सगी बहनों से गैंगरेप-हत्या…मुआवजा मिला न नौकरी:भाई से लखीमपुर SDM बोले- उस वक्त जल्दी में कही नौकरी की बात, मेरे वश में नहीं

सगी बहनों से गैंगरेप-हत्या…मुआवजा मिला न नौकरी:भाई से लखीमपुर SDM बोले- उस वक्त जल्दी में कही नौकरी की बात, मेरे वश में नहीं

14 सितंबर, 2022 : लखीमपुर खीरी जिले के निघासन इलाके का गांव। दो सगी नाबालिग बहनों को घर से अगवा कर 500 मीटर दूर गन्ने के खेत में ले जाकर गैंगरेप किया गया। फिर गला दबाकर हत्या कर दी गई। दोनों को उनके ही दुपट्टे से बबूल के पेड़ पर टांग दिया गया। घटना से गुस्साए परिवारवालों और स्थानीय लोगों ने थाना घेर लिया। जमकर हंगामा हुआ। लाठीचार्ज की स्थिति बन गई। दलित बहनों की गैंगरेप के बाद हत्या की खबर पूरे देश में जंगल में आग जैसी फैल गई। लखनऊ से लेकर दिल्ली तक हर नेता इस घटना के बारे में बात करने लगा। प्रशासन पर प्रेशर था कि मामले में जल्द एक्शन ले। किसी तरह से दोनों लड़कियों का अंतिम संस्कार करवाए। लेकिन, स्थानीय लोग परिवार के साथ खड़े होकर मांगों पर अड़ गए। प्रशासन के बड़े-बड़े अफसर आ गए। बाद में कुल 5 मांग पर सहमति बनी, फिर अंतिम संस्कार किया गया। इन पांच मांगों पर बनी थी सहमति 1- SC/ST Act के अंतर्गत दोनों बच्चियों की मां को 8-8 यानी 16 लाख रुपए दिए जाएंगे। 2- रानी लक्ष्मीबाई योजना के तहत अनुमन्य धनराशि मामले की जांच खत्म होते ही मिलेगी। 3- पीएम आवास योजना के अंतर्गत घर देने को लेकर ब्लॉक के माध्यम से कार्रवाई की जाएगी। 4- नौकरी और अन्य आर्थिक सहायता का प्रस्ताव शासन को भेजा जाएगा। 5- घटना की फास्ट ट्रैक कोर्ट में पैरवी कर आरोपियों को जल्द कठोर सजा दिलवाने का काम होगा। जिस पन्ने पर ये मांग लिखी गई, उसमें नीचे उस वक्त के डीएम महेंद्र बहादुर सिंह के साइन थे। ऐलान को लेकर सीएम ऑफिस के सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म लिखा गया- ‘लखीमपुर में हुई आपराधिक घटना में पीड़िता के परिजनों को 25 लाख रुपए की आर्थिक सहायता, एक पक्का घर और कृषि भूमि का पट्टा दिए जाने के निर्देश दिए गए हैं। यूपी सरकार हत्या के इस मामले में फास्ट ट्रैक कोर्ट में पैरवी करके दोषियों को एक महीने में सजा दिलाएगी।’ मामले को दो साल बीत चुके हैं। केस की मौजूदा स्थिति क्या है? पीड़ित परिवार को जो मदद देने का आश्वासन दिया गया था, उसका क्या हुआ? परिवार किस हाल में है? इस सबके बारे में जानने के लिए दैनिक भास्कर की टीम लखीमपुर खीरी जिला मुख्यालय से करीब 50 किलोमीटर दूर निघासन पहुंची। घटना का जिक्र करते ही रो पड़ीं मां
