शिमला पुलिस ने नशा सप्लाई करने वाले एक और बड़े गैंग का भंडाफोड़ किया है। शाही महात्मा और राधे गैंग के बाद पुलिस ने रंजन गैंग के 6 आरोपियों को गिरफ्तार किया। इस गैंग के 3 सदस्य पहले पकड़े गए थे। इनसे पूछताछ के आधार पर पुलिस ने रंजन गैंग का पर्दाफाश किया है। पुलिस ने मामला दर्ज कर आगामी कार्रवाई शुरू कर दी है। DSP ठियोग सिद्धार्थ शर्मा ने बताया कि पुलिस ने NDPS एक्ट के तहत बीते 13 सितंबर को कोटखाई में एक किराए के कमरे से 3 लोगों को चिट्टे के साथ गिरफ्तार किया था, जिसमें 2 कोटखाई और 1 दिल्ली का तस्कर शामिल था। इनकी गिरफ्तारी के समय पुलिस को जानकारी मिली कि इनका अंतरराज्यीय गिरोह है। इसके बाद पुलिस ने जांच जारी रखी और इनका बैक ग्राउंड खंगाला। इसमें पुलिस को आज बड़ी कामयाबी हाथ लगी है। मामले में अब तक 9 लोग गिरफ्तार DSP ठियोग ने बताया कि रंजन गैंग के अब तक 9 तस्कर पकड़े जा चुके हैं। गैंग में पकड़े तस्करों में गैंग का सरगना रंजन शर्मा कोटखाई का रहने वाला है। सुमन शाही कोटखाई, कमल आचार्य पश्चिमी दिल्ली का रहने वाला है। इनके अलावा 6 नए लोगों में विकास दत्ता उम्र 38 गांव गूंजदली पीओ व तहसील टिककर शिमला, लोकेंद्र कंवर उम्र 39 गांव कराली कोटखाई, सचिन चौहान उम्र 31 गांव कुपवी नाला कोटखाई, कपिल सावंत उम्र 38 गांव जलताड़ चलनैर कोटखाई, प्रमोद खिमटा उम्र 40 गांव आदर्श नगर देवरी खनेटी कोटखाई और अभिलाष उम्र 31 गांव सहडौली कोकुनाला शिमला के रहने वाले है। DSP शिमला बोले कार्रवाई अभी जारी DSP सिद्धार्थ शर्मा ने कहा कि नशे के खिलाफ पुलिस की कार्रवाई जारी है। रंजन गैंग के 9 लोगों को गिरफ्तार कर लिया है। यह गैंग कोटखाई के पूरे क्षेत्र में फैला हुआ था और अवैध नशे की सप्लाई करता था। उन्हें अंदेशा है कि इस गैंग में अभी और भी शामिल हो सकते हैं। उन्होंने कहा, गैंग को जड़ से उखाड़ फेंकने तक पुलिस की जांच जारी रहेगी। इससे पहले शाही महात्मा व राधे गैंग का भी भंडाफोड़ हो चुका है। इन दोनों गैंग में शाही महात्मा के करीब 30 तस्कर और राधे गैंग में आधा दर्जन से ज्यादा आरोपी गिरफ्तार किए गए। शिमला पुलिस ने एक महीने के भीतर तीसरी बड़ी गैंग का भंडाफोड़ किया है। इन तीनों गैंग का सीधा अंतरराज्यीय कनेक्शन था। शिमला पुलिस ने नशा सप्लाई करने वाले एक और बड़े गैंग का भंडाफोड़ किया है। शाही महात्मा और राधे गैंग के बाद पुलिस ने रंजन गैंग के 6 आरोपियों को गिरफ्तार किया। इस गैंग के 3 सदस्य पहले पकड़े गए थे। इनसे पूछताछ के आधार पर पुलिस ने रंजन गैंग का पर्दाफाश किया है। पुलिस ने मामला दर्ज कर आगामी कार्रवाई शुरू कर दी है। DSP ठियोग सिद्धार्थ शर्मा ने बताया कि पुलिस ने NDPS एक्ट के तहत बीते 13 सितंबर को कोटखाई में एक किराए के कमरे से 3 लोगों को चिट्टे के साथ गिरफ्तार किया था, जिसमें 2 कोटखाई और 1 दिल्ली का तस्कर शामिल था। इनकी गिरफ्तारी के समय पुलिस को जानकारी मिली कि इनका अंतरराज्यीय गिरोह है। इसके बाद पुलिस ने जांच जारी रखी और इनका बैक ग्राउंड खंगाला। इसमें पुलिस को आज बड़ी कामयाबी हाथ लगी है। मामले में अब तक 9 लोग गिरफ्तार DSP ठियोग ने बताया कि रंजन गैंग के अब तक 9 तस्कर पकड़े जा चुके हैं। गैंग में पकड़े तस्करों में गैंग का सरगना रंजन शर्मा कोटखाई का रहने वाला है। सुमन शाही कोटखाई, कमल आचार्य पश्चिमी दिल्ली का रहने वाला है। इनके अलावा 6 नए लोगों में विकास दत्ता उम्र 38 गांव गूंजदली पीओ व तहसील टिककर शिमला, लोकेंद्र कंवर उम्र 39 गांव कराली कोटखाई, सचिन चौहान उम्र 31 गांव कुपवी नाला कोटखाई, कपिल सावंत उम्र 38 गांव जलताड़ चलनैर कोटखाई, प्रमोद खिमटा उम्र 40 गांव आदर्श नगर देवरी खनेटी कोटखाई और अभिलाष उम्र 31 गांव सहडौली कोकुनाला शिमला के रहने वाले है। DSP शिमला बोले कार्रवाई अभी जारी DSP सिद्धार्थ शर्मा ने कहा कि नशे के खिलाफ पुलिस की कार्रवाई जारी है। रंजन गैंग के 9 लोगों को गिरफ्तार कर लिया है। यह गैंग कोटखाई के पूरे क्षेत्र में फैला हुआ था और अवैध नशे की सप्लाई करता था। उन्हें अंदेशा है कि इस गैंग में अभी और भी शामिल हो सकते हैं। उन्होंने कहा, गैंग को जड़ से उखाड़ फेंकने तक पुलिस की जांच जारी रहेगी। इससे पहले शाही महात्मा व राधे गैंग का भी भंडाफोड़ हो चुका है। इन दोनों गैंग में शाही महात्मा के करीब 30 तस्कर और राधे गैंग में आधा दर्जन से ज्यादा आरोपी गिरफ्तार किए गए। शिमला पुलिस ने एक महीने के भीतर तीसरी बड़ी गैंग का भंडाफोड़ किया है। इन तीनों गैंग का सीधा अंतरराज्यीय कनेक्शन था। हिमाचल | दैनिक भास्कर
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हिमाचल में मस्जिद विवाद सुलझाने को सरकार की पहल:CM सुक्खू कर रहे सर्वदलीय बैठक; आपसी सौहार्द बनाए रखने को लेकर चर्चा
हिमाचल में मस्जिद विवाद सुलझाने को सरकार की पहल:CM सुक्खू कर रहे सर्वदलीय बैठक; आपसी सौहार्द बनाए रखने को लेकर चर्चा हिमाचल की राजधानी शिमला के संजौली में अवैध मस्जिद मामले के बाद राज्य सरकार हरकत में आ गई है। प्रदेश सचिवालय में मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू सर्वदलीय बैठक कर रहे हैं। इसमें मस्जिद के कारण उपजे विवाद के बाद आपसी सौहार्द बनाए रखने को लेकर चर्चा हो रही है। मुख्यमंत्री की अध्यक्षता में चल रही बैठक