सहारनपुर में आजाद समाज पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष और नगीना के सांसद चंद्रशेखर ने प्रदेश और केंद्र सरकार पर जोरदार हमला बोला। उन्होंने कहा कि यदि सरकार से बुनियादी सुविधाओं, रोजगार और लोगों के मकानों को लेकर सवाल पूछोगे तो उनके पास कोई जवाब नहीं होता। वह कहते हैं कि सरकारें जब करने पर आती हैं तो बड़ा बदलाव कर सकती हैं। चंद्रशेखर ने कटाक्ष करते हुए कहा, “सरकार बहुत अच्छा काम कर रही है, अब हम इसके बारे में क्या कहें? कुंभ मेले में वही लोग जाएंगे जिन्होंने पाप किया है। जिसने पाप किया है वही जाएं। लेकिन कोई बताता है क्या जब कोई पाप करता है?” उन्होंने कहा कि आजाद समाज पार्टी उन गरीब और कमजोर वर्गों के लिए लड़ाई लड़ रही है, जिन्हें हजारों सालों तक धर्म और संप्रदाय के नाम पर अपमानित किया गया। उन्होंने कहा, “आज भी मीडिया, पुलिस, प्रशासन और न्यायपालिका कमजोर वर्गों के खिलाफ खड़ी नजर आती है। हम उन लोगों को सम्मान दिलाने के लिए संघर्ष कर रहे हैं, जिन्हें आजादी के इतने साल बाद भी इज्जत की जिंदगी नहीं मिली है।” संभल हिंसा की फाइल दोबारा खोलने पर चंद्रशेखर ने कहा कि जिनका चुनावी एजेंडा ही हिंदू-मुस्लिम विभाजन पर आधारित हो, उनसे किसी सुधार की उम्मीद करना बेकार है। उन्होंने कहा, “यदि नौजवान रोजगार की मांग करेगा तो उसे लाठियां पड़ेंगी।” मुजफ्फरनगर में एक करोड़ 80 लाख की डकैती का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा, “वहां एक व्यक्ति को पीट-पीटकर मार दिया गया। बागपत के एक युवक को इंसाफ नहीं मिला, तो उसने पार्लियामेंट के सामने आत्मदाह कर लिया। मौर्य जी को पुलिस ने पीट-पीटकर मार डाला। उत्तर प्रदेश में हालात इतने खराब हैं कि यहां जंगलराज है। मुख्यमंत्री तानाशाही रवैया अपना रहे हैं। उन्हें जो मन में आता है, वही करते हैं। यहां किसी की भी जान कब चली जाए, कहा नहीं जा सकता। मेरी भी हत्या की कोशिश की गई थी।” चंद्रशेखर ने ऐलान किया कि आजाद समाज पार्टी उत्तर प्रदेश के मिल्कीपुर और दिल्ली में मजबूती से चुनाव लड़ेगी। उन्होंने गठबंधन पर कहा कि यदि अच्छे लोग साथ आएंगे, तो इससे गरीबों का समीकरण मजबूत होगा और भाजपा को हराया जा सकता है। आजम खान के साथ उनकी नजदीकियों पर उन्होंने कहा, “यदि इससे किसी को परेशानी है, तो यह उनका नजरिया है। अच्छे लोगों के साथ आने से ही भाजपा को रोका जा सकता है।” चंद्रशेखर ने कहा कि गरीबों और कमजोर वर्गों की लड़ाई जारी रहेगी। “हम चाहते हैं कि हर व्यक्ति को सम्मान और बुनियादी सुविधाएं मिलें। सरकार को जवाबदेह बनाने का यह संघर्ष लंबे समय तक चलेगा।” सहारनपुर में आजाद समाज पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष और नगीना के सांसद चंद्रशेखर ने प्रदेश और केंद्र सरकार पर जोरदार हमला बोला। उन्होंने कहा कि यदि सरकार से बुनियादी सुविधाओं, रोजगार और लोगों के मकानों को लेकर सवाल पूछोगे तो उनके पास कोई जवाब नहीं होता। वह कहते हैं कि सरकारें जब करने पर आती हैं तो बड़ा