यहां से हम पीड़ित परिवार के गांव के लिए निकले। गांव बाढ़ की चपेट में था, इसलिए हम पानी के बीच से करीब 1 किलोमीटर दूर पीड़ित के घर पहुंचे। घटना के वक्त (सितंबर, 2022) घर के बाहर गेट नहीं लगा था। अब बाउंड्री करवाकर परिवार ने गेट लगवा लिया है। हम घर पहुंचे, तो लड़कियों के मां-बाप और भाई मिले। हमने दो साल पुरानी घटना का जिक्र किया, तो मां भावुक हो गईं। उनकी आंखों से आंसू निकलने लगे। वह कहती हैं- बेटियों की बहुत याद आती है। 14 सितंबर को घटना हुई थी, अभी ही तो 14 तारीख बीती। जहां घटना हुई थी, उधर से जाना होता है तो अजीब लगता है। बेटियां याद आ जाती हैं। इसलिए उधर कम जाते हैं। पीड़िता की मां जिस घटनास्थल की बात कर रही हैं, वह उनके घर से 500 मीटर दूरी पर है। आरोपियों ने कई बार राजीनामा का दिया ऑफर
पीड़ित परिवार में अब एक बेटी और एक बेटा है। दोनों की शादी हो चुकी है। बेटी अपनी ससुराल में रहती है। बेटा यहीं घर पर रहता है। हमने भाई से पूछा कि आरोपियों के परिवार की तरफ से कभी संपर्क किया गया? वह कहते हैं- इस मामले में मुख्य आरोपी जुनैद के पिता ने निघासन के ही एक व्यक्ति को हमारे घर भेजा था। वह कह रहे थे कि राजीनामा कर लो। जो पैसे चाहिए वह भी बता दो। वह तीन बार मुझसे मिले, लेकिन हमने कह दिया कि हम केस लड़ेंगे। आरिफ के पिता ने भी एक बार ऐसे ही संपर्क किया था। परिवार का आरोप-नौकरी का वादा पूरा नहीं किया
मृतक बहनों के भाई से हमने उस वक्त हुए ऐलान और मिले मुआवजे को लेकर बात की। वह कहते हैं- हमें एससी-एसटी एक्ट वाले 16 लाख रुपए मिले। इसके अलावा एक पैसा नहीं मिला। हम मांग पत्र लेकर कई बार निघासन और लखीमपुर गए, लेकिन कहीं कोई सुनवाई नहीं हुई। निघासन में तो एसडीएम साहब ने कह दिया कि उस वक्त नौकरी की बात जल्दी में कह दिए थे, अपने बस की बात थोड़ी है कि नौकरी दे देंगे। भाई कहता है कि एक-दो बार तो अफसर पापा पर बहुत तेज बिगड़ (नाराज) भी गए। हमारे ऊपर भी बिगड़े तो हमने कहा कि उस टाइम तो आप सब कुछ करने को बोल रहे थे, अब बिगड़ रहे हैं। तब उन्होंने कहा कि मेरे पास इतना टाइम नहीं है, इतना बवाल लेकर आ जाते हो। पट्टे को लेकर कहा- गांव में जमीन नहीं
इस बीच बेटियों के पिता भी आ गए। हमने पूछा कि आप लोगों को पट्टे में जमीन और पीएम आवास के तहत घर देने का वादा किया गया था। कहां मिली जमीन? इसका जवाब मां ने देते हुए कहा- अधिकारी कहते हैं, गांव में पट्टा देने के लिए सरकारी जमीन नहीं है। जब कभी होगी तो दिया जाएगा। मकान को लेकर कहते हैं, आपके पास पहले से ही एक सरकारी मकान है इसलिए दूसरा नहीं मिलेगा। भाई और पिता ने भी यही बात दोहराई। वह कहते हैं- गांव में बहुत सारी सरकारी जमीन है, अगर वह पट्टा देना चाहें तो हो जाए। हमने इस सिलसिले में लेखपाल से भी बात की लेकिन अभी कहीं पट्टा देने जैसी बात नहीं आई है। परिवार ने कहा- हमें सिर्फ एससी-एसटी एक्ट के तहत 16 लाख रुपए मिले हैं। इसके अलावा जो भी ऐलान हुआ था, उसमें कुछ भी नहीं मिला। उस वक्त अधिकारियों का व्यवहार अलग था, आज वह हम लोगों की सुनना नहीं चाहते। एसडीएम बोले- तीन टुकड़ों में दी गई जमीन
