वेस्ट दिल्ली में भूमि घोटाला? HC से CBI जांच की मांग, सरकारी खजाने को चूना लगाने के लगे आरोप 

वेस्ट दिल्ली में भूमि घोटाला? HC से CBI जांच की मांग, सरकारी खजाने को चूना लगाने के लगे आरोप 

<p style=”text-align: justify;”><strong>Delhi Latest News:</strong> दिल्ली हाईकोर्ट ने पश्चिमी दिल्ली में एक शॉपिंग मॉल परियोजना से जुड़े कथित भ्रष्टाचार और वित्तीय अनियमितताओं के मामले में सीबीआई से जवाब तलब किया है.&nbsp;यह कार्रवाई उस याचिका के आधार पर की गई है, जिसमें कई करोड के भूमि घोटाले की जांच की मांग की गई है. वरिष्ठ वकील विकास पाहवा और वकील गौरव गुप्ता ने दिल्ली हाईकोर्ट में इस मसले को लेकर याचिका दायर की थी.</p>
<p style=”text-align: justify;”>याचिकाकर्ता विकास पाहवा और गौरव गुप्ता ने एक शॉपिंग मॉल बनाने की परियोजना को लेकर गंभीर आरोप लगाए हैं. याची ने अदालत को बताया कि मॉल बनाने वाली प्रमुख रियल एस्टेट कंपनी ने सरकारी अधिकारियों, सब-रजिस्ट्रार और कॉर्पोरेट किरायेदारों की मिलीभगत से करोड़ों रुपये का नुकसान सरकारी खजाने को पहुंचाया है.&nbsp;</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>पट्टा रद्द, तो ​फिर कैसे जारी है शॉपिंग मॉल का निर्माण?</strong></p>
<p style=”text-align: justify;”>याचिकाकर्ता के अनुसार दिल्ली विकास प्राधिकरण ने साल 2007 में एक 6,085 वर्ग मीटर के वाणिज्यिक भूखंड का स्थायी पट्टा प्रदान किया था, करीब 25 करोड़ की बकाया राशि जिसमें ग्राउंड रेंट और कन्वर्जन चार्ज शामिल थे, का भुगतान न होने के कारण DDA ने जनवरी 2020 में पट्टा समाप्त कर दिया था,&nbsp;</p>
<p style=”text-align: justify;”>इसके बावजूद, याचिकाकर्ता का दावा है कि मूल डेवलपर से जुड़ी शेल कंपनियों के माध्यम से भूमि पर अवैध गतिविधियां जारी हैं. भ्रष्टाचार के इस खेल में तीसरे पक्ष के हित के मूल कंपनी ने गैर कानूनी तरीके से पूर किए हैं, जो पट्टा समाप्ति आदेश का उल्लंघन है,</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>सरकारी खजाने को 100 करोड़ से अधिक का नुकसान</strong></p>
<p style=”text-align: justify;”>याचिकाकर्ता ने दिल्ली हाईकोर्ट से कहा है कि इस अनधिकृत कब्जे और वित्तीय धोखाधड़ी के कारण सरकार को 100 करोड़ से अधिक का राजस्व नुकसान हुआ है, याचिकाकर्ता ने कोर्ट से अनुरोध किया है कि वह CBI को भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम और अन्य दंड कानूनों के तहत FIR दर्ज करने का निर्देश दे.&nbsp;याचिका में कहा गया है कि यदि इस मामले की निष्पक्ष जांच नहीं हुई, तो भ्रष्टाचार की व्यापक सच्चाई सामने नहीं आ सकेगी और दोषियों की जवाबदेही तय नहीं हो पाएगी.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>अगली सुनवाई 27 मई को</strong></p>
<p style=”text-align: justify;”>दिल्ली हाईकोर्ट में जस्टिस गिरीश काठपालिया ने 30 अप्रैल को मामले की सुनवाई करते हुए CBI को नोटिस जारी किया. उन्होंने इस मसले पर सुनवाई के लिए 27 मई की तारीख तय की है.</p>
