यूपी का संभल डेढ़ महीने से चर्चा में है। पहले हरिहर मंदिर के दावे को लेकर जामा मस्जिद के सर्वे का ऑर्डर, फिर सर्वे दौरान भड़की हिंसा और अब मंदिरों का मिलना। अब वहां एक पुलिस चौकी बनाई जा रही है। यह जामा मस्जिद के ठीक बगल में है। 27 दिसंबर को पुलिस ने जगह तय करके नपाई भी शुरू करा दी। नींव की भी खुदाई शुरू हो गई। इस चौकी को बनाने के पीछे प्रशासन ने तर्क दिया कि भविष्य में कोई अनहोनी से बचने के लिए यहां पुलिस चौकी बनाई जा रही है। यहां 24 घंटे पुलिस तैनात रहेगी। यहां तक तो ठीक था, लेकिन जैसे ही इस पुलिस चौकी का नाम सत्यव्रत पुलिस चौकी रखा गया, वैसे ही यह पुलिस पूरे देश में मशहूर हो गई। इस नाम के पीछे तर्क है कि यह जिले का पौराणिक नाम था। ऐसे में, सवाल उठता है कि कहां से आया ‘सत्यव्रत नगर’ नाम, इसकी ऐतिहासिकता क्या है, संभल के अब तक कितने नाम रहे, राज्य में किन-किन जिलों के नाम पौराणिक करने की मांग उठी। भास्कर एक्सप्लेनर में संभल सहित राज्य के अन्य शहरों के पौराणिक नाम करने के पीछे की पूरी कहानी जानिए… पहले संभल के ‘सत्यव्रत नगर’ रहने की कहानी- सतयुग में संभल संब्रित, संभलेश्वर या सत्यव्रत नगर था लेखक बृजेंद्र मोहन शंखधर अपनी किताब संभल: अ हिस्टोरिक सर्वे में कहते हैं- सतयुग में संभल का नाम संब्रित, संभलेश्वर या सत्यव्रत नगर था। वहीं, त्रेतायुग में संभल का नाम महदगिरी मिलता है। द्वापर युग में इस जगह का नाम पिंगल मिलता है। हिंदू धर्म में समय को चार युगों में बांटने का संदर्भ सबसे पहले महाभारत और रामायण जैसे महाकाव्यों में मिलता है। महाभारत के मुताबिक भगवान विष्णु ने चार युगों को बनाया है। इन महाकाव्यों में मानव के पूरे इतिहास को इन चार युगों में समेटा गया है। हिंदू खगोल विज्ञान के मुताबिक सतयुग 17 लाख 28 हजार साल का था। फिर त्रेतायुग 12 लाख 96 हजार का, द्वापरयुग 8 लाख 64 हजार साल और कलियुग 4 लाख 32 हजार साल का होगा। इस गणना के मुताबिक संभल में पुलिस चौकी का नाम उस जगह के करीब 39 लाख साल पहले के नाम पर रखा गया है। पुराणों, महाकाव्यों के समय से ‘संभल’ नाम चला आ रहा हिंदू परंपरा के मुताबिक कलयुग में इस जगह का नाम ‘संभल’ ही मिलता है। भगवत पुराण से लेकर कल्कि पुराण तक में संभल का जिक्र आता है। भगवत पुराण में कहा गया है- जब मानव जीवन 30 साल से कम रह जाएगा, जब मानवजाति पूरी तरह से बेईमान हो जाएगी, फकीरों की बातों का कोई महत्व नहीं रह जाएगा। लोग आपस में लूटपाट करने लगेंगे, जब गायों का बकरियों की तरह इस्तेमाल होने लगेगा और जब दवाओं का असर खत्म हो जाएगा, जब पेड़ों पर फल नहीं लगेंगे और बारिश पृथ्वी को छोड़ देगी, तब दुनिया में संभल नाम के जगह पर भगवान कल्कि प्रकट होंगे। इसी तरह महाभारत, ब्रह्मांड पुराण, श्रीमद्भागवत पुराण से लेकर कल्कि पुराण तक में संभल नाम का जिक्र मिलता है। लेखक बृजेंद्र मोहन शंखधर अपनी किताब संभल: अ हिस्टोरिक सर्वे में बताते हैं- छठी शताब्दी ईसा पूर्व में संभल 16 महाजनपदों में से एक अहिच्छत्र की राजधानी पांचाल का हिस्सा था। संभल का नाम पृथ्वीराज नगर करने की उठ चुकी है मांग 2017 में योगी आदित्यनाथ यूपी के सीएम बने। उनके पहले कार्यकाल में ही संभल जिले का नाम बदलने की मांग उठ चुकी है। हालांकि, वह सतयुग का नाम सत्यव्रत नगर नहीं था। वह नाम था- पृथ्वीराज नगर। संभल के चंदौसी विधानसभा सीट से विधायक और सरकार में राज्यमंत्री गुलाब देवी ने 2021 में संभल जिले का नाम पृथ्वीराज चौहान के नाम पर पृथ्वीराज नगर किए जाने की मांग की थी। दरअसल, कहा जाता है कि 12वीं सदी में राजपूत शासक पृथ्वीराज चौहान ने दिल्ली से लेकर अजमेर तक फैले अपने राज्य की राजधानी संभल को बनाया था। राज्य में और किन जिलों के नाम बदले गए इलाहाबाद और फैजाबाद जैसे जिलों के पौराणिक नाम रखे संभल का सतयुग में सत्यव्रत नगर नाम से पुलिस चौकी बनाए जाने के बीच यूपी में जिलों को उनका पौराणिक नाम देने का भी इतिहास है। वर्तमान में भी कई जिलों का नाम उनका पौराणिक नाम रखने की मांग उठती रही है। 2017 में पहली बार मुख्यमंत्री बनने के बाद से योगी आदित्यनाथ की सरकार ने कई जिलों का नाम बदला है। इसमें सबसे ऊपर नाम आता है- इलाहाबाद और फैजाबाद का। योगी आदित्यनाथ ने अपने पहले कार्यकाल में इन दो जिलों का नाम बदला था। 18 अक्टूबर, 2018 को इलाहाबाद जिले का नाम बदलकर प्रयागराज कर दिया। प्रयागराज दरअसल इलाहाबाद का पौराणिक नाम है। पुराणों में इसका तीर्थों के स्वामी के रूप में जिक्र मिलता है। इसी तरह 23 नवंबर, 2018 को फैजाबाद का नाम बदलकर अयोध्या कर दिया गया। अयोध्या भी श्रीराम के जन्मस्थान के रूप में प्रसिद्ध उस जगह का पौराणिक नाम है। संभल तहसील जिला बना तो नाम पड़ा भीमनगर जिलों का नाम बदलने का काम सिर्फ योगी सरकार तक सीमित हो, ऐसा नहीं है। इससे पहले की सपा और बसपा सरकारों में भी जिलों के नाम बदले जाते रहे हैं। बस फर्क इतना होता है कि सभी पार्टियां अपनी राजनीतिक परिपाटी और विचारधारा के मुताबिक नाम बदलती हैं। इसकी चपेट में संभल जिला भी आ चुका है। संभल जिला साल 2011 में अस्तित्व में आया। तब प्रदेश में बसपा की सरकार थी। मुख्यमंत्री थीं मायावती। तब इस नए बने जिले का नाम भीमराव अंबेडकर के सम्मान में भीमनगर रखा गया। फिर आया साल 2012 और राज्य में सरकार बदल गई। अखिलेश यादव के नेतृत्व में सपा ने सरकार बनाई। तब भीमनगर का नाम बदलकर वापस संभल कर दिया गया। यूपी के 12 जगहों के नाम बदलकर पौराणिक नाम रखने की मांग योगी आदित्यनाथ की दूसरी बार सरकार बनने के बाद से 12 जगहों का नाम बदलने की मांग बढ़ने लगी है। इसमें एक नाम संभल का भी है। इसके अलावा अलीगढ़, फर्रुखाबाद, सुल्तानपुर, फिरोजाबाद, शाहजहांपुर, आगरा, मैनपुरी, गाजीपुर, देवबंद, रसूलाबाद और सिकंदरा हैं। इन भौगोलिक क्षेत्रों के लिए पुराणों में जिस नाम का जिक्र है, हिंदू संगठनों की मांग है कि बदलकर वही नाम कर दिया जाए। संभल की सत्यव्रत नगर पुलिस चौकी से जुड़ी यह खबर भी पढ़िए… संभल में वक्फ की जमीन पर बन रही पुलिस चौकी:ओवैसी का दावा; भाजपा बोली-क्या आतंकियों का अड्डा बनाया जाए; 6 मकानों पर बुलडोजर चला संभल में जामा मस्जिद के बगल पुलिस चौकी की दीवारें करीब 10 फीट ऊंची उठ चुकी हैं। 