सहारनपुर में एक चार साल के बच्चे पर कुत्तों के झुंड ने हमला कर दिया। कुत्तों ने बच्चे को नोंच लिया। बच्चे लहूलुहान हो गया। नोचते हुए दूसरे खेत में ले गए। जब तक बच्चे की मौत नहीं हुई, कुत्ते नोंचते रहे। मौके पर ही उसकी मौत हो गई। देर रात में ही बच्चे का अंतिम संस्कार कर दिया। मामला थाना रामपुर मनिहारान के गांव इस्लामनगर के मजरा काजीपुर का है। थाना रामपुर मनिहारान के मजरा काजीपुरा में बुधवार की शाम को विशांत (4) को कुत्तों के झुंड ने नोंच डाला। पिता विनय अपनी पत्नी सपना के साथ बुधवार की देर शाम खेत में काम कर रहा था। उन्होंने खेत में सब्जी लगा रखी है। चार वर्षीय बेटे विशांत को भी साथ ले गए थे। पति-पत्नी खेत में काम करने लगे। बच्चा खेलते हुए उनसे अलग हो गया। बच्चा खेत में खेला रहा था। तभी दूसरे खेत से करीब 6 कुत्तों के झुंड ने विशांत पर हमला कर दिया। कुत्तें बच्चे को खींचकर दूसरे खेत में ले गए। विशांत चीखने-चिल्लाने लगा। बच्चे के चीखने की आवाज सुनकर उसका दादा परमाल व अन्य किसान बच्चे की तरफ दौड़ पड़े। लेकिन तब तक कुत्तों ने बच्चे का पेट फाड़ दिया। उसकी आंतें बाहर निकाल दीं। बच्चे के दादा परमाल और ग्रामीणों ने कुत्तों से बमुश्किल बच्चे को छुड़वाया। परिजन बच्चे को सहारनपुर में अस्पताल में लेकर आए। लेकिन चिकित्सकों ने बच्चे को मृत घोषित कर दिया। बच्चे के शव को परिजन लेकर गांव में आ गए और उसका अंतिम संस्कार कर दिया। विनय का विशांत इकलौता बेटा था। अब दो बेटी हैं, जिनमें एक दिव्यांग है। विनय मजदूरी कर परिवार को चला रहा है। सहारनपुर में एक चार साल के बच्चे पर कुत्तों के झुंड ने हमला कर दिया। कुत्तों ने बच्चे को नोंच लिया। बच्चे लहूलुहान हो गया। नोचते हुए दूसरे खेत में ले गए। जब तक बच्चे की मौत नहीं हुई, कुत्ते नोंचते रहे। मौके पर ही उसकी मौत हो गई। देर रात में ही बच्चे का अंतिम संस्कार कर दिया। मामला थाना रामपुर मनिहारान के गांव इस्लामनगर के मजरा काजीपुर का है। थाना रामपुर मनिहारान के मजरा काजीपुरा में बुधवार की शाम को विशांत (4) को कुत्तों के झुंड ने नोंच डाला। पिता विनय अपनी पत्नी सपना के साथ बुधवार की देर शाम खेत में काम कर रहा था। उन्होंने खेत में सब्जी लगा रखी है। चार वर्षीय बेटे विशांत को भी साथ ले गए थे। पति-पत्नी खेत में काम करने लगे। बच्चा खेलते हुए उनसे अलग हो गया। बच्चा खेत में खेला रहा था। तभी दूसरे खेत से करीब 6 कुत्तों के झुंड ने विशांत पर हमला कर दिया। कुत्तें बच्चे को खींचकर दूसरे खेत में ले गए। विशांत चीखने-चिल्लाने लगा। बच्चे के चीखने की आवाज सुनकर उसका दादा परमाल व अन्य किसान बच्चे की तरफ दौड़ पड़े। लेकिन तब तक कुत्तों ने बच्चे का पेट फाड़ दिया। उसकी आंतें बाहर निकाल दीं। बच्चे के दादा परमाल और ग्रामीणों ने कुत्तों से बमुश्किल बच्चे को छुड़वाया। परिजन बच्चे को सहारनपुर में अस्पताल में लेकर आए। लेकिन चिकित्सकों ने बच्चे को मृत घोषित कर दिया। बच्चे के शव को परिजन लेकर गांव में आ गए और उसका अंतिम संस्कार कर दिया। विनय का विशांत इकलौता बेटा था। अब दो बेटी हैं, जिनमें एक दिव्यांग है। विनय मजदूरी कर परिवार को चला रहा है। उत्तरप्रदेश | दैनिक भास्कर
