यूपी के ब्यूरोक्रेसी में बड़े साहब रहे एक शख्स की चुगली के चर्चे हो रहे हैं। साहब आजकल सलाहकार की भूमिका में हैं। उनसे छोटे से लेकर बड़े अफसर भी डर रहे हैं। आजकल सरकार आयोगों में दनादन नियुक्ति दे रही है। कभी कांग्रेस की पोस्टर गर्ल रही एक नेत्री को एक आयोग में जगह क्या मिली, पुराने नेताओं का दर्द छलकने लगा। कहा जा रहा है, यह पद उन्हें बलिया वाले माननीय मंत्री जी के आशीर्वाद से मिला है। पुलिस के बॉस का दफ्तर भी इस बार चर्चा में हैं। पढ़िए सुनी-सुनाई में ऐसे ही 5 मामले, जिनकी राजनीति और ब्यूरोक्रेसी में चर्चा है… 1- पुराने साहब की चुगली, पंगा कोई नहीं लेता किसी समय सत्ता का केंद्र रहे एक बड़े साहब इन दिनों सलाहकार की भूमिका में हैं। साहब की पहले इतनी तूती बोलती थी कि हर फैसले उनके हिसाब से लिए जाते थे। अब बतौर सलाहकार उनसे कामकाज को लेकर सलाह कम ही ली जा रही। सरकार में भी उनका दखल पहले जैसा नहीं रहा। लेकिन उनकी चुगलखोरी इन दिनों पहले से पांचवें तल तक चर्चा का विषय बनी है। चर्चा है, जिस अधिकारी या नेता की शिकायत मुखिया तक पहुंचानी हो तो बस सलाहकार के कान तक पहुंचा दीजिए। उसके बाद वह शिकायत अपने आप ऊपर तक पहुंच जाएगी। सलाहकार अपनी चुगली से सामने वाले का ऐसा हाल करते हैं कि उसे पता भी नहीं चलता, यह गुगली किसने की? इसलिए कई बड़े और छोटे साहब उनसे पंगा लेना सही नहीं समझते। 2- साइडलाइन अफसर बॉस के दफ्तर में घुस नहीं पाए एक एडीजी लेवल के अफसर के साथ अजीब घटना हुई। घटना भी ऐसी कि शायद ही कोई विश्वास करे। हुआ यह कि अरसे से साइड पोस्टिंग झेल रहे पड़ोसी राज्य से आने वाले यूपी काडर के अफसर अपनी फरियाद लेकर उनके दफ्तर पहुंचे। बॉस उनसे मिलना नहीं चाहते थे। उन्होंने इशारों में स्टाफ को बता भी दिया। स्टाफ ने अफसर को समझाने की कोशिश की, लेकिन वे बॉस से मिलने पर अमादा थे। जब उन्होंने जबरदस्ती बॉस के रूम में घुसने की कोशिश की। इस पर सुरक्षाकर्मियों ने भी अपना फर्ज निभाते हुए साहब को दफ्तर से बाहर करने के लिए पूरी ताकत झोंक दी। इस बात के गवाह वहां बैठे कई जूनियर अफसर भी बने। जिन साहब को बाहर किया गया, वे एक बड़े जिले में कमिश्नर भी रह चुके हैं। सपा के बड़े नेताओं के खासमखास रहे हैं। कहा जाता है, इस अफसर की वजह से पहले तैनात रहे एक बड़े अफसर ने अपना विदाई समारोह ही टाल दिया था। वजह यह थी कि विदाई समारोह में भाषण देने की साहब ने लिखा-पढ़ी में मांग कर डाली थी। भाषण देने की इजाजत दी जाती तो भी फजीहत होती और न देते तो और भी फजीहत होती। ऐसे में साहब ने अपनी विदाई समारोह का कार्यक्रम ही कैंसिल कर दिया था। 