हरियाणा के कुरूक्षेत्र के पिपली में किसान आज महापंचायत करेंगे। इससे पहले किसानों ने हरियाणा के जींद में भी महापंचायत की थी। किसानों का कहना है कि इस महापंचायत में भारी संख्या में देश की विभिन्न राज्यों से किसान पहुंचेंगे और दिल्ली की सीमाएं खोलने की मांग सहित अपनी अन्य मांगों को लेकर मंथन करेंगे। किसान महापंचायत के बारे में जानकारी देते हुए बीकेयू शहीद भगत सिंह के प्रधान अमरजीत सिंह मोहड़ी ने कहा कि मंडी किसानों की है और जब किसान मंडी में महापंचायत करना चाहते हैं तो उन्हें किसी प्रकार की परमिशन की जरूरत नहीं, फिर भी अगर प्रशासन उन्हें रोकने की कोशिश करता है तो वह इसके लिए तैयार हैं। उन्होंने कहा कि जींद में हुई महापंचायत में भी किसानों को रोकने के लिए प्रशासन ने पुख्ता प्रबंध किए थे, लेकिन बावजूद उसके भी भारी संख्या में किसान महापंचायत में पहुंचे थे। हरियाणा के कुरूक्षेत्र के पिपली में किसान आज महापंचायत करेंगे। इससे पहले किसानों ने हरियाणा के जींद में भी महापंचायत की थी। किसानों का कहना है कि इस महापंचायत में भारी संख्या में देश की विभिन्न राज्यों से किसान पहुंचेंगे और दिल्ली की सीमाएं खोलने की मांग सहित अपनी अन्य मांगों को लेकर मंथन करेंगे। किसान महापंचायत के बारे में जानकारी देते हुए बीकेयू शहीद भगत सिंह के प्रधान अमरजीत सिंह मोहड़ी ने कहा कि मंडी किसानों की है और जब किसान मंडी में महापंचायत करना चाहते हैं तो उन्हें किसी प्रकार की परमिशन की जरूरत नहीं, फिर भी अगर प्रशासन उन्हें रोकने की कोशिश करता है तो वह इसके लिए तैयार हैं। उन्होंने कहा कि जींद में हुई महापंचायत में भी किसानों को रोकने के लिए प्रशासन ने पुख्ता प्रबंध किए थे, लेकिन बावजूद उसके भी भारी संख्या में किसान महापंचायत में पहुंचे थे। हरियाणा | दैनिक भास्कर
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नारनौल में साइलेंट हार्ट अटैक से वकील की मौत:सुबह घूम कर घर लौटते ही गिरा; बार एसोसिएशन का रह चुका सचिव
नारनौल में साइलेंट हार्ट अटैक से वकील की मौत:सुबह घूम कर घर लौटते ही गिरा; बार एसोसिएशन का रह चुका सचिव हरियाणा के नारनौल में एक वकील की गुरुवार सुबह अचानक हृदय गति रुक जाने से मौत हो गई। युवा वकील लगभग 23 साल से स्थानीय कोर्ट में प्रैक्टिस कर रहा था। वह बार में सचिव के पद पर भी रह चुका। वहीं इस बारे में पुलिस को भी सूचना दी गई। सूचना मिलने के बाद पुलिस ने मृतक वकील का नागरिक अस्पताल से पोस्टमार्टम करवा शव परिजनों को सौंप दिया। मूल रूप से मोहल्ला पुरानी सराय निवासी करीब 45 वर्षीय अनंत यादव कुलताजपुर रोड पर एक निजी स्कूल के सामने मकान बनाकर रह रहा था। बताया जा रहा है कि वह सुबह सही उठा था। इसके बाद वह घूमने भी गया, लेकिन घूम कर जब घर आया तो अचानक वह गिर पड़ा। उसकी पत्नी ने इसकी सूचना परिजनों को दी। सूचना पाकर उसका भाई आकाश उसको लेकर नागरिक अस्पताल में पहुंचा। जहां पर चिकित्सकों ने अनंत कुमार को मृत घोषित कर दिया। वहीं युवा वकील के अचानक निधन की सूचना के बाद वकीलों ने भी इस पर दुख व्यक्त किया है।
हरियाणा CM के OSD ने नौकरी छोड़ी:खट्टर के PA रहे, मुख्यमंत्री सैनी ने इस्तीफा मंजूर किया; विधानसभा चुनाव लड़ सकते हैं
हरियाणा CM के OSD ने नौकरी छोड़ी:खट्टर के PA रहे, मुख्यमंत्री सैनी ने इस्तीफा मंजूर किया; विधानसभा चुनाव लड़ सकते हैं हरियाणा CM नायब सैनी के OSD अभिमन्यु सिंह ने नौकरी छोड़ दी है। सीएम सैनी ने उनका इस्तीफा मंजूर कर लिया है। अभिमन्यु पहले CM रहते मनोहर लाल खट्टर के PA थे। हालांकि खट्टर के सीएम कुर्सी से हटाए जाने के बाद अभिमन्यु ने भी इस्तीफा दे दिया। इसी बीच लोकसभा चुनाव आ गए, जिसकी वजह से वह मंजूर नहीं हो सका। जब नायब सैनी सीएम बने तो अभिमन्यु को सरकार ने प्रमोट कर PA से OSD बना दिया। इसके बावजूद वह नौकरी में नहीं रुके। झज्जर के रहने वाले अभिमन्यु, कोसली सीट से चुनाव लड़ेंगे
अभिमन्यु सिंह झज्जर जिले के रहने वाले हैं। वहीं चर्चा है कि वह कोसली विधानसभा सीट से चुनाव लड़ सकते हैं। लोकसभा चुनाव में भी वह कोसली व उसके आसपास के इलाकों में BJP उम्मीदवार के लिए प्रचार करते रहे। रेवाड़ी की कोसली सीट झज्जर के साथ लगती है। जहां अभिमन्यु पिछले 2 साल से एक्टिव हैं। राव इंद्रजीत की पैतृक सीट
जिस कोसली सीट से चुनाव लड़ने के लिए अभिमन्यु ने नौकरी छोड़ी, वह गुरुग्राम से सांसद राव इंद्रजीत सिंह की पैतृक सीट है। 2008 में नए परसीमन के बाद कोसली विधानसभा सीट अस्तित्व में आई। इससे पहले सालाबास और जाटोसाना दो हलके हुआ करते थे, इन्हें तोड़कर एक विधानसभा कोसली बनाया गया। जाटोसाना सीट से राव इंद्रजीत चार बार विधायक रह चुके हैं। सीट पर राव इंद्रजीत का दबदबा
आज भी इस सीट पर राव इंद्रजीत के परिवार का दबदबा है। 2014 में उनके समर्थित विक्रम ठेकेदार विधानसभा चुनाव जीत चुके हैं। 2019 में बीजेपी के पुराने कार्यकर्ता लक्ष्मण सिंह यादव की राव इंद्रजीत सिंह की सिफारिश पर टिकट मिली और उन्होंने चुनाव भी जीता। इससे पहले इस सीट राव इंद्रजीत सिंह के छोटे भाई राव यदुविंदर सिंह चुनाव जीतते रहे हैं। खट्टर के करीबी रहे, रियल एस्टेट कारोबारी
अभिमन्यु खट्टर के साथ लंबे समय से काम कर रहे थे। नायब सैनी की तरह ही वह भी खट्टर के सहयोगी रहे। अभिमन्यु ने खट्टर के साथ लंबे समय तक संगठन में काम किया। खट्टर से जुड़ने से पहले वह गुरुग्राम और रेवाड़ी क्षेत्र में रियल स्टेट के कारोबार से जुड़े रहे हैं।
कांग्रेस MP कुमारी सैलजा ने किया किरण चौधरी का समर्थन:कहा- श्रुति के साथ इंसाफ नहीं हुआ, खफा होना स्वभाविक; मां-बेटी पार्टी छोड़ चुकीं
कांग्रेस MP कुमारी सैलजा ने किया किरण चौधरी का समर्थन:कहा- श्रुति के साथ इंसाफ नहीं हुआ, खफा होना स्वभाविक; मां-बेटी पार्टी छोड़ चुकीं हरियाणा में कांग्रेस छोड़ आज BJP जॉइन करने जा रहीं पूर्व मंत्री किरण चौधरी के समर्थन में कांग्रेस की सीनियर लीडर सिरसा सीट से सांसद कुमारी सैलजा भी उतर आई हैं। सैलजा ने कहा है कि श्रुति के साथ इंसाफ नहीं हुआ। उन्होंने कहा, ‘हम भिवानी हारे और गुरुग्राम भी हारे। गुरुग्राम जो अहीरवाल है, वहां कैप्टन अजय यादव लड़ लेते। यहां श्रुति लड़ लेती तो हम जीत जाते।’ सैलजा का कहना है, ‘टिकटों का वितरण ठीक होता तो और ज्यादा अच्छा रहता। उनका (किरण चौधरी) का खफा होना स्वाभाविक है। उनके परिवार का योगदान दशकों से रहा है। उनकी (किरण) बेटी (श्रुति) वहां से पहले भी MP रही है। मैंने खुद वहां जाकर देखा, क्योंकि जब हमने यात्रा निकाली थी तो वहां 3-4 दिन लगाए। श्रुति को टिकट मिलती तो जीतती।’ सैलजा ने आगे कहा, ‘मैं उनकी बात को सपोर्ट कर रही हूं। हमने यह बात पहले भी पार्टी प्लेटफॉर्म पर रखी और आगे भी रखेंगे। थोड़ा दुख होता है कि कहां हम 10 की 10 सीट जीत रहे थे और अब हम 5 पर आकर टिक गए। इसके पीछे का कारण टिकटों का सही वितरण न होना ही है।’ श्रुति का टिकट काटकर राव दान सिंह को मिला