बदलाव कर सकती हैं। चंद्रशेखर ने कटाक्ष करते हुए कहा, “सरकार बहुत अच्छा काम कर रही है, अब हम इसके बारे में क्या कहें? कुंभ मेले में वही लोग जाएंगे जिन्होंने पाप किया है। जिसने पाप किया है वही जाएं। लेकिन कोई बताता है क्या जब कोई पाप करता है?” उन्होंने कहा कि आजाद समाज पार्टी उन गरीब और कमजोर वर्गों के लिए लड़ाई लड़ रही है, जिन्हें हजारों सालों तक धर्म और संप्रदाय के नाम पर अपमानित किया गया। उन्होंने कहा, “आज भी मीडिया, पुलिस, प्रशासन और न्यायपालिका कमजोर वर्गों के खिलाफ खड़ी नजर आती है। हम उन लोगों को सम्मान दिलाने के लिए संघर्ष कर रहे हैं, जिन्हें आजादी के इतने साल बाद भी इज्जत की जिंदगी नहीं मिली है।” संभल हिंसा की फाइल दोबारा खोलने पर चंद्रशेखर ने कहा कि जिनका चुनावी एजेंडा ही हिंदू-मुस्लिम विभाजन पर आधारित हो, उनसे किसी सुधार की उम्मीद करना बेकार है। उन्होंने कहा, “यदि नौजवान रोजगार की मांग करेगा तो उसे लाठियां पड़ेंगी।” मुजफ्फरनगर में एक करोड़ 80 लाख की डकैती का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा, “वहां एक व्यक्ति को पीट-पीटकर मार दिया गया। बागपत के एक युवक को इंसाफ नहीं मिला, तो उसने पार्लियामेंट के सामने आत्मदाह कर लिया। मौर्य जी को पुलिस ने पीट-पीटकर मार डाला। उत्तर प्रदेश में हालात इतने खराब हैं कि यहां जंगलराज है। मुख्यमंत्री तानाशाही रवैया अपना रहे हैं। उन्हें जो मन में आता है, वही करते हैं। यहां किसी की भी जान कब चली जाए, कहा नहीं जा सकता। मेरी भी हत्या की कोशिश की गई थी।” चंद्रशेखर ने ऐलान किया कि आजाद समाज पार्टी उत्तर प्रदेश के मिल्कीपुर और दिल्ली में मजबूती से चुनाव लड़ेगी। उन्होंने गठबंधन पर कहा कि यदि अच्छे लोग साथ आएंगे, तो इससे गरीबों का समीकरण मजबूत होगा और भाजपा को हराया जा सकता है। आजम खान के साथ उनकी नजदीकियों पर उन्होंने कहा, “यदि इससे किसी को परेशानी है, तो यह उनका नजरिया है। अच्छे लोगों के साथ आने से ही भाजपा को रोका जा सकता है।” चंद्रशेखर ने कहा कि गरीबों और कमजोर वर्गों की लड़ाई जारी रहेगी। “हम चाहते हैं कि हर व्यक्ति को सम्मान और बुनियादी सुविधाएं मिलें। सरकार को जवाबदेह बनाने का यह संघर्ष लंबे समय तक चलेगा।” उत्तरप्रदेश | दैनिक भास्कर
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लखनऊ विश्वविद्यालय विदेशी रिसर्चर्स की पहली पसंद:कुलपति बोले- स्टार्टअप और इन्क्यूबेशन पर बढ़ाना होगा फोकस; मॉडर्न कोर्स में बनेंगे लीडर
लखनऊ विश्वविद्यालय विदेशी रिसर्चर्स की पहली पसंद:कुलपति बोले- स्टार्टअप और इन्क्यूबेशन पर बढ़ाना होगा फोकस; मॉडर्न कोर्स में बनेंगे लीडर लखनऊ विश्वविद्यालय अब 104 साल का हो चुका है। कभी कैनिंग कॉलेज के नाम से इसकी स्थापना हुई थी। आज इस कॉलेज ने कामयाबी की गजब दास्तान पेश की है। लखनऊ विश्वविद्यालय के स्वर्णिम अतीत से लेकर उज्ज्वल भविष्य पर दैनिक भास्कर ने कुलपति प्रो.आलोक कुमार राय से खास बातचीत की। सवाल: 104 साल के सफर को आप कैसे देखते हैं?