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लाशों को गिनने वाले भास्कर रिपोर्टर की आंखों देखी:शवों को छूकर देखा जिंदा तो नहीं, आंकड़ा सामने आने पर सरकार की नींद खुली
लाशों को गिनने वाले भास्कर रिपोर्टर की आंखों देखी:शवों को छूकर देखा जिंदा तो नहीं, आंकड़ा सामने आने पर सरकार की नींद खुली मंगलवार दोपहर 2 बजे। दोस्त का फोन आया। बोला-हाथरस के फुलरई गांव में भोले बाबा के सत्संग में भगदड़ मची है क्या? मैंने कहा- अभी ऐसी जानकारी नहीं। पता करता हूं। मैंने अफसरों को कॉल किया। उन्हें भी जानकारी नहीं थी। खबर 3 बजे कन्फर्म हुई। 3.15 बजे लखनऊ डेस्क को सूचना देकर खबर ब्रेक की। तुरंत हाथरस सिटी से 40 किलोमीटर दूर फुलरई गांव के लिए रवाना हुआ। रास्ते में अफसरों से बात करते हुए घटना की जानकारी लेता रहा, लेकिन लोग भगदड़ को हल्के में ले रहे थे। इतनी मौत देख डॉक्टर भी कुछ बोलने को तैयार नहीं थे। कितनी मौतें हुईं यह जानने के लिए भटकता रहा। जिम्मेदारों से पूछता रहा, लेकिन किसी ने मुंह नहीं खोला। कोई रास्ता नहीं दिखा, तो मैंने हिम्मत कर एक-एक शवों को गिनना शुरू किया। बहुत मुश्किल था। मैंने 95 शवों को गिना। इतनी मौत का यह आंकड़ा सबसे पहले भास्कर ने ब्रेक किया। तब जाकर प्रशासन से लेकर सरकार तक की नींद खुली। भास्कर रिपोर्टर मनोज महेश्वरी की जुबानी पढ़िए पूरी घटना… लोडर में भरकर लाशें ले जाई गईं
मैंने अपनी गाड़ी CHC की तरफ मोड़ दी। अभी CHC से 400 मीटर दूर ही था, तभी बगल से एक लोडर गुजरा। उसमें लाशों के बीच महिला बैठी थी। एक अचेत महिला की हथेली को सहला रही थी। ये मंजर देखकर मैं समझ गया कि हादसा बहुत बड़ा है। CHC पहुंचा तो वहां भारी भीड़ दिखी। चारों तरफ चीख-पुकार मची थी। गाड़ी से उतर कर CHC की तरफ बढ़ा तो कुछ समझ ही नहीं आया। चारों तरफ जमीन पर केवल लोग पड़े थे। थोड़ा आगे बढ़ा तो पता चला कि इनमें से ज्यादातर मर चुके हैं। जो जिंदा थे, उनकी हालत भी गंभीर थी। इन लाशों के बीच कुछ लोग इधर-उधर भाग रहे थे। चीखते-चिल्लाते अपनों की पहचान में लगे थे। वहां कई लोगों से बात करने की कोशिश की, लेकिन कुछ बता नहीं पाया। मैं CHC के अंदर गया। वहां बिजली कटने से अंधेरा था। वहां एक ही डॉक्टर थे, जो केवल घायलों की एंट्री भर कर पा रहे थे। लोग इस कदर घायल थे कि उनका CHC में इलाज संभव नहीं था। इलाज न मिलने से लोग दम तोड़ रहे थे। कुछ को वहां से हायर सेंटर रेफर किया गया। लाश गिनते-गिनते मेरी आंखों से आंसू निकल आए
