संभल में दंगे के पत्थरों से बन रहीं पुलिस चौकियां:लोग बोले- कोई यहां नहीं आना चाहता, हिंसा के 3 महीने बाद कितना बदला शहर?

संभल में दंगे के पत्थरों से बन रहीं पुलिस चौकियां:लोग बोले- कोई यहां नहीं आना चाहता, हिंसा के 3 महीने बाद कितना बदला शहर?

संभल हिंसा को 3 महीने बीत चुके हैं। इस दौरान संभल बहुत बदला, कारोबार प्रभावित हुआ। गांव-देहात के लोग अब पहले की तरह खरीदारी करने शहर के अंदर नहीं आते, ऐसा खुद व्यापारी मानते हैं। हां, सुरक्षा जरूर मजबूत हुई है। कई नई चौकियां और चेक पोस्ट बने हैं। जामा मस्जिद के सर्वे से शुरू हुई पूरी कहानी प्राचीन तीर्थ स्थलों, कुओं और बावड़ियों की खोज तक पहुंच गई है। यहां से पलायन कर चुके 1978 के दंगा पीड़ित सामने आने लगे। 3 दंगा पीड़ितों की प्रॉपर्टी कब्जामुक्त कराई गईं। हिंसा में जो लोग नामजद हैं, वो आज भी घरों से फरार हैं। हिंसा के 3 महीने बाद संभल का माहौल कितना बदला? यह जानने के लिए दैनिक भास्कर ग्राउंड जीरो पर पहुंचा। पढ़िए ये रिपोर्ट… सबसे पहले पुलिस एक्शन जानिए 12 FIR, 6 में चार्जशीट लगी, 80 लोग फरार
24 नवंबर, 2024 की हिंसा के बाद संभल पुलिस ने कुल 12 FIR दर्ज कीं। इनमें 159 लोग नामजद, जबकि 2 हजार से ज्यादा अज्ञात हैं। पुलिस अब तक 80 लोगों को जेल भेज चुकी है। कुल 6 FIR की जांच पूरी करते हुए पुलिस ने पिछले दिनों कोर्ट में चार्जशीट दाखिल कर दी। बाकी FIR में जांच चल रही है। इसमें एक FIR संभल के सपा सांसद जिया-उर-रहमान बर्क पर भी है। 5 मार्च, 2025 को संभल कोतवाली क्षेत्र का रहने वाला एक बुजुर्ग व्यक्ति SP कृष्ण बिश्नोई के पास पहुंचा। उसने बताया कि दंगे की FIR में बेटे का भी नाम है, जबकि वह उस दिन मौके पर नहीं था। गिरफ्तारी के डर से बेटा पिछले 3 महीने से घर से भागा हुआ है। इस शख्स की तरह करीब 80 नामजद आरोपी हैं, जो अपने घरों से फरार चल रहे हैं। वहीं, SP कृष्ण बिश्नोई ने बताया- सिर्फ वही लोग घरों से भागे हैं, जो इस हिंसा में शामिल थे। पुलिस ऐसे लोगों के घर पर लगातार दबिश दे रही है। अब संभल के माहौल पर बात… माहौल सामान्य, लेकिन गांव-देहात के लोग खरीदारी करने शहर नहीं आ रहे
इन तीन महीनों में संभल कितना बदला? ये जानने के लिए हमने स्थानीय लोगों से बात की। सबसे पहले हम संभल के प्रमुख बाजार में न्यू अजंता गिफ्ट हाउस पर पहुंचे। यहां हमें दुकान मालिक शकील अहमद मिले। हमने पूछा- संभल हिंसा के बाद मार्केट के हालात कैसे हैं? शकील अहमद ने बताया- कारोबार पर बहुत ज्यादा प्रभाव है। हमारे खर्च तक नहीं निकल रहे हैं। जो खरीदार गांव-देहात से आते थे, वो अब शहर में आने में डरते हैं। सोचते हैं कि अगर संभल में कुछ हो गया, तो हम फंसेंगे। इसलिए वो गांव-देहात से ही सारा सामान खरीद लेते हैं। ‘कारोबार प्रभावित हुआ था, अब सामान्य हो रहा’