में भारतीय जनता पार्टी, माकपा, आम आदमी पार्टी के नेता भाग ले रहे हैं। दरअसल, हिमाचल विधानसभा के मानसून सत्र में मस्जिद मामला उठाया गया था। तब सदन के नेता सुखविंदर सिंह सुक्खू ने कहा था कि सरकार सभी दलों के साथ मिलकर सौहार्द बनाए रखने के लिए बैठक करेगी। इसी कड़ी में यह बैठक बुलाई है। भारतीय जनता पार्टी की तरफ से मीटिंग में विधायक रणधीर शर्मा और माकपा से ठियोग के पूर्व विधायक राकेश सिंघा सहित शिमला के पूर्व मेयर संजय चौहान, किसान सभा के राज्य अध्यक्ष डॉ. कुलदीप सिंह तनवर सहित अन्य नेता मीटिंग में मौजूद है। शिमला से भड़की चिंगारी बता दें कि शिमला के संजौली से भड़की विरोध की चिंगारी प्रदेश के अन्य शहरों में भी भड़क रही है। खासकर जहां मुस्लिम समुदाय के लोग रहते हैं, या मस्जिदें बनी हुई है। वहां पर लोग सड़कों पर उतर रहे हैं। इससे देवभूमि व शांत प्रदेश हिमाचल का माहौल तनावपूर्ण बनता जा रहा है। राहत की बात यह है कि शिमला के संजौली में मस्जिद कमेटी ने खुद आगे आकर पैरवी की है। जब तक कोर्ट का फैसला नहीं आ जाता, तब तक अवैध ढंग से बनी 3 मंजिल को सील किया जाए। यदि कोर्ट मस्जिद तोड़ने को बोलेगा तो वह खुद अवैध निर्माण को तोड़ देंगे। मंडी में आज भी चल रहा प्रदर्शन आज मंडी में भी लोग मस्जिद गिराने की मांग को लेकर प्रदर्शन कर रहे हैं। शिमला के कसुम्पटी में भी लोग 2 बार प्रदर्शन कर चुके हैं। दूसरे शहरों से भी कुछ आवाजें उठने लगी है। ऐसे में आज की सर्वदलीय मीटिंग में प्रदेश में माहौल को शांत बनाए रखने को लेकर चर्चा की जा रही है।
हिमाचल प्रदेश में सेब प्रोडक्शन में लगातार गिरावट:हर साल बढ़ रहा रकबा, घट रहा उत्पादन, इस बार 2.91 करोड़ पेटी का अनुमान
हिमाचल प्रदेश में सेब प्रोडक्शन में लगातार गिरावट:हर साल बढ़ रहा रकबा, घट रहा उत्पादन, इस बार 2.91 करोड़ पेटी का अनुमान हिमाचल में प्राकृतिक आपदाओं के कारण हर साल सेब का उत्पादन गिर रहा है। सेब का रकबा बढ़ने के बावजूद उत्पादन कम हो रहा है। इस बार भी बागवानी विभाग ने 2.81 करोड़ पेटी सेब आने का अनुमान जताया है। प्रदेश में 1.15 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में सेब की खेती हो रही है। वर्ष 2009-10 में सेब का रकबा 99564 हेक्टेयर था, उस दौरान 5 करोड़ 11 लाख पेटी सेब का उत्पादन हुआ था। वर्ष 2022-23 में सेब का रकबा बढ़कर 1.15 लाख हेक्टेयर हो गया और उत्पादन घटकर 2.11 करोड़ पेटी रह गया। वर्ष 2010 के बाद पांच करोड़ तो छोड़िए, चार करोड़ पेटी सेब का उत्पादन भी नहीं हो सका। दूसरी सबसे अधिक फसल 11 साल पहले यानी 2013 में 3.69 करोड़ पेटी हुई थी। साल 2010 में हुई थी रिकॉर्ड प्रोडक्शन साल कितनी पेटी 2010 5.11 करोड़
