सिद्धू मूसेवाला की बायोग्राफी लिखने वाले लेखक को जमानत:पिता बलकौर सिंह की शिकायत पर हुई FIR, सुनवाई में नहीं मिला कोई ठोस कारण

सिद्धू मूसेवाला की बायोग्राफी लिखने वाले लेखक को जमानत:पिता बलकौर सिंह की शिकायत पर हुई FIR, सुनवाई में नहीं मिला कोई ठोस कारण

पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने पंजाबी गायक सिद्धू मूसेवाला के जीवन पर आधारित पुस्तक के लेखक को मानहानि के मामले में अग्रिम जमानत दे दी है। ‘द रियल रीजन व्हाई द लीजेंड डाइड’ नामक पुस्तक लिखने वाले लेखक मनजिंदर सिंह के खिलाफ मूसेवाला के पिता ने शिकायत दर्ज कराई थी। पिता बलकौर सिंह की शिकायत पर मनजिंदर सिंह पर भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 451, 406 (आपराधिक विश्वासघात) और 380 (चोरी) के साथ ही भारतीय दंड संहिता (बीएनएस) की धारा 356 (3) के तहत मामला दर्ज किया गया था। आरोप है कि पुस्तक में मूसेवाला के परिवार के खिलाफ डेफामेट्री मटीरियल है। जस्टिस संदीप मौदगिल ने कहा कि लेखक को अग्रिम जमानत न देने का कोई ठोस कारण नहीं है, क्योंकि पुस्तक सिद्धू मूसेवाला को श्रद्धांजलि देने के लिए लिखी गई है। इसमें न तो किसी की बौद्धिक संपदा चोरी की गई है और न ही कोई गंभीर अपराध किया गया है। मानहानिपूर्ण सामग्री नहीं मिली अदालत ने कहा कि अनुवादित पुस्तक अंशों की समीक्षा के आधार पर इसमें मूसेवाला के खिलाफ कोई आपत्तिजनक या मानहानिपूर्ण सामग्री नहीं पाई गई है। कोर्ट ने टिप्पणी की कि पुस्तक में किए गए बयान वैध आलोचना की सीमाओं के भीतर हैं। इसके साथ ही, अदालत ने यह भी स्पष्ट किया कि प्रत्येक नागरिक को भारतीय संविधान के अनुच्छेद 19(1) के तहत अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का अधिकार प्राप्त है, हालांकि इस अधिकार पर अनुच्छेद 19(2) के तहत उचित प्रतिबंध लागू होते हैं। अदालत ने यह भी कहा कि अग्रिम जमानत पर निर्णय लेते समय केवल यह देखा जाता है कि “प्रथम दृष्टया” आरोप सत्य प्रतीत होते हैं या नहीं, न कि अन्य व्यापक परिस्थितियों की जांच की जाती है। लेखक की दलील- पुस्तक का उद्देश्य शैक्षणिक लेखक मनजिंदर सिंह ने अग्रिम जमानत याचिका में कहा कि वह एक प्रोफेसर हैं, जिससे उनकी बौद्धिक और अकादमिक विश्वसनीयता साबित होती है। उन्होंने दावा किया कि पुस्तक का उद्देश्य शैक्षणिक था, न कि किसी प्रकार का व्यक्तिगत लाभ या दुर्भावना। उनके वकील ने यह भी कहा कि लेखक ने कोई चोरी नहीं की और पुस्तक में उपयोग की गई तस्वीरें और अन्य सामग्री इंटरनेट पर सार्वजनिक रूप से उपलब्ध हैं, जिससे यह निजी या गोपनीय नहीं मानी जा सकती। राज्य सरकार की आपत्ति सरकार की ओर से पेश वकील ने जमानत का विरोध करते हुए कहा कि लेखक ने सिद्धू मूसेवाला के पिता के घर से एक एलबम चुराया, जिसमें उनकी व्यक्तिगत तस्वीरें थीं। उन्होंने यह भी कहा कि पुस्तक में सिद्धू मूसेवाला के गैंगस्टरों से कथित संबंध और विक्की मिड्डूखेड़ा की हत्या में उनकी संभावित संलिप्तता का जिक्र किया गया है। लेखक ने जांच में सहयोग का किया वादा दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद, अदालत ने पाया कि लेखक जांच में सहयोग करने के लिए तैयार हैं और कोई ठोस आधार नहीं है कि उन्हें अग्रिम जमानत से वंचित किया जाए। न्यायालय ने कहा कि लेखक की मंशा सही प्रतीत होती है और वह जांच में सहयोग करने को तैयार हैं। इसी आधार