे। जिसकी वजह से उसकी तबीयत खराब होने लगी। अंबरीश ने आखिर में घर वालों को पूरी बात बताई तो घर वालों ने तीन लाख रुपए लोन लेकर उसे भेजा। पैसे देकर उसका पासपोर्ट वापस मिला, तब जाकर वापस आ सका। यूपी से करीब साढ़े 3 हजार लोग गायब, अब विदेशों में तलाश केंद्र सरकार ने साढ़े 3 हजार लोगों की सूची उत्तर प्रदेश सरकार भेजी है। कंबोडिया, वियतनाम और थाईलैंड जैसे देश जाने वालों के सत्यापन के लिए कहा है। केंद्र से सूची मिलने के बाद अब ऐसे लोगों के बारे में पता लगाया जा रहा है कि वे कहां हैं, क्या कर रहे हैं, भारत में परिवार को कितने पैसे भेज रहे हैं? इसमें वो लोग भी शामिल हैं जो 10 दिन से अधिक समय तक वहां रुके हैं। उनके बारे में पड़ताल की जा रही है। इसके लिए साइबर सेल के साथ साथ इंटेलिजेंस की भी मदद ली जा रही है। अब तक जो 8 मामले सामने आए हैं, उनकी FIR कराई जा चुकी है। साइबर सेल को शक, विदेश से न लौटने वाले साइबर गुलाम बनाए गए विदेश गए लोग और फिर वहां से वापस ना आना। फिर भारत में साइबर सेल की जांच में ऐसे गिरोह का पता चलना जो थाईलैंड, कंबोडिया, वियतनाम जैसे देशों में नौकरी के नाम पर लोगों को ले जा रहे, फिर वहां साइबर गुलाम बना रहे। यह सारी कड़ियां खुली साइबर सेल की जांच में। सेल डिजिटल अरेस्ट के मामलों की जांच कर रही थी। साइबर सेल ने जब पड़ताल की तो पता चला कि अलग-अलग थाना क्षेत्र में आधा दर्जन से ज्यादा ऐसे मुकदमे दर्ज हुए हैं, जहां लोगों को नौकरी के नाम पर विदेश ले जाया गया और वहां से फोन कराया जा रहा है। जानिए कैसे भारत से लोगों को विदेशों तक पहुंचाया गया पंफलेट से नौकरी का झांसा, फिर विदेश पहुंचते ही फोन और वीजा-पासपोर्ट छीन लेते ऐसे एक मामले की पड़ताल कर रहे अफसर ने बताया कि अलग-अलग शहरों में विदेशों में नौकरी दिलाने के नाम पर पंफलेट बांटे गए। इसमें वाल पेंटर, मेसन, शटरिंग कारपेंटर, स्टील फिक्सर, आल टाइप वेल्डर, इलेक्ट्रीशियन, प्लंबर, पाइप फिटर, इंसुलेटर, लाइट एंड हैवी मोटर व्हीकल ड्राइवर, लेबर, मैकेनिकल हेल्पर जैसे सैकड़ों पदों पर भर्ती के लिए विज्ञापन पंफलेट छपवाया गया। इसके बदले सैलरी के साथ-साथ खाने और ओवर टाइम का अलग पैसा देने का लालच दिया गया। उम्र की सीमा 21 साल से 45 साल के बीच की बताई गई। विज्ञापन में बताया गया कि 30 दिन में वीजा उपलब्ध कराया जाएगा। रहने, खाने और ट्रांसपोर्टेशन का खर्चा कंपनी देगी। इस लालच में आकर लोग पैसे भी खर्च करने को तैयार हो जा रहे। यहां से ले जाए जा रहे लोगों को कंबोडिया से 600 किलोमीटर दूर वियतनाम और थाईलैंड के बॉर्डर पर जंगलों में बने हाईटेक दफ्तरों में कैद कर दिया जाता है। फोन और वीजा पासपोर्ट जब्त कर