व्यापार मंडल संभल के अध्यक्ष नाजिम सैफी बताते हैं- जब संभल में हिंसा हुई, तब तो कारोबार पर बहुत ज्यादा असर पड़ा था। हम सभी ने यही कोशिश की थी कि व्यापारियों को समझाएं, दुकानें खोलें और बिजनेस शुरू करें। इस दंगे को हम एक हादसा कहेंगे। इससे कारोबार पर बुरा असर पड़ा, करोड़ों का नुकसान हुआ। अब इस बात को 3 महीने बीत गए हैं। ऐसे में माहौल धीरे-धीरे सामान्य हो रहा है। ‘मैं होली पर उनके घर जाऊंगा, वो ईद पर मेरे घर आएंगे’
बेगम सराय वार्ड-20 के सभासद रागिब सैफी से हमने पूछा कि हिंदू-मुस्लिमों के बीच जो खाई बनी थी, क्या वो भर गई? सभासद कहते हैं- अब कोई खटास नहीं है। सब मिल-जुलकर रह रहे, आपस में बात करते हैं। खुद मेरे घर के पास सैनी समाज के 400 लोग रहते हैं। मैं होली पर उनके घर जाऊंगा और वो ईद पर मेरे घर आएंगे। हम सब एक-दूसरे से मोहब्बत से मिलते हैं। सेफ संभल प्लान : डेढ़ हजार CCTV लगेंगे, 38 पुलिस चेक पोस्ट बन रहे
24 नवंबर, 2024 की हिंसा से सबक लेते हुए पुलिस चाहती है कि संभल की सुरक्षा और मजबूत हो। इसके लिए पुलिस ने टाइट प्लान बनाया है। इस पर काम भी शुरू हो चुका है। प्लानिंग क्या है? यह समझने के लिए दैनिक भास्कर ने SP कृष्ण बिश्नोई से बात की। उन्होंने बताया- हिंसा के बाद हमने ‘सेफ संभल’ का प्लान तैयार किया है। इसके लिए कुल 3 करोड़ का बजट सेक्शन हुआ है। 670 गांवों सहित संभल शहर की 200 लोकेशन पर हाई क्वालिटी CCTV लगवाए जाएंगे। करीब डेढ़ हजार CCTV लगाने का प्लान है। ज्यादातर कैमरे ऐसे होंगे, जो फेस डिटेक्ट कर सकेंगे। इसके अलावा 38 पॉइंट पर पुलिस आउट पोस्ट और अस्थायी चौकियां बनाने का काम शुरू कर दिया गया है। इसमें संभल जामा मस्जिद के सामने खाली पड़ी जमीन पर सत्यव्रत पुलिस चौकी सहित खग्गू सराय, दीपा सराय, हिंदूपुरा खेड़ा जैसे मुस्लिम एरिया प्रमुख हैं। सरकार से डेढ़ करोड़ रुपए का बजट आया है। एक चौकी बनाने के लिए 5 लाख रुपए दिए जा रहे हैं। हर चौकी पर एक सब-इंस्पेक्टर और 3-4 पुलिसकर्मी रहेंगे। कुछ चौकियों को PAC फोर्स ठहराने के काम में लिया जाएगा। SP ने बताया- 24 नवंबर, 2024 की हिंसा में पुलिस ने कुल 6 ट्रैक्टर-ट्रॉली पत्थर बरामद किए थे। ये वो पत्थर थे, जो दंगाइयों ने पुलिस पर फेंके थे। पुलिस अब इन ईंट-पत्थरों को पुलिस चौकी बनाने में इस्तेमाल करेगी। दीपा सराय और हिंदूपुरा खेड़ा चौकी के निर्माण में 3-3 ट्रैक्टर-ट्रॉली पत्थर यूज किए जाएंगे। तीन महीने में सरकार ने क्या-क्या खोजा? 54 तीर्थ और 19 कूप मिले, अब हो रहा सौंदर्यीकरण
