नवजोत सिद्धू के कैंसर ट्रीटमेंट दावे पर विवाद:पूर्व क्रिकेटर ने कहा- पत्नी का आयुर्वेदिक ढंग से इलाज किया; 262 डॉक्टर बोले- इसके सबूत नहीं

नवजोत सिद्धू के कैंसर ट्रीटमेंट दावे पर विवाद:पूर्व क्रिकेटर ने कहा- पत्नी का आयुर्वेदिक ढंग से इलाज किया; 262 डॉक्टर बोले- इसके सबूत नहीं

पंजाब कांग्रेस नेता और पूर्व क्रिकेटर नवजोत सिद्धू के पत्नी को कैंसर से ठीक करने वाले इलाज के दावे पर विवाद हो गया है। सिद्धू ने कहा था कि उन्होंने आयुर्वेदिक तरीके से पत्नी का इलाज किया। कैंसर सेल्स को बढ़ाने वाली मीठी चीजों को बंद किया। जिसके बाद पत्नी डॉ. नवजोत कौर सिद्धू कैंसर फ्री हो गईं। सिद्धू ने इस बारे में प्रेस कॉन्फ्रेंस भी की। इसका वीडियो वायरल होने के बाद अब टाटा मेमोरियल हॉस्पिटल की अगुआई में 262 ऑन्कोलॉजिस्ट ने इस दावे पर सवाल उठाए हैं। उन्होंने कहा है कि सिद्धू की बताई कुछ चीजों पर रिसर्च जरूर चल रही है, लेकिन इनसे ठीक हो जाने का दावा सही नहीं है। उन्होंने कहा कि सिद्धू के दावे के पर्याप्त सबूत नहीं हैं। ऐसे में लोगों को कैंसर जैसे लक्षण होने पर तुरंत अस्पताल में जांच करानी चाहिए। सबसे पहले पढ़िए, सिद्धू ने पत्नी के इलाज के बारे में क्या कहा… जेल से लौटा तो पत्नी का ऑपरेशन हो चुका था
पूर्व क्रिकेटर नवजोत सिंह सिद्धू ने कहा कि मेरी पत्नी डॉ. नवजोत कौर सिद्धू (नोनी) अब कैंसर फ्री हो चुकी हैं। मुझ पर जब यह आपदा आई तब मैं जेल में था। जब में जेल से छूट कर आया तब नोनी का ऑपरेशन हो चुका था। नोनी की कीमोथैरपी हुई, लंबे अरसे तक इसका इलाज चला। पूरा परिवार साथ खड़ा रहा। एक वक्त आया कि नोनी को लगा कि शायद मैं न बचूं तो बेटे की शादी करवा दो। तब नोनी अस्पताल में थी। बेटे की शादी के दौरान नोनी ने कुछ हफ्तों के लिए अपना इलाज मिस कर दिया। कुछ दिन बाद पता चला, कैंसर फिर हो गया
नवजोत सिंह सिद्धू ने आगे कहा- इलाज मिस किया तो कुछ दिनों बाद पता चला कि कैंसर फिर से हो गया है। इसमें सबसे बड़ी ये बात थी कि ये सारा इलाज भारत में हुआ। 40 प्रतिशत इलाज पटियाला राजिंदरा अस्पताल में हुआ और बाकी का इलाज यमुनानगर में हुआ। डॉक्टरों ने कहा कि सिर्फ 5 प्रतिशत चांस हैं। कैंसर स्किन में मिल गया है। मेरे एक दोस्त का बेटा अमेरिका से डॉक्टरी पढ़कर आया, उसने कहा कि कोई चांस नहीं है। मैंने घंटों पढ़कर बीमारी के बारे में रिसर्च की