लिया जाता है। इस दफ्तर में पुलिस थाना, सीबीआई और अदालत का पूरा सेट अप होता है। यहीं से डिजिटल अरेस्ट और ठगी के दूसरे तरीके अपनाए जाते हैं। ठगी करने वाले गुलामों की सैलरी 70 हजार से 1 लाख तक साइबर सेल के अफसर बताते हैं कि गिरोह अंतरराष्ट्रीय स्तर पर काम कर रहा है। इसमें भारत में बैठे लोग शिकार चुनते हैं। चुने गए लोगों को जाने से पहले कुछ नहीं बताया जाता। डेस्टिनेशन पर पहुंचने पर इस गिरोह के दूसरे सदस्य वहां मिल जाते हैं। अलग-अलग लोगों को अलग-अलग लोकेशन पर ले जाया जाता है। फिर वहां पहले इन लोगों को ट्रेनिंग दी जाती है, उसके बाद कॉल कराई जाती है। इसके बदले इन्हें 70 हजार से लेकर 1 लाख रुपए तक दिए जाते हैं। इन लोगों पर कड़ी निगरानी रखी जाती है कि असलियत कहीं परिजनों को न बता दें। ये लोग एजेंट की देखरेख में ही फोन पर बात कर सकते हैं। अब जानिए ये कैसे रुपए ऐंठते हैं साइबर अपराध रोकने के लिए पुलिस को पूरा समय देना होगा यह पूछने पर कि आखिर इस तरह की धोखाधड़ी और ठगी कैसे हो रही है। साइबर के क्षेत्र में लंबे समय तक यूपी पुलिस में रह कर काम करने वाले प्रोफेसर त्रिवेणी सिंह कहते हैं- जिन पुलिस कर्मियों को साइबर अपराध रोकने की जिम्मेदारी दी गई है, उनके पास दूसरे काम भी हैं। इसकी वजह से साइबर क्राइम को रोकने पर फोकस नहीं हो पा रहा है। साइबर ठगी रोकने के लिए सरकार क्या कदम उठा रही है? पूछने पर कहते हैं कि ऐसी ठगी और साइबर अपराध रोकने के लिए सरकार के निर्देश पर मोबाइल ऑपरेटर कॉलर ट्यून का इस्तेमाल कर रहे हैं। इससे लोगों को ताकीद की जा रही है कि वह ऐसे लोगों के झांसे में न आएं जो कस्टम, सीबीआई या पुलिस के नाम पर आपसे पैसे ऐंठने की कोशिश करते हैं। उन्हें यकीन दिलाया जा रहा है कि पुलिस, सीबीआई और कस्टम विभाग इस तरह से न तो पूछताछ करता है और न ही वॉट्सऐप पर नोटिस देकर कोई जवाब मांगता है। एडीजी साइबर क्राइम बिनोद कुमार सिंह बताते हैं कि देश से बाहर नौकरी दिलाने के लिए बकायदा इमिग्रेशन एक्ट के तहत एजेंट का रजिस्ट्रेशन होता है। लेकिन पैसों के लालच में लोग फर्जी एजेंट के जरिए लाओस, वियतनाम, कंबोडिया और थाईलैंड जैसे देश में जाकर साइबर गुलामी का शिकार हो रहे हैं। जो लोग इन देशों में गए हैं उनके बारे में संबंधित जिलों गोरखपुर, कुशीनगर, देवरिया, आगरा, बाराबंकी समेत तमाम जिलों के पुलिस कप्तानों को पत्र भेजकर जानकारी मांगी गई है, और ऐसे लोगों का सत्यापन कराने के लिए कहा गया है। कई मामलों में एफआईआर भी दर्ज कराई गई है। मानिंद्र कंसल्टेंसी का एक विज्ञापन भी प्रकाश में आया है, जिसके बारे में गोरखपुर एसपी को सख्त कार्रवाई करने के निर्देश दिए गए हैं। —————- ये