<p style=”text-align: justify;”><strong>Dehradun News:</strong> उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने प्रदेश की प्रशासनिक व्यवस्था को जमीनी स्तर पर मजबूत करने की दिशा में एक ऐतिहासिक कदम उठाया है. राज्य में सरकारी योजनाओं और विकास कार्यों की वास्तविक स्थिति का जायजा लेने के लिए मुख्यमंत्री ने 59 अपर सचिवों को ब्लॉकवार जिम्मेदारी सौंपने का आदेश जारी किया है. इन अधिकारियों को सचिवालय की सीमाओं से बाहर निकलकर गांवों की पगडंडियों तक पहुंचना होगा.</p>
<p style=”text-align: justify;”>मुख्यमंत्री के इस फैसले का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि सरकारी योजनाओं और नीतियों का लाभ सही मायनों में आम जनता तक पहुंचे. इस पहल के तहत, सचिवों को गांव-गांव जाकर यह देखना होगा कि जिन फाइलों पर उन्होंने हस्ताक्षर किए थे, वे योजनाएं वास्तव में जमीनी स्तर पर लागू हो रही हैं या नहीं.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>सीएम धामी ने सचिवों को दिए जरूरी निर्देश</strong><br />मुख्यमंत्री ने सचिवों से न केवल दौरा करने की उम्मीद की है, बल्कि इस दौरे के दौरान हर छोटी-बड़ी समस्या का समाधान करने और एक विस्तृत रिपोर्ट प्रस्तुत करने का भी निर्देश दिया है. सचिवों को अपने-अपने ब्लॉकों में सरकारी स्कूल, स्वास्थ्य केंद्र, पंचायत भवन, और अन्य विकास कार्यों की प्रगति की समीक्षा करनी होगी. साथ ही यह भी सुनिश्चित करना होगा कि किसी योजना के क्रियान्वयन में कोई बाधा तो नहीं आ रही है.</p>
<p style=”text-align: justify;”>धामी ने साफ कर दिया है कि कोई बहाना स्वीकार नहीं किया जाएगा. अगर किसी अधिकारी की रिपोर्ट में खामियां पाई गईं या दौरे के दौरान लापरवाही सामने आई, तो उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी. मुख्यमंत्री ने यह भी स्पष्ट किया है कि यह पहल जनता और प्रशासन के बीच की खाई को कम करने में मदद करेगी. वहीं विशेषज्ञों का मानना है कि, मुख्यमंत्री के इस निर्णय से न केवल पारदर्शिता बढ़ेगी, बल्कि अधिकारियों की जिम्मेदारी भी तय होगी. हालांकि, कई लोगों ने इस पहल के क्रियान्वयन को लेकर आशंका भी जताई है.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>अधिकारियों को समझनी चाहिये जमीनी हकीकत</strong><br />मुख्यमंत्री धामी का कहना है कि यह पहल शासन को जनता के करीब लाने और सरकार की योजनाओं को अधिक प्रभावी बनाने के लिए है. उनका मानना है कि अधिकारियों को फाइलों में सिमटने के बजाय जमीनी हकीकत को समझना चाहिए. मुख्यमंत्री कार्यालय से जारी बयान के अनुसार, सचिवों से महीने के अंत तक रिपोर्ट मांगी गई है, जिसमें उन्हें अपने ब्लॉक में समस्याओं और उनके समाधान की पूरी जानकारी देनी होगी. इस रिपोर्ट का विश्लेषण मुख्यमंत्री खुद करेंगे और जरूरत पड़ने पर तुरंत कार्रवाई के निर्देश देंगे.</p>
<p style=”text-align: justify;”>ये भी पढ़ें: <a href=”https://www.abplive.com/states/up-uk/up-electricity-privatization-purvanchal-and-dakshinanchal-bijli-nigam-land-worth-billions-handed-over-to-companies-for-rs-1-ann-2841494″><strong>UP Electricity Privatization: 1 रुपये में निजी कंपनियों को सौंप दी जाएगी पूर्वांचल और दक्षिणांचल निगम की अरबों की जमीन?</strong></a></p> <p style=”text-align: justify;”><strong>Dehradun News:</strong> उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने प्रदेश की प्रशासनिक व्यवस्था को जमीनी स्तर पर मजबूत करने की दिशा में एक ऐतिहासिक कदम उठाया है. राज्य में सरकारी योजनाओं और विकास कार्यों की वास्तविक स्थिति का जायजा लेने के लिए मुख्यमंत्री ने 59 अपर सचिवों को ब्लॉकवार जिम्मेदारी सौंपने का आदेश जारी किया है. इन अधिकारियों को सचिवालय की सीमाओं से बाहर निकलकर गांवों की पगडंडियों तक पहुंचना होगा.</p>