जवाब: लखनऊ विश्वविद्यालय की यह यात्रा ग्लोरियस, हिस्टोरिकल और कंट्रिब्यूटिंग रही है। विश्वविद्यालय में अनेक नामचीन लोगों ने सेवा दी हैं। राधा कमल मुखर्जी हों, प्रोफेसर बीरबल साहनी, चाहे राधा कुमुद मुखर्जी की बात करें। चाहे डीएन मजूमदार की। सभी ने देश और प्रदेश में अपनी-अपनी भूमिका से विश्वविद्यालय को ख्याति दिलाई। यहां के स्टूडेंट देश विदेश में अपनी भूमिका निभा रहे हैं। राष्ट्र और समाज के विकास में वो काम कर रहे हैं। यही वजह है कि यह पूरी यात्रा ग्लोरियस, हिस्टोरिकल और कट्रीब्यूटिंग है। सवाल: अपने खुद के 2 टेन्योर के कॉन्ट्रिब्यूशन के बारें क्या कहेंगे?
जवाब: यह उसी का एक्सटेंशन है। हम कोविड के दौरान न सिर्फ एकेडमिक बल्कि सोसाइटी में भी अहम भूमिका निभाने में कामयाब रहे। लखनऊ विश्वविद्यालय जुलाई 2022 में प्रदेश का पहला विश्वविद्यालय बना जिसे NAAC में A++ का एक्रेडिशन मिला। फिर UGC की फर्स्ट कटेगरी विश्वविद्यालय बना। इसके बाद प्रदेश का पहला राज्य विश्वविद्यालय बना। रेगुलर यूनिवर्सिटी कटेगरी में NIRF में टॉप किया। इसमें 100वां स्थान प्राप्त हुआ। स्टेट यूनिवर्सिटी कटेगरी में पूरे भारत में 32वां स्थान रहा। सबसे पहले हम लोगों ने ऑनलाइन एजुकेशन शुरू किया। देश के कई बड़े सेंट्रल इंस्टीट्यूशन में एडमिशन को लेकर कोविड के आफ्टर इफेक्ट के बाद दिक्कत रही। तब हमने कई नए डिपार्टमेंट इंस्टीट्यूट इस्टेबलिश किया। इस साल करीब 1 लाख फॉर्म भरे गए। 10 हजार एडमिशन भी दिए गए। यूनिवर्सिटी लगातार एक्सपेंशन कर रही है। अलग-अलग विषयों में स्टूडेंट सर्वे कर रहे हैं। कुल मिलाकर यही कहना चाहूंगा कि जो कुछ भी शासन, सरकार और समाज की तरफ से अपेक्षित है वह सब कुछ यूनिवर्सिटी करने का प्रयास कर रही है। सवाल: आपको लगता है कि लखनऊ यूनिवर्सिटी अब यूपी की टॉप यूनिवर्सिटी बन चुकी है?
जवाब: रैंकिंग तो यही कहती है। ये बात मैं कहूंगा तो छोटे मुंह बड़ी बात होगी। सवाल: ऐसे कौन से काम हैं जो छूट गए या किसी कारण से पूरा नहीं पाए?
जवाब: अभी तक जितना प्रयास हुआ वो सब पूरा हुआ है। एक बड़ा विषय स्पोर्ट्स फील्ड है। इसमें यूनिवर्सिटी को जितनी उपलब्धि हासिल करनी चाहिए थी वो हम कर नहीं पाए। इसके पीछे कई वजह है। हालांकि कारणों का निदान किया जा रहा है। इसके अलावा एलुमिनाई से कंट्रब्यूशन के दिशा में भी काम करना होगा। बीते 5 सालों से हम फाउंडेशन डे पर डिस्टिंग्विश्ड एल्युमिनाई अवार्ड से उनसे कनेक्ट हैं। इंटरनेशनल एल्युमिनाई मीट का भी आयोजन होता है। सवाल: एकेडमिक सेशन डिले हो रहा है, इस पर क्या कहेंगे?
जवाब: मैं इसको स्ट्रांग्ली डिसएग्री करता हूं। एकेडमिक सत्र 24-25 में 16 जुलाई से क्लासेस शुरू हो गई हैं। सेकेंड ईयर ऑनवर्डस सभी कोर्सेज में 15 अगस्त तक एडमिशन भी हो गए थे। ज्यादातर डिपार्टमेंट में मिड सेम हो चुके हैं। कोर्स कम्पलीट हो गया है। दिसंबर फर्स्ट वीक से एग्जाम शुरू होंगे। सवाल: NEP में आप अगुवा रहे, ये आप ही नहीं सब मानते हैं, आगे के चैलेंज को कैसे देखते हैं?