3- महिला आयोग में पैराशूट लैंडिंग वालों को मिली जगह… मूल कैडर के नेता नाराज हाल ही में महिला आयोग की बनी नई टीम में पैराशूट लैंडिंग करने वालों को जगह दे दी गई। सबसे ज्यादा चर्चा कांग्रेस के कैंपेन ‘लड़की हूं, लड़ सकती हूं’ की पोस्टर गर्ल की हो रही। हो भी क्यों न, उन्हें आए दो साल ही हुए हैं। लेकिन बहुत जल्दी पद मिल गया, जबकि कई सालों से पार्टी की सेवा करने वालों को पूछा तक नहीं गया। चर्चा है, पोस्टर गर्ल को बलिया वाले माननीय मंत्री का सपोर्ट था। माननीय संगठन से आते हैं, उनकी पहुंच ऊपर तक है। दूसरी बात छात्र नेता रहे हैं, इसलिए युवाओं को बढ़ाने में लगे रहते हैं। यही वजह है, पोस्टर गर्ल को एंट्री मिल गई और पुराने नेता देखते रह गए। नेताओं में चर्चा है कि पार्टी के लिए काम करने से अच्छा, दूसरी पार्टी के लिए काम करो। जब चुनाव आए तो फिर से पलटी मार लो और आयोग में जगह बना लो। 4- अब परिवार को क्या दिखाएंगी इस समय आयोग, निगम और बोर्ड में पद बांटे जा रहे हैं। ऐसे ही एक आयोग में एक नियुक्ति की खूब चर्चा हो रही है। भगवा पार्टी से ज्यादा लाल टोपी वाली पार्टी में चर्चा हो रही है। जिन्हें पद मिला, उनका जुड़ाव सीधे लाल टोपी वाली पार्टी की टॉप लीडरशिप से है। वह भगवा पार्टी की इक्का थीं, उनका लाल टोपी वालों के खिलाफ खूब इस्तेमाल किया गया। वो अपने करीबियों से चर्चा भी करती रही हैं कि जो लाल टोपी में नहीं मिला, वो भगवा में मिलेगा। लेकिन हो रहा है उल्टा। पहले उन्हें लोकसभा से दूर रखा गया। अब जब नियुक्ति दी गई, तो वो भी डिप्टी की। यही बात उन्हें खटक गई। वादे के मुताबिक उन्हें कोई पद नहीं मिला, जो मिला उनके कद का नहीं। इसलिए वो नाराज हैं। उनकी समझ में नहीं आ रहा कि परिवार को क्या दिखाएंगी? 5- बंधे पर राजा ही स्वतंत्र राजधानी में शहीद पथ पर स्थित बंधे के आसपास इन दिनों एक युवा राजा का राज चल रहा है। राजा वहां पर अपना साम्राज्य फैला रहे हैं। इसलिए जो भी वहां अपना रोजगार या आशियाना तलाशने जाता है, मायूस होकर ही लौट रहा। एक न्यूज एजेंसी के भवन का करीब 2 साल पहले सरकार की मौजूदगी में शिलान्यास हुआ। आसपास अन्य व्यवसायिक प्रतिष्ठानों और आवासीय भवनों का भी शिलान्यास हो चुका है। लेकिन लखनऊ के विकास की जिम्मेदार संस्था किसी का भी नक्शा पास नहीं कर रही है। संस्था के अधिकारी अब खुले तौर पर कहने लगे हैं, जब तक राजा नहीं चाहेगा वहां बंधा नहीं बनेगा। जब तक बंधा नहीं बनेगा, तब तक नक्शा पास नहीं होगा। संस्था के अधिकारी यह भी बताते हैं कि बंधा शुल्क संबंधित महकमे को जमा कराया जा चुका है। इसलिए जब तक राजा नहीं चाहेगा, बंधा नहीं बनेगा। हैरत की बात यह है कि भगवा टोली के एक बड़े भाई साहब ने माननीय को फोन कर बंधा बनवाने के लिए कहा ताकि लोगों के नक्शे पास हो सकें। फिर भी बात आगे नहीं बढ़ी। भाई साहब जब मामले की तह में गए, तो उन्हें राजा के पीछे का राज पता चला। ये भी पढ़ें भगवा दल में अब नो टेंशन वाले नेताजी:मंत्री के पीआरओ की सोने की चेन चर्चा में; बड़े साहब के दफ्तर में ठेकेदार की बैठकी यूपी के ब्यूरोक्रेसी में बड़े साहब रहे एक शख्स की चुगली के चर्चे हो रहे हैं। साहब आजकल सलाहकार की भूमिका में हैं। उनसे छोटे