भी पढ़ें… पहली बार कैमरे पर डिजिटल अरेस्ट करने वाले लुटेरे:भास्कर रिपोर्टर 6 घंटे कैद रहा, रिकॉर्ड की हर साजिश देशभर में डिजिटल अरेस्ट करने वाले ऑनलाइन लुटेरे। कभी फर्जी IPS ताे कभी CBI अफसर बनकर हाईप्रोफाइल लोगों को देशद्रोही, आतंकी, रेपिस्ट, स्मगलर बताकर लाखों-करोड़ों रुपए लूट लेते हैं। घंटों घर में कैद रहने को मजबूर कर देते हैं। आज तक ये लुटेरे पकड़े नहीं गए। पहली बार देखें इन लुटेरों के चेहरे। इन लुटेरों का सच सामने लाने के लिए भास्कर रिपोर्टर रावत प्रवीण सिंह ने खुद को डिजिटल अरेस्ट कराया। 6 घंटे तक मेंटल और फिजिकल टॉर्चर सहा, ताकि इनके खिलाफ सबूत जुटाए जा सकें। पढ़ें पूरी खबर… कानपुर के कल्याणपुर में रहने वाले शिवेंद्र बेरोजगार थे। एक दिन विज्ञापन देखा कि विदेश में अच्छी नौकरी का मौका है। शिवेंद्र ने नौकरी को पाने के लिए 2 लाख रुपए तक खर्च कर दिए। आखिरकार उन्हें टूरिस्ट वीजा पर थाईलैंड जाने का मौका मिल गया। घर में सब खुश थे। शिवेंद्र थाईलैंड पहुंचा, उन्हें सीधे म्यांमार बॉर्डर पर ले जाया गया। लेकिन, वहां जालसाजों ने बंधक बना लिया। लोगों को फोन कर साइबर ठगी कराई जाने लगी। जब उन्होंने वापस भारत आने के लिए कहा तो बदले में 10 लाख रुपए की मांग की जाने लगी। अब शिवेंद्र एक पराए देश में ठगी करने वालों के गुलाम बन चुके हैं। मामला तब सामने आया, जब शिवेंद्र के भाई ने FIR दर्ज कराई। यह कहानी सिर्फ शिवेंद्र की नहीं है। केंद्र सरकार ने ऐसे करीब साढ़े 3 हजार लोगों की सूची उत्तर प्रदेश सरकार को सत्यापन के लिए भेजी है। इसमें ऐसे लोगों के नाम हैं, जो कंबोडिया, वियतनाम और थाईलैंड जैसे देश गए और फिर वहां से अब तक लौटे ही नहीं। क्या है साइबर गुलामी, कैसे झांसा देकर विदेशों में भेजे जा रहे भोले-भाले भारतीय लोग, कैसे नौकरी के नाम पर कराई जा रही गुलामी, इस रिपोर्ट में पढ़िए- नौकरी की चाह में विदेश पहुंचे, अब जबरन ठगी कराई जा रही
बेहतरीन स्टूडियो, चमचमाता ऑफिस, टारगेट पूरा करने वालों को प्रमोशन, ऊपर से देखने में एकदम प्रोफेशनल। ऐसा नजारा है कंबोडिया और थाईलैंड के बॉर्डर के जंगलों में बने दफ्तरों का। यह वही दफ्तर हैं, जहां हर दिन सैकड़ों-हजारों फोन कॉल कर लोगों के साथ ठगी की जाती है। जाल में फंसाकर उनके पैसे अकाउंट से उड़ा लिए जाते हैं। जंगलों के बीच बने इन दफ्तरों से हर दिन करोड़ों रुपए की ठगी आम बात है। यही एक मात्र काम है उनका। इन दफ्तरों में बैठे जो लोग फोन कर ठगी कर रहे हैं वो भारत के हैं। ये वही लोग हैं, जिन्हें विदेशों में नौकरी का झांसा देकर यहां लगाया गया और अब उनसे ठगी कराई जा रही है। यह सारी बातें भारत में डिजिटल अरेस्ट के मामलों की