जवाब – राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP) को देशभर में सबसे पहले लखनऊ विश्वविद्यालय ने इंप्लीमेंट किया। फोर्थ ईयर अंडरटेकर प्रोग्राम पूरी तरह से मैच्योर हो गया है। इसके अलावा वन ईयर पोस्ट ग्रेजुएट प्रोग्राम का आर्डिनेंस तैयार है। ड्यूल डिग्री और जॉइंट डिग्री प्रोग्राम के आर्डिनेंस तैयार हैं। हमारे 500 से ज्यादा जो कॉलेज हैं। उन्हें ऑन बोर्ड करने से पहले हमें कुछ बातों को देखना होगा। जैसे- रायबरेली में जो हमारा कॉलेज है। वहां पर रेल कोच कारखाना है। लखीमपुर में जो कॉलेज है, वहां चीनी मिल। ऐसे ही हरदोई में जहां आलू की खेती ज्यादा होती है उन क्षेत्रों में रोजगार के अवसर को देखते हुए अब इस दिशा में भी कदम उठाना है। पहले हम 9 वोकेशनल कोर्स करा रहे थे, अब हम 35 कोर्स करा रहे हैं। सवाल: NAAC की टॉप ग्रेडिंग मिले हुए 2 साल से ज्यादा का समय बीत चुका है, आप क्या बदलाव देखते हैं?
जवाब: स्टूडेंट, टीचर्स और नॉन टीचिंग स्टाफ का कॉन्फिडेंस बढ़ा है। इसका साइकोलॉजिकल इम्पैक्ट बहुत ज्यादा हुआ है। दूसरा इंस्टीट्यूशन के ब्रांडिंग पर भी असर पड़ा है। बाहर बच्चे भी कॉन्फिडेंस से कहते हैं कि 1 लाख से ज्यादा बच्चे एडमिशन के लिए अप्लाई करते हैं। रजिस्ट्रेशन कराने वाले स्टूडेंट्स की संख्या 2 लाख 44 हजार से ज्यादा है। ब्रांडिंग बढ़ी और हमारे स्टूडेंटस की एम्पलाईबिलिटी भी बढ़ी। हम देश में इकलौते ऐसे इंस्टीट्यूशन हैं जहां बीए, बीएससी और बीकॉम के 2 हजार से ज्यादा स्टूडेंट्स को निजी क्षेत्र में जॉब मिली है। इसी का नतीजा रहा कि NIRF की रैंकिंग में भी सुधार हुआ है। सवाल: इंटरनेशनल रैंकिंग और इंटरनेशनल स्टूडेंट्स पर आप कितना फोकस कर रहे?
जवाब: इंटरनेशनल स्टूडेंट्स के नंबर तेजी से बढ़े हैं। इसके अलावा रिसर्च इन रेजिडेंस प्रोग्राम शुरू किया है। इसमें फॉरेन से जो हमारे रिसर्चर आते हैं, उनके लिए भी अलग स्कीम शुरू की है। ‘प्रोफेसर ऑफ प्रैक्टिस’ में भी हमारे पास बहुत से लोग आ रहे हैं। टाइम्स हायर एजुकेशन और QAS रैंकिंग में भी हमारा एक स्थान है। हां, ये जरूर है कि इसमें हमें लगातार सुधार करते रहना है। सवाल: अगले साल के लिए आपके टॉप 3 टारगेट क्या होंगे?
