सिरसा जिले में दो लाख रुपए की रिश्वत लेते हुए रंगे हाथों पकड़े गए तत्कालीन सीआईए इंचार्ज को सेशन कोर्ट आज सजा सुनाएगी। कोर्ट ने 14 नवंबर को आरोपी को दोषी करार दिया था। स्टेट विजिलेंस ब्यूरो ने दोषी एसआई अजय कुमार को 5 जुलाई 2021 को रिश्वत लेते हुए रंगे हाथों गिरफ्तार किया था। तय समय पर वापस नहीं पहुंचे जेल मामले के अनुसार हुडा सेक्टर सिरसा निवासी सुक्खा सिंह ने विजिलेंस निदेशक को दी थी कि उसका पिता बलदेव सिंह एनडीपीएस एक्ट में जिला जेल में है। कोरोना संक्रमण के समय उसके पिता को 42 दिनों की पैरोल मिली थी। हार्ट की बीमारी के कारण उसका पिता तय समय पर वापस जेल नहीं जा पाए। इसके बाद उसके पिता का वारंट जारी हो गया। 3 लाख की मांग की थी 15 जून को डबवाली सीआईए इंचार्ज एसआई अजय कुमार उनके घर आया और पिता को पकड़ लिया। इसके बाद अजय कुमार कहने लगा कि पूरे परिवार को धारा 216 में गिरफ्तार करुंगा। अगर बचना है, तो तीन लाख रुपए देने होंगे। सुक्खा ने अजय कुमार को कहा कि इतने रुपए तो उसके पास अभी नहीं हैं। सुक्खा ने अजय कुमार को एक लाख रुपए दे दिए। डीएसपी के नेतृत्व में आई थी टीम एसआई अजय कुमार ने सुक्खा से कहा कि एसपी ने कहा है कि दो लाख रुपए और देने होंगे, तभी पूरा परिवार गिरफ्तारी से बचेगा। 5 जुलाई 2021 को डीएसपी कैलाश के नेतृत्व में विजिलेंस ब्यूरो की टीम सिरसा पहुंची। इसके बाद सुक्खा सिंह ने एसआई अजय कुमार को अपनी अनाज मंडी स्थित आढ़ती की दुकान में बुलाया। एसआई अजय कुमार ने सुक्खा से दो लाख रुपए रिश्वत के लिए तो तुरंत विजिलेंस की टीम ने उसे दबोच लिया। पावरफुल एसआई के रूप में थी पहचान बता दें कि गिरफ्तारी के कुछ ही दिन बाद सब इंस्पेक्टर अजय कुमार जेल से बाहर आ गया था। उसे जेल में अजय कुमार को कोरोना हो गया था। शिकायतकर्ता सुक्खा सिंह ने आरोप लगाया था कि अजय कुमार ने अपनी पावर का इस्तेमाल किया है। जब तक कोर्ट से जमानत नहीं मिलती उसे कोरोना मरीज दिखाकर कोविड सेंटर में रखने की प्लानिंग है। शिकायतकर्ता का आरोप था कि कोविड सेंटर में आरोपी को वीआईपी सुविधाएं मिल रही हैं। बड़े लीडरों से गहरे रिश्ते सब इंस्पेक्टर अजय कुमार काफी वर्षों तक इनेलो प्रधान महासचिव अभय चौटाला का पीएसओ रहा। इसके संबंध जेजेपी के सीनियर नेताओं से भी गहरे हैं। इन संबंधों का लाभ अजय कुमार को एस इंस्पेक्टर प्रमोट होते ही मिला। पुलिस लाइन से उसे सीआईए सिरसा में जगह मिल गई। पुलिस सूत्रों के अनुसार सीनियर लीडरों का फोन आने पर तत्कालीन एसपी भूपेंद्र सिंह ने अजय को पहले सीआईए सिरसा में नियुक्त दी। बाद में अजय कुमार को अपनी मनपसंद पोस्ट डबवाली सीआईए इंचार्ज की मिल गई। सिरसा जिले में दो लाख रुपए की रिश्वत लेते हुए रंगे हाथों पकड़े गए तत्कालीन सीआईए इंचार्ज को सेशन कोर्ट आज सजा सुनाएगी। कोर्ट ने 14 नवंबर को आरोपी को दोषी करार दिया था। स्टेट विजिलेंस ब्यूरो ने दोषी एसआई अजय कुमार को 5 जुलाई 2021 को रिश्वत लेते हुए रंगे हाथों गिरफ्तार किया था। तय समय पर वापस नहीं पहुंचे जेल मामले के अनुसार हुडा सेक्टर सिरसा निवासी सुक्खा सिंह ने विजिलेंस निदेशक को दी थी कि उसका पिता बलदेव सिंह एनडीपीएस एक्ट में जिला जेल में है। कोरोना संक्रमण के समय उसके पिता को 42 दिनों की पैरोल मिली थी। हार्ट की बीमारी के कारण उसका पिता तय समय पर वापस जेल नहीं जा पाए। इसके बाद उसके पिता का वारंट जारी हो गया। 