सिद्धू बोले कि जब मुझे पता चला तो मैं घंटों पढ़ा, बीमारी के बारे में रिसर्च शुरू की। मैंने कुछ भी नहीं छोड़ा, फिर चाहे अमेरिकी डॉक्टर हों या आयुर्वेद हो। दिन में चार से पांच घंटे तक मैं रोज पढ़ता था कि कहीं कोई इलाज मिल सके। मैं जब डॉक्टरों से पूछा करूं तो डाइटिंग करवाने से सीधा मना कर देते। जब ये हुआ कि कोई चांस नहीं है तो फिर मैंने जो पढ़ा था, वही करना शुरू किया। मैंने अपनी बेटी के साथ मिलकर नोनी के लिए डाइट शुरू करवाई। सिद्धू बोले- जैसी डाइट से नोनी का इलाज हुआ, उसे हर कोई खा सकता सिद्धू ने आगे कहा- कई लोगों ने मुझे कहा कि आपके पास तो करोड़ों हैं, आप तो ठीक हो ही जाओगे। मगर एक आम इंसान कैसे ठीक होगा। मैंने कहा कि जैसी डाइट से नोनी का इलाज हुआ, इसे एक आम आदमी भी खा सकता है और अपने आपको बचा सकता है। सिद्धू ने आगे कहा- स्टेज-4 का कैंसर होने के बाद भी नोनी 40 दिनों के अंदर वापस आई है। लोग कहते हैं कि करोड़ों रुपए लगते हैं, मगर मैं कहना चाहता हूं कि नीम के पत्तों के क्या पैसे लगते हैं। कैंसर एक इंफ्लामेशन है, जोकि दूध, कार्बोहाइड्रेट्स (गेहूं), रिफाइंड शुगर (जैसे कि जलेबी) और मैदा जैसी चीजों से होता है। इसलिए इनको बंद कर दिया। सिद्धू ने कहा- फिर हमने नोनी की डाइट में वो चीजें एड की, जिसकी उसे जरूरत थी। नोनी को सुबह 10 बजे नींबू पानी दिया जाता था। जिसमें गर्म पानी, कच्ची हल्दी, एक लहसुन और सेब का सिरका होता था। इसके आधा घंटे बाद 10 से 12 नीम के पत्ते और तुलसी देते थे। चाय पूरी तरह से बंद कर दी गई थी। सुबह चाय की जगह नोनी को दाल चीनी, लौंग और छोटी इलायची इसमें नाम मात्र गुड़ मिलकर काढ़ा दिया जाता था। सिद्धू बोले- नोनी को डाइट में बेरीज और ड्राय फ्रूट्स दिए
सिद्धू ने आगे बताया कि नोनी की डाइट में नट्स एड किए गए थे। साथ ही सफेद पेठे का जूस दिया जाता था। इसके एक डेढ़ घंटे बाद ब्लू बेरीज देते थे। अगर कोई ब्लू बेरी नहीं अफोर्ड कर सकता तो उसकी जगह पर अनार दिया जा सकता है। अगर कोई अनार भी नहीं इस्तेमाल कर सकता तो आंवला सबसे अच्छा। ब्लैक बेरी (शहतूत) खाने से कैंसर को मात देने में बहुत मदद मिलती है। बेरीज के साथ एक गिलास चुकंदर, गाजर और आंवला का जूस और ड्राई फ्रूट दिए जाते थे। इसके बाद नोनी को कुछ नहीं दिया जाता था। देर शाम करीब साढ़े सात बजे नोनी को आखिरी में उबला हुआ किनोवा (बथुआ) दिया जाता था। अगर किनोवा नहीं तो बादाम के आटे की रोटी, दो सब्जियां और सलाद दिया जाता था। इस रूटीन में करीब 40 दिन गुजारे गए। जिसके बाद मोहाली में टेस्ट करवाया गया। फिर मोहाली में ऑपरेशन करवाया गया। ऑपरेशन के करीब 50 दिनों बाद, कैंसर का एक भी अंश नहीं रह गया था। सिद्धू बोले- दूध की जगह पर नारियल का दूध दिया