से लेकर बड़े अफसर भी डर रहे हैं। आजकल सरकार आयोगों में दनादन नियुक्ति दे रही है। कभी कांग्रेस की पोस्टर गर्ल रही एक नेत्री को एक आयोग में जगह क्या मिली, पुराने नेताओं का दर्द छलकने लगा। कहा जा रहा है, यह पद उन्हें बलिया वाले माननीय मंत्री जी के आशीर्वाद से मिला है। पुलिस के बॉस का दफ्तर भी इस बार चर्चा में हैं। पढ़िए सुनी-सुनाई में ऐसे ही 5 मामले, जिनकी राजनीति और ब्यूरोक्रेसी में चर्चा है… 1- पुराने साहब की चुगली, पंगा कोई नहीं लेता किसी समय सत्ता का केंद्र रहे एक बड़े साहब इन दिनों सलाहकार की भूमिका में हैं। साहब की पहले इतनी तूती बोलती थी कि हर फैसले उनके हिसाब से लिए जाते थे। अब बतौर सलाहकार उनसे कामकाज को लेकर सलाह कम ही ली जा रही। सरकार में भी उनका दखल पहले जैसा नहीं रहा। लेकिन उनकी चुगलखोरी इन दिनों पहले से पांचवें तल तक चर्चा का विषय बनी है। चर्चा है, जिस अधिकारी या नेता की शिकायत मुखिया तक पहुंचानी हो तो बस सलाहकार के कान तक पहुंचा दीजिए। उसके बाद वह शिकायत अपने आप ऊपर तक पहुंच जाएगी। सलाहकार अपनी चुगली से सामने वाले का ऐसा हाल करते हैं कि उसे पता भी नहीं चलता, यह गुगली किसने की? इसलिए कई बड़े और छोटे साहब उनसे पंगा लेना सही नहीं समझते। 2- साइडलाइन अफसर बॉस के दफ्तर में घुस नहीं पाए एक एडीजी लेवल के अफसर के साथ अजीब घटना हुई। घटना भी ऐसी कि शायद ही कोई विश्वास करे। हुआ यह कि अरसे से साइड पोस्टिंग झेल रहे पड़ोसी राज्य से आने वाले यूपी काडर के अफसर अपनी फरियाद लेकर उनके दफ्तर पहुंचे। बॉस उनसे मिलना नहीं चाहते थे। उन्होंने इशारों में स्टाफ को बता भी दिया। स्टाफ ने अफसर को समझाने की कोशिश की, लेकिन वे बॉस से मिलने पर अमादा थे। जब उन्होंने जबरदस्ती बॉस के रूम में घुसने की कोशिश की। इस पर सुरक्षाकर्मियों ने भी अपना फर्ज निभाते हुए साहब को दफ्तर से बाहर करने के लिए पूरी ताकत झोंक दी। इस बात के गवाह वहां बैठे कई जूनियर अफसर भी बने। जिन साहब को बाहर किया गया, वे एक बड़े जिले में कमिश्नर भी रह चुके हैं। सपा के बड़े नेताओं के खासमखास रहे हैं। कहा जाता है, इस अफसर की वजह से पहले तैनात रहे एक बड़े अफसर ने अपना विदाई समारोह ही टाल दिया था। वजह यह थी कि विदाई समारोह में भाषण देने की साहब ने लिखा-पढ़ी में मांग कर डाली थी। भाषण देने की इजाजत दी जाती तो भी फजीहत होती और न देते तो और भी फजीहत होती। ऐसे में साहब ने अपनी विदाई समारोह का कार्यक्रम ही कैंसिल कर दिया था। 3- महिला आयोग में पैराशूट लैंडिंग वालों को मिली जगह… मूल कैडर के नेता नाराज हाल ही में महिला आयोग की बनी नई टीम में पैराशूट लैंडिंग करने वालों को जगह दे दी गई। सबसे ज्यादा चर्चा कांग्रेस के कैंपेन ‘लड़की हूं, लड़ सकती हूं’ की पोस्टर गर्ल की हो रही। हो भी क्यों न, उन्हें आए दो साल ही हुए हैं। लेकिन बहुत जल्दी पद मिल गया, जबकि कई सालों से पार्टी की सेवा करने वालों को पूछा