भास्कर न्यूज| लुधियाना भादो और भादवा के नाम से जाना जाने वाला भाद्रपद माह में भगवान गणेश और कृष्ण जी की पूजा का विधान है। इस माह की शुरुआत तो 20 अगस्त से ही हो गई थी और इसी के साथ ही व्रत व त्योहार मनाए जाना भी शुरू हो गए। इसमें तीज, जन्माष्टमी और गणेश चतुर्थी का नाम मुख्य त्योहारों में शामिल है। पंडित कमल शर्मा ने बताया कि शनिवार के दिन पड़ने के कारण इसे शनि प्रदोष व्रत कहा जा रहा है। इस दौरान आने वाले प्रदोष व्रत को भी बहुत शुभ माना जाता है। ये तिथि भगवान शिव की पूजा के लिए श्रेष्ठ मानी जाती है। हर माह में दो बार प्रदोष व्रत रखा जाता है। पहला कृष्ण पक्ष, तो दूसरा शुक्ल पक्ष में रखा जाता है। इस दिन महादेव और माता पार्वती की विधि अनुसार पूजा की जाती है। इस दौरान व्रत रखने से भक्तों के समस्त संकट दूर होते हैं। साथ ही सभी समस्याओं का निवारण होता है। वहीं, इस बार भादो माह में पहला प्रदोष व्रत 31 अगस्त दिन शनिवार को रखा जाएगा। शुभ योग : प्रदोष व्रत पर वरीयान योग बनेगा, जो सुबह 7:10 से लेकर शाम 6:40 तक रहेगा। इस दौरान गर और वणिज करण के साथ पुष्य नक्षत्र का महासंयोग बनेगा। जोकि सुबह 7:40 से लेकर शाम 5:30 तक होगा। इस योग में महादेव की पूजा करने से हर मनोकामना पूरी होती हैं। भाद्रपद प्रदोष व्रत में बन रहे शुभ योग में सभी कार्यों के लिए शुभ है साथ ही साथ पूजा का फल दोगुना हो जाएगा। वहीं, व्यापार और धन लाभ के लिए यह महासंयोग शुभ है। प्रदोष व्रत की विधि के अनुसार सुबह उठने के साथ ही व्रत शुरू हो जाता है। इस दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि के साथ अपने पूजा स्थल की अच्छे से साफ-सफाई करें। शाम के पूजन से पहले ही पूजा की सारी तैयारी कर लें। इसके बाद एक चौकी पर भगवान शिव और माता पार्वती की प्रतिमा रखें और इसके बाद दोनों का अभिषेक करें। फिर वस्त्र आदि अर्पित कर फूल आदि भगवान को अर्पित करें और देसी घी का दीपक जलाएं। इस बात का ख्याल रखें की भगवान को गुड़हल, कनेर के फूल और बेलपत्र के पत्ते भी चढ़ाएं। अंत में भगवान के भोग में हलवा या खीर जरूर शामिल करें। इस दौरान शिव चालीसा का पाठ करना बेहद शुभ होता है, इसलिए पाठ करें। अंत में महादेव को फल और मिठाई का भोग लगाएं। भादो माह के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि 31 अगस्त को सुबह 4:20 बजे से शाम 7:40 तक रहेगा। जबकि पूजा का शुभ समय सुबह 5:20 से शाम 6:10 बजे तक रहेगा। इस दिन शनिवार होने के कारण इसे शनि प्रदोष व्रत कहा जाएगा। इस दौरान महादेव के साथ-साथ शनि देव की पूजा भी की जाएगी। ऐसा करने पर शुभ परिणामों की प्राप्ति होती हैं। भास्कर न्यूज| लुधियाना भादो और भादवा के नाम से जाना जाने वाला भाद्रपद माह में भगवान गणेश और कृष्ण जी की पूजा का विधान है। इस माह की शुरुआत तो 20 अगस्त से ही हो गई थी और इसी के साथ ही व्रत व त्योहार मनाए जाना भी शुरू हो गए। इसमें तीज, जन्माष्टमी और गणेश चतुर्थी का नाम मुख्य त्योहारों में शामिल है। पंडित कमल शर्मा ने बताया कि शनिवार के दिन पड़ने के कारण इसे शनि प्रदोष व्रत कहा जा रहा है। इस दौरान आने वाले प्रदोष व्रत को भी बहुत शुभ माना जाता है। ये तिथि भगवान शिव की पूजा के लिए श्रेष्ठ मानी जाती है। हर माह में दो बार प्रदोष व्रत रखा जाता है। पहला कृष्ण पक्ष, तो दूसरा शुक्ल पक्ष में रखा जाता है। इस दिन महादेव और माता पार्वती की विधि अनुसार पूजा की जाती है। इस दौरान व्रत रखने से भक्तों के समस्त संकट दूर होते हैं। साथ ही सभी समस्याओं का निवारण होता है। वहीं, इस बार भादो माह में पहला प्रदोष व्रत 31 अगस्त दिन शनिवार को रखा जाएगा। शुभ योग : प्रदोष व्रत पर वरीयान योग बनेगा, जो सुबह 7:10 से लेकर शाम 6:40 तक रहेगा। इस दौरान गर और वणिज करण के साथ पुष्य नक्षत्र का महासंयोग बनेगा। जोकि सुबह 7:40 से लेकर शाम 5:30 तक होगा। इस योग में महादेव की पूजा करने से हर मनोकामना पूरी होती हैं। भाद्रपद प्रदोष व्रत में बन रहे शुभ योग में सभी कार्यों के लिए शुभ है साथ ही साथ पूजा का फल दोगुना हो जाएगा। वहीं, व्यापार और धन लाभ के लिए यह महासंयोग शुभ है। प्रदोष व्रत की विधि के अनुसार सुबह उठने के साथ ही व्रत शुरू हो जाता है। इस दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि के साथ अपने पूजा स्थल की अच्छे से साफ-सफाई करें। शाम के पूजन से पहले ही पूजा की सारी तैयारी कर लें। इसके बाद एक चौकी पर भगवान शिव और माता पार्वती की प्रतिमा रखें और इसके बाद दोनों का अभिषेक करें। फिर वस्त्र आदि अर्पित कर फूल आदि भगवान को अर्पित करें और देसी घी का दीपक जलाएं। इस बात का ख्याल रखें की भगवान को गुड़हल, कनेर के फूल और बेलपत्र के पत्ते भी चढ़ाएं। अंत में भगवान के भोग में हलवा या खीर जरूर शामिल करें। इस दौरान शिव चालीसा का पाठ करना बेहद शुभ होता है, इसलिए पाठ करें। अंत में महादेव को फल और मिठाई का भोग लगाएं। भादो माह के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि 31 अगस्त को सुबह 4:20 बजे से शाम 7:40 तक रहेगा। जबकि पूजा का शुभ समय सुबह 5:20 से शाम 6:10 बजे तक रहेगा। इस दिन शनिवार होने के कारण इसे शनि प्रदोष व्रत कहा जाएगा। इस दौरान महादेव के साथ-साथ शनि देव की पूजा भी की जाएगी। ऐसा करने पर शुभ परिणामों की प्राप्ति होती हैं। पंजाब | दैनिक भास्कर
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