हिमाचल की राजधानी शिमला स्थिति डिप्टी डायरेक्टर एलिमेंटरी एजुकेशन दफ्तर को सील कर दिया गया है। रेलवे बोर्ड ने आज सुबह यह कार्रवाई की है। शिमला के चक्कर स्थित सीबीआई कोर्ट के फैसले के बाद रेलवे प्रबंधन ने यह कार्रवाई की है। इससे शिक्षा विभाग में हड़कंप मच गया है। दरअसल, शिमला के चौड़ा मैदान में रेलवे बोर्ड की बिल्डिंग में पांच दशक से भी ज्यादा समय से डिप्टी डायरेक्टर एलिमेंटरी एजुकेशन दफ्तर चल रहा था। साल 2014 से इस पर रेलवे बोर्ड और शिक्षा विभाग के बीच कब्जे को लेकर कोर्ट में लड़ाई चल रही थी। बताया जा रहा है कि शिक्षा विभाग कब्जे को लेकर कोर्ट में दस्तावेज प्रस्तुत नहीं कर पाया। इस वजह से कोर्ट ने रेलवे बोर्ड के पक्ष में फैसला सुनाया। कोर्ट की जजमेंट के बाद रेलवे प्रबंधन ने डिप्टी डायेरक्टर दफ्तर पर कब्जा कर लिया है। इसके बाद शिक्षा विभाग के कर्मचारी सड़कों पर आ गए है। अब शिक्षा महकमा इस मामले में कोर्ट के आदेशों को अपेक्स कोर्ट में चुनौती देने पर विचार कर रहा है और लीगल ऑपिनियन ली जा रही है। हिमाचल की राजधानी शिमला स्थिति डिप्टी डायरेक्टर एलिमेंटरी एजुकेशन दफ्तर को सील कर दिया गया है। रेलवे बोर्ड ने आज सुबह यह कार्रवाई की है। शिमला के चक्कर स्थित सीबीआई कोर्ट के फैसले के बाद रेलवे प्रबंधन ने यह कार्रवाई की है। इससे शिक्षा विभाग में हड़कंप मच गया है। दरअसल, शिमला के चौड़ा मैदान में रेलवे बोर्ड की बिल्डिंग में पांच दशक से भी ज्यादा समय से डिप्टी डायरेक्टर एलिमेंटरी एजुकेशन दफ्तर चल रहा था। साल 2014 से इस पर रेलवे बोर्ड और शिक्षा विभाग के बीच कब्जे को लेकर कोर्ट में लड़ाई चल रही थी। बताया जा रहा है कि शिक्षा विभाग कब्जे को लेकर कोर्ट में दस्तावेज प्रस्तुत नहीं कर पाया। इस वजह से कोर्ट ने रेलवे बोर्ड के पक्ष में फैसला सुनाया। कोर्ट की जजमेंट के बाद रेलवे प्रबंधन ने डिप्टी डायेरक्टर दफ्तर पर कब्जा कर लिया है। इसके बाद शिक्षा विभाग के कर्मचारी सड़कों पर आ गए है। अब शिक्षा महकमा इस मामले में कोर्ट के आदेशों को अपेक्स कोर्ट में चुनौती देने पर विचार कर रहा है और लीगल ऑपिनियन ली जा रही है। हिमाचल | दैनिक भास्कर
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हिमाचल में मुसलमानों का बहिष्कार महिला पर भारी:DC कांगड़ा ने दिया नोटिस; निलंबन की तलवार लटकी, लंबागांव वार्ड से BDC सदस्य है महिला
हिमाचल में मुसलमानों का बहिष्कार महिला पर भारी:DC कांगड़ा ने दिया नोटिस; निलंबन की तलवार लटकी, लंबागांव वार्ड से BDC सदस्य है महिला हिमाचल प्रदेश में मुसलमानों के आर्थिक बहिष्कार को भड़काने वाली महिला की मुश्किलें बढ़ती जा रही है। कांगड़ा के लंबागांव पुलिस स्टेशन में FIR के बाद DC कांगड़ा ने भी महिला के इस आचरण को लेकर नोटिस जारी कर दिया है। महिला को सात दिन के भीतर जवाब देने को कहा गया है। इसके बाद महिला पर निलंबन की गाज गिरनी तय मानी जा रही है। दरअसल, कश्मीरियों से बदसलूकी करने वाली सुषमा देवी नाम की