शिमला जिले के रामपुर के समेज में आई बाढ़ के 112 घंटे से अधिक का समय गुजर चुका है, लेकिन नतीजा अभी तक शुन्य बना है। 36 लापता लोगों में चौथे दिन भी किसी का कोई सुराग नहीं मिल पाया। राहत एवं बचाव कार्य के लिए 6 अलग अलग टीमें काम कर रही है, लेकिन 5 किमी के दायरे में 20 फुट से अधिक फैले मलबे के नीचे जींदगी को तलाशना सबसे बड़ी चुनौती है। समेज में 6 एलएनटी मशीनों से खुदाई जारी है। आपदा से निपटने के लिए अपने काम में माहिर एनडीआरएफ, एसडीआरएफ, सेना और सीआईएसएफ सहित आईटीपीबी, होमगार्ड व पुलिस के जवान भी अपने तरफ से पूरजोर कोशिश कर रहें है। लेकिन जिस तरह की आपदा यहां पर आई है्, उसके आगे सब बेबस नजर आ रहें है। सुबह 6 बजे से सर्च ऑपरेशन लोगों का कहना है कि आधुनिकता के इस दौर में हम भले ही चांद पर पहुंच गए है, लेकिन जमीन के नीचे कौन से हिस्से में कोई व्यक्ति दबा है, ये मालूम करना अब भी पहेली बना हुआ है। अब मशीनों की खुदाई पर ही सबकी नजरें टीकी है कि मशीनें जहां जहां पर खुदाई करें वहां पर कोई लापता व्यक्ति मिल जाए। समेज में चल रहे सर्च ऑपरेशन में अभी तक 36 लापता लोगों में से किसी का भी पता नहीं लगा है। आज सुबह 6 बजे से सर्च ऑपरेशन शुरू कर दिया है। शिमला जिले के रामपुर के समेज में आई बाढ़ के 112 घंटे से अधिक का समय गुजर चुका है, लेकिन नतीजा अभी तक शुन्य बना है। 36 लापता लोगों में चौथे दिन भी किसी का कोई सुराग नहीं मिल पाया। राहत एवं बचाव कार्य के लिए 6 अलग अलग टीमें काम कर रही है, लेकिन 5 किमी के दायरे में 20 फुट से अधिक फैले मलबे के नीचे जींदगी को तलाशना सबसे बड़ी चुनौती है। समेज में 6 एलएनटी मशीनों से खुदाई जारी है। आपदा से निपटने के लिए अपने काम में माहिर एनडीआरएफ, एसडीआरएफ, सेना और सीआईएसएफ सहित आईटीपीबी, होमगार्ड व पुलिस के जवान भी अपने तरफ से पूरजोर कोशिश कर रहें है। लेकिन जिस तरह की आपदा यहां पर आई है्, उसके आगे सब बेबस नजर आ रहें है। सुबह 6 बजे से सर्च ऑपरेशन लोगों का कहना है कि आधुनिकता के इस दौर में हम भले ही चांद पर पहुंच गए है, लेकिन जमीन के नीचे कौन से हिस्से में कोई व्यक्ति दबा है, ये मालूम करना अब भी पहेली बना हुआ है। अब मशीनों की खुदाई पर ही सबकी नजरें टीकी है कि मशीनें जहां जहां पर खुदाई करें वहां पर कोई लापता व्यक्ति मिल जाए। समेज में चल रहे सर्च ऑपरेशन में अभी तक 36 लापता लोगों में से किसी का भी पता नहीं लगा है। आज सुबह 6 बजे से सर्च ऑपरेशन शुरू कर दिया है। हिमाचल | दैनिक भास्कर
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थान जागरे के बारे में जानकारी देते हुए देवता वीरनाथ के कठियाला राजेंद्र महंत और पुजारी रविंद्र गीर ने बताया कि थान जागरे का आयोजन 10 से 15 सालों में देव आज्ञा से किया जाता है, जिसका मूल उद्देश्य इलाके की सुख शांति और समृद्धि की स्थापित रहती है। उन्होंने बताया कि थान की जगह विशेष पर किसी प्रकार के निर्माण आदि के पश्चात भी थान जागरे का आयोजन किया जाता है। देवता वीरनाथ की कारदार चंद्रकला कटोच ने बताया कि देवता के इस स्थान पर अभी हाल ही में कुछ नव निर्माण कार्य किया गया है उसी के चलते थान जागरे का आयोजन देव आज्ञानुसार किया जा रहा है। शनिवार रात को ही होता है आयोजन
कारदार चंद्रकला कटोच ने बताया कि थान जागरा हमेशा शनिवार रात को ही आयोजित किया जाता है। इसी परम्परा का निर्वहन करते हुए पिछले कल रात को जागरे का आयोजन किया गया और रविवार को ब्रह्म- भोज के साथ ही कार्यक्रम का सुखद समापन हुआ।
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