साहब सलाह कम देते, चुगली ज्यादा करते हैं:लड़की हूं…लड़ सकती हूं की पोस्टर गर्ल चर्चा में; लाल टोपी के खिलाफ इस्तेमाल कर डिप्टी बनाया

साहब सलाह कम देते, चुगली ज्यादा करते हैं:लड़की हूं…लड़ सकती हूं की पोस्टर गर्ल चर्चा में; लाल टोपी के खिलाफ इस्तेमाल कर डिप्टी बनाया

यूपी के ब्यूरोक्रेसी में बड़े साहब रहे एक शख्स की चुगली के चर्चे हो रहे हैं। साहब आजकल सलाहकार की भूमिका में हैं। उनसे छोटे से लेकर बड़े अफसर भी डर रहे हैं। आजकल सरकार आयोगों में दनादन नियुक्ति दे रही है। कभी कांग्रेस की पोस्टर गर्ल रही एक नेत्री को एक आयोग में जगह क्या मिली, पुराने नेताओं का दर्द छलकने लगा। कहा जा रहा है, यह पद उन्हें बलिया वाले माननीय मंत्री जी के आशीर्वाद से मिला है। पुलिस के बॉस का दफ्तर भी इस बार चर्चा में हैं। पढ़िए सुनी-सुनाई में ऐसे ही 5 मामले, जिनकी राजनीति और ब्यूरोक्रेसी में चर्चा है… 1- पुराने साहब की चुगली, पंगा कोई नहीं लेता किसी समय सत्ता का केंद्र रहे एक बड़े साहब इन दिनों सलाहकार की भूमिका में हैं। साहब की पहले इतनी तूती बोलती थी कि हर फैसले उनके हिसाब से लिए जाते थे। अब बतौर सलाहकार उनसे कामकाज को लेकर सलाह कम ही ली जा रही। सरकार में भी उनका दखल पहले जैसा नहीं रहा। लेकिन उनकी चुगलखोरी इन दिनों पहले से पांचवें तल तक चर्चा का विषय बनी है। चर्चा है, जिस अधिकारी या नेता की शिकायत मुखिया तक पहुंचानी हो तो बस सलाहकार के कान तक पहुंचा दीजिए। उसके बाद वह शिकायत अपने आप ऊपर तक पहुंच जाएगी। सलाहकार अपनी चुगली से सामने वाले का ऐसा हाल करते हैं कि उसे पता भी नहीं चलता, यह गुगली किसने की? इसलिए कई बड़े और छोटे साहब उनसे पंगा लेना सही नहीं समझते। 2- साइडलाइन अफसर बॉस के दफ्तर में घुस नहीं पाए एक एडीजी लेवल के अफसर के साथ अजीब घटना हुई। घटना भी ऐसी कि शायद ही कोई विश्वास करे। हुआ यह कि अरसे से साइड पोस्टिंग झेल रहे पड़ोसी राज्य से आने वाले यूपी काडर के अफसर अपनी फरियाद लेकर उनके दफ्तर पहुंचे। बॉस उनसे मिलना नहीं चाहते थे। उन्होंने इशारों में स्टाफ को बता भी दिया। स्टाफ ने अफसर को समझाने की कोशिश की, लेकिन वे बॉस से मिलने पर अमादा थे। जब उन्होंने जबरदस्ती बॉस के रूम में घुसने की कोशिश की। इस पर सुरक्षाकर्मियों ने भी अपना फर्ज निभाते हुए साहब को दफ्तर से बाहर करने के लिए पूरी ताकत झोंक दी। इस बात के गवाह वहां बैठे कई जूनियर अफसर भी बने। जिन साहब को बाहर किया गया, वे एक बड़े जिले में कमिश्नर भी रह चुके हैं। सपा के बड़े नेताओं के खासमखास रहे हैं। कहा जाता है, इस अफसर की वजह से पहले तैनात रहे एक बड़े अफसर ने अपना विदाई समारोह ही टाल दिया था। वजह यह थी कि विदाई समारोह में भाषण देने की साहब ने लिखा-पढ़ी में मांग कर डाली थी। भाषण देने की इजाजत दी जाती तो भी फजीहत होती और न देते तो और भी फजीहत होती। ऐसे में साहब ने अपनी विदाई समारोह का कार्यक्रम ही कैंसिल कर दिया था। 