तक नहीं गया। चर्चा है, पोस्टर गर्ल को बलिया वाले माननीय मंत्री का सपोर्ट था। माननीय संगठन से आते हैं, उनकी पहुंच ऊपर तक है। दूसरी बात छात्र नेता रहे हैं, इसलिए युवाओं को बढ़ाने में लगे रहते हैं। यही वजह है, पोस्टर गर्ल को एंट्री मिल गई और पुराने नेता देखते रह गए। नेताओं में चर्चा है कि पार्टी के लिए काम करने से अच्छा, दूसरी पार्टी के लिए काम करो। जब चुनाव आए तो फिर से पलटी मार लो और आयोग में जगह बना लो। 4- अब परिवार को क्या दिखाएंगी इस समय आयोग, निगम और बोर्ड में पद बांटे जा रहे हैं। ऐसे ही एक आयोग में एक नियुक्ति की खूब चर्चा हो रही है। भगवा पार्टी से ज्यादा लाल टोपी वाली पार्टी में चर्चा हो रही है। जिन्हें पद मिला, उनका जुड़ाव सीधे लाल टोपी वाली पार्टी की टॉप लीडरशिप से है। वह भगवा पार्टी की इक्का थीं, उनका लाल टोपी वालों के खिलाफ खूब इस्तेमाल किया गया। वो अपने करीबियों से चर्चा भी करती रही हैं कि जो लाल टोपी में नहीं मिला, वो भगवा में मिलेगा। लेकिन हो रहा है उल्टा। पहले उन्हें लोकसभा से दूर रखा गया। अब जब नियुक्ति दी गई, तो वो भी डिप्टी की। यही बात उन्हें खटक गई। वादे के मुताबिक उन्हें कोई पद नहीं मिला, जो मिला उनके कद का नहीं। इसलिए वो नाराज हैं। उनकी समझ में नहीं आ रहा कि परिवार को क्या दिखाएंगी? 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विनेश को अयोग्य करार देने पर भड़के बॉक्सर विजेंदर सिंह:बोले- मैंने 3 ओलिंपिक खेले, यह साजिश; सुनवाई नहीं तो बैग उठा हिंदुस्तान लौट आएं पेरिस ओलिंपिक में गोल्ड मेडल मुकाबले से पहले पहलवान विनेश फोगाट को अयोग्य करार देने पर बॉक्सर विजेंदर सिंह भड़क उठे। विजेंदर ने इसे साजिश करार दिया है। उन्होंने कहा कि मैंने 3 ओलिंपिक खेले हैं लेकिन ऐसा कभी न देखा और न ही सुना। उन्होंने कहा कि इंडियन अथॉरिटीज को कड़ा ऑब्जेक्शन दर्ज कराना चाहिए। अगर सुनवाई नहीं होती तो बैग उठाकर वापस लौट आना चाहिए। बता दें कि विनेश फोगाट को आज 50 kg रेसलिंग में अमेरिका की पहलवान से फाइनल मुकाबला खेलना था। इससे पहले ही उनका 100 ग्राम वजन ज्यादा बताकर उन्हें डिसक्वालिफाई कर दिया गया। विनेश ने कल मंगलवार को ही जापान की ओलिंपिक चैंपियन समेत 3 पहलवानों को हराकर सेमीफाइनल में जगह बनाई थी। बॉक्सर विजेंदर सिंह की कही अहम बातें 1. पहले ट्रायल, फिर फाइनल वेट होता है
विजेंदर ने कहा- ऐसा तो नहीं होता है कि 100 ग्राम में निकाल दिया जाता है। जैसे गेम में बहुत सारी तकनीकी चीजें होती हैं, जिनका काफी लोगों को पता नहीं होता है। वहां पर 2 वेट मशीन होती है। पहला ट्रायल वेट होता है, उस मशीन पर जाकर चेक करते हैं। उसके बाद फाइनल वेट के लिए जाते हैं। 100 ग्राम वेट ज्यादा होने के बाद एक मौका मिलता है कि आप 30 मिनट ले लीजिए। आपको वजन कम करके आजाएं। वेट दोबारा से हो जाएगा। 2. हिंदुस्तान के खिलाफ साजिश