3 लाख की मांग की थी 15 जून को डबवाली सीआईए इंचार्ज एसआई अजय कुमार उनके घर आया और पिता को पकड़ लिया। इसके बाद अजय कुमार कहने लगा कि पूरे परिवार को धारा 216 में गिरफ्तार करुंगा। अगर बचना है, तो तीन लाख रुपए देने होंगे। सुक्खा ने अजय कुमार को कहा कि इतने रुपए तो उसके पास अभी नहीं हैं। सुक्खा ने अजय कुमार को एक लाख रुपए दे दिए। डीएसपी के नेतृत्व में आई थी टीम एसआई अजय कुमार ने सुक्खा से कहा कि एसपी ने कहा है कि दो लाख रुपए और देने होंगे, तभी पूरा परिवार गिरफ्तारी से बचेगा। 5 जुलाई 2021 को डीएसपी कैलाश के नेतृत्व में विजिलेंस ब्यूरो की टीम सिरसा पहुंची। इसके बाद सुक्खा सिंह ने एसआई अजय कुमार को अपनी अनाज मंडी स्थित आढ़ती की दुकान में बुलाया। एसआई अजय कुमार ने सुक्खा से दो लाख रुपए रिश्वत के लिए तो तुरंत विजिलेंस की टीम ने उसे दबोच लिया। पावरफुल एसआई के रूप में थी पहचान बता दें कि गिरफ्तारी के कुछ ही दिन बाद सब इंस्पेक्टर अजय कुमार जेल से बाहर आ गया था। उसे जेल में अजय कुमार को कोरोना हो गया था। शिकायतकर्ता सुक्खा सिंह ने आरोप लगाया था कि अजय कुमार ने अपनी पावर का इस्तेमाल किया है। जब तक कोर्ट से जमानत नहीं मिलती उसे कोरोना मरीज दिखाकर कोविड सेंटर में रखने की प्लानिंग है। शिकायतकर्ता का आरोप था कि कोविड सेंटर में आरोपी को वीआईपी सुविधाएं मिल रही हैं। बड़े लीडरों से गहरे रिश्ते सब इंस्पेक्टर अजय कुमार काफी वर्षों तक इनेलो प्रधान महासचिव अभय चौटाला का पीएसओ रहा। इसके संबंध जेजेपी के सीनियर नेताओं से भी गहरे हैं। इन संबंधों का लाभ अजय कुमार को एस इंस्पेक्टर प्रमोट होते ही मिला। पुलिस लाइन से उसे सीआईए सिरसा में जगह मिल गई। पुलिस सूत्रों के अनुसार सीनियर लीडरों का फोन आने पर तत्कालीन एसपी भूपेंद्र सिंह ने अजय को पहले सीआईए सिरसा में नियुक्त दी। बाद में अजय कुमार को अपनी मनपसंद पोस्ट डबवाली सीआईए इंचार्ज की मिल गई। हरियाणा | दैनिक भास्कर
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हरियाणा में छात्रों से भरी स्कूल बस पलटी:13 बच्चे घायल, कंडक्टर को फ्रैक्चर आया; व्यक्ति के सामने आने से अनियंत्रित हुई
