हरियाणा के सिरसा में मादक पदार्थ तस्करी के मामले में जेल में कैद आरोपी महिला ने कोर्ट में फर्जी दस्तावेज पेश कर जमानत ले ली। इसका खुलासा होने पर स्पेशल एनडीपीएस फास्ट ट्रैक कोर्ट ने आरोपी महिला व उसकी जमानतदार के खिलाफ सिविल लाइन थाना पुलिस को एफआईआर दर्ज करने के आदेश दिए। पुलिस ने कोर्ट के आदेश पर कार्रवाई करते हुए दोनों आरोपी महिलाओं के खिलाफ कोर्ट को गुमराह करने व धोखाधड़ी का केस दर्ज किया है। जानकारी के अनुसार शहर थाना डबवाली पुलिस ने वर्ष 2023 में मंडी डबवाली निवासी संगीता रानी पत्नी गोरा सिंह के खिलाफ मादक पदार्थ तस्करी अधिनियम के तहत केस दर्ज कर उसे गिरफ्तार किया था। जेल से बाहर आने के लिए आरोपी संगीता ने स्पेशल एनडीपीएस फास्ट ट्रैक कोर्ट में जमानत याचिका दाखिल की। 25 सितंबर 2023 को कोर्ट ने याचिका पर सुनवाई की। कोर्ट ने एक लाख रुपये के जमानत बांड की शर्त पर जमानत मंजूर कर ली। बताया गया है कि 27 सितंबर को संगीता ने जमानत बांड प्रस्तुत किया। जिसमें कृष्णा पत्नी अशोक कुमार निवासी विधि चंद नगर मुक्तसर पंजाब संगीता की जमानतदार बनी। कृष्णा ने अपनी 9 मरला जमीन का विवरण कोर्ट में प्रस्तुत किया। जिसकी कीमत 2 लाख 22 हजार 300 रुपये बताई गई। इसके आधार पर आरोपी संगीता को कोर्ट से जमानत मिल गई और वह जेल से बाहर आ गई। कोर्ट ने रिकॉर्ड की रिपोर्ट मुक्तसर के तहसीलदार व राजस्व अधिकारियों से मांगी। रिपोर्ट में निर्धारित भूमि का मूल्यांकन गलत दिखाया गया। तहसीलदार मुक्तसर साहिब ने विशेष रूप से रिपोर्ट भेजी। इसमें जमीन के दस्तावेजों को जाली बताया गया। इसके बाद कोर्ट को पता चला कि आरोपी संगीता ने कृष्णा के साथ मिलीभगत करके जमानत के फर्जी कागजात तैयार किए। इसके बाद कृष्णा ने ये दस्तावेज कोर्ट में प्रस्तुत कर आरोपी संगीता को जेल से रिहा करवा लिया। इसके बाद कोर्ट ने सिविल लाइन थाना पुलिस को आरोपी संगीता व कृष्णा के खिलाफ कोर्ट से धोखाधड़ी व जालसाजी पर एफआईआर दर्ज करने के आदेश दिए। सिविल लाइन पुलिस का कहना है कि आरोपियों के खिलाफ केस दर्ज कर लिया गया है। जल्द ही उन्हें गिरफ्तार कर लिया जाएगा। हरियाणा के सिरसा में मादक पदार्थ तस्करी के मामले में जेल में कैद आरोपी महिला ने कोर्ट में फर्जी दस्तावेज पेश कर जमानत ले ली। इसका खुलासा होने पर स्पेशल एनडीपीएस फास्ट ट्रैक कोर्ट ने आरोपी महिला व उसकी जमानतदार के खिलाफ सिविल लाइन थाना पुलिस को एफआईआर दर्ज करने के आदेश दिए। पुलिस ने कोर्ट के आदेश पर कार्रवाई करते हुए दोनों आरोपी महिलाओं के खिलाफ कोर्ट को गुमराह करने व धोखाधड़ी का केस दर्ज किया है। जानकारी के अनुसार शहर थाना डबवाली पुलिस ने वर्ष 2023 में मंडी डबवाली निवासी संगीता रानी पत्नी गोरा सिंह के खिलाफ मादक पदार्थ तस्करी अधिनियम के तहत केस दर्ज कर उसे गिरफ्तार किया था। जेल से बाहर आने के लिए आरोपी संगीता ने स्पेशल एनडीपीएस फास्ट ट्रैक कोर्ट में जमानत याचिका दाखिल की। 25 सितंबर 2023 को कोर्ट ने याचिका पर सुनवाई की। कोर्ट ने एक लाख रुपये के जमानत बांड की शर्त पर जमानत मंजूर कर ली। बताया गया है कि 27 सितंबर को संगीता ने जमानत बांड प्रस्तुत किया। जिसमें कृष्णा पत्नी अशोक कुमार निवासी विधि चंद नगर मुक्तसर पंजाब संगीता की जमानतदार बनी। कृष्णा ने अपनी 9 मरला जमीन का विवरण कोर्ट में प्रस्तुत किया। जिसकी कीमत 2 लाख 22 हजार 300 रुपये बताई गई। इसके आधार पर आरोपी संगीता को कोर्ट से जमानत मिल गई और वह जेल से बाहर आ गई। कोर्ट ने रिकॉर्ड की रिपोर्ट मुक्तसर के तहसीलदार व राजस्व अधिकारियों से मांगी। रिपोर्ट में निर्धारित भूमि का मूल्यांकन गलत दिखाया गया। तहसीलदार मुक्तसर साहिब ने विशेष रूप से रिपोर्ट भेजी। इसमें जमीन के दस्तावेजों को जाली बताया गया। इसके बाद कोर्ट को पता चला कि आरोपी संगीता ने कृष्णा के साथ मिलीभगत करके जमानत के फर्जी कागजात तैयार किए। इसके बाद कृष्णा ने ये दस्तावेज कोर्ट में प्रस्तुत कर आरोपी संगीता को जेल से रिहा करवा लिया। इसके बाद कोर्ट ने सिविल लाइन थाना पुलिस को आरोपी संगीता व कृष्णा के खिलाफ कोर्ट से धोखाधड़ी व जालसाजी पर एफआईआर दर्ज करने के आदेश दिए। सिविल लाइन पुलिस का कहना है कि आरोपियों के खिलाफ केस दर्ज कर लिया गया है। जल्द ही उन्हें गिरफ्तार कर लिया जाएगा। हरियाणा | दैनिक भास्कर
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काम गिरि एक्सपोर्ट प्राइवेट लिमिटेड कंपनी को बिजली निगम ने 35,47,499 रुपए का बिल दिया था। बिजली बिल का भुगतान कर दिया गया था। साथ ही इसके खिलाफ कंपनी ने न्यायालय का दरवाजा खटखटाया था। इससे पहले तत्कालीन न्यायाधीश डॉ. कविता कंबोज ने भी बिजली निगम के खिलाफ कार्रवाई का आदेश दिया था इसके बाद बिजली निगम ने केवल पांच लाख रुपए की राशि चुकाई थी। कामद गिरि एक्सपोर्ट प्राइवेट लिमिटेड कंपनी को बिजली निगम ने 35,47,499 रुपए का बिल दिया था। बिजली बिल का भुगतान कर दिया गया था। साथ ही इसके खिलाफ कंपनी ने न्यायालय का दरवाजा खटखटाया था। इससे पहले तत्कालीन न्यायाधीश डॉ. कविता कंबोज ने भी बिजली निगम के खिलाफ कार्रवाई का आदेश दिया था, इसके बाद बिजली निगम ने केवल पांच लाख रुपए की राशि चुकाई थी।