सिद्धू ने कहा- मैं कहना चाहता हूं कि कैंसर को भी हराया जा सकता है। अगर आप अपने लाइफस्टाइल को चेंज करेंगे तो आप कैंसर को भी हरा सकते हैं। इसी डाइट से मैंने भी करीब 25 किलो भार कम किया। कैंसर का सबसे बड़ा कारण फैटी लिवर है। सिद्धू ने आगे कहा- नारियल एक ऐसी चीज है, जोकि इंसान की जिंदगी में चमत्कार कर सकती है। नारियल का तेल इस्तेमाल किया जाता था। दूध की जगह पर नारियल का दूध इस्तेमाल किया जाता था। बादाम मिल्क का इस्तेमाल किया जाता था। नोनी को आयुर्वेद के हिसाब से चार बीज भी दिए जाते थे। जिसमें तिल, अलसी के बीज, सूरजमुखी के बीज दिए गए। इससे नोनी की सेहत में काफी फर्क आया। यमुनानगर जब नोनी को दिखाने के लिए गए तो डॉक्टर हैरान थे कि इतना सुधार कैसे आ गया। सिद्धू बोले- नोनी के इलाज में सिर्फ 10-12 लाख खर्च हुए
सिद्धू ने आगे कहा- आज नोनी की इस जंग को करीब डेढ़ साल हो गए हैं। जिससे पूरा परिवार आज खुश है। मेरे बच्चे 24 घंटे नोनी के साथ रहते थे। आज मैं गर्व से कहता हूं कि जिंदगी में चार से पांच चीजें व्यक्ति सुधार ले, हम कैंसर को हरा सकते हैं। आप सिर्फ अपनी विचार धारा को बदल लें, सब कुछ सही होगा। नोनी कभी भी इलाज के दौरान कमजोर नहीं पड़ी। पॉजिटिव ख्यालों ने हमारी मदद की। हमारे राजिंदरा अस्पताल में वह मशीनें हैं, जोकि अमेरिका के सबसे से बड़े अस्पतालों में पड़ी हैं। सारा इलाज हमने भारत से करवाया। 10 से 12 लाख रुपए से ज्यादा हमारा खर्च नहीं आया। सिद्धू ने कहा- नोनी का ऑपरेशन हुआ तो उसके जख्म भर नहीं रहे थे। मगर इस डाइट से नोनी ने 40 दिन में अपने आप को रिकवर कर लिया। जब कुछ नहीं था तो सिर्फ आयुर्वेद था। सिद्धू बोले- एल्कलाइन पानी कैंसर में रामबाण
सिद्धू ने कहा- पानी की क्वालिटी भी मैटर करती है कि आप कितना साफ पानी पी रहे हैं। पानी का पीएच लेवल 7 होना चाहिए, उसी पानी को पीना चाहिए। गंदा पानी पीने से भी कैंसर पनपता है। पानी में खीरा और नींबू डालकर ही पीना चाहिए। वर्जिश करना भी कैंसर से लड़ने का एक बड़ा हिस्सा है। जिसके शरीर में ऐसिड बनता है, उसके शरीर में कैंसर पनप रहा होता है। अगर आपको कोई दाल या फिर छोले बनाने हैं तो आप उसे एक रात पहले भिगो दो। इससे वह एसिडिक से एल्कलाइन हो जाता है। सिद्धू ने नोनी का एक किस्सा सुनाते हुए कहा- एक दिन नोनी मुझसे छिपाकर चिप्स का पैकेट ले आई। मुझे पता चला तो मैंने बैग चेक किया। बैग देखा तो तीन से चार पैकेट चिप्स के गिरे। मुझे नोनी ने कहा कि ये तो किनोवा के चिप्स हैं। जब मैंने उसकी कैलोरी चेक कि तो 800 लिखा हुआ था। मैंने तुरंत उसे निकलवा लिया। सिद्धू ने कहा- पेशेंट बाज नहीं आएगा, मगर आपको उसके खिलाफ थोड़ा कड़ा होना पड़ेगा। नोनी बोलीं- पिछले साल 25% बढ़े कैंसर के केस
