अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी की महासचिव, पूर्व केंद्रीय मंत्री एवं सिरसा की सांसद कुमारी सैलजा ने कहा कि प्रदेश की भाजपा सरकार स्वास्थ्य सेवाओं को लेकर गंभीर नहीं है। सरकारी अस्पतालों में डॉक्टर और पैरामेडिकल स्टाफ की कमी बनी हुई है। मेडिकल कॉलेजों में नियमों के तहत स्टाफ तैनात किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि, मेडिकल कालेजों में प्रोफेसर, डॉक्टर नहीं होने से जहां मरीजों का इलाज प्रभावित होता है, वहीं, मेडिकल की पढ़ाई करने वाले विद्यार्थियों के भविष्य पर भी इसका असर पड़ता है। जिन जिलों में कैंसर रोगियों की संख्या तेजी से बढ़ रही है, वहां पर कैंसर जांच के पूरी व्यवस्था के साथ-साथ कैंसर रोग विशेषज्ञों की नियुक्ति की जाए ताकि कैंसर रोगियों को उपचार के लिए बाहर न जाना पड़े। इस बारे में सरकार को जो भी पत्र लिखे जाते हैं, सरकार उन पर गंभीरता से ध्यान नहीं दे रही है। मीडिया को जारी बयान में कुमारी सैलजा ने कहा कि जब डॉक्टर ही नहीं होंगे तो रोगियों को कैसे स्वास्थ्य लाभ होगा, मरीजों को प्राइवेट डॉक्टरों के हाथ लुटने के लिए तो नहीं छोड़ा जा सकता। एक ओर जहां सभी सरकारी अस्पताल डॉक्टर और पैरा मेडिकल स्टाफ की कमी से जूझ रहे हैं। उन्होंने कहा कि, मेडिकल कॉलेज में तो बहुत ही बुरा हाल है। प्रदेश के सबसे बड़े स्वास्थ्य संस्थान पीजीआई रोहतक में करीब 50 प्रतिशत तक पद खाली पड़े हैं, जबकि वहां सबसे अधिक मरीजों का दबाव है। डॉक्टरों और स्टाफ की कमी से मरीजों की परेशानी बढ़ने के साथ तैनात कर्मचारियों पर भी काम का दबाव बढ़ता जा रहा है। इन मेडिकल कॉलेजों को खुद बड़ी सर्जरी की जरूरत है। बीपीएस महिला मेडिकल कॉलेज खानपुर कलां, कल्पना चावला मेडिकल कॉलेज करनाल, नल्हड़ मेडिकल कॉलेज और फरीदाबाद के छायसां मेडिकल कॉलेज में भी स्टाफ की कमी हैं। यह मुद्दा कई बार विधानसभा में भी गूंजा, परंतु डॉक्टरों और सहयोगी स्टाफ की कमी दूर नहीं हो पाई है। इस समय प्रदेश के सरकारी अस्पतालों में करीब 1500 डॉक्टरों की कमी है। कैंसर रोग से सबसे ज्यादा प्रभावित फतेहाबाद-सिरसा सांसद सैलजा ने कहा कि अधिकतर सरकारी अस्पतालों में विशेषज्ञ चिकित्सकों की कमी है। अधिकतर पद आज भी खाली पड़े हैं। सरकार की वैकल्पिक व्यवस्था के तहत भी कोई डॉक्टर काम करने को तैयार नहीं है। इतना ही नहीं शायद किसी सरकारी अस्पताल में कैंसर रोग विशेषज्ञ नियुक्त हो, जबकि प्रदेश में कैंसर रोगियों की संख्या तेजी से बढ़ रही है। सिरसा और फतेहाबाद जिले सबसे ज्यादा प्रभावित है, इन जिलों में कैंसर जांच की सुविधा तक नहीं है, कैंसर रोगियों को जांच के लिए दूसरे जिलों में भेजा जाता है। इस समय सिरसा और फतेहाबाद जिलों में कैंसर रोग विशेषज्ञों की नियुक्ति किया जानी बहुत जरूरी है। उन्होंने मांग करते हुए कहा कि, सरकार को कम से कम सिरसा में कैंसर उपचार संस्थान खोलना ही होगा, घोषणाएं करने से कैंसर रोगियों का उपचार नहीं होगा, सरकार को मरीजों के जीवन से खिलवाड़ करने के बजाय जल्द से जल्द उनके उपचार का प्रबंध करना होगा। अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी की महासचिव, पूर्व केंद्रीय मंत्री एवं सिरसा की सांसद कुमारी सैलजा ने कहा कि प्रदेश की भाजपा सरकार स्वास्थ्य सेवाओं को लेकर गंभीर नहीं है। सरकारी अस्पतालों में डॉक्टर और पैरामेडिकल स्टाफ की कमी बनी हुई है। मेडिकल कॉलेजों में नियमों के तहत स्टाफ तैनात किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि, मेडिकल कालेजों में प्रोफेसर, डॉक्टर नहीं होने से जहां मरीजों का इलाज प्रभावित होता है, वहीं, मेडिकल की पढ़ाई करने वाले विद्यार्थियों के भविष्य पर भी इसका असर पड़ता है। जिन जिलों में कैंसर रोगियों की संख्या तेजी से बढ़ रही है, वहां पर कैंसर जांच के पूरी व्यवस्था के साथ-साथ कैंसर रोग विशेषज्ञों की नियुक्ति की जाए ताकि कैंसर रोगियों को उपचार के लिए बाहर न जाना पड़े। इस बारे में सरकार को जो भी पत्र लिखे जाते हैं, सरकार उन पर गंभीरता से ध्यान नहीं दे रही है। मीडिया को जारी बयान में कुमारी सैलजा ने कहा कि जब डॉक्टर ही नहीं होंगे तो रोगियों को कैसे स्वास्थ्य लाभ होगा, मरीजों को प्राइवेट डॉक्टरों के हाथ लुटने के लिए तो नहीं छोड़ा जा सकता। एक ओर जहां सभी सरकारी अस्पताल डॉक्टर और पैरा मेडिकल स्टाफ की कमी से जूझ रहे हैं। उन्होंने कहा कि, मेडिकल कॉलेज में तो बहुत ही बुरा हाल है। प्रदेश के सबसे बड़े स्वास्थ्य संस्थान पीजीआई रोहतक में करीब 50 प्रतिशत तक पद खाली पड़े हैं, जबकि वहां सबसे अधिक मरीजों का दबाव है। डॉक्टरों और स्टाफ की कमी से मरीजों की परेशानी बढ़ने के साथ तैनात कर्मचारियों पर भी काम का दबाव बढ़ता जा रहा है। इन मेडिकल कॉलेजों को खुद बड़ी सर्जरी की जरूरत है। बीपीएस महिला मेडिकल कॉलेज खानपुर कलां, कल्पना चावला मेडिकल कॉलेज करनाल, नल्हड़ मेडिकल कॉलेज और फरीदाबाद के छायसां मेडिकल कॉलेज में भी स्टाफ की कमी हैं। यह मुद्दा कई बार विधानसभा में भी गूंजा, परंतु डॉक्टरों और सहयोगी स्टाफ की कमी दूर नहीं हो पाई है। इस समय प्रदेश के सरकारी अस्पतालों में करीब 1500 डॉक्टरों की कमी है। कैंसर रोग से सबसे ज्यादा प्रभावित फतेहाबाद-सिरसा सांसद सैलजा ने कहा कि अधिकतर सरकारी अस्पतालों में विशेषज्ञ चिकित्सकों की कमी है। अधिकतर पद आज भी खाली पड़े हैं। सरकार की वैकल्पिक व्यवस्था के तहत भी कोई डॉक्टर काम करने को तैयार नहीं है। इतना ही नहीं शायद किसी सरकारी अस्पताल में कैंसर रोग विशेषज्ञ नियुक्त हो, जबकि प्रदेश में कैंसर रोगियों की संख्या तेजी से बढ़ रही है। सिरसा और फतेहाबाद जिले सबसे ज्यादा प्रभावित है, इन जिलों में कैंसर जांच की सुविधा तक नहीं है, कैंसर रोगियों को जांच के लिए दूसरे जिलों में भेजा जाता है। इस समय सिरसा और फतेहाबाद जिलों में कैंसर रोग विशेषज्ञों की नियुक्ति किया जानी बहुत जरूरी है। उन्होंने मांग करते हुए कहा कि, सरकार को कम से कम सिरसा में कैंसर उपचार संस्थान खोलना ही होगा, घोषणाएं करने से कैंसर रोगियों का उपचार नहीं होगा, सरकार को मरीजों के जीवन से खिलवाड़ करने के बजाय जल्द से जल्द उनके उपचार का प्रबंध करना होगा। हरियाणा | दैनिक भास्कर
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