20 राजमिस्त्री और 45 मजदूरों को लगाया गया है। एएसपी श्रीशचंद्र खुद मॉनिटरिंग कर रहे हैं। 20-25 RAF के जवान तैनात हैं। मंगलवार को AIMIM चीफ असदुद्दीन ओवैसी ने पुलिस चौकी के निर्माण पर सवाल उठा दिए हैं। उन्होंने X पर दस्तावेज शेयर किया। लिखा- संभल की जामा मस्जिद के पास जो पुलिस चौकी बनाई जा रही है, वह वक्फ नंबर 39-A, मुरादाबाद की जमीन पर है, जैसा कि रिकॉर्ड में दर्ज है। पढ़ें पूरी खबर… यूपी का संभल डेढ़ महीने से चर्चा में है। पहले हरिहर मंदिर के दावे को लेकर जामा मस्जिद के सर्वे का ऑर्डर, फिर सर्वे दौरान भड़की हिंसा और अब मंदिरों का मिलना। अब वहां एक पुलिस चौकी बनाई जा रही है। यह जामा मस्जिद के ठीक बगल में है। 27 दिसंबर को पुलिस ने जगह तय करके नपाई भी शुरू करा दी। नींव की भी खुदाई शुरू हो गई। इस चौकी को बनाने के पीछे प्रशासन ने तर्क दिया कि भविष्य में कोई अनहोनी से बचने के लिए यहां पुलिस चौकी बनाई जा रही है। यहां 24 घंटे पुलिस तैनात रहेगी। यहां तक तो ठीक था, लेकिन जैसे ही इस पुलिस चौकी का नाम सत्यव्रत पुलिस चौकी रखा गया, वैसे ही यह पुलिस पूरे देश में मशहूर हो गई। इस नाम के पीछे तर्क है कि यह जिले का पौराणिक नाम था। ऐसे में, सवाल उठता है कि कहां से आया ‘सत्यव्रत नगर’ नाम, इसकी ऐतिहासिकता क्या है, संभल के अब तक कितने नाम रहे, राज्य में किन-किन जिलों के नाम पौराणिक करने की मांग उठी। भास्कर एक्सप्लेनर में संभल सहित राज्य के अन्य शहरों के पौराणिक नाम करने के पीछे की पूरी कहानी जानिए… पहले संभल के ‘सत्यव्रत नगर’ रहने की कहानी- सतयुग में संभल संब्रित, संभलेश्वर या सत्यव्रत नगर था लेखक बृजेंद्र मोहन शंखधर अपनी किताब संभल: अ हिस्टोरिक सर्वे में कहते हैं- सतयुग में संभल का नाम संब्रित, संभलेश्वर या सत्यव्रत नगर था। वहीं, त्रेतायुग में संभल का नाम महदगिरी मिलता है। द्वापर युग में इस जगह का नाम पिंगल मिलता है। हिंदू धर्म में समय को चार युगों में बांटने का संदर्भ सबसे पहले महाभारत और रामायण जैसे महाकाव्यों में मिलता है। महाभारत के मुताबिक भगवान विष्णु ने चार युगों को बनाया है। इन महाकाव्यों में मानव के पूरे इतिहास को इन चार युगों में समेटा गया है। हिंदू खगोल विज्ञान के मुताबिक सतयुग 17 लाख 28 हजार साल का था। फिर त्रेतायुग 12 लाख 96 हजार का, द्वापरयुग 8 लाख 64 हजार साल और कलियुग 4 लाख 32 हजार साल का होगा। इस गणना के मुताबिक संभल में पुलिस चौकी का नाम उस जगह के करीब 39 लाख साल पहले के नाम