हिमाचल की राजधानी शिमला के आइस स्केटिंग रिंक में दोनों टाइम स्केटिंग शुरू हो गई है। बीते दो-तीन से ठंड बढ़ने के बाद इनविंग सेशन में स्केटिंग शुरू हो पाई है। इससे देशभर से शिमला पहुंच रहा टूरिस्ट भी इसका लुत्फ उठा रहा है। मॉर्निंग सेशन में बीते दो सप्ताह से स्केटिंग चल रही थी। मगर बीते सप्ताह तक तापमान अधिक होने की वजह से इवनिंग-सेशन में स्केटिंग शुरू नहीं हो पा रही थी, क्योंकि तापमान अधिक दिन में बर्फ पिघल रही थी। इससे इवनिंग सेशन में स्केटिंग शुरू नहीं हो पा रही थी। अब स्थानीय लोगों के साथ साथ शिमला पहुंचने वाले टूरिस्ट भी स्केटिंग का आनंद उठा रहे हैं। इस दौरान स्केटर्स में जबरदस्त उत्साह देखने को मिला। शिमला में ब्रिटिश काल में बना स्केटिंग रिंक बता दें कि शिमला के लक्कड़ बाजार में ब्रिटिश काल से आइस स्केटिंग रिंक बना हुआ है। यहां पर हर साल दिसंबर के पहले व दूसरे सप्ताह से स्केटिंग शुरू होती है और फरवरी-मार्च तक चलती है। यह एशिया का इकलौता स्केटिंग रिंक है जहां प्राकृतिक विधि से बर्फ को जमाया जाता है। 300 रुपए फीस देकर कोई भी कर सकता है स्केटिंग शिमला के आइस स्केटिंग रिंक क्लब के ऑर्गेनाइजिंग सेक्रेटरी रजत मल्होत्रा बताया कि यहां 300 रुपए फीस देकर स्केटिंग की जा सकती है। इसके लिए स्थानीय लोगों सहित टूरिस्ट को भी अपने साथ स्केट लाने की जरूरत नहीं है। स्केटिंग क्लब खुद स्केट मुहैया कराता है। 104 साल पुराना हैं स्केटिंग का इतिहास आइस स्केटिंग रिंक क्लब के सदस्य सुदीप महाजन ने बताया कि शिमला के लक्कड़ बाजार रिंक में प्राकृतिक विधि से आइस को जमाया जाता है। यहां पर शाम के समय रिंक में पानी डाला जाता है। सुबह को यह जम जाता है। इस पर स्केटिंग होती है। सुदीप बोले-1920 में शुरू हुई स्केटिंग सुदीप महाजन ने बताया बताया कि शिमला में स्केटिंग का 104 साल पुराना इतिहास है। उन्होंने बताया कि सबसे पहले 1920 से ब्रिटिश काल में यहां स्केटिंग शुरू हुई थी। कोरोना काल को छोड़कर हर बार यहां स्केटिंग हुई है। उन्होंने बताया कि दो सप्ताह से मॉर्निंग सेशन में स्केटिंग हो रही थी। बीती शाम से मॉर्निंग और इवनिंग दोनों सेशन में स्केटिंग शुरू हो गई है। हिमाचल की राजधानी शिमला के आइस स्केटिंग रिंक में दोनों टाइम स्केटिंग शुरू हो गई है। बीते दो-तीन से ठंड बढ़ने के बाद इनविंग सेशन में स्केटिंग शुरू हो पाई है। इससे देशभर से शिमला पहुंच रहा टूरिस्ट भी इसका लुत्फ उठा रहा है। मॉर्निंग सेशन में बीते दो सप्ताह से स्केटिंग चल रही थी। मगर बीते सप्ताह तक तापमान अधिक होने की वजह से इवनिंग-सेशन में स्केटिंग शुरू नहीं हो पा रही थी, क्योंकि तापमान अधिक दिन में बर्फ पिघल रही थी। इससे इवनिंग सेशन में स्केटिंग शुरू नहीं हो पा रही थी। अब स्थानीय लोगों के साथ साथ शिमला पहुंचने वाले टूरिस्ट भी स्केटिंग का आनंद उठा रहे हैं। इस दौरान स्केटर्स में जबरदस्त उत्साह देखने को मिला। शिमला में ब्रिटिश काल में बना स्केटिंग रिंक बता दें कि शिमला के लक्कड़ बाजार में ब्रिटिश काल से आइस स्केटिंग रिंक बना हुआ है। यहां पर हर साल दिसंबर के पहले व दूसरे सप्ताह से स्केटिंग शुरू होती है और फरवरी-मार्च तक चलती है। यह एशिया का इकलौता स्केटिंग रिंक है जहां प्राकृतिक विधि से बर्फ को जमाया जाता है। 