3- महिला आयोग में पैराशूट लैंडिंग वालों को मिली जगह… मूल कैडर के नेता नाराज हाल ही में महिला आयोग की बनी नई टीम में पैराशूट लैंडिंग करने वालों को जगह दे दी गई। सबसे ज्यादा चर्चा कांग्रेस के कैंपेन ‘लड़की हूं, लड़ सकती हूं’ की पोस्टर गर्ल की हो रही। हो भी क्यों न, उन्हें आए दो साल ही हुए हैं। लेकिन बहुत जल्दी पद मिल गया, जबकि कई सालों से पार्टी की सेवा करने वालों को पूछा तक नहीं गया। चर्चा है, पोस्टर गर्ल को बलिया वाले माननीय मंत्री का सपोर्ट था। माननीय संगठन से आते हैं, उनकी पहुंच ऊपर तक है। दूसरी बात छात्र नेता रहे हैं, इसलिए युवाओं को बढ़ाने में लगे रहते हैं। यही वजह है, पोस्टर गर्ल को एंट्री मिल गई और पुराने नेता देखते रह गए। नेताओं में चर्चा है कि पार्टी के लिए काम करने से अच्छा, दूसरी पार्टी के लिए काम करो। जब चुनाव आए तो फिर से पलटी मार लो और आयोग में जगह बना लो। 4- अब परिवार को क्या दिखाएंगी इस समय आयोग, निगम और बोर्ड में पद बांटे जा रहे हैं। ऐसे ही एक आयोग में एक नियुक्ति की खूब चर्चा हो रही है। भगवा पार्टी से ज्यादा लाल टोपी वाली पार्टी में चर्चा हो रही है। जिन्हें पद मिला, उनका जुड़ाव सीधे लाल टोपी वाली पार्टी की टॉप लीडरशिप से है। वह भगवा पार्टी की इक्का थीं, उनका लाल टोपी वालों के खिलाफ खूब इस्तेमाल किया गया। वो अपने करीबियों से चर्चा भी करती रही हैं कि जो लाल टोपी में नहीं मिला, वो भगवा में मिलेगा। लेकिन हो रहा है उल्टा। पहले उन्हें लोकसभा से दूर रखा गया। अब जब नियुक्ति दी गई, तो वो भी डिप्टी की। यही बात उन्हें खटक गई। वादे के मुताबिक उन्हें कोई पद नहीं मिला, जो मिला उनके कद का नहीं। इसलिए वो नाराज हैं। उनकी समझ में नहीं आ रहा कि परिवार को क्या दिखाएंगी? 5- बंधे पर राजा ही स्वतंत्र राजधानी में शहीद पथ पर स्थित बंधे के आसपास इन दिनों एक युवा राजा का राज चल रहा है। राजा वहां पर अपना साम्राज्य फैला रहे हैं। इसलिए जो भी वहां अपना रोजगार या आशियाना तलाशने जाता है, मायूस होकर ही लौट रहा। एक न्यूज एजेंसी के भवन का करीब 2 साल पहले सरकार की मौजूदगी में शिलान्यास हुआ। आसपास अन्य व्यवसायिक प्रतिष्ठानों और आवासीय भवनों का भी शिलान्यास हो चुका है। लेकिन लखनऊ के विकास की जिम्मेदार संस्था किसी का भी नक्शा पास नहीं कर रही है। संस्था के अधिकारी अब खुले तौर पर कहने लगे हैं, जब तक राजा नहीं चाहेगा वहां बंधा नहीं बनेगा। जब तक बंधा नहीं बनेगा, तब तक नक्शा पास नहीं होगा। संस्था के अधिकारी यह भी बताते हैं कि बंधा शुल्क संबंधित महकमे को जमा कराया जा चुका है। इसलिए जब तक राजा नहीं चाहेगा, बंधा नहीं बनेगा। हैरत की बात यह है कि भगवा टोली के एक बड़े भाई साहब ने माननीय को फोन कर बंधा बनवाने के लिए कहा ताकि लोगों के नक्शे पास हो सकें। फिर भी बात आगे नहीं बढ़ी। भाई साहब जब मामले की तह में गए, तो उन्हें राजा के पीछे का राज पता चला। ये भी पढ़ें