जांच कर रही साइबर सेल की जांच में सामने आई हैं। पढ़िए साइबर गुलामी का शिकार हुए एक पीड़ित का दर्द एंबेसी ने नहीं की मदद, घर वालों ने लोन लेकर अदा की रकम देवरिया के रहने वाले अंबरीश ने दैनिक भास्कर को बताया कि वह नवंबर, 2023 में दुबई से लौटे थे। उसी समय उसके पास लाओस में क्रिप्टो एजेंसी में काम करने का ऑफर आया। एजेंसी ने वीजा और टिकट के लिए 75 हजार रुपए लिए। दिसंबर, 2023 के अंत में वह फ्लाइट से दिल्ली से हॉन्गकॉन्ग पहुंचे। हॉन्गकॉन्ग से उन्हें बस से लाओस के गोल्डन ट्रायंगल सिटी ले जाया गया। पहले कुछ दिन तो पता ही नहीं चल सका कि हो क्या रहा है। वहां दो एग्रीमेंट साइन कराए गए। एक अंग्रेजी में था और दूसरा चाइनीज भाषा में। एग्रीमेंट के समय बताया गया कि दोनों एक ही चीज है। महज भाषा का अंतर है। इसके बाद भारतीय लोगों की फेसबुक की डुप्लीकेट आईडी बनाने के लिए कहा गया। इस आईडी से लड़की बनकर उन भारतीय लोगों को ट्रैप करने के लिए कहा गया जो क्रिप्टो करेंसी के बारे में जानकारी रखते हों। इन्वेस्टमेंट के लिए बकायदा क्रिप्टाे आईडी तैयार कराई जाती थी। मसलन किसी ने 10 हजार रुपए लगाए तो उसके एक हफ्ते में 15 हजार रुपए हो गए। यह सब दूसरी ओर बैठे व्यक्ति को दिखता था। इसी लालच में लोग बड़ी-बड़ी रकम लगाने लगे। लेकिन जब पैसे वापस निकालने की बारी आती तो उसे ब्लॉक कर दिया जाता। जो जितनी रकम इनवेस्ट कराता उसे उसके बदले पांच से 10 प्रतिशत दिया जाता। काम करने से किया इनकार तो लगा दिया 3 लाख का फाइन अंबरीश ने बताया कि वहां काम करने से ही लग रहा था कि वह फ्रॉड कर रहा है। उसने काम करने से मना किया तो उससे तीन लाख रुपए की मांग की गई। पैसे देने से मना किया तो बताया कि यह एग्रीमेंट का हिस्सा है जो आपने चाइनीज भाषा में साइन किया है। अंबरीश ने बताया कि उसने भारतीय दूतावास को मेल करके मदद मांगी, लेकिन कोई मदद नहीं मिली। खाने के लिए भी उसके पास पैसे खत्म हो गए थे। जिसकी वजह से उसकी तबीयत खराब होने लगी। अंबरीश ने आखिर में घर वालों को पूरी बात बताई तो घर वालों ने तीन लाख रुपए लोन लेकर उसे भेजा। पैसे देकर उसका पासपोर्ट वापस मिला, तब जाकर वापस आ सका। यूपी से करीब साढ़े 3 हजार लोग गायब, अब विदेशों में तलाश केंद्र सरकार ने साढ़े 3 हजार लोगों की सूची उत्तर प्रदेश सरकार भेजी है। कंबोडिया, वियतनाम और थाईलैंड जैसे देश जाने वालों के सत्यापन के लिए कहा है। केंद्र से सूची मिलने के बाद अब ऐसे लोगों के बारे में पता लगाया जा रहा है कि वे कहां हैं, क्या कर रहे हैं, भारत में परिवार को कितने पैसे भेज रहे हैं? इसमें वो लोग भी शामिल हैं जो 10 दिन से अधिक समय तक वहां रुके हैं। उनके बारे