वहीं, डॉ. नवजोत कौर सिद्धू ने कहा- मैंने कई जगह पर छापा मारा था, जिसमें मैंने ऐसे केस देखे कि अंडे में प्लास्टिक मिलाया जा रहा था। मार्केट में मछली को कई-कई दिन रखते हैं। उस पर वो फ्लूड लगाते थे, जोकि मुर्दे पर लगाया जाता था। ऐसा खाना खाकर हम कैसे बच सकते हैं? पिछले साल कैंसर की बीमारी में करीब 25 प्रतिशत से ज्यादा की बढ़ोतरी हुई है। डॉक्टर रुपिंदर बोले- तीसरे स्टेज का कैंसर इलाज छोड़ने के चलते चौथे पर पहुंचा यमुनानगर के डॉक्टर रुपिंदर सिंह ने कहा- डॉ. नवजोत कौर को तीसरे स्टेज का ब्रेस्ट कैंसर था। तब उनके पति जेल में थे। कुछ दिनों तक तो नवजोत कौर सिद्धू चिंतित थीं। हमने पहले उनका ऑपरेशन किया, फिर उनकी कीमोथैरेपी की। तब तक सब ठीक चल रहा था। इस दौरान उन्होंने अपने बेटे की शादी भी की तो कुछ इलाज स्किप कर दिया। इसके चलते उन्हें दोबारा कैंसर हो गया और कैंसर स्टेज तीन से चार तक पहुंच गया था। मगर उनमें लड़ने की ताकत थी। इसके बाद हमने ऑन्कोलॉजिस्ट कीमो और कुछ थैरेपीज शुरू की। उससे कैंसर में काफी फर्क आया। फिर हमने इस बीच चार घंटे का एक बड़ा ऑपरेशन किया। उसमें नवजोत कौर की पूरी चेस्ट वॉल बाहर निकाल दी गई। ये सर्जरी काफी कॉम्पलिकेटिड थी, क्योंकि घाव बहुत बड़ा था। ये बहुत यूनिक ऑपरेशन था, ऐसे ऑपरेशन दुनिया में कोई एक-दो होते हैं। उस सर्जरी के बाद रेडिएशन्स कराई गईं, जोकि पटियाला में हुई। तब से अब तक वह नॉर्मल हैं। जो रिकवरी उन्होंने की, वो एक करिश्मा था। इस वक्त नवजोत कौर बिल्कुल कैंसर मुक्त हैं। डॉक्टर रुपिंदर सिंह ने कहा- मैं पहले भी नवजोत कौर का इलाज कर चुका हूं, वह पहले भी इसी तरह अपने इलाज में लड़ी थीं। उन्हें मुझ पर बहुत यकीन था। कुछ मुश्किलें आईं जरूर, मगर हमने उस पर मेहनत की और हमें कामयाबी मिली। कैंसर के डॉक्टरों ने सिद्धू के दावों को नकारा
इस बारे में टाटा मेमोरियल हॉस्पिटल के डायरेक्टर परमेश सीएस ने सोशल मीडिया (X) पर एक लेटर पोस्ट किया। जिसमें उन्होंने कहा कि यह लेटर टाटा मेमोरियल हॉस्पिटल के 262 मौजूदा और पूर्व कैंसर के डॉक्टरों के साइन वाला है। जनहित में लेटर जारी करते हुए उन्होंने कहा कि सोशल मीडिया में पूर्व क्रिकेटर नवजोत सिद्धू का पत्नी के कैंसर के इलाज का एक वीडियो वायरल हो रहा है। इसमें कहा गया है कि डेयरी प्रोडक्ट और शुगर न खाने से कैंसर खत्म हो जाता है। हल्दी और नीम से लाइलाज कैंसर को ठीक किया जा सकता है। इन बयानों से जुड़े कोई ठोस सबूत नहीं हैं। उन्होंने कहा कि इनमें से कुछ प्रोडक्ट पर रिसर्च चल रही है लेकिन उन्हें एंटी कैंसर एजेंट्स के तौर पर इस्तेमाल की सिफारिश के कोई क्लिनिकल एविडेंस मौजूद नहीं हैं। उन्होंने लोगों से अपील की कि इस तरह की विधियों के चक्कर में कैंसर के इलाज में देरी न करें। उन्होंने कहा कि अगर इसे समय पर