महिला लंबागांव वार्ड से पंचायत समिति सदस्य (BDC) है। देश का संविधान और हिमाचल का पंचायतीराज एक्ट किसी भी लोक सेवक को इस तरह जन भावनाएं भड़काने की इजाजत नहीं देता। जब भी कोई लोक सेवक चुनाव जीतता है, तो उन्हें पद की गरिमा बनाए रखने, ईमानदारी व निष्पक्षता से काम करने और हर हाल में देश की संप्रभुता और अखंडता को बनाए रखने की शपथ दिलाई जाती है। मगर सुषमा देवी पर धार्मिक भावनाएं भड़काने के गंभीर आरोप लगे है। पुलिस ने महिला के खिलाफ भारतीय न्याय संहिता की धारा 299 और 196 के तहत मामला दर्ज कर दिया गया है और आगामी कार्रवाई की जा रही है। एक्ट में सस्पेंड करने का प्रावधान: जिला पंचायत अधिकारी जिला पंचायत अधिकारी धर्मशाला नीलम कटोच ने बताया कि एसडीएम से जांच रिपोर्ट और FIR की कॉपी मिलने के बाद सुषमा को नोटिस दे दिया गया है। उन्होंने बताया कि हमारा एक्ट किसी को भी किसी के धर्म की भावना को ठेस पहुंचाने की इजाजत नहीं देता। खासकर लोक सेवक तो बिल्कुल भी ऐसा आचरण नहीं कर सकता है। उन्होंने बताया कि पंचायतीराज एक्ट में ऐसे आचरण पर सस्पेंड करने का प्रावधान है। 23 नवंबर का वीडियो 25 को वायरल, 26 को FIR बता दें कि बीते 23 नवंबर को एक वीडियो वायरल होता है। जिसमे दो महिलाएं और दो कश्मीरी नजर आ रहे हैं। इनमें से एक महिला कश्मीरियों के आर्थिक बहिष्कार और हिमाचल में मुसलमानों को नहीं आने की बात करती है। यह वीडियो 25 नवंबर को सोशल मीडिया में वायरल होता है। मगर तब तक यह मालूम नहीं पड़ता कि वीडियो कहा है। SP कांगड़ा के निर्देशों पर FIR 26 नवंबर को कश्मीरियों से बदसलूकी करने वाली महिला की पहचान होती है और SP कांगड़ा के निर्देशों पर महिला के खिलाफ FIR होती है। इस वीडियों में महिला न केवल मुसलमानों के बहिष्कार बल्कि उन्हें जय श्री राम बोलने को भी कहती है। महिला कहती है कि इनका सामान कोई न खरीदे। जो सामान खरीदना है, वो हिंदू दुकानदारों से खरीदे। ये क्या हमें मुफ्त में देंगे। अगर मुफ्त भी देंगे तो भी नहीं लेंगे।
हिमाचल प्रदेश में विश्व का सबसे ऊंचा मतदान केंद्र:एक बूथ पर हेलिकॉप्टर तो दूसरे पर नांव से पहुंची पोलिंग टीमें; खतरनाक नाला-पहाड़ भी पार किया
हिमाचल प्रदेश में विश्व का सबसे ऊंचा मतदान केंद्र:एक बूथ पर हेलिकॉप्टर तो दूसरे पर नांव से पहुंची पोलिंग टीमें; खतरनाक नाला-पहाड़ भी पार किया हिमाचल की भौगोलिक परिस्थितियां ऐसी हैं, जहां मतदान करवाना चुनौती से कम नहीं। राज्य में एक पोलिंग बूथ ऐसा है, जहां हेलिकॉप्टर से पहुंचा जा सकता है। एक मतदान केंद्र में नाव से साढ़े 5 किलोमीटर का सफर कर पोलिंग पार्टी पहुंच पाई हैं। प्रदेश में दर्जनों ऐसे पोलिंग बूथ हैं, जहां पहुंचने के लिए पोलिंग पार्टियों को ऊंचे-ऊंचे पहाड़, खतरनाक नदी-नाले और बर्फ के पहाड़ पार कर पहुंचना पड़ा। यही नहीं, विश्व का सबसे अधिक ऊंचाई पर स्थापित मतदान केंद्र भी हिमाचल के लाहौल-स्पीति जिले में है। कुछ रोचक पोलिंग स्टेशनों के बारे में भास्कर की रिपोर्ट.. बड़ा भंगाल में हेलिकॉप्टर से पहुंचा मतदान दल