2011 1.38 करोड़
2012 1.84 करोड़
2013 3.69 करोड़
2014 2.80 करोड़
2015 3.88 करोड़
2016 2.40 करोड़
2017 2.08 करोड़
2018 1.65 करोड़
2019 3.24 करोड़
2020 2.40 करोड़
2021 3.05 करोड़
2022 3.36 करोड़
2023 2.11 करोड़ विश्व बैंक की 1134 करोड़ की परियोजना भी नहीं बढ़ा पाई उत्पादन सेब उत्पादन बढ़ाने के उद्देश्य से राज्य में विश्व बैंक की 1134 करोड़ रुपये की परियोजना भी लागू की गई थी। वर्ष 2017 में जब इस परियोजना को मंजूरी मिली थी, तब दावा किया गया था कि औसत सेब उत्पादन 8 मीट्रिक टन प्रति हेक्टेयर हो जाएगा, जो 2017 में भी 6 मीट्रिक टन था। इसमें अब तक कोई बढ़ोतरी नहीं हुई है। सेब उत्पादन पर मौसम का असर : डॉ. भारद्वाज बागवानी विशेषज्ञ डॉ. एसपी भारद्वाज ने बताया कि सेब उत्पादन पूरी तरह मौसम पर निर्भर है। पिछले कुछ सालों से मौसम सेब के अनुकूल नहीं रहा है। सर्दियों में अच्छी बर्फबारी न होना, फ्लावरिंग के दौरान बारिश-बर्फबारी और ओलावृष्टि या सूखे जैसे कारणों से सेब का अच्छा उत्पादन नहीं हो पा रहा है। बर्फबारी का ट्रेंड बदलने से फसल पर बुरा असर हिमाचल में बीते एक दशक के दौरान बर्फबारी का ट्रेंड बदला है। आमतौर पर प्रदेश में दिसंबर से 15 फरवरी के बीच बर्फबारी होती थी। मगर पिछले कुछ सालों के दौरान फरवरी से मार्च में बर्फ गिरती रही है। कई ऊंचे क्षेत्रों में तो अप्रैल में भी बर्फबारी रिपोर्ट हुई है। इसका असर सेब की खेती पर पड़ रहा है, क्योंकि मार्च-अप्रैल में बर्फ के बाद अचानक ठंड पड़ने से सेब की फ्लावरिंग प्रभावित होती है। ठंडे मौसम में मधुमक्खियां परागण नहीं कर पाती और अच्छी फ्लावरिंग भी नहीं हो पाती। इसकी मार फसल पर पड़ती है। इसके विपरीत साल दर साल सेब पर उत्पादन लागत हर साल बढ़ती जा रही है और उत्पादन कम हो रहा है। इस बार 2.91 करोड़ पेटी सेब का पूर्वानुमान: नेगी बागवानी मंत्री जगत नेगी ने कहा, इस बार 2.91 करोड़ पेटी सेब होने का पूर्वानुमान है। सेब की खेती मौसम पर निर्भर करती है। आने वाले दिनों में सेब के अच्छे साइज व रंग के लिए बारिश के साथ साथ धूप खिलना भी जरूरी है।
हिमाचल का ऐसा शहर,जहां आज स्वतंत्रता दिवस मनाते:लोगों के दबाव के कारण राजा को गद्दी छोड़नी पड़ी, पहली डेमोक्रेटिक सरकार बनी