पर रखा गया है। पुराणों, महाकाव्यों के समय से ‘संभल’ नाम चला आ रहा हिंदू परंपरा के मुताबिक कलयुग में इस जगह का नाम ‘संभल’ ही मिलता है। भगवत पुराण से लेकर कल्कि पुराण तक में संभल का जिक्र आता है। भगवत पुराण में कहा गया है- जब मानव जीवन 30 साल से कम रह जाएगा, जब मानवजाति पूरी तरह से बेईमान हो जाएगी, फकीरों की बातों का कोई महत्व नहीं रह जाएगा। लोग आपस में लूटपाट करने लगेंगे, जब गायों का बकरियों की तरह इस्तेमाल होने लगेगा और जब दवाओं का असर खत्म हो जाएगा, जब पेड़ों पर फल नहीं लगेंगे और बारिश पृथ्वी को छोड़ देगी, तब दुनिया में संभल नाम के जगह पर भगवान कल्कि प्रकट होंगे। इसी तरह महाभारत, ब्रह्मांड पुराण, श्रीमद्भागवत पुराण से लेकर कल्कि पुराण तक में संभल नाम का जिक्र मिलता है। लेखक बृजेंद्र मोहन शंखधर अपनी किताब संभल: अ हिस्टोरिक सर्वे में बताते हैं- छठी शताब्दी ईसा पूर्व में संभल 16 महाजनपदों में से एक अहिच्छत्र की राजधानी पांचाल का हिस्सा था। संभल का नाम पृथ्वीराज नगर करने की उठ चुकी है मांग 2017 में योगी आदित्यनाथ यूपी के सीएम बने। उनके पहले कार्यकाल में ही संभल जिले का नाम बदलने की मांग उठ चुकी है। हालांकि, वह सतयुग का नाम सत्यव्रत नगर नहीं था। वह नाम था- पृथ्वीराज नगर। संभल के चंदौसी विधानसभा सीट से विधायक और सरकार में राज्यमंत्री गुलाब देवी ने 2021 में संभल जिले का नाम पृथ्वीराज चौहान के नाम पर पृथ्वीराज नगर किए जाने की मांग की थी। दरअसल, कहा जाता है कि 12वीं सदी में राजपूत शासक पृथ्वीराज चौहान ने दिल्ली से लेकर अजमेर तक फैले अपने राज्य की राजधानी संभल को बनाया था। राज्य में और किन जिलों के नाम बदले गए इलाहाबाद और फैजाबाद जैसे जिलों के पौराणिक नाम रखे संभल का सतयुग में सत्यव्रत नगर नाम से पुलिस चौकी बनाए जाने के बीच यूपी में जिलों को उनका पौराणिक नाम देने का भी इतिहास है। वर्तमान में भी कई जिलों का नाम उनका पौराणिक नाम रखने की मांग उठती रही है। 2017 में पहली बार मुख्यमंत्री बनने के बाद से योगी आदित्यनाथ की सरकार ने कई जिलों का नाम बदला है। इसमें सबसे ऊपर नाम आता है- इलाहाबाद और फैजाबाद का। योगी आदित्यनाथ ने अपने पहले कार्यकाल में इन दो जिलों का नाम बदला था। 18 अक्टूबर, 2018 को इलाहाबाद जिले का नाम बदलकर प्रयागराज कर दिया। प्रयागराज दरअसल इलाहाबाद का पौराणिक नाम है। पुराणों में इसका तीर्थों के स्वामी के रूप में जिक्र मिलता है। इसी तरह 23 नवंबर, 2018 को फैजाबाद का नाम बदलकर अयोध्या कर दिया गया। अयोध्या भी श्रीराम के जन्मस्थान के रूप में प्रसिद्ध उस जगह का पौराणिक नाम है। संभल तहसील जिला बना तो नाम पड़ा भीमनगर जिलों का नाम बदलने का काम सिर्फ योगी सरकार तक सीमित हो, ऐसा नहीं है। इससे पहले की सपा और बसपा सरकारों में भी जिलों के नाम बदले जाते रहे हैं। बस फर्क इतना होता है कि सभी पार्टियां अपनी राजनीतिक परिपाटी