कुरुक्षेत्र जिले के लाडवा में आभार समारोह का आयोजन हुआ। जिसमें सांसद नवीन जिंदल ने शिरकत की। उन्होंने कहा कि लाडवा अब सीएम सिटी बन गया है। चुनाव में बाकी दलों में मुख्यमंत्री के लिए लड़ाई थी, लेकिन भाजपा में केवल विकास को लेकर चर्चा थी। उन्होंने कहा कि लाडवा को ट्रैफिक जाम की समस्या से मुक्ति दिलाने के लिए नायब सिंह सैनी के साथ मिलकर काम करेंगे। जल्द ही ऐसा प्लान तैयार किया जाएगा, जिससे इस क्षेत्र को विकसित बनाया जा सके। सांसद नवीन जिंदल ने कहा यह गौरव की बात है कि मुख्यमंत्री ने पूरे प्रदेश से लाडवा विधानसभा को चुनाव लड़ने के लिए चुना। चुनाव प्रचार के दौरान उन्होंने मंच से एक ही बात कही थी कि हरियाणा की जनता जागरूक है। वो उसी को चुनेगी, जिसे केंद्र में चुना है। उन्होंने कहा कि 57 साल के इतिहास में केवल 1987 से 1989 तक का समय ऐसा था, जब केंद्र में कांग्रेस और प्रदेश में लोकदल की सरकार थी। उसके अलावा जिसकी सरकार केंद्र में रही, उसी की सरकार प्रदेश में रही। सांसद जिंदल ने कहा कि इस बार पूर्ण बहुमत के साथ भाजपा की सरकार बनी है। इससे पहले सहयोगी दल के साथ प्रदेश में भाजपा की सरकार थी और निजी स्वार्थों के चलते कई बार सहयोगी दल जनहित के उन कार्यों को पूरा नहीं होने देते, जो सरकार करना चाहती है। उन्होंने कहा कि बाकी दलों में मुख्यमंत्री बनने के लिए लड़ाई थी, लेकिन भाजपा में केवल प्रदेश के विकास को लेकर चर्चा थी। इस मौके पर पवन गर्ग, गणेश दत्त, राजकुमार सैनी, रविंद्र बंसल, रोहित गर्ग, पूनम सैनी, धीरज वालिया, विजय वधवा, शमशेर, श्याम लाल, गुरटेक धनौरा, जरनैल, पवन अग्रवाल, विकास अग्रवाल, बलदेव कल्याण, मांगेराम शर्मा व रामकुमार शर्मा आदि मौजूद रहे। कुरुक्षेत्र जिले के लाडवा में आभार समारोह का आयोजन हुआ। जिसमें सांसद नवीन जिंदल ने शिरकत की। उन्होंने कहा कि लाडवा अब सीएम सिटी बन गया है। चुनाव में बाकी दलों में मुख्यमंत्री के लिए लड़ाई थी, लेकिन भाजपा में केवल विकास को लेकर चर्चा थी। उन्होंने कहा कि लाडवा को ट्रैफिक जाम की समस्या से मुक्ति दिलाने के लिए नायब सिंह सैनी के साथ मिलकर काम करेंगे। जल्द ही ऐसा प्लान तैयार किया जाएगा, जिससे इस क्षेत्र को विकसित बनाया जा सके। सांसद नवीन जिंदल ने कहा यह गौरव की बात है कि मुख्यमंत्री ने पूरे प्रदेश से लाडवा विधानसभा को चुनाव लड़ने के लिए चुना। चुनाव प्रचार के दौरान उन्होंने मंच से एक ही बात कही थी कि हरियाणा की जनता जागरूक है। वो उसी को चुनेगी, जिसे केंद्र में चुना है। उन्होंने कहा कि 57 साल के इतिहास में केवल 1987 से 1989 तक का समय ऐसा था, जब केंद्र में कांग्रेस और प्रदेश में लोकदल की सरकार थी। उसके अलावा जिसकी सरकार केंद्र में रही, उसी की सरकार प्रदेश में रही। सांसद जिंदल ने कहा कि इस बार पूर्ण बहुमत के साथ भाजपा की सरकार बनी है। इससे पहले सहयोगी दल के साथ प्रदेश में भाजपा की सरकार थी और निजी स्वार्थों के चलते कई बार सहयोगी दल जनहित के उन कार्यों को पूरा नहीं होने देते, जो