सरकारी स्कूल के मिड-डे मील में बड़ी लापरवाही:चार बच्चों की तबीयत बिगड़ी, चार दिन पहले ही शिक्षा मंत्री ने ली थी SMC की बैठक

सरकारी स्कूल के मिड-डे मील में बड़ी लापरवाही:चार बच्चों की तबीयत बिगड़ी, चार दिन पहले ही शिक्षा मंत्री ने ली थी SMC की बैठक

हरियाणा में करनाल के पुंडरी गांव के सरकारी स्कूल में मिड-डे मील अंदर से अब सनसनीखेज तस्वीरें सामने आई हैं, जिसमें चावलों में सुरसरी चलती हुई नजर आ रही है। जिसके बाद राशन की गुणवत्ता और स्कूल प्रबंधन भी सवालों के घेरे में है। यह हाल तब है जब शिक्षा मंत्री सीमा त्रिखा ने चार दिन पहले SMC के साथ बैठक कर मिड्डे मिल को लेकर स्पष्ट निर्देश दिए थे, उसके बावजूद भी लापरवाही बरती गई। जब इस स्कूल का ऐसा हाल है, तो अन्य स्कूलों में बच्चों को किस तरह का खाना दिया जाता होगा, इस पर गंभीर सवाल खड़े होते हैं। हालांकि सुरसरी मिलने के बाद खाद्य सामग्री के सैंपल लेकर लैब में जांच के लिए भेज दिया है। लैब रिपोर्ट में क्या कुछ सामने आता है वह भी देखने वाली बात है। कल खाने के बाद बिगड़ी तबीयत बतादें कि वीरवार को मिड मिल के खाने के बाद चार बच्चों की तबियत बिगड़ने की घटना ने शिक्षा महकमे में हड़कंप मचा दिया है। यह घटना शिक्षा मंत्री सीमा त्रिखा द्वारा चार दिन पहले ही मिड-डे मील की गुणवत्ता पर जोर देने और सख्त निर्देश जारी करने के बावजूद हुई है। मिड-डे मील की खिचड़ी खाने के बाद चार छात्रों को उल्टी, पेट दर्द और अन्य समस्याएं होने लगीं। आनन-फानन में सभी बच्चों को पानीपत के सरकारी अस्पताल में भर्ती करवाया गया। इस मामले की जानकारी मिलते ही घरौंडा के खंड शिक्षा अधिकारी (बीईओ) रविंद्र कुमार भी बच्चों की सेहत की जानकारी लेने के लिए अस्पताल पहुंचे। मिड-डे मील में बड़ी लापरवाही पुंडरी के सरकारी स्कूल में छठी कक्षा के छात्रों ने मिड-डे मील का खाना खाया और खाना खाने के कुछ समय बाद ही बच्चों को उल्टियां, पेट दर्द और चक्कर आने लगे। तुरंत ही बच्चों को स्थानीय मेडिकल स्टोर पर ले जाया गया, जहां उनकी प्रारंभिक चिकित्सा की गई। घटना के बाद शिक्षा विभाग में हड़कंप मच गया। बच्चों को फूड पॉइजनिंग की आशंका है। बच्चों की गंभीर स्थिति को देखते हुए उन्हें पानीपत के सिविल अस्पताल में भर्ती कराया गया। हड़ताल के कारण देरी से पहुंचे डॉक्टर वीरवार को डॉक्टरों की हड़ताल के कारण एनएचएम के डॉक्टर आधे घंटे की देरी से पहुंचे। प्रारंभिक उपचार के बाद बच्चों को अस्पताल में भर्ती कर लिया गया। यहां पर चार बच्चे एडमिट हुए हैं, जिसमें भारती, कृष, धैर्य और नवीन शामिल हैं। वहीं परिजनों का दावा है कि 10 बच्चों की तबियत खराब हुई थी। स्थानीय निवासियों की चिंता ​​​​​​​पुंडरी गांव की निवासी देबो ने बताया कि उनकी पोती भारती (11) भी उन्हीं बच्चों में शामिल है जिनकी तबीयत बिगड़ी। भारती छठी कक्षा की छात्रा है और उसने भी मिड-डे मील खाया था। देबो ने बताया, “स्कूल से कुछ बच्चे घर आए और बताया कि खिचड़ी खाने से भारती समेत कई बच्चे बीमार हो गए हैं। जब हम मौके पर पहुंचे तो बच्चों को उल्टियां हो रही थीं, पेट दर्द और चक्कर आ रहे थे।” प्रिंसिपल का बचाव ​​​​​​​पुंडरी स्कूल के प्रिंसिपल रणबीर सिंह ने इन आरोपों को नकारते हुए कहा कि मिड-डे मील से बच्चों की तबीयत बिगड़ने का कोई मामला नहीं है। उन्होंने कहा, “मिड-डे मील का खाना बच्चों ने भी खाया था और टीचर ने