लगातार 4 बार भिवानी की तोशाम सीट से MLA किरण चौधरी अपनी बेटी श्रुति चौधरी को भिवानी-महेंद्रगढ़ सीट से लोकसभा चुनाव लड़ना चाहती थीं। श्रुति पहले भी 2009 में इस सीट से सांसद रह चुकी है, लेकिन पिछले 2 चुनाव में लगातार हार के कारण पार्टी ने इस बार उनकी टिकट काटकर पूर्व CM भूपेंद्र सिंह हुड्डा के खास महेंद्रगढ़ से विधायक राव दान सिंह को दे दी। बेटी की टिकट कटते ही किरण ने बगावती तेवर अपना लिए थे, लेकिन चुनाव के वक्त पार्टी नहीं छोड़ी। किरण और उनकी बेटी श्रुति ने प्रचार से पूरी तरह किनारा कर लिया। दोनों तरफ से खूब बयानबाजी हुई। आखिर में भिवानी-महेंद्रगढ़ सीट कांग्रेस के हाथ से निकल गई। कांग्रेस केंडिडेट ने हार का कारण भितरघात बताया। इसके बाद किरण ने फिर से मीडिया के सामने आकर पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा का नाम लिए बगैर उन पर कई आरोप लगाए। इससे साफ होने लगा कि किरण अब बहुत जल्द पार्टी को अलविदा कह सकती है। सत्ता जाने के बाद हुड्डा से शुरू हुई अदावत
दरअसल, किरण चौधरी तत्कालीन हुड्डा सरकार के दोनों टर्म 2005 और 2009 में कैबिनेट मंत्री रहीं। उस समय राजनैतिक तौर पर किरण और हुड्डा की सही पटरी बैठ रही थी, लेकिन 2014 में कांग्रेस की सरकार जाने के बाद कांग्रेस में गुटबाजी और ज्यादा उभरकर आ गई। पहले से हुड्डा विरोधी रही कुमारी सैलजा के बाद रणदीप सुरजेवाला और किरण चौधरी के अलावा कैप्टन अजय सिंह की हुड्डा के साथ खटपट शुरू हो गई। हालांकि, पार्टी हाईकमान की तरफ से 2014 के विधानसभा चुनाव के बाद किरण को CLP लीडर बनाया गया, लेकिन 2019 के चुनाव आते-आते किरण और भूपेंद्र हुड्डा के बीच तनातनी पूरी तरह जगजाहिर हो गई। पिछले 3 साल में तो ये और ज्यादा बढ़ गई। सैलजा, रणदीप के साथ किरण भी शामिल हो गईं और इन तीनों सीनियर नेताओं ने अपनी अलग राह चुन ली। हरियाणा में एक गुट भूपेंद्र हुड्डा तो दूसरा SRK (सैलजा, रणदीप, किरण) के नाम से जाना जाने लगा। लोकसभा चुनाव के दौरान भी किरण और श्रुति सिरसा में कैंडिडेट सैलजा के प्रचार में तो जरूर गई, लेकिन अपने खुद के गढ़ में एक दिन भी प्रचार नहीं किया। बंसीलाल की विरासत संभाल रहीं किरण
किरण चौधरी पूर्व मुख्यमंत्री चौधरी बंसीलाल की पुत्रवधू हैं। पति सुरेंद्र सिंह की मौत के बाद किरण ही 2005 से बंसीलाल की राजनीतिक विरासत को संभाले हुए हैं। किरण ने कई बार खुले तौर पर यह बात कही कि पार्टी के भीतर ही उनकी अनदेखी की जा रही है। उनके गढ़ में कांग्रेस के कार्यक्रम हो जाते हैं और उन्हें बुलाया तक नहीं जाता। ऐसे में किरण के सामने चुनौती बंसीलाल की विरासत को बचाने की आ गई। क्योंकि, कांग्रेस में रहते हुए बंसीलाल के कोर वोटर को रोकना किरण चौधरी के लिए मुश्किल हो रहा था। इसे बचाने के लिए उन्होंने कांग्रेस छोड़ BJP जॉइन करने का बड़ा फैसला लिया।