हमने निघासन के एसडीएम भीमचंद से बात की। परिवार के आरोपों को लेकर हमने सवाल किया। भीमचंद कहते हैं- पीड़ित परिवार का पैसा शासन स्तर पर फंसा हुआ है। वह शायद रानी लक्ष्मीबाई योजना का पैसा है (सरकार एक से 10 लाख तक का मुआवजा देती है)। उन्हें एससी-एसटी एक्ट के तहत 16 लाख रुपए मिल चुके हैं। जमीन को लेकर वह कहते हैं- कृषि पट्टे का आवंटन कर दिया गया है। गांव में पूरी जमीन नहीं है इसलिए हमने तीन टुकड़ों में परिवार को जमीन दी है। दो जगह जाकर कब्जा कराया है। जमीन के कागज भी उनको दे दिए गए हैं। खतौनी भी अब उनके नाम से निकल रही है। जहां तक आवास की बात है, तो उनकी मां के नाम पर पहले से ही प्रधानमंत्री आवास मिला हुआ है। एसडीएम के जमीन देने के दावे को लेकर हमने फिर से पीड़ित परिवार से बात की। मृतका के भाई ने कहा- जमीन देने की बात की जाती है, लेकिन अब तक कब्जा नहीं दिया गया। जिस जमीन को वह बता रहे उस पर किसी और का कब्जा है। अब जानिए इस पूरे केस में क्या कार्रवाई हुई 3 को उम्रकैद, दो को छह-छह साल की सजा इस पूरे मामले में पुलिस ने तेजी दिखाई। सभी 6 आरोपियों को घटना के अगले ही दिन गिरफ्तार कर लिया। मुख्य आरोपी जुनैद के पैर में गोली लगी थी। 14 अगस्त, 2023 कोर्ट ने 3 आरोपी जुनैद, छोटू और सुहैल को उम्रकैद की सजा सुनाई। करीमुद्दीन और आरिफ को 6-6 साल की सजा सुनाई गई। छठा आरोपी नाबालिग है। उसे 3 साल की सजा हुई। पड़ोसी समेत छह युवकों ने की थी वारदात छोटू पीड़ित परिवार का पड़ोसी है। उसने ही जुनैद और सुहैल की दोस्ती 7वीं और 10वीं में पढ़ने वाली बच्चियों से करवाई थी। जुनैद और सुहैल पड़ोस के ही गांव के रहने वाले हैं। पुलिस रिकॉर्ड के मुताबिक इन दोनों ने गन्ने के खेत में लड़कियां से रेप किया। छोटू भी उस वक्त वहीं था। जुनैद और सुहैल ने लड़कियों की हत्या गला दबाकर कर दी। फिर फोन के जरिए करीमुद्दीन, आरिफ और एक नाबालिग लड़के को बुलाया गया। इन लड़कों ने दोनों लाशों को पेड़ पर टांगकर सबूत मिटाने की कोशिश की। ये भी पढ़ें… अयोध्या में BA की छात्रा से गैंगरेप, 6 अरेस्ट, रामजन्मभूमि में सफाई करती है, बोली- बंधक बनाकर दरिंदगी की अयोध्या में BA की छात्रा से गैंगरेप का मामला सामने आया है। आरोप है कि 3 लड़कों ने उसे किडनैप किया। फिर दरिंदगी की। अलग-अलग लोकेशन पर ले गए। विरोध करने पर मारा-पीटा। बाद में सड़क पर छोड़कर भाग गए। आरोपियों ने लड़की को जान से मारने की धमकी भी दी। 