डिटेक्ट कर लिया जाए तो सर्जरी, रेडिएशन थैरेपी और कीमोथैरेपी से कैंसर का इलाज किया जा सकता है। डॉक्टरों का जारी किया लेटर पढ़ें… पंजाब कांग्रेस नेता और पूर्व क्रिकेटर नवजोत सिद्धू के पत्नी को कैंसर से ठीक करने वाले इलाज के दावे पर विवाद हो गया है। सिद्धू ने कहा था कि उन्होंने आयुर्वेदिक तरीके से पत्नी का इलाज किया। कैंसर सेल्स को बढ़ाने वाली मीठी चीजों को बंद किया। जिसके बाद पत्नी डॉ. नवजोत कौर सिद्धू कैंसर फ्री हो गईं। सिद्धू ने इस बारे में प्रेस कॉन्फ्रेंस भी की। इसका वीडियो वायरल होने के बाद अब टाटा मेमोरियल हॉस्पिटल की अगुआई में 262 ऑन्कोलॉजिस्ट ने इस दावे पर सवाल उठाए हैं। उन्होंने कहा है कि सिद्धू की बताई कुछ चीजों पर रिसर्च जरूर चल रही है, लेकिन इनसे ठीक हो जाने का दावा सही नहीं है। उन्होंने कहा कि सिद्धू के दावे के पर्याप्त सबूत नहीं हैं। ऐसे में लोगों को कैंसर जैसे लक्षण होने पर तुरंत अस्पताल में जांच करानी चाहिए। सबसे पहले पढ़िए, सिद्धू ने पत्नी के इलाज के बारे में क्या कहा… जेल से लौटा तो पत्नी का ऑपरेशन हो चुका था
पूर्व क्रिकेटर नवजोत सिंह सिद्धू ने कहा कि मेरी पत्नी डॉ. नवजोत कौर सिद्धू (नोनी) अब कैंसर फ्री हो चुकी हैं। मुझ पर जब यह आपदा आई तब मैं जेल में था। जब में जेल से छूट कर आया तब नोनी का ऑपरेशन हो चुका था। नोनी की कीमोथैरपी हुई, लंबे अरसे तक इसका इलाज चला। पूरा परिवार साथ खड़ा रहा। एक वक्त आया कि नोनी को लगा कि शायद मैं न बचूं तो बेटे की शादी करवा दो। तब नोनी अस्पताल में थी। बेटे की शादी के दौरान नोनी ने कुछ हफ्तों के लिए अपना इलाज मिस कर दिया। कुछ दिन बाद पता चला, कैंसर फिर हो गया
नवजोत सिंह सिद्धू ने आगे कहा- इलाज मिस किया तो कुछ दिनों बाद पता चला कि कैंसर फिर से हो गया है। इसमें सबसे बड़ी ये बात थी कि ये सारा इलाज भारत में हुआ। 40 प्रतिशत इलाज पटियाला राजिंदरा अस्पताल में हुआ और बाकी का इलाज यमुनानगर में हुआ। डॉक्टरों ने कहा कि सिर्फ 5 प्रतिशत चांस हैं। कैंसर स्किन में मिल गया है। मेरे एक दोस्त का बेटा अमेरिका से डॉक्टरी पढ़कर आया, उसने कहा कि कोई चांस नहीं है। मैंने घंटों पढ़कर बीमारी के बारे में रिसर्च की
सिद्धू बोले कि जब मुझे पता चला तो मैं घंटों पढ़ा, बीमारी के बारे में रिसर्च शुरू की। मैंने कुछ भी नहीं छोड़ा, फिर चाहे अमेरिकी डॉक्टर हों या आयुर्वेद हो। दिन में चार से पांच घंटे तक मैं रोज पढ़ता था कि कहीं कोई इलाज मिल सके। मैं जब डॉक्टरों से पूछा करूं तो डाइटिंग करवाने से सीधा मना कर देते। जब ये हुआ कि कोई चांस नहीं है तो फिर मैंने जो पढ़ा था, वही करना शुरू किया। मैंने अपनी बेटी के साथ मिलकर नोनी के लिए डाइट शुरू करवाई। सिद्धू बोले- जैसी डाइट से नोनी का इलाज हुआ, उसे हर कोई खा सकता सिद्धू ने आगे कहा- कई लोगों ने मुझे कहा कि आपके पास तो करोड़ों हैं, आप तो ठीक हो ही जाओगे। मगर एक आम इंसान कैसे ठीक होगा। मैंने कहा कि जैसी डाइट से नोनी का इलाज हुआ, इसे एक आम आदमी भी खा सकता है और अपने आपको बचा सकता है। सिद्धू ने आगे कहा- स्टेज-4 का कैंसर होने के बाद भी नोनी 40 दिनों के अंदर वापस आई है। लोग कहते हैं कि करोड़ों रुपए लगते हैं, मगर मैं कहना चाहता हूं कि नीम के पत्तों के क्या पैसे लगते हैं। कैंसर एक इंफ्लामेशन है, जोकि दूध, कार्बोहाइड्रेट्स (गेहूं), रिफाइंड शुगर (जैसे कि जलेबी) और मैदा जैसी चीजों से होता है। इसलिए इनको बंद कर दिया। सिद्धू ने कहा- फिर हमने नोनी की डाइट में वो चीजें एड की, जिसकी उसे जरूरत थी। नोनी को सुबह 10 बजे नींबू पानी दिया जाता था। जिसमें गर्म पानी, कच्ची हल्दी, एक लहसुन और सेब का सिरका होता था। इसके आधा घंटे बाद 10 से 12 नीम के पत्ते और तुलसी देते थे। चाय पूरी तरह से बंद कर दी गई थी। सुबह चाय की जगह नोनी को दाल चीनी, लौंग और छोटी इलायची इसमें नाम मात्र गुड़ मिलकर काढ़ा दिया जाता था। सिद्धू बोले- नोनी को डाइट में बेरीज और ड्राय फ्रूट्स दिए
सिद्धू ने आगे बताया कि नोनी की डाइट में नट्स एड किए गए थे। साथ ही सफेद पेठे का जूस दिया जाता था। इसके एक डेढ़ घंटे बाद ब्लू बेरीज देते थे। अगर कोई ब्लू बेरी नहीं अफोर्ड कर सकता तो उसकी जगह पर अनार दिया जा सकता है। अगर कोई अनार भी नहीं इस्तेमाल कर सकता तो आंवला सबसे अच्छा। ब्लैक बेरी (शहतूत) खाने से कैंसर को मात देने में बहुत मदद मिलती है। बेरीज के साथ एक गिलास चुकंदर, गाजर और आंवला का जूस और ड्राई फ्रूट दिए जाते थे। इसके बाद नोनी को कुछ नहीं दिया जाता था। देर शाम करीब साढ़े सात बजे नोनी को आखिरी में उबला हुआ किनोवा (बथुआ) दिया जाता था। अगर किनोवा नहीं तो बादाम के आटे की रोटी, दो सब्जियां और सलाद दिया जाता था। इस रूटीन में करीब 40 दिन गुजारे गए। जिसके बाद मोहाली में टेस्ट करवाया गया। फिर मोहाली में ऑपरेशन करवाया गया। ऑपरेशन के करीब 50 दिनों बाद, कैंसर का एक भी अंश नहीं रह गया था। सिद्धू बोले- दूध की जगह पर नारियल का दूध दिया