वहां डॉक्टर से मौत का आंकड़ा पूछा तो बता नहीं पाए। इसके बाद खुद लाशों को गिनने लगा। CHC के अंदर और बाहर एक-एक कर 30 मिनट में 95 लाशें गिन डाली। लाशों को छूकर देखा कहीं कोई जिंदा तो नहीं। किसी का सिर कुचला था, तो किसी का चेहरा खून से लाल था। ये सब देख आंखों में आंसू आ गए। किसी तरह खुद को संभाला और मृतकों की काउंटिंग कर लखनऊ हेड ऑफिस को रिपोर्ट दी। ऐसा दृश्य मैंने आज तक नहीं देखा था और न कभी देखना चाहूंगा। हर तरफ चीख-पुकार थी। इनमें ज्यादातर लाशें लावारिस थीं। सत्संग स्थल पर लोग बोले- भागो नहीं तो मारे जाओगे
वहां से मैं सत्संग स्थल के लिए निकला। सत्संग स्थल पहुंच कर अंदर की तरफ बढ़ा। वहां हर तरफ अफरा-तफरी मची थी। कोई अपनों को खोज रहा था तो कोई जान बचाकर भागता दिखा। पवन कुमार नाम के एक युवक से पूछा कि क्या हुआ? तो उसने कहा- जल्दी भागो, नहीं तो कुचले जाओगे, भीड़ में न जाओ नहीं तो जिंदा नहीं बचोगे। मैं अपनी मां और बच्चों को खोज रहा हूं, लेकिन उनका कुछ पता नहीं चल रहा है। आगे बढ़ते-बढ़ते मैं भी उसी भीड़ में खो गया। मुझे सिर्फ चीख-पुकार सुनाई दे रही थी। वहां भी हर तरफ लोग जमीन पर पड़े थे। कोई अपने बच्चों तो कोई अपनी मां-बाप और भाई को गले से लगाकर चीख रहा था। हर कदम पर लाशें बिछी पड़ी थीं। अभी पुलिस-प्रशासन का कोई नजर नहीं आ रहा था। एकसाथ इतनी मौतें मैंने अपने 30 साल के पत्रकारिता करियर में कभी नहीं देखीं। यूपी में कभी ऐसा सुना भी नहीं था। कोई कुछ बता नहीं पा रहा था कि आखिर कितने लोगों की जान गई है। सबके सामने कोई अपना पड़ा था। शव ले जाने से रोका तो लोग बोले- हमें मुआवजा नहीं चाहिए
कोई कार्यक्रम के आयोजकों को गुस्से में गाली दे रहा था तो कोई प्रशासन की व्यवस्था को कोस रहा था। यहां लोग गम और गुस्से में डूबे हुए थे। लाशों से लिपटकर रोने वाले लोग बदहवास थे। कोई जिम्मेदार अधिकारी मौके पर मौजूद नहीं था। कुछ कर्मचारी जरूर शवों की गिनती करने की औपचारिक पूरी कर रहे थे। इस दौरान कुछ मृतकों के परिजन आ गए और वह शवों को ले जाने लगे। प्रशासनिक कर्मचारियों ने उन्हें रोका। कहा- शवों का पोस्टमॉर्टम होने के बाद ही घर ले जाएं। लेकिन परिजन रोते हुए यह बोल रहे थे कि उनका अब सब कुछ उजड़ गया। पोस्टमॉर्टम से क्या हो जाएगा। हमें मुआवजा नहीं चाहिए। CHC से 3 घंटे बाद लाशों को पोस्टमॉर्टम के लिए भेजा
घटनास्थल पर चारों तरफ लाशें बिखरी पड़ी थीं। करीब एक घंटे बाद अधिकारियों का आना शुरू हुआ। CHC से 3 घंटे बाद इन लाशों को पोस्टमॉर्टम के लिए भेजने का सिलसिला शुरू हुआ। वहां मौजूद हर किसी की आंख में आंसू थे। लाश से लिपट कर रोते बदहवास परिजन को लोग दिलासा दे रहे थे। क्यों मची भगदड़?