20 साल की पीड़ित लड़की राम जन्मभूमि परिसर में सफाई का काम करती है। पढ़ें पूरी खबर… 14 सितंबर, 2022 : लखीमपुर खीरी जिले के निघासन इलाके का गांव। दो सगी नाबालिग बहनों को घर से अगवा कर 500 मीटर दूर गन्ने के खेत में ले जाकर गैंगरेप किया गया। फिर गला दबाकर हत्या कर दी गई। दोनों को उनके ही दुपट्टे से बबूल के पेड़ पर टांग दिया गया। घटना से गुस्साए परिवारवालों और स्थानीय लोगों ने थाना घेर लिया। जमकर हंगामा हुआ। लाठीचार्ज की स्थिति बन गई। दलित बहनों की गैंगरेप के बाद हत्या की खबर पूरे देश में जंगल में आग जैसी फैल गई। लखनऊ से लेकर दिल्ली तक हर नेता इस घटना के बारे में बात करने लगा। प्रशासन पर प्रेशर था कि मामले में जल्द एक्शन ले। किसी तरह से दोनों लड़कियों का अंतिम संस्कार करवाए। लेकिन, स्थानीय लोग परिवार के साथ खड़े होकर मांगों पर अड़ गए। प्रशासन के बड़े-बड़े अफसर आ गए। बाद में कुल 5 मांग पर सहमति बनी, फिर अंतिम संस्कार किया गया। इन पांच मांगों पर बनी थी सहमति 1- SC/ST Act के अंतर्गत दोनों बच्चियों की मां को 8-8 यानी 16 लाख रुपए दिए जाएंगे। 2- रानी लक्ष्मीबाई योजना के तहत अनुमन्य धनराशि मामले की जांच खत्म होते ही मिलेगी। 3- पीएम आवास योजना के अंतर्गत घर देने को लेकर ब्लॉक के माध्यम से कार्रवाई की जाएगी। 4- नौकरी और अन्य आर्थिक सहायता का प्रस्ताव शासन को भेजा जाएगा। 5- घटना की फास्ट ट्रैक कोर्ट में पैरवी कर आरोपियों को जल्द कठोर सजा दिलवाने का काम होगा। जिस पन्ने पर ये मांग लिखी गई, उसमें नीचे उस वक्त के डीएम महेंद्र बहादुर सिंह के साइन थे। ऐलान को लेकर सीएम ऑफिस के सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म लिखा गया- ‘लखीमपुर में हुई आपराधिक घटना में पीड़िता के परिजनों को 25 लाख रुपए की आर्थिक सहायता, एक पक्का घर और कृषि भूमि का पट्टा दिए जाने के निर्देश दिए गए हैं। यूपी सरकार हत्या के इस मामले में फास्ट ट्रैक कोर्ट में पैरवी करके दोषियों को एक महीने में सजा दिलाएगी।’ मामले को दो साल बीत चुके हैं। केस की मौजूदा स्थिति क्या है? पीड़ित परिवार को जो मदद देने का आश्वासन दिया गया था, उसका क्या हुआ? परिवार किस हाल में है? इस सबके बारे में जानने के लिए दैनिक भास्कर की टीम लखीमपुर खीरी जिला मुख्यालय से करीब 50 किलोमीटर दूर निघासन पहुंची। घटना का जिक्र करते ही रो पड़ीं मां