सिद्धू ने कहा- मैं कहना चाहता हूं कि कैंसर को भी हराया जा सकता है। अगर आप अपने लाइफस्टाइल को चेंज करेंगे तो आप कैंसर को भी हरा सकते हैं। इसी डाइट से मैंने भी करीब 25 किलो भार कम किया। कैंसर का सबसे बड़ा कारण फैटी लिवर है। सिद्धू ने आगे कहा- नारियल एक ऐसी चीज है, जोकि इंसान की जिंदगी में चमत्कार कर सकती है। नारियल का तेल इस्तेमाल किया जाता था। दूध की जगह पर नारियल का दूध इस्तेमाल किया जाता था। बादाम मिल्क का इस्तेमाल किया जाता था। नोनी को आयुर्वेद के हिसाब से चार बीज भी दिए जाते थे। जिसमें तिल, अलसी के बीज, सूरजमुखी के बीज दिए गए। इससे नोनी की सेहत में काफी फर्क आया। यमुनानगर जब नोनी को दिखाने के लिए गए तो डॉक्टर हैरान थे कि इतना सुधार कैसे आ गया। सिद्धू बोले- नोनी के इलाज में सिर्फ 10-12 लाख खर्च हुए
सिद्धू ने आगे कहा- आज नोनी की इस जंग को करीब डेढ़ साल हो गए हैं। जिससे पूरा परिवार आज खुश है। मेरे बच्चे 24 घंटे नोनी के साथ रहते थे। आज मैं गर्व से कहता हूं कि जिंदगी में चार से पांच चीजें व्यक्ति सुधार ले, हम कैंसर को हरा सकते हैं। आप सिर्फ अपनी विचार धारा को बदल लें, सब कुछ सही होगा। नोनी कभी भी इलाज के दौरान कमजोर नहीं पड़ी। पॉजिटिव ख्यालों ने हमारी मदद की। हमारे राजिंदरा अस्पताल में वह मशीनें हैं, जोकि अमेरिका के सबसे से बड़े अस्पतालों में पड़ी हैं। सारा इलाज हमने भारत से करवाया। 10 से 12 लाख रुपए से ज्यादा हमारा खर्च नहीं आया। सिद्धू ने कहा- नोनी का ऑपरेशन हुआ तो उसके जख्म भर नहीं रहे थे। मगर इस डाइट से नोनी ने 40 दिन में अपने आप को रिकवर कर लिया। जब कुछ नहीं था तो सिर्फ आयुर्वेद था। सिद्धू बोले- एल्कलाइन पानी कैंसर में रामबाण
सिद्धू ने कहा- पानी की क्वालिटी भी मैटर करती है कि आप कितना साफ पानी पी रहे हैं। पानी का पीएच लेवल 7 होना चाहिए, उसी पानी को पीना चाहिए। गंदा पानी पीने से भी कैंसर पनपता है। पानी में खीरा और नींबू डालकर ही पीना चाहिए। वर्जिश करना भी कैंसर से लड़ने का एक बड़ा हिस्सा है। जिसके शरीर में ऐसिड बनता है, उसके शरीर में कैंसर पनप रहा होता है। अगर आपको कोई दाल या फिर छोले बनाने हैं तो आप उसे एक रात पहले भिगो दो। इससे वह एसिडिक से एल्कलाइन हो जाता है। सिद्धू ने नोनी का एक किस्सा सुनाते हुए कहा- एक दिन नोनी मुझसे छिपाकर चिप्स का पैकेट ले आई। मुझे पता चला तो मैंने बैग चेक किया। बैग देखा तो तीन से चार पैकेट चिप्स के गिरे। मुझे नोनी ने कहा कि ये तो किनोवा के चिप्स हैं। जब मैंने उसकी कैलोरी चेक कि तो 800 लिखा हुआ था। मैंने तुरंत उसे निकलवा लिया। सिद्धू ने कहा- पेशेंट बाज नहीं आएगा, मगर आपको उसके खिलाफ थोड़ा कड़ा होना पड़ेगा। नोनी बोलीं- पिछले साल 25% बढ़े कैंसर के केस