सत्संग के बाद भोले बाबा जब निकला, तो चरण रज लेने के लिए महिलाएं टूट पड़ीं। भीड़ हटाने के लिए वॉलंटियर्स ने वाटर कैनन का उपयोग किया। बचने के लिए भीड़ इधर-उधर भागने लगी और भगदड़ मच गई। लोग एक-दूसरे को रौंदते हुए आगे बढ़ने लगे। यह भी पढ़ें… 2 मिनट में देखिए हाथरस हादसे का VIDEO हाथरस में मंगलवार को सबसे भयानक मंजर देखने को मिला। जिस सत्संग में भगदड़ मची। उससे जुड़े तीन वीडियो सामने आए हैं। पहला वीडियो उस वक्त का है जब भोले बाबा काफिले के साथ सत्संग स्थल पर पहुंचा। दूसरा बाबा के अनुयायियों की भीड़ से जुड़ा है। तीसरे में बाबा के भक्त और पुलिसकर्मी जयकारे लगाते हुए दिख रहे हैं। क्लिक कर देखें वीडियो हाथरस में सत्संग के बाद भगदड़, 122 की मौत:अस्पताल के बाहर बिखरी पड़ी लाशें; भास्कर रिपोर्टर ने गिनीं; 150 घायल यूपी के हाथरस में भोले बाबा के सत्संग के दौरान भगदड़ मच गई। इसमें 122 लोगों की मौत हो गई। 150 से अधिक घायल हैं। कई लोगों की हालत गंभीर है। मृतकों की संख्या बढ़ सकती है। हादसा हाथरस जिले से 47 किमी दूर फुलरई गांव में हुआ है। पढ़ें पूरी खबर हाथरस हादसे में 22 पर FIR, बाबा का नाम नहीं; रातभर हुए पोस्टमॉर्टम; CM आज पहुंचेंगे उत्तर प्रदेश के हाथरस में भोले बाबा के सत्संग के बाद हुई भगदड़ में 122 लोगों की मौत हो गई। फुलरई गांव में मंगलवार दोपहर करीब 1 बजे हुआ। हादसे के बाद अस्पतालों में हालात भयावह हो गए। लाशों और घायलों को बस-टैंपो में भरकर सिकंदराराऊ CHC, एटा जिला अस्पताल और अलीगढ़ मेडिकल कॉलेज भेजा गया। अब तक 122 की मौत हो चुकी है…(पढ़ें पूरी खबर)
Uttarakhand News: बारिश कम होते उत्पादन बढ़ा, हरी सब्जियों के दाम हुए आधे, जानें क्या बोले ग्राहक
Uttarakhand News: बारिश कम होते उत्पादन बढ़ा, हरी सब्जियों के दाम हुए आधे, जानें क्या बोले ग्राहक <p style=”text-align: justify;”><strong>Uttarakhand News:</strong> उत्तराखंड में मानसून की दस्तक के बाद से सब्जी के दामों में भारी इजाफा हुआ था. लेकिन पिछले कुछ दिनों से कुमाऊं मंडल के तराई क्षेत्र में रेड अलर्ट के बावजूद बरसात ना होने से सब्जी के रेट में गिरावट दिखाई दे रही है. बाजार में सब्जी के रेट में आई गिरावट से ग्राहकों एवं व्यापारियों के चेहरे खिल उठे हैं.</p>
