अमरनाथ यात्रा में इस बार श्रद्धालु बिना किसी भीड़ और धक्का-मुक्की के बाबा बर्फानी के दर्शन कर सकेंगे। पहले जहां 50 से 60 श्रद्धालु ही कतार में खड़े होकर दर्शन कर पाते थे, वहीं बाकी श्रद्धालु बाबा बर्फानी की एक झलक पाने के लिए गुफा में आपस में ही झगड़ते रहते थे। लेकिन अब श्राइन बोर्ड ने इस समस्या का समाधान निकाल लिया है। लुधियाना के आर्किटेक्ट नवल ने तैयार की 5 लाइनों की स्ट्रक्चर लुधियाना के आर्किटेक्ट नवल ने बताया कि उन्हें बाबा की गुफा में सेवा करने का मौका मिला है। आर्किटेक्ट होने के नाते गुफा में कुछ बदलाव किए गए हैं। पहले श्रद्धालु बाबा के दर्शन करने के लिए अस्थायी लाइनों में खड़े होते थे, जिससे गुफा में माहौल खराब होने का डर रहता था और लोग दर्शन करते समय आपस में बहस करने लगते थे। अब गुफा में 5 विशेष लाइनें बनाई गई हैं। ये लाइनें बाबा भोले शंकर के शिवलिंग से काफी दूरी पर बनाई गई हैं, ताकि एक बार में 100 से ज्यादा श्रद्धालु आसानी से बाबा के दर्शन कर सकें। गुफा में गर्मी न लगे, इसके लिए प्लेटफॉर्म तैयार किया गया है। आज साइबो के पदाधिकारियों ने श्रद्धालुओं को डिजिटल तरीके से स्क्रीन पर नई गुफा के दर्शन भी करवाए। कुछ और छोटे-मोटे बदलाव भी हैं, जो हर साल होते रहते हैं। आज लुधियाना में भारत की उन सभी भंडारा जत्थेबंदियों को बुलाया गया, जो श्री अमरनाथ यात्रा मार्ग पर भंडारा आयोजित करती हैं। साइबो के पदाधिकारियों ने कई अहम मुद्दों पर चर्चा की है। श्री अमरनाथ भंडारा संगठन साइबो के अध्यक्ष बोले- तैयारियां आज से शुरू जानकारी देते हुए श्री अमरनाथ भंडारा संगठन साइबो के अध्यक्ष राजन कपूर ने बताया कि यात्रा की तैयारियां आज से शुरू हो गई हैं। आज 150 से अधिक भंडारा आयोजक आए हैं। कुछ भंडारा आयोजक प्रयागराज गए हैं। 1 या 2 दिन में सभी भंडारा संचालकों के पास श्राइन बोर्ड की ओर से आमंत्रण पत्र पहुंच जाएंगे। भंडारा आयोजकों की कई प्रमुख मांगें हैं, जिनमें से कई का समाधान हो चुका है और कई बाकी हैं। अगले महीने श्राइन बोर्ड के साथ साइबो की बैठक है, जिसमें कई अहम फैसले लिए जाएंगे। अभी तक सबसे अहम मांग पुलिस वेरिफिकेशन और मेडिकल की है। सभी डॉक्टरों को मेडिकल करने की अनुमति दी जाए, ताकि अधिक से अधिक श्रद्धालु भोले बाबा के दर्शन करने आएं। श्रद्धालुओं को रजिस्ट्रेशन कराने में काफी परेशानी का सामना करना पड़ता है। सेवादारों के लिए पुलिस सत्यापन बड़ी बाधा पुलिस सत्यापन की समस्या सेवादारों की है। श्राइन बोर्ड को समझना चाहिए कि अगर साइबो ने लिखकर दिया है कि हम अपने सेवादारों को अपनी जिम्मेदारी पर ला रहे हैं। सेवादारों का पूरा रिकॉर्ड हमारे पास रहेगा, लेकिन फिर भी हमें सत्यापन के झंझट से गुजरना पड़ रहा है। यात्रा के लिए सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम हैं। श्राइन बोर्ड से कहा गया है कि बैंकों में पंजीकरण प्रक्रिया बहुत ढीली है, इसलिए अधिक से अधिक ऑनलाइन पंजीकरण खोले जाएं। हालांकि मौके पर पंजीकरण शुरू हो गया है, लेकिन फिर भी तीर्थयात्रियों को कई तरह की दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। चेयरमैन राजन कपूर ने कहा कि इस बार गुफा में बदलाव किया गया है, जो अच्छा भी है। पहले गुफा में दो लाइन होती थीं। लेकिन अब तीर्थयात्रियों की सुविधा को ध्यान में रखते हुए श्राइन बोर्ड ने स्थायी रूप से 5 लाइन तैयार कर दी हैं, ताकि अगर तीर्थयात्रियों की संख्या अचानक 4 से 5 हजार बढ़ भी जाए, तो गुफा में भीड़ या भगदड़ न मचे। श्री माता वैष्णों देवी श्राइन बोर्ड के सदस्य के.के शर्मा बोले… श्री माता वैष्णों देवी श्राइन बोर्ड के सदस्य के.के शर्मा ने कहा कि अमरनाथ यात्रा दौरान बेहतर सुविधाएं यात्रियों को दी जाएगी। कश्मीर के राज्यपाल का पूरा साथ मिल रहा है। रोजाना यात्रा को लेकर अधिकारियों की बैठकें भी चल रही है। गुफा में बदलाव करना अच्छा कदम है। गुफा नजदीक सड़कों को चौड़ा किया जा रहा है। के.के शर्मा ने कहा कि किसी समय मुझे गुफा को फूलों से सजानी की सेवा मिली थी उस समय मैं अपने घोड़े पर एक जनरेटर और एक बल्ब को रखकर लेकर गया था। पूरा रात एक बल्ब के साथ हमने गुफा को फूलों से सजाया था। गुफा में जो भी प्रेक्टिकल दिक्कतें आती है उसे तुरंत हल किया जा रहा है। 13 से 70 साल तक यात्रा करने की आयु सरकारी आदेश के मुताबिक 13 से 70 साल की उम्र तक के भारतीय नागरिक अमरनाथ यात्रा कर सकते हैं। यात्रा के लिए जरूरी मेडिकल सर्टिफिकेट बनवाने की प्रक्रिया चलती है। रजिस्ट्रेशन कैसे होगा-ऑनलाइन और ऑफलाइन दोनों तरह से रजिस्ट्रेशन करवा सकते हैं। ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन के लिए श्राइन बोर्ड की ऑफिशियल वेबसाइट पर लॉग इन कर सकते हैं। मोबाइल एप्लिकेशन से रजिस्ट्रेशन करना चाहते हैं तो श्री अमरनाथजी यात्रा ऐप डाउनलोड करना होगा। वहीं, पंजाब नेशनल बैंक, एसबीआई, यस बैंक और जम्मू-कश्मीर बैंक से ऑफलाइन रजिस्ट्रेशन करवा सकते हैं। कैसे पहुंचे:
यात्रा के लिए दो रूट पहलगाम रूट: इस रूट से गुफा तक पहुंचने में 3 दिन लगते हैं, लेकिन ये रास्ता आसान है। यात्रा में खड़ी चढ़ाई नहीं है। पहलगाम से पहला पड़ाव चंदनवाड़ी है। ये बेस कैंप से 16 किमी दूर है। यहां से चढ़ाई शुरू होती है। तीन किमी चढ़ाई के बाद यात्रा पिस्सू टॉप पहुंचती है। यहां से पैदल चलते हुए शाम तक यात्रा शेषनाग पहुंचती है। ये सफर करीब 9 किमी का है। अगले दिन शेषनाग से यात्री पंचतरणी जाते हैं। ये शेषनाग से करीब 14 किमी है। पंचतरणी से गुफा सिर्फ 6 किमी रह जाती है। बालटाल रूट:
वक्त कम हो, तो बाबा अमरनाथ दर्शन के लिए बालटाल रूट से जा सकते हैं। इसमें सिर्फ 14 किमी की चढ़ाई चढ़नी होती है, लेकिन एकदम खड़ी चढ़ाई है, इसलिए बुजुर्गों को इस रास्ते पर दिक्कत होती है। इस रूट पर संकरे रास्ते और खतरनाक मोड़ हैं। 7 लाख यात्रियों के हिसाब से हो रही है तैयारी
पिछली बार करीब 5 लाख से अधिक श्रद्धालु आए थे। इस बार 7 लाख यात्रियों के आने की संभावना है। यात्रा को लेकर इंतजाम भी काफी किए जा रहे है। पूरे रूट पर खानपान, रुकने और हेल्थ चेकअप के लिए व्यवस्था होगी। ऑक्सीजन बूथ, आइसीयू बेड, एक्स रे, सोनोग्राफी मशीन और लिक्विड ऑक्सीजन प्लांट से लैस कैंप पहले की तरह ही बनेगे। किन बातों का ध्यान रखें
यात्रा के दौरान मेडिकल सर्टिफिकेट, 4 पासपोर्ट साइज फोटो, आधार कार्ड, आरएफआईडी (RFID) कार्ड, ट्रैवल एप्लिकेशन फॉर्म अपने साथ रखें। फिजिकल फिटनेस के लिहाज से हर रोज 4 से 5 किलोमीटर पैदल चलने की प्रैक्टिस करें। सांस वाला योग जैसे प्राणायाम और एक्सरसाइज करें। यात्रा में ऊनी कपड़े, रेनकोट, ट्रैकिंग स्टिक, पानी बॉटल और जरूरी दवाओं का बेग अपने साथ रखें। क्या है अमरनाथ धाम और उसका महत्व? अमरनाथ धाम जम्मू-कश्मीर में हिमालय की गोद में स्थित एक पवित्र गुफा है, जो हिंदुओं का सबसे पवित्र स्थल है। कहां स्थित है अमरनाथ की पवित्र गुफा? अमरनाथ गुफा जम्मू-कश्मीर के गांदरबल जिले में 17 हजार फीट से ज्यादा ऊंचाई वाले अमरनाथ पर्वत पर स्थित है। अमरनाथ गुफा श्रीनगर से 141 किलोमीटर दूर दक्षिण कश्मीर में है। यह गुफा लिद्दर घाटी के सुदूर छोर पर एक संकरी घाटी में स्थित है। ये पहलगाम से 46-48 किमोमीटर और बालटाल से 14-16 किलोमीटर दूर है। गुफा समुद्र तल से 3,888 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है। यहां केवल पैदल या टट्टू द्वारा ही पहुंचा जा सकता है। तीर्थयात्री पहलगाम से 46-48 किलोमीटर या बालटाल से 14-16 किलोमीटर की दूरी की खड़ी, घुमावदार पहाड़ी रास्ते से गुजरने हुए यहां पहुंचते हैं। क्या हैं अमरनाथ गुफा से जुड़ी कथाएं? कब बना श्री अमरनाथजी श्राइन बोर्ड लंबे समय तक बूटा मलिक के परिजन, दशनामी अखाड़ा के पंडित और पुरोहित सभा मट्टन इस तीर्थस्थल के पारंपरिक सरंक्षक रहे। 2000 में जम्मू कश्मीर की फारूख अब्दुल्ला सरकार ने यात्रा की सुविधा को बढ़ाने के लिए श्री अमरनाथजी श्राइन बोर्ड का गठन किया, जिसका मुखिया राज्यपाल को बनाया गया। श्राइन बोर्ड से मलिक के परिवार और हिंदू संगठनों को हटा दिया गया। कब होती है अमरनाथ यात्रा अमरनाथ यात्रा आमतौर पर जुलाई-अगस्त के दौरान होती है, जब हिंदुओं का पवित्र महीना सावन पड़ता है। शुरू में तीर्थयात्रा 15 दिन या एक महीने के लिए आयोजित होती थी। 