<p style=”text-align: justify;”><iframe title=”YouTube video player” src=”https://www.youtube.com/embed/58eqKwBTDNU?si=e_dlvlO_7INOcyDi” width=”560″ height=”315″ frameborder=”0″ allowfullscreen=”allowfullscreen”></iframe></p> <p style=”text-align: justify;”><strong>Delhi Latest News:</strong> दिल्ली हाईकोर्ट ने पश्चिमी दिल्ली में एक शॉपिंग मॉल परियोजना से जुड़े कथित भ्रष्टाचार और वित्तीय अनियमितताओं के मामले में सीबीआई से जवाब तलब किया है.&nbsp;यह कार्रवाई उस याचिका के आधार पर की गई है, जिसमें कई करोड के भूमि घोटाले की जांच की मांग की गई है. वरिष्ठ वकील विकास पाहवा और वकील गौरव गुप्ता ने दिल्ली हाईकोर्ट में इस मसले को लेकर याचिका दायर की थी.</p>
<p style=”text-align: justify;”>याचिकाकर्ता विकास पाहवा और गौरव गुप्ता ने एक शॉपिंग मॉल बनाने की परियोजना को लेकर गंभीर आरोप लगाए हैं. याची ने अदालत को बताया कि मॉल बनाने वाली प्रमुख रियल एस्टेट कंपनी ने सरकारी अधिकारियों, सब-रजिस्ट्रार और कॉर्पोरेट किरायेदारों की मिलीभगत से करोड़ों रुपये का नुकसान सरकारी खजाने को पहुंचाया है.&nbsp;</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>पट्टा रद्द, तो ​फिर कैसे जारी है शॉपिंग मॉल का निर्माण?</strong></p>
<p style=”text-align: justify;”>याचिकाकर्ता के अनुसार दिल्ली विकास प्राधिकरण ने साल 2007 में एक 6,085 वर्ग मीटर के वाणिज्यिक भूखंड का स्थायी पट्टा प्रदान किया था, करीब 25 करोड़ की बकाया राशि जिसमें ग्राउंड रेंट और कन्वर्जन चार्ज शामिल थे, का भुगतान न होने के कारण DDA ने जनवरी 2020 में पट्टा समाप्त कर दिया था,&nbsp;</p>
<p style=”text-align: justify;”>इसके बावजूद, याचिकाकर्ता का दावा है कि मूल डेवलपर से जुड़ी शेल कंपनियों के माध्यम से भूमि पर अवैध गतिविधियां जारी हैं. भ्रष्टाचार के इस खेल में तीसरे पक्ष के हित के मूल कंपनी ने गैर कानूनी तरीके से पूर किए हैं, जो पट्टा समाप्ति आदेश का उल्लंघन है,</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>सरकारी खजाने को 100 करोड़ से अधिक का नुकसान</strong></p>
<p style=”text-align: justify;”>याचिकाकर्ता ने दिल्ली हाईकोर्ट से कहा है कि इस अनधिकृत कब्जे और वित्तीय धोखाधड़ी के कारण सरकार को 100 करोड़ से अधिक का राजस्व नुकसान हुआ है, याचिकाकर्ता ने कोर्ट से अनुरोध किया है कि वह CBI को भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम और अन्य दंड कानूनों के तहत FIR दर्ज करने का निर्देश दे.&nbsp;याचिका में कहा गया है कि यदि इस मामले की निष्पक्ष जांच नहीं हुई, तो भ्रष्टाचार की व्यापक सच्चाई सामने नहीं आ सकेगी और दोषियों की जवाबदेही तय नहीं हो पाएगी.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>अगली सुनवाई 27 मई को</strong></p>
<p style=”text-align: justify;”>दिल्ली हाईकोर्ट में जस्टिस गिरीश काठपालिया ने 30 अप्रैल को मामले की सुनवाई करते हुए CBI को नोटिस जारी किया. उन्होंने इस मसले पर सुनवाई के लिए 27 मई की तारीख तय की है.</p>
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