डिसक्वालिफाई करना बहुत कठोर फैसला है, किसी भी एथलीट के ऊपर। ऐसा बर्ताव क्यों किया गया है, यह मालूम नहीं, लेकिन हमने अभी तक ओलिंपिक में ना ही देखा और ना ही सुना। पहली बार ऐसा हुआ है। वह भी स्पेशली हमारे हिंदुस्तान के एथलीट के साथ कि उसको निकाल दिया और उसे कोई मेडल भी नहीं मिलेगा। कहीं ना कहीं यह किसने व क्यों किया है। लगता है कि हिंदुस्तान के खिलाफ कोई ना कोई साजिश है। 3. अथॉरिटी कड़े कदम उठाएं, सुनवाई नहीं तो वापस आएं
वहां पर जो हिंदुस्तान की अथॉरिटी गई है, उनको वहां प्रोटेस्ट या ऑब्जेक्शन दर्ज करवाना चाहिए। हिंदुस्तान इस निर्णय से खुश नहीं है। उसके खिलाफ विरोध दर्ज करवाएं। अपनी ओर से कड़े कदम उठाएं। अगर यह लगता है कि कोई सुनवाई नहीं हो रही है तो अपना बैग उठाएं और चुपचाप हिंदुस्तान आ जाएं। उनका पता लगना चाहिए कि हिंदुस्तान कोई खैरात में नहीं आया है। हम बेस्ट है और बेस्ट एथलीट हैं, तभी हम पेरिस पहुंचे हैं। यह नहीं कि आपने 100 ग्राम वेट ऊपर दिया और निकाल दिया। ऐसा कभी नहीं होता। 4. एथलीट की कमी नहीं तो करें ओलिंपिक का बहिष्कार
अगर ऑब्जेक्शन सही और वाजिब है। कहीं हमारे एथलीट व टीम की कमी नहीं है तो एक स्ट्रांग निर्णय लेते हुए ओलिंपिक का बहिष्कार करके वापस आ जाना चाहिए। बिना मेडल के वापस आना चाहिए, हमारी कोई झोली थोड़ी भरी है कि 15-20 मेडल हों। दो-तीन मेडल आए थे। दो-तीन मेडल और आ जाते तो हम खुश होते। लेकिन अब लगता है कि इसकी जांच होनी चाहिए तो कठोर निर्णय लेना पड़ेगा। ऐसे बातों से काम नहीं चलता। अब पढ़िए साक्षी, बजरंग पूनिया और गीता फोगाट ने क्या कहा… साक्षी बोली- वजन कम करना मुकाबला खेलने से मुश्किल
पहलवान साक्षी मलिक ने कहा कि विनेश फोगाट द्वारा खून तक निकालने की बात सुनकर बहुत बुरा लगा। यह सुनकर बहुत परेशान हूं और बार-बार उसी बारे में सोच रही हूं कि वह किस चीज से गुजर रही होगी। उन्होंने कहा कि हमारे लिए वजन कम कर मैच खेलना बहुत आसान होता है। वेट कट करना हमारे लिए सबसे पहला स्ट्रगल है। खेल तो हम हर हाल में लेंगे, क्योंकि बहुत सालों से अभ्यास किया हुआ है। हमें अच्छा लगता है, लेकिन जो वेट से पहले के 3-4 दिन और जब वेट कट करते हैं तो वह सबसे ज्यादा स्ट्रगल का समय होता है। बजरंग बोले- माटी की बेटी हो, इसलिए ये मेडल भी माटी का
बजरंग पूनिया ने सोशल मीडिया X पर लिखा कि विनेश तुम हिम्मत और नैतिकता की गोल्ड मेडलिस्ट हो। माटी की बेटी हो इसलिए ये मेडल भी माटी का है। बहुत हौसले से लड़ी हो, कल जब खेलने से पहले ओलिंपिक ऑफिशियल्स ने वजन लिया तो आपका वजन एकदम परफेक्ट था। आज सुबह जो हुआ उस पर कोई यकीन नहीं करना चाहता। 100 ग्राम यकीन ही नहीं हो रहा कि यह तुम्हारे साथ हुआ है। पूरा देश आंसू नहीं रोक पा रहा है। सब देशों के ओलिंपिक मेडल एक तरफ और आपका मेडल एक तरफ। दुनिया का हर इंसान आपके लिए दुआ कर रहा था। दुनिया की हर महिला को यह मेडल पर्सनल मेडल जैसा लग रहा था। काश दुनिया की सब महिलाओं की ये आवाजें सही जगह पहुंच पाएं। उम्मीद करता हूं कि ओलिंपिक खेल रहीं दुनिया की सभी महिला पहलवान विनेश के साथ सॉलिडेरिटी में खड़ी होंगी। विनेश फोगाट को सिल्वर मेडल मिलना चाहिए। गीता फोगाट बोली- विनेश गोल्डन गर्ल है
