सांसद बनने के बाद सपा के मुखिया अखिलेश यादव ने करहल से विधायक की कुर्सी छोड़ दी। इसके बाद यूपी विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष यानी नेता विरोधी दल का पद खाली हो गया। पार्टी के भीतर ऐसे नेता की तलाश चल रही है, जो अखिलेश की जगह ले सके। जिसमें सपा के सियासी एजेंडे को आगे बढ़ाने और योगी सरकार को घेरने की ताकत हो। इसमें सबसे मजबूत दावेदार हैं शिवपाल यादव। वह पहले भी नेता विरोधी दल रह चुके हैं। मगर, चर्चा है कि अखिलेश यादव ‘परिवारवाद’ के आरोपों से बचने के लिए शिवपाल यादव को इस कुर्सी पर नहीं बैठाना चाहते। वहीं, शिवपाल ने न तो अभी तक हामी भरी है और न ही पद लेने से मना किया। चर्चा है, अखिलेश सपा के राष्ट्रीय महासचिव इंद्रजीत सरोज या राम अचल राजभर के नाम पर मुहर लगा सकते हैं। दो और नामों की भी चर्चा है। ये मऊ के महमूदाबाद से विधायक राजेंद्र कुमार, बस्ती से विधायक राजेंद्र प्रसाद चौधरी हैं। दावा है, 2027 की तैयारी में जुटी सपा PDA के फॉर्मूले के तहत ही नेता विरोधी दल का चयन करेगी। अखिलेश यादव ने मीडिया के एक सवाल पर कहा- जल्द ही पार्टी बैठक कर नेता विरोधी दल का चयन कर लेगी।
शिवपाल यादव कितने मजबूत दावेदार? अगर वह नेता प्रतिपक्ष नहीं बने तो किसके नाम पर मुहर लगेगी, पढ़िए… शिवपाल यादव: वर्तमान में जसवंतनगर से विधायक हैं। 6 बार से विधायक शिवपाल 2009 से 2012 तक नेता प्रतिपक्ष रह चुके हैं। क्यों नहीं बनाए जा सकते: अखिलेश यादव दिल्ली की राजनीति करेंगे। वह लोकसभा में सपा संसदीय दल के नेता बनेंगे। लोकसभा चुनाव में परिवार के 5 सदस्यों को टिकट देने के बाद परिवारवाद को लेकर भाजपा अखिलेश पर हमलावर रही। ऐसे में नेता विरोधी दल अगर शिवपाल यादव को बनाया जाता है, तो फिर से भाजपा को मुद्दा मिल जाएगा। भाजपा कहेगी, अखिलेश यादव हटे तो उन्होंने अपने चाचा को आगे बढ़ा दिया। इंद्रजीत सरोज: 5 बार के विधायक इंद्रजीत सरोज नेता विरोधी दल पद के लिए प्रमुख दावेदार हैं। कौशांबी की मंझनपुर सीट के विधायक इंद्रजीत सरोज वर्तमान में विधानसभा में विपक्ष के उपनेता सदन हैं। बसपा की मायावती सरकार में समाज कल्याण मंत्री भी रह चुके हैं। लोकसभा चुनाव 2024 में इंद्रजीत के बेटे पुष्पेंद्र सरोज कौशांबी से सांसद चुने गए। क्यों बनाए जा सकते हैं: राजनीतिक जानकार मानते हैं, इंद्रजीत सरोज 1985 से 2017 तक बसपा में काफी एक्टिव रहे। बहुजन मूवमेंट की राजनीति में भरोसा रखते हैं। उनके पास संगठन और सरकार के कामकाज का लंबा अनुभव है। इंद्रजीत सरोज ने अपनी उपयोगिता और भूमिका 2024 के लोकसभा चुनाव में बेटे पुष्पेंद्र सरोज को चुनाव जितवाकर दिखाई। पासी जाति से आने वाले इंद्रजीत सरोज सपा के PDA (पिछड़ा, दलित और अल्पसंख्यक) के फॉर्मूले में बिल्कुल फिट बैठते हैं। रामअचल राजभर: पिछड़ी जाति से आने वाले अंबेडकरनगर की अकबरपुर सीट के विधायक रामअचल राजभर भी नेता प्रतिपक्ष की रेस में हैं। 6 बार के विधायक राजभर 2007 से 2012 तक मायावती सरकार में परिवहन मंत्री रह चुके हैं। स्व-जातियों में इनकी अच्छी पकड़ मानी जाती है। क्यों बनाए जा सकते हैं: राजनीतिक जानकार मानते हैं, अखिलेश यादव इस बार अति पिछड़े या दलित नेता को आगे बढ़ाने के लिए हर प्रयोग कर रहे। 