यहां से हम पीड़ित परिवार के गांव के लिए निकले। गांव बाढ़ की चपेट में था, इसलिए हम पानी के बीच से करीब 1 किलोमीटर दूर पीड़ित के घर पहुंचे। घटना के वक्त (सितंबर, 2022) घर के बाहर गेट नहीं लगा था। अब बाउंड्री करवाकर परिवार ने गेट लगवा लिया है। हम घर पहुंचे, तो लड़कियों के मां-बाप और भाई मिले। हमने दो साल पुरानी घटना का जिक्र किया, तो मां भावुक हो गईं। उनकी आंखों से आंसू निकलने लगे। वह कहती हैं- बेटियों की बहुत याद आती है। 14 सितंबर को घटना हुई थी, अभी ही तो 14 तारीख बीती। जहां घटना हुई थी, उधर से जाना होता है तो अजीब लगता है। बेटियां याद आ जाती हैं। इसलिए उधर कम जाते हैं। पीड़िता की मां जिस घटनास्थल की बात कर रही हैं, वह उनके घर से 500 मीटर दूरी पर है। आरोपियों ने कई बार राजीनामा का दिया ऑफर
पीड़ित परिवार में अब एक बेटी और एक बेटा है। दोनों की शादी हो चुकी है। बेटी अपनी ससुराल में रहती है। बेटा यहीं घर पर रहता है। हमने भाई से पूछा कि आरोपियों के परिवार की तरफ से कभी संपर्क किया गया? वह कहते हैं- इस मामले में मुख्य आरोपी जुनैद के पिता ने निघासन के ही एक व्यक्ति को हमारे घर भेजा था। वह कह रहे थे कि राजीनामा कर लो। जो पैसे चाहिए वह भी बता दो। वह तीन बार मुझसे मिले, लेकिन हमने कह दिया कि हम केस लड़ेंगे। आरिफ के पिता ने भी एक बार ऐसे ही संपर्क किया था। परिवार का आरोप-नौकरी का वादा पूरा नहीं किया
मृतक बहनों के भाई से हमने उस वक्त हुए ऐलान और मिले मुआवजे को लेकर बात की। वह कहते हैं- हमें एससी-एसटी एक्ट वाले 16 लाख रुपए मिले। इसके अलावा एक पैसा नहीं मिला। हम मांग पत्र लेकर कई बार निघासन और लखीमपुर गए, लेकिन कहीं कोई सुनवाई नहीं हुई। निघासन में तो एसडीएम साहब ने कह दिया कि उस वक्त नौकरी की बात जल्दी में कह दिए थे, अपने बस की बात थोड़ी है कि नौकरी दे देंगे। भाई कहता है कि एक-दो बार तो अफसर पापा पर बहुत तेज बिगड़ (नाराज) भी गए। हमारे ऊपर भी बिगड़े तो हमने कहा कि उस टाइम तो आप सब कुछ करने को बोल रहे थे, अब बिगड़ रहे हैं। तब उन्होंने कहा कि मेरे पास इतना टाइम नहीं है, इतना बवाल लेकर आ जाते हो। पट्टे को लेकर कहा- गांव में जमीन नहीं
इस बीच बेटियों के पिता भी आ गए। हमने पूछा कि आप लोगों को पट्टे में जमीन और पीएम आवास के तहत घर देने का वादा किया गया था। कहां मिली जमीन? इसका जवाब मां ने देते हुए कहा- अधिकारी कहते हैं, गांव में पट्टा देने के लिए सरकारी जमीन नहीं है। जब कभी होगी तो दिया जाएगा। मकान को लेकर कहते हैं, आपके पास पहले से ही एक सरकारी मकान है इसलिए दूसरा नहीं मिलेगा। भाई और पिता ने भी यही बात दोहराई। वह कहते हैं- गांव में बहुत सारी सरकारी जमीन है, अगर वह पट्टा देना चाहें तो हो जाए। हमने इस सिलसिले में लेखपाल से भी बात की लेकिन अभी कहीं पट्टा देने जैसी बात नहीं आई है। परिवार ने कहा- हमें सिर्फ एससी-एसटी एक्ट के तहत 16 लाख रुपए मिले हैं। इसके अलावा जो भी ऐलान हुआ था, उसमें कुछ भी नहीं मिला। उस वक्त अधिकारियों का व्यवहार अलग था, आज वह हम लोगों की सुनना नहीं चाहते। एसडीएम बोले- तीन टुकड़ों में दी गई जमीन