जवाब: हमको ओवरऑल यूनिवर्सिटी NIRF रैंकिंग में टॉप 50 के अंदर आना है। इस पर हम फोकस कर रहे हैं। दूसरा हमारा फोकस इंफ्रास्ट्रक्चर पर है। यूनिवर्सिटी 104 साल पुरानी है। सरकार की पीएम ऊषा योजना के तहत हम इंफ्रास्ट्रक्चर को नया रूप दे रहे हैं। हमें एडवांस प्रोग्राम में लीडर शिप रोल में आना है। सवाल: बीते वर्ष आपने कहा था कि हम मेडिकल के क्षेत्र में भी आगे बढ़ना चाहते हैं, इसमें कहां तक पहुंचे।
जवाब: मेडिकल के क्षेत्र में हमारी रफ्तार धीमी है। नेचुरोपैथी हमने शुरू कर दिया है। एग्रीकल्चर के फील्ड में हम बड़ा काम करने जा रहे हैं। सरकार के सहयोग से जल्द नया कैंपस खुलेगा। इसमें हम एग्रीकल्चर और वेटरनरी साइंस की पढ़ाई शुरू होगी।
लुधियाना में पोटाश बम से युवक घायल:धमाके से पैर जला, गंभीर हालत में PGI रेफर, जख्मी व्यक्ति पेशे से दर्जी है
लुधियाना में पोटाश बम से युवक घायल:धमाके से पैर जला, गंभीर हालत में PGI रेफर, जख्मी व्यक्ति पेशे से दर्जी है लुधियाना में युवक लगातार पाइप में सल्फर-पोटाश लोहे को डालकर बम फोड़ रहे हैं। पोटाश बेचने वाले भी बिना किसी रोक-टोक के पोटाश (बारूद) बेच रहे हैं। बीती रात जनकपुरी इलाके में एक युवक के पैर में पोटाश-सल्फर बम लग गया। जिससे युवक गंभीर रूप से घायल हो गया। उसका पैर बुरी तरह जल गया। उसके दोस्त उसे सिविल अस्पताल लेकर आए। लेकिन उसकी गंभीर हालत को देखते हुए डॉक्टरों ने उसे पीजीआई रेफर कर दिया। घायल का नाम असलम है। जानकारी के अनुसार असलम जनकपुरी गली नंबर 6 का रहने वाला है। वह अपने दोस्तों के साथ लोहे की पाइप में पोटाश डालकर ब्लास्ट कर रहा था। अचानक उसके एक दोस्त ने पाइप में पोटाश बम डालकर उसके पैर के पास फोड़ दिया। धमाका इतना बड़ा था कि पोटाश बम ने पास खड़े असलम के पैर को पूरी तरह जला दिया। पैर की हालत बिगड़ती देख सिविल अस्पताल के डॉक्टरों ने उसे प्राथमिक उपचार देकर रेफर कर दिया। बातचीत करते हुए असलम ने बताया कि आज वह अपने दोस्तों के साथ बम फोड़ रहा था। तभी अचानक उसके पैर के पास विस्फोट हुआ। उसका पैर बुरी तरह जल गया है। वह पेशे से दर्जी है। अब उसे इलाज के लिए पीजीआई में भर्ती कराना पड़ेगा। वेल्डर 200 से 300 रुपए में नाल बनाते हैं बता दें कि हम उस पटाखे की बात कर रहे हैं, जिसे स्थानीय भाषा में ‘नाल’ कहा जाता है। इसे बनाने के लिए सबसे पहले पाइप और फिर लोहे की रॉड का इस्तेमाल किया जाता है। इसे वेल्डर बनाते हैं। यह ‘नाल’ करीब 200 से 300 रुपए में तैयार हो जाती है। इसके बाद इस पाइप के अंदर सल्फर और पोटाश का एक चुटकी मिश्रण डाला जाता है। आखिर में इसे लोहे की रॉड से मारा जाता है। इसके बाद पाइप से तेज आवाज निकलती है। एक किलो मिश्रण में एक हजार धमाके
मार्केट में एक किलो गंधक और पोटाश करीब 600 रुपए में आसानी से परचून सामान की दुकानों पर मिल जाती हैं। जानकार लोग बताते हैं कि एक किलो मिश्रण में नाल से करीब एक हजार बार धमाके किए जा सकते हैं। लोग इसे बेशक आतिशबाजी के विकल्प के तौर पर इस्तेमाल कर रहे हों, लेकिन धमाके में इस्तेमाल होने वाली वही चीजें हैं जो पटाखों में प्रयुक्त होती हैं।
Aligarh News: सनातन की तरफ बढ़ा रूझान या महंगाई की मार? क्रिसमस ने दुकानदारों को किया मायूस