2024 के लोकसभा टिकट में उन्होंने परिवार के सदस्यों के अलावा किसी अन्य सीट पर यादव नेता को चुनावी मैदान में नहीं उतारा। उन्होंने ओबीसी वर्ग की अन्य जातियों के उम्मीदवारों को मौका दिया। जिसका फायदा उन्हें चुनाव में भी मिला। इसलिए 2027 के चुनाव को देखते हुए अति पिछड़ी जाति से आने वाले रामअचल को नेता विरोधी दल की जिम्मेदारी दे सकते हैं। पॉलिटिकल एक्सपर्ट बोले- अपने कद के नेता को जिम्मेदारी देंगे अखिलेश
पॉलिटिकल एक्सपर्ट प्रभा शंकर कहते हैं- अखिलेश यादव अगर नेता विरोधी दल का पद छोड़ रहे हैं, तो अपने कद के नेता को ही वह जिम्मेदारी देंगे। अखिलेश के बाद प्रमुख नेता शिवपाल सिंह यादव ही माने जाते हैं। उनका राजनीतिक अनुभव भी लंबा रहा है। नेता विरोधी दल की जिम्मेदारी निभा चुके हैं। अगर सपा शिवपाल को नेता विरोधी दल बनाएगी, तो इसका फायदा पार्टी को होगा। अगर दूसरे किसी वरिष्ठ विधायक को बनाया जाता है, तो पार्टी को उतनी मजबूती नहीं मिलेगी। विधान परिषद में सपा को मिलेगा मुस्लिम नेता?
सपा को 2 साल बाद विधान परिषद में अब फिर से नेता प्रतिपक्ष का पद मिल जाएगा। जुलाई, 2022 में सपा के 10 फीसदी से कम सदस्य रह जाने के कारण यह पद लाल बिहारी यादव से छिन गया था। 100 सीटों वाली विधान परिषद में अब सपा के फिर से 10 सदस्य हो गए हैं, ऐसे में 14 जून को शपथ ग्रहण होते ही इस बार पार्टी को नेता प्रतिपक्ष का पद मिल जाएगा। विधान परिषद में नेता प्रतिपक्ष की रेस में शाह आलम उर्फ गुड्डू जमाली का नाम सबसे आगे है। सांसद बनने के बाद सपा के मुखिया अखिलेश यादव ने करहल से विधायक की कुर्सी छोड़ दी। इसके बाद यूपी विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष यानी नेता विरोधी दल का पद खाली हो गया। पार्टी के भीतर ऐसे नेता की तलाश चल रही है, जो अखिलेश की जगह ले सके। जिसमें सपा के सियासी एजेंडे को आगे बढ़ाने और योगी सरकार को घेरने की ताकत हो। इसमें सबसे मजबूत दावेदार हैं शिवपाल यादव। वह पहले भी नेता विरोधी दल रह चुके हैं। मगर, चर्चा है कि अखिलेश यादव ‘परिवारवाद’ के आरोपों से बचने के लिए शिवपाल यादव को इस कुर्सी पर नहीं बैठाना चाहते। वहीं, शिवपाल ने न तो अभी तक हामी भरी है और न ही पद लेने से मना किया। चर्चा है, अखिलेश सपा के राष्ट्रीय महासचिव इंद्रजीत सरोज या राम अचल राजभर के नाम पर मुहर लगा सकते हैं। दो और नामों की भी चर्चा है। ये मऊ के महमूदाबाद से विधायक राजेंद्र कुमार, बस्ती से विधायक राजेंद्र प्रसाद चौधरी हैं। दावा है, 2027 की तैयारी में जुटी सपा PDA के फॉर्मूले के तहत ही नेता विरोधी दल का चयन करेगी। अखिलेश यादव ने मीडिया के एक सवाल पर कहा- जल्द ही पार्टी बैठक कर नेता विरोधी दल का चयन कर लेगी।