हरियाणा में छात्रों से भरी स्कूल बस पलटी:13 बच्चे घायल, कंडक्टर को फ्रैक्चर आया; व्यक्ति के सामने आने से अनियंत्रित हुई हरियाणा के करनाल में सोमवार को स्कूल बस अनियंत्रित होकर खेत में पलट गई। जिसमें 13 छात्र घायल हो गए। 3 बच्चों की हालत नाजुक है। घायलों का अस्पताल में इलाज चल रहा है। हादसा निसिंग में बस्तली गुनियाना रोड पर हुआ। सूचना पाकर पुलिस की टीम मौके पर पहुंची। घटना के दौरान बस में करीब 40 बच्चे सवार थे। घायलों की पहचान ब्रास गांव के रहने वाले लक्की (12), आयुष (9) और निहाल (11) के रूप में हुई है। इनका निसिंग अस्पताल में इलाज चल रहा है। बाकी छात्रों को प्राथमिक उपचार के बाद छुट्टी दे दी गई है। बस के कंडक्टर अनमोल को हाथ में फ्रैक्चर आया है। व्यक्ति के सामने आने से हादसा ग्रामीण राधे श्याम ने कहा कि रॉयल पब्लिक स्कूल की बस सुबह बच्चों को लेकर गुनियाना की तरफ जा रही थी। बस के सामने अचानक एक व्यक्ति आ गया। उस दौरान बस की रफ्तार काफी तेज थी। ड्राइवर ने बस को कंट्रोल करने की काफी कोशिश की। सड़क पर मिट्टी और फिसलन थी। ड्राइवर ने जैसे ही ब्रेक लगाए तो बस फिसल गई और खेतों में जाकर पलट गई। इसके बाद बस में बैठे बच्चों में चीख पुकार मच गई। आसपास के ग्रामीण दौड़े-दौड़े आए और बस के अंदर दर्द से चीख रहे बच्चों को बाहर निकाला। इसके बाद उन्हें तुरंत निसिंग अस्पताल ले जाया गया। 3 बच्चों की हालत गंभीर थी। बाकी 10 बच्चों को डॉक्टरों ने जांच के बाद छुट्टी दे दी। ड्राइवर पर लापरवाही का आरोप हादसे की सूचना के बाद बच्चों के पेरेंट्स अस्पताल में पहुंच गए। उन्होंने बस के ड्राइवर पर लापरवाही से बच चलाने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि ड्राइवर की तेज स्पीड से बस चलाने और असावधानी बरतने के कारण ही यह हादसा हुआ है। SHO बोले- ड्राइवर से पूछताछ कर रहे निसिंग थाना के SHO जगदीश कुमार ने बताया कि घटना की सूचना मिलते ही पुलिस की टीम मौके पर पहुंच गई थी। पुलिस ड्राइवर से पूछताछ कर रही है। यह पता लगाया जाएगा कि यह हादसा कैसे हुआ। प्रिंसिपल बोले- गलती मिली तो ड्राइवर पर कार्रवाई करेंगे रॉयल पब्लिक स्कूल के प्रिंसिपल सतपाल सिंह ने बताया कि सड़क पर अचानक बस का संतुलन बिगड़ गया था। जिसकी वजह से हादसा हुआ। परिजन ड्राइवर पर लापरवाही के आरोप लगा रहे है। ड्राइवर से पूरे घटनाक्रम की जानकारी ली जाएगी। बच्चे अस्पताल में भर्ती हैं। ड्राइवर के खिलाफ जो भी कार्रवाई होगी, वह अमल में लाई जाएगी। ये खबर भी पढ़ें :- पंजाब में पेड़ से टकराई स्कूल बस, छात्र की मौत: गुस्साए लोगों ने जाम लगाया पंजाब के लुधियाना में मंगलवार सुबह प्राइवेट स्कूल की बस पेड़ से टकरा गई। हादसे में एक छात्र की मौत हो गई, जबकि 5 गंभीर रूप से घायल हो गए। हादसा जगराओं कस्बे के रायकोट रोड पर हुआ। पुलिस ने ड्राइवर चमकौर सिंह को गिरफ्तार कर लिया है। घटना के बाद ग्रामीण भड़क गए और उन्होंने जाम लगा दिया। पुलिस अधिकारियों के समझाने के बाद करीब 6 घंटे बाद परिजनों ने जाम खोला। मृतक की पहचान अखाड़ा गांव के रहने वाले गुरमन सिंह (7) के रूप में हुई है। गुरमन के पिता सतनाम सिंह ट्रैक्टर के मैकेनिक हैं। गुरमन उनका इकलौता बेटा था। घायलों में आकाशदीप कौर, सुखमन सिंह, गुरलीन कौर, अर्शदीप कौर और गुरसाहिब सिंह शामिल हैं। पांचों घायलों का प्राइवेट अस्पताल में इलाज चल रहा है। पूरी खबर पढ़ें…