300 रुपए फीस देकर कोई भी कर सकता है स्केटिंग शिमला के आइस स्केटिंग रिंक क्लब के ऑर्गेनाइजिंग सेक्रेटरी रजत मल्होत्रा बताया कि यहां 300 रुपए फीस देकर स्केटिंग की जा सकती है। इसके लिए स्थानीय लोगों सहित टूरिस्ट को भी अपने साथ स्केट लाने की जरूरत नहीं है। स्केटिंग क्लब खुद स्केट मुहैया कराता है। 104 साल पुराना हैं स्केटिंग का इतिहास आइस स्केटिंग रिंक क्लब के सदस्य सुदीप महाजन ने बताया कि शिमला के लक्कड़ बाजार रिंक में प्राकृतिक विधि से आइस को जमाया जाता है। यहां पर शाम के समय रिंक में पानी डाला जाता है। सुबह को यह जम जाता है। इस पर स्केटिंग होती है। सुदीप बोले-1920 में शुरू हुई स्केटिंग सुदीप महाजन ने बताया बताया कि शिमला में स्केटिंग का 104 साल पुराना इतिहास है। उन्होंने बताया कि सबसे पहले 1920 से ब्रिटिश काल में यहां स्केटिंग शुरू हुई थी। कोरोना काल को छोड़कर हर बार यहां स्केटिंग हुई है। उन्होंने बताया कि दो सप्ताह से मॉर्निंग सेशन में स्केटिंग हो रही थी। बीती शाम से मॉर्निंग और इवनिंग दोनों सेशन में स्केटिंग शुरू हो गई है। हिमाचल | दैनिक भास्कर
Related Posts
हिमाचल के राज्य सहकारी बैंक में 4 करोड़ का गबन:सिरमौर की नौहराधार ब्रांच का सहायक प्रबंधन सस्पेंड; एफडी जमा कराने वाले लोगों में दहशत
हिमाचल के राज्य सहकारी बैंक में 4 करोड़ का गबन:सिरमौर की नौहराधार ब्रांच का सहायक प्रबंधन सस्पेंड; एफडी जमा कराने वाले लोगों में दहशत हिमाचल प्रदेश के सिरमौर जिला में एक सहकारी बैंक की शाखा में करोड़ों रुपए के गबन का मामला सामने आया है। नौहराधार के को-ऑपरेटिव बैंक के सहायक प्रबंधक ज्योति प्रकाश ने इस जालसाज़ी को अंजाम दिया है। अभी तक की जांच में 4 करोड़ के गबन की बात सामने आई है। माना जा रहा है कि जांच पूरी तरह होने तक गबन की राशि बढ़ सकती है। गड़बड़ी सामने आने के बाद बैंक प्रबंधन ने सहायक प्रबंधक को निलंबित कर दिया है। उसका स्टेशन शिमला फिक्स किया गया है। गड़बड़ी की सूचना क्षेत्र में आग की तरह फैली। इसके बाद बड़ी संख्या में लोग नौहराधार बैंक पहुंच गए और लोगों ने यहां हंगामा शुरू किया। आरोप है कि सहायक प्रबंधन ने लोगों की एफडी की राशि में गड़बड़ी की है। लिहाजा लोग बड़ी संख्या में एफडी की रसीद लेकर बैंक पहुंचे। बैंक अधिकारियों के समझाने के बाद लोग माने और शांत हुए। बताया जा रहा है कि 15 से 20 लाख रुपए भी जमा कराए है। मगर अकाउंट में जीरो बैलेंस है। दर्शन पांडे के नेतृत्व में नौहराधार पहुंची जांच टीम राज्य सहकारी बैंक के जिला प्रबंधक प्रियदर्शन पांडे के नेतृत्व में टीम मंगलवार को अचानक नौहराधार बैंक शाखा पहुंची। इस दौरान टीम ने यहां जांच की तो पता चला कि 4 करोड़ का गबन इस शाखा में हुआ है। बताया जा रहा है कि नौहराधार में तैनात सहायक प्रबंधक ने लोगों के बैंक खातों से लगभग 4 करोड़ की राशि का गबन किया है। 