हिमाचल प्रदेश में चल रहे मस्जिद विवाद के बीच प्रवासियों की पहचान पत्रों पर उठ रहे सवालों पर शनिवार को शिमला पुलिस ने बड़ा दावा किया है। शिमला पुलिस द्वारा की गई जांच में अधिकतर प्रवासियों के पहचान पत्र सही पाए गए हैं। आपको बता दें कि प्रवासियों के पहचान पत्र आधार कार्ड को लेकर स्थानीय लोगों ने संदेह जताया था। जिसके बाद पुलिस ने त्वरित कार्रवाई करते हुए सभी प्रवासियों के आधार कार्ड की जांच करवाई, जिसमें कोई भी फर्जी नहीं निकला। गुम्मा में फर्जी आधार कार्ड का किया था दावा दरअसल बीते दिनों शिमला जिला के कोटखाई क्षेत्र में पुलिस को व्यापार मंडल ने शिकायत दी थी जिसमे आरोप लगाया था कि गुम्मा में अधिकतर प्रवासियों ( समुदाय विशेष) के आधारकार्ड पर जन्मतिथि समान है। जिसको लेकर लोगो फर्जी होने की आशंका जताई थी परंतु पुलिस जांच में प्रवासियों के एक ही जन्मतिथि वाले आधार कार्ड जांच में सही पाए गए हैं। पुलिस के अनुसार सभी 75 प्रवासियों के आधार कार्ड जांच में सही मिले हैं। UIDAI ने की पुष्टि शिकायत मिलने के बाद जब पुलिस ने लोकमित्र केंद्रों में जाकर जांच की तो सभी आधार सही पाए गए। पुलिस के अनुसार आधार कार्ड में अंकित एक ही दिन की तिथि यूआईडीएआई (Unique Identification Authority of India) की तकनीकी खराबी के कारण दर्ज हुई है। शिमला पुलिस ने इस मामले में UIDAI से भी बात की गई है। अथॉरिटी ने स्पष्ट किया कि साल 2010 में जब आधार कार्ड बनाना शुरू किया गया था तब जन्म प्रमाण पत्र को लेकर परेशानी रही थी। स्थानीय लोगों ने जताया था संदेह शिमला पुलिस अधीक्षक संजीव गांधी ने कहा कि बीते कुछ दिनों से कई जगहों पर प्रवासियों के आधार कार्ड को लेकर स्थानीय लोगो द्वारा संदेह जताया जा रहा था शिमला के गुम्मा कोटखाई में व्यापार मंडल इसको लेकर शिकायत भी दी थी। जिस पर पुलिस ने तुंरत संज्ञान लिया और मामले की जांच की गई है। जांच में सभी के आधार कार्ड सही पाए गए हैं। मंत्री ने विधानसभा में उठाया था पहचान छिपाने का मुद्दा हिमाचल प्रदेश के संजौली से उपजे मस्जिद विवाद के बाद प्रदेश भर में बाहर से आने वाले प्रवासियों और खास तौर पर समुदाय विशेष के लोगों पर प्रदर्शनकारी पहचान छिपाने के आरोप लगा रहे थे। प्रदेश सरकार में मंत्री अनिरुद्ध सिंह ने भी विधानसभा के पटल पर पहचान छिपाने का जिक्र किया था, कि बाहर से आने वाले कई लोग पहचान छिपाकर रह रहे हैं। उनकी वैरिफिकेशन की जानी चाहिए और उनका रिकॉर्ड सही पाए जाने पर ही उन्हें यहां बैठने की इजाजत दी जानी चाहिए। हिमाचल प्रदेश में चल रहे मस्जिद विवाद के बीच प्रवासियों की पहचान पत्रों पर उठ रहे सवालों पर शनिवार को शिमला पुलिस ने बड़ा दावा किया है। शिमला पुलिस द्वारा की गई जांच में अधिकतर प्रवासियों के पहचान पत्र सही पाए गए हैं। आपको बता दें कि प्रवासियों के पहचान पत्र आधार कार्ड को लेकर स्थानीय लोगों ने संदेह जताया था। जिसके बाद पुलिस ने त्वरित कार्रवाई करते हुए सभी प्रवासियों के आधार कार्ड की जांच करवाई, जिसमें कोई भी फर्जी नहीं निकला। गुम्मा में फर्जी आधार कार्ड का किया था दावा दरअसल बीते दिनों शिमला जिला के कोटखाई क्षेत्र में पुलिस को व्यापार मंडल ने शिकायत दी थी जिसमे आरोप लगाया था कि गुम्मा में अधिकतर प्रवासियों ( समुदाय विशेष) के आधारकार्ड पर जन्मतिथि समान है। जिसको लेकर लोगो फर्जी होने की आशंका जताई थी परंतु पुलिस जांच में प्रवासियों के एक ही जन्मतिथि वाले आधार कार्ड जांच में सही पाए गए हैं। पुलिस के अनुसार सभी 75 प्रवासियों के आधार कार्ड जांच में सही मिले हैं। UIDAI ने की पुष्टि शिकायत मिलने के बाद जब पुलिस ने लोकमित्र केंद्रों में जाकर जांच की तो सभी आधार सही पाए गए। पुलिस के अनुसार आधार कार्ड में अंकित एक ही दिन की तिथि यूआईडीएआई (Unique Identification Authority of India) की तकनीकी खराबी के कारण दर्ज हुई है। शिमला पुलिस ने इस मामले में UIDAI से भी बात की गई है। अथॉरिटी ने स्पष्ट किया कि साल 2010 में जब आधार कार्ड बनाना शुरू किया गया था तब जन्म प्रमाण पत्र को लेकर परेशानी रही थी। स्थानीय लोगों ने जताया था संदेह शिमला पुलिस अधीक्षक संजीव गांधी ने कहा कि बीते कुछ दिनों से कई जगहों पर प्रवासियों के आधार कार्ड को लेकर स्थानीय लोगो द्वारा संदेह जताया जा रहा था शिमला के गुम्मा कोटखाई में व्यापार मंडल इसको लेकर शिकायत भी दी थी। जिस पर पुलिस ने तुंरत संज्ञान लिया और मामले की जांच की गई है। जांच में सभी के आधार कार्ड सही पाए गए हैं। मंत्री ने विधानसभा में उठाया था पहचान छिपाने का मुद्दा हिमाचल प्रदेश के संजौली से उपजे मस्जिद विवाद के बाद प्रदेश भर में बाहर से आने वाले प्रवासियों और खास तौर पर समुदाय विशेष के लोगों पर प्रदर्शनकारी पहचान छिपाने के आरोप लगा रहे थे। प्रदेश सरकार में मंत्री अनिरुद्ध सिंह ने भी विधानसभा के पटल पर पहचान छिपाने का जिक्र किया था, कि बाहर से आने वाले कई लोग पहचान छिपाकर रह रहे हैं। उनकी वैरिफिकेशन की जानी चाहिए और उनका रिकॉर्ड सही पाए जाने पर ही उन्हें यहां बैठने की इजाजत दी जानी चाहिए। हिमाचल | दैनिक भास्कर
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