पर उन्हें अग्रिम जमानत दी गई ताकि जांच एजेंसी समय पर अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत कर सके। पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने पंजाबी गायक सिद्धू मूसेवाला के जीवन पर आधारित पुस्तक के लेखक को मानहानि के मामले में अग्रिम जमानत दे दी है। ‘द रियल रीजन व्हाई द लीजेंड डाइड’ नामक पुस्तक लिखने वाले लेखक मनजिंदर सिंह के खिलाफ मूसेवाला के पिता ने शिकायत दर्ज कराई थी। पिता बलकौर सिंह की शिकायत पर मनजिंदर सिंह पर भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 451, 406 (आपराधिक विश्वासघात) और 380 (चोरी) के साथ ही भारतीय दंड संहिता (बीएनएस) की धारा 356 (3) के तहत मामला दर्ज किया गया था। आरोप है कि पुस्तक में मूसेवाला के परिवार के खिलाफ डेफामेट्री मटीरियल है। जस्टिस संदीप मौदगिल ने कहा कि लेखक को अग्रिम जमानत न देने का कोई ठोस कारण नहीं है, क्योंकि पुस्तक सिद्धू मूसेवाला को श्रद्धांजलि देने के लिए लिखी गई है। इसमें न तो किसी की बौद्धिक संपदा चोरी की गई है और न ही कोई गंभीर अपराध किया गया है। मानहानिपूर्ण सामग्री नहीं मिली अदालत ने कहा कि अनुवादित पुस्तक अंशों की समीक्षा के आधार पर इसमें मूसेवाला के खिलाफ कोई आपत्तिजनक या मानहानिपूर्ण सामग्री नहीं पाई गई है। कोर्ट ने टिप्पणी की कि पुस्तक में किए गए बयान वैध आलोचना की सीमाओं के भीतर हैं। इसके साथ ही, अदालत ने यह भी स्पष्ट किया कि प्रत्येक नागरिक को भारतीय संविधान के अनुच्छेद 19(1) के तहत अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का अधिकार प्राप्त है, हालांकि इस अधिकार पर अनुच्छेद 19(2) के तहत उचित प्रतिबंध लागू होते हैं। अदालत ने यह भी कहा कि अग्रिम जमानत पर निर्णय लेते समय केवल यह देखा जाता है कि “प्रथम दृष्टया” आरोप सत्य प्रतीत होते हैं या नहीं, न कि अन्य व्यापक परिस्थितियों की जांच की जाती है। लेखक की दलील- पुस्तक का उद्देश्य शैक्षणिक लेखक मनजिंदर सिंह ने अग्रिम जमानत याचिका में कहा कि वह एक प्रोफेसर हैं, जिससे उनकी बौद्धिक और अकादमिक विश्वसनीयता साबित होती है। उन्होंने दावा किया कि पुस्तक का उद्देश्य शैक्षणिक था, न कि किसी प्रकार का व्यक्तिगत लाभ या दुर्भावना। उनके वकील ने यह भी कहा कि लेखक ने कोई चोरी नहीं की और पुस्तक में उपयोग की गई तस्वीरें और अन्य सामग्री इंटरनेट पर सार्वजनिक रूप से उपलब्ध हैं, जिससे यह निजी या गोपनीय नहीं मानी जा सकती। राज्य सरकार की आपत्ति सरकार की ओर से पेश वकील ने जमानत का विरोध करते हुए कहा कि लेखक ने सिद्धू मूसेवाला के पिता के घर से एक एलबम चुराया, जिसमें उनकी व्यक्तिगत तस्वीरें थीं। उन्होंने यह भी कहा कि पुस्तक में सिद्धू मूसेवाला के गैंगस्टरों से कथित संबंध और विक्की मिड्डूखेड़ा की हत्या में उनकी संभावित संलिप्तता का जिक्र किया गया है। लेखक ने जांच में सहयोग का किया वादा दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद, अदालत ने पाया कि लेखक जांच में सहयोग करने के लिए तैयार हैं और कोई ठोस आधार नहीं है कि उन्हें अग्रिम जमानत से वंचित किया जाए। न्यायालय ने कहा कि लेखक की मंशा सही प्रतीत होती है और वह जांच में सहयोग करने को तैयार हैं। इसी आधार पर उन्हें अग्रिम जमानत दी गई ताकि जांच एजेंसी समय पर अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत कर सके।   पंजाब | दैनिक भास्कर