में पड़ताल की जा रही है। इसके लिए साइबर सेल के साथ साथ इंटेलिजेंस की भी मदद ली जा रही है। अब तक जो 8 मामले सामने आए हैं, उनकी FIR कराई जा चुकी है। साइबर सेल को शक, विदेश से न लौटने वाले साइबर गुलाम बनाए गए विदेश गए लोग और फिर वहां से वापस ना आना। फिर भारत में साइबर सेल की जांच में ऐसे गिरोह का पता चलना जो थाईलैंड, कंबोडिया, वियतनाम जैसे देशों में नौकरी के नाम पर लोगों को ले जा रहे, फिर वहां साइबर गुलाम बना रहे। यह सारी कड़ियां खुली साइबर सेल की जांच में। सेल डिजिटल अरेस्ट के मामलों की जांच कर रही थी। साइबर सेल ने जब पड़ताल की तो पता चला कि अलग-अलग थाना क्षेत्र में आधा दर्जन से ज्यादा ऐसे मुकदमे दर्ज हुए हैं, जहां लोगों को नौकरी के नाम पर विदेश ले जाया गया और वहां से फोन कराया जा रहा है। जानिए कैसे भारत से लोगों को विदेशों तक पहुंचाया गया पंफलेट से नौकरी का झांसा, फिर विदेश पहुंचते ही फोन और वीजा-पासपोर्ट छीन लेते ऐसे एक मामले की पड़ताल कर रहे अफसर ने बताया कि अलग-अलग शहरों में विदेशों में नौकरी दिलाने के नाम पर पंफलेट बांटे गए। इसमें वाल पेंटर, मेसन, शटरिंग कारपेंटर, स्टील फिक्सर, आल टाइप वेल्डर, इलेक्ट्रीशियन, प्लंबर, पाइप फिटर, इंसुलेटर, लाइट एंड हैवी मोटर व्हीकल ड्राइवर, लेबर, मैकेनिकल हेल्पर जैसे सैकड़ों पदों पर भर्ती के लिए विज्ञापन पंफलेट छपवाया गया। इसके बदले सैलरी के साथ-साथ खाने और ओवर टाइम का अलग पैसा देने का लालच दिया गया। उम्र की सीमा 21 साल से 45 साल के बीच की बताई गई। विज्ञापन में बताया गया कि 30 दिन में वीजा उपलब्ध कराया जाएगा। रहने, खाने और ट्रांसपोर्टेशन का खर्चा कंपनी देगी। इस लालच में आकर लोग पैसे भी खर्च करने को तैयार हो जा रहे। यहां से ले जाए जा रहे लोगों को कंबोडिया से 600 किलोमीटर दूर वियतनाम और थाईलैंड के बॉर्डर पर जंगलों में बने हाईटेक दफ्तरों में कैद कर दिया जाता है। फोन और वीजा पासपोर्ट जब्त कर लिया जाता है। इस दफ्तर में पुलिस थाना, सीबीआई और अदालत का पूरा सेट अप होता है। यहीं से डिजिटल अरेस्ट और ठगी के दूसरे तरीके अपनाए जाते हैं। ठगी करने वाले गुलामों की सैलरी 70 हजार से 1 लाख तक साइबर सेल के अफसर बताते हैं कि गिरोह अंतरराष्ट्रीय स्तर पर काम कर रहा है। इसमें भारत में बैठे लोग शिकार चुनते हैं। चुने गए लोगों को जाने से पहले कुछ नहीं बताया जाता। डेस्टिनेशन पर पहुंचने पर इस गिरोह के दूसरे सदस्य वहां मिल जाते हैं। अलग-अलग लोगों को अलग-अलग लोकेशन पर ले जाया जाता है। फिर वहां पहले इन लोगों को ट्रेनिंग दी जाती है, उसके बाद कॉल कराई जाती है। इसके बदले इन्हें 70 हजार से लेकर 1 लाख रुपए तक दिए जाते हैं। इन