हिमाचल का ऐसा शहर,जहां आज स्वतंत्रता दिवस मनाते:लोगों के दबाव के कारण राजा को गद्दी छोड़नी पड़ी, पहली डेमोक्रेटिक सरकार बनी भारत 15 अगस्त को देश का 78वां स्वतंत्रता दिवस मना चुका है। मगर हिमाचल में एक शहर ऐसा है जहां आजादी दिवस आज मनाया जा रहा है। शिमला से लगभग 33 किलोमीटर दूर ठियोग में आजादी दिवस 16 अगस्त को मनाने की परंपरा 1947 से चली आ रही है। यहां आजादी दिवस को ‘जलसा’ फेस्टिवल के तौर पर मनाया जाता है। इसके पीछे का इतिहास गौरवमयी है। नीचे इसके पीछे की पूरी वजह पढ़िए… साल 1946 में देश 360 रियासतों के राजाओं, राणाओं, नवाब और निजाम के शासन से मुक्ति के लिए लड़ रहा था। 1946 में ही ठियोग रियासत की जनता ने राजाओं की सत्ता से मुक्ति पाई। इसी साल ठियोग में देश के पहले प्रजामंडल का गठन किया गया। 16 अगस्त 1947 को लोग बासा ठियोग में राजा कर्मचंद के महल के बाहर इकट्ठे हुए। जनता के दबाव में राजा को को गद्दी छोड़नी पड़ी। देश में पहली डेमोक्रेटिक सरकार ठियोग में बनी
इसी दिन ठियोग में देश की पहली डेमोक्रेटिक सरकार बनी। प्रजामंडल के प्रधानमंत्री सूरत राम प्रकाश बने। इनके साथ गृह मंत्री बुद्धिराम वर्मा, शिक्षा मंत्री सीताराम वर्मा समेत अन्य 8 अन्य ने मंत्री पद की शपथ ली। तब से ठियोग में आजादी दिवस 16 अगस्त को मनाया जा रहा है। देश के लिए बलिदान देने वालों को किया जाता है याद
इस जलसा पर्व में न केवल देश के लिए बलिदान देने वाले महान सपूतों को याद किया जाता है, बल्कि सांस्कृतिक एवं रंगारंग कार्यक्रम और विभिन्न खेलकूद का भी आयोजन होता है। यह आयोजन 15 और 16 अगस्त दो दिन चलता है। पूरी ठियोग रियासत की जनता इस पर्व के लिए ऐतिहासिक पोटेटो ग्राउंड पहुंचती है। क्षेत्र के ज्यादातर स्कूलों के बच्चे इसमें प्रस्तुतियां देते हैं। वीरभद्र सरकार ने जलसा को जिला स्तरीय का दर्जा दिया
जलसा पर्व के लिए ठियोग में हर साल 16 अगस्त की लोकल छुट्टी रहती है। पूर्व वीरभद्र सरकार ने ठियोग के इस जलसा पर्व को जिला स्तरीय का दर्जा दिया। परंपरा यह रही कि जलसा पर्व के लिए क्षेत्र के लोग हर साल नए कपड़ों की खरीददारी करते हैं। नए कपड़े पहनकर मेले में पहुंचते हैं। मेला स्थल पर अगले 15 से 20 दिन इलाके के लोग खरीदारी के लिए पहुंचते है। कहां बसा है ठियोग शहर
ठियोग कस्बा शिमला-किन्नौर नेशनल हाईवे पर बसा है। शिमला से ठियोग पहुंचने में गाड़ी में एक से डेढ़ घंटे का वक्त लगता है। यहां पहुंचने के लिए सड़क मार्ग के लिए दूसरा कोई जरिया नहीं है। पहले प्रजामंडल के PM के बेटे बोले-
जलसा पर्व को लेकर प्रजामंडल के पहले प्रधानमंत्री रहे सूरत राम प्रकाश के बेटे एवं रिटायर्ड शास्त्री जय प्रकाश ने बताया कि कहा कि देश 15 अगस्त 1947 को आजाद हुआ, मगर ठियोग से पहले कहीं भी न प्रजामंडल बना और न मिनिस्ट्री का गठन हुआ। 16 अगस्त 1947 को ठियोग में प्रधानमंत्री समेत 8 मंत्रियों ने पद एवं गोपनीयता की शपथ ली।