हिमाचल के कांगड़ा जिला में अति दुर्गम क्षेत्र बड़ा भंगाल के लिए पोलिंग पार्टी हेलिकॉप्टर से भेजी गई है। गुरुवार शाम को मतदान दल EVM के साथ हेलिकॉप्टर में बड़ा भंगाल के लिए उड़ा। यह टीम आज शाम तक पोलिंग बूथ को वोटिंग के लिए तैयार करेगा। शनिवार को वोटिंग के बाद पोलिंग पार्टी बड़ा भंगाल में ही नाइट स्टे करेगी। 2 जून को पोलिंग पार्टी हेलिकॉप्टर से ही वापस बैजनाथ लौटेंगी। पैदल बड़ा भंगाल पहुंचने में लगते हैं 3 दिन
बड़ा भंगाल हिमाचल का इकलौता ऐसा मतदान केंद्र है, जहां पोलिंग पार्टी हेलिकॉप्टर से पहुंचाई जाती है। वापस भी हेलिकॉप्टर से ही लाई जाती है। सड़क कनेक्टिविटी न होने की वजह से यहां से लोगों का जीवन भी कठिनाइयों से भरा रहता है। बैजनाथ से बड़ा भंगाल पैदल पहुंचने में कम से कम 3 दिन लगते हैं। आधे रास्ते में एक नाइट का स्टे करना पड़ता है। यहां नेता भी वोट मांगने नहीं पहुंच पाते
बैजनाथ से बरोट-मुल्थान होते हुए गड़सापुल तक सड़क से पहुंचा जा सकता है, लेकिन यहां से आगे 3 दिन पैदल चलना पड़ता है। इस वजह से यहां चुनाव लड़ने वाले उम्मीदवार भी वोट मांगने नहीं पहुंच पाते हैं। बताया जाता है कि पूर्व CM प्रेम कुमार धूमल, वूल फेडरेशन के पूर्व अध्यक्ष व बीजेपी नेता त्रिलोक कपूर और बैजनाथ के पूर्व विधायक मुल्ख राज प्रेमी जरूर यहां एक बार वोट मांगने पहुंचे थे। मगर लोकसभा और विधानसभा चुनाव में ज्यादातर बार कोई कैंडिडेट यहां नहीं पहुंच पाता। कुठेड़ा पोलिंग बूथ को नाव से पहुंची टीम
कांगड़ा जिला के फतेहपुर विधानसभा में कुठेड़ा पोलिंग बूथ को पहुंचने के लिए पोलिंग पार्टी को नाव का सहारा लेना पड़ा। इस टीम की वापसी भी नाव से ही हो पाएगी। यह पोलिंग बूथ पौंग डैम के टापू पर बनाया गया है। मतदान कर्मियों को लगभग साढ़े 5 किलोमीटर का सफर नाव में करना पड़ा। तब जाकर कर्मचारी पोलिंग बूथ तक पहुंच पाए। एहलमी पहुंचने को 15KM पैदल चलना पड़ता है
मंडी लोकसभा के अंतर्गत चंबा जिले की भरमौर विधानसभा के मैहला खंड में एहलमी मतदान केंद्र तक पोलिंग पार्टी 15 किलोमीटर पैदल चल कर पहुंची है। वहीं, शिमला जिले में डोडराक्वार में पंडार और कुल्लू जिले में शाकटी मतदान केंद्र ऐसे हैं, जहां पहुंचने के लिए मतदान दलों को 11 किलोमीटर पैदल चलना पड़ता है। उधर, कांगड़ा लोकसभा क्षेत्र के अंतर्गत भटियात विधानसभा क्षेत्र में चक्की मतदान केंद्र पर 13 किलोमीटर पैदल चल कर पहुंचना पड़ता है। इन जिलों में भी खतरनाक रास्तों से पहुंची पोलिंग पार्टियां
मंडी, शिमला, कुल्लू, कांगड़ा, लाहौल-स्पीति, चंबा और किन्नौर जिले में दर्जन भर ऐसे पोलिंग बूथ हैं, जहां पहुंचने के लिए पोलिंग पार्टियों को खतरनाक नदियों को पार करना पड़ा। बर्फ के ऊंचे-ऊंचे पहाड़ चढ़ने पड़े। खतरनाक व जोखिम भरे रास्तों से सफर तय कर मंजिल पहुंचना पड़ा। सामान ढोने की स्पेन का भी सहारा लिया। हिमाचल में दुनिया का सबसे अधिक ऊंचाई वाला पोलिंग बूथ