संभल जिला प्रशासन अब तक 54 तीर्थ, 19 कूप (कुएं) और एक प्राचीन बावड़ी की खोज कर चुका है। DM राजेंद्र पेंसिया ने बताया- 24 नवंबर, 2024 की हिंसा के बाद हमारे पास अवैध कब्जों की शिकायतें अचानक बढ़ गईं। लोग चाहते थे कि संभल के प्राचीन स्थलों को भी कब्जामुक्त कराया जाए। पेंसिया ने बताया- मैंने ‘संभल महात्म्य’ समेत कई प्राचीन किताबें पढ़ीं। इनमें जिक्र था कि एक वक्त संभल में 68 तीर्थ और 19 कूप हुआ करते थे। हमने फैसला लिया कि प्राचीन धरोहरों को कब्जामुक्त कराया जाएगा। हम इसमें काफी हद तक कामयाब भी रहे। अब तक 68 में से 54 तीर्थ खोजकर कब्जामुक्त किए जा चुके हैं। सभी 19 कूप भी मिल चुके हैं। इसके अलावा कस्बा चंदौसी में एक प्राचीन बावड़ी खोजी जा चुकी है। DM ने बताया- प्राचीन धरोहरों का सौंदर्यीकरण किया जा रहा है। इसमें अभी हमें डेढ़ करोड़ रुपए मिले हैं। सरकार से और बजट के लिए डिमांड की गई है। प्रॉपर्टी कब्जामुक्त हुई, फिर भी नहीं आना चाहते दंगा पीड़ित परिवार
24 नवंबर की हिंसा के बाद पुलिस-प्रशासन के पास ऐतिहासिक धरोहरों पर कब्जे से जुड़ी शिकायतों की भरमार होने लगी। अफसरों ने ऐसी शिकायतों का निपटारा करने में भी खूब इंट्रेस्ट दिखाया। इसकी शुरुआत 14 दिसंबर, 2024 से हुई, जब पुलिस ने संभल के मोहल्ला खग्गू सराय में 46 साल से बंद पड़े एक मंदिर को खुलवाया। इसी दौरान संभल में 1978 में हुए दंगे का भी जिक्र आया। पुलिस अफसरों को जानकारी हुई कि इस दंगे के पीड़ित कुछ परिवार पलायन कर गए थे। अब वो आना चाहते हैं, लेकिन जमीन पर दूसरे समुदाय के लोगों ने कब्जा कर लिया है। पिछले दिनों पुलिस-प्रशासन ने ऐसे 3 परिवारों की करीब 10 हजार स्क्वायर फीट जमीन खाली कराकर उन्हें कब्जा वापस दिलाया। हालांकि ये परिवार अभी लौटकर नहीं आए हैं। बताया जा रहा है कि ये परिवार अब दूसरी जगह नए घर बनाकर पूरी तरह बस गए हैं। इसलिए अब आगे भी वहीं रहना चाहते हैं। दरअसल, 29 मार्च, 1978 को होली जलाने पर दो समुदायों में तनाव पैदा हो गया। उस समय अफवाह उड़ी कि एक दुकानदार ने दूसरे समुदाय के शख्स को मार दिया है। इसके बाद दंगे शुरू हो गए। इन दंगों में बड़ी संख्या में लोग मारे गए थे। ———————— यह खबर भी पढ़ें… महाकुंभ में 30 करोड़ कमाने वाले नाविक की कहानी, मां-पत्नी के जेवर गिरवी रखे, 70 नावें खरीदीं, योगी ने सुनाई सक्सेस स्टोरी तारीख- 4 मार्च…। जगह- UP विधानसभा। महाकुंभ में कारोबार का जिक्र करते हुए CM योगी ने कहा- ‘मैं एक नाविक परिवार की सक्सेस स्टोरी बता रहा हूं, जिनके पास 130 नौकाएं हैं। प्रयागराज महाकुंभ के 45 दिन में इन्होंने शुद्ध बचत 30 करोड़ रुपए की। यानी एक नाव से रोज 50 से 52 हजार रुपए इनकम थी।’ योगी ने जिस परिवार का जिक्र किया, उसकी पूरी कहानी क्या है? पढ़ें पूरी खबर संभल हिंसा को 3 महीने बीत चुके हैं। इस दौरान संभल बहुत बदला, कारोबार प्रभावित हुआ। गांव-देहात के लोग अब पहले की तरह खरीदारी करने शहर के अंदर नहीं आते, ऐसा खुद व्यापारी मानते हैं। हां, सुरक्षा जरूर मजबूत हुई है। कई नई चौकियां और चेक पोस्ट बने हैं। जामा मस्जिद के सर्वे से शुरू हुई पूरी कहानी प्राचीन तीर्थ स्थलों, कुओं और बावड़ियों की खोज तक पहुंच गई है। यहां से पलायन कर चुके 1978 के दंगा पीड़ित सामने आने लगे। 3 दंगा पीड़ितों की प्रॉपर्टी कब्जामुक्त कराई गईं। हिंसा में जो लोग नामजद हैं, वो आज भी घरों से फरार हैं। हिंसा के 3 महीने बाद संभल का माहौल कितना बदला? यह जानने के लिए दैनिक भास्कर ग्राउंड जीरो पर पहुंचा। पढ़िए ये रिपोर्ट… सबसे पहले पुलिस एक्शन जानिए 12 FIR, 6 में चार्जशीट लगी, 80 लोग फरार
24 नवंबर, 2024 की हिंसा के बाद संभल पुलिस ने कुल 12 FIR दर्ज कीं। इनमें 159 लोग नामजद, जबकि 2 हजार से ज्यादा अज्ञात हैं। पुलिस अब तक 80 लोगों को जेल भेज चुकी है। कुल 6 FIR की जांच पूरी करते हुए पुलिस ने पिछले दिनों कोर्ट में चार्जशीट दाखिल कर दी। बाकी FIR में जांच चल रही है। इसमें एक FIR संभल के सपा सांसद जिया-उर-रहमान बर्क पर भी है। 5 मार्च, 2025 को संभल कोतवाली क्षेत्र का रहने वाला एक बुजुर्ग व्यक्ति SP कृष्ण बिश्नोई के पास पहुंचा। उसने बताया कि दंगे की FIR में बेटे का भी नाम है, जबकि वह उस दिन मौके पर नहीं था। गिरफ्तारी के डर से बेटा पिछले 3 महीने से घर से भागा हुआ है। इस शख्स की तरह करीब 80 नामजद आरोपी हैं, जो अपने घरों से फरार चल रहे हैं। वहीं, SP कृष्ण बिश्नोई ने बताया- सिर्फ वही लोग घरों से भागे हैं, जो इस हिंसा में शामिल थे। पुलिस ऐसे लोगों के घर पर लगातार दबिश दे रही है। अब संभल के माहौल पर बात… माहौल सामान्य, लेकिन गांव-देहात के लोग खरीदारी करने शहर नहीं आ रहे
इन तीन महीनों में संभल कितना बदला? ये जानने के लिए हमने स्थानीय लोगों से बात की। सबसे पहले हम संभल के प्रमुख बाजार में न्यू अजंता गिफ्ट हाउस पर पहुंचे। यहां हमें दुकान मालिक शकील अहमद मिले। हमने पूछा- संभल हिंसा के बाद मार्केट के हालात कैसे हैं? शकील अहमद ने बताया- कारोबार पर बहुत ज्यादा प्रभाव है। हमारे खर्च तक नहीं निकल रहे हैं। जो खरीदार गांव-देहात से आते थे, वो अब शहर में आने में डरते हैं। सोचते हैं कि अगर संभल में कुछ हो गया, तो हम फंसेंगे। इसलिए वो गांव-देहात से ही सारा सामान खरीद लेते हैं। ‘कारोबार प्रभावित हुआ था, अब सामान्य हो रहा’