सरकार करना चाहती है। उन्होंने कहा कि बाकी दलों में मुख्यमंत्री बनने के लिए लड़ाई थी, लेकिन भाजपा में केवल प्रदेश के विकास को लेकर चर्चा थी। इस मौके पर पवन गर्ग, गणेश दत्त, राजकुमार सैनी, रविंद्र बंसल, रोहित गर्ग, पूनम सैनी, धीरज वालिया, विजय वधवा, शमशेर, श्याम लाल, गुरटेक धनौरा, जरनैल, पवन अग्रवाल, विकास अग्रवाल, बलदेव कल्याण, मांगेराम शर्मा व रामकुमार शर्मा आदि मौजूद रहे। हरियाणा | दैनिक भास्कर
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हरियाणा कांग्रेस के लिए 40% वोट शेयर क्यों जरूरी:इससे ज्यादा वोटिंग पर एक बार पूर्ण बहुमत की सरकार बनाई, कम पर सीटें घटती हैं
हरियाणा कांग्रेस के लिए 40% वोट शेयर क्यों जरूरी:इससे ज्यादा वोटिंग पर एक बार पूर्ण बहुमत की सरकार बनाई, कम पर सीटें घटती हैं हरियाणा के एग्जिट पोल में कांग्रेस को भले ही बहुमत मिल रहा हो लेकिन बहुमत के लिए जरूरी 46 से ज्यादा सीटें जीतने के लिए पार्टी को 40% वोट शेयर भी लेना होगा। ऐसा इसलिए क्योंकि कांग्रेस ने जब 2005 में पूरी बहुमत की सरकार बनाई तो उसे 46 सीटें जीतने के बावजूद 42.46% ही वोट शेयर मिला था। 2009 में जब कांग्रेस को 35.08% वोट शेयर मिला तो वह बहुमत से चूक गई और 40 सीटों पर सिमट गई। जिसके बाद निर्दलीयों के समर्थन से सरकार बनानी पड़ी। पिछले 4 चुनाव का ट्रेंड देखें तो कांग्रेस की सीटें तभी बढ़ी हैं, जब उनका वोट शेयर बढ़ा है। एक्सिस माय इंडिया के चेयरमैन प्रदीप गुप्ता के मुताबिक कांग्रेस का वोट शेयर इस साल तकरीबन 15 फीसदी बढ़ने का अनुमान है, जो 43 फीसदी तक पहुंच सकता है। वहीं, भाजपा का वोट शेयर 35 फीसदी के करीब रहने का अनुमान है। भाजपा ने 2014 में बनाई पूर्ण बहुमत की सरकार
2019 में भाजपा का वोट शेयर 36.49 फीसदी रहा था। पार्टी पूर्ण बहुमत पाने में असफल रही थी। जेजेपी के सहयोग से सरकार बनानी पड़ी थी। 2014 में भाजपा का वोट शेयर इससे भी कम था। 33.20 फीसदी वोट मिले थे, लेकिन 47 जीतकर पूर्ण बहुमत की सरकार बनाई थी। जजपा के वोटर कांग्रेस और इनेलो में बंटे
2019 में जजपा किंग मेकर रही, लेकिन इस बार के एग्जिट पोल में उसका सफाया होता दिख रहा है। एग्जिट पोल में जजपा 1 सीट पर मजबूत दिख रही है, लेकिन जीत वहां भी पक्की नहीं है। 2019 के चुनाव में जजपा को करीब 14.9 फीसदी वोट मिले थे। चर्चा है कि इस बार ये वोट कांग्रेस और इनेलो में शिफ्ट हुआ है। जजपा के कमजोर होने का फायदा इनेलो को होता दिख रहा है। इनेलो पिछले विधानसभा चुनाव में 1 सीट पर सिमटी थी, इस बार उसे 1 से 5 सीटें मिलती दिख रही हैं। 2019 में इनेलो को 2.5 और बसपा को 4.2 फीसदी वोट मिले थे। लेकिन इस बार इनेलो-बसपा गठबंधन को इससे अधिक वोट शेयर मिलने का अनुमान है।
हरियाणा के पूर्व MLA का निधन:टिकट न मिलने के बाद ब्रेन हेमरेज हुआ था; कांग्रेस ने हुड्डा के समधी को बनाया उम्मीदवार