और विचारधारा के मुताबिक नाम बदलती हैं। इसकी चपेट में संभल जिला भी आ चुका है। संभल जिला साल 2011 में अस्तित्व में आया। तब प्रदेश में बसपा की सरकार थी। मुख्यमंत्री थीं मायावती। तब इस नए बने जिले का नाम भीमराव अंबेडकर के सम्मान में भीमनगर रखा गया। फिर आया साल 2012 और राज्य में सरकार बदल गई। अखिलेश यादव के नेतृत्व में सपा ने सरकार बनाई। तब भीमनगर का नाम बदलकर वापस संभल कर दिया गया। यूपी के 12 जगहों के नाम बदलकर पौराणिक नाम रखने की मांग योगी आदित्यनाथ की दूसरी बार सरकार बनने के बाद से 12 जगहों का नाम बदलने की मांग बढ़ने लगी है। इसमें एक नाम संभल का भी है। इसके अलावा अलीगढ़, फर्रुखाबाद, सुल्तानपुर, फिरोजाबाद, शाहजहांपुर, आगरा, मैनपुरी, गाजीपुर, देवबंद, रसूलाबाद और सिकंदरा हैं। इन भौगोलिक क्षेत्रों के लिए पुराणों में जिस नाम का जिक्र है, हिंदू संगठनों की मांग है कि बदलकर वही नाम कर दिया जाए। संभल की सत्यव्रत नगर पुलिस चौकी से जुड़ी यह खबर भी पढ़िए… संभल में वक्फ की जमीन पर बन रही पुलिस चौकी:ओवैसी का दावा; भाजपा बोली-क्या आतंकियों का अड्डा बनाया जाए; 6 मकानों पर बुलडोजर चला संभल में जामा मस्जिद के बगल पुलिस चौकी की दीवारें करीब 10 फीट ऊंची उठ चुकी हैं। 20 राजमिस्त्री और 45 मजदूरों को लगाया गया है। एएसपी श्रीशचंद्र खुद मॉनिटरिंग कर रहे हैं। 20-25 RAF के जवान तैनात हैं। मंगलवार को AIMIM चीफ असदुद्दीन ओवैसी ने पुलिस चौकी के निर्माण पर सवाल उठा दिए हैं। उन्होंने X पर दस्तावेज शेयर किया। लिखा- संभल की जामा मस्जिद के पास जो पुलिस चौकी बनाई जा रही है, वह वक्फ नंबर 39-A, मुरादाबाद की जमीन पर है, जैसा कि रिकॉर्ड में दर्ज है। पढ़ें पूरी खबर… उत्तरप्रदेश | दैनिक भास्कर
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Rajasthan Weather: मूसलाधार बरसात ने बिगाड़ी धौलपुर की सूरत, जलभराव वाले स्थानों से दूरी बनाये रखने की अपील
Rajasthan Weather: मूसलाधार बरसात ने बिगाड़ी धौलपुर की सूरत, जलभराव वाले स्थानों से दूरी बनाये रखने की अपील <p style=”text-align: justify;”><strong>Rajasthan Rainfall:</strong> पूर्वी राजस्थान में कई दिनों से बारिश का सिलसिला जारी है. धौलपुर जिले में जगह-जगह जलभराव की स्थिति बन गयी है. बरसात के पानी से नदी- नाले में उफान आ गया है. पुलिस प्रशासन ने जलबहाव और जलभराव वाले स्थानों से दूरी बनाये रखने की अपील की है. बता दें कि बरसात से नदियों ,बांधों और जलाशयों में जलस्तर बढ़ा है. नदियों में पानी की आवक को देखते हुए युवक रील बनाने और नहाने के लिए पहुंच रहे हैं.</p>