गीता फोगाट ने लिखा- विनेश फोगाट हमारी गोल्डन गर्ल है, आपने जो किया है वो इतिहास में हमेशा याद रखा जाएगा। जिंदगी एक संघर्ष है और उस संघर्ष का नाम विनेश है। एक पल आप ओलिंपिक के फाइनल में पहुंचकर इतिहास रच देती हैं और अगले ही पल में दुर्भाग्यपूर्ण सब कुछ हाथ से चला जाता है। बहन इस वक्त जो तकलीफ आप महसूस कर रही होंगी, उसका हम अंदाजा भी नहीं लगा सकते। पर हर सच्चे हिंदुस्तानी की आज आंखें नम हैं। चैंपियन हमेशा चैंपियन होते हैं। विनेश को सिल्वर मिलना चाहिए। ये खबरें भी पढ़ें… विनेश फोगाट पेरिस ओलिंपिक से बाहर,पता चलते ही बेहोश हुईं:सिर्फ 100 ग्राम वजन ज्यादा निकला; अस्पताल में भर्ती पहलवान की पहली फोटो सामने आई हरियाणा की पहलवान विनेश फोगाट पेरिस ओलिंपिक से बाहर हो गई हैं। उन्हें वजन मेंटेन न होने पर डिसक्वालीफाई कर दिया गया है। उनका वजन 50 kg से सिर्फ 100 ग्राम ज्यादा निकला। विनेश का गोल्ड मेडल के लिए आज बुधवार रात को करीब 10 बजे गोल्ड मेडल के लिए अमेरिका की रेसलर सारा एन हिल्डरब्रांट से फाइनल मुकाबला होना था। रूल्स के मुताबिक विनेश सिल्वर मेडल के भी योग्य नहीं रह जाएंगी। इसके बाद 50 kg कैटेगरी में सिर्फ गोल्ड और ब्रॉन्ज मेडल दिया जाएगा। (पूरी खबर पढ़ें) विनेश फोगाट वजन घटाने के लिए रात भर जागी:साइकिलिंग-स्कीपिंग की, बाल-नाखून तक काटे; बजरंग पूनिया बोले- लड़कियों का वेट कम होने में प्रॉब्लम हरियाणा की धाकड़ पहलवान विनेश फोगाट पेरिस ओलिंपिक से डिसक्वालीफाई हो गईं। 50 Kg वेट कैटेगरी में उनका वजन 100 ग्राम ज्यादा मिलने पर आज रात होने वाला फाइनल मैच नहीं खेल पाएंगी। साथ ही उन्हें कोई मेडल भी नहीं मिलेगा। स्पोर्ट स्टार की रिपोर्ट के मुताबिक सेमीफाइनल मैच जीतने के बाद विनेश फोगाट का वजन हुआ। विनेश का वेट करीब 52 किलो था। इसे कम करने के लिए उन्होंने अपना खून-पसीना एक कर दिया। जीत के बाद एक बार भी आराम नहीं किया। रातभर जागीं और वजन कम करने की पुरजोर कोशिश की। (पूरी खबर पढ़ें) विनेश फोगाट का वजन कम क्यों नहीं हुआ, CMO बोले- 1 दिन में 3 फाइट, एनर्जी के लिए बीच में खाना-पीना पड़ा; 15 मिनट में 100 ग्राम नहीं घटा सके पेरिस ओलिंपिक में एक दिन में ओलिंपिक चैंपियन समेत 3 पहलवानों को पटखनी देकर फाइनल में पहुंची विनेश फोगाट को अचानक अयोग्य करार दे दिया गया। इसके बारे में दावा किया गया कि उसका वेट 50 किलो के मुकाबले 50 किलो 100 ग्राम था। इसका खुलासा होते ही सोशल मीडिया से लेकर राजनीति तक में घमासान मच गया। जिसके बाद इसको लेकर कई तरह के आरोप लगाए जा रहे हैं। यहां तक कि विनेश के सपोर्ट स्टाफ को लेकर भी सवाल खड़े किए जा रहे हैं। इसके बाद विनेश की सेहत से जुड़े अधिकारी मीडिया के सामने आए और पूरी सच्चाई बयान की है। (पूरी खबर पढ़ें)