2004 में, श्री अमरनाथजी श्राइन बोर्ड ने तीर्थयात्रा को लगभग 2 महीनों तक आयोजित करने का फैसला किया। उदाहरण के लिए 1995 में अमरनाथ यात्रा 20 दिनों तक चली थी। 2004 से 2009 के दौरान यात्रा 60 दिनों तक चली थी। इसके बाद के वर्षों में यात्रा 40 से 60 दिन तक चली थी। 2019 में ये यात्रा 1 जुलाई से शुरू होकर 15 अगस्त तक चलनी थी, लेकिन आर्टिकल- 370 हटाए जाने से कुछ दिनों पहले सुरक्षा कारणों का हवाला देते हुए रद्द कर दी गई थी। पिछले कुछ वर्षों में अमरनाथ तीर्थयात्रियों की संख्या बढ़ती गई है। 1990 के दशक में हजारों की संख्या से अगले कुछ वर्षों में लाखों की संख्या में श्रद्धालु अमरनाथ की यात्रा पर गए। 2011 में रिकॉर्ड 6.34 लाख श्रद्धालुओं ने अमरनाथ के दर्शन किए थे। क्या है अमरनाथ यात्रा का पुराना और नया रास्ता? अमरनाथ यात्रा का मार्ग समय के साथ बदलता रहा है। इस इलाके में सड़कों के निर्माण के साथ ही यात्रा मार्ग में भी बदलाव हुआ है। अब अमरनाथ की यात्रा के लिए दो रास्ते हैं। एक रास्ता पहलगाम से शुरू होता है, जो करीब 46-48 किलोमीटर लंबा है। इस रास्ते से यात्रा करने में 5 दिन का समय लगता है। वहीं दूसरा रास्ता बालटाल से शुरू होता है, जहां से गुफा की दूरी 14-16 किलोमीटर है, लेकिन खड़ी चढ़ाई की वजह से इससे जा पाना सबके लिए संभव नहीं होता, इस रास्ते से यात्रा में 1-2 दिन का समय लगता है अमरनाथ यात्रा पर हुए हैं 36 आतंकी हमले अमरनाथ यात्रा में इस बार श्रद्धालु बिना किसी भीड़ और धक्का-मुक्की के बाबा बर्फानी के दर्शन कर सकेंगे। पहले जहां 50 से 60 श्रद्धालु ही कतार में खड़े होकर दर्शन कर पाते थे, वहीं बाकी श्रद्धालु बाबा बर्फानी की एक झलक पाने के लिए गुफा में आपस में ही झगड़ते रहते थे। लेकिन अब श्राइन बोर्ड ने इस समस्या का समाधान निकाल लिया है। लुधियाना के आर्किटेक्ट नवल ने तैयार की 5 लाइनों की स्ट्रक्चर लुधियाना के आर्किटेक्ट नवल ने बताया कि उन्हें बाबा की गुफा में सेवा करने का मौका मिला है। आर्किटेक्ट होने के नाते गुफा में कुछ बदलाव किए गए हैं। पहले श्रद्धालु बाबा के दर्शन करने के लिए अस्थायी लाइनों में खड़े होते थे, जिससे गुफा में माहौल खराब होने का डर रहता था और लोग दर्शन करते समय आपस में बहस करने लगते थे। अब गुफा में 5 विशेष लाइनें बनाई गई हैं। ये लाइनें बाबा भोले शंकर के शिवलिंग से काफी दूरी पर बनाई गई हैं, ताकि एक बार में 100 से ज्यादा श्रद्धालु आसानी से बाबा के दर्शन कर सकें। गुफा में गर्मी न लगे, इसके लिए प्लेटफॉर्म तैयार किया गया है। आज साइबो के पदाधिकारियों ने श्रद्धालुओं को डिजिटल तरीके से स्क्रीन पर नई गुफा के दर्शन भी करवाए। कुछ और छोटे-मोटे बदलाव भी हैं, जो हर साल होते रहते हैं। आज लुधियाना में भारत की उन सभी भंडारा जत्थेबंदियों को बुलाया गया, जो श्री अमरनाथ यात्रा मार्ग पर भंडारा आयोजित करती हैं। साइबो के पदाधिकारियों ने कई अहम मुद्दों पर चर्चा की है। श्री अमरनाथ भंडारा संगठन साइबो के अध्यक्ष बोले- तैयारियां आज से शुरू जानकारी देते हुए श्री अमरनाथ भंडारा संगठन साइबो के अध्यक्ष राजन कपूर ने बताया कि यात्रा की तैयारियां आज से शुरू हो गई हैं। आज 150 से अधिक भंडारा आयोजक आए हैं। कुछ भंडारा आयोजक प्रयागराज गए हैं। 