हरियाणा के पूर्व MLA का निधन:टिकट न मिलने के बाद ब्रेन हेमरेज हुआ था; कांग्रेस ने हुड्डा के समधी को बनाया उम्मीदवार हरियाणा के पलवल में पूर्व विधायक सुभाष चौधरी का मंगलवार को निधन हो गया। उन्हें ब्रेन हेमरेज हुआ था। 4 दिन से उनका फरीदाबाद के निजी अस्पताल में इलाज चल रहा था। इस वक्त वह कांग्रेस पार्टी में थे। वह कांग्रेस में पलवल सीट से टिकट भी मांग रहे थे। हालांकि कांग्रेस ने करण दलाल को दे दिया। जिसके बाद उनकी तबीयत बिगड़ गई थी। सुभाष चौधरी पलवल जिले की राजनीति का जाना-माना चेहरा थे। वह कई बार पार्षद के साथ नगर परिषद के अध्यक्ष भी रहे। 1996 में उन्होंने पहली बार बसपा की टिकट पर चुनाव लड़ा और वह दूसरे स्थान पर रहे। 2009 में पूर्व मंत्री करण सिंह दलाल को हराया
इसके बाद उन्होंने लगातार चुनाव लड़े। 2009 में उन्होंने इनेलो की टिकट पर चुनाव लड़ते हुए पूर्व मंत्री करण सिंह दलाल को हराया। पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा के समधी करण दलाल को हराने के बाद सुभाष चौधरी पूरे प्रदेश की सुर्खियों में रहे। उन्होंने 2014 का चुनाव फिर से इनेलो की टिकट पर लड़ा, मगर वह कामयाब नहीं हो पाए। 2019 के चुनाव से पहले वह भाजपा में शामिल हो गए, मगर उन्हें भाजपा से टिकट नहीं मिली। कांग्रेस प्रत्याशी महेंद्र प्रताप को दिया समर्थन
लोकसभा चुनाव-2024 से पहले उन्होंने भाजपा छोड़कर कांग्रेस प्रत्याशी महेंद्र प्रताप को अपना समर्थन दिया। लोकसभा चुनाव के बाद उन्होंने कांग्रेस से पलवल विधानसभा सीट पर अपनी दावेदारी ठोक दी। कांग्रेस ने पूर्व मंत्री करण सिंह दलाल पर ही विश्वास जताया। बीते शुक्रवार को अचानक सुभाष चौधरी को ब्रेन हेमरेज हो गया। इस दौरान वह अपने निवास स्थान पर आए लोगों से बातचीत कर रहे थे। आनन-फानन में फरीदाबाद के निजी अस्पताल में ले जाया गया। जहां वह कोमा में चले गए। मंगलवार की सुबह उनका निधन हो गया। पलवल में गुर्जर आंदोलन को लीड किया
सुभाष चौधरी का नाम पलवल क्षेत्र में काफी बड़ा रहा। बताया जाता है कि जिले की गुर्जर कम्युनिटी इन्हीं का अनुसरण करती थी। जो यह कह देते थे, गुर्जर वही करते थे। साल 2008 में जब राजस्थान में गुर्जरों ने आरक्षण को लेकर आंदोलन शुरू किया था, उस आंदोलन का चेहरा पलवल में सुभाष चौधरी थे।
हरियाणा BJP में कांडा बंधुओं पर घमासान:मंत्री बोले- हलोपा कोई पार्टी नहीं, न इनका जनाधार; CM गठबंधन की बात कह चुके
हरियाणा BJP में कांडा बंधुओं पर घमासान:मंत्री बोले- हलोपा कोई पार्टी नहीं, न इनका जनाधार; CM गठबंधन की बात कह चुके हरियाणा में गोपाल कांडा-गोबिंद कांडा बंधुओं पर BJP में घमासान मच गया है। हलोपा ने रानिया से अपना उम्मीदवार घोषित कर दिया। हलोपा गोपाल कांडा की पार्टी है, जो नेशनल डेमोक्रेटिक अलायंस (NDA) में शामिल है। हलोपा ने BJP नेता गोबिंद कांडा के बेटे धवल कांडा को उम्मीदवार बनाया है। इसी सीट से BJP में शामिल हो चुके बिजली मंत्री रणजीत चौटाला विधायक रह चुके हैं। वे इसी सीट से चुनाव लड़ते हैं। जब इस बारे में रणजीत चौटाला से पूछा गया तो उन्होंने यहां तक कह डाला कि हलोपा कोई पार्टी ही नहीं