उत्तराखंड में ‘निर्माण कार्यों’ से बढ़ा आपदा का खतरा, इस मानसून 500 नए भूस्खलन जोन बने चुनौती
उत्तराखंड में ‘निर्माण कार्यों’ से बढ़ा आपदा का खतरा, इस मानसून 500 नए भूस्खलन जोन बने चुनौती <p style=”text-align: justify;”><strong>Uttarakhand News Today:</strong> इस साल के मानसून सीजन में उत्तराखंड को कई गंभीर चुनौतियों का सामना करना पड़ा. एसडीसी फाउंडेशन के जरिये जारी उत्तराखंड डिजास्टर एंड एक्सीडेंट एनालिसिस इनिशिएटिव (उदय) रिपोर्ट के अनुसार, मानसून के दौरान राज्य में 500 नए भूस्खलन जोन विकसित हुए हैं. </p>
<p style=”text-align: justify;”>यह भूस्खलन जोन राज्य के अलग-अलग हिस्सों में निर्माण कार्यों के कारण विकसित हुए हैं, जिससे आपदा का खतरा और बढ़ गया है. रिपोर्ट में उत्तराखंड के लिए ये नई चुनौतियां राज्य के आपदा प्रबंधन तंत्र के लिए चेतावनी है. हिमालय दिवस के मौके पर वाडिया हिमालयन इंस्टीट्यूट में जारी इस रिपोर्ट में मानसून के दौरान हुए नुकसान और नई समस्याओं को उजागर किया गया. </p>
<p style=”text-align: justify;”>एसडीसी फाउंडेशन के संस्थापक अनूप नौटियाल ने कहा कि राज्य में हर साल नए भूस्खलन जोन विकसित हो रहे हैं, जो स्थानीय निवासियों के लिए भारी खतरा बन चुके हैं. उन्होंने कहा कि राज्य को अपने आपदा प्रबंधन तंत्र और जलवायु परिवर्तन से निपटने की तैयारियों को मजबूत करना होगा.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>स्कूल की जर्जर हालत बड़ी चुनौती</strong><br />भूस्खलन के अलावा, इस मानसून सीजन में राज्य के स्कूल भवनों की जर्जर हालत ने भी बड़ी चुनौती पेश की है. रिपोर्ट में बताया गया है कि राज्य के 60 फीसदी यानी 11 हजार 465 सरकारी स्कूल भवन असुरक्षित हैं. </p>
<p style=”text-align: justify;”>इन जर्जर स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों की सुरक्षा पर गंभीर खतरा मंडरा रहा है. बारिश के दौरान कई स्कूलों की छतें टपकने लगीं और कुछ भवन ढहने की कगार पर पहुंच गए. इससे राज्य के शिक्षा तंत्र पर भी बड़ा प्रश्नचिन्ह खड़ा हो गया है.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>भूस्खलन से आवागमन प्रभावित</strong><br />रिपोर्ट में मानसून सीजन के दौरान केदारनाथ और अन्य क्षेत्रों में आई तबाही का भी जिक्र किया गया है. लगातार हो रही बारिश और भूस्खलन के कारण कई सड़कों पर आवागमन ठप हो गया. जिससे स्थानीय लोगों और पर्यटकों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ा. सड़कों के बंद होने से राहत और बचाव कार्य बाधित हुए, जिससे आपदा प्रबंधन की चुनौतियां और बढ़ गईं.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>जलवायु परिवर्तन से निपटने की जरुरत</strong><br />एसडीसी फाउंडेशन की रिपोर्ट ने राज्य के आपदा प्रबंधन तंत्र की कमजोरियों को उजागर किया है. अनूप नौटियाल ने कहा कि उत्तराखंड को जलवायु परिवर्तन के बढ़ते खतरों से निपटने के लिए तुरंत ठोस कदम उठाने की जरूरत है. </p>