शिवपाल यादव कितने मजबूत दावेदार? अगर वह नेता प्रतिपक्ष नहीं बने तो किसके नाम पर मुहर लगेगी, पढ़िए… शिवपाल यादव: वर्तमान में जसवंतनगर से विधायक हैं। 6 बार से विधायक शिवपाल 2009 से 2012 तक नेता प्रतिपक्ष रह चुके हैं। क्यों नहीं बनाए जा सकते: अखिलेश यादव दिल्ली की राजनीति करेंगे। वह लोकसभा में सपा संसदीय दल के नेता बनेंगे। लोकसभा चुनाव में परिवार के 5 सदस्यों को टिकट देने के बाद परिवारवाद को लेकर भाजपा अखिलेश पर हमलावर रही। ऐसे में नेता विरोधी दल अगर शिवपाल यादव को बनाया जाता है, तो फिर से भाजपा को मुद्दा मिल जाएगा। भाजपा कहेगी, अखिलेश यादव हटे तो उन्होंने अपने चाचा को आगे बढ़ा दिया। इंद्रजीत सरोज: 5 बार के विधायक इंद्रजीत सरोज नेता विरोधी दल पद के लिए प्रमुख दावेदार हैं। कौशांबी की मंझनपुर सीट के विधायक इंद्रजीत सरोज वर्तमान में विधानसभा में विपक्ष के उपनेता सदन हैं। बसपा की मायावती सरकार में समाज कल्याण मंत्री भी रह चुके हैं। लोकसभा चुनाव 2024 में इंद्रजीत के बेटे पुष्पेंद्र सरोज कौशांबी से सांसद चुने गए। क्यों बनाए जा सकते हैं: राजनीतिक जानकार मानते हैं, इंद्रजीत सरोज 1985 से 2017 तक बसपा में काफी एक्टिव रहे। बहुजन मूवमेंट की राजनीति में भरोसा रखते हैं। उनके पास संगठन और सरकार के कामकाज का लंबा अनुभव है। इंद्रजीत सरोज ने अपनी उपयोगिता और भूमिका 2024 के लोकसभा चुनाव में बेटे पुष्पेंद्र सरोज को चुनाव जितवाकर दिखाई। पासी जाति से आने वाले इंद्रजीत सरोज सपा के PDA (पिछड़ा, दलित और अल्पसंख्यक) के फॉर्मूले में बिल्कुल फिट बैठते हैं। रामअचल राजभर: पिछड़ी जाति से आने वाले अंबेडकरनगर की अकबरपुर सीट के विधायक रामअचल राजभर भी नेता प्रतिपक्ष की रेस में हैं। 6 बार के विधायक राजभर 2007 से 2012 तक मायावती सरकार में परिवहन मंत्री रह चुके हैं। स्व-जातियों में इनकी अच्छी पकड़ मानी जाती है। क्यों बनाए जा सकते हैं: राजनीतिक जानकार मानते हैं, अखिलेश यादव इस बार अति पिछड़े या दलित नेता को आगे बढ़ाने के लिए हर प्रयोग कर रहे। 2024 के लोकसभा टिकट में उन्होंने परिवार के सदस्यों के अलावा किसी अन्य सीट पर यादव नेता को चुनावी मैदान में नहीं उतारा। उन्होंने ओबीसी वर्ग की अन्य जातियों के उम्मीदवारों को मौका दिया। जिसका फायदा उन्हें चुनाव में भी मिला। इसलिए 2027 के चुनाव को देखते हुए अति पिछड़ी जाति से आने वाले रामअचल को नेता विरोधी दल की जिम्मेदारी दे सकते हैं। पॉलिटिकल एक्सपर्ट बोले- अपने कद के नेता को जिम्मेदारी देंगे अखिलेश
पॉलिटिकल एक्सपर्ट प्रभा शंकर कहते हैं- अखिलेश यादव अगर नेता विरोधी दल का पद छोड़ रहे हैं, तो अपने कद के नेता को ही वह जिम्मेदारी देंगे। अखिलेश के बाद प्रमुख नेता शिवपाल सिंह यादव ही माने जाते हैं। उनका राजनीतिक अनुभव भी लंबा रहा है। नेता विरोधी दल की जिम्मेदारी निभा चुके हैं। अगर सपा शिवपाल को नेता विरोधी दल बनाएगी, तो इसका फायदा पार्टी को होगा। अगर दूसरे किसी वरिष्ठ विधायक को बनाया जाता है, तो पार्टी को उतनी मजबूती नहीं मिलेगी। विधान परिषद में सपा को मिलेगा मुस्लिम नेता?
सपा को 2 साल बाद विधान परिषद में अब फिर से नेता प्रतिपक्ष का पद मिल जाएगा। जुलाई, 2022 में सपा के 10 फीसदी से कम सदस्य रह जाने के कारण यह पद लाल बिहारी यादव से छिन गया था। 100 सीटों वाली विधान परिषद में अब सपा के फिर से 10 सदस्य हो गए हैं, ऐसे में 14 जून को शपथ ग्रहण होते ही इस बार पार्टी को नेता प्रतिपक्ष का पद मिल जाएगा। विधान परिषद में नेता प्रतिपक्ष की रेस में शाह आलम उर्फ गुड्डू जमाली का नाम सबसे आगे है। उत्तरप्रदेश | दैनिक भास्कर