3 अगस्त को मिली थी गबन की सूचना दर्शन पांडे के अनुसार, 3 अगस्त को बैंक में गड़बड़ी की सूचना मिल गई थी। उसके बाद जांच शुरू की गई। पुलिस में मामला दर्ज करवा गया है। उन्होंने बताया कि मामले में सहायक प्रबंधक को निलंबित कर दिया गया है और उनका स्टेशन शिमला तय कर दिया गया है।
हिमाचल में उप चुनाव से पहले कांग्रेस को झटका:सीनियर नेता हिमराल ने छोड़ी कांग्रेस; प्रदेशाध्यक्ष को दिया इस्तीफा, निजी कारण बताए
हिमाचल में उप चुनाव से पहले कांग्रेस को झटका:सीनियर नेता हिमराल ने छोड़ी कांग्रेस; प्रदेशाध्यक्ष को दिया इस्तीफा, निजी कारण बताए हिमाचल में तीन विधानसभाओं में उप चुनाव से पहले प्रदेश कांग्रेस कमेटी प्रशिक्षण विभाग के अध्यक्ष व शिमला शहरी सीट के प्रभारी हरिकृष्ण हिमराल ने कांग्रेस पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा दे दिया है। उन्होंने अपना त्यागपत्र कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष प्रतिभा सिंह को भेजा है। इसमें हिमराल ने पार्टी के सभी पदों को छोड़ने की घोषणा की है। लोकसभा चुनावों में हिमराल कांग्रेस वॉर रूम के उपाध्यक्ष का काम देख चुके हैं। इस बार लोकसभा व विधानसभा चुनावों में उन्होंने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। त्यागपत्र में उन्होंने इस्तीफा देने के पीछे व्यक्तिगत कारण वजह बताई हैं। उन्होंने इस्तीफे में लिखा कि राजनीति में विभिन्न पदों पर काम करते हुए कठोर और कड़वी सच्चाई को जाना व समझा है, जिसमें वह कभी फिट नहीं बैठ पाए। इसलिए उन्होंने इस पद को छोड़ने का निर्णय लिया है। उन्होंने कहा कि मुझे किसी से कोई शिकायत नहीं है। जिन नेताओं के साथ मैने काम किया है उनके कार्यों की मैं सराहना करता हूं। हिमराल ने लिखा- हमेशा गंदे और भ्रष्ट राजनीतिक तंत्र को ईमानदारी और ईमानदारी के ऊपर जीवित रहते हुए काम किया। उन्होंने कहा कि मैं इस महान संगठन की प्राथमिक सदस्यता से भी त्यागपत्र दे रहा हूं। कुलदीप राठौर के करीबी रहे हिमराल हिमराल पूर्व कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष एवं ठियोग के विधायक कुलदीप राठौर के करीबी माने जाते हैं। राठौर जब अध्यक्ष थे तो उस दौरान हिमराल उनके राजनीतिक सचिव रहे हैं। उन्होंने 20 साल तक कांग्रेस में कई पदों पर काम किया है। कोई पार्टी जॉइन करने का इरादा नहीं: हिमराल हिमराल ने बताया कि उन पर किसी प्रकार का कोई दबाव नहीं था और न ही उन्होंने किसी से मतभेद की वजह से इस्तीफा दिया है। उन्हें लगा कि वह राजनीति में फिट नहीं बैठ पा रहे। इसलिए कांग्रेस छोड़ने का निर्णय लिया। उन्होंने कहा- फिलहाल कोई भी पार्टी जॉइन करने का इरादा नहीं है।