Aligarh News: सनातन की तरफ बढ़ा रूझान या महंगाई की मार? क्रिसमस ने दुकानदारों को किया मायूस <p style=”text-align: justify;”><strong>Aligarh News Today:</strong> अलीगढ़ में इस बार क्रिसमस के अवसर पर बाजारों की रौनक फीकी पड़ गई है. जहां पहले दुकानदार हजारों क्रिसमस की पोशाक और अन्य सजावटी सामान बेच लिया करते थे, जबकि अब वे ग्राहकों की कमी से जूझ रहे हैं. तीस वर्ष से क्रिसमस का सामान बेचने वाले दुकानदारों का कहना है कि इस बार न सिर्फ बिक्री घटी है बल्कि त्योहार का उत्साह भी पहले जैसा नहीं रहा है.</p>
<p style=”text-align: justify;”>अलीगढ़ के रामघाट रोड पर दुकानदार नवीन पिछले 30 सालों से क्रिसमस त्योहार से जुड़ा सामान बेच रहे हैं. नवीन का कहना है कि पहले क्रिसमस के त्योहार को लोग बहुत धूमधाम से मनाते थे. इस दौरान लोग घर सजाने के लिए खूब सामान खरीदते थे, साथ में इससे जुड़ी पोशाक, क्रिसमस ट्री, गिफ्ट्स और अन्य सजावटी सामानों की खूब डिमांड रहती थी, हालांकि इस बार ग्राहकों की कमी से दुकानदार मायूस नजर आ रहे हैं.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>हिंदू त्योहारों और संस्कृति का असर?</strong><br />दुकानदारों का कहना है कि अब लोग क्रिसमस का त्योहार मनाने के लिए पहले जैसा उत्साह नहीं दिखा रहे हैं. कई लोगों का ध्यान अब हिंदू त्योहारों और सांस्कृतिक आयोजनों की ओर बढ़ रहा है. एक दुकानदार ने कहा, “पहले लोग क्रिसमस के लिए पहले से ही तैयारी कर लेते थे, लेकिन अब ऐसा नहीं है. बिक्री में भारी गिरावट आई है और लोग इस त्योहार को सीमित दायरे में मना रहे हैं.”</p>
<p style=”text-align: justify;”>रामघाट रोड, जो कभी क्रिसमस के सामानों से सजी दुकानों और ग्राहकों की भीड़ के लिए जाना जाता था, अब सुनसान दिखाई पड़ रहा है. दुकानदारों ने बताया कि इस बार उन्होंने उम्मीद से बहुत कम स्टॉक मंगवाया था फिर भी अधिकांश सामान बिक नहीं पाया है. कई दुकानों पर क्रिसमस ट्री, लाइटें और सजावटी वस्तुएं बिना खरीदारों के कमी की वजह से पड़ी हैं.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>क्रिसमस के जश्न पर महंगाई की मार</strong><br />स्थानीय लोगों का कहना है कि बढ़ती महंगाई और बदलती प्राथमिकताओं के कारण वे अब त्योहारों पर पहले जितना खर्च नहीं कर पाते. एक ग्राहक ने कहा, “क्रिसमस मनाना अच्छा लगता है, लेकिन अब चीजें महंगी हो गई हैं. त्योहार सादगी से मनाना ज्यादा सही लगता है.”</p>
<p style=”text-align: justify;”>क्रिसमस के उत्साह में आई कमी सिर्फ बाजारों तक ही सीमित नहीं है. स्थानीय चर्चों और स्कूलों में भी इस बार कार्यक्रमों की संख्या कम हो गई है. हालांकि, कुछ परिवार और समुदाय अब भी क्रिसमस को पारंपरिक तरीके से मना रहे हैं, लेकिन उनकी संख्या कम होती जा रही है. दुकानदार अब नए साल की तैयारियों पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं. </p>
<p style=”text-align: justify;”>दुकानदारों का कहना है कि अगर क्रिसमस में नुकसान हुआ है, तो शायद नए साल का बाजार कुछ राहत दे सके. एक अन्य दुकानदार ने कहा, “हम हर साल उम्मीद रखते हैं कि स्थिति बेहतर होगी. शायद आने वाले सालों में लोग फिर से इस त्योहार को उत्साह से मनाने लगें.” </p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>ये भी पढ़ें: <a title=”रामायण- महाभारत पढ़ने पर फिर कुमार विश्वास ने दिया जोर, कहा- ‘मित्र दुर्योधन निकल जाए तो…'” href=”https://www.abplive.com/states/up-uk/atal-bihari-vajpayee-jayanti-in-lucknow-kumar-vishwas-remarks-on-mahabharat-and-ramayana-study-2849767″ target=”_blank” rel=”noopener”>रामायण- महाभारत पढ़ने पर फिर कुमार विश्वास ने दिया जोर, कहा- ‘मित्र दुर्योधन निकल जाए तो…'</a></strong></p>