<p style=”text-align: justify;”>प्रदेश की कुमाऊं मंडल के तराई क्षेत्र में पिछले कुछ दिनों से रेड अलर्ट के बावजूद बरसात ना होने से हरी सब्जी की पैदावार में वृद्धि हो गई. पैदावार बढ़ने से करेला, तोरई, कद्दू, लौकी, भिंडी सहित कई हरी सब्जियों के रेट आधे हो गए हैं, जबकि टमाटर के रेटों में बीस प्रतिशत की कमी आई है. मौसम खुलते ही सब्जी के रेटों में कमी के कारण ग्राहकों और व्यापारियों के चेहरे खिल उठे हैं, हरी सब्जी के रेटों में आई कमी से बाजार में इन सब्जियों की डिमांड काफी बढ़ गई है.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>क्या बोले सब्जी विक्रेता </strong><br />सब्जी विक्रेता रियाज अहमद ने बताया कि मानसून की दस्तक के साथ ही सब्जी के रेट में भारी उछाल आया था, और हरी सब्जी के रेट दोगुने हो गए थें. लेकिन पिछले एक सप्ताह से उधम सिंह नगर जिले में बरसात कम होने से सब्जी का उत्पादन बढ़ गया है. उन्होंने कहा कि उत्पादन बढ़ने से हरी सब्जी के रेट आधे हो गए हैं, हमें उम्मीद है आगे भी रेट ऐसे ही रहने वाले हैं.</p>
<p style=”text-align: justify;”>ग्राहक अविनाश वर्मा ने बताया कि बरसात आते ही अचानक से सब्जी के रेटों में भारी उछाल देखने को मिला था. लेकिन पिछले कुछ दिनों में हरी सब्जियों के रेट आधे हो गए हैं. उन्होंने बताया कि भिंडी 80 रुपये से 40 रुपये, तोरई 40 रुपये से 15 रुपये, कद्दू 50 रुपये से 30 रुपये, करेला 60 रुपये से 30 रुपये एवं टमाटर 100 रुपये से 80 रुपये पर आ गया. उन्होंने कहा कि प्रदेश में डबल इंजन की सरकार है, सरकार को खाने वाली वस्तुओं के रेटों नियंत्रित करना चाहिए. ताकि आम आदमी को राहत मिल सकें.</p>
<p style=”text-align: justify;”>ये भी पढ़ें:<strong><a href=”https://www.abplive.com/states/up-uk/sdm-jyoti-maurya-case-allahabaad-high-court-manish-dubey-relief-august-case-heard-ann-2746913″> SDM ज्योति मौर्य मामले में मनीष दुबे को HC से राहत, अगस्त में होगी अगली सुनवाई</a></strong></p>
संगीत सोम बोले- बालियान अहंकार से हारे:मेरे ऐसे संस्कार नहीं कि जयचंद बनूं; मैं इतना बड़ा नेता नहीं कि मंत्री को हरवा दूं
संगीत सोम बोले- बालियान अहंकार से हारे:मेरे ऐसे संस्कार नहीं कि जयचंद बनूं; मैं इतना बड़ा नेता नहीं कि मंत्री को हरवा दूं मुजफ्फरनगर में भाजपा को मिली हार पर 2 बड़े दिग्गज नेता आमने-सामने आ गए हैं। पूर्व विधायक संगीत सोम ने मंगलवार को कहा- संजीव बालियान 5 सालों में हुए भ्रष्टाचार की वजह से हारे हैं। लोग परेशान थे, इसलिए वह चुनाव हार गए। मुझे माता-पिता ने ऐसे संस्कार नहीं दिए कि मैं जयचंद बनूं। दरअसल, कल संजीव बालियान ने कहा था- संगीत सोम ने सपा प्रत्याशी को चुनाव लड़वाया। सरकार से सुविधाएं लेकर घूमते रहे। मुस्लिम मतदाताओं का ध्रुवीकरण और हिंदुओं का जातियों में बंट जाना, उनकी हार की प्रमुख वजह रही। शिखंडी ने इस बार भी छिपकर वार किया, इसलिए मैं हार गया। संगीत बोले- मैं इतना बड़ा नेता नहीं कि घर बैठकर किसी को हरवा दूं