हिमाचल: ढली मंडी का तीसरी बार शिलान्यास आज:2 बार पहले लाखों फूंके जा चुके; विस्तारीकरण के नाम पर एक इंट भी नहीं लगाई
हिमाचल: ढली मंडी का तीसरी बार शिलान्यास आज:2 बार पहले लाखों फूंके जा चुके; विस्तारीकरण के नाम पर एक इंट भी नहीं लगाई हिमाचल प्रदेश की सबसे बढ़ी ढली सब्जी मंडी का तीसरी बार शिलान्यास किया जा रहा है। मुख्यमंत्री सुखविंदरसुक्खू कुछ देर बाद इसका फाउंडेशन स्टोन रखेंगे। राज्य का मार्केटिंग बोर्ड और कृषि उपज विपणन समिति (APMC) शिमला किन्नौर दो बार पहले शिलान्यास पर लाखों रुपए फूंक चुका है। अब तीसरी बार लाखों फूंकने की तैयारी है। बता दें कि साल 2017 में सबसे पहले पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह ने चुनावी साल में 2017 में ढली सब्जी मंडी के विस्तारीकरण का शिलान्यास किया। इसके बाद APMC शिमला-किन्नौर ने यह प्रोजेक्ट ठंडे बस्ते में डाल दिया। किसानों और आढ़तियों की बार-बार मांग के बावजूद APMC ने मंडी का विस्तार नहीं किया। प्रदेश में लगभग तीन महीने बाद सत्ता परिवर्तन हुए। तब जयराम ठाकुर मुख्यमंत्री बने। पूर्व बीजेपी सरकार के कार्यकाल में मार्केटिंग बोर्ड और APMC ने दोबारा शिलान्यास कराया। मगर फाउंडेशन स्टोन लगाने के अलावा मंडी में विस्तारीकरण के नाम पर एक इंट नहीं लगाई गई। 36 करोड़ से मंडी बनाने का दावा अब सूबे के मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू हैं। इनसे तीसरी बार शिलान्यास करवाया जा रहा है। दावा किया जा रहा है कि मंडी के विस्तारीकरण का काम लगभग 36 करोड़ रुपए की लागत से किया जाएगा। ढली में आधुनिक सुविधाओं से लैस मंडी बनाई जाएगी। मंडी में नई दुकानें और पार्किंग का निर्माण किया जाएगा। बजट होने के बावजूद मंडी का निर्माण नहीं हैरानी इस बात की है कि APMC शिमला-किन्नौर बजट होने के बावजूद मंडी का निर्माण नहीं किया जा रहा है। APMC का सबसे अहम जरिया सेब है। सेब पर APMC द्वारा एक फीसदी मार्केट फीस ली जाती है। इससे APMC को करोड़ों रुपए की इनकम होती है। इसी मंडी से एपीएमसी को सबसे ज्यादा इनकम होती है। अच्छी फसल होने पर यह 50 करोड़ से ज्यादा की हो जाती है। इसी तरह मंडियों से भी APMC करोड़ों रुपए कमाता है। मगर मंडी के विस्तारीकरण के नाम पर बार बार किसानों और आढ़तियों को बेवकूफ बनाया जा रहा है। पूर्व दो मुख्यमंत्रियों द्वारा लगाई गई शिलान्यास पट्टिकाएं हटाकर तीसरी लगा दी गई है। प्रदेश की सबसे बड़ी मंडी, इसलिए विस्तारीकरण जरूरी: देवानंद APMC शिमला किन्नौर के चेयरमैन देवानंद वर्मा से जब इसे लेकर पूछा गया तो उन्होंने बताया कि पहले दो बार शिलान्यास जरूर हुए है। मगर मंडी बनाने को पहल नहीं की गई, जबकि यह सबसे जरूरी मंडी है। इसलिए विस्तारीकरण किया जा रहा है।