भी। दो बच्चों को जरूर उल्टियां हुईं, लेकिन वह पानी पीकर ठीक हो गए। कई बार बच्चे चिप्स और कुरकुरे भी खाकर आते हैं। बीईओ का आश्वासन ​​​​​​​खंड शिक्षा अधिकारी रविंद्र कुमार ने कहा कि पुंडरी गांव में बच्चों की तबीयत बिगड़ने का मामला सामने आया है और मैंने पानीपत अस्पताल में जाकर बच्चों की तबियत की जानकारी ली है। चार बच्चों की तबीयत खराब हुई थी। उन्होंने कहा, “किसी भी तरह की लापरवाही की जांच की जाएगी और तथ्य सामने आने पर उचित कार्रवाई की जाएगी। ”शिक्षा मंत्री के आदेशों की अनदेखी ​​​​​​​गौरतलब है कि शिक्षा मंत्री सीमा त्रिखा ने हाल ही में चार दिन पहले एसएमसी की बैठक में मिड-डे मील इंचार्जों को स्पष्ट निर्देश दिए थे कि मिड-डे मील का ध्यान रखें और किसी भी तरह की कोताही न बरती जाए। इसके बावजूद, चार दिन के भीतर ही एक बड़ी लापरवाही सरकारी स्कूल में सामने आई और इस लापरवाही का खामियाजा छोटे बच्चों को भुगतना पड़ा। मिड-डे मील की गुणवत्ता पर सवाल ​​​​​​​सरकारी स्कूल के मिड-डे मील के अंदर से अब सनसनीखेज तस्वीरें सामने आई हैं, जिसमें चावलों में सुरसरी चलती हुई नजर आ रही है। जब इस स्कूल का ऐसा हाल है, तो अन्य स्कूलों में बच्चों को किस तरह का खाना दिया जाता होगा, इस पर गंभीर सवाल खड़े होते हैं। आगे की कार्रवाई ​​​​​​​इस घटना के बाद शिक्षा विभाग की साख पर सवाल उठे हैं। बीईओ रविंद्र कुमार ने पूरे मामले की जांच करने की बात कही है। अब देखने वाली बात यह है कि इस मामले को शिक्षा विभाग कितनी गंभीरता से लेता है और किसके खिलाफ क्या कार्रवाई होती है।इस घटना ने यह साबित कर दिया है कि मिड-डे मील की गुणवत्ता और निगरानी में अब भी कई खामियां हैं। बच्चों की सुरक्षा और सेहत को प्राथमिकता देते हुए शिक्षा विभाग को इस मामले में सख्त कदम उठाने की आवश्यकता है। हरियाणा में करनाल के पुंडरी गांव के सरकारी स्कूल में मिड-डे मील अंदर से अब सनसनीखेज तस्वीरें सामने आई हैं, जिसमें चावलों में सुरसरी चलती हुई नजर आ रही है। जिसके बाद राशन की गुणवत्ता और स्कूल प्रबंधन भी सवालों के घेरे में है। यह हाल तब है जब शिक्षा मंत्री सीमा त्रिखा ने चार दिन पहले SMC के साथ बैठक कर मिड्डे मिल को लेकर स्पष्ट निर्देश दिए थे, उसके बावजूद भी लापरवाही बरती गई। जब इस स्कूल का ऐसा हाल है, तो अन्य स्कूलों में बच्चों को किस तरह का खाना दिया जाता होगा, इस पर गंभीर सवाल खड़े होते हैं। हालांकि सुरसरी मिलने के बाद खाद्य सामग्री के सैंपल लेकर लैब में जांच के लिए भेज दिया है। लैब रिपोर्ट में क्या कुछ सामने आता है वह भी देखने वाली बात है। कल खाने के बाद बिगड़ी तबीयत बतादें कि वीरवार को मिड मिल के खाने के बाद चार बच्चों की तबियत बिगड़ने की घटना ने शिक्षा महकमे में हड़कंप मचा दिया है। यह घटना शिक्षा मंत्री सीमा त्रिखा द्वारा चार दिन पहले ही मिड-डे मील की गुणवत्ता पर जोर देने और सख्त निर्देश जारी करने के बावजूद हुई है। मिड-डे मील की खिचड़ी खाने के बाद चार छात्रों को उल्टी, पेट दर्द और अन्य समस्याएं होने लगीं। आनन-फानन में सभी बच्चों को पानीपत के सरकारी अस्पताल में भर्ती करवाया गया। इस मामले की जानकारी मिलते ही घरौंडा के खंड शिक्षा अधिकारी (बीईओ) रविंद्र कुमार भी बच्चों की सेहत की जानकारी लेने के लिए अस्पताल पहुंचे। मिड-डे मील में बड़ी लापरवाही पुंडरी के सरकारी स्कूल में छठी कक्षा के छात्रों ने