सहारनपुर में लगातार एड्स के मरीजों की संख्या बढ़ रही है। 2024 में HIV संक्रमित मरीजों को आंकड़ा 2618 तक पहुंच गया है। जबकि 2023 में मरीजों की संख्या 1931 थी। इनमें संक्रमित बच्चों की संख्या 139 पहुंच गई है। NACO के आंकड़ों पर नजर डाले तो एड्स के मरीज सबसे जयादा पुरुषों है। मेल 1584 और फीमेल 867 है। इस बार विश्व एड्स दिवस पर थीम ‘सही मार्ग अपनाएं: मेरा स्वास्थ्य, मेरा अधिकार’ रखी गई है। ART (एंटी रेट्रो वायरल थिरेपी) सेंटर के आंकड़ों के अनुसार, जनवरी से नवंबर 2024 तक जिले में 304 एड्स के नए मरीज मिले हैं। जिनमें 212 मेल, 80 फीमेल और एक थर्ड जेंडर है। वहीं 11 बच्चें भी एड्स संक्रमित मिले हैं। जिनमें 6 मेल और 5 फीमेल है। बच्चों की उम्र एक से 14 साल तक की है। स्वास्थ्य विभाग की जोर आजमाइश के बाद भी सहारनपुर में एड्स मरीजों की संख्या कम होने का नाम नहीं ले रही है। शासन की ओर से तमाम सुविधाओं और प्रचार-प्रसार के बाद भी एड्स के मरीजों की संख्या कम नहीं हो रही है। सबसे चिंता की बात तो यह है कि स्त्री-पुरुष और बच्चों के अलावा एड्स की चपेट में थर्ड जेंडर भी आ गए हैं। आंकड़े वाकई में गवाह हैं और चौंकाने वाले भी। सहारनपुर में कुल 28 थर्ड जेंडर ऐसे हैं, जिनकी जांच में एचआईवी की पुष्टि हुई है। ART (एंटी रेट्रो वायरल थिरेपी) सेंटर में इसका रिकार्ड दर्ज किया गया है। यही नहीं, एड्स की भयावहता इस बात से पता चलती है कि पिछले पांच बरस में मरीजों की संख्या में बढ़ोतरी हुई है। करीब 350 से ज्यादा मरीजों की मौत हो चुकी है। इनमें से इलाज के दौरान 262 मरीजों की मौत हो चुकी है। इनमें 98 मरीज वे थे, जो एक बार ही दवा ले पाये और उनकी मौत हो गई। एड्स से 9 बच्चे भी काल के गाल में समा चुके हैं। पुरुषों में अधिक फैल रहा एड्स
सहारनपुर में महिलाओं की अपेक्षा पुरुषों में एड्स (एक्वॉयर्ड इम्यूनो डेफिशिएंसी सिंड्रोम) अधिक फैल रहा है। करोड़ों रुपए जागरूकता अभियान के माध्यम से प्रचार-प्रसार में खर्च किया जा रहा है। लेकिन एड्स कम होने का नाम नहीं ले रहा है। एचआईवी पाजीटिव लोगों के आंकडे चौंकाने वाले हैं। एआरटी (एंटीरेट्रोवायरल थिरेपी) सेंटर में 2618 मरीजों का रजिस्ट्रेशन है। जिनमें से 1584 पुरुष, 867 महिलाएं, 139 बच्चे और 28 थर्ड जेंडर शामिल है। वायरस लोड मापने को लगी मशीन
सहारनपुर के जिला अस्पताल में 2013 में ART सेंटर की शुरुआत हुई थी। पूर्व में यहां से मरीजों को मेरठ मेडिकल कॉलेज में रेफर कर दिया जाता था। हालांकि सीडी-फोर के मरीजों को अब भी मेरठ भेजा जा रहा था। लेकिन अब इसकी जांच के लिए सीडी-फोर की मशीन यहां भी स्थापित कर दी है। कारण भी स्पष्ट है मरीज यहां से इलाज कराने मेरठ जाने में कतराते थे और अपना इलाज बीच में ही छोड़ देते थे। इसको गंभीरता से लेते हुए यहीं मशीन लगाई गई है। इस मशीन के द्वारा मरीज में वायरस लोड़ मापा जाता है। जिससे उसके शरीर में फैलने वाले वायरस की जांच की जाती है। यह है पुराने आंकड़ें