वहीं, डॉ. नवजोत कौर सिद्धू ने कहा- मैंने कई जगह पर छापा मारा था, जिसमें मैंने ऐसे केस देखे कि अंडे में प्लास्टिक मिलाया जा रहा था। मार्केट में मछली को कई-कई दिन रखते हैं। उस पर वो फ्लूड लगाते थे, जोकि मुर्दे पर लगाया जाता था। ऐसा खाना खाकर हम कैसे बच सकते हैं? पिछले साल कैंसर की बीमारी में करीब 25 प्रतिशत से ज्यादा की बढ़ोतरी हुई है। डॉक्टर रुपिंदर बोले- तीसरे स्टेज का कैंसर इलाज छोड़ने के चलते चौथे पर पहुंचा यमुनानगर के डॉक्टर रुपिंदर सिंह ने कहा- डॉ. नवजोत कौर को तीसरे स्टेज का ब्रेस्ट कैंसर था। तब उनके पति जेल में थे। कुछ दिनों तक तो नवजोत कौर सिद्धू चिंतित थीं। हमने पहले उनका ऑपरेशन किया, फिर उनकी कीमोथैरेपी की। तब तक सब ठीक चल रहा था। इस दौरान उन्होंने अपने बेटे की शादी भी की तो कुछ इलाज स्किप कर दिया। इसके चलते उन्हें दोबारा कैंसर हो गया और कैंसर स्टेज तीन से चार तक पहुंच गया था। मगर उनमें लड़ने की ताकत थी। इसके बाद हमने ऑन्कोलॉजिस्ट कीमो और कुछ थैरेपीज शुरू की। उससे कैंसर में काफी फर्क आया। फिर हमने इस बीच चार घंटे का एक बड़ा ऑपरेशन किया। उसमें नवजोत कौर की पूरी चेस्ट वॉल बाहर निकाल दी गई। ये सर्जरी काफी कॉम्पलिकेटिड थी, क्योंकि घाव बहुत बड़ा था। ये बहुत यूनिक ऑपरेशन था, ऐसे ऑपरेशन दुनिया में कोई एक-दो होते हैं। उस सर्जरी के बाद रेडिएशन्स कराई गईं, जोकि पटियाला में हुई। तब से अब तक वह नॉर्मल हैं। जो रिकवरी उन्होंने की, वो एक करिश्मा था। इस वक्त नवजोत कौर बिल्कुल कैंसर मुक्त हैं। डॉक्टर रुपिंदर सिंह ने कहा- मैं पहले भी नवजोत कौर का इलाज कर चुका हूं, वह पहले भी इसी तरह अपने इलाज में लड़ी थीं। उन्हें मुझ पर बहुत यकीन था। कुछ मुश्किलें आईं जरूर, मगर हमने उस पर मेहनत की और हमें कामयाबी मिली। कैंसर के डॉक्टरों ने सिद्धू के दावों को नकारा
इस बारे में टाटा मेमोरियल हॉस्पिटल के डायरेक्टर परमेश सीएस ने सोशल मीडिया (X) पर एक लेटर पोस्ट किया। जिसमें उन्होंने कहा कि यह लेटर टाटा मेमोरियल हॉस्पिटल के 262 मौजूदा और पूर्व कैंसर के डॉक्टरों के साइन वाला है। जनहित में लेटर जारी करते हुए उन्होंने कहा कि सोशल मीडिया में पूर्व क्रिकेटर नवजोत सिद्धू का पत्नी के कैंसर के इलाज का एक वीडियो वायरल हो रहा है। इसमें कहा गया है कि डेयरी प्रोडक्ट और शुगर न खाने से कैंसर खत्म हो जाता है। हल्दी और नीम से लाइलाज कैंसर को ठीक किया जा सकता है। इन बयानों से जुड़े कोई ठोस सबूत नहीं हैं। उन्होंने कहा कि इनमें से कुछ प्रोडक्ट पर रिसर्च चल रही है लेकिन उन्हें एंटी कैंसर एजेंट्स के तौर पर इस्तेमाल की सिफारिश के कोई क्लिनिकल एविडेंस मौजूद नहीं हैं। उन्होंने लोगों से अपील की कि इस तरह की विधियों के चक्कर में कैंसर के इलाज में देरी न करें। उन्होंने कहा कि अगर इसे समय पर डिटेक्ट कर लिया जाए तो सर्जरी, रेडिएशन थैरेपी और कीमोथैरेपी से कैंसर का इलाज किया जा सकता है। डॉक्टरों का जारी किया लेटर पढ़ें…   पंजाब | दैनिक भास्कर