हरियाणा में वोटिंग परसेंट से BJP-कांग्रेस टेंशन में:किसानों की नाराजगी से आस लगा रही कांग्रेस को झटका; सत्ता में बैठी भाजपा फायदा समझ रही
हरियाणा में वोटिंग परसेंट से BJP-कांग्रेस टेंशन में:किसानों की नाराजगी से आस लगा रही कांग्रेस को झटका; सत्ता में बैठी भाजपा फायदा समझ रही हरियाणा में लोकसभा चुनाव में हुई कम वोटिंग से BJP और कांग्रेस दोनों दलों के नेता टेंशन में आ गए हैं। मतदान से पहले कयास लगाए जा रहे थे कि राज्य के किसान भाजपा से भारी नाराज हैं। वे वोटिंग डे पर रिकॉर्ड तोड़ मतदान करेंगे। हालांकि, ऐसा हुआ नहीं। लोग मतदान के लिए घरों से कम ही निकले, जिससे मुख्य निर्वाचन अधिकारी अनुराग अग्रवाल के मुताबिक सभी सीटों पर रात 8 बजे तक 65 प्रतिशत वोटिंग ही हो पाई। किसानों की नाराजगी से फायदा मिलने की आस लगाए बैठी कांग्रेस को इससे झटका लगा है, वहीं भाजपा इसे अपना फायदा समझ रही है। इस बार के आम चुनाव में जो ट्रेंड देश में था, वहीं हरियाणा में भी दिखा। देश के राज्यों राजस्थान में 64.56%, महाराष्ट्र में 54.33%, ओडिशा में 69.34% वोटिंग हुई, जो 2019 के लोकसभा चुनाव के मुकाबले कम वोटिंग प्रतिशत है। हरियाणा में 2019 में 70.34% वोट लोकसभा चुनाव में पड़े थे, लेकिन इस बार के चुनाव में वोटिंग प्रतिशत करीब 5% गिरा है। ऐसे में देश के बड़े राज्यों वाला ट्रेंड हरियाणा लोकसभा चुनाव में भी देखने को मिला है। इन सीटों पर सबसे कम, सबसे ज्यादा वोटिंग हुई
हरियाणा की सिरसा लोकसभा सीट ऐसी रही, जहां सबसे ज्यादा वोट प्रतिशत रहा। मुख्य निर्वाचन अधिकारी अनुराग अग्रवाल के मुताबिक इस बार सबसे ज्यादा वोटिंग 69 फीसदी सिरसा में तो सबसे कम 60.6 फीसदी गुरुग्राम में हुई। कुरुक्षेत्र में कम वोटिंग पर चर्चा शुरू
कुरुक्षेत्र लोकसभा सीट पर देश के जाने माने उद्योगपति नवीन जिंदल के भाजपा की टिकट पर चुनाव लड़ने से इस सीट की काफी चर्चाएं हैं। हालांकि, इस सीट पर भी वोटिंग प्रतिशत ज्यादा नहीं बढ़ पाया। शाम तक यहां 66.2% के करीब वोट पड़े। सियासी जानकारों का कहना है कि इस सीट पर कम वोटिंग प्रतिशत का कारण किसानों का विरोध भी रहा है। इसकी वजह यह रही कि यहां से किसान नेता गुरुनाम चढ़ूनी ने INLD उम्मीदवार अभय सिंह चौटाला का समर्थन किया था और भाजपा के खिलाफ खुलकर प्रचार किया था। इंडी गठबंधन की ओर से यहां AAP के पूर्व राज्यसभा सांसद डॉ. सुशील गुप्ता को चुनावी मैदान में उतारा है। अलग-अलग सीटों पर मतदान करने पहुंचे स्टार और स्टार प्रचारकों के PHOTOS… कम वोटिंग परसेंटेज में गर्मी भी बड़ा फैक्टर
हरियाणा में कम वोटिंग परसेंटेज के लिए गर्मी भी बड़ा फैक्टर रहा। सूबे के 15 से अधिक जिलों में भीषण गर्मी का दौर चल रहा है। हालात इतने खराब हैं कि यहां का अधिकतम तापमान पिछले 10 दिनों से 46 के पार बना हुआ है। इसके साथ ही यहां लू भी चल रही है। गर्मी के कारण हरियाणा सरकार की ओर से 15 जिलों में स्कूल भी बंद किए जा चुके हैं। इस कारण से वोटिंग के लिए आने वाला बड़ा वर्ग घर ही बैठा रहा। किरण के जिले में कम वोटिंग क्यों?