व्यापार मंडल संभल के अध्यक्ष नाजिम सैफी बताते हैं- जब संभल में हिंसा हुई, तब तो कारोबार पर बहुत ज्यादा असर पड़ा था। हम सभी ने यही कोशिश की थी कि व्यापारियों को समझाएं, दुकानें खोलें और बिजनेस शुरू करें। इस दंगे को हम एक हादसा कहेंगे। इससे कारोबार पर बुरा असर पड़ा, करोड़ों का नुकसान हुआ। अब इस बात को 3 महीने बीत गए हैं। ऐसे में माहौल धीरे-धीरे सामान्य हो रहा है। ‘मैं होली पर उनके घर जाऊंगा, वो ईद पर मेरे घर आएंगे’
बेगम सराय वार्ड-20 के सभासद रागिब सैफी से हमने पूछा कि हिंदू-मुस्लिमों के बीच जो खाई बनी थी, क्या वो भर गई? सभासद कहते हैं- अब कोई खटास नहीं है। सब मिल-जुलकर रह रहे, आपस में बात करते हैं। खुद मेरे घर के पास सैनी समाज के 400 लोग रहते हैं। मैं होली पर उनके घर जाऊंगा और वो ईद पर मेरे घर आएंगे। हम सब एक-दूसरे से मोहब्बत से मिलते हैं। सेफ संभल प्लान : डेढ़ हजार CCTV लगेंगे, 38 पुलिस चेक पोस्ट बन रहे
24 नवंबर, 2024 की हिंसा से सबक लेते हुए पुलिस चाहती है कि संभल की सुरक्षा और मजबूत हो। इसके लिए पुलिस ने टाइट प्लान बनाया है। इस पर काम भी शुरू हो चुका है। प्लानिंग क्या है? यह समझने के लिए दैनिक भास्कर ने SP कृष्ण बिश्नोई से बात की। उन्होंने बताया- हिंसा के बाद हमने ‘सेफ संभल’ का प्लान तैयार किया है। इसके लिए कुल 3 करोड़ का बजट सेक्शन हुआ है। 670 गांवों सहित संभल शहर की 200 लोकेशन पर हाई क्वालिटी CCTV लगवाए जाएंगे। करीब डेढ़ हजार CCTV लगाने का प्लान है। ज्यादातर कैमरे ऐसे होंगे, जो फेस डिटेक्ट कर सकेंगे। इसके अलावा 38 पॉइंट पर पुलिस आउट पोस्ट और अस्थायी चौकियां बनाने का काम शुरू कर दिया गया है। इसमें संभल जामा मस्जिद के सामने खाली पड़ी जमीन पर सत्यव्रत पुलिस चौकी सहित खग्गू सराय, दीपा सराय, हिंदूपुरा खेड़ा जैसे मुस्लिम एरिया प्रमुख हैं। सरकार से डेढ़ करोड़ रुपए का बजट आया है। एक चौकी बनाने के लिए 5 लाख रुपए दिए जा रहे हैं। हर चौकी पर एक सब-इंस्पेक्टर और 3-4 पुलिसकर्मी रहेंगे। कुछ चौकियों को PAC फोर्स ठहराने के काम में लिया जाएगा। SP ने बताया- 24 नवंबर, 2024 की हिंसा में पुलिस ने कुल 6 ट्रैक्टर-ट्रॉली पत्थर बरामद किए थे। ये वो पत्थर थे, जो दंगाइयों ने पुलिस पर फेंके थे। पुलिस अब इन ईंट-पत्थरों को पुलिस चौकी बनाने में इस्तेमाल करेगी। दीपा सराय और हिंदूपुरा खेड़ा चौकी के निर्माण में 3-3 ट्रैक्टर-ट्रॉली पत्थर यूज किए जाएंगे। तीन महीने में सरकार ने क्या-क्या खोजा? 54 तीर्थ और 19 कूप मिले, अब हो रहा सौंदर्यीकरण