भगवा दल में अब नो टेंशन वाले नेताजी:मंत्री के पीआरओ की सोने की चेन चर्चा में; बड़े साहब के दफ्तर में ठेकेदार की बैठकी यूपी के ब्यूरोक्रेसी में बड़े साहब रहे एक शख्स की चुगली के चर्चे हो रहे हैं। साहब आजकल सलाहकार की भूमिका में हैं। उनसे छोटे से लेकर बड़े अफसर भी डर रहे हैं। आजकल सरकार आयोगों में दनादन नियुक्ति दे रही है। कभी कांग्रेस की पोस्टर गर्ल रही एक नेत्री को एक आयोग में जगह क्या मिली, पुराने नेताओं का दर्द छलकने लगा। कहा जा रहा है, यह पद उन्हें बलिया वाले माननीय मंत्री जी के आशीर्वाद से मिला है। पुलिस के बॉस का दफ्तर भी इस बार चर्चा में हैं। पढ़िए सुनी-सुनाई में ऐसे ही 5 मामले, जिनकी राजनीति और ब्यूरोक्रेसी में चर्चा है… 1- पुराने साहब की चुगली, पंगा कोई नहीं लेता किसी समय सत्ता का केंद्र रहे एक बड़े साहब इन दिनों सलाहकार की भूमिका में हैं। साहब की पहले इतनी तूती बोलती थी कि हर फैसले उनके हिसाब से लिए जाते थे। अब बतौर सलाहकार उनसे कामकाज को लेकर सलाह कम ही ली जा रही। सरकार में भी उनका दखल पहले जैसा नहीं रहा। लेकिन उनकी चुगलखोरी इन दिनों पहले से पांचवें तल तक चर्चा का विषय बनी है। चर्चा है, जिस अधिकारी या नेता की शिकायत मुखिया तक पहुंचानी हो तो बस सलाहकार के कान तक पहुंचा दीजिए। उसके बाद वह शिकायत अपने आप ऊपर तक पहुंच जाएगी। सलाहकार अपनी चुगली से सामने वाले का ऐसा हाल करते हैं कि उसे पता भी नहीं चलता, यह गुगली किसने की? इसलिए कई बड़े और छोटे साहब उनसे पंगा लेना सही नहीं समझते। 2- साइडलाइन अफसर बॉस के दफ्तर में घुस नहीं पाए एक एडीजी लेवल के अफसर के साथ अजीब घटना हुई। घटना भी ऐसी कि शायद ही कोई विश्वास करे। हुआ यह कि अरसे से साइड पोस्टिंग झेल रहे पड़ोसी राज्य से आने वाले यूपी काडर के अफसर अपनी फरियाद लेकर उनके दफ्तर पहुंचे। बॉस उनसे मिलना नहीं चाहते थे। उन्होंने इशारों में स्टाफ को बता भी दिया। स्टाफ ने अफसर को समझाने की कोशिश की, लेकिन वे बॉस से मिलने पर अमादा थे। जब उन्होंने जबरदस्ती बॉस के रूम में घुसने की कोशिश की। इस पर सुरक्षाकर्मियों ने भी अपना फर्ज निभाते हुए साहब को दफ्तर से बाहर करने के लिए पूरी ताकत झोंक दी। इस बात के गवाह वहां बैठे कई जूनियर अफसर भी बने। जिन साहब को बाहर किया गया, वे एक बड़े जिले में कमिश्नर भी रह चुके हैं। सपा के बड़े नेताओं के खासमखास रहे हैं। कहा जाता है, इस अफसर की वजह से पहले तैनात रहे एक बड़े अफसर ने अपना विदाई समारोह ही टाल दिया था। वजह यह थी कि विदाई समारोह में भाषण देने की साहब ने लिखा-पढ़ी में मांग कर डाली थी। भाषण देने की इजाजत दी जाती तो भी फजीहत होती और न देते तो और भी फजीहत होती। ऐसे में साहब ने अपनी विदाई समारोह का कार्यक्रम ही कैंसिल कर दिया था। 