<p style=”text-align: justify;”>प्रदेश में कई लोगों की डूबकर मरने की घटना सामने आ चुकी है. हादसों को रोकने के लिए पुलिस और प्रशासन की टीम मुस्तैद है. जलबहाव और जल भराव क्षेत्र में जाने से लोगों को मना किया जा रहा है. बरसात के बीच मौसम विभाग ने भी अलर्ट जारी किया. पूर्वी राजस्थान में 5 दिन तक मानसून सक्रिय रहने वाला है. बारिश से लोगों को अभी निजात मिलने वाली नहीं है. कहीं-कहीं भारी बरसात होने का पूर्वानुमान मौसम विभाग ने लगाया है. मौसम विभाग की चेतावनी के बाद प्रशासन भी अलर्ट मोड पर आ गया है. लोगों की सुरक्षा के लिए जलबहाव और जलभराव की जगह पर कर्मचारी तैनात कर दिए गये हैं. </p>
<p style=”text-align: justify;”><br /><img src=”https://feeds.abplive.com/onecms/images/uploaded-images/2024/08/12/b54d3fc1832f76ebc01c30d99fca6a671723485241415211_original.png” /></p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>धौलपुर जिले में जगह-जगह जलभराव की स्थिति</strong></p>
<p style=”text-align: justify;”>पुलिस अधीक्षक सुमित मेहरड़ा ने बताया है कि आसपास के जिलों में बहुत बरसात हो रही है. बरसात के पानी से नदियां लबालब भर गयी हैं. ऐसे में देखा जा रहा है कि लोग पिकनिक मनाने या रील बनाने के लिए तट किनारे पहुंच रहे हैं. इसलिए धौलपुर की आम जनता से अपील है कि अपनी सुरक्षा का खुद ध्यान रखें. सभी जगह पुलिस और प्रशासन के लोग तैनात कर दिए गये हैं. पुलिस स्टाफ या सरकारी कर्मचारियों के निर्देशों का पालन करें. बरसात के लिए सरकार की तरफ से जारी गाइडलाइन को गंभीरतापूर्वक लें. </p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>ये भी पढ़ें-</strong></p>
<p style=”text-align: justify;”><strong><a title=”हर घर तिरंगा अभियान के तहत डीग में निकाली गई तिरंगा यात्रा, 15 अगस्त तक होंगे कार्यक्रम” href=”https://www.abplive.com/states/rajasthan/independence-day-2024-tricolor-yatra-organised-under-har-ghar-tiranga-abhiyan-in-bharatpur-deeg-ann-2759635″ target=”_self”>हर घर तिरंगा अभियान के तहत डीग में निकाली गई तिरंगा यात्रा, 15 अगस्त तक होंगे कार्यक्रम</a></strong></p>
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SC कमीशन ने हिसार एसपी को भेजा नोटिस:7 दिनों में मांगा जवाब; 4 पुलिसकर्मियों ने दलित युवक को दी थी थर्ड डिग्री
SC कमीशन ने हिसार एसपी को भेजा नोटिस:7 दिनों में मांगा जवाब; 4 पुलिसकर्मियों ने दलित युवक को दी थी थर्ड डिग्री हरियाणा के हिसार में दलित युवक को थर्ड डिग्री देने का मामला राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग (SC कमीशन) पहुंच गया है। इस मामले में अयोग ने हिसार एसपी को नोटिस देकर 7 दिनों के अंदर जवाब मांगा है। भीम आर्मी जिला महासचिव अमित जाटव के साथ बस स्टैंड चौकी के 4 पुलिसकर्मियों ने थर्ड डिग्री टॉर्चर किया था। पीड़ित ने बताया कि उनके साथ 23 सितंबर 2024 की रात्रि बस स्टैंड चौकी हिसार के 4 पुलिसकर्मियों ने दुर्व्यवहार कर थर्ड डिग्री दी थी। इस मामले में 42 दिन बाद सिटी थाना में मुकदमा दर्ज हुआ था। लेकिन पीड़ित की शिकायत को