सहारनपुर के जिला अस्पताल के ART सेंटर से मिले आंकड़ों के अनुसार, 2013-14 में 145 मरीजों का रजिस्ट्रेशन हुआ था। 140 मरीजों की दवाई चली। 43 मरीज टीबी और एड्स के मिले। 16 गर्भवती निकली थी। 29 मरीजों की मौत इलाज के दौरान हुई। 2014-15 में 470 का रजिस्ट्रेशन हुआ। 251 की दवाई चली, 43 टीबी और एड्स, 15 गर्भवती और 42 एड्स मरीजों की मौत हुई। इसी प्रकार 2015-16 में 227 मरीजों के रजिस्ट्रशन हुए। इनमें 177 का इलाज चला। 57 टीबी और एड्स के मरीज मिले। 19 गर्भवती महिलाएं मिली। 61 मरीजों की मौत हुई। वर्ष 2016-17 में 293 रजिस्ट्रेशन, 271 की दवाई चली, 70 टीबी और एड्स के मरीज, 39 गर्भवती महिला और 75 मरीजों की मौत इस वर्ष हुई। वर्ष 2017-18 में 350 रजिस्टेशन, 344 की दवाई चली, 75 मरीजों को टीबी और एड्स निकाला, 29 गर्भवती मिली। 57 मरीजों की मौत हुई। 2019-20 में 255 रजिस्ट्रेशन हुए, 225 की दवाई चली, 32 मरीजों को टीबी और एड्स निकला, 28 गर्भवती मिली और 65 मरीजों की मौत हुई। वहीं 2022-23 में एआरटी (एंटीरेट्रोवायरल थिरेपी) सेंटर में 2800 मरीजों का रजिस्ट्रेशन था। जिनमें से 1800 पुरुष, 894 महिलाएं, 70 बच्चे और 36 थर्ड जेंडर शामिल है। लॉकडाउन से पहले यानी 2019 में कुल एड्स मरीजों की संख्या 1396 थी। लेकिन अब यहीं संख्या बढ़कर 2800 तक पहुंच गई थी। क्योंकि दूसरे राज्यों में काम करने वाले लोग अपने घरों में आए थे। परेशानी हुई तो उन्होंने जांच कराई। जिस कारण उन्हें दवाई देनी पड़ी। लेकिन लॉकडाउन खत्म होने के बाद भी संख्या कम नहीं हुई है। 2023 में इस साल में अब तक 231 एचआईवी पीड़ित मिल चुके हैं। इनमें 156 पुरुष, 63 महिला और 12 बच्चे शामिल हैं, जबकि नए व पुराने मिलाकर कुल 1931 मरीजों का उपचार एआरटी सेंटर में चल रहा है। इनमें 1135 महिला, 675 पुरुष, 21 थर्ड जेंडर और 107 बच्चे हैं। एचआईवी के लक्षण ऐसे फैलता है संक्रमण ऐसे करें बचाव सहारनपुर में लगातार एड्स के मरीजों की संख्या बढ़ रही है। 2024 में HIV संक्रमित मरीजों को आंकड़ा 2618 तक पहुंच गया है। जबकि 2023 में मरीजों की संख्या 1931 थी। इनमें संक्रमित बच्चों की संख्या 139 पहुंच गई है। NACO के आंकड़ों पर नजर डाले तो एड्स के मरीज सबसे जयादा पुरुषों है। मेल 1584 और फीमेल 867 है। इस बार विश्व एड्स दिवस पर थीम ‘सही मार्ग अपनाएं: मेरा स्वास्थ्य, मेरा अधिकार’ रखी गई है। ART (एंटी रेट्रो वायरल थिरेपी) सेंटर के आंकड़ों के अनुसार, जनवरी से नवंबर 2024 तक जिले में 304 एड्स के नए मरीज मिले हैं। जिनमें 212 मेल, 80 फीमेल और एक थर्ड जेंडर है। वहीं 11 बच्चें भी एड्स संक्रमित मिले हैं। जिनमें 6 मेल और 5 फीमेल है। बच्चों की उम्र एक से 14 साल तक की है। स्वास्थ्य विभाग की जोर आजमाइश के बाद भी सहारनपुर में एड्स मरीजों की संख्या कम होने का नाम नहीं ले रही है। शासन की ओर से तमाम सुविधाओं और प्रचार-प्रसार के बाद भी एड्स के मरीजों की संख्या कम नहीं हो रही है। सबसे चिंता की बात तो यह है कि स्त्री-पुरुष और बच्चों के अलावा एड्स की चपेट में थर्ड जेंडर भी आ गए हैं। आंकड़े वाकई में गवाह हैं और चौंकाने वाले भी। सहारनपुर में कुल 28 थर्ड जेंडर ऐसे हैं, जिनकी जांच में एचआईवी की पुष्टि हुई है। ART (एंटी रेट्रो वायरल थिरेपी) सेंटर में इसका रिकार्ड दर्ज किया गया है। यही नहीं, एड्स की भयावहता इस बात से पता चलती है कि पिछले पांच बरस में मरीजों की संख्या में बढ़ोतरी हुई है। करीब 350 से ज्यादा मरीजों की मौत हो चुकी है। इनमें से इलाज के दौरान 262 मरीजों की मौत हो चुकी है। इनमें 98 मरीज वे थे, जो एक बार ही दवा ले पाये और उनकी मौत हो गई। एड्स से 9 बच्चे भी काल के गाल में समा चुके हैं। पुरुषों में अधिक फैल रहा एड्स