3- महिला आयोग में पैराशूट लैंडिंग वालों को मिली जगह… मूल कैडर के नेता नाराज हाल ही में महिला आयोग की बनी नई टीम में पैराशूट लैंडिंग करने वालों को जगह दे दी गई। सबसे ज्यादा चर्चा कांग्रेस के कैंपेन ‘लड़की हूं, लड़ सकती हूं’ की पोस्टर गर्ल की हो रही। हो भी क्यों न, उन्हें आए दो साल ही हुए हैं। लेकिन बहुत जल्दी पद मिल गया, जबकि कई सालों से पार्टी की सेवा करने वालों को पूछा तक नहीं गया। चर्चा है, पोस्टर गर्ल को बलिया वाले माननीय मंत्री का सपोर्ट था। माननीय संगठन से आते हैं, उनकी पहुंच ऊपर तक है। दूसरी बात छात्र नेता रहे हैं, इसलिए युवाओं को बढ़ाने में लगे रहते हैं। यही वजह है, पोस्टर गर्ल को एंट्री मिल गई और पुराने नेता देखते रह गए। नेताओं में चर्चा है कि पार्टी के लिए काम करने से अच्छा, दूसरी पार्टी के लिए काम करो। जब चुनाव आए तो फिर से पलटी मार लो और आयोग में जगह बना लो। 4- अब परिवार को क्या दिखाएंगी इस समय आयोग, निगम और बोर्ड में पद बांटे जा रहे हैं। ऐसे ही एक आयोग में एक नियुक्ति की खूब चर्चा हो रही है। भगवा पार्टी से ज्यादा लाल टोपी वाली पार्टी में चर्चा हो रही है। जिन्हें पद मिला, उनका जुड़ाव सीधे लाल टोपी वाली पार्टी की टॉप लीडरशिप से है। वह भगवा पार्टी की इक्का थीं, उनका लाल टोपी वालों के खिलाफ खूब इस्तेमाल किया गया। वो अपने करीबियों से चर्चा भी करती रही हैं कि जो लाल टोपी में नहीं मिला, वो भगवा में मिलेगा। लेकिन हो रहा है उल्टा। पहले उन्हें लोकसभा से दूर रखा गया। अब जब नियुक्ति दी गई, तो वो भी डिप्टी की। यही बात उन्हें खटक गई। वादे के मुताबिक उन्हें कोई पद नहीं मिला, जो मिला उनके कद का नहीं। इसलिए वो नाराज हैं। उनकी समझ में नहीं आ रहा कि परिवार को क्या दिखाएंगी? 5- बंधे पर राजा ही स्वतंत्र राजधानी में शहीद पथ पर स्थित बंधे के आसपास इन दिनों एक युवा राजा का राज चल रहा है। राजा वहां पर अपना साम्राज्य फैला रहे हैं। इसलिए जो भी वहां अपना रोजगार या आशियाना तलाशने जाता है, मायूस होकर ही लौट रहा। एक न्यूज एजेंसी के भवन का करीब 2 साल पहले सरकार की मौजूदगी में शिलान्यास हुआ। आसपास अन्य व्यवसायिक प्रतिष्ठानों और आवासीय भवनों का भी शिलान्यास हो चुका है। लेकिन लखनऊ के विकास की जिम्मेदार संस्था किसी का भी नक्शा पास नहीं कर रही है। संस्था के अधिकारी अब खुले तौर पर कहने लगे हैं, जब तक राजा नहीं चाहेगा वहां बंधा नहीं बनेगा। जब तक बंधा नहीं बनेगा, तब तक नक्शा पास नहीं होगा। संस्था के अधिकारी यह भी बताते हैं कि बंधा शुल्क संबंधित महकमे को जमा कराया जा चुका है। इसलिए जब तक राजा नहीं चाहेगा, बंधा नहीं बनेगा। हैरत की बात यह है कि भगवा टोली के एक बड़े भाई साहब ने माननीय को फोन कर बंधा बनवाने के लिए कहा ताकि लोगों के नक्शे पास हो सकें। फिर भी बात आगे नहीं बढ़ी। भाई साहब जब मामले की तह में गए, तो उन्हें राजा के पीछे का राज पता चला। ये भी पढ़ें भगवा दल में अब नो टेंशन वाले नेताजी:मंत्री के पीआरओ की सोने की चेन चर्चा में; बड़े साहब के दफ्तर में ठेकेदार की बैठकी   उत्तरप्रदेश | दैनिक भास्कर