हमने निघासन के एसडीएम भीमचंद से बात की। परिवार के आरोपों को लेकर हमने सवाल किया। भीमचंद कहते हैं- पीड़ित परिवार का पैसा शासन स्तर पर फंसा हुआ है। वह शायद रानी लक्ष्मीबाई योजना का पैसा है (सरकार एक से 10 लाख तक का मुआवजा देती है)। उन्हें एससी-एसटी एक्ट के तहत 16 लाख रुपए मिल चुके हैं। जमीन को लेकर वह कहते हैं- कृषि पट्टे का आवंटन कर दिया गया है। गांव में पूरी जमीन नहीं है इसलिए हमने तीन टुकड़ों में परिवार को जमीन दी है। दो जगह जाकर कब्जा कराया है। जमीन के कागज भी उनको दे दिए गए हैं। खतौनी भी अब उनके नाम से निकल रही है। जहां तक आवास की बात है, तो उनकी मां के नाम पर पहले से ही प्रधानमंत्री आवास मिला हुआ है। एसडीएम के जमीन देने के दावे को लेकर हमने फिर से पीड़ित परिवार से बात की। मृतका के भाई ने कहा- जमीन देने की बात की जाती है, लेकिन अब तक कब्जा नहीं दिया गया। जिस जमीन को वह बता रहे उस पर किसी और का कब्जा है। अब जानिए इस पूरे केस में क्या कार्रवाई हुई 3 को उम्रकैद, दो को छह-छह साल की सजा इस पूरे मामले में पुलिस ने तेजी दिखाई। सभी 6 आरोपियों को घटना के अगले ही दिन गिरफ्तार कर लिया। मुख्य आरोपी जुनैद के पैर में गोली लगी थी। 14 अगस्त, 2023 कोर्ट ने 3 आरोपी जुनैद, छोटू और सुहैल को उम्रकैद की सजा सुनाई। करीमुद्दीन और आरिफ को 6-6 साल की सजा सुनाई गई। छठा आरोपी नाबालिग है। उसे 3 साल की सजा हुई। पड़ोसी समेत छह युवकों ने की थी वारदात छोटू पीड़ित परिवार का पड़ोसी है। उसने ही जुनैद और सुहैल की दोस्ती 7वीं और 10वीं में पढ़ने वाली बच्चियों से करवाई थी। जुनैद और सुहैल पड़ोस के ही गांव के रहने वाले हैं। पुलिस रिकॉर्ड के मुताबिक इन दोनों ने गन्ने के खेत में लड़कियां से रेप किया। छोटू भी उस वक्त वहीं था। जुनैद और सुहैल ने लड़कियों की हत्या गला दबाकर कर दी। फिर फोन के जरिए करीमुद्दीन, आरिफ और एक नाबालिग लड़के को बुलाया गया। इन लड़कों ने दोनों लाशों को पेड़ पर टांगकर सबूत मिटाने की कोशिश की। ये भी पढ़ें… अयोध्या में BA की छात्रा से गैंगरेप, 6 अरेस्ट, रामजन्मभूमि में सफाई करती है, बोली- बंधक बनाकर दरिंदगी की अयोध्या में BA की छात्रा से गैंगरेप का मामला सामने आया है। आरोप है कि 3 लड़कों ने उसे किडनैप किया। फिर दरिंदगी की। अलग-अलग लोकेशन पर ले गए। विरोध करने पर मारा-पीटा। बाद में सड़क पर छोड़कर भाग गए। आरोपियों ने लड़की को जान से मारने की धमकी भी दी। 20 साल की पीड़ित लड़की राम जन्मभूमि परिसर में सफाई का काम करती है। पढ़ें पूरी खबर…   उत्तरप्रदेश | दैनिक भास्कर