कांग्रेस की तोशाम से विधायक किरण चौधरी की भिवानी-महेंद्रगढ़ लोकसभा सीट पर कम वोटिंग भी कई सवाल खड़ कर रही है। यहां 57 प्रतिशत के करीब वोट पड़े हैं। सियासी जानकार इसकी वजह किरण की नाराजगी को बता रहे हैं। राजनीतिक विश्लेषक अजय दीप लाठर का कहना है कि इस बार इस सीट से किरण की बेटी पूर्व सांसद श्रुति चौधरी प्रबल दावेदार थीं, लेकिन पार्टी ने उनकी टिकट काटकर कांग्रेस विधायक राव दान सिंह को दे दी। इसे लेकर वह काफी नाराज चल रही थीं। उन्होंने महेंद्रगढ़ दौरे के दौरान हुई पार्टी की चुनावी रैली में राहुल गांधी के सामने ही अपना विरोध प्रकट किया था। वोटिंग में नहीं दिखा विरोध
केंद्र के साथ ही हरियाणा में भी 10 सालों से भाजपा सत्तासीन है। इस कारण इस आम चुनाव में सरकार के विरोध में जबरदस्त एंटी इनकंबेंसी थी। प्रचार के दौरान भाजपा प्रत्याशियों के विरोध से यह दिख रहा था कि सूबे में लोग अपना विरोध वोटिंग में भी दिखाएंगे, लेकिन वोटिंग में यह विरोध दिख नहीं पाया। जानकारों का कहना है कि हरियाणा का सबसे बड़ा वर्ग जाट इस चुनाव में विकल्प नहीं तलाश पाया। इस कारण से चुनाव में वोटिंग से वह दूर रहा।
हरियाणा में डेरामुखी की 11 दिन पहले हुई मौत?:डेरा प्रमुख के भतीजे अमर सिंह का दावा- उनके पास मेडिकल रिपोर्ट, हाईकोर्ट जाएंगे
हरियाणा में डेरामुखी की 11 दिन पहले हुई मौत?:डेरा प्रमुख के भतीजे अमर सिंह का दावा- उनके पास मेडिकल रिपोर्ट, हाईकोर्ट जाएंगे हरियाणा में डेरामुखी की मौत पर विवाद अब भी बरकरार है। सिरसा के कालांवाली के गांव जगमालवाली में डेरा प्रमुख महाराज बहादुर चंद वकील साहब का 1 अगस्त शुक्रवार को निधन हो गया था। इसके बाद से गद्दी को लेकर दो पक्ष आमने सामने हैं। इसमें एक पक्ष महात्मा बिरेंद्र सिंह और उनसे जुड़े लोगों का है जो लगातार वसीयत के आधार पर गद्दी पर दावा ठोक रहे हैं तो वही दूसरे पक्ष में वकील साहब के भतीजे अमर सिंह और उनसे जुड़े लोग हैं जो डेरा प्रमुख की वसीयत और मौत को संदिग्ध मान रहे हैं। अब डेरा प्रमुख के भतीजे अमर सिंह ने एक वीडियो सोशल मीडिया पर शेयर किया है जिसमें डेरा प्रमुख की मौत को संदिग्ध बताया है। अमर सिंह ने वीडियो में कहा है कि” डेरा प्रमुख वकील साहब की मौत 21 जुलाई को हो चुकी थी। मगर जानबूझकर गद्दी हथियाने के चक्कर में मौत को छिपाया गया और 1 अगस्त को मौत दिखाकर तुरंत डेरे में अंतिम संस्कार की योजना बनाई गई। अमर सिंह ने आरोप लगाया कि बिरेंद्र सिंह और उसके साथियों ने मिलकर यह किया। 21 जुलाई को मौत के बाद भी डेरे और साध संगत को गुमराह किया गया कि महाराज जी की हालत स्थिर बनी हुई है”। हाईकोर्ट जाएगा दूसरा पक्ष