<p style=”text-align: justify;”>अनूप नौटियाल ने कहा कि “उत्तराखंड उदय” मासिक रिपोर्ट राज्य के राजनेताओं, नीति निर्माताओं और अन्य हितधारकों के लिए बेहद उपयोगी साबित हो सकती है, ताकि वे बेहतर योजना और प्रबंधन के जरिये आपदाओं से निपटने के उपाय कर सकें.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>भविष्य के लिए चेतावनी</strong><br />रिपोर्ट में यह भी बताया गया कि अगर राज्य में लगातार निर्माण कार्य बिना किसी योजना के चलते रहे, तो आने वाले समय में भूस्खलन और अन्य आपदाओं का खतरा और बढ़ सकता है. ऐसे में जरूरी है कि राज्य सरकार और संबंधित विभाग समय रहते उचित कदम उठाएं ताकि लोगों के जान-माल की सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>ये भी पढ़ें: <a title=”मोहन भागवत से CM योगी की मुलाकात के कई मायने, हार्ड हिंदुत्व और राष्ट्रवाद के एजेंडे पर फोकस” href=”https://www.abplive.com/states/up-uk/cm-yogi-adityanath-meets-mohan-bhagwat-emphasis-on-agenda-of-hard-hindutva-and-nationalism-ann-2808999″ target=”_blank” rel=”noopener”>मोहन भागवत से CM योगी की मुलाकात के कई मायने, हार्ड हिंदुत्व और राष्ट्रवाद के एजेंडे पर फोकस</a></strong></p>
लुधियाना में वूलन गारमेंट फैक्ट्री में लगी आग:घर में चलाई जा रही थी, शार्ट सर्किट से हुआ हादसा, दमकल ने पाया काबू
लुधियाना में वूलन गारमेंट फैक्ट्री में लगी आग:घर में चलाई जा रही थी, शार्ट सर्किट से हुआ हादसा, दमकल ने पाया काबू लुधियाना में आज नूरवाला रोड के बसंत विहार में अचानक एक घर में भीषण आग लग गई। आग लगने की सूचना मिलते ही घर के पारिवारिक मैंबर बाहर निकले। घर में वूलन गारमेंट्स की फैक्ट्री खोली हुई थी। पता चला है कि आग लगने का कारण शार्ट सर्किट माना जा रहा है। लोगों ने खुद आग बुझाने की कोशिश की लेकिन आग बढ़ती देख तुरंत फायर ब्रिगेड को सूचित किया। घर की पहली मंजिल बुरी तरह हुई क्षतिग्रस्त आग की लपटें दूर से ही नजर आ रही थी। पहली घर की मंजिल बुरी तरह क्षतिग्रस्त हो गई। घर में रखा वूलन का माल भी जल कर राख हो गया। दमकल विभाग के कर्मचारियों ने करीब 2 घंटे की कड़ी मशक्कत के बाद आग पर काबू पाया। ADFO मनिंदर सिंह बोले… दमकल विभाग के ADFO मनिंदर सिंह ने कहा कि आग काफी ज्यादा लगी हुई थी। पहली मंजिल पर तो लपटें इतनी अधिक थी कि कंट्रोल करना ही मुश्किल हो रहा था। वूलन का माल फैक्ट्री में पड़ा था जिस कारण आग अधिक फैल गई। दमकल विभाग की करीब 4 से 5 गाड़ियां मौके पर पहुंची। पानी की बौछार लगातार चलाई जिसके बाद आग पर कंट्रोल किया गया। पता चला है कि घर में फैक्ट्री खोली हुई थी इस कारण विभागीय जो भी कार्रवाई बनती होगी वह की जाएगी।