दूसरी तरफ बालियान के आरोपों पर पलटवार करते हुए संगीत सोम ने मेरठ कैंट स्थित अपने आवास पर जवाब दिए। पूर्व विधायक ने कहा- भाजपा सरधना विधानसभा क्षेत्र से जीती है, लेकिन संजीव कुमार बालियान बुढ़ाना और चरथावल में हार गए। उन्होंने कहा- आरोप लगाने से पहले डॉ. संजीव कुमार बालियान को अपनी हार की समीक्षा करनी चाहिए। मेरी जिम्मेदारी सरधना की थी। बुढ़ाना और चरथावल में बालियान क्यों हारे, वो तो उनके घर की सीटें हैं। वहां उन्होंने 10 साल में तमाम विकास काम कराया है। मैं अकेला इतना बड़ा नेता नहीं हूं कि घर बैठकर एक मंत्री को हरा दूं। संगीत सोम ने कहा- उनके मन में कोई बात है तो उसे पार्टी फोरम में रखें न कि इस तरह मीडिया के सामने आएं। मैं बड़ा नेता नहीं, भाजपा का कार्यकर्ता हूं, मुझे सरधना की जिम्मेदारी मिली थी उसे मैंने अच्छे से निभाया। संगीत सोम की प्रेस कॉन्फ्रेंस में एक प्रेस नोट बांटा गया। बाद में संगीत ने कहा- ये प्रेस नोट हमारे नहीं हैं। जिस किसी ने बंटवाए हैं। उनका पता लगाया जाएगा। मैं मुकदमा करवाऊंगा। संजीव बालियान ने गिनाए थे हार के 3 कारण
मुजफ्फरनगर सीट से 2 बार सांसद रहे संजीव बालियान अपनी हार के बाद दिल्ली चले गए थे। मुजफ्फरनगर लौटने के बाद पूरा लेखा-जोखा पब्लिक के सामने रखा। इस दौरान संजीव बालियान ने अपनी हार के 3 कारण गिनाए। उन्होंने कहा- मुस्लिम मतों का ध्रुवीकरण, हिंदू जातियों का आपस में बंटवारा और मतदान प्रतिशत में गिरावट की वजह से मुझे हार मिली। इसके साथ ही संजीव बालियान ने भीतरघात की भी बात की। मुजफ्फरनगर में 24 हजार वोट से मिली थी हार
इस चुनाव में मुजफ्फरनगर सीट पर भाजपा उम्मीदवार संजीव बालियान और सपा के उम्मीदवार हरेंद्र सिंह के बीच सियासी मुकाबला था। सपा नेता बाजी मार गए, हरेंद्र ने 24 हजार वोटों के अंतर से जीत दर्ज की। सपा नेता हरेंद्र सिंह मलिक को 4.70 लाख वोट मिले, वहीं संजीव बालियान को 4.46 लाख वोट मिले थे। एक दिन पहले संजीव ने क्या आरोप लगाए, ये पढ़िए… केंद्रीय मंत्री रहे बालियान बोले-शिखंडी ने छिपकर वार किया:मुजफ्फरनगर में हार और संगीत सोम के सवाल पर कहा-जयचंद का कुछ नहीं हो सकता मुजफ्फरनगर से चुनाव हारने के बाद भाजपा नेता संजीव बालियान ने सोमवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस की। उन्होंने कहा- मुस्लिम मतदाताओं का ध्रुवीकरण और हिंदुओं का जातियों में बंट जाना, उनकी हार की प्रमुख वजह रही। जबकि हिंदुओं का वोट भी अपेक्षित अंदाज में नहीं पड़ा। शिखंडी ने इस बार भी छिपकर वार किया। वह हार गए हैं, इसके लिए वह स्वयं जिम्मेदार हैं। पढ़िए पूरी खबर…