इस मामले में दूसरा पक्ष में शामिल भतीजे अमर सिंह और उनसे जुड़े लोग हाई कोर्ट जाने की तैयारी कर रहे हैं। इसके लिए कागजात जुटाए जा रहे हैं। अमर सिंह ने दावा किया है कि उनके पास सारे सबूत हैं जिनके आधार पर सिद्ध होता है कि महाराज जी की मौत 11 दिन पहले 21 जुलाई को हो गई थी, मगर महाराज जी को लेकर जाने वाले 15 से 20 लोगों ने अपने आप बंदरबाट कर सारा खेल रचा। अमर सिंह ने बताया कि उन्होंने पुलिस को लिखित शिकायत दे दी है। नए कानून के हिसाब से पुलिस 15 दिन जांच करेगी इसके बाद केस दर्ज करेगी। हमें कानून पर पूरा भरोसा है। गद्दी को लेकर 2 पक्षों में चली थी गोलियां
हरियाणा के सिरसा में डेरा जगमालवाली के प्रमुख महाराज बहादुर चंद वकील साहब का शुक्रवार दोपहर समाधि दी गई। डेरा प्रमुख का पार्थिव शरीर मस्ताना शाह बलोचिस्तानी आश्रम जगमालवाली में दफनाया गया। डेरा प्रमुख का निधन एक दिन पहले (1 अगस्त) हुआ था। इसके बाद गद्दी को लेकर डेरे में 2 पक्ष आमने-सामने हो गए थे। इस दौरान गोलियां भी चली थीं। तनावपूर्ण माहौल के चलते डेरे में पुलिस फोर्स तैनात की गई। शुक्रवार को सूफी गायक महात्मा बिरेंद्र सिंह ने खुद को डेरा जगमालवाली का अगला प्रमुख घोषित किया। हालांकि, दूसरा पक्ष बिरेंद्र सिंह को मुखी मानने को तैयार नहीं है। बता दें कि डेरे से करीब 5 लाख संगत देशभर से जुड़ी है। हरियाणा, पंजाब, राजस्थान, हिमाचल और उत्तर प्रदेश में डेरा के ज्यादा अनुयायी हैं। महात्मा बिरेंद्र सिंह के समर्थक शमशेर लहरी बोले- वसीयत असली
वहीं शुक्रवार को ही डेरे के सेवक शमशेर लहरी ने वीडियो जारी कर कहा था कि काफी लंबे समय से डेरा जगमालवाली से जुड़ा हुआ हूं। हमारे पूजनीय बाबा जी शरीर रूप से हमें छोड़कर चले गए। जैसे ही कल महाराज जी ने चोला छोड़ा, अस्पताल से छूट्टी मिली तो महात्मा बिरेंद्र सिंह जी और साथी उनके शरीर को लेकर डेरा जगमालवाली पहुंचे। वहां कुछ लोगों ने उन पर जानलेवा हमला कर दिया। पुलिस प्रशासन ने बड़ी मुश्किल से उन्हें वहां से निकाला। महाराज जी ने चोला छोड़ने से डेढ़ साल पहले अपनी वसीयत महात्मा बिरेंद्र सिंह के नाम बिना किसी दबाव और उन्हें संगत की सेवा करने का हुकुम दिया। इसकी पूरी वीडियोग्राफी करवाई गई है, जो संगत में पहुंच गई। कुछ सिक्योरिटी कारणों के कारण पुलिस प्रशासन ने महात्मा बिरेंद्र सिंह को अपनी देखरेख में रखा हुआ है। सारी संगत जो महाराज जी के हुकुम को मानते हैं, उनके मैसेज आ रहे हैं, जो महात्मा बिरेंद्र सिंह के दर्शन करने के अभिलाषी हैं। जल्द ही महात्मा बिरेंद्र सिंह संगत में आएंगे। हमें जो महाराज जी ने हुकुम दिया है, उसकी पालना करनी है। 60 साल पहले बना था बलूचिस्तानी आश्रम
डेरा की शुरुआत 1964-65 में हुई। यहां बाबा सज्जन सिंह रूहल ने संत गुरबख्श सिंह मैनेजर साहिब को अपनी कई एकड़ जमीन दान में दी और डेरा बनाने का अनुरोध किया। जिस पर संत गुरबख्श सिंह मैनेजर साहिब ने यहां मस्ताना शाह बलूचिस्तानी आश्रम की स्थापना की। पहले छोटा सा आश्रम था। अब करीब 100-100 फीट का सचखंड बनाया गया है। इसकी खासियत यह है कि इसमें कोई स्तंभ नहीं बना है।