<p style=”text-align: justify;”>मुख्यमंत्री के इस फैसले का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि सरकारी योजनाओं और नीतियों का लाभ सही मायनों में आम जनता तक पहुंचे. इस पहल के तहत, सचिवों को गांव-गांव जाकर यह देखना होगा कि जिन फाइलों पर उन्होंने हस्ताक्षर किए थे, वे योजनाएं वास्तव में जमीनी स्तर पर लागू हो रही हैं या नहीं.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>सीएम धामी ने सचिवों को दिए जरूरी निर्देश</strong><br />मुख्यमंत्री ने सचिवों से न केवल दौरा करने की उम्मीद की है, बल्कि इस दौरे के दौरान हर छोटी-बड़ी समस्या का समाधान करने और एक विस्तृत रिपोर्ट प्रस्तुत करने का भी निर्देश दिया है. सचिवों को अपने-अपने ब्लॉकों में सरकारी स्कूल, स्वास्थ्य केंद्र, पंचायत भवन, और अन्य विकास कार्यों की प्रगति की समीक्षा करनी होगी. साथ ही यह भी सुनिश्चित करना होगा कि किसी योजना के क्रियान्वयन में कोई बाधा तो नहीं आ रही है.</p>
<p style=”text-align: justify;”>धामी ने साफ कर दिया है कि कोई बहाना स्वीकार नहीं किया जाएगा. अगर किसी अधिकारी की रिपोर्ट में खामियां पाई गईं या दौरे के दौरान लापरवाही सामने आई, तो उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी. मुख्यमंत्री ने यह भी स्पष्ट किया है कि यह पहल जनता और प्रशासन के बीच की खाई को कम करने में मदद करेगी. वहीं विशेषज्ञों का मानना है कि, मुख्यमंत्री के इस निर्णय से न केवल पारदर्शिता बढ़ेगी, बल्कि अधिकारियों की जिम्मेदारी भी तय होगी. हालांकि, कई लोगों ने इस पहल के क्रियान्वयन को लेकर आशंका भी जताई है.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>अधिकारियों को समझनी चाहिये जमीनी हकीकत</strong><br />मुख्यमंत्री धामी का कहना है कि यह पहल शासन को जनता के करीब लाने और सरकार की योजनाओं को अधिक प्रभावी बनाने के लिए है. उनका मानना है कि अधिकारियों को फाइलों में सिमटने के बजाय जमीनी हकीकत को समझना चाहिए. मुख्यमंत्री कार्यालय से जारी बयान के अनुसार, सचिवों से महीने के अंत तक रिपोर्ट मांगी गई है, जिसमें उन्हें अपने ब्लॉक में समस्याओं और उनके समाधान की पूरी जानकारी देनी होगी. इस रिपोर्ट का विश्लेषण मुख्यमंत्री खुद करेंगे और जरूरत पड़ने पर तुरंत कार्रवाई के निर्देश देंगे.</p>
<p style=”text-align: justify;”>ये भी पढ़ें: <a href=”https://www.abplive.com/states/up-uk/up-electricity-privatization-purvanchal-and-dakshinanchal-bijli-nigam-land-worth-billions-handed-over-to-companies-for-rs-1-ann-2841494″><strong>UP Electricity Privatization: 1 रुपये में निजी कंपनियों को सौंप दी जाएगी पूर्वांचल और दक्षिणांचल निगम की अरबों की जमीन?</strong></a></p> उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड Himachal: सुक्खू सरकार पर वादाखिलाफी का आरोप! शिक्षित बेरोजगार संघ करेगा हिमाचल विधानसभा का घेराव