सहारनपुर में महिलाओं की अपेक्षा पुरुषों में एड्स (एक्वॉयर्ड इम्यूनो डेफिशिएंसी सिंड्रोम) अधिक फैल रहा है। करोड़ों रुपए जागरूकता अभियान के माध्यम से प्रचार-प्रसार में खर्च किया जा रहा है। लेकिन एड्स कम होने का नाम नहीं ले रहा है। एचआईवी पाजीटिव लोगों के आंकडे चौंकाने वाले हैं। एआरटी (एंटीरेट्रोवायरल थिरेपी) सेंटर में 2618 मरीजों का रजिस्ट्रेशन है। जिनमें से 1584 पुरुष, 867 महिलाएं, 139 बच्चे और 28 थर्ड जेंडर शामिल है। वायरस लोड मापने को लगी मशीन
सहारनपुर के जिला अस्पताल में 2013 में ART सेंटर की शुरुआत हुई थी। पूर्व में यहां से मरीजों को मेरठ मेडिकल कॉलेज में रेफर कर दिया जाता था। हालांकि सीडी-फोर के मरीजों को अब भी मेरठ भेजा जा रहा था। लेकिन अब इसकी जांच के लिए सीडी-फोर की मशीन यहां भी स्थापित कर दी है। कारण भी स्पष्ट है मरीज यहां से इलाज कराने मेरठ जाने में कतराते थे और अपना इलाज बीच में ही छोड़ देते थे। इसको गंभीरता से लेते हुए यहीं मशीन लगाई गई है। इस मशीन के द्वारा मरीज में वायरस लोड़ मापा जाता है। जिससे उसके शरीर में फैलने वाले वायरस की जांच की जाती है। यह है पुराने आंकड़ें
सहारनपुर के जिला अस्पताल के ART सेंटर से मिले आंकड़ों के अनुसार, 2013-14 में 145 मरीजों का रजिस्ट्रेशन हुआ था। 140 मरीजों की दवाई चली। 43 मरीज टीबी और एड्स के मिले। 16 गर्भवती निकली थी। 29 मरीजों की मौत इलाज के दौरान हुई। 2014-15 में 470 का रजिस्ट्रेशन हुआ। 251 की दवाई चली, 43 टीबी और एड्स, 15 गर्भवती और 42 एड्स मरीजों की मौत हुई। इसी प्रकार 2015-16 में 227 मरीजों के रजिस्ट्रशन हुए। इनमें 177 का इलाज चला। 57 टीबी और एड्स के मरीज मिले। 19 गर्भवती महिलाएं मिली। 61 मरीजों की मौत हुई। वर्ष 2016-17 में 293 रजिस्ट्रेशन, 271 की दवाई चली, 70 टीबी और एड्स के मरीज, 39 गर्भवती महिला और 75 मरीजों की मौत इस वर्ष हुई। वर्ष 2017-18 में 350 रजिस्टेशन, 344 की दवाई चली, 75 मरीजों को टीबी और एड्स निकाला, 29 गर्भवती मिली। 57 मरीजों की मौत हुई। 2019-20 में 255 रजिस्ट्रेशन हुए, 225 की दवाई चली, 32 मरीजों को टीबी और एड्स निकला, 28 गर्भवती मिली और 65 मरीजों की मौत हुई। वहीं 2022-23 में एआरटी (एंटीरेट्रोवायरल थिरेपी) सेंटर में 2800 मरीजों का रजिस्ट्रेशन था। जिनमें से 1800 पुरुष, 894 महिलाएं, 70 बच्चे और 36 थर्ड जेंडर शामिल है। लॉकडाउन से पहले यानी 2019 में कुल एड्स मरीजों की संख्या 1396 थी। लेकिन अब यहीं संख्या बढ़कर 2800 तक पहुंच गई थी। क्योंकि दूसरे राज्यों में काम करने वाले लोग अपने घरों में आए थे। परेशानी हुई तो उन्होंने जांच कराई। जिस कारण उन्हें दवाई देनी पड़ी। लेकिन लॉकडाउन खत्म होने के बाद भी संख्या कम नहीं हुई है। 2023 में इस साल में अब तक 231 एचआईवी पीड़ित मिल चुके हैं। इनमें 156 पुरुष, 63 महिला और 12 बच्चे शामिल हैं, जबकि नए व पुराने मिलाकर कुल 1931 मरीजों का उपचार एआरटी सेंटर में चल रहा है। इनमें 1135 महिला, 675 पुरुष, 21 थर्ड जेंडर और 107 बच्चे हैं। एचआईवी के लक्षण ऐसे फैलता है संक्रमण ऐसे करें बचाव उत्तरप्रदेश | दैनिक भास्कर