नजरअंदाज कर जांच अधिकारी महेंद्र ने जानबूझकर आरोपी को फायदा पहुंचाने के लिए बयानों के अनुसार धारा ना लगाकर और 2 पुलिसकर्मियों का नाम एफआईआर में नहीं जोड़कर केस को कमजोर कर दिया था। डीएसपी, एसपी और आईजी को गुहार लगाने के बाद भी कोई सुनवाई नहीं हुई। तब पीड़ित अमित जाटव ने राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग को इनकी शिकायत भेजी थी। जिस पर आयोग ने एसपी को तलब कर 7 दिनों में जवाब मांगा है। राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग की ओर से भेजा गया नोटिस… अमित ने शिकायत में बताया उस रात का वाकया… 1. रात को पुलिस ने बेवजह रोका, डंडे मारे
मिल गेट शिवनगर निवासी अमित ने बताया था कि 23 सितंबर की रात को अपने सेक्टर 1-4 निवासी दोस्त संदीप की मम्मी से मिलने सेवक सभा अस्पताल गया था। साथ में दोस्त भी था। संदीप की मम्मी से मिले के बाद हम घूमने के लिए नीलम सिनेमा वाले रोड पर चले गए। रात करीब 10.30 बजे बाइक पर दो पुलिसकर्मी वाले आए और हमे रोक लिया, जिनका नाम बसाउराम और सुरेश था। पुलिस कर्मचारियों ने पूछा कि कहां के हो। हमने अपना पूरा पता बता दिया। पुलिस वाले बसाउराम ने मेरा आधार कार्ड मांगा तो मैंने कहा कि आधार कार्ड नहीं है। मैं फोन में अपना आधार देखने लगा तो बसाउ ने मुझे गालियां दी। मैंने कहा कि सर गाली मत दो। तभी दोनों बाइक से उतर कर हमें मारने लगे। इतना ही नहीं हाथ में डंडे लेकर मारने लगे। मुझे जबरन बाइक पर बैठाने लगे तो बाइक गिर गई। 2. मैं डर के भागने लगा तो जबरन ऑटो से चौकी ले गए
अमित ने बताया कि मैं डर के मारे भागने लगा, तभी पीछे से होमगार्ड बसाउराम एक ऑटो में आया और मुझे जबरदस्ती ऑटो में डाल दिया और मेरा फोन व 1300 रुपए छीन लिए, और मेरे को ऑटो में जबरदस्ती बैठाकर हिसार बस अड्डा चौकी के पास अलग कमरे में ले गए। तभी बसाउ ने फोन करके बाइक सवार दूसरे सिपाहियों को बुला लिया और मुझे एक कमरे में बंद करके बसाउराम, सुरेश और बाइक सवार 2 सिपाहियों ने मिलकर मुझे प्लास्टिक के डंडे से बुरी तरह मारा। तभी एक सिपाही ने पूछा क्या जाति है तेरी? तभी मैंने कहा कि मैं भीम आर्मी चलाता हूं। भीम आर्मी का जिला महासचिव हूं। इसके बाद पुलिसकर्मी और पीटने लगे और कहा कि तूने कहीं शिकायत की तो जान से मार देंगे। जाते वक्त मेरा फोन मुझे दे दिया, मैंने मेरे 1300 रुपए तो मांगे तो बोले भाग जा नहीं तो दोबारा पीटेंगे। इसके बाद मैं सरकारी अस्पताल दाखिल हो गया। 3. शिकायत के 42 दिन बाद केस दर्ज हुआ
अमित का कहना है कि शिकायत करने के 42 दिन बाद सिटी थाने पर आरोपी पुलिस कर्मी बसाउराम, एसपीओ सुरेश सहित दो अन्य पुलिस कर्मियों के खिलाफ धारा 115(2), 127(2), 351(2), 3(5) के तहत केस दर्ज कर लिया था। अब अमित का कहना है कि शिकायत के मुताबिक इसमें धाराएं नहीं जोड़ी गई। बल्कि हल्की धाराएं लगाकर पुलिसकर्मियों को बचाने का प्रयास किया गया।