1 या 2 दिन में सभी भंडारा संचालकों के पास श्राइन बोर्ड की ओर से आमंत्रण पत्र पहुंच जाएंगे। भंडारा आयोजकों की कई प्रमुख मांगें हैं, जिनमें से कई का समाधान हो चुका है और कई बाकी हैं। अगले महीने श्राइन बोर्ड के साथ साइबो की बैठक है, जिसमें कई अहम फैसले लिए जाएंगे। अभी तक सबसे अहम मांग पुलिस वेरिफिकेशन और मेडिकल की है। सभी डॉक्टरों को मेडिकल करने की अनुमति दी जाए, ताकि अधिक से अधिक श्रद्धालु भोले बाबा के दर्शन करने आएं। श्रद्धालुओं को रजिस्ट्रेशन कराने में काफी परेशानी का सामना करना पड़ता है। सेवादारों के लिए पुलिस सत्यापन बड़ी बाधा पुलिस सत्यापन की समस्या सेवादारों की है। श्राइन बोर्ड को समझना चाहिए कि अगर साइबो ने लिखकर दिया है कि हम अपने सेवादारों को अपनी जिम्मेदारी पर ला रहे हैं। सेवादारों का पूरा रिकॉर्ड हमारे पास रहेगा, लेकिन फिर भी हमें सत्यापन के झंझट से गुजरना पड़ रहा है। यात्रा के लिए सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम हैं। श्राइन बोर्ड से कहा गया है कि बैंकों में पंजीकरण प्रक्रिया बहुत ढीली है, इसलिए अधिक से अधिक ऑनलाइन पंजीकरण खोले जाएं। हालांकि मौके पर पंजीकरण शुरू हो गया है, लेकिन फिर भी तीर्थयात्रियों को कई तरह की दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। चेयरमैन राजन कपूर ने कहा कि इस बार गुफा में बदलाव किया गया है, जो अच्छा भी है। पहले गुफा में दो लाइन होती थीं। लेकिन अब तीर्थयात्रियों की सुविधा को ध्यान में रखते हुए श्राइन बोर्ड ने स्थायी रूप से 5 लाइन तैयार कर दी हैं, ताकि अगर तीर्थयात्रियों की संख्या अचानक 4 से 5 हजार बढ़ भी जाए, तो गुफा में भीड़ या भगदड़ न मचे। श्री माता वैष्णों देवी श्राइन बोर्ड के सदस्य के.के शर्मा बोले… श्री माता वैष्णों देवी श्राइन बोर्ड के सदस्य के.के शर्मा ने कहा कि अमरनाथ यात्रा दौरान बेहतर सुविधाएं यात्रियों को दी जाएगी। कश्मीर के राज्यपाल का पूरा साथ मिल रहा है। रोजाना यात्रा को लेकर अधिकारियों की बैठकें भी चल रही है। गुफा में बदलाव करना अच्छा कदम है। गुफा नजदीक सड़कों को चौड़ा किया जा रहा है। के.के शर्मा ने कहा कि किसी समय मुझे गुफा को फूलों से सजानी की सेवा मिली थी उस समय मैं अपने घोड़े पर एक जनरेटर और एक बल्ब को रखकर लेकर गया था। पूरा रात एक बल्ब के साथ हमने गुफा को फूलों से सजाया था। गुफा में जो भी प्रेक्टिकल दिक्कतें आती है उसे तुरंत हल किया जा रहा है। 