मिड-डे मील का खाना खाया और खाना खाने के कुछ समय बाद ही बच्चों को उल्टियां, पेट दर्द और चक्कर आने लगे। तुरंत ही बच्चों को स्थानीय मेडिकल स्टोर पर ले जाया गया, जहां उनकी प्रारंभिक चिकित्सा की गई। घटना के बाद शिक्षा विभाग में हड़कंप मच गया। बच्चों को फूड पॉइजनिंग की आशंका है। बच्चों की गंभीर स्थिति को देखते हुए उन्हें पानीपत के सिविल अस्पताल में भर्ती कराया गया। हड़ताल के कारण देरी से पहुंचे डॉक्टर वीरवार को डॉक्टरों की हड़ताल के कारण एनएचएम के डॉक्टर आधे घंटे की देरी से पहुंचे। प्रारंभिक उपचार के बाद बच्चों को अस्पताल में भर्ती कर लिया गया। यहां पर चार बच्चे एडमिट हुए हैं, जिसमें भारती, कृष, धैर्य और नवीन शामिल हैं। वहीं परिजनों का दावा है कि 10 बच्चों की तबियत खराब हुई थी। स्थानीय निवासियों की चिंता ​​​​​​​पुंडरी गांव की निवासी देबो ने बताया कि उनकी पोती भारती (11) भी उन्हीं बच्चों में शामिल है जिनकी तबीयत बिगड़ी। भारती छठी कक्षा की छात्रा है और उसने भी मिड-डे मील खाया था। देबो ने बताया, “स्कूल से कुछ बच्चे घर आए और बताया कि खिचड़ी खाने से भारती समेत कई बच्चे बीमार हो गए हैं। जब हम मौके पर पहुंचे तो बच्चों को उल्टियां हो रही थीं, पेट दर्द और चक्कर आ रहे थे।” प्रिंसिपल का बचाव ​​​​​​​पुंडरी स्कूल के प्रिंसिपल रणबीर सिंह ने इन आरोपों को नकारते हुए कहा कि मिड-डे मील से बच्चों की तबीयत बिगड़ने का कोई मामला नहीं है। उन्होंने कहा, “मिड-डे मील का खाना बच्चों ने भी खाया था और टीचर ने भी। दो बच्चों को जरूर उल्टियां हुईं, लेकिन वह पानी पीकर ठीक हो गए। कई बार बच्चे चिप्स और कुरकुरे भी खाकर आते हैं। बीईओ का आश्वासन ​​​​​​​खंड शिक्षा अधिकारी रविंद्र कुमार ने कहा कि पुंडरी गांव में बच्चों की तबीयत बिगड़ने का मामला सामने आया है और मैंने पानीपत अस्पताल में जाकर बच्चों की तबियत की जानकारी ली है। चार बच्चों की तबीयत खराब हुई थी। उन्होंने कहा, “किसी भी तरह की लापरवाही की जांच की जाएगी और तथ्य सामने आने पर उचित कार्रवाई की जाएगी। ”शिक्षा मंत्री के आदेशों की अनदेखी ​​​​​​​गौरतलब है कि शिक्षा मंत्री सीमा त्रिखा ने हाल ही में चार दिन पहले एसएमसी की बैठक में मिड-डे मील इंचार्जों को स्पष्ट निर्देश दिए थे कि मिड-डे मील का ध्यान रखें और किसी भी तरह की कोताही न बरती जाए। इसके बावजूद, चार दिन के भीतर ही एक बड़ी लापरवाही सरकारी स्कूल में सामने आई और इस लापरवाही का खामियाजा छोटे बच्चों को भुगतना पड़ा। मिड-डे मील की गुणवत्ता पर सवाल ​​​​​​​सरकारी स्कूल के मिड-डे मील के अंदर से अब सनसनीखेज तस्वीरें सामने आई हैं, जिसमें चावलों में सुरसरी चलती हुई नजर आ रही है। जब इस स्कूल का ऐसा हाल है, तो अन्य स्कूलों में बच्चों को किस तरह का खाना दिया जाता होगा, इस पर गंभीर सवाल खड़े होते हैं। आगे की कार्रवाई ​​​​​​​इस घटना के बाद शिक्षा विभाग की साख पर सवाल उठे हैं। बीईओ रविंद्र कुमार ने पूरे मामले की जांच करने की बात कही है। अब देखने वाली बात यह है कि इस मामले को शिक्षा विभाग कितनी गंभीरता से लेता है और किसके खिलाफ क्या कार्रवाई होती है।इस घटना ने यह साबित कर दिया है कि मिड-डे मील की गुणवत्ता और निगरानी में अब भी कई खामियां हैं। बच्चों की सुरक्षा और सेहत को प्राथमिकता देते हुए शिक्षा विभाग को इस मामले में सख्त कदम उठाने की आवश्यकता है।   हरियाणा | दैनिक भास्कर