विश्व में सबसे अधिक ऊंचाई पर पोलिंग बूथ हिमाचल के लाहौल-स्पीति के ताशीगंग में है। इस मतदान केंद्र में कुल 62 मतदाता हैं। यहां 37 पुरुष और 25 महिला मतदाता हैं। यह मतदान केंद्र समुद्र तल से 15,256 फुट की ऊंचाई पर स्थित है। इस केंद्र को सीनियर सिटीजन और दिव्यांग मतदाताओं की सुविधा के लिए मॉडल पोलिंग बूथ बनाया गया है। इस पोलिंग बूथ के लिए भी गुरुवार को ही मतदान दल रवाना कर दिया गया है।
हिमाचल में कठिन श्रीखंड यात्रा शुरू, 32 किमी का ट्रैक:संकरा रास्ता, बर्फ के ग्लेशियर-बड़ी चट्टानें करनी पड़ती पार, 4 श्रद्धालुओं की हो चुकी मौत
हिमाचल में कठिन श्रीखंड यात्रा शुरू, 32 किमी का ट्रैक:संकरा रास्ता, बर्फ के ग्लेशियर-बड़ी चट्टानें करनी पड़ती पार, 4 श्रद्धालुओं की हो चुकी मौत उत्तर भारत की कठिन श्रीखंड महादेव यात्रा रविवार से शुरू हो गई है। पिछले कल और आज लगभग 3200 श्रद्धालु अलग-अलग जत्थों में श्रीखंड के लिए रवाना कर दिए गए हैं। श्रद्धालुओं का पहला जत्था कल सुबह यानी मंगलवार को श्रीखंड पहुंचेगा। यहां भगवान भोले के दर्शन के बाद वापस लौटेगा। 27 जुलाई तक इसी तरह अलग-अलग जत्थों में सैकड़ों श्रद्धालु भोले के दर्शन करेंगे। श्रद्धालु 32 किलोमीटर के खतरनाक रास्ते से पैदल चलकर भगवान के दर्शन के लिए श्रीखंड पहुंचते हैं। यह दुनिया की सबसे खतरनाक ट्रैकिंग वाली धार्मिक यात्रा मानी जाती है। इसमें श्रद्धालुओं को ग्लेशियर, पहाड़ और खाई के ऊपर खड़ी चढ़ाई चढ़नी पड़ती है। इस यात्रा को सुलभ बनाने के लिए श्रीखंड ट्रस्ट समिति और कुल्लू जिला प्रशासन ने इस बार पुख्ता इंतजाम किए हैं। पांच जगह बेस कैंप बनाए गए हैं, जहां स्वास्थ्य जांच के बाद श्रद्धालुओं को आगे भेजा जाएगा। बेस कैंप की जगह ठहरने व खाने-पीने की भी व्यवस्था की गई है। ठहरने के लिए प्राइवेट टैंट तथा खाने के लिए ट्रस्ट द्वारा जगह-जगह लंगर लगाए गए हैं। यहां बनाए गए पांच बेस कैंप
श्रीखंड यात्रा के लिए सिंहगड़ में पहला बेस कैंप बनाया गया। इसके अलावा थाचरू, कुनशा, भीम द्वार और पार्वती बाग में बेस कैंप बनाए गए हैं। इसमें सेक्टर मजिस्ट्रेटों और उनके साथ पुलिस अधिकारी/इंचार्ज के अलावा मेडिकल स्टाफ और रेस्क्यू टीमें भी तैनात की गई हैं। पहली बार बचाव दल SDRF की यूनिट तैनात
इस यात्रा में पहली बार बचाव दल SDRF की यूनिट को पार्वती बाग में तैनात किया गया है, क्योंकि संकरे रास्ते की वजह से इस यात्रा के दौरान कई बार हादसे हो जाते हैं। खासकर बरसात की वजह से इस यात्रा में बाधा आती है। 2011 से अब तक श्रीखंड यात्रा के दौरान लगभग 42 श्रद्धालुओं की मौत हो चुकी है। इस बार भी आधिकारिक यात्रा शुरू होने से पहले ही 4 श्रद्धालुओं की मौत हो चुकी है। ऑनलाइन पंजीकरण को बनाया पोर्टल
बाहरी राज्यों से आने वाले श्रद्धालुओं के लिए ऑनलाइन पंजीकरण पोर्टल बनाया गया है। किसी भी श्रद्धालु को बिना पंजीकरण के श्रीखंड नहीं भेजा जा रहा। ऑफलाइन भी इसके लिए पंजीकरण किया जा रहा है। पंजीकरण की फीस 250 रुपए रखी गई है। कई बार होती है ऑक्सीजन की कमी