लोगों पर कड़ी निगरानी रखी जाती है कि असलियत कहीं परिजनों को न बता दें। ये लोग एजेंट की देखरेख में ही फोन पर बात कर सकते हैं। अब जानिए ये कैसे रुपए ऐंठते हैं साइबर अपराध रोकने के लिए पुलिस को पूरा समय देना होगा यह पूछने पर कि आखिर इस तरह की धोखाधड़ी और ठगी कैसे हो रही है। साइबर के क्षेत्र में लंबे समय तक यूपी पुलिस में रह कर काम करने वाले प्रोफेसर त्रिवेणी सिंह कहते हैं- जिन पुलिस कर्मियों को साइबर अपराध रोकने की जिम्मेदारी दी गई है, उनके पास दूसरे काम भी हैं। इसकी वजह से साइबर क्राइम को रोकने पर फोकस नहीं हो पा रहा है। साइबर ठगी रोकने के लिए सरकार क्या कदम उठा रही है? पूछने पर कहते हैं कि ऐसी ठगी और साइबर अपराध रोकने के लिए सरकार के निर्देश पर मोबाइल ऑपरेटर कॉलर ट्यून का इस्तेमाल कर रहे हैं। इससे लोगों को ताकीद की जा रही है कि वह ऐसे लोगों के झांसे में न आएं जो कस्टम, सीबीआई या पुलिस के नाम पर आपसे पैसे ऐंठने की कोशिश करते हैं। उन्हें यकीन दिलाया जा रहा है कि पुलिस, सीबीआई और कस्टम विभाग इस तरह से न तो पूछताछ करता है और न ही वॉट्सऐप पर नोटिस देकर कोई जवाब मांगता है। एडीजी साइबर क्राइम बिनोद कुमार सिंह बताते हैं कि देश से बाहर नौकरी दिलाने के लिए बकायदा इमिग्रेशन एक्ट के तहत एजेंट का रजिस्ट्रेशन होता है। लेकिन पैसों के लालच में लोग फर्जी एजेंट के जरिए लाओस, वियतनाम, कंबोडिया और थाईलैंड जैसे देश में जाकर साइबर गुलामी का शिकार हो रहे हैं। जो लोग इन देशों में गए हैं उनके बारे में संबंधित जिलों गोरखपुर, कुशीनगर, देवरिया, आगरा, बाराबंकी समेत तमाम जिलों के पुलिस कप्तानों को पत्र भेजकर जानकारी मांगी गई है, और ऐसे लोगों का सत्यापन कराने के लिए कहा गया है। कई मामलों में एफआईआर भी दर्ज कराई गई है। मानिंद्र कंसल्टेंसी का एक विज्ञापन भी प्रकाश में आया है, जिसके बारे में गोरखपुर एसपी को सख्त कार्रवाई करने के निर्देश दिए गए हैं। —————- ये भी पढ़ें… पहली बार कैमरे पर डिजिटल अरेस्ट करने वाले लुटेरे:भास्कर रिपोर्टर 6 घंटे कैद रहा, रिकॉर्ड की हर साजिश देशभर में डिजिटल अरेस्ट करने वाले ऑनलाइन लुटेरे। कभी फर्जी IPS ताे कभी CBI अफसर बनकर हाईप्रोफाइल लोगों को देशद्रोही, आतंकी, रेपिस्ट, स्मगलर बताकर लाखों-करोड़ों रुपए लूट लेते हैं। घंटों घर में कैद रहने को मजबूर कर देते हैं। आज तक ये लुटेरे पकड़े नहीं गए। पहली बार देखें इन लुटेरों के चेहरे। इन लुटेरों का सच सामने लाने के लिए भास्कर रिपोर्टर रावत प्रवीण सिंह ने खुद को डिजिटल अरेस्ट कराया। 6 घंटे तक मेंटल और फिजिकल टॉर्चर सहा, ताकि इनके खिलाफ सबूत जुटाए जा सकें। पढ़ें पूरी खबर… उत्तरप्रदेश | दैनिक भास्कर