है। साथ ही उन्होंने कहा कि कांडा बंधुओं के पास कोई जनाधार भी नहीं है। यह बात इसलिए अहम है क्योंकि कुछ दिन पहले सीएम नायब सैनी कह चुके हैं कि अगला विधानसभा चुनाव वह हलोपा से मिलकर लड़ेंगे। भाजपा नेता रणजीत चौटाला गुरुवार को फतेहाबाद पुलिस लाइन में आयोजित स्वतंत्रता दिवस समारोह में चीफ गेस्ट बनकर पहुंचे थे। यहां चौटाला ने झंडा फहराया। इसके बाद उन्होंने पत्रकारों से बात की। गृहमंत्री पहले ही कह चुके, समझौता नहीं करेंगे
रणजीत सिंह ने कहा, ‘हर एक का अपना फंडामेंटल है। कोई कहीं से चुनाव लड़ सकता है, लेकिन फाइट तो भाजपा और कांग्रेस में ही रहेगी। कभी किसी समय पंजाब में बादल साहब (SAD प्रमुख सुखबीर सिंह बादल) की पार्टी का 25 साल तक राज रहा। उनका डंका बजता था, बड़ी-बड़ी सभाएं लगती थीं, लेकिन अब वह दल समाप्ति की ओर है। UP में मायावती (बसपा सुप्रीमो) का नाम चलता रहा है। अब कहां हैं वह? हरियाणा में इनेलो और JJP आईं। चौधरी देवीलाल के समय यहीं से तय होता था कि देश का PM कौन बनेगा। बिहार, गुजरात, UP, आदि में मुख्यमंत्री तक देवीलाल बनाते थे। अब ये भी दल चले गए। हलोपा कोई पार्टी नहीं है। 10 सीटों पर टिकट बांटें या 15 सीटों पर, लेकिन मैं मानता हूं कि हलोपा की जनता में कोई अपील नहीं है। गृहमंत्री अमित शाह हरियाणा दौरे के दौरान साफ तौर पर कह गए थे कि भाजपा समझौता नहीं करेगी और अपने बल पर सरकार बनाएगी।’ मैं भाजपा के पैमाने पर खरा हूं
रानिया से भाजपा की टिकट मिलने के सवाल पर रणजीत सिंह ने कहा, ‘3 माह पहले पार्टी ने मुझे हिसार से लोकसभा चुनाव लड़वाया। अब 3 माह में ऐसी कोई डिस्क्वालिफिकेशन मुझमें नहीं आई है। मेरा अपना जनाधार है। 5 लाख से ज्यादा वोट आए और 30 हजार से हार गया, क्योंकि फैमिली के लोग सामने खड़े हो गए थे। रानिया से जब मैंने कांग्रेस छोड़ स्वतंत्र चुनाव लड़ा तो 25 हजार से ज्यादा वोटों से जीतकर आया। बाकियों की जमानत जब्त हो गईं। भाजपा समर्पित, अच्छी इमेज और जिताऊ उम्मीदवार को ही टिकट देती है। उनके हर पैमाने पर मैं खरा उतरता हूं।’ राम रहीम की फरलो गैरकानूनी नहीं
हरियाणा में चुनाव से ठीक पहले डेरा सच्चा सौदा प्रमुख राम रहीम को मिली फरलो को लेकर चौटाला ने कहा कि उन्हें पैरोल या फरलो कानून के तहत ही मिली है। इसमें कुछ भी गैरकानूनी नहीं। उन्होंने कहा कि जेल महकमे के पास ऐसा कोई अधिकार नहीं होता कि वह अपने स्तर पर किसी को बाहर निकाले। उन्होंने कहा कि जब भी राम रहीम को पैरोल या फरलो मिलती है तो यह प्रश्न उठते हैं। जब भी कोई कैदी 3 साल से ज्यादा सजा भुगत लेता है तो उसके पास अधिकार रहता है कि वह पैरोल या फरलो ले सके। हमारा काम सिर्फ एप्लिकेशन फॉरवर्ड करना होता है। चौटाला ने कहा कि यदि कैदी की सजा 3 साल तक है तो DC लेवल और सजा 7 साल से अधिक है तो पुलिस कमिश्नर स्तर पर पैरोल मिलती है। उन्होंने कहा कि जेल में सिर्फ एप्लिकेशन आती है, जिसे जेल के कानूनों के तहत आगे भेज दिया जाता है। जो भी हो रहा है, वह जेल मैनुअल के तहत हो रहा है।