संभल जिला प्रशासन अब तक 54 तीर्थ, 19 कूप (कुएं) और एक प्राचीन बावड़ी की खोज कर चुका है। DM राजेंद्र पेंसिया ने बताया- 24 नवंबर, 2024 की हिंसा के बाद हमारे पास अवैध कब्जों की शिकायतें अचानक बढ़ गईं। लोग चाहते थे कि संभल के प्राचीन स्थलों को भी कब्जामुक्त कराया जाए। पेंसिया ने बताया- मैंने ‘संभल महात्म्य’ समेत कई प्राचीन किताबें पढ़ीं। इनमें जिक्र था कि एक वक्त संभल में 68 तीर्थ और 19 कूप हुआ करते थे। हमने फैसला लिया कि प्राचीन धरोहरों को कब्जामुक्त कराया जाएगा। हम इसमें काफी हद तक कामयाब भी रहे। अब तक 68 में से 54 तीर्थ खोजकर कब्जामुक्त किए जा चुके हैं। सभी 19 कूप भी मिल चुके हैं। इसके अलावा कस्बा चंदौसी में एक प्राचीन बावड़ी खोजी जा चुकी है। DM ने बताया- प्राचीन धरोहरों का सौंदर्यीकरण किया जा रहा है। इसमें अभी हमें डेढ़ करोड़ रुपए मिले हैं। सरकार से और बजट के लिए डिमांड की गई है। प्रॉपर्टी कब्जामुक्त हुई, फिर भी नहीं आना चाहते दंगा पीड़ित परिवार
24 नवंबर की हिंसा के बाद पुलिस-प्रशासन के पास ऐतिहासिक धरोहरों पर कब्जे से जुड़ी शिकायतों की भरमार होने लगी। अफसरों ने ऐसी शिकायतों का निपटारा करने में भी खूब इंट्रेस्ट दिखाया। इसकी शुरुआत 14 दिसंबर, 2024 से हुई, जब पुलिस ने संभल के मोहल्ला खग्गू सराय में 46 साल से बंद पड़े एक मंदिर को खुलवाया। इसी दौरान संभल में 1978 में हुए दंगे का भी जिक्र आया। पुलिस अफसरों को जानकारी हुई कि इस दंगे के पीड़ित कुछ परिवार पलायन कर गए थे। अब वो आना चाहते हैं, लेकिन जमीन पर दूसरे समुदाय के लोगों ने कब्जा कर लिया है। पिछले दिनों पुलिस-प्रशासन ने ऐसे 3 परिवारों की करीब 10 हजार स्क्वायर फीट जमीन खाली कराकर उन्हें कब्जा वापस दिलाया। हालांकि ये परिवार अभी लौटकर नहीं आए हैं। बताया जा रहा है कि ये परिवार अब दूसरी जगह नए घर बनाकर पूरी तरह बस गए हैं। इसलिए अब आगे भी वहीं रहना चाहते हैं। दरअसल, 29 मार्च, 1978 को होली जलाने पर दो समुदायों में तनाव पैदा हो गया। उस समय अफवाह उड़ी कि एक दुकानदार ने दूसरे समुदाय के शख्स को मार दिया है। इसके बाद दंगे शुरू हो गए। इन दंगों में बड़ी संख्या में लोग मारे गए थे। ———————— यह खबर भी पढ़ें… महाकुंभ में 30 करोड़ कमाने वाले नाविक की कहानी, मां-पत्नी के जेवर गिरवी रखे, 70 नावें खरीदीं, योगी ने सुनाई सक्सेस स्टोरी तारीख- 4 मार्च…। जगह- UP विधानसभा। महाकुंभ में कारोबार का जिक्र करते हुए CM योगी ने कहा- ‘मैं एक नाविक परिवार की सक्सेस स्टोरी बता रहा हूं, जिनके पास 130 नौकाएं हैं। प्रयागराज महाकुंभ के 45 दिन में इन्होंने शुद्ध बचत 30 करोड़ रुपए की। यानी एक नाव से रोज 50 से 52 हजार रुपए इनकम थी।’ योगी ने जिस परिवार का जिक्र किया, उसकी पूरी कहानी क्या है? पढ़ें पूरी खबर   उत्तरप्रदेश | दैनिक भास्कर