18,570 फीट ऊंचाई पर श्रीखंड महादेव तक पहुंचने के लिए श्रद्धालुओं को 32 किलोमीटर का पैदल सफर करना पड़ता है। श्रद्धालुओं को संकरे रास्तों, बर्फ के चार ग्लेशियरों और बड़ी-बड़ी चट्टानों से होकर गुजरना पड़ता है। अधिक ऊंचाई के कारण कई बार यहां ऑक्सीजन का लेवल भी कम हो जाता है। इससे श्रद्धालुओं को कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है। पार्वती बाग से आगे कुछ ऐसे क्षेत्र पड़ते हैं, जहां ऑक्सीजन की कमी के चलते दिक्कतें पेश आती हैं। ऐसी स्थिति में श्रद्धालुओं को समय रहते उपचार या वापस नीचे नहीं उतारा जाता तो इससे जान का खतरा पैदा हो जाता है। श्रीखंड के रास्ते में ये मनोरम स्थल
श्रीखंड के रास्ते में पार्वती बाग, भीम द्वार, नैन सरोवर, भीम बही, थाचड़ू, बराटी नाला सहित कई मनोरम स्थल हैं। पार्वती बाग में फूलों का बगीचा है, जहां फूलों की खुशबू सभी को मंत्रमुग्ध कर देती है। रास्ते में कई तरह की जड़ी बूटियां भी हैं। यात्रा के लिए प्रशासन के इंतजाम
श्रीखंड यात्रा ट्रस्ट के अनुसार, सिंगगाड बेस कैंप और कुंशा में मेडिकल सहायता कैंप के अलावा भीडवारी, पार्वती बाग और थाचड़ू में कैंप बनाए गए हैं। जहां मेडिकल टीमें, दवाइयां और ऑक्सीजन की व्यवस्था के अलावा रेस्क्यू टीमें और पुलिस एवं होमगार्ड के जवान किसी भी आपात स्थिति से निपटने को तैयार रहते हैं। कैसे पहुंचे श्रीखंड
श्रीखंड महादेव पहुंचने के लिए शिमला जिला के रामपुर से कुल्लू जिला के निरमंड होकर बागीपुल और जाओ तक गाड़ियों व बस में पहुंचना पड़ता है। जहां से आगे 32 किलोमीटर की दूरी पैदल तय करनी होती है। ये है मान्यता
मान्यता है कि श्रीखंड की चोटी पर भगवान शिव का वास है। इसके शिला रूपी इस शिवलिंग की ऊंचाई करीब 72 फीट है। 4000 लोग ऑनलाइन पंजीकरण करवा चुके
निरमंड के SDM मनमोहन शर्मा ने बताया कि इस बार यात्रा के लिए 21 जून से ऑनलाइन पंजीकरण शुरू हुआ था। अब तक 4000 लोग ऑनलाइन पंजीकरण करवा चुके हैं और रोजाना जब श्रद्धालु इस यात्रा को पहुंच रहे हैं, उस दौरान ऑफलाइन पंजीकरण चल रहा है। उन्होंने बताया कि आधिकारिक यात्रा शुरू होने के बाद पहला जत्था कल सुबह भगवान भोले के दर्शन करेगा। बीते साल भारी बारिश के बाद स्थगित करनी पड़ी यात्रा
श्रीखंड महादेव की यात्रा बीते साल भारी बारिश के कारण तीन दिन बाद रद्द करनी पड़ी थी। पिछली बरसात में प्रदेश में सबसे ज्यादा तबाही कुल्लू जिला में हुई थी। इसका असर इस यात्रा पर भी पड़ा था। देशभर से श्रीखंड पहुंचते हैं श्रद्धालु
श्रीखंड यात्रा में हिमाचल के अलावा देश के कोने-कोने और नेपाल से भी बड़ी संख्या में श्रद्धालु दर्शन को पहुंचते हैं। इसलिए जिला प्रशासन और श्रीखंड ट्रस्ट के लिए लोगों के जीवन की सुरक्षा सुनिश्चित बनाना चुनौती रहेगा। प्रदेश में इस बार यात्रा के लिए मौसम अनुकूल बना हुआ है और बारिश नहीं हो रही। इससे मंदिर सेवा ट्रस्ट को उम्मीद है कि श्रीखंड यात्रा के लिए श्रद्धालुओं की संख्या में इजाफा होगा।