13 से 70 साल तक यात्रा करने की आयु सरकारी आदेश के मुताबिक 13 से 70 साल की उम्र तक के भारतीय नागरिक अमरनाथ यात्रा कर सकते हैं। यात्रा के लिए जरूरी मेडिकल सर्टिफिकेट बनवाने की प्रक्रिया चलती है। रजिस्ट्रेशन कैसे होगा-ऑनलाइन और ऑफलाइन दोनों तरह से रजिस्ट्रेशन करवा सकते हैं। ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन के लिए श्राइन बोर्ड की ऑफिशियल वेबसाइट पर लॉग इन कर सकते हैं। मोबाइल एप्लिकेशन से रजिस्ट्रेशन करना चाहते हैं तो श्री अमरनाथजी यात्रा ऐप डाउनलोड करना होगा। वहीं, पंजाब नेशनल बैंक, एसबीआई, यस बैंक और जम्मू-कश्मीर बैंक से ऑफलाइन रजिस्ट्रेशन करवा सकते हैं। कैसे पहुंचे:
यात्रा के लिए दो रूट पहलगाम रूट: इस रूट से गुफा तक पहुंचने में 3 दिन लगते हैं, लेकिन ये रास्ता आसान है। यात्रा में खड़ी चढ़ाई नहीं है। पहलगाम से पहला पड़ाव चंदनवाड़ी है। ये बेस कैंप से 16 किमी दूर है। यहां से चढ़ाई शुरू होती है। तीन किमी चढ़ाई के बाद यात्रा पिस्सू टॉप पहुंचती है। यहां से पैदल चलते हुए शाम तक यात्रा शेषनाग पहुंचती है। ये सफर करीब 9 किमी का है। अगले दिन शेषनाग से यात्री पंचतरणी जाते हैं। ये शेषनाग से करीब 14 किमी है। पंचतरणी से गुफा सिर्फ 6 किमी रह जाती है। बालटाल रूट:
वक्त कम हो, तो बाबा अमरनाथ दर्शन के लिए बालटाल रूट से जा सकते हैं। इसमें सिर्फ 14 किमी की चढ़ाई चढ़नी होती है, लेकिन एकदम खड़ी चढ़ाई है, इसलिए बुजुर्गों को इस रास्ते पर दिक्कत होती है। इस रूट पर संकरे रास्ते और खतरनाक मोड़ हैं। 7 लाख यात्रियों के हिसाब से हो रही है तैयारी
पिछली बार करीब 5 लाख से अधिक श्रद्धालु आए थे। इस बार 7 लाख यात्रियों के आने की संभावना है। यात्रा को लेकर इंतजाम भी काफी किए जा रहे है। पूरे रूट पर खानपान, रुकने और हेल्थ चेकअप के लिए व्यवस्था होगी। ऑक्सीजन बूथ, आइसीयू बेड, एक्स रे, सोनोग्राफी मशीन और लिक्विड ऑक्सीजन प्लांट से लैस कैंप पहले की तरह ही बनेगे। किन बातों का ध्यान रखें
यात्रा के दौरान मेडिकल सर्टिफिकेट, 4 पासपोर्ट साइज फोटो, आधार कार्ड, आरएफआईडी (RFID) कार्ड, ट्रैवल एप्लिकेशन फॉर्म अपने साथ रखें। फिजिकल फिटनेस के लिहाज से हर रोज 4 से 5 किलोमीटर पैदल चलने की प्रैक्टिस करें। सांस वाला योग जैसे प्राणायाम और एक्सरसाइज करें। यात्रा में ऊनी कपड़े, रेनकोट, ट्रैकिंग स्टिक, पानी बॉटल और जरूरी दवाओं का बेग अपने साथ रखें। क्या है अमरनाथ धाम और उसका महत्व? अमरनाथ धाम जम्मू-कश्मीर में हिमालय की गोद में स्थित एक पवित्र गुफा है, जो हिंदुओं का सबसे पवित्र स्थल है। कहां स्थित है अमरनाथ की पवित्र गुफा? अमरनाथ गुफा जम्मू-कश्मीर के गांदरबल जिले में 17 हजार फीट से ज्यादा ऊंचाई वाले अमरनाथ पर्वत पर स्थित है। अमरनाथ गुफा श्रीनगर से 141 किलोमीटर दूर दक्षिण कश्मीर में है। यह गुफा लिद्दर घाटी के सुदूर छोर पर एक संकरी घाटी में स्थित है। ये पहलगाम से 46-48 किमोमीटर और बालटाल से 14-16 किलोमीटर दूर है। गुफा समुद्र तल से 3,888 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है। यहां केवल पैदल या टट्टू द्वारा ही पहुंचा जा सकता है। तीर्थयात्री पहलगाम से 46-48 किलोमीटर या बालटाल से 14-16 किलोमीटर की दूरी की खड़ी, घुमावदार पहाड़ी रास्ते से गुजरने हुए यहां पहुंचते हैं। क्या हैं अमरनाथ गुफा से जुड़ी कथाएं? कब बना श्री अमरनाथजी श्राइन बोर्ड लंबे समय तक बूटा मलिक के परिजन, दशनामी अखाड़ा के पंडित और पुरोहित सभा मट्टन इस तीर्थस्थल के पारंपरिक सरंक्षक रहे। 2000 में जम्मू कश्मीर की फारूख अब्दुल्ला सरकार ने यात्रा की सुविधा को बढ़ाने के लिए श्री अमरनाथजी श्राइन बोर्ड का गठन किया, जिसका मुखिया राज्यपाल को बनाया गया। श्राइन बोर्ड से मलिक के परिवार और हिंदू संगठनों को हटा दिया गया। कब होती है अमरनाथ यात्रा अमरनाथ यात्रा आमतौर पर जुलाई-अगस्त के दौरान होती है, जब हिंदुओं का पवित्र महीना सावन पड़ता है। शुरू में तीर्थयात्रा 15 दिन या एक महीने के लिए आयोजित होती थी। 2004 में, श्री अमरनाथजी श्राइन बोर्ड ने तीर्थयात्रा को लगभग 2 महीनों तक आयोजित करने का फैसला किया। उदाहरण के लिए 1995 में अमरनाथ यात्रा 20 दिनों तक चली थी। 2004 से 2009 के दौरान यात्रा 60 दिनों तक चली थी। इसके बाद के वर्षों में यात्रा 40 से 60 दिन तक चली थी। 2019 में ये यात्रा 1 जुलाई से शुरू होकर 15 अगस्त तक चलनी थी, लेकिन आर्टिकल- 370 हटाए जाने से कुछ दिनों पहले सुरक्षा कारणों का हवाला देते हुए रद्द कर दी गई थी। पिछले कुछ वर्षों में अमरनाथ तीर्थयात्रियों की संख्या बढ़ती गई है। 1990 के दशक में हजारों की संख्या से अगले कुछ वर्षों में लाखों की संख्या में श्रद्धालु अमरनाथ की यात्रा पर गए। 2011 में रिकॉर्ड 6.34 लाख श्रद्धालुओं ने अमरनाथ के दर्शन किए थे। क्या है अमरनाथ यात्रा का पुराना और नया रास्ता? अमरनाथ यात्रा का मार्ग समय के साथ बदलता रहा है। इस इलाके में सड़कों के निर्माण के साथ ही यात्रा मार्ग में भी बदलाव हुआ है। अब अमरनाथ की यात्रा के लिए दो रास्ते हैं। एक रास्ता पहलगाम से शुरू होता है, जो करीब 46-48 किलोमीटर लंबा है। इस रास्ते से यात्रा करने में 5 दिन का समय लगता है। वहीं दूसरा रास्ता बालटाल से शुरू होता है, जहां से गुफा की दूरी 14-16 किलोमीटर है, लेकिन खड़ी चढ़ाई की वजह से इससे जा पाना सबके लिए संभव नहीं होता, इस रास्ते से यात्रा में 1-2 दिन का समय लगता है अमरनाथ यात्रा पर हुए हैं 36 आतंकी हमले पंजाब | दैनिक भास्कर